Author Topic: पहाड़ की नारी पर कविता : POEM FOR PAHADI WOMEN  (Read 53474 times)

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Meena Ji In Sundar Rachnao ke liye bhot bhot dhanywaad....

Such hi kha hai...

Jhaa naa pahunche Ravi, Wha pahunche Kavi

&

A pen is mighter than sword.

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 938
  • Karma: +7/-1
Great job Pandey jew.....keep it up.


It is our fortune that Meena is our regular member. Definitely she has composed heart touching poems.

All the best to her.. Hope to get many more.





पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
गिर्दा उवाच:-

जैंता एक दिन तो आयेगा

इतनी उदास मत हो
सर घुटने मे मत टेक जैंता
आयेगा, वो दिन अवश्य आयेगा एक दिन

जब यह काली रात ढलेगी
पो फटेगी, चिडिया चह्केगी
वो दिन आयेगा, जरूर आयेगा

जब चौर नही फलेंगे
नही चलेगा जबरन किसी का ज़ोर
वो दिन आयेगा, जरूर आयेगा

जब छोटा- बड़ा नही रहेगा
तेरा-मेरा नही रहेगा
वो दिन आयेगा

चाहे हम न ला सके
चाहे तुम न ला सको
मगर लायेगा, कोई न कोई तो लायेगा
वो दिन आयेगा

उस दिन हम होंगे तो नही
पर हम होंगे ही उसी दिन
जैंता ! वो जो दिन आयेगा एक दिन इस दुनिया मे ,
जरूर आयेगा,

Meena Pandey

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 138
  • Karma: +12/-0
vidhroh
« Reply #43 on: March 21, 2008, 11:00:02 AM »
VIDROH...........a revolution

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
मीना जी!! टुकडों में अपनी कविताओं के दर्शन करवा रहीं हैं!! विद्रोह पर सुन्दर कविता लिखी है... विद्रोह का तात्कालिक असर नजर आये ये जरूरी नहीं! 1857 का संदर्भ खूब लिया है...

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
मीना जी,
        आपने बहुत सुन्दर रचनी की है और आपका कहना भी सही है कि विद्रोह कोख से नही आता, वह तो सामाजिक जरुरतें जब पूरी नहीं होती, हक मांगने से नहीं मिल पाता, सामन्तवादी, फासीवादी लोगों के चंगुल से छूटने के लिये विद्रोह होता है, सही मायने में इसे विद्रोह नहीं "हक की लड़ाई" कहना चाहिये।

और भी रचनायें आपसे अपेक्षित हैं...।

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 938
  • Karma: +7/-1
जय हो महाराज लोगो

Meena Pandey

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 138
  • Karma: +12/-0
ye sardiya
« Reply #47 on: March 25, 2008, 03:36:30 PM »
ये सर्दियाँ

इन तपती दोपहरो मे
याद आते है
सोयाबीन के दानो की तरह
तवे पर चट्कते सर्द दिन!

पुराने ऊन की
निमेली स्वटर और
उस पर से पिछली सर्दियों की बू!

अंगीठी की आंच पर से
सरकते ठिठुरते दिन और
रजाई की खींचतान मे गुजरती
 लम्बी राते!

ये सर्दियाँ बोझिल है
पुराने दिनों की यादे
पसीना बन के बह रही है!

मीना पाण्डेय

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Pandey Ji..

Great composition..... Thanx.

ये सर्दियाँ

इन तपती दोपहरो मे
याद आते है
सोयाबीन के दानो की तरह
तवे पर चट्कते सर्द दिन!

पुराने ऊन की
निमेली स्वटर और
उस पर से पिछली सर्दियों की बू!

अंगीठी की आंच पर से
सरकते ठिठुरते दिन और
रजाई की खींचतान मे गुजरती
 लम्बी राते!

ये सर्दियाँ बोझिल है
पुराने दिनों की यादे
पसीना बन के बह रही है!

मीना पाण्डेय

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 938
  • Karma: +7/-1
छा गये पाण्डेय जी महाराज इसके लिए एक करमा मेरी और से बटोर इनाम आपको दिया जाता है.... :) :) :)

ये सर्दियाँ

इन तपती दोपहरो मे
याद आते है
सोयाबीन के दानो की तरह
तवे पर चट्कते सर्द दिन!

पुराने ऊन की
निमेली स्वटर और
उस पर से पिछली सर्दियों की बू!

अंगीठी की आंच पर से
सरकते ठिठुरते दिन और
रजाई की खींचतान मे गुजरती
 लम्बी राते!

ये सर्दियाँ बोझिल है
पुराने दिनों की यादे
पसीना बन के बह रही है!

मीना पाण्डेय

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22