उसकी बाते मीठी शक्कर में
मीठी मिश्री घुली हुयी रसीली
उसकी अदाए क्या कहने
जैसे गढ़ी हो कोई मूर्ति
किसी कलाकार ने
अंग अंग में ऐसी नक्कासी
जैसे अजन्ता एलोरा हो
बदन में चढ़ा रंग ऐसा की
किसी चित्रकार ने रंगा हो
मूड में कैनवास में
शेर हो जैसा किसी शायर का
और तबियत से गाया हो
उसके रूप रंग जवानी को
मर्दाना भारी भरकम आवाज में
जैसे उस हसीना को
जगजीत सिंह ने गजल में
उसकी रूप की कथा मे
कत्थक कर रहे हो
जैसे बिरजू महाराज
ऐसी है वो कायनात ए हुस्न ।.........शैलेन्द्र जोशी