"" उत्तराखंडे पाड़ी रामलीला का बन बनी रूप '''''''
शैलेन्द्र जोशी
श्रीनगर गडवाल
जब भि उत्तराखंडे पाड़ी रामलीलाओं की बात आंद त राधेश्याम बहरेतलीब मा पिरोया लोक छद राग रागिनी चौपाई की धुन कंदुडो मा गुंजण लग जांदीन उत्तराखंड मा रामलीलाओ कु एक लम्बू इतिहास च . उत्तराखंड मा रामलीलाओ कु श्री गणेश कुमायु मा अल्मोड़ा बिटी हवे यि रामलीला की शुरुवात कु श्रेय अल्मोड़ा का तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर देवीदत्त जोशी को जांदू उत्तराखंड की रामलीलाओं मा गीत संगीत गायन की परम्परा कु श्रेय देवीदत्त जोशी तै जांद इल्हे ही उथे उत्तराखंड मा रामलीलाओ कु जनक भि बोले जांद अल्मोड़ा मा रामलीला की शुरुवात 1860 मा हवे छेय बद्रेश्वर मंदिर मा ये रामलीला मंचन हवे छो .
विका बाद नैनीताल मा 1860 , बागेश्वर 1890 . पिथौरागढ़ 1902 मा भि रामलीला मंचन शुरू हवे . गडवाल मंडल मा पौड़ी टिरी सिरिनगर की रामलीला भंडी पुराणी मन्ये जांदी. पौड़ी अर सिरिनगर मा रामलीला की शुरुवात 1896 बिटि मन्ये जांदी पौड़ी अल्मोड़ा की रामलीला यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित छन . पौड़ी की रामलीला मा 2004 बिटि महिला पात्र भागीदारी करनी छन . 2004 बिटि ही पार्श्वगायन की शुरुवात लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी का गौला बीटि हवे . . 1894 मा बिरही बाढ़ आंण का बाद जब नयु सिरिंनगर भलगाव मा बसी 1896 मा रामलीला की शुरुवात बि श्रीनगर गडवाल मा तभी बिटी मन्ये जांदी . सिरीनगर गडवाले की रामलीला का पैला अध्यक्ष ईश्वरदत्त घिल्डियाल डांग गौ अर पैला सचिव गोविन्द प्रसाद घिल्डियाल डांग गौ वल्ला छा. 1896 बिटि 1907 तक रामलीला हनुमान मंदिर का पास नागेश्वर गली मा गैरोला परिवारे जमीन मा होंदी छेय विका बाद 1907 बिटि 1910 तक रामलीला कंसमर्दनी मंदिर मा हवे . 1910 बिटि लगातार वर्तमान समय तक रामलीला , रामलीला मैदान श्रीनगर गडवाल मा होणी च
1896 बिटि 1900 तक रामलीला तक रामलीला दिन मा होंदी छेय 1900 बिटि रामलीला रात मा होण लगगी . यि बगत मा रामलील सरसों का तेलै जली मसालों मा रामलीला कु मंचन होंदु छौ .
सन 1920 बिटि रामलीला मा पेट्रोमैक्स का उजाला मा खेले जाण लगगी . सन 1971 बिटि सिरिनगरा गडवाले रामलीला विधुत प्रकाश बिटि होणी च .
सिरिनगर गडवाल मा रामलीला कु पैलू मंचन शारदीय नौरात मा कमलेश्वर मंदिर मा होंदु च
कमलेस्वर मा रामलीला हूँण कारण च कमलेश्वर उतराखंड प्रसिद्ध शिवधाम है साथ ही लोकमान्यतो दगड़ी जुडयु यु च भगवान राम इख दरशन तै ऐ छा जब भगवान राम मा रावण वध का बाद ब्रह्म हत्या कु पाप लगी छौ वी का बाद भगवान राम सिदा मुक्ति पाणा खुणी कमलेश्वर मा ऐनी
वी टैम मा यि मंदिर तै शिल्हेश्वर महादेव बोले जांदू छौ . राम जत्गा दिन सिरिनगर मा रैनी तब तक वू रोज शिबजी मा कमल चढ़ादा छा वू कमल वू मानसरोवर बिटि लांदा छा उकु संकल्प छो की 999 कमल चढ़ान शिबजी मा जनि 999 कमल पुरा हवेनि शिबजिन जिन एक कमल तै लुकैली राम की परिक्छा लेंण का वास्ता जनि एक कमल कम पड़ी त रामन सोची सरोवर दूर च मेरा आंखा जौ तै कमल नयन बोले जांदू उथे निकाल खुणी जनि अपणा आँखों मा चक्कू लगे शिब प्रशन हवैकी राम तै बरमहत्या का पापन मुक्त करे . तभी बिटी यि मंदिर तै कमलेश्वर नौ पड़ी .
. कैलाश लीला बिटि ताड़ीका वध तक कु मंचन कमलेश्वर मंदिर मा होंदु . विका बादे सारी रामलीला रामलीला मैदान मा होंदी च . जब राम लखन सीता बणवास मा जांद . उथे रामघाट अलकनंदा नदी मा ले जांदन जख वू गंगा जी की पूजा करदन . रामचन्द्र सिरिनगर परबास मा रामघाट नहेण तै जांदा छा यी कारण बणवास का बाद यि घाट मा गंगा जीपूजा वास्ता राम लखन सीता उख ले जांदन वर्तमान समय मा रामघाट तै शारदाघाट भि बोले जांदू राजतिलक मा पंडित पुरोहितो द्वरा पूजा होंदी लोग रामलीला समिति जुड़ा लोग अपणा घौर नौरता का मौका हरियाली बुति रांदी बाकी सिरिनगर की जनता अपणा घरो मा नौरत का मौका मा बुति जौ की हरियाली तै रामलीला मंचन मा लांदन . वि हरियाली सी मंच सज्यु रांदु बाद मा ऊ हरियाली परसाद का रूप मा बटे जांदी . लोग पाड़ी रिवाज अनुसार पंडित खुणी लोग सिदा भि लादन . राजतिलक का मौका मा कमलेश्वर मंदिर कु चांदी कु छत्र भि रामदरबार मा सजदु वि दिन राम लखन सीता पात्रो कु व्रत रांदु