Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527660 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Garhwali Classes "गढ़वाली छुई"
 
पौढ़ी लेखी की, हौडू- हौडू पोड़ी की,
बड़ू बणगे तू राजी रौ,
विदेश जै की, जौ जगा जोड़ी की,
ठाठ कानी छै तू राजी रौ,
जणदू छौं भुला मी तेरी सरी गाथा,
हाथ जोड्यां त्वेकू मै न सुणों,
हे मेरा भुला जरा चुप रौ,
बड़ा दिनु बाद घौर अयें तू ,
घौर मु ऐकि जरा थौक ख़याल,
हिसर-काफुल सी मिठ्ठी मीठी छ्वीं,
लगै-सुणि की जी भऱ्याल,
भोल तिन फेर वापस चली जाण
औ जरा धोरा मेरा गौला भिटयों
हे मेरा भुला जरा चुप रौ,
वू मुल्क ही अपणु होंदु
जख बीतादु अपणु बचपन
जख रौंदन बवे- बुबा, भै-बैणा और
जख अपणा जलड़ा होंदन,
यखी बिटीन खाद पाणी मिललू त्वे ,
सेखी मारी मेरु जी न जलौ,
हे मेरा भुला जरा चुप रौ,
मै न पौढ़ी न लेखी सक्यों,
न देखि सकेनी मिन सुपन्या बड़ा
घौर ही मु लमडी- खरसेकी,
बींगी गयों मी वेद सरा,
तेरी आख्यों मा पीड़ा देख णु छौ,
खुश नी छै तू वख़ सच बतौ,
हे मेरा भुला जरा चुप रौ,
बढ़ू बणगे तू राजी रौ,
मैलु मा रौणी तू राजी रौ...
हे मेरा भुला जरा चुप रौ..
(अनिल पालीवाल )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
य कविता मैन तब लिखि थै जब मै १६ साल कु थो ,

कभित रात ब्यांली होलि सुबेर !
कभित खुलालि म्यरी खैरिकी घेड !!

कटैला यक दिन ई घोणा अँध्यारा !
कभित उजालु आलू यख फेर !!

साक्यो पुराणी बादलों मा " जोन "!
कभित ऐ जालि बोडि फिर भैर !!

बसग्याल जालू बिती यु अबत !
कभित बैणु मै बसंत मा ग्वेर !!

घुघूती बसालि मनमा कभि मेरा !
कबित आलू स्यु बक्त व वेर !!

सुपन्याँ मेरा सुपन्याँ हि नि राला !
कभित बिजालू यों सुपन्यों तें मैर !!

होला ई द्योयो देवता मेरा देणा !
कबि ना कबित मेरा भाग कि मुडेर.......!!

प्रभात सेमवाल ( अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

ज़िन्दगी मा आई वा बांद, जन हवा कू झोका I
कतका कोशिश करीनी मिन, पर नी मिली मोका I
सुख चैन दगडी लीगे, जिकुड़ी मेरी घैल केगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

बोली छौ उइन, साथ च मेरु उम्र भरी कू I
यखुली यन रेग्यो मी, जन भात बिना तरी कू I
सुख्यू भात खैकी मेरा पुटुक बिनेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

खैर विपदा लगेनी उइंमा, अपरा दिला की I
चिंता नी कारी मिन, फिर फ़ोन का बिला की I
पर की जण छाई वा, फ़ोन पर ही सेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

दूध लीणा कू गयु मी, उइंका बार मा सोचीकी,
टोकन डाली मशीन मा, मिन मदरडेरी पौंछीकी,
सुचदा-सुचदा उइंका बार मा, वा समीणी ऐगे I
दिखदी रेग्यो उइंतेकी, अर सरया दूध खतेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

ब्याली रात सुपन्यु देखी, वा मै दगड़ बच्यानी चाI
गों - गों बाजारू मा वा , मेते ही खुज्यानी चा I
जन्नी दिला कू भेद खोली , ढाई आखर प्रेम कू बोली ,
तन्नी सुबेर ह्व़ेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

