Author Topic: Poems,Songs Lyric,Articles by Vinod Jethuri - विनोद जेठुडी जी की कविताये  (Read 16217 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Vinod Ji...

Welcome back bhai JI..

Bahut Sunder poem likha hai apne.. It is really very meaningful poem.

W
काश एक समान हर कोई होता..


काश जो दुनिया मे येसा होता.!
एक समान हर कोई होता....
रोड पे ना कोई भुखा मरता!...
पैसे कि क्या होती किमत ??
क्या जाने ओ.........
जो कोई महलो मे है रहता..
और कोई......!!!!
बिन खाये शाम कि रोटी
खुले आशमान के निचे सोता....
काश जो दुनिया मे येसा होता.!
एक समान हर कोई होता...
सोचो फिर दुनिया कैसे होता ?
एक समान हर कोई होता...

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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          यादें

"राजकिय ईंटरमिडिएट कालेज मुन्नाखाल" ईस स्कुल मे बिताये 7 साल की यादेँ सदा ही याद आते रहेगी । उन्ही यादोँ को समेट कर कविता के माध्यम से आपके सम्मुख ये 4 पक्तियाँ सादर...................

कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें ।
स्कुल के दिन कैसे गुजारे
रह गयी है अब बस यादें ।।

कास येसा जो कभी हो जाये
बचपन के दिन लौट के आये ।
मुडकर फिर हम स्कुल जायें
फिर ना कभी आती ओ यादें ।।
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें

यांदो मे यादे है समायें
बचपन के ओ खेल तमासे ।
घन्टी स्कुल कि बज जायें
देर से हम फिर स्कुल आयें ।।
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें 

जमी कुर्सी और छ्त है तारें
गुरुजी धुप सेक के पाठ पढायें ।
लडे-झगडे और पढे-पढायें
यही तो है बचपन कि यादें ।।
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें

कभी हंसाये कभी रुलायें...
रह जाती है तो बस यादें...

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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Thank you so much Bhai ji..

Bas family life me thoda busy ho gaya tha to kalam bhi ruk gayee thi..



Vinod Ji...

Welcome back bhai JI..

Bahut Sunder poem likha hai apne.. It is really very meaningful poem.

W
काश एक समान हर कोई होता..


काश जो दुनिया मे येसा होता.!
एक समान हर कोई होता....
रोड पे ना कोई भुखा मरता!...
पैसे कि क्या होती किमत ??
क्या जाने ओ.........
जो कोई महलो मे है रहता..
और कोई......!!!!
बिन खाये शाम कि रोटी
खुले आशमान के निचे सोता....
काश जो दुनिया मे येसा होता.!
एक समान हर कोई होता...
सोचो फिर दुनिया कैसे होता ?
एक समान हर कोई होता...

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Vinod Jethuri

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उत्तराखँड मे 15, 16 और 17 जून 2013 को आयी प्रलय से हजारो लोगो की जान चले गयी हजारो लोग अभी तक भी लापता है और न जाने कितने लोग अभी भी फँसे हुये है । भगवान से प्रार्थना करते है कि जो लोग अभी भी इस आपदा मे फँसे हुये है उनकी मदद करे और म्रतको की आत्मा को शांति प्रदान करे । एक आपदा पिडित अपनी दर्द भरी दास्ता निचे लिखी पक्तिँयो के माध्यम से सुना रहा है ।

उत्तराखँड मे प्रलय

मै चले जा रहा था, बढे जा रहा था
खुबसुरत वादियाँ घनघोर घटायें ..
मंद वेग से बहती हवायें
कल-कल छ्ल-छ्ल करती गंगा
विराजती है जँहा माँ नन्दा
पल भर की थी ये अनुभूती
देवभूमी कहते जिसको
प्रलय भूमी बन चुकी थी ।
प्रलय के प्रतिक है बाबा
शिव-शंभू तेरे द्वार पे आया
आखों देखी जो कुछ देखा
हे प्रभू ओ कभी ना सोचा !
प्रलय का उफ़्फ़ ओ मंजर
पर्वत ढह गये, बने समुंदर
आहाकार की चीख पुकारें
पानी मे बहती लासें
कुछ तो जिंदे दफ़न हुये थे
तडप-तडप के मर रहे थे
सडक और घर सब कुछ ढह गये
नदी मे तिनके जैसे बह गये
पांच दिनो तक दबा हुआ था
लासों के बीच मे पडा हुआ था
मलवे मे मेरा पैर फ़ंसा था
मेरे अपने सारे बह गये..
नम आखों से अलविदा कह गये
मुझको जिँदा क्योँ रख दिया तूने
मुझको भी तो मार ही देता
जिँदा रह कर क्या करुँगा
कैँसे जिँदा रह पाउँगा ? - 4

