Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 42899 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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छत मे आना गोरी ईद ए चाँद बनकेटूट जा ये रोजा आज तू जे देख केहम तो तेरे दिदार के ली ये तरस गये है तेरे प्यार के ली येतीर ए तरकस चुबा बैठे है दिल ए गुलजार मे गोरी तेरे प्यार मेदर्द ए दिवार पर सर टिकया है घुटन कमरे मे गम ए आसू बहा ये तेरे प्यार मेईद है गले मिलो मेरे यारभूल जा ओ तुम लड़की हो हम लडके है ईद है बस गले मिलो मेरे यारटूट जा ये रोजा आज तू जे देख के

कविता शैलेन्द्र जोशी.]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मा मी गोउ जाणू रचना शैलेन्द्र जोशीby Shailendra Joshi on Thursday, January 31, 2013 at 9:46am ·मा मी गोंऊ जाणू
धैर्यलि छतरु हाथ
कान्धा धैर्यलि थौला
जाणू गोउ मी मा
मीथे दादी की भुकी की खुद
दादा की घुघती बासुती की खुद लगी भारी
मा मी गोउ जाणू
चौक तीर नारंगी की दाणी
तोड़ी तोड़ी खाला
कखी धरी होलू भुकना चुडा
ऊ ते भुखाला
मेरा गोऊ गौड़ी बाचि
खला वख दूध भाति
मा मी गोउ जाणू
रचना शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi s
मा मी गोंऊ जाणू
 
 धैर्यलि छतरु हाथ
 
 कान्धा धैर्यलि थौला
 
 जाणू गोउ मी मा
 
 मीथे दादी की भुकी की खुद
 
 दादा की घुघती बासुती की खुद लगी भारी
 
 मा मी गोउ जाणू
 
 चौक तीर नारंगी की दाणी
 
 तोड़ी तोड़ी खाला
 
 कखी धरी होलू भुकना चुडा
 
 ऊ ते भुखाला
 
 मेरा गोऊ गौड़ी बाचि
 
 खला वख दूध भाति
 
 मा मी गोउ जाणू
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी

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कविता ------ शैलेन्द्र जोशी जी

सड़ता है अनाज गोदाम मे
मरता है गरीब देश अवाम मे
यु तो नगे होते सभी हवाम मे
नाक कट के रक् दी है चाहुरय मे
घागर खोल बैसर्मी की नगे नाच की
कसे गे कमर कटारा महैगाए पर
की ते हर बार मनमोहन सरदार
हाथ पर तो विस्वास धरे बठी है जनता नेहरु कल से
हाथ ए खानदान का ये हॉल है इस जामने मे
नाते खता गरीब की ये यहाँ
सरकार की महैगाए खा टी गरीब को यहाँ
दादी का फ़ॉर्मूला गरीबी i को हटा न है
गरीब खो भी महिगाए से गरीब को हटा ओ भी —


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पडिगे ह्युवालू डांडा रे
 
 बदन तय क़पैगे ये ह्युवालू रे
 
 चा की कनी बार रे
 
 राजे खंतरो मा भुज्या भटो कू ठुगार रे
 
 बाँज कुले डालियों की ठंडी बयार
 
 हार्डमांस तय चीरि की हड्गो तय कर नि च तार तार
 
 आंगेठो की तात मायादारो की बकिबात
 
 काजदारो कू काज ये हिम् बरखा न लुछयाली
 
 पर जुगो की डोरों घघरू नि छुटदू यी काजदार भी लग्या छा अपणा काज
 
 छोटा नानतिन तय कनु सजा होगे
 
 गवाडीयू च बुवौइन विते भीतर
 
 छटला बादल पिघलु हियु आलू भै कब बसंती घाम
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी

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ना रंग देखाणु ना रूप

ना जात ना पात

ना देखाणु धरम की घेर बाड़

कै गोऊ कै धार कै बाज़ार कू चा यू

कण रचयु वीकू यु किरदार

देखनी कना कना लोग

नि देखी ज़माना यनु किरदार

भै कखी भी ह्वै सकदु नोउ बल वीकू मायादार

प्रेम कु पुजारी माया कु तिसयालु

नि मन्दू कुई भेद भोउ

सभी जात धर्मो तय देखादु संगता

छटक्या छा जु हम धरम जात कुटुब्म कबीलों मा

ऊ तय माया की माला गिडादू

जपदू प्रेम कु पाठ ये किरदार नोउ बल मायादार

आंखी छिन ये की समदरसी

कण भली मनखयात चा यी मायादार का पास

 रचना शैलेन्द्र जोशी

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दिल्ही वाली स्याली चल बाज़ार
 त्वे खुनि मुल्य्लू घागरी
 
 घागरी घुरि नी पैन दू भीना अगर मुल्य्न्दी कैपरी तो चल बाज़ार
 
  हे निहोनिया स्याली हे निर्भाग्य स्याली कुछ कर सरम ल्याज़
 
  हे बेक वार्ड जीजा अपनी सोच विचार आफी दगडी लिजा घागरी नी सिला दी नी सिला
 
  मेरी मन मोहनिया स्याली चल कुरता सुलार ही सीली लै
 
 ज़माणु मिनी स्कर्ट और टॉप कु और तू भीना चल नू चा कुर्ता सुलार
 
 चल स्याली त्वे खुनि मुल्य्लू धोती साडी
 
  भीना मेरी भी एक बात सुन लै कैपरी स्कर्ट टॉप मुल्य्न्दी चा तो मुलिया नी तो भूली जा आज बीती अपनी स्याली
 
 कविता शैलेन्द्र जोशी

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मा मी गोउ जाणू रचना शैलेन्द्र जोशी
by Shailendra Joshi on Thursday, January 31, 2013 at 9:46am ·
मा मी गोंऊ जाणू
धैर्यलि छतरु हाथ
कान्धा धैर्यलि थौला
जाणू गोउ मी मा
मीथे दादी की भुकी की खुद
दादा की घुघती बासुती की खुद लगी भारी
मा मी गोउ जाणू
चौक तीर नारंगी की दाणी
तोड़ी तोड़ी खाला
कखी धरी होलू भुकना चुडा
ऊ ते भुखाला
मेरा गोऊ गौड़ी बाचि
खला वख दूध भाति
मा मी गोउ जाणू
रचना शैलेन्द्र जोशी

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