Author Topic: Poems,Songs Lyric,Articles by Vinod Jethuri - विनोद जेठुडी जी की कविताये  (Read 16128 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

Mr Vinod Jethuri is a creative young writer, lyricist who has written songs on various Uttarakhandi Films and has also written poems on various subject.

Mr Jethuri will now onwards also share his poems, lyrics, articles on Uttarakhand in this topic. We are sure you will like articles by Vinod Ji.

Regards,

M S Mehta

A brief introduction of Vinod Jathuri Ji
----------------------------------------

भारतवर्ष मे देवभुमी उत्तराखन्ड राज्य के टिहरी जनपद मे अलकनन्दा व भागीरथी नदियो के पवित्र संगम देवप्रयाग व ऋषिमुनियों की तपस्थली ऋषिकेश के मध्य बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 पर बदरीनाथ जी की ओर मां चामुंडा देवी के चरणो मे बसा मेरा सुन्दर सा गांव सौड (सौडपानी)......! गांव से ही अपनी माध्यमिक शिक्षा व राजकिय महाविध्यालय देवप्रयाग से स्नातक की उपाधी लेने के बाद कुछ दिनो तक दिल्ली मे काम करने के पश्चात वर्तमान मे दुबई (यू.ए.ई) मे एक स्कूल मे एकान्टेन्ट की नौकरीकर रहे है.. और साथ मे अपने बिचारो को कविताये व गीतो के माध्यम से आप सभी लोगो तक पहुचाने काभी शौक रखते है...!

अधिक जानकारी के लिये किर्पया मेरे ब्लौग मे अपनी किर्पा द्रष्टी डालें..
www.vinodjethuri.blogspot.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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विनोद जेठुडी की उत्तराखन्डी कविताये

"जय देवभूमी उत्तराखन्ड"

मात्रभूमी पित्रभूमी, देवभूमी यथोयथा !
पंच-बदरी पंच केदार, पंच प्रयाग छन जख !!
शिव जटा बटी आणी छ गंगा मां, गंगा मां की सूणो कथा !
राजा भगीरथ न करी जब, १००० सालो की घोर तपस्या !!
१२०० साल बटी आणी, नन्दा मां तेरी जात्रा !
हर १२ वर्षो मा मां, औन्दा तेरी मैती वाला !!
देवभूमी की कुलदेवी माता, तूमतै नमन करदू सदा !
यी धरती पर क्रपा करी मां, जी पर तेरा भग्त रैदां !!
ऊंची-ऊंची डांडी-कांठी, ठन्डो-ठन्डो पाणी जख !
हरी-भरी हरियाली और, भलू-मयाली, मनखी तख !!
जन्मभूमी, तपोभूमी, पित्रभूमी यथोयथा !
पंच-बदरी पंच केदार, पंच प्रयाग छन जखा !!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहली जमानू की छंवी क्या लगाण

बेटी ब्वारी पहली जांदा छ धाणी
घास गडोली मुंड मा लेंदी
काम काज मा मस्त हुंया छन
पहली जमानू की छंवी क्या लगाणी

बैसाख महिना, थौल मा जाणी
चुडी कांडी और, फ़ून्दी लाणी
सौण क महिना, तड-तड पाणी
भादों कु घाम मा, मुन्गरी सूखाणी

कार्तिक महिना, आली दिवाली
स्वामी जी आला, खुद विसराली
चैत मा डडवार, मन्गला औजी

बेटी-ब्वारियों का, आला मैती
कन जमानू औयी, होलू कुजाणी
गौंव मा अब क्वी, नीछन राणी
डोला बटी छ, ब्वारी चिल्लाणी

मी भी दगडी, देश लिजाणी
तनखा पाणी, कुछ नी होन्दी
फिर भी ब्वारी, दगड मा रौन्दी

बूढ्या ब्वे-बाब छन, बूखी घर मा
और ब्वारी.....

हजार रुपया की साडी लगान्दी
"उन्दारी क बाठ, ना देख ठाठ
फट रौडली खुट !
उकाली कू बाठ मठू-मठू काट

सीधू पहुंचली टुख !!"

