Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 42772 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कै की होली इनी स्वाणी रचना
मेरा सब्द मेरा बोल  मेरा आंखर
         सब ठगे  का ठगाया रै गिन
छोरी तेरा रूप का ऐथर
 निथर मिन कानी कानी बांधो मा रचा छिन
                    गीत भला भला
कै की होली इनी स्वाणी रचना
      छंद आलंकर भी सोचाना
तेरा रूप देखी छंदो ते छंद नि आणू
कलम कंठ का सरोकार एक बार
  देखी देला  तेरा रूप ज्यूत
फूल चाँद सूरज की उपमा
    बिसरी की तेरी ही उपमा देला
 कना कना फोरमेट मा धालिन मिन गीत कविता
    तेरा रूप देखी का ऐथर इ कवी वे गया रीता
                           कविता शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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संचार क्रान्ते संचार युग माँ जीवन इने चा
अब कु इ  मायादार बोर्न माँ  ने धिक् दू
अब  कु इ गोंऊ गालो माँ प्यार ने करदू
क्या अब इ संगसार माँ  कु प्यार ने करदू
प्यार न हो संगसार इन का भी ऊ वे सक दू
गन जमाना दीदा जब चढ़ गे चौ जीतू
बरना का प्यार माँ खैत
अब मायादार घर बाते के कर दा चाट
के जमाना छु भुला जब राइ दू छु दगडू कु गैलअब सब का मनन माँ हु वे गया मैल
चिल पेल भी चा , भीर भी चा दुने  का इ मेला माँ 
इन बट ने  चा  दीदा के ज़मना के बत्त कर न चा
फसबूक का ज़मना माँ बेराना भी अपना चा
गौ  के छानी   बैठे तुम कनेक्ट हु वे सक दा कई अमयरिका गोरे  मैन दगडी
क्या बुन भुला ज़मना ज़मना के बात चा
संचार क्रान्ते संचार युग माँ जीवन इने चा
                                                      कविता  शैलेन्द्र  जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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काली ब्यूटी की सुन्दरता सुनो मरी जुबानी
काली ब्यूटी की सुन्दरता सुनो मरी जुबानी
 
जै काली कलकते वाली
           मेरी  काली प्यार मे ते रे हुवा  मै काला
चमक ते चाँद -तारे  के बीच आसमा सी काली
 काले तवे से भी काली मेरे मन को भाती
            गोरी लडकिया तू जे देक
     फैरनेसक्रीम छोड़ चेहरा पर बूटपोलिश  लगा ती
वो अपने गोरे मुखडे को काला कर वाती
काली घनेरी लटो से घिरा काला रुखसार
        मोती से चम्   चमके दांत काले मुखडे मे
कृष्ण सी काली
               काली गैया सी काली
काले कौवे सी कुक तेरी
काली नागिन सी बलखाती
 काली रात से भी काली
 हिरदय का रंग गोरा
       पर तन से ऐसी काली दरसन का राती काली मैया के
तू देख हिरदय से सरधा भाव फुट पड़ता
                    मन बोल ता जै काली मैया की
                                  कविता शैलेन्द्र जोशी

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पर मेरु त मन अट किउ छोरा तु वे पर                        कविता शैलेंद्रजोशी
तू मेरु इश्वर
   त्वे पाना खुनि कर दू  दिन रात कीर्तन भजन
तुम खुनि सजन
              रंगगिउ  मिन अपणु रूप रंग
तुम देखी खिल दू मेरु अंग अंग
 मी कॉले ज  कैम्पस की हलचल
   मी जवान बैखु कु वाल पेपर
  सेल पर भी लेपि पर भी
सभी जवानों मा बटीयु  मेरु फ़ोन नंबर
 सब ते पता च मेरी ईमेल आ इडी
 छोरों ते नी कारन पड़ दी जयदा सी आ इ डी
 बैखु की फेसबुक  प्रोफाइल फ्रेम मा मेरी चा  अनवार
 पर मेरु मन अटकिउ छोरा तु वे पर
न गुट मुटी  न छोटी छौ मी मोडल
  जीरो फिगर वाली भली बांदा
छर छरी रंगीली   पनसिल लिपस्टिक सी मेरी गात
मी जींस टॉप वाली भली बांदा
मी कैपिरी वाली भली बांदा
 मी गोरी मुखरी मैगा सनगिलासज वाली
मी ऊँचा संडील काट वाक वाली भली  बांदा
पर क्या करू मेरु ता मन अट किउ छोरा तुवे पर
लोकल लिंगतरिया  से ली कर तगड़ा एन आर आइ  भी मै दी खि  लार छु आदा
 पर मेरु मन अट किउ छोरा तु वे पर
 हेयर कटिंग मेरी स्टेप
     भलु मेरु गट अप
जवान बुडिया देख दा मैथे ऐक टक
मेरी जिकुड़ी कर दी सिर्फ तु वे खुनि धक् धक्
भलु चा लक छोरा
 जू मिली तु वे ते इन फैशन बल बांधा
 नी त छोरा रा दा मेरी जग्वाल
पर मेरु त सुपनियु भी तु ही  तु ही मेरु ख्याल
पर मेरु त मन अट किउ छोरा तु वे पर
                      कविता शैलेंद्रजोशी

