Author Topic: Poems,Songs Lyric,Articles by Vinod Jethuri - विनोद जेठुडी जी की कविताये  (Read 16125 times)

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
चुटकी
जिसको चुटकी समझ बैठा था
वह तो एक मुट्ठी निकली.....
मुट्ठी खोल के देखा जब तो !
प्यार की एक चिट्ठी निकली ।
चिट्ठी खोल के पढने लगा तो
प्यार का एक ग्रंथ वह निकली
दिल मे प्यार बहुत है लेकिन !
जो चाह ओ पा नही सकती...।
खेल-खेल मे हो गया ये तो
येसा मै नही चिट्ठी कहती !
मुट्ठी को मालुम न था कि....
हाथो की रेखा एक जैसे ना होती ।
भाग्य से येसा होता है कि....
चार हाथो की रेखायें मिलती
जिस रेखा को देखना चाहते !
ओ रेखा बहुत कम है बनती ।
जिसको चुटकी समझ बैठा था
वह तो एक मुट्ठी निकली.....
मुट्ठी खोल के देखा जब तो !
प्यार की एक चिट्ठी निकली ।

विनोद जेठुडी
4 अक्टुवर 2011 @ 4:45 PM
www.dayaluta.blogspot.com

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
            रक्षाबँधन

रक्षाबंधन फिर से आया, लेके खुशियां सारी
सदा खुशी तूम रहो मेरी बहना, ये दुवा हमारी
बहन की खुशियों के खातिर सदा, तत्पर है ये भाई
ईस दुनिया मे सबसे सुन्दर, बहना मेरी प्यारी
ईस दुनिया मे सबसे सुन्दर, बहना मेरी प्यारी

खुबसूरत राखी के धागे से, सजी है ये कलायी
बडी प्यार से मेरी बहना ने, मुझको है पहनायी
बांध के राखी और फिर उसने, खिलायी मुझे मिठायी
ईस दुनिया मे सबसे अच्छी, बहना मेरी प्यारी
ईस दुनिया मे सबसे अच्छी, बहना मेरी प्यारी

प्यार से ये जो राखी तूने, मुझको है पहनाई
इस धागे का फ़र्ज निभाऊ, बस इतनी है दुवाई
चाहे कितने भी आयें मेरे, रास्ते मे कठनाई
सब रिस्तो से बढकर है, रिस्ता बहन भाई
सब रिस्तो से बढकर है, रिस्ता बहन भाई

बचपन के ओ खेल तमासे, कभी हुयी लडाई
लडते-लडते पढते-पढाते, कभी हुयी पिटायी
याद आता बचपन बहना, जो संग मे बितायी
ईस दुनिया मे सबसे सच्ची, बहन मेरी प्यारी
ईस दुनिया मे सबसे सच्ची, बहन मेरी प्यारी
 
सर्वाधिकार सुरक्षित ©  विनोद जेठुडी
12 अगस्त 2010 @ 22:20

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
अन्दर से आँसु बहे जा रहे है (गजल)

बहार से हम, मुस्कुराये जा रहे है
अन्दर का गम, कोइ ना जाने..
बहार से आँसु, दिख ना पाये..
अन्दर से आँसु, बहे जा रहे है
अन्दर से आँसु, बहे जा रहे है..

बातें तो मीठी, किया करते थे..
बगल मे चाकू, घीसे जा रहे थे..
जिनको मै अपना, समझ रहा था..
वही मुझसे दगा, किये जा रहे थे..
वही मुझसे दगा, किये जा रहे थे..

झूठ जो बोलता, जीत चुका था..
सच्च जो बोला, हार गया मै...
सच्चायी की.. जीत है होती...
इसी आस मे मै, जिये जा रहा था.
इसी आस मे मै, जिये जा रहा था.

बहुत बडी मै, खता कर गया था.
पहली नजर मे, फ़िदा हो गया था.
ओ क्या जाने, होती है तडपन ?
काश जो उनको, अहसास होता.!
काश जो उनको, अहसास होता..

बहार से हम मुस्कुराये जा रहे है
अन्दर का गम, कोई ना जाने..:
बहार से आँसु दिख ना पाये..
अन्दर से आँसु, बहे जा रहे है
अन्दर से आँसु, बहे जा रहे है..

सर्वाधिकार सुरक्षित ©  विनोद  जेठुडी, 12th सितम्बर 2010 @ 11:15 AM
www.dayaluta.blogspot.com

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
सपनो मे एक फूल खिला

सपने सजोकर सपना देखा..
सपनो मे एक फूल खिला..
थी दिल्ले तम्मना फ़ूल को पाना
फूल को मैने पा लिया...।

तूझसे मांगू मै दुवा..
सुन ले मेरे ये खुदा..
मुर्झाये ना फूल ये मेरा
हिबाजद करना इसकी सदा

फूलो से सिखा मुस्कुराना
जिन्दगी भर हंसते रहना
हंसते-हंसते समय बिताना
मध्यम-मध्यम सफ़र सुहाना

पूरा गाना पोस्ट नही किया गया है..

