Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360098 times)

Bhishma Kukreti

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                          फेसबुक मा बेज्जत /बेज्जती

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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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  बेज्जती करण मनिखौ प्राकृतिक आदत च।  नि साहिक बि मनिख /मनखिण एक हैंक तैं भरचे दींदन , एक हैंक तै खुलेआम नंगा कर दींदन याने एक हैंकाक बेज्जती कर दींदन।  फेसबुक या वर्ड्सप जन सोसल मीडिया आज एक वास्तिविकता च , असलियत च एक आवश्यकता बि ह्वे गे। 
 फेसबुक मा जाण  -अजाण मा फ्रेंड रिक्वेस्ट से बण्या स्वार, दगड्या , गंवड्या एक हैंकाक बेज्जती करणा इ रौंदन।
मि तै फेसबुक क्या रियल संसार मा फोटो खैंचाण , खिचण , दिखाण पसंद नी च या आदत नी च। कुछ दिन पैल मीन द्वी चार फेसबुक्या स्वार -भारुं प्रार्थना पर अपण फोटो डाळि दे।  मि तै पता च कि मेरी फोटो कन च पर फिर बि जब फेसबुक्या फ़्रेंडुं से कमेंट्स मा प्रशसा का शब्द ऐन तो मीन भरच्याणि छौ।  फेसबुक्या बेज्जती से आज तक मि म्वास बरोबर काळो हुयूं छौं।  वास्तविक संसार मा मुख पर लग्युं म्वास मिट जान्दो किन्तु वर्चुअल संसार मा डिलीट करणो बाद बि बेज्जतिक म्वास नि मिठदो।
  अब यदि  जब क्वी मि तैं Unfriend कर द्यावो अर जब Unfriend करणो कारण पूछो तो वु सज्जन या सजनी से  उत्तर आवो बल - आपका प्रेरणात्मक लेखों से मि प्रेरित ह्वेक आप तै Unfriend करणु छौं तो यांसे बड़ी बेज्जती लिखवारौ क्या ह्वे सकदि?  लिखाड़ो गल्वड़ पर चार झापड़ मारी द्यावो , कुल्ली फ़ोड़ द्यावो या बरमंड मा खैड़ा मारि द्यावो लिख्वार बर्दास्त कर ल्यालु पर क्वी पाठक या संभावित पाठक रुठीक चल जावो तो लिख्वारो कुण या स्थिति आत्महत्या करण से बि बड़ी बात ह्वे जांदी।
  हरीश जुयाल अधिकतर हास्य कविता पोस्ट करदु।  यदि कबि अपण ब्वेका बुल्युं मानिक हास्य व्यंग्य कवि दार्शनिक कविता पोस्ट कारो अर हरीश जुयालौ परमानेंट Like करण वाळ पाठक Comments मा पोस्ट कारन - वाह क्या हास्य कविता च , इन हास्य कविता मीन कबि नि पौड़।  तो यूँ बेज्जती करदार कमेंट्स पौढ़िक  अवश्य ही हरीश जुयालन आत्महत्या हि करण।  बिचारो आज तक समझणो छौ कि फेसबुक का यी परमानेंट Like , Comments करदार वैकि कविता टक लगैक पढ़दन पर आज पता लग कि Like तो छोडो Comments बि बगैर पढ़िक पोस्ट्याणा छन तो हरीश का ज्यु साहित्य से रिटायर हूणों नि बुल्याल ?
या शिव दयाल शैलज की कविता पर comments आवन बल - आपकी कविता मा  तुलसीदास की भक्ति च या  आपकी कविता सूरदास जन छन तो अवश्य ही या शिव दयाल की बेज्जती होली अर गुस्सा मा शिव दयालन अपण सौ साल पुरण तूणी डाळ काटि दीण।  अमित शाह तै कबि नरेंद्र मोदी पर गुस्सा आलो तो गुस्सा मा अमित शाह नरेंद्र मोदीक त कुछ नि बिगाड़ सकुद पर लाल कृष आडवाणी तै भाजपा की प्राथमिक सदस्यता तो ख़तम कौरी सकद च कि ना ?
