Author Topic: Poems by Dr Narendra Gauniyal - डॉ नरेन्द्र गौनियाल की कविताये  (Read 32050 times)

Bhishma Kukreti

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******हमन काटी जिंदगी******

लूण-गुड चाटी कैकी हमन काटी जिंदगी
तिम्ला-बेडु बांटी कैकी हमन काटी जिंदगी

च्यूड़ा-घरड़ू -तिल फुकेकी पुट्गी हमन भोरिनी
मंडवा-झुन्गोरू-कौणी खैकी हमन काटी जिंदगी

चदरी-कंबली बिछैकी काली राति सौ कटीं 
नंगा अर भूखा रैकि हमन काटी जिंदगी

तपि-तपी की घाम हमन दिन हजार काटी दिन
घुसी-घुसी की घुंडी-मुंडी हमन काटी जिंदगी

भाजी-भाजी कै मुल्क भैर दर-बदर सदनी रवां
हौरों की सेवा-सलाम  हमन काटी  जिंदगी

एकदिन हमन पहाड़ खैंडी कै बसाई छौ
कूड़ी-पुंगडी  बांजी कैकी हमन काटी जिंदगी  .........डॉ नरेन्द्र गौनियाल (धीत)

Bhishma Kukreti

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                                                           बीपीएल नेता तुम धन्य हो !!!*******




                                               by Narendra Guaniyal


               हमारे बीपीएल नेता तुम धन्य हो..तुम्हारी माया (संपत्ति ) अपरम्पार है .;फिर भी तुम बीपीएल हो .२रु० किलो गेहूं,३रु० किलो चावल खाकर डकार भी नहीं लेते.देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के सामानांतर तुम्हारी सेहत भी बढ़ रही है .तुम काफी मोटे हो गए हो .तुम्हारी खाल भी काफी मोटी हो गयी है .फर्जी ही सही,लेकिन बीपीएल के जरिये तुम्हें बहुत कुछ सपोड़ने का मौका मिल रहा है .गाँव की आंगनवाड़ी पर तुम्हारा कब्ज़ा है .गरीब ,कमजोर,कुपोषण से सूख रहे शिशुओं के बजाय तुम्हारे पशुओं-गाय-भैंस आदि की सेहत सुधर रही है .बाकी किसी पर मेहरबानी कर दो तो वो तुम्हारी मर्जी .वैसे कई फर्जी नाम भी तो चढ़ाये हैं .फर्जी बीपीएल हो तो फर्जी काम तो करोगे ही !.
       धन्य हो बीपीएल नेताजी .! हर विभाग की मलाई चाट रहे हो बढ़ते कॉलेस्ट्रोल का भी ध्यान रखना .ज्यादा मलाई के चक्कर में  कभी अस्पताल में न जाना पड़े.ज्यादा मलाई के दो बड़े खतरे हैं .इस से अस्पताल और जेल दोनों के रास्ते खुलते हैं.बीपीएल नेता तुम धन्य इसलिए भी,क्योंकि तुमने कोई विभाग नहीं छोड़ा.कोई बजट नहीं छोड़ा.कोई निधि नहीं छोड़ी,कोई राहत कोष नहीं छोड़ा.अपनी कुटुम्दारी के सभी सदस्यों के नाम कई-कई बार राहत कोष से लाखों रुपये सपोड़ दिए हैं.अपने चहेतों के लिए भी थोडा-थोडा जुगाड़ कर दिया है.नेतागिरी आगे भी तो करनी है.चुनाव लड़ना है.कमीशन खाकर सरकारी पैसा किसी के गले में डाला रहेगा तो पंचायती चुनाव में काम आयेगा.कई निधियों का लाखों रुपया अपने पेट में डालकर थोडा-थोडा अपने चेलों के मुंह पर भी लपोड़ना तुम्हें खूब आता है.गाड़ी,मकान,जमीन-जायदाद,धन-सम्पति,बैंक-बैलेंस सबकुछ नेतागिरी के कमीशन से बनाकर भी बीपीएल रहना बहुत बड़ी बात है.जहां सचमुच के गरीबों को भी अपने बीपीएल होने में भरी शर्म महसूस होती है.कई तो अपना बीपीएल कार्ड ही नहीं बना पाते.कार्ड बन भी गया तो उसका लाभ नहीं ले पाते.लेकिन तुम धन्य हो.फर्जी बीपीएल के बावजूद बिना शर्म-लाज के पूरे फायदा (गैर फायदा )उठाते हो.तुम्हारा भ्रष्टाचार भवन किसी रंगमहल से कम नहीं है.अधिकारी-कर्मचारी सबको पटाने में माहिर हो.सुरा-सुंदरी का फार्मूला तुम्हे खूब खपता है.चाहे कोई बदनाम हो,तुम्हें तो पास होना है.अपना मतलब हल करना है.तुम कफ़न से भी कमीशन निकलने में उस्ताद हो.बीपीएल नेता तुम सचमुच धन्य हो.                                                  तुम्हारा शुभचिंतक.. लालटेन प्रसाद     

