Uttarakhand > Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य
Poems written by Bhagwan Singh Jayara-भगवान सिंह जयड़ा द्वारा रचित गढ़वाली कविता
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा इस फोटो को देख कर मन में अनायास ही कुछ शब्द उभर आये ,जिन को गढ़वाली कबिता के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ ,,,
****हरीं डाली बुटली******
हरी भरी डाली कन लगदी प्यारी ,
डाली बुटली छन जिंदगी हमारी ,
कन भलू ठंड़ू युंकी जडु कु पाणी ,
जै पिकैं खुश व्हॆ जांदू हर प्राणी ,
डांडी कांठ्यों देखा लगदी हरी भरी ,
युंका बिना सरी प्रक्रति छ अधूरी ,
ताज़ी हवा पाणी देंदा हम सबूकू ,
पर्यावरण की रक्षा करदा हमूकू ,
बच्चों का समान यूँ देखा भाला ,
नि काटा यूँ ,सदा सैंता सँभाला ,
बरखा पाणी भी सब यूँ की देंण ,
पडलु सूखू यख ,तब क्या पेण ,
तरशली धरती तब पाणी बिन,
जन तडफदी बिन पाणी मीन ,
जल जंगल जमीन देव सामान ,
न छेड़ा यूँ तै करा सदा सम्मान ,
जंगल हमारा जब बच्यां राला ,
सुख समिर्धि स्यू सबुकू ल्याला ,
हरी भरी डाली कन लगदी प्यारी ,
डाली बुटली छन जिंदगी हमारी ,
द्वारा रचित >भगवान सिंह जयाड़ा
दिनांक >10 ,02 ,2013
फोटो सौजन्य >एक्स्प्लोर दी नेचर — with Puja Jayara Kumain and 28 others. भगवान सिंह जयाड़ा दिनांक >10 ,02 ,2013 फोटो सौजन्य >एक्स्प्लोर दी नेचर" height="403" width="403">
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
From -भगवान सिंह जयाड़ा
यह भी एक पहलु है ,हमारी आजादी का ,
इतने सालों में भी यह क्या है ,
भूख से लाचार यह बच्चे क्यों है ,
अमीर, गरीबी में क्यों इतनी खाई ,
किसी को दो बक्त रोटी नहीं है ,
और कोई खा रहा है रसमलाई ,
गरीबी का मंजर जब ख़त्म होगा ,
तभी भारत अशली गणतंत्र होगा ,
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा
बौड़ी आवा घौर
बौड़ी आवा घौर, बुबोउ यथगा नि रुलावा |
हाल ब्वे बाबू का ,अपरा तुम देखि जावा ||
आंखी तरसीज्ञन हमारी, यख बाटू हेरी हेरी |
झट पट कई आवा घौर, अब नि करा देरी ||
पाल्या सैंति बड़ा करी तुम, पढाई लिखाई |
दुनिया मा चलण कु, तुमतै रस्ता दिखाई ||
सोची थौउ बुढापा मा, हमारी सेवा कराला |
पर क्या जानण थौउ यख यकुली ही मरला ||
दिन रात लग्यां रंदा यख हम सदा सास |
कब आला हमारा बौडी यख हमारा पास ||
खेई बई बुन्गड़ी सब, अब बान्न्जी व्हेगी |
रचैई बसैई कूड़ी भी अब ,सब सूनी व्हेगी ||
किले हमकू तुम सभी ,यना रूठी गैया |
यकुला बुढया माँ बाप ,गौउ मा छोड़ी गैया ||
बिमुख यन न ,अपरि जन्म भूमि सी होवा ||
औणु जाणु राखा यख ,यथ्गा बिमुख नि होवा ||
बौडी आवा घौर बुबोउ यथगा नि रुलावा |
हाल ब्वे बाबू का अपरा तुम देखि जावा ||
द्वारा रचित >भगवान सिंह जयाड़ा
दिनांक >३.०९.२०१२
http://pahadidagadyaa.blogspot.com/ —
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा मेरा नजरिया मा गौउ कु बिकाश ही देश कु असली बिकाश छ ,,,
गौउ माँ बदलाव
समय बदली साधन बदल्या ,बद्लिगी सरू समाज |
बदलाव की आंधी माँ यख ,होणु छ नयु आगाज ||
नई नई शुख सुबिधा देखा,अब गौउ गौउ माँ ऐज्ञन |
पुराणी वाली सब बात ,अब यख सम्लौन्या रैज्ञन ||
घरु घरु माँ देखा सब सुबिधा ,शैरू वाली व्हेज्ञन |