  या दर्शन सिंह की कैं हास्य कविता पर Comments आओ बल - क्या रुलान्दि , करुणा रसयुक्त , भै -बैण्युं प्रेम की कविता च तो बेज्जती का गुस्सा मा दर्शन सिंगन अपण घरवळि पर पैल दै हथ नि उठाण ? कवि बि तो भैंसक गुस्सा मकड़ा पर उतार्दी च।
       फेसबुक मा पाराशर गौड़ उर्दू का गजलुं क गढ़वाली मा अनुवाद पोस्ट करणा रौंदन।  भौत सा पाठक लिखदन बल -गौड़ जी कृपया यूं गढ़वळि गजलुंक हिंदी अनुवाद बि कारो कि हमर समझ मा बि ऐ जावो।  बिचारा पाराशर गौड़ वैदिन पागलपन की अवस्था मा अपण घरवळि तै सख्त हिदैत दे दींदु कि नातणि दगड तीन गढ़वळि मा बच्यायी त मीन त्यार थुन्थुर चबै जाण।  जैदिन दिग्विजय सिंह तै सोनिया गांधी डाँटि द्यावो तो दिग्गी बाबू मायूसी मिटाणो बान चिदंबरम या अन्थोनी की आलोचना करदि छन कि ना ? बेज्जती फेसबुक मा हो या सोनिया गांधी का दस जनपथ मा बेज्जती मिटाणो बान कै हैंकाकी आलोचना करणी पड़द।
  डा दाताराम पुरोहित बि रोज फेसबुक मा द्वी लाइन की पोस्टिंग करद।  डा पुरोहितान एक दिन इंद्राणी मुखर्जी बाबत एक पोस्ट शेयर कर दे।  अर शयेर करदि बीस कमेंट्स ऐ गेन।  मि इक्कीसवां कमेंटेटर्स छौ। म्यार Comments छौ बल - डा साब टीवी वाळ इंद्राणी मुखर्जी का बारा मा चौबीस घंटा ब्रेकिंग न्यूज देकि हम तै भरच्याणा छन कृपया तुम तो फेसबुक मा हम तै बक्शो ! . पता च डा दाताराम पुरोहितौ क्या जबाब आई ? डा पुरोहितौ का Reply छौ - भीषम जी ! म्यरो दोस्ताना राय च कि आपक दै हाथ का समिण Unfriend का बटन च तो कृपया वै Unfriend का बटन दबाओ अर मेरी फ्रेंडशिप तै तिलांजलि , श्रद्धांजलि अर तर्पण दे द्यावो।  चूंकि हम दुयुंयुँन एक दुसरै बराबर की बेज्जती करि छे तो हम द्वी अबि बि वर्चुअल याने फेसबुक अर वास्तविक संसार मा Friend छंवां।  हाँ यदि क्वी हैंक हूंद तो वैन बुलण छौ बल भीष्मन मेरी पूँछ मा खुट धौर दे।
एक दिन एक पोस्ट आई जैक शीर्षक छौ - अच्छे दिन कैसे ला सकते हो।  फिर पोस्ट मा लेखकन कुछ जीवन सूत्र बतैन जाँसे आदिम उन्नति कर सकद , सब फेसबुक्या कॉंग्रेस्यूंन समझ कि यीं  पोस्ट मा नरेंद्र मोदी की प्रशसा च। कै बि कॉंग्रेसिन पोस्ट नि पौढ़। उषा रावत सरीखी कट्टर राहुल गांधी की चमचीन नरेंद्र मोदी की कटु आलोचना वळ विषय Comments मा डाळी देन। भाजपा वळु न बि पोस्ट नि पौढ़ पर Comments मा नरेंद्र मोदी की प्रशसा मा गीत  पोस्ट कर दिनि । बिचारा लिख्वारन फेसबुक तैं ही तिलांजलि दे दे।
एक क्वी गढ़वाली  जीन  मेरी  पोस्ट करीं पुराणो कवि की गढ़वाली कविता से कवि का नाम उड़ै दे अर पोस्ट कर दे।  पोस्ट से साफ़ लगणु कविता वै गढ़वाली  जीकी च।  कविता की प्रशसा मा आठ दस कमेंट्स बि अयाँ छ।  मीन वै गढ़वाली  जी तै बड़ी खरी खोटी सुणाई।  वै गढ़वाली  जीक उत्तर आई -भीष्म जी कृपया मुझे Unfriend कर दीजिये इससे मैं आपको स्वयं Unfriend करने जैसे अपराध बोध से बच जाऊंगा।  चोरक चरचर बचन।

