--नै फुलार----
रूद्रप्रयाग से बाल कवियों की गढवाली कविताएँ
नै फुलार कन रंचणा, कन लिखणा या बडि बात नी च,
पर मातृभाषा का नजीक छिन औणा अर कलम चलौणा, या भौत बडी बात च।
या सुखिळि बात च हमारा वास्ता, कि अब भाषा संस्कृति का दिवा जगणा छिन त जरूर उजाळु भी खत्यौलू अर नै पौध खूब फलला-फुलला अर खूब खुशबू फैलौला ईं माटी-थाति की----
आस-विश्वास कि, बिज्वाड भरीं रौ
जौ-जस कि जूंदाळ, छक्क खतीं ह्वो
सुर्ज सी घमझौळ,अर गैणौ जस उजाळो
नयु साल यन सुख समृद्धि दगड़ि औ।
---शुभमंगलमय कामना दगड़ि
-@अश्विनी गौड़ अध्यापक पालाकुराली, जखोली ब्लाॅक रुद्रप्रयाग।
1-
---'वोट'---
काम - काज छोड़ीक,
वोट द्यौण आवा दौड़ीक।
आरु डाळा पर चार झूला
वोट द्यैण कबि ना भूला।
घास काटण,चारी बीठा,
वोट द्यैण झट्ट हिटा।
'रै' का सौड़ बैठ्या छिन
वोट द्यैण पैट्या छिन।
----@काजल राणा, कक्षा-09 राउमावि पालाकुराली।
2-
-मतदान-
काम काज छोडा दूं
वोट द्यौण आवा दूं
वोट द्योण आवा दूं
बुजुर्ग भी ल्यावा दूं।
वोट द्यौण आवा दूं
लोकतंत्र बचावा दूं
घास पात त रोजै धांण
वोट मतदान आजे जांण।
चौका दांदा मा बैठ्या छिन
वोट द्यौण पैट्या छिन।
------@राधिका राणा कक्षा-09, राउमावि पालाकुराली
3-
-- वोट--
चला टीपा फ्यौली फूल
वोट मनपसंद नेता द्यौण।
डांडि धार पीपल डाळू
हमारू गौं वोट द्यौण जालू।
लोकतंत्र बचौण त,
वोट जरूर द्यौण।
अमीर गरीबों नए भेदभाव
वोट द्योण सबुकू अधिकार।
फूल डाळी है ना तोडा दूं
मतदान कन ना भूला दूं।
कांध्यू मा हाथ धर्या छिन
वोट द्यौणौ बाटा लग्या छिन।
अखोडा पतगा झड़णा छिन
वोट द्योण अड्गणा छिन।
मेरी वोट मेरु अधिकार
ऐसे दौ मेरी सरकार।
वोट हमुन तैई द्यौण
जैन विकासै छ्वीं लगौण।
काम काज लग्यू रौण
वोट द्योण जरूर औण।
----@अपेक्षा राणा। कक्षा-09
राउमावि पालाकुराली।
4-
---वोट--
डांडा-धार पैय्या फूललू
सैरु गौं वोट दी औलू।
चला भैजी अब वोट द्यौण
दारू का सांसा कतै नि रौण।
देखदा, सिखदा, लिखदा-पढ़दि
वोट द्यौणै दादी जिद कर्दि।
गरीब अमीर सबुकू यक्कु दान
अपडु अधिकार अपडु मतदान।
घूस ल्ये, मुर्गा खै, देखा
दरवाळों का गुणगान कैका?
