Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 44054 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरा गोंउ होणी रामलीला
तू भी छोरि ऐ जई
मि बनलू राम तू बणी जै सीता
आहा मेरा राम तेरु निचा कुछ काम धाम
मुखडी देख ऐना माँ बांदर सी च तेरी अनवार
कुस्वना बैखो की फौज च तेरा गोंउ
मै जनि सीता तय फिट नि बैथ्लू कुई राम
पूरा गोंउ की ता क्या देन गरंटी
अपनी दे सक दा
मि छो तेरा लैक राम
तू ही च मेरी सीता
खोज ले छोरा अपना गोंउ का आस पास
मै जनि सीता तुवे जनों नि दे दी घास
मेरा गोउ होणा नौरता पाठ
होली खुटी तेरी दैनी देवी सी
रेलू सीता की जग्वाल मा तेरू राम
मेरा गोंउ होणी रामलीला
तू भी छोरि ऐ जई
मि बनलू राम तू बणी जै सीता
मेरा गोंउ होणी रामलीला
.
कविता: शैलेन्द्र जोशी Shailendra Joshi
श्रीनगर।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कल से देशभर मे रामलीलाये होगी रामलीलाओ पर्व को देखते हुए एक हास्य विनोद से जुड़ा प्रेम गीत अपनी लोकभाषा मे

मेरा गौ होणी रामलीला
तू भि छोरि ऐ जयी
मि बनलू राम तू बणी जयी सीता
आहा मेरा राम तेरु निचा कुछ काम धाम
मुखडी देख ऐना मा बांदर सी च तेरी अनवार
कुस्वाणा बैखो की फौज च तेरा गौ
मै जनि सीता तै फिट नि बैठलू क्वी राम
पूरा गौ की त क्या देण गरंटी
अपणी दे सक दा
मि छो तेरा लैक राम
तू ही च मेरी सीता
खोज ले छोरा अपना गौ का आस पास
मै जनि सीता त्वे जनों नि दे दी घास
मेरा गौ होणा नौरता पाठ
होली खुटी तेरी दैणी देवी सी
रैलू सीता की जग्वाल मा तेरू राम
मेरा गौ मा होणी रामलीला
तू भी छोरि ऐ जयी
मि बनलू राम तू बणी जै सीता
मेरा गोंउ होणी रामलीला...................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मायादार अपणा सुवा देखी देवी दर्शन भि कर सक्दन यनु प्रयोग मेरी कलम बिटि ऐसु का नौराता मा यी रचना मेरी सब्भी मायादारो तै समर्पित चा
देवीकु रूप साकछात भगबती स्वरुप
मनखीयों मा त नि देखी इन्न नौनी
द्यब्तो का मुल्क बिटि ऐ होली स्या छोरी
दरशन विका रूप देखी होदन
सब्भी नौ देवियों का
कभि दिख्दी विका रूप मा शैलपुत्री
कभि दिख्दी विका रूप मा बरमचारणी
कभि दिख्दी विका रूप मा कुस्कमंडका
कभि दिख्दी विका रूप मा स्कंदमाता
कभि दिख्दी विका रूप मा कत्यानी
कभि दिख्दी विका रूप मा कालरात्रि
कभि दिख्दी विका रूप मा महागौरी
कभि दिख्दी विका रूप मा सिद्धधातरी
इन्ना रूपवान गौरा तै
कु शिब होलू दुनि मा
भग्यान छन जौका घौर जल्मी
देबी कु यनु रूप ...................................... शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"" उत्तराखंडे पाड़ी रामलीला का बन बनी रूप  '''''''
                                                                 शैलेन्द्र जोशी
                                                                   श्रीनगर गडवाल