भौत सा ग्राम प्रेम्युं का अपण गांवक , पट्टिका नाम पर फेसबुक मा  ग्रुप खुल्यां छन।  जरा ग्रुप मा जावो तो गांवक फोटो छोड़िक गाँव का बारा मा क्वी पोस्ट नि मिल्दी।  इन ग्राम ग्रुपुं मा संता -बंता का जोक्स , कपिल शर्मा के जोक्स , ओबामा कनकै राष्ट्रपति बौण आदि पोस्ट मिलदी। अपण गांवक बेज्जती यांसे अधिक क्या ह्वे सकदी ?
आपन कैकि बेज्जती कार ? आपक  बि कैन बेज्जती कार ? आप कथगा इन्सल्ट सहन कर सकदवां ? जरा बतावो तो सही।



 



  6/9  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!




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Garhwali Humorous , Jokes, Garhwali Funny story

 

                 भुंदरा बौ उवाच (जोक्स )  -भाग 11 
 
           चबोड्या द्यूर - भीष्म कुकरेती   -

  आप तैं जब पुलिस/पटवारी  बि नि पकड़ सकद


कुछ अपराध ( ? ) इन छन जै मा पुलिस /पटवारी बि अपराधिक कुछ नि बिगड़ सकद -

समय की  बर्बादी-- यद्यपि यु  राष्ट्रिय अपराध च।

दुसरौ कूड़उंद तातो  पाणी डाळणम

किस /चुम्मा  चोरी

फोटो लटकाण /हैंग करण

कै जोक की ऐसी तैसी करण

पाणी धार /झरना पर गोळी चलाण

कैको दिल जळाण

दिल की चोरी

अंग्रेजी भाषा की  हत्या  करण 



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Bhishma Kukreti

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                 जनान्युं ब्रा अर अंडरवियर पर फैशन पुलिस की बुरी नजर