Copyright@ Dr Narendra Gauniyal     


Bhishma Kukreti

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*******हे भुली  !!*******



डॉ नरेंद्र गौनियाल     




गौं का देवता-दीबा -भुम्या रकरके की देखणा
यख कु मन्खी कख सट्गी गे कुछ बता तू हे भुली

पुन्य की या  भूमि  सैरी  खबेसों से च  भरीं
कंस-रावण जन्मी गैनी यी कथा च हे भुली

जौंमा सौंप्यु राज-पाट ह्वैगें निख्वर्य-निर्भगी
 खांदा-पींदा कन भुखारा सी ब्यथा च हे भुली

लदवाड़ी दनसट कैरिकैबी ल्यावा-ल्यावा छन बुना
माटु बि  भसगैयाली तौन दून  कत्गा  हे  भुली

देश जात्यों माँ बंटेगे गौं बंटनी  ख्वालों  माँ 
हर्चली  जो भयात  तब क्य होलू हे  भुली 

जोड़दरों का ही हमारा टूकड़ा-टूकड़ा छन कर्याँ
क्वी भग्यान जोड़ी जांदू  कुछ पता दे  हे  भुली ....



Copyright@ डॉ नरेंद्र गौनियाल

Bhishma Kukreti

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******हमारा भरतार ******



रचनाकार - डॉ नरेंद्र गौनियाल


जौंकी मूणिम भार देशकु भोल का भरतार छन
लप्सयाँ छन सब्बि जवान भितर बिटि बीमार छन

गिच भितर गुटका भर्युं अर हाथ माँ सिगरेट चा
थुकी-थुकी की भितर-भैर कन बन्या मंत्वार छन

म्यार मुल्कै जवानी तै तिन्ग्गा पोड्ना हर कदम
गिचीअन्ध्यर्पट,गल्वड़ी  पिचगीं आंखि बैठीं क्वार छन

ब्वैन रोटी देई  घूसिकी  जा ब्याटा  कुछ  सीखी ले 
लाल रस्तम गुच्छी ख्य्लना राम कै खंद्वार  छन

कौम की होलि तरक्की कुछ समझ नि आन्दु  कन
बाट माँ कछ्डी लगाणा  छोरों की  सरकार  छन

दूधि छोड़ी दारू पीना आज सब नौन्याल छन
खाला-म्यालों ब्यो-बरातों रंगमता सब धार छन
 Copyright@ Dr Narendra Gauniyal,             

Bhishma Kukreti

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************निखणी **********