Vinod Jethuri

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आवा बौडी, आवा बौडी

[/color]आवा बौडी आवा बौडी
अपणो तै ना जावा छोडी
यखुली छाजा मा बैठी छ बोडी
बोडा लेण छ लखडा तोडी
धै लगाणा छ्न बाजा कुडी
मेरा अपणो आवा बौडी

मै अभागी ईन भी रायी
ब्यो करि तै ल्यायी ब्वारी
पहली ही महिना चली गेय दिल्ली
बुढि-बुढिया हम रै गें यखुली
बुढि-बुढियों तै जावा ना छोडी
मेरा अपणो आवा बौडी

दादा मनु छ हुक्का कि सोडी
पर आन्खियों मा नाति कि मुखडी
सालो हवेगेन नाती नी बौडी
सभी चली गेन हम तै छोडी
मेरा अपणो आवा बौडी
हमतै  ना जावा छोडी

दादी की ता झुरी गे जिकुडी
लडिक ब्वारियों का बाठा देखी
गोर गुठ्यार भैसियों कि तान्दी
आज देखा सब पुडियां छ्न बाझी
आवा बौडी आवा बौडी
अपणो तै ना जावा छोडी

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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धार सुखी गेन, गाड घटी गेन

धार सुखी गेन, गाड घटी गेन
हुया पहाड क हाल ईन.......
पाणी बगैर तडपणा छन..
बिन माछ सी पाणी जन

डाली  कटियाली, बांज नी रायी
डांडी बण्या छन खरडपट........
का बटी आलू, पाणी बुला धौ ?
जगंल करियाली सपाचट....

जानवर जगंलो मा, तीसी मुना छन !
मनखी बिचारी, त्वे पर आस.......!!
पाणी बगैर मी पट मरी जौलू !!!
त्वे पर लगलु मेरू शराप !!!!

गाड गदनियों कु, पाणी भी सुखी
सेरा मा रोपणी, दिखण कखन...?
सुखी धरती  बबलाणी छौ...
बरखा पाणि भी हवेगे बन्द...

"हे मेरा लठयालो ईन करा धौ
दवी चार डाली, तुम भी लगा धौ
लगावा डाली हर आदिम........
गाड नी घटलू, धार नी सुखुलू
पाणि ही पाणि हर मौसम.."

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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यु छ मेरु, ऊ छ तेरू

यु छ मेरु, ऊ छ तेरू
द्वीयोंमा पुडयु झमेलु..!
बिच बचाण गै छ मीता
बणिग्यो ईन जन पिचक्यु गन्देलू

क्या मिललू और क्या ह्वे जालु ?
द्वेष छोडीक प्रेम अपनालू !
भोल कु क्वी पता नी छ लाटू..
पल भर मा पतानी क्या ह्वे जालू !!

ईक बुनू छौ मी छौ बडू..
हैकु बुनू छौ मी नीछ छुटटू !
सभी मनखी एक समान ..
पैसो पर छ क्या भरोशू ? !!

बीच बचोव मा अब नी जौलु !
युं झगडो सी दुर ही रौलु..
अहकार मा स्यो-बाघ बन्या छन
यों बाघो सी मै खये जौलु

"कत्का सुन्दर होली दुनिया
जु मिली जुली क राय
छोडी ईर्श्या, लालस, मनसा
प्रेम कु बाठु अपनाय"...

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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टिपडा (जन्मपत्री)


दिल ता मिली गे छ पर
टिपडा नी जूडी
नौनू
-नौनी की पंसद भी हवेगे छ पर
टिपडा नी जूडी
पहली ता पन्डाजी न बोली कि
टिपडा नी जूडी
पांच सौ कू नौट दिखायी ता
बिन दिख्या
...
टिपडा भी फ़ट जूडी..
टिपडो का पैथर
टपरै ग्या हम
.
पन्डाजीन बोली ता
भरमै ग्या हम
.
कत्का सच्चाई छ यी बात मा
टिपडा नी जूडी ता
.!
अनहोनी होली
टिपडा जू जूडी ता
सूख
-शान्ति राली.
आवा दगडियो पता लगौला.
सतमगल्यो कू टिपडा जूडौला
औन्सियो कू ब्यो करौला
टिपडो क पैथर
.
रुकणा छन जू
ऊ टिपडो तै भूली जौला
.

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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घौर की खुद
 
घौर की आज, याद छ आणी !
मांजी बाबा की, खुद सताणी !!  - २
नी मणदू यू, पापी पराण !!!
गांव खोलो की, याद छ आण !!!!

