कांडपाल जी की "इंडिया गेट के शहीद" एक इसे आलेखों का संग्रह है, जिनका मनुष्य जीवन से अटूट सम्बन्ध है| इस पुस्तक की कोई भी ऐसी रचना नही है जो यथार्थ से परे है|
इस पुस्तक हास्य, भय, अद्भुत, करुण, श्रृंगार का मिश्रण है|
इस पुस्तक की विषय वस्तु इस प्रकार है:
१. इंडिया गेट का शहीद: इस रचना में लेखक शहीदों की व्यथा बता रहा है कि वो लोगो कि स्मृति से गायब हो गये है| लोग भूल गये है कि जिस आजादी को वो ये इतनी शान से जी रहे है, उसके पीछे कई लोगो ने अपनी घर परिवार की परवाह न करते हुए अपने प्राण सिर्फ़ इसलिए न्योछावर कर दिए ताकि आने वाली पीड़ी खुली हवा में साँस ले सके|
२. हम स्वतंत्र है: यहा लेखक ने स्वतंत्रता का असली प्रारूप दिखाया है| आज लोगो के बीच स्वंत्रता का मतलब है कही भी कूड़ा डाल देने के स्वतंत्रता, मल-मूत्र की स्वंत्रता,यातायात के नियम तोड़ने की स्वतंत्रता आदि आदि|
३. दुल्हे का बाप: १ कथा के मध्यम से लेखक ने समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत की है|
४. अनभिज्ञ: एक ऐसे विवाहित जोड़े की कहानी है, जिनके जीवन में सब कुछ होते हुए भी सुख की कमी है| और वो कमी है पति पत्नी के मध्य एक दूसरे को समझने की क्षमता|
५. नींबू-मिर्च: अन्धविश्वास मानने वाले शिक्षित समाज पर लेखक का बाण|
६. बंद पलक: एक पति को अपनी पत्नी का महत्व का पता तब चलता है, जब वो उसके पास नही है|
७. प्रोपर्टी डीलर: महानगरो में प्रोपर्टी डीलर का आतंक
८. किसका दोष: पलायन से पीड़ित उस युवक की कहानी जिसकी पत्नी गाँव में है और अपने स्वास्थय की चिंता किए बगेर उस युवक के परिवार की सेवा कर रही है| ये कहानी पहाड़ से पलायन करने वाले हर युवक की है, जो अपने परिवार और अपनी नौकरी के बीच फसा हुआ है| जिसकी स्थिथि इतनी दयनीय है की उसे अपनी पत्नी को गाँव छोड़ के आना पड़ता है ताकि वो उसके परिवार का ख्याल रख सके|
९. नेकदडा: आप इस वर्ड से अनभिज्ञ होंगे| पर रचना पदने के उपरांत आप को समझ आ जाएगा की ये नेकदडा क्या है|
१०. सूर्पन्खाये और रावण: त्रेता युग में तो १ सूर्पनखा थी और १ रावण था, पर आज तो हर जगह सुर्प्नाखाये और रावण भरे पड़े है| त्रेता का रावण उस कलयुग के रावण से कई गुना अच्छा था|
११. लाडले दुर्योधन के बीच: आज के धृतराष्ट्र और उनके पुत्रो की कहानी है| आज का धृतराष्ट्र आँख होते हुए भी अपने पुत्रो के कर्मो की अनदेखी करता है|
१२. जन्म पत्री: कुंडली को शीर्ष पर रखकर अन्य सभी बातो को नजर अंदाज करते हुए रिश्ता जोड़ना बेमेल विवाह को प्रोत्साहित करना है|
१३. क्यूंकि में लड़का हू: समाज में लड़कियों की दयनीय व्यथा का लेख