Shailendra Joshi
February 9
दारू की घट
हत मा बोतल
सिगरेट का छल्ला
बँगला की सोड़
गुटखा खैनी चैन्दी गिचा सदानी
नसा मा चुर ज़िन्दगी हुयी चा
फंसी च ज़िन्दगी यी नसा
निकली कनकुवे भैर
कभी दगडो का बाना
कभी खुसी मा कभी गम मा
लग्यु चा यु नसा पैथर
उधार नगद मा चल्दु नसा
नसा ही मेरु सब से सगा
और सब दैदीन दगा
आज ब्याली भोल पर्सी का
थौल मा अमृत सी यु नसा
भोल क्या होलू देखी जाली
कटनी चा ज़िन्दगी
चुर नसा मा
रचना शैलेन्द्र जोशी