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी
12  फ़रवरी 2011 @ 23:03
www.dayaluta.blogspot.com


Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
     धन्य हे नारी

बेटी बनकर सेवा करती....
माता-पिता क़ि प्यारी दुलारी
बडी हुयी और हुयी सगाई..
डोली मे बैठकर हुयी विदायी..

घर गांव अपना छोड के आती
बहु-पत्नि बनकर सेवा करती...
नये मुल्क नये देश मे फिर से
छोटा सा अपना घर बसाती...।

माँ बनी फिर आयी जिम्मेदारी
घर के खर्चे बच्चो की पढायी....
ग्रहस्थ जीवन की कठिन लडाई, पर.
आवश्यकताये कभी पुरी ना होती..।

उम्र गुजरी और बन गयी दादी
पूरे परिवार की डोर सम्भालती
नाती पोते साथ मे आते........
दादी मां उन्हे कहानी सुनाती..।

कभी दुख सहते सहते..
बन जाती है ओ बेचारी..
दुख की सीमा पार हुयी जो
बींरागनी बीर बनी ओ....
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ।

सारे जग की जननी है नारी
उसी से हुयी है उत्पति हमारी
दिल मे ईतना प्रेम बसा है..
जैसे सागर मे गहराई....।

माँ की ममता का ये आंचल
बहन की राखी का ये बन्धन
पति पत्नि का का ओ रिस्ता
धन्य हो नारी तुझको तेरे.....
हर रुप मे मिली सफ़लता....
धन्य हे नारी, धन्य हे नारी
धन्य हे नारी, धन्य हे नारी

14 दिसम्बर 2010, समय 7:30 AM, सर्वाधिकार सुरक्षित ©  विनोद जेठुडी
www.dayaluta.blogspot.com

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
           सजनी

सुन्दर मन से सुन्दर तन की
सुन्दरता की करू सहाय..♥♥..
सुन्दरी इतनी सुन्दर लगती..
सारी सुन्दरता तुझमे समाय

सुन्दर सुन्दर लगती सुन्दर..♥..
सुन्दरी तुमसे सुन्दर ना कोई..
सुन्दर जग मे सुन्दरी पाकर.♥
सुन्दर अपना भाग्य जो होय..!

सुन्दर सुन्दर मन के अन्दर,
सुन्दर सुन्दर सपना संजोय.♥
सुन्दर जीवन सुन्दरी के संग.
सुन्दर सुन्दर पल बिताय♥♥

"सुन्दर सुन्दर लगती सुन्दर..
सुन्दरी तुमसे सुन्दर ना कोई.!
सुन्दरी इतना सुन्दर लगती.♥.
सारी सुन्दरता तुझमे समाय"

सर्वाधिकार सुरक्षित © विनोद जेठुडी, 10 फ़रवरी 2011 @ 7:10
www.dayaluta.blogspot.com

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
सरस सुन्दर शुशिल सजनी
सरल सरस स्वर्ण सज्जित....
सुन्दर शुशिल सप्रेम समाहित...
सुन्दर सपने सह्रदय सकेन्द्रित....
सजनी सजन संग सम्पूर्ण समर्पित....

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 9 फ़रवरी 2011 @ 07:10 AM

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
सबसे बडी मै खता कर गया था


सबसे बडी मै खता कर गया था
पहली नजर मे फ़िदा हो गया था
दिल लगाने से, धोखा मिलेगा..... !
ये सब मुझको कंहा पता था.......?


सर्वाधिकार सुरक्षित © विनोद जेठुडी, 13th Sep 2010 @ 07:35 AM

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
अब तो सिर्फ़ रह गयी यादें


छोटे-छोटे सपने, मीठी-मीठी बातें
फोन पे बतियाना, लम्बी-लम्बी रातें
तेरे बिना कैसे जी पायेन्गे ?????
अब तो सिर्फ़ रह गयी यादें.........!

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी
 13th Sep 2010 @ 07:30 AM

Vinod Jethuri

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 107
  • Karma: +3/-0
कह दो कि ये सब झूठ था


प्रेम का नामोनिशान मिट जायेगा.............
फिर कोई किसी पे विस्वास ना कर पायेगा ।
कह दो कि ये सब झूठ था....................?
वरना कभी कोई किसी से दिल ना लगायेगा ॥

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 13 सितम्बर 2010, 07:24 AM

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22