जब भि उत्तराखंडे  पाड़ी रामलीलाओं की बात आंद त राधेश्याम बहरेतलीब मा पिरोया लोक छद राग रागिनी चौपाई की धुन कंदुडो मा गुंजण लग जांदीन उत्तराखंड मा रामलीलाओ कु एक लम्बू इतिहास च .  उत्तराखंड मा रामलीलाओ कु श्री गणेश कुमायु मा अल्मोड़ा बिटी हवे  यि रामलीला की शुरुवात कु श्रेय अल्मोड़ा का तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर देवीदत्त जोशी को जांदू उत्तराखंड  की रामलीलाओं मा  गीत संगीत गायन की परम्परा  कु श्रेय देवीदत्त जोशी तै जांद इल्हे ही उथे उत्तराखंड मा रामलीलाओ कु जनक भि बोले जांद अल्मोड़ा मा रामलीला की शुरुवात 1860 मा हवे छेय बद्रेश्वर मंदिर मा ये रामलीला मंचन हवे छो .
विका बाद नैनीताल मा 1860 , बागेश्वर 1890 . पिथौरागढ़ 1902 मा भि रामलीला मंचन शुरू हवे . गडवाल मंडल मा पौड़ी टिरी सिरिनगर की रामलीला भंडी पुराणी मन्ये जांदी.  पौड़ी अर सिरिनगर मा रामलीला की शुरुवात 1896 बिटि मन्ये जांदी पौड़ी अल्मोड़ा की रामलीला यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित छन . पौड़ी की रामलीला मा 2004 बिटि महिला पात्र भागीदारी करनी छन . 2004 बिटि ही पार्श्वगायन की शुरुवात लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी का गौला बीटि हवे . . 1894 मा बिरही बाढ़ आंण का बाद जब नयु सिरिंनगर भलगाव मा बसी 1896 मा रामलीला की शुरुवात बि श्रीनगर गडवाल मा तभी बिटी मन्ये जांदी . सिरीनगर गडवाले की रामलीला का पैला अध्यक्ष ईश्वरदत्त घिल्डियाल डांग गौ अर पैला सचिव गोविन्द प्रसाद घिल्डियाल डांग गौ वल्ला छा. 1896 बिटि 1907 तक रामलीला हनुमान मंदिर का पास नागेश्वर गली मा गैरोला परिवारे जमीन मा होंदी छेय विका बाद 1907 बिटि 1910 तक रामलीला कंसमर्दनी मंदिर मा हवे . 1910 बिटि लगातार वर्तमान समय तक रामलीला , रामलीला मैदान श्रीनगर गडवाल मा होणी च
1896 बिटि 1900 तक रामलीला तक रामलीला दिन मा होंदी छेय 1900 बिटि रामलीला रात मा होण लगगी . यि बगत मा रामलील सरसों का तेलै जली मसालों मा रामलीला कु मंचन होंदु छौ .
सन 1920 बिटि रामलीला मा पेट्रोमैक्स का उजाला मा खेले जाण लगगी . सन 1971 बिटि सिरिनगरा गडवाले रामलीला विधुत प्रकाश बिटि होणी च .
सिरिनगर गडवाल मा रामलीला कु पैलू मंचन शारदीय नौरात मा कमलेश्वर मंदिर मा होंदु च
कमलेस्वर मा रामलीला हूँण कारण च कमलेश्वर उतराखंड प्रसिद्ध शिवधाम है साथ ही लोकमान्यतो दगड़ी जुडयु यु च भगवान राम इख दरशन तै ऐ छा जब भगवान राम मा रावण वध का बाद ब्रह्म हत्या कु पाप लगी छौ वी का बाद भगवान राम सिदा मुक्ति पाणा खुणी कमलेश्वर मा ऐनी
वी टैम मा यि मंदिर तै शिल्हेश्वर महादेव बोले जांदू छौ . राम जत्गा दिन सिरिनगर मा रैनी तब तक वू रोज शिबजी मा कमल चढ़ादा छा वू कमल वू मानसरोवर बिटि लांदा छा उकु संकल्प छो की 999 कमल चढ़ान शिबजी मा जनि 999 कमल पुरा हवेनि शिबजिन  जिन एक कमल तै लुकैली राम की परिक्छा लेंण का वास्ता जनि एक कमल कम पड़ी त रामन सोची सरोवर दूर च मेरा आंखा जौ तै कमल नयन बोले जांदू उथे निकाल खुणी जनि अपणा आँखों मा चक्कू लगे शिब प्रशन हवैकी राम तै बरमहत्या का पापन मुक्त करे . तभी बिटी यि मंदिर तै कमलेश्वर नौ पड़ी .
. कैलाश लीला बिटि ताड़ीका वध तक कु मंचन कमलेश्वर मंदिर मा होंदु . विका बादे सारी रामलीला रामलीला मैदान मा होंदी च . जब राम लखन सीता बणवास मा जांद . उथे रामघाट अलकनंदा नदी मा ले जांदन जख वू गंगा जी की पूजा करदन . रामचन्द्र सिरिनगर परबास मा रामघाट नहेण तै जांदा छा यी कारण बणवास का बाद यि घाट मा गंगा जीपूजा वास्ता राम लखन सीता उख ले जांदन वर्तमान समय मा रामघाट तै शारदाघाट भि बोले जांदू राजतिलक मा पंडित पुरोहितो द्वरा पूजा होंदी लोग रामलीला समिति जुड़ा लोग अपणा घौर नौरता का मौका हरियाली बुति रांदी बाकी सिरिनगर की जनता अपणा घरो मा नौरत का मौका मा बुति जौ की हरियाली तै रामलीला मंचन मा लांदन . वि हरियाली सी मंच सज्यु रांदु बाद मा ऊ हरियाली परसाद का रूप मा बटे जांदी . लोग पाड़ी रिवाज अनुसार पंडित खुणी लोग सिदा भि लादन . राजतिलक का मौका मा कमलेश्वर मंदिर कु चांदी कु छत्र भि रामदरबार मा सजदु वि दिन राम लखन सीता पात्रो कु व्रत रांदु