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Vinod Jethuri

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गर्व से कहो भारतीय हूँ भारत मेरा देश है

हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई
जाति धर्म अनेक है,
भाईचारा, दया प्रेम का
भाउकता समावेश है ।
"गर्व से कहो भारतीय हूँ
भारत मेरा देश है" ॥

बोली-भाषा वेश-भूषा
रंग-रुप अनेक है,
मिलजुल के रहते हम सब
भेद-भाव न कोई द्वेष है ।
"गर्व से कहो भारतीय हूँ
भारत मेरा देश है" ॥

सर्दी-गर्मी सावन पतझड
मौसम यंहा अनेक है,
पर्वत झरने सागर नदिय़ां
कहते हम सब एक हैं ।
"गर्व से कहो भारतीय हूँ
भारत मेरा देश है" ॥

होली दिवाली ईद बैसाखी
पर्वो का ये देश है,
रंग-विरंगी संस्क्रति का
सुन्दर सा समावेश है ।
"गर्व से कहो भारतीय हूँ
भारत मेरा देश है" ॥

सबसे पुरानी सभ्यता का
मिलते यंहा अवशेष है,
सबसे सुन्दर सबसे न्यारा
प्यारा मेरा देश है ॥
"गर्व से कहो भारतीय हूँ
भारत मेरा देश है" ॥

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी
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Vinod Jethuri

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दुबई मा हर साल हम लोग उत्तरांचली काब्य एंव सांस्क्रतिक सम्मेलन करदां, ये साल २०१३ मा मेरी कविता कु श्रिषक छ "ईकुल्वास" जू की आप सभी दगडियो दगड शेयर कारनु छौ, आशा करदु कि आप सभी दगडियो तै भी पसंद आली।         

    ईकुल्वास

चखुलियों कु चैंच्याट मची गे, धार मा त्यू घाम येगे
खडु उठ हे मंगथु बेटा, मुक धो अर आग जगै दे   |
मीन ............
मोळु गाडे दे, भैंसू पिजै दे, भैर कु काम सब निपटै दे
रतब्याणी बटी रबडा-रबडी, खडु उठ अब एक घुट चाय पिलै दे ||

एक घत्ती पाणी ले दे धी अर, नये धुये क भी तू येजै
कल्यो पकैक धर्युं छ मेरु, खैक तू स्कुल चली जै  |
 सुण ..............
गोर लिगी जै, डांडा बटे दे, हाफ़ टैम मा दिखदी भी रै
ब्याखुनी दां जब छुट्टी होली, गोरो तै भी घर लेक औयी ||

तेरु भी बाबा बुरु हाल ह्वेगे, काम कु बोझ सरा त्वे पर येगे
भोल तीन लखडों कु जाण, आज छुट्टी की अर्जी दे दे   |
अर हां स्कुल जाण सी पहली ..........................
भूल्ली तै दुध पिलै दे, भितर ग्वाडी दे, भैर बटी ताळु मारी दे
दिन मा औलु मी एक घडी कु, चाभी भैर ब्यांर धारी दे ||

घास कु आज मै गदन ही जौलु, रोपणी मा भी पाणी ळगौलु
बडी मुस्किल सी आयी बारी, सरै पुंगडियो तै सौकी औलु |
हे जी हमार भी बखर खुलयान, भोळ मै तुमार बखर लिजौलु
तूम भग्यानोन ही साथ दे मेरु, तुमारु अहसान मै कन कै द्योलु ||

कचापिच ये बस्गाळ मा ह्वेगे, खुट्टियों पर मेरु कादौं लगिगे
यीं द्योरी पर भी कांड लग्यां छ्न, भितर च्वींक त्यू छ्लपंदु ह्वेगे |
येंसु रुडियो मा ये कुड तै छौळु, मोरी-संगाडो तै भी ऊच्योळु
कुछ पैसा मंगथु कु बाबा अर, कुछ पैसा मै भी कमौलु ||