रचनाकार : डॉ नरेन्द्र गौनियाल     



जैको पैली बटी ही
छक्वे  खयूं
वैकी लदवड़ी हौरि बड़ी  ह्वै जान्द 
वे पर
लगि जान्द
भस्मक रोग
अर जैन पैली
कबी नि पाई
कबी नि खायी
वो भोर्यूं भद्यलो देखिकै
रंग्सले जान्द
तातु-तातू खैकी
जीभ जले  दींद
खताफोल कैरिकै
अधा लारों माँ 
आधा भुयां माँ
खैति दींद
कुछ गिच्चा पर
कुछ  बौंलों पर
लपोड़ी दींद
अर सब्बि छंछ्या
अफु ही सपोड़नै मारामारी माँ
भद्यलो ट्वटगो  कैरी के
सब्यों कि निखणी कैरी दींद..................
Copyright@ Dr. Narendra Gauniyal

Bhishma Kukreti

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*******आखिर कब तक !!?********

Modern Garhwali poems, Modern uttarakhandi Poems, Modern himalayan Poems, Modern inian Poems



रचनाकार - डॉ नरेन्द्र गौनियाल


सर्र चली गैनी
दिन,मैना , साल
अर हम
गाणि करदा ही रै गयाँ की
हम बि कब्बी भोगला
आजादी को सुख
देश-परदेश,वार-पर
गाँव-गल्यो आली बरकत
अन्न-पाणी
दूध-घ्यू  का घत्गारा
बाटा-घाटा,गोर-गुठ्यार
डंडी-कांठी चरि तरफ
होलि बहार
पण अब्बी तक बि
पढे -लिखै ,औखद-पाणी
तमाम धाणी
जन-जरूरत
सबकुछ खुन
तरसन ही रै गयाँ हम
कतने लोगों तै  नि मिलदु एक गफ्फा
जैसे बुझि सक लादोड़ी कि आग
लैरी-लत्ती -ख़तड़ी,कमली-चदरी
जू ढकी साक हमारी नाक
ये ब्वै !!!
आजादी का इत्गा साल बाद बि
नि मिली सकणी एक कूड़ी
जैक पुटग कुचे सकां हम
घाम-पाणी  से बचनौ
हे भज्ञान  ! हे नेताजी !!
 आजादी का इत्गा साल बाद बि
हमरि भैंसी -ढेबरी अर हम
पीणा रौंला
एक ही खाल कु
गंद्लो पाणि....
आखिर कब तक ?........................

Copyright@ Dr Narendra Gauniyal

narendragauniyal@gmail.com

Bhishma Kukreti

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****** एक वक्त जब पहाड़ का गाँव-गाँव माँ कच्ची शराब की भट्टी चलनीं* छै (बेशक आज नि छन या बहुत कम छन ) तब की एक कविता ******
*********आत्मनिर्भरता ***********

वार भीती-पार भीती
बीच माँ
सोना की सीती
कनस्तर थडकना  छन
वेस्ट मैटीरियल को
बेस्ट यूज कना छन
लाल ब्लैडर ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा
डोर टू डोर सर्विस
मांग का अनुसार
उत्पादन अर पूर्ति
क्य चचगारो हुयुं च
हाँ भै
ख़ुशी की बात च
आखिर कखि ना कखि
हमारू पहाड़
आत्मनिर्भर हुयुं च ..........डॉ नरेन्द्र गौनियाल   

