Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 43057 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चुनावी साल च
हर क्वी माला माल च
टीबी अखबरू का
कारोबार मा पौबार च
ठ्क्यादरोंन उर्या छिन
जगा जगा कौथिग
नचणा गाणों कु
भि संस्कृतिक साल च
भासण भौपू मा बिकास च
निति नियम बनणा छमा छम
पोस्टर बैनर छपणा ठमा ठम
जत्गा बटोर सकदी बटोर ली
ब्येटा
सज्यु थाल च
अपणि लैक ज्यू धाणि कमाणि
वू लैन पकड़ ली
चारो तरफ माल ही माल च
चुनावी साल च ..........................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Himalayannews.com...द से दिल्ली मा
ग से गढवल्ली
क से कुमौनी
स से सिखाणु
उ से उत्तराखण्ड साहित्य मंच
ह से हिमालय न्यूज़
ड से डीपीऍम आई
यु सबकु संयुक्त परयास च ब्येटा
तू भी ब से बाटू पकड़
म से मेट्रो मा बैठ
सीधा पहुँच जा ब्येटा
न से न्यू अशोक नगर बी -20
इंन्नु मौका लाटा दुबारा नि आण
तिल बुबा अपणा ब्वै बुबा से नि सिखि
अपणी बोली भासा
पर अपणा उत्तरखण्ड का
हैका ब्वै बुबो से त सिखले छोरा
इंन्नु मौका दुबारा कब आलू
जा इतवार मा घ्याल नि मच्यो घार मा
सिखि औ गढ़वल्ली कुमौनी ब्येटा ।.....शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हिर्दय से बर्फी
रूप से बार्बी
हर घर आंगन
में खिलती है
महकती है
हंसी की फुहार है
अपनी मधुर मुस्कान से
संसार को मीठा और
प्रफुलित कर देती है
अपनी खट्टी मिठी अदाओं से
एक चटकारा सा स्वाद
जिहवा को दे जाती है
नन्नी मुन्नी बार्बी डौल .................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सिरिनगरा गोला बाजार मा
जब देखदु सज्यु तांबासारि ढोल
लाला जयदयलै दुकान मा
त मि सोचदू अज्यु बि बजणु च ढोल
अभी च येकु बाजार मा मोल
सज्यु च टिक्यु च बिकणौ बाजार मा
क्वी न क्वी त होलू येकु खरीदार
होलू क्वी वू जरूर नयु पुराणु कलाकार
ज्यू भी च बाजार मा
मोल च अज्यु भि ढोल कु ................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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घमुतु मिस्तरी का सु हातोंन
लोकल दुंगो मा गणेश मूरती संवारी
परिहार जाती लोंगोंन
सन उन्नीस सौ बीस मा
गणेश कु मंदीर बणायी
तब बिटि सिरी नगर कु
लोहर बाजार बणगी भयों
गणेश बाजार .........शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दखिण एशिया का देसु मा
हवा चली बयार
हिन्द अरब सागर तै लांघी
हवा पौची रे केरला धार
उड़ी उड़ी हवा मिली गरम जलवायु मा
अर बरखा लगी सैरा इण्डिया मा
समोदर मा दौड़दू दनकदू
बथौ मा झूली हवा मा फूली
नचदू गांदु खुटीयों मा घुंघुरू पैरी
छम छम
ऐगी मानसून
गरम झुल्सैया तै जलवायु
एक सुरसरी बयार देगी
किसान तै खेती उपज कु सारु देगी
पूरा इण्डिया तै आर्थिक चारू देगी ................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पूरब दिशा दूर कुमाऊ बिटि
कंडी मा पहुँची दयब्ता भी
पौड़ी वाला हो गया
बन कंडोलिया
पर पौड़ी वाले
सब देहरादून वाले हो गए
वो कै कंडी मा पौंचीकि
देहरादून का होलिया
वि कंडी भि जरा खुजेल्या ।......शैलेन्द्र जोशी

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नरेन्द्र सिंह नेगी जी का लोकप्रिय गीत नयु नयु ब्यो चा हिंदी रूपांतर
अनुवादक :शैलेन्द्र जोशी
नयी नयी ब्याही हु तुम से प्रिये
सुनते हो जी तुम को इतनी जल्दी भी क्या
धीरे धीरे चलो न दो प्यार भरी बाते करो प्रिय
इन पेड़ो की छाव के तले
अरे जो भी बतियाना है तुमको
घर जाके कहना
वैसे तुम इतने कंजूस हो
पैदल चला रहे हो
गर्मी के दिन है
सामने गाड़ी खड़ी है
उसमे चलते है ना
वैसे इतनी खड़ी चडायी है ससुराल की
चला जा रहा है नहीं वैसे ऊँचे सैंडिल पहने है मैने
मान भी जाओ मेरे प्रिय पति देव
ज्यादा नखरे मत दिखाओ
तेरी इन कप्पनाओं मे भूखा मर जाउगा
चल जल्दी कदम बड़ा
सैंडिल को पर्स मे रख
नंगे पाँव चल फटा फट
इतनी भरी पुरी जवानी तुम्हारे ये हाल है
बुढापे मे तो भगवान जाने क्या होगा
वैसे भी कल परसों तुम खेतों मे जाना होगा
तुम्हारे इतने नाजुक हाल देख कर मै बहुत परेसान हु

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यु तो काफल हमने काफी समय नहीं खाये
पहाड़ो मे रहकर भी
काफल दर्शन फेसबुक पर ही होते है
क्युकी हम गांव ग्वेर छोरे तो है नहीं
जो टीपने गये हो कभी काफल को
वन जंगलो मे सहाब
पर उन ग्वेर छोरे किरपा से
पहाड़ी स्टेशनों मे उनकी काफल से भरी टोकरी से
चाय वाले गिलास से काफल कि नाप
और अखबार कापी का कागज के
कोन से भरे काफल बहुत खाये है
गिलास दस बीस रुपिया मे खाया
पुराना रेट बता रहा हु
क्युकी पहाड़ो मे रहकर भी
काफल दर्शन फेसबुक पर ही होते है
अब पहाड़ मे आपको काफल
खाने को मिल जायेगा भाई सहाब
पर पहाड़ किसी स्टेशनों मे
सुबह सुबह तक इसके दर्शन होते
क्युकी सीजन का फल है
बिकता माल कंडी कब खाली हो जाती है
पता नहीं चलता है
जो भी है पर्वतीय बाजारों तक
इन गाँव के ग्वेर छोरों
बदौलत काफल बाजार में आता है
और मैने जब खाया इन ग्वेर छोरों किरपा से खाया
अब सुबह सुबह स्टेशनों तरफ जाना नहीं हो पाटा है
इनमे इन ग्वेर छोरों कसूर नहीं है भाई साहब
ये बेच ही रहे है हर साल
पर जो भी है फेसबुक मे ही दर्शन हो रहे काफल के
पहाड़ मे रहकर भी काफल मिल भि नि चाखो ...............शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हे पौड़ी
कखी उकाल
कखी उंदार
आँखों का तीर
हिवाला प्यारा
धारा रोड
अपर बाजार
लोहार बाजार
मॉल रोड एजैन्सी चौक
का भिड़ा आहा कतगा स्वाणा
कंडोलिया का बण जंगल
नागदेव मा बुरांस बांज का छेला
असीस देदा क्वीकाला का शंकर
पौडी तै
आवा तुम बि पौड़ी मा
थोडा घूमणा खुनि
हे देब्भूमि का पर्यटक
रचना शैलेन्द्र जोशी

 

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