Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 98882 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
August 27
मधम तोरी चाल गोरी
रखे कदम अहिस्ता
जैसे चल रही हो फूलों की सेज मे
छोटे छोटे कदम बडे अहिस्ता अहिस्ता
तोरी चाल तोरा सज
भाये रे गोरी
खिला खिला यौवन
छप गया तोरा चित्र चित पे
देखता रहु अधभूत तोरा रूपायन
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सौना का मैना जाला श्रीनगर का सैना जख बिराजियु मेरु ईस्वर
July 11, 2012 at 5:15pm

सौना का मैना जाला

श्रीनगर का सैना जख बिराजियु मेरु ईस्वर

मेरा कमलैस्वर

करुना का अवतार

दूर दूर का मनखी आंदा तेरा द्वार

तेरा द्वार सौणा का सोमबार

भीर रांदी हपार

गंगा कु जल बेल पत्री चददी तेरा थान

मनखी मनखी तेरा जस गा दा रघुनाथा

बरम हत्या पापन मुक्ती दिले तिन राम ते

हे मेरा सिलासिस्वार मेरा कमलैस्वर

जगत उधारी कल्याणकारी मेरु ईस्वर कमलैस्वर

कविता शैलेन्द्रजोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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साधु का चोला

आश्रम मे कर्म
कैसे कैसे

बाबा का थैला
उस के अन्दर पैसे वालो का मेला
रूप गिरगिट सा
रंग बदलता पल पल पर
रेप इश्क पोलिटिक्स सब मे माहिर बाबा
च्क्कूबाजी छुराबाजी गुंडागिर्दी
मंत्री संत्री पुलिसवाले बड़े बड़े साहूकार
मे बजता बाबा का घंटा
ढोलक तबला हारमुनियम बडे बड़े पंडाल मे भजन भजता
जोर जबरदस्ती मे गुरु बन चेला दुनिया को बनाता
कथा के बीच बीच मे चंदा का पैसा बटोर कभी आश्रम कभी क्या बनवाता
फिर पकड़ा जाता ऐसे आश्रम मे रंग रलिया करते
भगवान बचाये कलयुग के ऐसे बाबा साधु संतो से हम सब को
ये कवीता मेरी जनहित मे जारी
बचाओ माँ बहिन बेटीयों को ऐसे ठगों से
ना हो धरम की आड़ मे ज़ुल्म बारी बारी
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
माया कू धुपाणु जगदी रोउ
खुसबू उड़दी रोउ चौ दिसू
गंद बास नफरत की
साड़ियाँण मा बैर बड़द
दूर ही रौणु यू से भुला
प्रेम धुयेडी धुपाणा की महक मा
पंछी सी चहकणू भुला
बथो सी उड़ जाणू कखी भी भुला
कै जगा ठौर मा बिराणु सी मन नी बनाणु भुला
सभु तै अपणु समझी की मनख्यात बडाण भुला
उड़ जाणू पांखुर सी दुनी मा माया की धुन सुनाणु कू
पंख काटी नी जीणू भुला
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
11 hours ago
कही देखा भी प्यारों कही मेरा सजन
कही देखा भाइयो कही देखा भी बहिनों
कही मेरा सजन
मेरे सजन ये है निशानी
काली काली जुल्फों वाला गोरा
गीत सुपर्णखा श्रीनगर गढ़वाल की रामलीला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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माया कू धुपाणु जगदी रोउ खुसबू उड़दी रोउ चौ दिसू गंद बास नफरत की साड़ियाँण मा बैर बड़द दूर ही रौणु यू से भुला प्रेम धुयेडी धुपाणा की महक मा पंछी सी चहकणू भुला बथो सी उड़ जाणू कखी भी भुला कै जगा ठौर मा बिराणु सी मन नी बनाणु भुला सभु तै अपणु समझी की मनख्यात बडाण भुला उड़ जाणू पांखुर सी दुनी मा माया की धुन सुनाणु कू पंख काटी नी जीणू भुला रचना शैलेन्द्र जोशी


