Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 44063 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उसकी बाते मीठी शक्कर में
मीठी मिश्री घुली हुयी रसीली
उसकी अदाए क्या कहने
जैसे गढ़ी हो कोई मूर्ति
किसी कलाकार ने
अंग अंग में ऐसी नक्कासी
जैसे अजन्ता एलोरा हो
बदन में चढ़ा रंग ऐसा की
किसी चित्रकार ने रंगा हो
मूड में कैनवास में
शेर हो जैसा किसी शायर का
और तबियत से गाया हो
उसके रूप रंग जवानी को
मर्दाना भारी भरकम आवाज में
जैसे उस हसीना को
जगजीत सिंह ने गजल में
उसकी रूप की कथा मे
कत्थक कर रहे हो
जैसे बिरजू महाराज
ऐसी है वो कायनात ए हुस्न ।.........शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जनवरी सी नई नई नवेली वो हसीना
चलती है वो फ़रवरी सी फरफराती
मार्च रंगीली होली जैसी वो
अप्रैल का बसंत फुल वो हसीना
मई जून सी गरमी उसमे
जुलाई अगस्त सी भीगी बरसात वो
सितम्बर अक्टूबर की खिली धुप वो
नवंबर दिसम्बर की सर्दी ठण्ड वो हसीना...................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यु गढ़ कु गौरव होलू एक दिन
स्यु गढ़ रत्न होलू
उत्तराखण्ड मा एक दिन
ये स्वाणु इस्कुलल्या नोनू
पढ़ी लिखी एगी घौर
स्यु आँखा दिखाणु चा
उथे जौ का बाना गौका हुया
इन्न हाल
पर युकी तरंग उमंग क्वी कमी न
पर स्यु मन मा गीत गुनगुणानु होलू
इखि खत्यु च बचपन मेरु
पर मिल भि उकरि
एक दिन देस चल जाण।.........शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अगर व्यंगकार नरेन्द्र कठैत मायादारो और माया क्वी रचना रच्दा स्या इन्न होंदी
परिकल्पना ...................शैलेन्द्र जोशी
तुमरी उ मसल सुणी च भैजी
कु मसल भै कि माया कु मुंडारु
कोरी कोरी खांदू
अब तुमबता भै अब कोरी खौ
या चाट पूछी
पर कु च इन्न
बिना माया छाया रै पांदू
बिलकुल बिलकुल
पर यि छुची लोली माया
बड़ी नखरी चीज च भैजी
बड़ा बड़ा जोगी संत यि माया बौल
कखी का नि रैया
पर पिरेम माया दुनी टिकी च
जब दुनिया माया मा मायादार जोड़ा ऐ होला
तभी दुनिया बड़ी होली
निथर ब्रह्मानंद औलाद सब्बी छिना
पर माया और मायादारो कु भि रोल च
दुनिया तै झपन्याला करना मा
बिलकुल बिलकुल भैजी...............................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बहुत दिन बाद एक सृंगार रस मा पिरोयी रचना लिखी है जिसका शीर्षक है ....बांद दीपुली
"गैनो का बिच दमकणी
जून यखुली सी बांद दिपुली
वी देख बजदी दिल मा
मेरा छुणमुण थकुली सि''
''निंद मा सुपन्यो सि बांद दिपुली
वि देख मन हवे जांदू बौल्या सी
आसमान मा उड़दू पराण चखुली सी
दे दे अपणु माया कु घोल बांद दिपुली''
'' बाला लायी पैरायी झगुली सि बांद दिपुली
फूलमा चित्तचनचल तितली सि बांद दिपुली
वि देख मन नचदु चांठो चांठो घ्वीड सि
'' आंखी क्या बुन नैनकौंल छन
सुरै सि सांकी दमकदी मुखड़ी क्या बुन
इन्न च बांद स्वाणी बांद दिपुली "
कु भगी बत्लू होलू ज्यू बटी
जगलू गात संग बांद दिपुली.....................शैलेन्द्र जोशी