जून जन्नी मुखडी उइंकी भूले नी भुलेंदी,
मायादारो की माया कभी तराजू नी तुलेंदी I
सुरम्याली आंख्युन झणी कन जादू केगे '
सिदू सादू दीपू ते बोल्या बनेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

Written By : Deepu Gusain ( दीपू गुसाईं )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
यु गीत सिरप गीत नि म्यार मन की स्या पीड़ा छै जु मिन सै अर अपु तेन अफ्वे समजे की पीड़ा अपड़ी जब अफ्वे काटण त कैका सारा रैकी क्यकन आज आप का दगड़ा बटणों छों कन छ मैतें जरुर बतायाँ मै जाग मा रोलु .

पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

बांजा पुगणो करीक धाणी
नि पै कैन न त्वेन पाणी
कुछ कर और सैत जिति जालू
योंकि आस मा तिन पछताणी
बाटु अपड़ू जब अफ्वे खोजण त
कैका सारा बैठी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

आसो का रौला मारिक गोउता
नि बची क्वी तिनभि डूबी जाण
द्याखदि रालि त्यरी दुन्या त्वै
त्यरी आस तब टूटी जाण
खैरी अपड़ी अफ्वे जैलण त
कैकु बाटु दैखी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

भरोषु कैकु अपुसि ज्यादा
न कैर ह्वै जाण तिन आदा
रूठी जाण त्यरून त्वै सी
याद रै जाण करयां वादा
सैरी उमर भुखु रैण त
कैका बांटा खैकी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षि

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
उनके गीतों और रचनाओं में समाता उत्तराखंड,
उनकी अभिव्यक्ति में निर्विकार पहाड़ी जीवन
हर शब्द में झलकती उत्तराखंडी संस्कृति
सुर में पहाड़ की वेदना
ताल में दर्द
प्रखर उत्तराखंडी आवाज
जिस आवाज से
हडकंप मचता राजसत्ता में
कुशासन की कुर्सी हिलती
उस कंठ से निकलती
माँ बेटियों की संवेदनाएं
प्रेमी दिलों की चंचलता
दिखता मनमोहक उत्तराखंडी छटा का विह्ंगम दृश्य
किस ओर उनकी नजर नहीं जाती
कण कण में होते क्षण क्षण में होते
हर जगह व्याप्त उनकी उपस्थिति
ऊँचे हिवांली काठियों में
रोंतेली घाटियों में
कल कल करती श्वेत गंगा यमुना के प्रवाह में
बिपुल पहाड़ी गाँव में विचरण करती लय
सुरों से सुमन खिलते जवान दिलों में
फिर अठ्लेलियाँ लेता बूढा जीवन
झूम उठती माँ की ममता
हे गढ़ पुरुष उत्तराखंडी शिरमोर
तुझे कोटि कोटि प्रणाम

Poem by बलबीर राणा
१४ सितम्बर २०१२

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
kUCH AISHA MERE uTTRAKHAND MAI....!!

गुठ्यार क्रिकेट हो या बाखरा-बोख्ट्या फ़ाईट,
धारा हो पाणि का या मेरि छेंतली हो कहीं,
बुरांश कि लोंफ़ाल हो या फ्योलि कि वो शरारत
मदमस्त मंडाण कहीं ओर कंही बस ठहाके हो तेरे १
वो आडे-तिरछे बाटे और
तेरि वो भारी-भारी सांसे,
गंगा मेरि ओर वो ढुगीं तेरि
हल्ला जो शोर नि लगता
भोटु जंहा बाघ से नि डरता १
जीभ मेरि और लोण तेरा
लुन्गली तेरि और काखडी मेरि
स्यरी तेरि ओर बल्द मेरे
म्यंडु मेरु और डोखरे तेरे १
और एक दिन
ऊन्चे ढुन्गे पर बैठे
अकेले हम
सोचते हैं कुछः
एकदम चुप्प शांत
जहां ठीक नीचे होता है
मेरा रोन्त्याला गांव १
नज़रों में मेरि,
और अब
वक्त आ गया है
शायद ?
Jaane ka
Ye PALAYAN.....kaB rUKEGA..??

