Author Topic: Poems written by Tribhuwan Chandra Mathpal- त्रिभुवन चन्द्र मठपाल की कविताये  (Read 2674 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,
 
We are posting some poems written by Tribhuwan Chandra Mathpal.  Mr Mathpal originally belongs to Ranikhet area of Uttarakhand.




M S Mehta




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From - Tribhuwan Mathpal.

 मैं फिर ऍम. एल. ऐ. हौंल !!!!

मैं फिर ऍम. एल. ऐ. हौंल !!!! --------------------------------

ऍम. एल. ऐ. सैपुकै लै रै ! आपुणी टिकट काटीयणकि डर !!. धरि रै उनुल आज-भोअ ! सार-सार दलबदलुओं पारि नजर !!

भिड़ापंन पोस्टरों में अख़बारों में ! नाम आज-भोअ उनरें छूं !! होई दिवाई नईसाले की ! बधाई हो जोरकि छूं !!

उनरि है रै,- यौं पाँच साल तै कटी जैल! पर अब आघिंन हो म्यर के हौल ! यअस के अब मै नई करूँ कि! घर गौं जीकर बस मयरै हौल !!

किलैकि,- ऍम. एल. ऐ. सैपुकै लै रै! आपुणी टिकट काटीयणकि डर!!. धरि रै उनुल आज-भोअ! सार-सार दलबदलुओं पारि नजर !!

पर यौं दोहरि पार्टीवाला ! किलै खीचनी मेरी ताँग !! य जनताक पेट निभरिउन ! रोज कर दीं इक नई माँग !!

पर चिंता चिता समान छूं ! य चिंता में मैं कब तक रौंल !! अब २०१२ चुनाओं में मैं ! यअस गुपचुप जुगाड़ लगौंल !! खिसयाणी लगैदयुल बाँकि सबुनकै ! मैं फिर ऍम. एल. ऐ. हौंल !!!!

त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 ""जीर्णोउद्धारकि जरूरत पड़ी गे उकणी, जो हमार बूब बुडबूबूल बने रौछी थान ..

गढ़- कुमाँउ समाज कै आघिन बढाहै,
धर पोथिया गणेशम दूब ..
स्वैणामें कै गयी "शेर दा" ...
मानि लियो रे "अनपढ़" कें बूब ....

पहाडाकै ह्या तुम ,पहाड़ ले रया तुम ,
म्यार उत्तराखंडक तुम छा लाल ,
 देश विदेश में हमार भाई बैणी,
फैली रई देखो गदुवैकी झाल ,

आज देश विदेशाकी सैर करणछा ,
पर पहाड़क ले धरो हो ध्यान ,
जीर्णोउद्धारकि जरूरत पड़ी गे उकणी,
जो हमार बूब बुडबूबूल बणे रौछी थान ..

अब उत्तराखंडक पाख भली छै दियो,
गढ़- कुमाँउ दीये छै भाल,
जोड़ दियो इनुकै बीच दोशानाम,
करिदियो तुम अब यस कमाल.

सार-सार नेताउक बांस बनाओ,
दादर है मस्ते छै जनताक लाल,
धुरी बाँधी दियो गैरसैण पारी,
उत्तराखंड कै करी दियो खुशहाल .

त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

त्रिचम उवाच :- ========

"हिट दिदा पहाड़ नहै जौंल" ==============

 हिट दिदा अब मुणी हिम्मत कर,
हम लै वापस आपुण पहाड़ नहै जौंल।
नतर मधनीका की वाई कधिनै हम लै,
यौ फ्लेटों मै देखिलिये फलैटट रौंल।।
के तकै ख़बर नै आज मधनीका लै नहै गयी,
बार साल इक्कलै एक फ़्लैट में रै बेर खै गयी।
उनुल पढै लिखै बेर नान विदेश लगाय,
आपुण न पहाडक रया न विदेशै जै पाय।।
ब्वारी गोरी अंग्रेज और जवें नीग्रो काव,
उनर बीचम मधनी विदेशम काँ खै पाव।
चट्ट चार दिनम धौतराने वापस ऐ गाय,
नान उन्कैं एक फ़्लैट में थानबासि कै गाय।।
सोच रे हम यों दिल्ली लिजी खाली हाय बेकार,
के हमरि बिना जै के अटिकी रै य सरकार।
चल हिट यार अब आपुणें पहाड़ जौंल,
रुख सूख जे लै हलअ मिली बाँटि खोंल।।

{ नोट :- २० साल पहले ही मधनीका ने अपनी अर्धांगिनी खो दी और अपना ८८ साल जिये .. मुणी = थोडा, फलैटट रौंल = मरे ही मिलेंगे, नहै गयी= मर गये, काँ खै पाव= कहाँ खा पाये, थानबासि कै गाय = मन्दिर की मूर्ति तरह स्थापित कर गये,} ( काल्पनिक रचना त्रिचम की )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

त्रिचम उवाच :- ======= तेरहवीं मुबारक वर्षगाँठ!!

 ==============
मुबारक हो नेताओं तुम्हें तेरहवीं !!!
आज अपने उत्तराखण्ड की वर्षगाँठ।।
हमेशा खूब दिखी बीजेपी कांग्रेस सँग।
सत्ता में क्षेत्रीयदल यूकेडी की साँठगाँठ।।

विकास में तराई दो कदम आगे बढ़ा।
रहे मेरे पहाड़ हमेशा चार कदम पीछे ।।
 नेता ऊपर ऊपर हवा में चौपर में घूमे।
हमारी जनता सड़ी जमीन के नीचे ।।

वेवकूफ़ बनती है उत्तराखण्डी जनता ।
जो बारी बारी इन्हैं ही सत्ता पकड़ाई ।।
कहीं से भी खोद निकालो विकल्प ।
मत कहो! नया विकल्प क्या है भाई ???

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
9 hours ago · Edited
त्रिचम उवाच :-
=======
आपदा से अबतक पल -२,
मेरा उत्तराखण्ड रोया है।
प्रबन्धन आपदा महकमा,
कुछ जागा कुछ सोया है ।।
मेरे सीऍम साहब की बैटरी,
जल्दी टूँ टूँ कर जाती है।
हर हफ्ते में चार दिन,
दिल्ली चार्ज होने जाती है ।।
मुझको सरकार की ये बात,
समझ में नहीं आती है ।
बैटरी चार्ज का उपक्रम,
दून में क्यों नहीं लगाती है ।। ??

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
November 18
त्रिचम उवाच :-
=======
कलयुगी मुझ जैसे खुद को समाजसेवी कहने वालों कि सोच !!!

मै पढ़ लिख के आफिसर इसी लिये नहीं बना
कि इन नेताओं की ही नौकरी करनी पड़ेगी
चुनाव लड़ना जीतना मेरे बस की बात नहीं
कोई निगम का अध्यक्ष पद मिल जाता तो
मै भी लाल बत्ती लगा के घूमता।

 

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