Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 42888 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,


We are posting here some poems written by young Poet Shailendra Joshi. Mr Joshi basically hail from Srinagar Garhwal. He has also written many lyric of many songs.


From :Shailendra Joshi


मेरु हिया हरेली हरुलिन

उडनू छोऊ आसमान मा

त्वे देखि हरुली मन मेरु कुजणी कख गे

डंडा यी पार गे चा व़ी पार

मीत नि जन्दु माया की यी सार तार

बते दे हरुली तू ही चा मेरु प्यार

फांटी जाली रुई हरुली फांटी जाली रुई

मेरु मनत बस हरुली की छुई

हरुली कु सज दय्खुणु का खातिर

बाटा मा लुक्क छुपी दय्खुदू हरुली कु सज

मिन हिया हरेली हरुली कू

जून जुन्ख्याली हरुली तू चा भंडी मयाली

हरुली त्वे खातिर मन खुदैंदु दिन रात त्वे समलोंदु

भग्यानी चा हरुली ऊ बिंदी जू तेरा माथा सजी चा

भग्यानी चा हरुली उ फौंदी जू तेरा लट्लियो लगी चा

भग्यानी छिन हरुली ऊ कुंडल जू तेरा कन्दुडीयों मा हलणं छिन

भग्यानी छिन हरुली ऊ सुनो हार जू तेरा गौला मा चमकुणु चा

भग्यानी छिन ऊ झावरी ऊ पैजिबि जू तेरी खुटीयों छम छम कदिन

कन कु भाग्यान ह्यु मी

मै से भला यी लारा लता गैणं छिन जू तेरा गात सजणा छन

कै पै हरुली जूपराण ले कि

मेरु हिया हरेली हरुलिन

उडनू छोऊ आसमान मा

रचना शैलेन्द्र जोशी

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M S  Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi 
कृष्णअवतारी दुदाधारी
 न्याय कु दब्यता
 मेरा प्रभू मेरा गोल्जू
 मेरी विपदा भी हर ली
 इन आस ली की अयू छौ तेरा द्वार
 चिठ्ठी कतर लेखी अयु छौ तयारा थान
 यी घदुलियों माँ मेरी खुसी गूंजा दे
 मेरा परभू मेरा गोलुजू
 तेरा दरसन कु अणू जगत संगसार
 तेरा महिमा चा हापार मेरा गोल्जियु
 औत रजा झालूराइ की सुनी देली माँ तिन किलकारी गुंजाई
 मेरा विस्वास की चुनरी चढाई तेरा द्वार
 कर दे पूरी आस गोलजू महाराज
 यी घदुलियो मा मरी खुसी भी गूंजे दे आज
 रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi तेरा गीत की लैन चा
 आलू ग़म छिर्की मुठ बोतिक रख
 कर ले भै वादा
 आज नेगी दा
 देलू हम तय विकल्प राजनीती कू अन्ना की लड़े मा
 तिन भी लड़े लड़ी सदनी भ्सताचार बीटी
 गै नि गीत यना
 कभि गै नौचामी कभि गै मछु पाणी
 अब क्त्गा खैलियो जना गीत सुणि
 देहरादून क्या डेल्ही वालो का भी पसीना छुट दा
 उक़ा पसीना छुतादी रै
 अब गीत यना बनई
 जू विकल्पों की हो नामा वाली
 पंच बदरी पंच केदार की धरती मा पंच ऍमपि दी इना जो हो साचा

 कविता शैलेन्द्र जोशी

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दारू की घट

हट मा बोतल

सिगरेट का छल्ला

बँगला की सोड़

गुटखा खैनी चैन्दी गिचा सदानी

नशा मा चूर ज़िन्दगी हुई चा

फंसी च ज़िन्दगी यी नशा

निकली कनकुवे भैर

कभी दगडो  का बाना

कभी खुसी मा कभी गम मा

लग्यु चा यु नशा पैथर

उधार नगद मा चल्दु नशा

नशा ही मेरु सब से सगा

और सब दैदीन दगा

आज ब्याली भोल पर्सी का

थौल मा अमृत सी यु नशा

भोल क्या होलू देखी जाली

कटनी चा ज़िन्दगी चूर नशा मा

  रचना शैलेन्द्र जोशी

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दुई आंखी दिनी भालइ देखनि खुनी
 दुई हाथ दिनी भला कारिज तय
 मुख दे भला बचन बोलन खुनी
 दिल दे दिमाग दे सब कुछ दे विधातन
 पर मनखी मा सगोर नि रै इत्गा सुन्दर जीबन जिणों
 अफ्हू तय आंख से भालू हैका तय बुरु
 अफ्हू तय भलई खुनी हैका तय बुराई
 अफ्हू तय हिटना भला बटा हैका बाताना कु बाटू
 अफ्ह्य तय सुन्न भला बचन हैका तय दीन  गाली
 दिल दिमाग हर्ची
 अफ्हू का रंग मा रे गे मनखी