@dEEP nEGI ♥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
दुई आंखी दिनी भालइ देखनि खुनी
दुई हाथ दिनी भला कारिज तय
मुख दे भला बचन बोलन खुनी
दिल दे दिमाग दे सब कुछ दे विधातन
पर मनखी मा सगोर नि रै इत्गा सुन्दर जीबन जिणों
अफ्हू तय आंख से भालू हैका तय बुरु
अफ्हू तय भलई खुनी हैका तय बुराई
अफ्हू तय हिटना भला बटा हैका बाताना कु बाटू
अफ्ह्य तय सुन्न भला बचन हैका तय दीन गाली
दिल दिमाग हर्ची
अफ्हू का रंग मा रे गे मनखी
कविता शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता----------------- शैलेन्द्र जोशी
भै नरु
हरु करू भारु करियु तू वेंन गढ़ गीतों तय भै नरु
हे तू वे जनि गितैर नि हु वे सक दू फेर
गढ़ कवी गढ़ रफ़ी गढ़ कविन्द्र हे नरेन्द्र सिंह नेगी
सब्दो कु कोठार चा गढ़वाली भासा खुनी मौलियार चा
भै नेगी महान छाया गढ़ गीतों की जान छ्या
गीतों की गंगा सदनी तयरा मुख बीटी बग दी
हैसदी हैसदी गा दी गीत मुड मा टोपला हाथ मा बाज़ा
बहुत स्वाणु लग दू जब गांदी जब कुई पहाड़ी गाना
जब तू ढौल मा ऐकी ढौलैर हुवीकी
यु गीतों की छालार बैकी डैरो डैरो पौंच जादी
उत्तराखंड की समस्या मा रचय बस्य तयारा गीत
तयार नया कैसीट जब बाज़ार मा अन्दु ता धरा धडी बिक जादू
तयरा नया गीतों की जग्वाल मा लूग रैदन
जनि गीत बाज़ार मा अदन ता समलोनिया हो जा दन
कालजय गीतों कु रचनाकार गढ़वाली गीतों कु सिंगार
मखमली भोंन कु जादूगर भै नेगी
हिवाले संसकिरती तय हिवाला ऊँचे देंन वाला अपणु तोर कु कलाकार
गढ़ गीतों कु हीरा भी तू छे नवरतन छे तू गढ़ कु गढ़ रतन छे तू
बात बोदू गढ़ की मन की गढ़ गौरव छे तू
नौसुरिया मुरली जनि सुरीली गौली छा तेरी
गंगा जनि शीतलता चा तेरा गीतों मा
मायालु गीत तेरा मायालु भोंन चा
गीतों कु बाट की लेंन पकड़ी की गीतों का बटोई बनी की
गीतों का बाट ही बनी गया
ये मुलुक का सुर सम्राट बनी गया
गीतों की पियूष जुगराज रया सदनी संसकिरती पुरुष

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


  " किन्गोड़ा कु बीज "

 

घैल पौडियूँ  बुराँस कक्खी

सुध बुध  मा नि चा फ्योंली भी

बौल्ये ग्यीं  घुघूती भी देखा

फुर्र - फुर्र उडणी इन्हे फुन्हेय

छोड़ अपडा फथ्यला - घोलौं भी 

 

लटुली फूली ग्यें ग्वीरालअक

हुयुं लापता कफ्फू  हिलांस

पकणा छीं बेडू भी बस

अब लाचारी मा बारामास

 

सूखी ग्यीं अस्धरा भी पन्देरौं का अब

सरग भी नि गगडाणू चा

लमडणा छीं भ्यालौं - भ्यालौं मा निर्भगी काफल

कुई किल्लेय हम थेय नि सम्लाणु चा

 