देश पराया, मनखी विराण !
कै मा अपणी, खैरी लगाण !! - २
खुदेन्दू मन, दीन छां कटण !!!
दीन गिणी-गिणी, मन तै बुझाण !!!!
नी मणदू यु पापी पराण
दगडियो गैल्यो की, याद छ आण

सडकियो मा देखा, गाडियो की लैन !
छोटी-छोटी बातो मा, पोडदू छ फ़ैन !! - २
याद आणी छा, चाका की लैन !!!
रोड विचारी कन, बणी रैन्दी मौन !!!!
नी मणदू यू, पापी पराण
दीदी भुली की, याद छ आण

पडोसी अपणू, कू होलू कुजाणी !
एक हैकू दगडी, कभी नी बच्याणी !! - २
कभी हवेगे बिमार ता, कै मा बताण !!!
कन दीन कंटदा, और क्या लगाण !!!!
नी मणदु यू पापी पराण
भैजी भुला की, याद छ आण

छालू पाणी कू, हवेगे स्याणी !
यख देखा ता बस, यू लूण्या पाणी !! - २
याद आणी छ, हरी डान्डी कान्ठी !!!
मेरू पहाड की, रौतेली जमी !!!!
नी मणदू य़ू, पापी पराण
घौर की आज, याद छ आण

उन्ची ईमारत, उन्ची छ शान !
उन्चा छ लोग, उन्चा बच्यान्द !! - २
देश पराया, मनखी विराण !!!
हस्या खिल्या छ्वी, कैमा लगाण !!!
नी मणदू यू पापी पराण
सुवा प्यारी की भी, याद छ आण

घौर की आज, याद छ आणी !
मांजी बाबा की, खुद सताणी !!  - २
नी मणदू यू, पापी पराण !!!
गांव खोलो की, याद छ आण !!!!

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Vinod Jethuri

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२ अक्टूवर सन १९९४ तै प्रथक राज्य उत्तराखन्ड तै मुजफ़्फ़र नगर कांड मा अपण प्राण ख्वे देण वाल शहिदो तै श्रधांजली ऊ शहिदो की वलिदानी उत्तराखन्ड क  ईतिहास मा सदा अमर रालू..

श्रधान्जली उत्तराखन्ड क शहिदो तै

सूणा उत्तराखण्डियों
तूम सूणी ल्यावा
अपण देवभूमी तै
तूम अगने बढावा

याद करा वे दिन
चराणनवे साल..
दवी अक्टूवर दिन
हवेन कन हाल..

मांग उत्तराखन्ड की हम
जाण छ दिल्ली..
मुज्जफ़रनगर मू पहुंची
चली गेन गोली..

कत्यो बहिणियों की मांग सून
कत्यो मां की गोद सून
लाठी मारी बहिण्यो तै
कत्यो की बहगी खून..

ऊ मां-बहिण्यो तै
हमारू प्रणाम
ऊ शहिदो तै
हमारू शलाम

उत्तराखन्ड कू विकास कला
ईन हम काम कला
देवभूमी पर अपणी
आंच कभी नी औणी दयोला

सूणा उत्तराखन्ड वासी
तूम सूणी ल्यावा
अपण देवभूमी तै तूम
अगने बढावा

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

Vinod Jethuri

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शुभ बग्वाल
 
चमकुणू होलू आज
मेरू पहाड,
द्यो जगी गे होलू
मेरू गौवं मा !
अन-धन क कुठारो और
दबलो की पूजा होली होणी..!
भैलू और उक्कलो पर
लगी गे होली पिठैयी..!
तेल टपकणु होलू
स्वालो बटी..!
औशी कू दिन येगे
तीन मुख्या तालू भी,
लाल बणी गे होलू..!
छोट-छोट नौनयाल,
लूकण होला,
तालू तै देखी.!
फुलझडी पटाखों की
भडभडाट होली होणी..
गोर-बखर बितगण होला
पटाखो की फ़डफ़डाट सूणी..
भैलू खिनू तै सभी,
हवेगे होला कठ्ठी !
पिठ्या भैलू और
भैलू की लडै..!
मेरू गौंव कू यू रिवाज,
ईन मनाद छौ बग्वाल !
भाईचारा और प्रेम की मिशाल !
अन्न धन्न की ईगास, बग्वाल
मेरू पहाड की ईगास
मेरू पहाड की बग्वाल
मेरू पहाड की रिती-रिवाज


साल भर बटी होन्दी जैकी जग्वाल,
बौडी येगे आज फिर बग्वाल...!
खूशी और प्रेम कू यू त्यौहार..
हो सूख:शान्ति और प्रेम की बहार..!!
सभी दगडियो तै शूभ:बग्वाल !!!
शूभ:बग्वाल, शूभ:बग्वाल ....!

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी

 

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