Author Topic: Poems,Songs Lyric,Articles by Vinod Jethuri - विनोद जेठुडी जी की कविताये  (Read 16124 times)

Vinod Jethuri

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भाईचारा और आपसी प्रेम कु त्यौहार होली
 
होली कु रन्ग मा, रन्गूलू संसार
आवा दगडियों जौला सभी बीच ममजार
एक हैकु पर मरला सभी, पिचकारी कु धार
मै भि जगा मै भी आणु, बीच ममजार
सभी मनौला मिलीक, आवा ये तौहार
अपणो सी दुरकू यू, चितेलू नी भार
सबसी भलू प्यारु अपणू होली कु त्यौहार
चला दगडियो दगडियों जौला सभी बीच ममजार
रंग-रंगीलीहोली, प्यारीहोलीकुत्यौहार
सभियोंकुजीवनमाहो, खुशियोंकुबहार
हंसी-खुसीरौलामिली, दुरसमुद्रपार
..
होलीखिलणूअंयासभी, बीचममजार

क्वीदिखणुगदनवार, क्वीतकणूपार
तुमहीबुला ! ईनमाकभी, हवायीक्याभल्यार ?
तुमभीअयाहोजरुर, लग्यारौलासार
मिलीजुलीकिबणौलायख, छोटुसीपहाड
होलीखिलणूअंयासभी, बीचममजार
आवादगडियोजौलासभीबीचममजार

 
 
होली मनाने के लिये आमन्त्रण हेतू लिखी गयी कविता..होली २०१० यू ए ई मे रह रहे प्रवासी उत्तराखन्डियो द्वारा दुबई -शारजहा के ममजार पार्क मे मनायी गयी !
 

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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सयुक्त अरब ईमिरात मे रह रहे प्रवासी उत्तराखन्डियो (उत्तरान्चली एशोसियसन आप ईमिरात ग्रुप) द्वारा नये साल को कौथिक के रुप मे दुबई राज्य मे हर साल हर्शॊउलाष के साथ मनाया जाता है...दुबई (दुबईखाल) के इस कौथिक मे आमन्त्रण हेतू ये कुछ पन्क्तिया सादर:-

"कौथिक दुबईखाल की"

२८ गति पौश की या
७ तारिक जनवरी..!
होन्दू हर साल थौल
बल दुबईखाल की..!!
कौथिगेर आला सभी
आली बेटी-ब्वारी भी
दान-सयाण नचला मन्डाण
ढोल-दमो क दगडी..!!
घौर बटी अया महिमानो की
करदा सतकार जी
झुमैद्या दुबईखाल तै आज
अपण सुर-ताल सी..!!
छोडी ईर्श्या, दुश्मन्यात
हम सभी छवा भयात
कौथिग क ये दिन मा
ह्वे जौला हम अभी साथ..!!
अपण घौर-गांव सी दूर
खुदेन्दू पराण भी..
खुद बिसरै द्योला आज
अपणो सी मिली की..!
२८ गति पौश की या
७ तारिक जनवरी..!
होन्दू हर साल थौल
बल दुबईखाल की..!!

Copyright © 2010, Vinod Jethuri

Vinod Jethuri

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सितम्बर २०१० मे उत्तराखन्ड मे आयी भारी बाड से काफ़ी लोगो को जान-माल की बडी क्षति हुई.. उन परिवारो के प्रति सवेदना व अपने सभी उत्तराखन्डवासियो की कुशलता हेतु लिखी गयी ये कविता:-     

बरखा (बसकाल)

ईन्द्रदेव जी अब बस भी करा धी.
ईन मुसलाधार बरखा ना लगा धी
जख दिखा पाणी, पाणी हुयू छ..
ये पाणी सी अब, हमतै बचा धी

३२ साल कू रिकार्ड भी टूटी....
ईन बरखा पैली कभी नी देखी
पाणी मा पहाड डुबणा छन..
बस करा अब बहुत हवे ग्यायी

घर कूडी भी पाणी लीगी ग्यायी
गोर-बखरा सभी, बैगी ग्यायी....!
बेघर हुंय़ा छन मेरा पहाड क मनखी
ईन्द्रदेव जी तीन क्या करियाली ?