Bhishma Kukreti

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बोर्ड परीक्षा नक़ल विहीन संपन्न ..... ये समाचार पर एक व्यंग्य
*******छात्र धर्म-गुरु धर्म *******
तुमारु धर्म पढ्नु नि
हमारू धर्म पढ़ानु  नि
धर्म यो च कि
हमन तुमारी नैया पार लगाण
घर्या-देसी
लाटा-काला
अपणा -पर्याउ छुट-पुट
जो बि छौ यै  जावो
औंद बगत
अंगूर-संतरों कि कंडी
दगड़ माँ ले अयाँ
एक आध दस्ता क्वारो कागज
द्वी-चार कार्बन
अर मलेटरी कैंटीन वाली बि
दगड़ माँ ले आण
बाकी तुमते
गद्नु तरानै
हमन जाणी
किले छ रूना
किले छ डरना
पर हाँ
ताली एक हाथन नि बज्दी
तुम हमते द्याखा
हम तुमते द्य्ख्ला
बस थ्वड़ी  भौत
चरक-बरक सटर-पटर
तुमते करण पड्ली
अर हाँ !
फ़्लाइंग देखि कै तुम नि डरयाँ
हमारो चपड़ासी
स्वीं सुलकणी मारि दींद
कब्बी क्वी कुक्क्रों का सी अटगयाँ
फ्लैंग-फ्लैंग चिल्लान्द
सुद्दी-सुद्दी कुत्गी जान्द
कब्बी क्वी निख्वार्य पकडे बि जान्द
पण ले देकी सब ठीक हवे जान्द
अरे हमारी पैंटों का खीसा कब काम आला
यूं माँ त  कतगाए पुरचा समै जाला
पण कंडी-कैंटीन वाली बात नि बिस्र्याँ
तुम बि खैला हम बि खौंला
तुम बि पेला हम बि प्यून्ला 
ये तरह
छात्र धर्म -गुरु धर्म निभौंला................डॉ नरेन्द्र गौनियाल       

Bhishma Kukreti

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**********शिक्षा*********
ब्याटाओ !
तुम पैली जनि बि करदा छाया
अब नि  उनु नि कारा
पर फिकर बि नि कारा 
तुमते   गाड हमन तराण
तुम टुटदो पूला बिटी  ना जावा
गाड जखमा गैरी होलि वाख्मा हम लिजौला
केकु हाथ केकु मुंड पकड़ी
कैते  खुचिली माँ लिजौंला 


तुम सिर्फ हमारी जिकुड़ी मजबूत कारा
फल-फूल अर बुद्धिहरण पेय कु इंतजाम कारा 
बाकी तुम फिकर नि कारा
ब्यटाओ 
अब गुंडागर्दी,जोर जबरदस्ती ,दादागिरी सब त्यागो 
तुम जनि बि छौ -
जयां-बित्याँ,खत्याँ-हर्च्यां
पण भैर चुप रैयाँ
बस कुछ
गैर पारंपरिक विधि अपनाओ
नयी पीढ़ी वाला छौ
नयी बात कारा
आपसी तालमेल अर आम सहमति से
अधिकतम साझो कार्यक्रम अपनावा
मनपसंद डिविजन माँ पास ह्वै जावा ............डॉ नरेन्द्र गौनियाल         

Bhishma Kukreti

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********कुछ छिटगा *******


रचयिता : डॉ नरेन्द्र गौनियाल 



१-****ऑफिस****


सुविधा शुल्क
च्या-पाणि
घर्या घ्यू
अखोड़ों दाणी
निथर  कलम
अगने नी घस्गाणी



२-**** रोजगार योजना ****


बाटों माँ
घाटों माँ
माटु छलकाण
अपणा-परायों तै
काम लगाण
गल्दम-सल्दम
अर
जेठ जी का पौ बारह .



*****सोच *****


एक पर्यावरणविद
पर्यावरण सुरक्षा विषय पर
आयोजित सेमिनार माँ
जाणा छाया
बस का भितर बैठ्याँ
गैरी सोच माँ ड़ूब्याँ
सिगरेट पर सिगरेट पींदा
धुवां का गोल-गोल छल्ला
उड़ाना छाया



*******केर ******


राज मिस्त्रीन .
वास्तु धैरी
भुयां बीटी धुरपाल तक
एक-एक ढुन्गू  चीनि
तिखंडी जिन्ग्लादार  कूड़ी तैयार 
घर बैसू ह्वैगे
पर अब वो
खुटी बि नी धरी  सकदु
देली का भितर
घरबैसु कना बाद
रालू सिर्फ भैर 
पता नी कु
मारि गे केर ...........


सर्वाधिकार : डॉ नरेन्द्र गौनियाल 

 

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