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क्याजि देखी होलू विन इन्न मैमा
बंद कमरा मा ऐना देखी सरमाणु
हवेगी हाल इन्ना वि छोरा का बाना
भरी ज्वानी मा घैल हवेगी तनबदन
विकी चोर नजरन लुछयाली मेरु चैन
क्या देखी होलू विन इन्न मैमा
कन्नी कन्नी रंगली पिंगली
घुमणी फैसनमा सज धजी
विन मैमा क्याजी देखी होलू इन्न
पलंग मा निंद नि रातयो मा
दिन मा कामधाण हाथ नि लगणु
कन्नू बोल्या हवेगी पराण वि छोरा का बाना
क्याजि देखी होलू विन इन्न मैमा
कन्नू मुंडारु करि वि छोरन
सुधि मुधि को रोग लगेयाली मैमम
द्वै वि छोरे माया मा खोजु
या बिसरी जौ दुंडू इलाज विकू
हे जी क्या करू मेरी हैसदी खेलदी
गैल गैल्यानी जिंदगी का बिच
कखन ऐ स्या छट्यु बदमास
बेमान छोरा ज्यू लिगी मेरु चोरी चित्त
क्याजि देखी होलू विन इन्न मैमा
बंद कमरा मा ऐना देखी सरमाणु
हवेगी हाल इन्ना वि छोरा का बाना......................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बस लग्या रा विकी माया मा .............................शैलेन्द्र जोशी
ठेकेदारो की गैल सि वा
मिनिस्टर होली
जरूर एक दिन वा
विका धाण मा हाथ बटा
विका बेलचा फावड़ा उठा
कबि विका टैमपास करा
घाम मा ताश खेला वि दगड़ी
कबि दारू मुर्गा उड़ा विका साथ
विका हर सुख दुःख मा भागीदार बना
तुमरी पिरेम मा क्वी कमी भौ न औ
लग्या रा माया विका मायादार बणी
जै दिन विकी ठेकादारी फलली
इन्नी उन्नी लेणी देणी मा
विकू कै पार्टी टिकट मिलगी
अर वा जितगी त समझा तुमरि पौबार चा
विका मिनिस्टर बणदा ही सैरु राजपाठ तुमरू च
ठेकेदारी हैकु लंबर तुमरू ही चा
विका प्यार पुरूस्कार श्री विभुसण रतन विका ही क्या
सैरा देस का ही छा फिर तुम
बस लग्या रा विकी माया मा .............................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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स्वाणी बांद .................शैलेन्द्र जोशी
कालू औडल बादल से घिरुयु आसमान
तू ऐ अचणचक सर्ग कु मुड बि इन्न बदली
वू बि हवेगे त्वे देख खरांयु
सुख्यु डाला ठंगरा सि
तू ऐ अचणचक डाला फिर ज्वनी ऐ बौडी
वू बि हवेगे त्वे देख झपन्यालू हरु
सुखु गदेरा बारामासी
तू ऐ अचणचक फुट गिनी छोया
बगण लगगिन धार नयार
बांजा पुंगडा कुहाल
तू ऐ अचणचक हिटि मेडो मा
खेतों मा त्वे देख उगगी अणाज
मुख फरक्याँ ओडा भिटोन
तू ऐ अचणचक सब्बी कठठा
हवेनि चौक मा छुयाल
तेरा मयाल्दु सुभोऊ मा
दुन्या तस्बीर बदलिनि
तू ऐ अचणचक बुढया हवेगिन
सब परेसान इत्गा लेट किल्हे बने
स्या बांद या हम तै सदनी कु जवान किल्हे नि बने
ज्यू हम भि हुंदा तै स्वाणी बांद का मायादार .................शैलेन्द्र जो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक बार फिर शैलेन्द्र जोशी की नई रचना पढे .... ..........
गैनो का बिच दमकणी
जून यखुली सी बांद दिपुली
वी देख बजदी दिल मा
मेरा छुणमुण थकुली सि''
''निंद मा सुपन्यो सि बांद दिपुली
वि देख मन हवे जांदू बौल्या सी
आसमान मा उड़दू पराण चखुली सी
दे दे अपणु माया कु घोल बांद दिपुली''
'' बाला लायी पैरायी झगुली सि बांद दिपुली
फूलमा चित्तचनचल तितली सि बांद दिपुली
वि देख मन नचदु चांठो चांठो घ्वीड सि
'' आंखी क्या बुन नैनकौंल छन
सुरै सि सांकी दमकदी मुखड़ी क्या बुन
इन्न च बांद स्वाणी बांद दिपुली "
कु भगी बत्लू होलू ज्यू बटी
जगलू गात संग बांद दिपुली.....................शैलेन्द्र जोशी

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म्येरा सुरों मा बसी
सरसुती भगबती
ज्यू भि रयेकी गयेकी
होली गौला मा म्येरा
गीत गै गैकी
करलू माँ सरसुती
त्येरी इस्तुती
कृपा रखी सरसुती
कंठ गौला मा म्येरा
त्येरी किरपान सुणदा
लुग गीत म्येरा
गौला मा बिराजी रै तू
यी जलम आखिर साँस तक
साधना सुरों बिटी करदु रालु
सरसुती माँ भगबती
गंगा सुरों कि जमुना गीतू कि
बगदी रा समोदर दुन्या मा
बसी रै तू बस म्येरा गौला मा
सरसुती भगबती
ज्यू भि रयेकी गयेकी
होली गौला मा म्येरा
गीत गै गैकी
करलू माँ सरसुती
त्येरी इस्तुती
रचना .........शैलेन्द्र जोशी

 

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