HINDI GAZAL :-
बहार से हम, मुस्कूराये जा रहे है
अन्दर का गम, कोई ना जाने..
बहार से आन्सू, दिख ना पाये..!
अन्दर से आन्सू, बहे जा रहे है
अन्दर से आन्सू, बहे जा रहे है..
बातें तो मीठी, किया करते थे..
बगल मे चाकू, घीसे जा रहे थे.
जिनको मै अपना, समझ रहा था.
वही मुझसे दगा, किये जा रहे थे
वही मुझसे दगा, किये जा रहे थे..
झूट जो बोलता, जीत चुका था.:
सच्च जो बोला, हार गया मै.
सच्चायी की.. जीत है होती...
ईसी आस मे मै, जिये जा रहा था.
ईसी आस मे मै, जिये जा रहा था.
बहुत बडी मै, खता कर गया था.
पहली नजर मे, फ़िदा हो गया था.
ओ क्या जाने, होती है तडपन ?
काश जो उनको, अहसास होता.!
काश जो उनको, अहसास होता.!
बहार से हम मुस्कूराये जा रहे है
अन्दर का गम, कोई ना जाने..
बहार से आन्सू दिख ना पाये..!
अन्दर से आन्सू, बहे जा रहे है
अन्दर से आन्सू, बहे जा रहे है..!
(Vinod Jethuri on 12th Sep 2010 @ 11:15 AM)
Copyright © 2010 Vinod Jethuri
www.vinodjethuri.blogspot.com