Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 98844 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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    Shailendra Joshi
 


    साँका का तलक पौची की

    अटक्की चा माया की बात

    कनुक्वे करू प्रपोज

    सोच सोची छोरी मुण्डारु हुयू आज

    कनी कनी तरकीब आणी दिमाग मा

    त्वे मा माया जतौणू कू

    जनी तू आणी सामाणी

    भुलि बिसरी जाणू सारा फोरमुला माया का

    कु समीकरण लगै जौ

    ज्यू हल निकल जोउ तेरी मेरी माया का

    बिन बोलीया भींगजा छोरी माया की बत

    दिख रूप मेरु क्या हुयू हाल

    माया कू भिखारी समझी

    दिजा भिख मितै आज

    रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भै यी रगड़ बगड़ की बरखा से
 
 नी बर्खु सर्ग
 
 बरखा क्या  होनी 
 
 कखी सड़क ही साफ होणी
 
 कखी बादल ही फटणा
 
 कखा हर्ची व़ू रिमझिम बरसात
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरु हिया हरेली हरुलिन
उडनू छोऊ आसमान मा
त्वे देखि हरुली मन मेरु कुजणी कख गे
डंडा यी पार गे चा व़ी पार
मीत नि जन्दु माया की यी सार तार
बते दे हरुली तू ही चा मेरु प्यार
फांटी जाली रुई हरुली फांटी जाली रुई
मेरु मनत बस हरुली की छुई
हरुली कु सज दय्खुणु का खातिर
बाटा मा लुक्क छुपी दय्खुदू हरुली कु सज
मिन हिया हरेली हरुली कू
जून जुन्ख्याली हरुली तू चा भंडी मयाली
हरुली त्वे खातिर मन खुदैंदु दिन रात त्वे समलोंदु
भग्यानी चा हरुली ऊ बिंदी जू तेरा माथा सजी चा
भग्यानी चा हरुली उ फौंदी जू तेरा लट्लियो लगी चा
भग्यानी छिन हरुली ऊ कुंडल जू तेरा कन्दुडीयों मा हलणं छिन
भग्यानी छिन हरुली ऊ सुनो हार जू तेरा गौला मा चमकुणु चा
भग्यानी छिन ऊ झावरी ऊ पैजिबि जू तेरी खुटीयों छम छम कदिन
कन कु भाग्यान ह्यु मी
मै से भला यी लारा लता गैणं छिन जू तेरा गात सजणा छन
कै पै हरुली जूपराण ले कि
मेरु हिया हरेली हरुलिन
उडनू छोऊ आसमान मा
रचना शैलेन्द्र जोशी


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"पहाड़ी भुला "

तू भूलगी अपणू मुलुक भुला

मजदूरी ध्याड़ी कमाणी खुणी ग्यू भैर भुला

ना आदी पहाड़ी

ना देखी तिन कभी पहाड़ भुला

पहाड़ी भुला खाणा छिन

भैर मुलुक धुल मिट्टी भुला

हमरा डांडा काठो डाम बनै की

धुल उड़ानी सरकार भुला

सैरा भुला चल गैनी दिल्ली बम्बै

यू डांडी काठियों तै प्रभु तुम यखी ले चला

खाली नोउ का मेड इन पहाड़ी छन भुला

देसी लुक कू प्रोडक्ट भरयु गात सैरा

जन भी छन मेरी मुलुक की शान छन पहाड़ी भुला

तुम पर ही मुलुक की लाज चा पहाड़ी भुला

रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मैने एक झलक जो तेरी देखी
तू मंद मंद मुस्करायी
थोड़ा हिलडुल थोड़ा शर्मायी
मैने एक झलक जो तेरी देखी
तू मेरे लिए चांदनी
तू मेरे लिये अनजानी
फिर भी है जानी पहचानी
तू है मेरी स्वप्न कहानी
तू मेरी स्वप्न रानी
तुझे देखते ही मुझमे बिजुरिया जैसा एहसास हुआ
काश मै तेरी रूमानी बदन की रूह की साँस होता
तू दूर भी है पास भी है
तुझे पाने की आस भी है
तुझमे विश्वास भी है
तुझे पाना तो है दुरी
पर तू मिलेगी बस मिलेगी
क्योंकी तू है मेरी स्वप्नसुंदरी
रचना शैलेन्द्र जोशी

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मेरा सब्द मेरा बोल मेरा आंखर
सब ठगे का ठगाया रै गिन
छोरी तेरा रूप का ऐथर
निथर मिन कानी कानी बांधो मा रचा छिन
गीत भला भला
कै की होली इनी स्वाणी रचना
छंद आलंकर भी सोचाना
तेरा रूप देखी छंदो ते छंद नि आणू
कलम कंठ का सरोकार एक बार
देखी देला तेरा रूप ज्यूत
फूल चाँद सूरज की उपमा
बिसरी की तेरी ही उपमा देला
कना कना फोरमेट मा धालिन मिन गीत कविता
तेरा रूप देखी का ऐथर इ कवी वे गया रीता
कविता शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi कैका जलम लेण से ना कैका मरण से
 कौथिग ना  रुकदा
 कौथिग जग्वाल करदा सिर्फ हैसदरो की
 रुन्दारो की रोई का आंखा आंसू
 द्वी चार दिन
 सैद जीवन यी चा
 तस्वीर रिटदा उक़ा आखो मा जरूर जौका का पास जिकुडा
 नी त  खै पै हौर गीत लगै का रिवाज परंपरा मा दुनिया चलदा
 रचना शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi  उसी का  का  कारोबार  है
 उसी की सरकार है
 रंग उसका रूप उसका इश्क उसका ये हुस्न  उसका
 टसन उसका  फैशन  उसका
 वो का ले  धंदे भी गोरे रंग मे करता है
 क्यों  की  वही  अंधरे मे दिया करता है
 जो भी किया उस ने की या उसी का मीडिया
 उसी का  सरोकार उसी का अखबार
 जल उसका  जंगल उसका  जमीन उसकी
 जब मन किया सोदा कर लिया
 बैबलैत का बटन उस के पास
 जब नचा लिया जब घुमा लिया
 वही परधानमंत्री वही मुखिया मंत्री                               
 वही  रास्ट्रीय  पति  वो सब का पति
 वो पतियों का पति
 क्यों  की  वो पूंजीपति
 कविता शैलेन्द्र जोशी

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धार धार पाहुचा है आज कल पत्रकार
खबर आपदा की हो या विपदा की
हर खबर मे सभी मीडिया ये है कहना
हम पाहुचे सब से पहले
या तो ये रेस गलत
या सब एक साथ पाहुचे
सच क्या है
नही तो ये झूठा ऐड क्यों
करो खोजी पत्रकारिता
मेरे सोशल मीडिया के यारो
ये पता लगाओ ये सब साथ थे
या कोई बन्धा बाद मे भी गया
अंत मे गुस्ताखी माफ़ हो
इस बात मे भी दही की छाच हो
रचना शैलेन्द्र जोशी

 

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