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कविता----------------- शैलेन्द्र जोशी

भै नरु
हरु करू भारु करियु तू वेंन गढ़ गीतों तय भै नरु
हे तू वे जनि गितैर नि हु वे सक दू फेर
गढ़ कवी गढ़ रफ़ी गढ़ कविन्द्र हे नरेन्द्र सिंह नेगी
सब्दो कु कोठार चा गढ़वाली भासा खुनी मौलियार चा
भै नेगी महान छाया गढ़ गीतों की जान छ्या
गीतों की गंगा सदनी तयरा मुख बीटी बग दी
हैसदी हैसदी गा दी गीत मुड मा टोपला हाथ मा बाज़ा
बहुत स्वाणु लग दू जब गांदी जब कुई पहाड़ी गाना
जब तू ढौल मा ऐकी ढौलैर हुवीकी
यु गीतों की छालार बैकी डैरो डैरो पौंच जादी
उत्तराखंड की समस्या मा रचय बस्य तयारा गीत
तयार नया कैसीट जब बाज़ार मा अन्दु ता धरा धडी बिक जादू
तयरा नया गीतों की जग्वाल मा लूग रैदन
जनि गीत बाज़ार मा अदन ता समलोनिया हो जा दन
कालजय गीतों कु रचनाकार गढ़वाली गीतों कु सिंगार
मखमली भोंन कु जादूगर भै नेगी
हिवाले संसकिरती तय हिवाला ऊँचे देंन वाला अपणु तोर कु कलाकार
गढ़ गीतों कु हीरा भी तू छे नवरतन छे तू गढ़ कु गढ़ रतन छे तू
बात बोदू गढ़ की मन की गढ़ गौरव छे तू
नौसुरिया मुरली जनि सुरीली गौली छा तेरी
गंगा जनि शीतलता चा तेरा गीतों मा
मायालु गीत तेरा मायालु भोंन चा
गीतों कु बाट की लेंन पकड़ी की गीतों का बटोई बनी की
गीतों का बाट ही बनी गया
ये मुलुक का सुर सम्राट बनी गया
गीतों की पियूष जुगराज रया सदनी संसकिरती पुरुष

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चौदाह  अगस्त का सूर्या हुवा  अस्त
दिवश आया    स्वतंत्रता पन्द्र अगस्त
लोग बाग है कम काज मे
औपचारिकता मात्र राइ गया स्वतंत्रता  दिवश
सड़क के दायी बायीं लग जाता चुना
और दिन इन सडको की हालत को देक रोना
                   ये सब झूट है
                                    एक दिन की उठ है
ये गूंज एक दिन की
              ये प्रभात फैरिया  के बीच नारे
ये जो सब है खारे
एक दिन के बन ते देश भगत
        और दिन बहाते एक दुसरे का रक्त
गाँधी नहेरु  भगत सिंह   सुभाष  चन्द्र भोष
इन के बलिदानों का हम पे सिर्फ एक दिन का धिक् ता जोश
      ऑफिस ,स्कूल ,कोलागो
कुछ गीत कुछ गाना मिस्थान का के घर को चा ले जाना
कुछ अखबार समाचरो मे
    कुछ टीवी  रेडियो  मे देश भगती  फिल्मे धिक् सुन कुछ देर
     हम भारत वासी हो ने पर गर्व  कर  ते
     इस दिवश पर पर्व कर ते
पर आज हिदुस्थान की हालत पर हम भी क्या
अगर वो शहीद भी  भी होगी किसी भी दुनिया  मे
       तो जरूर रोते होगे
जिस धरती के ली ये वो कुर्बान हु वे
 उस देश मे नबे प्रतीसत  बैमान हुए
 एक दिन का औपचारिकता मात्र
            रहे गया देश भक्ति का जज्बा .
                          कविता शैलेन्द्र जोशी