मुंडै बाण की चकडात पुडीं छ, कैमु झी मै हौळ लगौलु
जेठा जी होर तुम ही लगै द्या, तुमारु सिवा अब कैमु जौलु |
धनकुर बुळ्या धनकुर द्योळु, ध्याडी बुळ्या ध्याडी दिलौलु
बळ्दो तै घास पाणी, घर मु ही पहुँचै द्योलु ||

"ईखुली ईखुली मा चखुली की आस, ईखुली रैण कु ऊ अहसास
अपणु ही घर होंदु वनवास, कभी ना कै पर लगु ईकुल्वास
कभी ना कै पर लगु ईकुल्वास, कभी ना कै पर लगु ईकुल्वास"


Copyright @ Vinod Jethuri
On 06/05/2013 to 13/05/2013

Vinod Jethuri

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भारतीय सँस्क्रति विश्व की सबसे प्राचीन सँस्क्रति मे से एक है, भारतवर्ष की बोली-भाषा, भारतवर्ष के लोग, भारतवर्ष की सँस्क्रति भारतवर्ष का साहित्य और भारतवर्ष का ईतिहास के बारे मे विस्तार से जानने के लिये दुनियाभर से लोग यँहा आते है और हमारी सँसक्रति को और अधिक जानने मे रुची रखते है। हमारी सँस्क्रति मे ईतनी सुन्दरता व मिठास है कि शायद ही दुनिँया की किसी भी देश की सँस्क्रति मे हो । इसी का नतिजा है कि युनिवर्सिटी औफ सिनसिनाटी यू.एस.ए मे भारतीय लोक सँगीत व बाध्य यँत्रोँ पर रिसर्च किया जा रहा है ।
भारतवर्ष के हिमालयी क्षेत्र मे स्तिथ देवभूमी उत्तराखँड राज्य की सँस्क्रति से युनिवर्सिटी औफ सिनसिनाटी यू.एस.ए के प्रोफेसर स्टेफन फ़िओल इतने प्रभावित हुये के यँहा के प्रसिध लोक गायक, जागर सम्राट, ढोल वादक श्री प्रीतम भरतवाण जी को यू.एस.ए ले गये और वँहा के लोकल लोगो द्वारा प्रितम जी के निर्देशन मे एक शो प्रस्तुत किया ।
आप सभी लोग भी ये शो जरुर देखेँ, आपको एक भारतीय व उत्तराखँडी होने पर  गर्व होगा । अगर अच्छा लगा तो जरुर SHARE  करेँ ताकि अधिक से अधिक लोग ये विडियो देख सकेँ ।
धन्यवाद !


विडियो देखने के लिये निचे लिकँ पर क्लिक करेँ ।

http://youtu.be/EZOaE2XeayM

Vinod Jethuri

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Thank you!
Vinod Jethuri

Vinod Jethuri

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कुछ मनखी आज मैसाग बण्या छ्न
जन्म सी ही पहली बेटी मना छ्न |
बच्यां- खुच्यां जु ये गेन दुनियां मा
ऊंक ही गैल कन पाप कना छन ||

Vinod Jethuri

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यख अर वख

यख छ या पुडणी रात ।
वख होली खुलणी रात ॥
यख छ या नसिली रात।
वख होली सुरिली रात ॥
यख खुद्याँदी या रात ।
वख हँसादी वा रात ॥
यख ड्युटी पर तैनात ।
वख पटणी होली बरात ॥
यख दिन ता वख रात ।
समय समय की या बात॥
यख देंदु क्वीनी साथ ।
वख मयाळु मनख्यात ॥
यख गडियों कु घुंघयाट ।
वख चखुलियों कु चैच्याट॥
यख क्वी नी आर पार ।
वख दगडियोँ कु साथ ॥
यख फैसन कु फफराट ।
वख अँगडी की वा गात
यख ए/सी न बिमार ।
 वख जड्डू न चचकार ॥
यख बिमारियोँ न बुरु हाल ।
वख की हवा पाणी खुशहाल॥
यख दुरी कु अहसास ।
वख अपणो कु साथ ॥


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