बांजै डाळी पराळै मुठ्ठ
मतदान कनौ सबि एकमुठ्ठ।
मेरु वोट, मेरु अधिकार
चुनौ भलू कन ऐसू, बार।
----@खुशी राणा, कक्षा 09, राउमावि पालाकुराली जखोली ब्लाॅक रुद्रप्रयाग।
5-
---रंगमत----
आज द्यौखा मनखी कन ह्वैगी
अपणी रीत अपणा गीत छोड़ी
बनि-बनि का, रंगो मा, रंगमत ह्वै,
बनि-बनी डिग्री ल्येक,
सेवा-सोळि भि, पट बिसरी,
अब त सबुन दूर बै ही,
हैलो -हाई सिख्यालि।
पैली जन लांणु-खांणु भी, छोड़ी
अब द्यौखा दौ, सबि बनि-बनि
चीजौ मा, कन रंगमत ह्वयां।
बिमार्यौन कन घेरी मनखि,
दवे भी अब कै प्रकारें,
पर पैलि जन जड़ि-बूटी की
ताकत कख रै।
ब्यौ-बरात्यूं मा, ढ़ोल- दमौ छोड़ी,
सबि डीजे मा, रंगमत ह्वयां,
रिश्ता-नाता भी सब फर्जी बण्यां।
धारा-पंधेरौ सुनकार,
बिना बेटी-ब्वारी,
कूटणु-पिसणू छोड़ी
अब त सभी बजारों खरीदण ह्वेगि।
भली तागत वौळु दूध भी
कखै दिख्यैण,
भैंसा गोरू पळन कैन
दूधे थोल्या सारा लग्या,
जब गौं का गौं
खाली ह्वैगिन।
आज द्यौखा मनखी कन ह्वैगी
अपणी रीत अपणा गीत छोड़ी
बनि-बनि का, रंगो मा, रंगमत ह्वै,
,
----कविता कैंतुरा,खलुवा लुठियाग रूद्रप्रयाग।
6-
-- घौरे याद--
भौत टैम बाद ए तुमुतै,
अपरा घौर- कूड़ै याद,
जब मामारी मा पिथ्येगिन,
तब याद ए माटी थाति की!
बांजा छै, जु कूड़ी
तख घसे- लिपै ह्वोणी,
पैलि त, तख देखी भी नी,
पठाळि छे कबार बै, च्वौंणी।
स्वास्थ्य- सुविधा पढ़ै बाना
जैन भी मुख छो मोड़ी,
आज अपड़ि-अपड़ौ
जान बचोणौ औण पडी यखि बौड़ी।
कि
अब बथा कथ्ग्या फर्क च?
हमारा पहाडौ अर तुमारा शैरु मां!
हमुन धारो, पाणी पीनि,
तुम रैन विकासे लैरो मां।
यख म्योळि बासदी
घुघुति घुरांदि,
तुम रौन्दन ट्रैफिक घुंग्याट मा।
हमुन ल्वौण रोटी खै।
तुम रैन चौमिन-मोमो फौफ्याट मा।
बोली भाषा फुन बिसरी
अब देसी ब्वन्न बेठ्यां छा,
देहरादून त यख्खि मू च
तुम त बल विदेश पैट्या छा।
घौर-कूड़ी खन्द्वार
पुगंड़ि बांजा छिन
पर उंद बड़ा- बड़ा फ्लौट,
आज खन्द्वार कूड़ी चमकी
पुगंड़ा खैन्दा ह्वेग्या
पर सि प्लौट तखि सून्न रैग्या ।
अपड़ा आखिर अपड़ै ह्वंदा
पहाड़ त हमारि शान छिन,
पहाड़ी लांण, पहाड़ी खांण
पहाड़ मा अन्न धन कि रस्यांण।
पहाड़ी लाणु पहाड़ी खाणु
पहाड़े कि जान छिन………
------निधि चमोला कांदी अगस्तमुनि रूद्रप्रयाग
7-
*चला दगड़यौं अब गौं जोला*
*लिख्वार- अशोक जोशी*
चला दगड्यौं अब गौं जौला-------
वखि गैल मा, रोला खोला
बांजि पुंगड्यूं तै कर्ला-कमोला
यखि पाड़ौ मा दै-दूध जमोला
अपणा पाड़ तै अग्वड़ि बढ़ौला
कि,चला दगड्यौं अब गौं जौला------
कैका सुख मा नाचीऽ जोला
कैका दुःख हम बुथ्यै द्यौला
कैकी कमी तै हम पुर्यौला
कि,चला दगड्यौं अब गौं जौला-----
नयि-नयि फसल तै, हम यख उपजोला
घौर किवाड़ तै, खिलपत सजौला
अफु खुणि रोजगार अफु खुजौला
पाड़ौ बटि कुछ नयु बणौला
कि चला दगड्यौं अब गौं जौला------
अपणी तौं डांडी-काठ्यौं तै हम बचौला
बिसर्या पुरांणा त्योहार तै, हम मनौला
खैरी का यूं अंधेरा बाटौं
अब कुछ नयु बाटु खुजौला
सुख का उज्याळा खुणि अग्वाडि बढ़ौला
कि चला दगड्यौं अब गौं जौला------
अशोक जोशी नारायणबगड चमोली।
-------@धन्यवाद
संकलनकर्ता अश्विनी गौड़? दानकोट, राउमावि पालाकुराली रूद्रप
Garhwali Poetries of varies topics from Rudraparayag; Multi-Subject Garhwali Poetries from children of Rudraprayag ;