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तरखंड स्थापना दिवस हास्य व्यंग .......शैलेन्द्र जोशी

नेता जी बोलते है
उत्तराखंड का हर डांडा स्विजरलैंड है

पर हर डाण्डे पर सिर्फ नाच गाना हो रहा है
स्थापना दिवस भी सिर्फ मेला कौथिग भर रह गया .
नेता जी बोलते है
संगीत दर्द मिटाने की दवा है विकास हो सकता है नहीं
इसलिये नाच गाना जरुरी है स्थापना दिवस पर
नेता जी शेर सुनाते है रटा रटाया
शहीदो की चिताओ पर लगे मेले
वतन पर मर मिटने वालो का यही बाकी निशान होगा
जय भारत जय उत्तराखंड मुझे कही स्थापना दिवस पर जाना नाच गाना सुनने जाना है .
Shailendra Joshi's photo.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
October 26 at 8:22am · Edited ·

मुझको वो दिन याद है

मुझ पगली को वो दिन याद है

वो दिन काश फिर मुझ को मिल जाये
ऐसी मेरी फरयाद है

वो सुबह देर से उठना

वो बिस्तर से अंगडाइ ले हुए उठना
वो मम्मी की डांट खाना

वो स्कूल कॉलेज तैयारी मे हडबडाट करना

सभी सहेलियो के साथ स्कूल कॉलेज जाना

वो एक जैसे सूट सिलवाना

एक जैसे से हेयर कटिंग करवाना

कभी दुपट्टटे पर

कभी स्वेटर पर
कभी नेलपोलिश लिपस्टिक क्रिम पर

कभी टीवी सीरियल फिल्मों पर
कभी किसी पर तो कभी किसी पर

बाते करना याद है

वो पिकनिक ट्रिप

वो बर्थडे पार्टीया

वो न्यू इयर मस्तीया

नाच वो हँसी

वो फ्रेंड के गिफ्ट वो ग्रीटिंग

क्या थे वो दिन मुझको वो दिन याद है

मुझ पगली को वो दिन याद है

कविता शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
October 26 at 2:19am · Edited ·

देश मे ऐसा फैशन होगा देश राजधानी भूकंप आना स्वाभाविक है

कुरता इतना लम्बा हो गया
पैजामा कपडा उसकी लेंथ हो गया
पैजामा इतना तंग और कम हो गया
वो छोटा सा नेकर हो गया

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi  .
October 25 at 11:24pm ·  ·

दिये जलाकर दिवाली मनाये शांति और भाईचारे से

दीप जलाओ आशाओं के
निराशाओं अंधकार मिटाकर
दुश्मनी की तार तोड़ो
जोड़ो तान प्रेम की
गले मे जितनी खरास है समाज मे
सबको मुलैथि खिलाओ खरास मिटाओ
सौह्र्द की सुरीली तान से पूरा हो
ये शंखनाद भाईचारे का ...........................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
October 25 at 1:26am · Edited ·