                        कविता शैलेन्द्र जोशी

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पडिगे ह्युवालू डांडा रेरचना शैलेन्द्र जोशी
पडिगे ह्युवालू डांडा रे
बदन तय   क़पैगे ये ह्युवालू रे
चा की कनी बार रे
राजे खंतरो मा भुज्या भटो    कू ठुगार  रे
बाँज कुले डालियों की ठंडी बयार
हार्डमांस तय चीरि की हड्गो तय कर नि च तार तार
आंगेठो की तात मायादारो की बकिबात
काजदारो कू काज ये हिम् बरखा न लुछयाली
पर जुगो की डोरों घघरू नि छुटदू यी काजदार भी लग्या छा अपणा काज
छोटा नानतिन तय कनु सजा होगे
गवाडीयू  च बुवौइन विते भीतर
छटला बादल पिघलु हियु आलू भै कब बसंती घाम
रचना शैलेन्द्र जोशी


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जब तू चले गोरी बसंत आ जा ये
रे चले गोरी मोसम गर्मियों का आ जा ये
जैसे हिले टैहैनी डाली यो की हवा मे
वैसी हिले तो रि पतली कमरिया
कमरिया हिले तो क़यामत धय जामने मे
जब तू चले गोरी मोसम बरसात का आ जा ये
जब तू चले गोरी मोसम जड़ो का आ जा ये बरफ गिर जा ये पहाड़ो मे
जब तू चले गोरी तो दुनिया रुक जा ये
जब तू चले गोरी तेरी चाल देखे जमाना
चांदनी की यामानी रातो मे गजगामिनी की चाल चले तू
तेरी चाल की सज मे तेरी नित्तबनिया देखे जमाना
अगर तेरी चाल का हो पर्दरसन तो हम रैम बन जा ये
तेरी कदमो कदमोट उस वक़्त इस रैम की धड़कन तेज कर
स्वापिन सुन्दरी पागल हो जा ये जमाना
कविता शैलेन्द्र जोशी

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दुई आंखी दिनी भालइ देखनि खुनी
 दुई हाथ दिनी भला कारिज तय
 मुख दे भला बचन बोलन खुनी
 दिल दे दिमाग दे सब कुछ दे विधातन
 पर मनखी मा सगोर नि रै इत्गा सुन्दर जीबन जिणों
 अफ्हू तय आंख से भालू हैका तय बुरु
 अफ्हू तय भलई खुनी हैका तय बुराई
 अफ्हू तय हिटना भला बटा हैका बाताना कु बाटू
 अफ्ह्य तय सुन्न भला बचन हैका तय दीन  गाली
 दिल दिमाग हर्ची
 अफ्हू का रंग मा रे गे मनखी
                        कविता शैलेन्द्र जोशी

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नाम जिसका सचिन ऐसा महान क्रिकेटर को करता हू मै जय हिन्द कविता शैलेन्द्रजोशीby Shailendra Joshi पुत्र है रमेश का
ईश है क्रिकेट का
बॉम्बे का बॉम्बर है मुम्बे का मुम्बेकर है
मास्टर है बलास्टर है
शिवाजी की पौधशाला  की पौध  है
विरोधी टीम के ली ये रूद्र है
भारत माता का पुत्र है
 हर  नव क्रिकेटर जिसके चलना चाहता पद्चिन
नाम जिसका सचिन
भारत भूमि का सचा सपूत होने का अर्थ दुनिया को बतलाया
सर जॉन ब्रेडमेन की ड्रीमएलेवेन मे स्थान पाया
हर रिकॉर्ड अपने नाम करवाया
ध्यानी का  ध्यान धर तेंदुलकर
खेल मे धीर है गम्भीर है
क्रिकेट का हीर है शतकवीर है
क्रिकेट इतिहास् मे पदचिन जिसके सबसे भिन्न
नाम जिसका सचिन
ऐसा महान क्रिकेटर को
करता हू मै जय हिन्द
कविता शैलेन्द्रजोशी

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पडिगे ह्युवालू डांडा रेरचना शैलेन्द्र जोशी
पडिगे ह्युवालू डांडा रे
बदन तय   क़पैगे ये ह्युवालू रे
चा की कनी बार रे
राजे खंतरो मा भुज्या भटो    कू ठुगार  रे
बाँज कुले डालियों की ठंडी बयार
हार्डमांस तय चीरि की हड्गो तय कर नि च तार तार
आंगेठो की तात मायादारो की बकिबात
काजदारो कू काज ये हिम् बरखा न लुछयाली
पर जुगो की डोरों घघरू नि छुटदू यी काजदार भी लग्या छा अपणा काज
छोटा नानतिन तय कनु सजा होगे
गवाडीयू  च बुवौइन विते भीतर
छटला बादल पिघलु हियु आलू भै कब बसंती घाम
रचना शैलेन्द्र जोशी

 

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