हैंसी खेली की रैन्दू छो जू भैजी पोरू ।
आज किले बण्यूं च वु मेरू सोरू ।।
द्वी हिस्सा व्हेगेन कूड़ी का गुट्यार मा पोड्गी दीवार ।
ओडा धरेगेन पुंगड़यूंमा आज वली पली सार ।
कैन या रीत बणायी कैन बणे होलू यूं रिवाज ।
एक खून छो भैजी, वु बिग्वेणू किले च आज ।
हैंसी खेली की रैन्दू छो जू भैजी पोरू ।
आज किले बण्यूं च वु मेरू सोरू ।।
बावा पनमा होन्दू छो जू भै मेरा दुःख मा दुखी ।
आज में बिगर कनमा रैणू होलू वू सुखी ।
एक मन छो हमरू, आज वु मेसे अलग किले गाई ।
क्यांकू ते में देखी की मेरा भैजी आज मुख फरकाई ।
हैंसी खेली की रैन्दू छो जू भैजी पोरू ।
आज किले बण्यूं च वु मेरू सोरू ।।
कन रै होलि राम लक्ष्मण भरत की जोड़ी ।
एक दूजा का बाना जोन राज पाठ भी छोड़ी ।
पाँच पण्डो कू भी याद करदन लोग किस्सा ।
कृष्ण बलरामन भी निभाई भैजी कू रिस्ता ।
हैंसी खेली की रैन्दू छो जू भैजी पोरू ।
आज किले बण्यूं च वु मेरू सोरू ।।
ये भगवान् यी दुनिया मा कब इनू दिन आलू ।
बण्यूं सौरू भैजी मेरू कब अपडू व्हे जालू ।
मिलन देख्नणू कू कू भ्गयान रालू यी धरती मा ।
वे दिन एक न्यु इतिहास बणोलू यी पृथी मा ।
हैंसी खेली की रैन्दू छो जू भैजी पोरू ।
आज किले बण्यूं च वु मेरू सोरू ।।
प्रदीप सिंह रावत "खुदेड़ "
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