करोडो कू नुकसान हवे ग्यायी
खीयी-कमायी सब पाणी मा ग्यायी
पाणी बगैर तडपणा छा कभी...
आज पाणी मा सरै पहाड डुबै दयायी

गंगा जी कू पाणी बढी ग्यायी
कोसी नदी उफ़ान मा छायी
सागर नी देखी छ कभी !
टीहरी की झील मा यू भी देखीयाली

सैकडों लोगों की जान चली ग्यायी
स्कूल पढदी बच्चो तैभी नी छ्वाडी
श्रर्धान्जली ऊ दिवंगत आत्माओ तै
जून ये पाणी मा प्राण ख्वे दयायी


21 सितम्बर 2010, 7:18 AM
Copyright @ Vinod Jethuri

Vinod Jethuri

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 महेन्द्र सिह धोनी व साक्षी धोनी को शादी की बधाई एंव सुभकामना हेतू लिखी गयी कविता :-
 
धोनी ती खुनी, बहुत बधायी..
उत्तराखन्ड सी, प्रेम दिखायी..!
साक्षी सी होयी,  सगायी..
चट मंगनी और, पट ब्याह करायी !!

अल्मोडा छ जीला, गांव छ लवाली
पालन पोषण, रांची मा हवायी...!
पिताजी पान सिहं, माताजी देवकी
जयन्ती बैणी, जितेन्द्र छ भाई...!!

कै सन जरा भी, खबर नी हवायी.
साठ आदमियों की, बरात लिजायी !
महान आदमी, छयी तू धोनी.....
महानता कु, परिचय करायी....!!

स्यालियोन तैतै, दे होलु गाली..
जुता भी. होलु लुकायी.....!!
ढोल-दमो मा, लगी होलु मन्डाण
मुसाकबाज भी, होलु बजायी..!!

मैच मा खेली, ट्वन्टी-ट्वन्टी..
पर साक्षी न,  बोल्ड करायी.!
सुखमयी हो, सफ़र सुहावना
जीवन की या नयी पारी...!!

अपणी सन्सक्रति सी, प्रेम दिखायी
उत्तराखन्ड कु, मान बढायी....!
जुगराज रैया, तुम दवी का दवीयी
हमारी सुभकामना, तुमतै छायी..!!

"पहाडी छौ मी, पहाडी ही रौलु
पहाड सी प्रेम, रौलू  सदा..!
हंसा-खेला और, फ़ला फ़ुला..
अपणु पहाड कु, नाम बढा..!!"

  विनोद जेठुडी..!

Vinod Jethuri

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हैप्पी नयू इयर (गढवाली लोकगीत) 
 

[/color]पुराणु साल छोडी करला, नयू कू सफ़र
तुम तै म्यारु पहुंची यारो, हैप्पी नयू इयर - २
हैंसी हैंसी और खुशी खुशी, कटू यु सफ़र
हैपी नयू इयर दगडियो, हैप्पी नयू इयर

दुआ मी करदु यारो, सदा रैया सुखी......
औण वाल साल तुमतै, दिया हर खुशी - २
हैंसी- हैंसी.......
हैंसी- हैंसी और खुशी-खुशी कटू यू सफ़र
सभी भाई- बहिण्यो तै मेरु हैपी नयू इयर
हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर

एक बोतल चलली विस्की.... एक बोतल वियर
मिली-जुली कि रौला सभी, हेल्लो माइ डियर - २
मिली-जुली............
मिली-जुली और हंसी खेली तै कटु यू सफ़र
सभी दगडियों तै मेरू..... हैप्पी नयू इयर
हैपी नयू इयर दगडियो, हैप्पी नयू इयर

जिन्दगी की दौड मा, क्वी छुडू ना पैथर
हाथ पकडी जौला दगडी, भोल क्या खबर.? - २
जितका जैसी...........
जितका जैसी भलू हवे साकू, छोडा ना कसर
सभी बुढ्या ज्वान दगडियो, हैप्पी नयू इयर
हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर

हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर......
हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर..........

गीतकार - विनोद जेठुडी, गायक - श्री दिनेश रावत व एलबम - "दगडियों की दगडी"
 
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Vinod Jethuri

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    गैर सैण बणा राजधानी
 
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी

देश विदेश क मनखि आला, लगी रैली आनी जाणी - २
रोड किनारा ढाबा खुलला, क्विय बिचला चाय पाणी
                           क्विय बिचला चाय पाणी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)
                         
बुढ्या बुढडी रै गेन बस, गाव कुडी छ्न बाज पुडी - २
उन्द शहरो मा चली गेन जू, फिर नी देखि पिछे मुडी
                               फिर नी देखि पिछे मुडी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

विरोधी उ बन्या आज,   जू सिया छ्न ताणि मारि - २
नेता बणी तै एस कना छ्न, कन कै होली खणी-बाणी
                              यन कै होली खणी-बाणी ?
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

