Author Topic: Poems and Article by Shri Udaya Pant -श्री उदय शंकर पन्त जी के कविताये और लेख  (Read 13307 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 निमित्त मात्र(By Udaya Pant)
देखा है मैंने यहाँ
 हर तरफ़ मौज़ूद
 अन्याय कई तरह
 किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ 
 चाहूँगा मैं बनना
 फाँसी का फँदा
 निर्जीव होकर भी
 दे सकूँगा दंड उन्हें
 जो अपराधी धरा के
 सक्रिय मैं न भी सही
 निमित्त मात्र बनकर
 दूंगा मैं भी योगदान
  Posted by   Udaya
http://uspant.blogspot.in/
   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 चिराग / Lamp(By Udaya Pant)

   चिराग हूँ जल कर रौशनी देता हूँ तुम्हें
 फ़ितरत है मेरी खुद अँधेरे में हूँ तो क्या
 तुम्हें तो बस ख़ुद रौशनी का शौक़ जो है
 मेरी तरह जल कर भी देखोगे तुम क्या
 I'm a lamp that gets burnt but brighten your lives
 It's my nature so what if beneath me the darkness
 You all have just the fascination to be in the lights
 You can't even try to get burnt like me you witness!
http://uspant.blogspot.in/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 सरगोशी  ये तबस्सुम ये हवाएं और महकता मौसम
 हरेक गोशे से छनकती मोहब्बत की सरगम
 दिल का आया है कोई शायद एक नया पैगाम
 अब बहारें भी मेरे साथ चलेंगी बस हाथ थाम
 
 कोई सरगोशी से कह रहा है मेरे मन की बात
 धीमे से जगाता मुझे कह के मेरे दिल की बात
 अब तो इक़रार को हूँ मैं भी यहाँ बहुत बेक़रार
 है तो हकीक़त ही बस अब ये मुझे कोई न बहम
 
 शबनमी बूँदें  यहाँ सुनाती हैं मोहब्बत के तराने
 हरेक लफ्ज़ कुछ ऐसा जो छू जाता है मेरे दिल को
 हौले हौले सुनाते अब मुझे इश्क़ की कोई दास्तान
 मानो सारे नगमे किसी ने कर दिए हों ये मेरे नाम

------

अंजुमन/Agora  शायद समझ नहीं पा रहा हूँ महफ़िल को
 अंजुमन भी अब लगने लगा है अनजान
 मुझे लगा कि लोग नहीं समझ पाए मुझे
 कुछ मैं अनजाना कुछ महफ़िल अनजान
 Perhaps I do not understand musicale
 Agora now I feel like a place unknown
 I thought people didn't understand me
 Me some and some musicale is unknown
  Posted by   Udaya     

कह लेने दो  आज कह लेने दो गीतों को मेरे ऐसा कुछ
 अब भी ज़िन्दा हूँ मुझे बस ये यकीं हो जाए

 चुप रहा बरसों मैं यहाँ किसी न किसी डर से
 सोचा न कभी कब डर ये मुझे भी खा जाये
 अब मैं बोलूँगा बिना किसी से भी डर कर
 दामन में लगा हरेक दाग़ मेरा यूँ धुल जाये

 मैंने देखे हैं कई वो ज़ुल्मो सितम औरों पर
 जाने क्यों न करी इनकी खिलाफत मैंने
 खाता हूँ क़सम अब ये ख़ता न होगी मुझसे
 मेरा हर नगमा नया इंसाफ़ के नाम हो जाये

 ज़ुल्म सहना भी गुनाह है ज़ालिम की तरह
 है ये भी ज़ुल्म जब नज़रंदाज़ कोई कर जाये
 ये ज़हां है नहीं मिल्कियत बस चंद लोगों की
 सबको हक है कि उन्हें भी इन्सां समझा जाये
  Posted by   Udaya     
http://www.facebook.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pant जियारत के नाम पर तुम किसका इम्तहान लेना चाहते थे
 ख़ुदा के नाम पर तुम खुदाई को ही क्यों आज़माना चाहते थे

 In the name of pilgrimage who did you want to be tested
 In God's name why did you want Godness itself be tested! ~Udaya

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pant हमें रक़ीब समझो तो ये समझे रखना
 लेकिन इतना एहसान तुम किए रखना
 मेरे नाम कोई रंज़िशें कभी न लिखना
 इन्हें तुम अपने खाते में संभाले रखना

 Continue that way if you thought I'm enemy
 But do please keep obliging me on any count
 Don't write any vengeance in my name ever
 You continue crediting them in your account!~ Udaya

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pant जाने क्यों शर्मसार होने के बाद छोड़ दिया
 क़ानून ने यहाँ शर्म-ओ-हया का दामन अब
 रज़ामंदी रहेगी अपनी जगह जो भी हो पर
 सोलहवाँ सावन नहीं तूफ़ान ले आयेगा अब

 Don't know why but left after being ashamed
 The law its thin curtain of even the shame now
 Consent may what it be may have its own logic
 But the sixteen shall bring the storms here now! ~ Udaya

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pant चुनाव के पहले और चुनाव में
 नेता को नहीं कहने में संकोच
 कि मैं हर दर्द की दवा लाया हूँ
 मेरी परेशानियाँ रहीं अब तक
 तभी अपेक्षाओं में खरा न उतरा
 अब मैं मसीहा बन के आया हूँ
 और चुनाव ख़त्म तो नेता ग़ुम
 मेरे अपने है कई गम ओ दर्द हैं
 सब का ठेका लेके नहीं आया हूँ
 दर्द सहन करो हमारी तरह तुम
 संघर्ष करो जीवन सुधार लो ख़ुद
 मैं पांच साल का बीमा लाया हूँ~ Udaya

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pantposted to कोई विकास की कोई विकास दर की रट लगाते हैं
 लोग यहाँ दो जून को रोटी की जुगत लगाये बैठे हैं
 Some repeat like parrot on 'development' or 'growth rate'
 People busy working out for two square meals even today~ Udaya

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pant
तुम्हें तो हँसी आती है हमारे उसूलों और तरीक़ों पर
हमें हँसी आती है तुम और तुहारी मग़रूर सोच पर
You laugh at my methods and my principles
I laugh loud at your thinking and arrogance ~ Udaya

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Udaya Pant
हम भी तो चाहते हैं आज़ उन्हीँ के क़रीब होना
इसलिए महसूस करते हैं दूर से भी क़रीब होना
I too have the desire to be by her side today
Hence I feel even from a distance by her side ~ Udaya

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22