जम्म खम्म पौडयां छीं  छन्छडा

धार हुईँ छीं  लम्मसट

व्हेय  ग्याई निराश कुलैं की भी बगतल   

मुख लुकै ग्याई सौंण कुयेडी भी सट्ट

 

रूणाट हुयुं डांडीयूँ कांठीयूँ कू

ज्यूडी - दथुड़ी बोटीं अंग्वाल

छात भिटवौली पूछणा स्यारा - पुन्गड़ा

हे हैल -निसूडौं  कन्न लग्ग फिट्गार

 

गैल  ग्याई ह्यूं हिमवंत कू

बस बोग्णी छीं आंखियुं अस्धार

अछलेंद अछलेंद बुथियांन्द  वे थेय

द्याखा  बुढेय  ग्याई देब्ता घाम

 

हर्चिं ताल ढ़ोल क ,

बिसिग सागर दमौ  महान

बौल मा छीं  गीत माँगल - रासों -तांदी

समझा उन्थेय मोरयां समान

 

छोडियाल चखुलीयौंल भी अब बोलुणु

काफल पाको ! काफल पाको !

तब भटेय जब भटेय हे मनखी !

तील सीख द्यीं

अपडा  ही गौं  मा  बीज किन्गोड़ा का सोंगा सरपट चुलाणा

बीज किन्गोड़ा का सोंगा सरपट चुलाणा  ..........

 

 

 

स्रोत : हिमालय की गोद से , सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )

 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
घुघूती बासुती यां डान छोड़ी
 धार छोड़ी
 खेती सार छोड़ी
 त्यार धी त्यार छोड़ी
 भरी भाकर छोड़ी
 इज बाबुक प्यार छोड़ी
 तैली सिमार छोड़ी
 बैसी जौनार छोड़ी
 झोड़ चाचरी चैतक बहार छोड़ी..
 छोड़ी कारबार फिर लै जमुने पडल इजा तुम्कुनी पहाड़ उनै पडल ...
 याँ नै तुकुनी मच्छर बुकाल ना घाम लागोल ..
 पहाड़ में तुकुनी के नि होल ...
 के लै होल पहाडै त्यर काम लागोल यें सज आली येन आराम लागोल ...
 बीमारी लै के होल जुकाम लागोल ....
 किलै रे याँ नि आली हिमाली हाव
 धारक उकाव ,
 मौनक जाव,
 काव कमाव ,
 घुघुति माव,
 नीमू नारिंग अखोडक डाव .
 जाड लागी आंग कुणी फिर लै तुकुनी ततुडै पडल ......
 इजा तुम्कुनी पहाड़ उनै पडल
 लेखक -नाम मिकुणी पत् नहात एक दग डियल सुनायां डान छोड़ी धार छोड़ी खेती सार छोड़ी त्यार धी त्यार छोड़ी भरी भाकर छोड़ी इज बाबुक प्यार छोड़ी तैली सिमार छोड़ी बैसी जौनार छोड़ी झोड़ चाचरी चैतक बहार छोड़ी.. छोड़ी कारबार फिर लै जमुने पडल इजा तुम्कुनी पहाड़ उनै पडल ... याँ नै तुकुनी मच्छर बुकाल ना घाम लागोल .. पहाड़ में तुकुनी के नि होल ... के लै होल पहाडै त्यर काम लागोल यें सज आली येन आराम लागोल ... बीमारी लै के होल जुकाम लागोल .... किलै रे याँ नि आली हिमाली हाव धारक उकाव , मौनक जाव, काव कमाव , घुघुति माव, नीमू नारिंग अखोडक डाव . जाड लागी आंग कुणी फिर लै तुकुनी ततुडै पडल ...... इजा तुम्कुनी पहाड़ उनै पडल लेखक -नाम मिकुणी पत् नहात एक दग डियल सुना height=264

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22