अब त गौउ माँ हमारा ,सभी शहरी सुबिधा ऐज्ञन |
खाणु राणु बद्लिगी सब कुछ ,बद्लिगी जीवन शैली |
अब सब कुछ बद्लिगी ,नि रै कुछ जन थोऊ पैली ||
क्य नि छ गौउ माँ आज ,सब शुख सुबिधा व्हेगन |
खाण कमौंण की यख ,नई नई शुख सुबिधा ऐज्ञान ||
गौउ गौउ मा शैर बाजारू की सी ,यख रौनक एई छ |
सभी जरूरत की चिज्युँन ,यख दूकान सदा सजी छ ||
बिजली और टेलीफोन की लेंन ,गौउ गौउ मा बिछी छ |
इन्टरनेट और मोबाइल की सुबिधा सभी जगा पौंछी छ||
सब का हाथ माँ मोबाइल ,सरी दुनिया सी जुडयूं छ |
खबर सार सारी दुनिया की ,पल पल की राख्न्युनु छ||
सड़क्यों का गौउ गौउ माँ ,कना जाल बिछयां छन |
गौउ जुडीज्ञन आपस माँ ,दूरी घटीज्ञन सभी खुशी छन ||
गौउ गौउ माँ स्कूल खुलिग्या ,कोलेज सब जगा व्हेज्ञन |
पढ़ा लिखा अ खूब ,पैली वाली बात अब यख नि रैज्ञन ||
बड़ा बड़ा आई टी संस्थान अब यख घर माँ ही खुलिज्ञन |
बिकाश का बड़ा रस्ता आज,हमारा पहाड़ माँ भी ऐज्ञन||
बस बिकाश कु फायदा ,अब हम तै उठौण की जरूरत छ |
पहाड़ कु पिछ्णुपन कै,दूर करण कु शिक्षा की जरूरत छ ||
हौस्पिटल की सुभिदा भी ,अब सभी जगा मिली जाली |
पैली की तरोऊ अब ,जनता दुःख तख्लिफ माँ नि राली ||
बस कमी छ त यख अब , रोजगार पहाड़ माँ कब आलू |
बस कुछ दिनु माँ जल्दी ,वेकु भी रास्ता निकली जालू||
जब पहाड़ कु बच्चा ,अपरा पहाड़ माँ बेरोजगार नि रालु |
वे दिन उत्तराखंड ,सच माँ खुशहाल राज्य व्हेई जालू ||
रुकी जालू मनखी ,पहाड़ माँ ही सदानी कु व्हेई जालू |
पलायन कु यु सिलसिला, यख सदानी कु रुकी जालू ||
समय बदली साधन बदल्या ,बद्लिगी सरू समाज |
बदलाव की आंधी माँ यख ,होणु छ नयु आगाज ||
रचियता >भगवन सिंह जयड़ा
दिनांक >३१.०८.२०१२
http://pahadidagadyaa.blogspot.com/ — with Parashar Gaur and 18 others. भगवन सिंह जयड़ा दिनांक >३१.०८.२०१२ http://pahadidagadyaa.blogspot.com/" height="403" width="843">
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा ####उत्तराखंड माँ बसगाल######
हे भगवान यु क्य छ उत्तराखंड माँ होणु |
किले छ मनिखी यख तकलीफ माँ रोणु ||
बसगाल शुरू होंदी ही यु सब क्या व्हेगी |
पहाडू माँ आपदोउ की यन आफत कैगी ||
घर पुगड़ी लोगु की सब बर्बाद व्हेज्ञन |
पुर्खोऊ की जैजात देखा समलौन्या रैज्ञान ||
जन जीवन सरू अस्त ब्यस्त होयु छ सारू |
मनखी भटनणु छ यख दर दर कु मारू ||
रगड़ी भगड़ी देखा सभी क्या हाल व्हेग्या |
सडक्यों कै देखा ,अब खाली निशाँण रैग्या ||
बिपदा माँ भटकन्या छन यख लोग सारा |
खुला आसमान का नीश ,भूख का मारा ||
कुइ रोंदा बिलख्दा यख,जौंन अपुरा खोया |
कनी आपदा आई या ,मन सबू का रोया |
जख करदा था हम देव्तावु सी बड़ी आश |
तै देव भूमि माँ कीलें होणु छ यनु बिनाश ||
कखी ना कखी यख माँ हमारी भूल छ |
क्या हमुन तोड़ी कुछ प्रक्रति कु वसूल छ ||
जै कै हम छोऊ समझंन्या अपुरु बिकास |
क्या स्यु त निछ करन्यू यनु बिनाश ||
हे भगवान यु क्य छ उत्तराखंड माँ होणु |
किले छ मनिखी यख तकलीफ माँ रोणु ||
द्वारा रचित >भगवान सिंह जयाड़ा
अबुधाबी (संयुक्त अरब अमीरात ) — with Veerendra Singh and 13 others. भगवान सिंह जयाड़ा अबुधाबी (संयुक्त अरब अमीरात )" height="335" width="403">
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