Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527851 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
फंडू फुका अडवाणी जी
बुढेन्दी दां की स्याणी जी
नाती - पोतों का ग्वेर बणा
ना लगा कुबाणी जी
रथ तुम्हरू बांजा पडीगे
संगी साथी सब विदा ह्वेगेन
चार धाम की जात्रा करा
न करा निखाणी जी
घपरोळ मा धक्का लगलू
सुधि नी जाणु मंडाण मा
कभी सुणी क्या तुमुन कखी -
ढांगू बुढेन्दी दां ब्याणी जी

kavita-Rajiv Nayan Bahugun

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कुई ब्व़नु बंगाली छौँ ,कुई ब्व़नु मी नेपाली जी
उत्तराखंडी बोलण मा यून्की ,किल्लेय टवट्कि व्हाई जी .....

अपड़ो थेय थंतियाई यून्ल ,बिरणो थेय पिल्चाई जी
अप्डी ही फूकी झोपडी तमाशु , दुनिया थेय दिखाई जी

कैल बुखाई डाम यक्ख ,कैल बस चक्डाम ही खाई जी
कैमा फौज़ चकडैतौंऽ की ,कैमा भड बड़ा बड़ा नामधारी जी

कुई बणया छीं चारण दिल्ली का ,कुई भाट देहरादूण दरबारी जी
शरम ,मुल्क बेची याल ,छीं इन्ना कमीशन खोर व्यापारी जी

कैकु मुल्क कैक्की भाषा कैकु विकास ,हम त दर्जाधारी जी
कुई मोरयाँ भाँ कुई बच्यां ,बैठ्यां हम त बस सार ठेक्कदारी जी
बैठ्यां हम त बस सार ठेक्कदारी जी
बैठ्यां हम त बस सार ठेक्कदारी जी

स्रोत : हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
कनु असगुनी बसगाळ

कविता : नरेन्द्र गौनियाल

हे विधाता यु कनु असगुनी बसगाळ,
 बद्री केदार मा  यु कनु  आई काळ.
 हजारों लोगों कि चलि गेई जान,
 लाखों बेघर, बिन खान पान.
 हिमालै की धरती मा कनु प्रलय ऐगे,
 बोगि गीं मनखि कनु  रगड़ पड़ी गे .
 ज्यूंदा मनखी बि गाड मा बोगि गीं.
 रूंदा किलांदा माट मा दबि गीं
 कबि नि देखि  इनु प्रलय भयंकारी,
 इनि आफत य महा विनाशकारी .
 हे नारायण हे शिव भोलेनाथ,
  रक्षा करो हम सब छां अनाथ .


      सर्वाधिकार  @नरेन्द्र गौनियाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Devbhoomi Uttarakhand मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर
 जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!!
 
 एक माँ होंदी व जीन जन्म दिनी,वीं सी भी बड़ी होंदी जन्म भूमि
 जन्म भूमि का मन का खातिर,
 मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर
 मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर !!
 
 छप-छपी पड़ी जाली,थमलू अखियों को पाणी,भूकी पी लाली या भोल क्या होन्दो कु जाणी
 छप-छपी पड़ी जाली,थमलू अखियों को पाणी,भूकी पी लाली या भोल क्या होन्दो कु जाणी
  मुखडी दिखाई जा नीर थीर,मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!!
 
 जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!!
 
 तुमारा शुख पानिम मिली जाण इनि माज अफडू फर्ज निभे जाण इन
 तुमारा शुख पानिम मिली जाण इनि माज अफडू फर्ज निभे जाण इन
 तुमु करया न करया जातिर,तुमु करया न करया जातिर
 मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर !!
 
 
 जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!
 
 दिन द्व्येक द्वि चार सांस रेगिन भोल सम्लोंयाँ रै जाण ऐन
 दिन द्व्येक द्वि चार सांस रेगिन भोल सम्लोंयाँ रै जाण ऐन
 चित भुजै तब देख्या तस्वीर,चित भुजै तब देख्या तस्वीर
 मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर
 दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर !
 
 जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हार
 
 यम यस  जाखीमेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!! एक माँ होंदी व जीन जन्म दिनी,वीं सी भी बड़ी होंदी जन्म भूमि जन्म भूमि का मन का खातिर, मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर !! छप-छपी पड़ी जाली,थमलू अखियों को पाणी,भूकी पी लाली या भोल क्या होन्दो कु जाणी छप-छपी पड़ी जाली,थमलू अखियों को पाणी,भूकी पी लाली या भोल क्या होन्दो कु जाणी मुखडी दिखाई जा नीर थीर,मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!! जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर!! तुमारा शुख पानिम मिली जाण इनि माज अफडू फर्ज निभे जाण इन तुमारा शुख पानिम मिली जाण इनि माज अफडू फर्ज निभे जाण इन तुमु करया न करया जातिर,तुमु करया न करया जातिर मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर !! जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर! दिन द्व्येक द्वि चार सांस रेगिन भोल सम्लोंयाँ रै जाण ऐन दिन द्व्येक द्वि चार सांस रेगिन भोल सम्लोंयाँ रै जाण ऐन चित भुजै तब देख्या तस्वीर,चित भुजै तब देख्या तस्वीर मेरों कै जावा भेंट आखिर,हे मेरों कै जावा भेंट आखिर दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर,दिख्यो न दिख्यो अग्नै फीर ! जन्म भूमि या टिरी तुम्हारी,जन्म भूमि या टिरी तुम्हार यम यस  जाखी height=320

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
म्यारा डेरम

म्यारा डेरम
गणेश च चांदरु नि
नारेण च पुजदारु नि

उरख्याळी च कुटदारु नि
जांदरी च पिसदारु नि

डौंर थाळी च बजौंदारु नि
पुंगड़ा छन बुतदारु नि

ओडु च सर्कौंदारु नि
गोरु छन पळ्दारु नि

मन्खि छन बचळ्दारु नि
बाटा छन हिट्दारु नि
डांडा छन चड़्दारु नि

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
भरोंसू कैकु अर के बातकू यख जू घर नि देखू उ भलो..
कैका मोर-संगाड छन बच्यां अर कैकु गौ भटी हवे निपल्टो.
यु किस्सा कथा सूणी छई मं भि, कि छायो जमणु कबि यनों,
छींक परदेश मा लगदी छाई मर्दुं तैं, आभास घोर होंद छायो जनन्युं,
कैकी हत्थी तरसदन चूड़ी पैनुकू...क्वी कदर नि जाणदो,
कैकी मांग कु सिन्दूर सुखदो ही नी, क्वी फैशन मा नि लगान्दो.
बालपन की सुन करार कु जिक्र नि छेड़ा अब..............?
मंगलसूत्र गला माँ आज च, ईन्की सुबेर उतर जान्दो...
कभी एक गर्म आंसू काटी देंद कनी कनी चट्टानों थैन्की
कबि बात बात मा ही रिश्ता मिट जन्दन अज्क्याल...
छवाडा अब फ़िक्र नि करा सब मॉडर्न ह्वेग्ये....
एक कुड़ी छाई चल्दी अब कई कुड़ी बंज्ये ग्ये...(मनोज इष्टवाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
परिवर्तन भी सच चा
पलायन भी सच चा
तुम जखा भी छा खुस रा
गढ़वाली कुमौनी मा ये मा लिखेगे भौत
नया क्या लिखे जायू अब तुम ही बता
रीती रिवाज सब भुली बिसरी गिना
कॉन्वेंट कल्चर का ऐथर घुटना हम टेक दिना
अपणी बोली भासा सब हर्चिगिना
हम उत्तराखंडी छा ये की क्या पहचाण चा
तुम ही बोला
परिवर्तन भी सच चा
पलायन भी सच चा
लगदा हम ही झूटू होणा
नया जामना का कॉकटेल मा हम इन मिल गया
दुनिया बोलाली कै दिन जरूर कभी रै भी होला गढ़वाली कुमौनी
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
प्रीत खुजैई

रीतु न जै रे
प्रीत खुजैई
मेरा मुलकै कि
समोण लिजैई
रीतु न जै रे

फुलूं कि गल्वड़्यों मा
भौंरौं कु प्यार
हर्याळीन् लकदक
डांड्यों कि अन्वार
छोयों छळ्कदु उलार
छमोटु लगैई

ढोल दमो मा
द्‍यब्तौं थैं न्युति
जसीला पंवाड़ा गैक
मन मयाळु जीति
मंडुल्यों मा नाचि खेलि
आशीष उठैई