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 मै अपने को भाग्यशाली समझता हो मैने टीवी स्क्रीन मे सचिन तेंदुलकर को खेलते देखा है तथा उतना ही गम भी कभी क्रिकेट मैदान मे खेलता नहीं देखा और ये खुशी है कि मैने उनकी कही महान पारियो का लुफ्त लिया टीवी मे और इस बात की ख़ुशी कि मै उस दौर का दर्शक हु जब हर बच्चा सचिन जैसा बनना और खेलना चाहता हु और हर भारतीय और क्रिकेट प्रेमी की तरह मेरा भी फेवरट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर रहा और मैने उन पर बहुत पहले कविता रची थी जो बहुत मित्रो को पसंद भी आयी थी आज उनके क्रिकेट को अलविदा कहने के अवसर पर फेसबुक मे पोस्ट कर रहा हू ........................शैलेन्द्र जोशी
 पुत्र है रमेश का
 ईश है क्रिकेट का
 बॉम्बे का बॉम्बर है मुम्बे का मुम्बेकर है
 मास्टर है बलास्टर है
 शिवाजी की पौधशाला की पौध है
 विरोधी टीम के ली ये रूद्र है
 भारत माता का पुत्र है
 हर नव क्रिकेटर जिसके चलना चाहता पद्चिन
 नाम जिसका सचिन
 भारत भूमि का सचा सपूत होने का अर्थ दुनिया को बतलाया
 सर जॉन ब्रेडमेन की ड्रीमएलेवेन मे स्थान पाया
 हर रिकॉर्ड अपने नाम करवाया
 ध्यानी का ध्यान धर तेंदुलकर
 खेल मे धीर है गम्भीर है
 क्रिकेट का हीर है शतकवीर है
 क्रिकेट इतिहास् मे पदचिन जिसके सबसे भिन्न
 नाम जिसका सचिन
 ऐसा महान क्रिकेटर को
 करता हू मै जय हिन्द
 कविता शैलेन्द्रजोशीपुत्र है रमेश का
 ईश है क्रिकेट का
 बॉम्बे का बॉम्बर है मुम्बे का मुम्बेकर है
 मास्टर है बलास्टर है
 शिवाजी की पौधशाला की पौध है
 विरोधी टीम के ली ये रूद्र है
 भारत माता का पुत्र है
 हर नव क्रिकेटर जिसके चलना चाहता पद्चिन
 नाम जिसका सचिन
 भारत भूमि का सचा सपूत होने का अर्थ दुनिया को बतलाया
 सर जॉन ब्रेडमेन की ड्रीमएलेवेन मे स्थान पाया
 हर रिकॉर्ड अपने नाम करवाया
 ध्यानी का ध्यान धर तेंदुलकर
 खेल मे धीर है गम्भीर है
 क्रिकेट का हीर है शतकवीर है
 क्रिकेट इतिहास् मे पदचिन जिसके सबसे भिन्न
 नाम जिसका सचिन
 ऐसा महान क्रिकेटर को
 करता हू मै जय हिन्द
 कविता शैलेन्द्रजोशी — with Sunil Negi and 48 others.

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Shailendra Joshi
November 4
गीत तेरा इन छन
जन जुकुडी की छुइ बात
ज्यू बोली भासा धूल खाणी छै लुगा का घौर सिराणो मा
उ बोली भासा तै गीत कन्दोडियो मा गूंजणा
आज घौर घौर
गढ़वाली गीतो का संत
कणप्रिया गीत इन भै क्या बुन
गढ़वाली गीत जब भी छवि बात लगली
सदा याद आंदा राला गीत नेगी दा का

रचना शैलेन्द्र जोशी

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कार्तिक की आमवासिया को हुवा था राम का अवध मे आगमन

अवध वासी थे इस रात को गोरी पूर्णिमा बानाने मे तत्पर

दीप बती की परम्परा से चल आज दिवाली हुवी दामिनी दीपो की बाला

फूलो की माला

रंगीन रंगोली मिठाई की मिठाश

बच्चो के हाथ सजी फूलझड़ी से आग लग तड तड करती लालबती की लड़ी

अनार के बहुछार से

मेल जोल के प्यार सजी दिवाली

कविता शैलेन्द्र जोशी

 

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