Shailendra Joshi
December 7 at 6:18pm · Edited ·
******सोचो जरा मेरे हिमालय के रहनुमाओ********** ........शैलेन्द्र जोशी
दिल्ली के आगामी चुनाव मे अपना राजनितिक हक़ मांगने के लिये दिल्ली मे बसे उत्तराखंड के लोग अपना राजनितिक हक़ मांग रहे है उनका कहना कि दिल्ली मे कोई भी राजनितिक दल हो वो सिर्फ वोट के लिये उतराखंडीयों का प्रयोग करता है दिल्ली के चुनाव मे आज तक किसी उतराखंडी को टिकट नहीं मिला उनका कहना है इस बार दिल्ली के विधान सभा चुनाव उस पार्टी का समर्थन उतराखंडी करेगे जो उतराखंड के लोगो को चुनाव मे टिकट देगा और उनका यह भी कहना है जो पार्टी इस चुनाव उतराखंडीयों अनदेखी करेगा ये 35 लाख उतराखंडी बता देगे हमारे बिना दिल्ली मे किसी की भी सरकार नहीं बन सकती है राजनीतीक पार्टीयों को खुली चुनौती देने के लिये दिल्ली मे बसे उतराखंडी जन्तर मंतर मे आगामी 14 दिसम्बर 2014 को विरोध प्रदर्शन करेगे शांति पूरण तरीके से और उंनका कहना कि आजादी से पहले से उतराखंडी लोग नौकरियों के कारण दिल्ली मे रह रहे है आज इन उतराखंडीयों तादाद हाजरो मे नहीं बल्कि लाखों मे है , आंकड़ा कहता है आज दिल्ली मे 30-35 लाख उतराखंडी लोग रहते है लम्बे जीवन संग्रसों के बाद आज उतराखंडी लोग दिल्ली मे उच्च सरकारी पदों , प्राइवेट सेक्टरो मे है और कही उतराखंडी अपना व्यवसाय भी है ,और शोध फील्ड हो या एजुकेशन सब जगह मे हमारे उतराखंडी दिल्ली मे अपनी सेवा दे रहे है , इन सभी उत्तरखंडीयों सोचना सही है जब दिल्ली इन से गुलजार होती है तो इनकी उपेछा क्यों ? किन्तु जाने अनजाने सही लेकिन ये अच्छा व्यंग भी बन गया वैसे तो व्यंग साहित्यकार कल्पना के साथ रचता है किन्तु कभी कभी कुछ ऐसी घटनाये हो जाती है प्राक्रतिक तौर से जो भौतिक जगत उस काल कर्म खुद ही व्यंग बना देता है जैसे यह राजनीती हक़ मांग ने वाली घटना है जो दिल्ली के राजनितिक दलों के लिये चुनौती है ही साथ ही उन बेशरम नेताओ और राजनीतिक दलों को भी ये बता रही है जो बरसो से उत्तराखंड पैरोकारी के साथ जो उतर प्रदेश के ज़माने से पहाड़ो कि पैरोकारी और विकाश की बात करते है अगर उतराखंड मे विकाश हुआ होता तो यह 35 लाख काबिल लोग पहाड़ मे सेवा दे रहे होते ,दोष उन नेताओ का ही है कही किसी दिन ऐसा न हो जाये पहाड़ का सारा वोटर बाहर के राज्य का हो जाये सोचो जरा मेरे हिमालय के रहनुमाओ ..............शैलेन्द्र जोशी