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From - Shailendra Joshi

उडते परिंदों  की परवाज सी हो ती है आजादी
             मै उडू तो   क्यों  हो जा ती है  तुमे  परेसानी
दुसरे के पंख काट की उड़ना चाहती   है ये दुनिया ये आबादी
 बोलू तो बोल ता है
                   चुप हू तो चुप क्यों  हो
                                   आदमी को किसी किरदार मै जी ने नही देती  ये दुनिया सारी
                          ए मोला  ये कैसी  सी आजादी
पत्थर मे मूरत बनादी , चाँद मे जीवन तलाश दिया
असंभव को संभव कर दिया
                 जो चाहा वो कर दिया आदमी ने
 पर इक काम न कर सका आदमी
आदमी आदमी को समजा न सका

                       अपना काम आसान ना कर सका
सब आजाद है क्यों सुने की सी की
सब की खुली  कलाई है
मै सुनता नही  किसी की  मै आजाद हू  थोडा बर्बाद हू
आजाद का मतलब बर्बाद नहीं होता है
    किन्तु आजाद का मतलब सिर्फ मै भी नहीं होता .
                                     कविता शैलेन्द्र

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उसी का  का  कारोबार  है
उसी की सरकार है
रंग उसका रूप उसका इश्क उसका ये हुस्न  उसका
टसन उसका  फैशन  उसका
वो का ले  धंदे भी गोरे रंग मे करता है
क्यों  की  वही  अंधरे मे दिया करता है
जो भी किया उस ने की या उसी का मीडिया
उसी का  सरोकार उसी का अखबार
जल उसका  जंगल उसका  जमीन उसकी
जब मन किया सोदा कर लिया
बैबलैत का बटन उस के पास
जब नचा लिया जब घुमा लिया
वही परधानमंत्री वही मुखिया मंत्री                               
वही  रास्ट्रीय  पति  वो सब का पति
वो पतियों का पति
क्यों  की  वो पूंजीपति
कविता शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
छत मे आना गोरी ईद ए चाँद बनकेटूट जा ये रोजा आज तू जे देख केहम तो तेरे दिदार के ली ये तरस गये है तेरे प्यार के ली येतीर ए तरकस चुबा बैठे है दिल ए गुलजार मे गोरी तेरे प्यार मेदर्द ए दिवार पर सर टिकया है घुटन कमरे मे गम ए आसू बहा ये तेरे प्यार मेईद है गले मिलो मेरे यारभूल जा ओ तुम लड़की हो हम लडके है ईद है बस गले मिलो मेरे यारटूट जा ये रोजा आज तू जे देख केकविता शैलेन्द्र जोशी

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मेरु हिया हरेली हरुलिन

 उडनू छोऊ आसमान मा

 त्वे देखि हरुली मन मेरु कुजणी कख गे

 डंडा यी पार गे चा व़ी पार

 मीत नि जन्दु माया की यी सार तार

 बते दे हरुली तू ही चा मेरु प्यार

 फांटी जाली रुई हरुली फांटी जाली रुई

 मेरु मनत बस हरुली की छुई

 हरुली कु सज दय्खुणु का खातिर

 बाटा मा लुक्क छुपी दय्खुदू हरुली कु सज

 मिन हिया हरेली हरुली कू

 जून जुन्ख्याली हरुली तू चा भंडी मयाली

 हरुली त्वे खातिर मन खुदैंदु दिन रात त्वे समलोंदु

 भग्यानी चा हरुली ऊ बिंदी जू तेरा माथा सजी चा

 भग्यानी चा हरुली उ फौंदी जू तेरा लट्लियो लगी चा

 भग्यानी छिन हरुली ऊ कुंडल जू तेरा कन्दुडीयों मा हलणं छिन

 भग्यानी छिन हरुली ऊ सुनो हार जू तेरा गौला मा चमकुणु चा

 भग्यानी छिन ऊ झावरी ऊ पैजिबि जू तेरी खुटीयों छम छम कदिन

 कन कु भाग्यान ह्यु मी

 मै से भला यी लारा लता गैणं छिन जू तेरा गात सजणा छन

 कै पै हरुली जूपराण ले कि

 मेरु हिया हरेली हरुलिन

 उडनू छोऊ आसमान मा

 रचना शैलेन्द्र जोशी

 

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