ऐ क्या बोलती तू चलती क्या गैरसैंण
ऐ क्या करू मै आके गैरसैण
नाचेगे गायेगे भाषण देगे तिरपाल
लगाके विधानसभा सत्र करेगे
महरूम रंग की ऐपण डिजायन वाली
पहाड़ी टोपी पहनेगे
कौन सी टोपी जानू
वही जो आजकल
हर उतराखंडी मुंड दिख जाती है
फिर क्या करेगे
फोटो खिचवायेगे
फेसबुक अपलोड करेगे
दाल भात खायेगे
घाम तापेगे
खटाई खायेगे माल्टे नारंगी की
उतराखंड दिवस मनायेगे
गैरसैंण दो दिन मौज मनायेगे
फिर देहरादून आ जायेगे .........................................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi with B Mohan Negi and 13 others.
December 13 at 11:32am ·
नरेन्द्र कठैत जी ने जिस सुंदर तरीके से सीनियर साहित्यकार ललित केशवान जी के दर्द पर कविता लिखी घर पता वहीहै और फोन नंबर वही है पर लोग भूल गए और पिछले पांच दशको से उतराखंडी कविता मंचो ललित केसवान जी गीत कविता व्यंग की शाम के शान रहे और कही कवि सम्मेलनो के अध्यक्षता भी की पर समय उनको अब भूल गया क्यु हर उतराखंडी साहित्यकार और रचनाकार को लोग समय के वक्त भूल जाते पर जिनके कंधो पर साहित्य से ज्यादा संस्था का भार है वही सबके आँख तारे बने है ललित केशवान जी को अगर मंच संस्था आयोजक भूल गये है तो ये बहुत दुखद बात है लोक साहित्य के लिये ललित केसवान जैसे साहित्यकार ने उतराखंडी साहित्य और मंचो को सींचा है वो मात्र ऐसे जीवित साहित्यकार जिन्होने पांच दसकका दौर देखा मंच कीदृष्टी से भीऔर लेखन की दृष्टी से भी
नरेन्द्र कठैत
11 December at 21:32 ·
आज प्रातः वरिष्ठ लोक साहित्यकार श्री ललित केशवान जी से दूरभाष पर साहित्यिक परिचर्चा हुई। श्री केशवान जी वरिष्ठ मंचीय कवि भी रहे हैं। लेकिन लम्बे समय से मंचीय परिदृश्य से गायब हैं। परिचर्चा के दौरान कुछ- कुछ उनके मनोभावों को पकड़ पाया हूं। केशवान जी की एक कविता है - हे म्यरि ब्वे! क्न म्वर ग्ये छौं मी’। उसी कविता को उनके मनोभावों के अनुरूप थोड़ा सा विस्तार दे रहा हूं -
हे लोळौ !
मी त अज्यूं बच्यूं छौं.
कन छुड़़णा छां तुम मी.
फून लम्बर बि / म्यरु वी.
क्वाटर बि मंडावली बिटि/
मिन बदळी नी।
कबि त / खूब ब्वल्द्या छा तुम/
कि केशवान जी!
अवा अध्यक्ष बि / बणन् तुमुन ही.
क्य बरिष्ठै जगा / अब इथगा
गरिष्ठ ह्वे ग्यों मी?
य म्यरि कबितौं पर / वाह-वाह ब्वन मा /
अब तुमारि गिच्ची छन दुखणी .
अरे! माणा कि मी दानू ह्वे ग्यों / दिमाग मा नयि रचना /
कम छन औंणी.
पर तुमारि गिच्ची बि त बल / पुराणी रचनौ च सुणौणी.
अरे द्वीयेक कबिता त अबि बि /
सांस रोकी पढ़ सक्दों मी.
झणी किलै?
साल भर बिटि / तुम गरगरा छयां /
क्य म्यरा म्वनै /
कन्ना छयां इन्तजारि?
तुम स्वचणां छयां / जणणू क्वी नी.
पर भुलौं ! याद रख्यां!
एक दिन तुमुन बि दिखणन /
दिन यी।

 

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