प्रसिद्ध उत्तराखंडी कवी स्वर्गीय शेरदा अन्पड द्वारा रचित यह सुंदर कविता जिसे प्रोफेस्सर शेर सिंह बिष्ट जी ने अपनी बुक शेरदा अनपड़ संचयन में लिखा है! कुछ अंश इस कविता के !
मौत कूनै - मारि हालो
मनखी कूना, कां मरू ?
अनाड़ी!
तू हारै छे, मै हारूं?
मै पुरुष छु रे धरतीक, आग पाणी दगे म्योर मेल छु!
ज्यूंन और मरण क म्योर रात दिनक खेल छो!
मरण देखि जो डरौ उ मन्खियौक मन छो!
मरी मै ले ज्यूंन रौ जो उ अनमोल रतन छू!
तू कुनै हे मारि हालो, अनाड़ी मै काँ मरू ?
तू हारै छे, मै हारूं?