'ज़िन्दगी'
कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' जैकु नौ।
कबि घाम, कबि बथौं।।
भला दिन बि लान्दि या,
त कबि दिन बुरा कै जान्दि या,
भला-बुरा कर्मों कु फल बि,
यिखि चखै चलि जान्दि या,
फेर बि खाणु रांदु मनखि,
दिब्तौं झूटि सौं,
कबि घाम, कबि बथौं।।
कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' जैकु नौ।
कबि घाम, कबि बथौं।।
कैकु दिन त कैकि रात यिख,
पण सब्यों होंद बकिबात यिख,
वेकि मर्जि न रिन्गदा मनखि,
खिल्दा फूल, झड़दा पात यिख,
सज-समालि धैरि रे लाटा,
चिफला बाटों स्युं खुटों,
कबि घाम, कबि बथौं।।
कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' वेकु नौ।
कबि घाम, कबि बथौं।।
दिलै सूणा, मनै बोला तुम,
जैथैं चैल्या, वेका ह्वै ल्या तुम,
सुपन्यलि आख्यों मा,
स्वीणों सजै ल्या तुम,
द्वी दिना कु मिलीं च दगिड्या,
काट- काटी नि बितौ,
कबि घाम, कबि बथौं।।
कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' वेकु नौ।
कबि घाम, कबि बथौं।।
विजय गौड़
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