बैशाख मैना बौडिन्
तीज त्योहार
घर-घर होलु बंटेणुं
आदर सत्कार
छंद-मंद देखि सर्र
पर्वाण ह्‍वे जैई
Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
..लशा यानि छन यख बिछीं जन कौथीग व्वीरियुं हो,
 ब्वालिंद यूँ देखिकी मेरा पहाडैकी हर ढून्गी रोई हो..
 क्वी त ब्वालू मीमा कि मी अबी ज्यूँदो छौं,
 उकससा भोरिकी क्वी त बोलू कि मी बचौ मी बचौ...
 कैकी मुखडी कनक्वे द्यखन..,
 सब्युंकी पुतली फर्कि छन...
 आखिर तुम्ही बतावा भयुं, बैन्युं...
 मी ही ज्यूँदो किले रौ.....मी ही ज्यूँदो किले रौ.....(मनोज इष्टवाल)

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
केदारनाथ में आयी तबाही

देखा हमने और सुना हमने, उस रात का यह भयावह मंजर,
देवभूमि उत्तराखण्ड में हुई तबाही, और मानो टूट पड़ा हो यह अम्बर।
खतरे की घंटी भी सुनी, आँखों ने भी देखा मंजर,
पल भर में ही काँपने लगा, उत्तराखण्ड का एक-एक पत्थर।।
बाबा केदार की शरण में आये, भक्तों के मन में थी भक्ति,
बाबा के भजनों से गुंजायमान थी, उस समय वो केदारघाटी,
पल भर में ही क्षुब्ध हो गया, भक्त जनों का वह सैलाब।
त्राही- त्राही मचने लगी, और लाशों का भी लगने लगा अम्बार
लगता है थम सी गयी है यहाँ, जिन्दगी की ये डोर।
बैठे हैं यूँ राह ताँकते, समय के इस झरोखे से,
कब होगा सूरज का आगमन, और होगी जिन्दगी की एक नर्इ भोर।
अपनो की जिन्दगी बचाने को, हर कोर्इ करने लगा शोर।
उफनाती मन्दाकिनी, अलकनन्दा, और गिरते पडते ये चट्ठान,
चारों तरफ फंसी है इनमें, बाबा के भक्तों की जान।
फिर आयी एक किरण आशा की, और होने लगा कार्य बचाव का
सेनाओं ने मिलकर किया, युद्ध स्तर पर राहत कार्य,
फिर मानों बचने लगी, बाबा भोले के भक्तों की जान।
भूखे-प्यासे भट्के भक्तजन, रोते बिलखते बच्चों के प्राण,
लाख कोशिश कर रहे इनके परिजन, लेने को इनका संज्ञान।।
पर ले पा रहे न अपनों की सुध, और खो बैठे हैं अपनी सुध-बुध
बस अब तो भगवान भरोसे बैठें हैं यें,
कब आयेंगें अपने जीतकर, मृत्यु से ये युद्ध जंग।
देवभूमि में नही रहा है, बन्धुत्व जैसा कोर्इ भाव,
खो रहा है प्यार, और अपनत्व का सा ये भाव।।
लाशों के उपर चढ़कर, हो रहा यहाँ व्यापार
कह रहा हर यात्री यहाँ, सेना ने किया उद्धार
लाशें तो अब भी पड़ी हैं, बाबा के आंगन द्वार,
दाह संस्कार करने का, मित्र पुलिस के कन्धों पर है अब भार।
नींद गवाये, भूख भुलाये, खोकर-भूलकर अपनों का हाल,
मित्र पुलिस कर रही अब, बाबा के भक्तों का दाह संस्कार।।
फिर न आये ऐसी तबाही हे, बाबा आपके भक्तों पर,
न दिखे देवभूमि पर, फिर कोर्इ ऐसा मंजर।
हो न किसी का घर तबाह, न बिछडे कोर्इ अपनों से,
रहे सकुशल और खुशहाल, देवभूमि का हर एक लाल,
दया करो हे बाबा सब पर, बरसाओं अपनी कृपा
आये भक्तजन फिर द्वारे बाबा के, और बन जाये स्वर्ग उत्तराखण्ड,
बिखरे इसकी प्राकृतिक, छटा चारों ओर
आओ अब तो कुछ ऐसा करें उपाय।।
मदद को आगे बढे हैं, लाखों करोड़ो लोगों के हाथ,
कोई देता अन्न धन भण्डार, कोई देता वस्त्रों का दान।
पर अफसोस पहुँच न पायी, राहत सब तक पूरी-पूरी।
देखो समझो उत्तराखण्ड वासियों, विपदा अपने राज्य की,
करनी होगी मदद अब तो, राज्य के इन वासियों की।
मिला धन राज्य मे लगाना ही होगा,
सदुपयोग कर मिले धन का, अब तो,
अब तो उत्तराण्ड को पुनः स्वर्ग बनाना ही होगा।।

रचना : मीना रेखाड़ी

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22