२००९ वर्ष बीत गया,
आ रहा है २०१०,
चिंतन करना,
बीते वर्ष के पर,
क्या पाया,
क्या खोया बस?
मित्रों मेरे मैंने पाया,
नवजीवन इस साल,
आज हूँ आपके बीच में,
देखो कैसा कमाल.
प्रेम है मित्रों आपसे,
मन में बसे बद्रीविशाल,
करता हूँ कामना प्रभु से,
सुखमय हो सबको,
२०१० का साल.
इच्छा मन में एक रहती है,
बिसरें नहीं,
पहाड़ और गाँव,
जाएँ जन्भूमि की ओर,
थिरकते रहें अपने पावँ.
कवि मित्रों लेखनी से,
पहाड़ प्रेम जगाना,
देना सन्देश सभी को,
नव वर्ष खूब मनाना.
रचनाकार:
जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
३१.१२.२००९
E-mail: j_jayara@yahoo.com