पहाड कि जन्ता पहाड मा राली, शहरो कि बस होली स्याणी - २
टैन्को कु जमा पाणी छोडिक,    प्योला धारु कु छालू पाणी
                                  प्योला धारु कु छालू पाणी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

दान-सयाण ज्वान-जमान, सभी तै हमन जान्ची पुछी - २
बोल बोडा, बोल बोडी,           बोल भैजी बोल भुली
                               गैर सैण बणा राजधानी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

परयट्न केन्द्र बौणॊला, उचा खाल किनार नदी - २
घुमण कु आलि दुनिया,   लोग आल बनी बनी
                            लोग आल बनी बनी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

देहरादुन मा कैन चीताणी, पहाड मा जी छ क्या होणी - २
गाव अन्धेरु स्कुल दुर, कखि मीलो बटि लेन्दा पाणी
                         कखि मीलो बटि लेन्दा पाणी
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)
गैर सैण बणा राजधानी, गैर सैण बणा राजधानी (कोरस)

 गीत:- विनोद जेठुडी स्वर:- श्रीमती गीता चन्दोला एलबम:- ललीता छो छम्म
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Vinod Jethuri

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पहली-पहली मी सेवा लगान्दू

पहली-पहली मी सेवा लागान्दू,,,
दुजा मी खुशी मनान्दू,,
तीजा माया उलार...................
घरबटी तुम.. अंया बौजी, क्या लयु रैबार.. -२ (मेल)

पहली- पहली मी सेवा सलान्दू,,,
दुजा मी खुशी मनान्दू,,
तीजा माया उलार................
घर मा सभी..राजी-खुशी, डांडी-कांठियों मा बहार..- २ (फ़ेमेल)

खुद लगी छ मी भी जान्दू,,,
ना बौजी मी अब नी रौन्दू,,
मी भी जाणु घौर.................
सालो हवेगे खुद लगीं अब नी रौन्दू और... - २ (मेल)

ना दयोरा तू ईन ना बोदी,,,
घर जाण कि छ्वी ना लौदी,,
क्या करली घौर...................
नौकरी तै क्या मिलली, क्या होलु पगार..- २ (फ़ेमेल)

मांजी बाबा कि याद औन्दी,,,
डांडी-कान्ठियों की, खुद सतान्दी
करियाली मीन सौर.......................
देखा देखि पहुन्चीगे मी भी, सात समुद्र पोर..-२ (मेल)

हे दयोरा तु, खुब ही बोदी,,,
अपण देव,भुमी रौतेली,,
जौला बौडी घौर.........................
तुम ता बस्या दुर देश मा, बिराण पहुच्या धोर .. - २ (फ़ेमेल)

हे बौजी, भैजीकु  खबर,,, ?
दीदी भुलियों तै.. क्या रैबार,,
क्या होण छ घौर..........
गांव खोला और.. रिती-रिवाज, अपणो सी दुर.. -२ (मेल)

हे भैजी तुम तै खबर,,,
दीदी भुलीयो तै यु रैबार,,
आवा बौडी घौर........................
अपणु मुलक.. अपणू देश, अपणो कु धोर.. - २ (फ़ेमेल)

एलबम - ललीता छो छम्म, स्वर - गीता चन्दोला दीदी एंव अर्जून रावत, गीत विनोद जेठुडी

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जेठुरी जी अपनी  कविताओं और गीतों से लोगों का दिल  जीत लिया है,आपकी कवितायें और गीत तो बहुत ही सुन्दर और सुरीले होते हैं इसमें कोई दो राय नहीं है आप ऐसे ही हमें इन कविताओं के द्वारा अपनी देवभूमि की याद दिलाते रहना! बहुत ही मिठास होती है आपकी कविताओं में

 जय उत्तराखंड

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Vinod ji excellent poems on Uttarakhand.

It is really a great efffort. Please keep it up.! God bless u.

Vinod Jethuri

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जाखी भाई जी बहुत बहुत धन्यबाद उत्साहबर्धन कु वस्त बस इनी आप सभी भै-बन्दो कु प्रेम और आशिर्वाद मिनू रालू ता और भी अच्छू लिखणू कु कोशिस करलू..!

जेठुरी जी अपनी  कविताओं और गीतों से लोगों का दिल  जीत लिया है,आपकी कवितायें और गीत तो बहुत ही सुन्दर और सुरीले होते हैं इसमें कोई दो राय नहीं है आप ऐसे ही हमें इन कविताओं के द्वारा अपनी देवभूमि की याद दिलाते रहना! बहुत ही मिठास होती है आपकी कविताओं में

 जय उत्तराखंड

 

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