                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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ब्याळि मि एक दोस्तौ ड्यार ग्यों।  उख कुछ इन छंद आयि कि मि तैं एक जनानिक दैनंदनी पढ़णो मौका मिल गे।  इन कुछ पढ़णो मील -
ये देश मा हरेक धर्म का धार्मिक लीडरान  अब फैशन पुलिसक काम बि करण लग गेन।  अब बतावो जनानी क्या पैरन इखमा कृष्ण मंदिर असोसिएसनौ अध्यक्ष का आदेश का क्या काम ? या म्यार टौप  कथगा छूट हूण चयेंद उखमा बरेली का मौलवी कु फतवा का क्या काम ?  जब मि हाफ  शौर्ट  अर हाफ टी शर्ट पैरिक रस्ता मा चलदो तो लौर्ड कुछ नि बुल्दन किन्तु चर्च मा पादरयुं तै लौर्ड संदेश मा सरमन भेजी दींदु कि जनान्युं खासकर फलण आयु वळु तै इन उयाद कपड़ा , उछंखृल पोशाक , उतड्यूं (अशिष्ट ) पहनावा   नि पैरण चयेंद।  गजब च भै यूँ फैशन पुलिशौ कुण !
                         अचकाल यूँ फैशन पुलिसुं पर एक नया रबत लग्युं च बल बड़ी आयु वळि जनान्युं तै इन पहनावा नि पैरण चयेंद बल जांसे यूँ जनान्युं अंग दिख्यावु।  अब बताओ कुछ मैना पैल इ धर्माचार्य युवत्युं पैथर चंदन , अल्ताब , मोमबत्ती लेकि पड्या छया अब यी अधिक वय वळि जनान्युं पैथर पड़ि गेन। स्त्रीयुं पैथर पोड़ण की जगा यी नंगा राजनीतिग्युं अर नंगा अधिकार्युं पैथर पोड़न तो देशौ कुछ भलो होलु।
 अब मीन बि अपण बटरफ्लाई वळ टैटू दिखाण च कि ना ? अर याँकुण मि तैं एक टाइट जीन्स अर टैंक टॉप चयेंद।  हाँ टैंक टॉप से म्यार पैथरौ हिस्सा मा   छ्प्युं नया नया बटरफ्लाई टैटू तो दिखेण चयेंद किन्तु बड़ा  ब्रा का नेतण (स्ट्रैप ) कतै नि दिखेण चयेंद बस।
                    अब मीम पैसा च तो मि कनि बि , कैबि रंग का अन्डरवेयर ल्यूं फैशन पुलिस वळु तै क्या मतलब कि मि तै कन अन्डरवेयर पसंद च।  मीन सूण बल कुछ फैशन पुलिस बल मॉल वगैरों मा बि गेन अर माल वळु तै हिदैत ना चेतावनी दे गेन कि अधिक वय वळियूं तै कन प्रकार , कन रंग अर कथगा टाइट तक का अन्डरवेयर बिचण चयेंद।  यी धार्मिक नेता हमर अन्डरवेयर की खोज खबर तो दूरबीन लेकि  लीणा छन पर जब नेता , अधिकारी , , हीरो , हीरोइन , खिलाड़ी , साहूकार मंदिरों मा लाखों करोड़ो का दान दक्षिणा मंदिर , गुरुद्वारा , मस्जिद अर चर्च मा दींदन तो यी पंडित , मौलवी , पादरी यूँ दानदाताओं तै किलै नि पुछ्दन कि यु पैसा अंडर द टेबलौ का  च कि डिक्लेयर्ड पैसा च।  हमर अन्डरवेयर का पैथर तो यी फैशन पुलिस इन पड़दि जन भूका कुत्ता बासी लुतको पैथर पड़दो पर यी धार्मिक नेता अंडर द टेबल मा अरबों रुपया वारा न्यारा हूंद वांकी फिकर नि करदन ।  हम सफेद अन्डरवेयर पैरवां या काळो अन्डरवेयर पैरवां यांका उपदेस तो हम तै दीणा छन पर यी जनानी कपडों  चौकीदार भारत मा पचास -साठ प्रतिशत काळो पैसा घुमणु च वांक बारा मा यूँ चौकीदारुंन काळो चश्मा पैर्युं च।
             अब बतावो मेरी उमर जरा कुछ ज्यादा इ ह्वे गे तो मि तै जरा अन्य प्रकार की ब्रा पैरण लाजमी च कि टाइट ब्रा से मेरी उमर बीस ना पंदरा साल तो कम दिख्यावु।  पर इ ड्रेस गार्ड्स ड्रेस डिजायनरों तै धमकी दीणा छन कि विवाहित महिलाओं कुण टाइट ब्रा नि सिले जावो।  कारण च बल टाइट ब्रा से जनानी बच्चो तै दूध नि पिलांदी अर बच्चा मालन्युट्रिसन का शिकार ह्वे जांदन।  यूँ ड्रेस दरिंदों तै जनान्युं  ब्रा पर नजर मारणै उतावली हुईं च पर यी पैनावा संरक्षक उना जनान्युं का तरफ बि द्याखन कि भारत मा औसतन औरत मालन्युट्रिसन की बिमार च अर बच्चों मा मालन्युट्रिसन की असली वजह माओं का मालन्यूट्रिरेसन हूण च ना कि टाइट ब्रा।  कुजगा तो यूँ फैशन गॉर्जियनों की कुटक जाणि च पर असली कारणों पर यूंकि अंधी नजर नी जाणि च।
             फिर भौत सा वेश -भूषा कोतवाल इंटरव्यू दीणा छन बल बड़ी उमर कि जनान्युं तै इन साडी , इन पैंट , इन सुलार नि पैरण चयेंद कि एड़ी से अळगौ अंग नंगी दिख्याउ।  हे नर्भागी एड्युं चौकीदारों ! जरा भारत मा दुसर नगापन का तरफ आँख उठावो  तो सै तो पता चौलल कि
                  जनान्युं एड़ी से अळगौ नंगाईपन कुछ बि हानिकारक नी च पर जब मुल्ला मुलायम सिंह बुल्दो बल नासमझी मा बच्चा बलात्कार कर लीन्दन तो हे धर्माचार्यों ! मुल्ला मुलायम का यी  नंगा बचन स्त्र्युं नंगा शरीर से अधिक विचलित करण वळ वचन छन।  इन बेशरमी का बचनों की चौकीदारी कारो ना कि जनानी क्या पैरन ,  क्या नि पैरन अर कथगा तंग पैरन की चौकीदारी ।  हमारा तंग कपड़ों से सामज तै क्वी नुक्सान नि हूण वाळ  पर देस , समाज मा  तंगदिली , तंगदस्ती , तंगहाल , स्वास्थ्य तंगी , मकान तंगी , शिक्षा तंगी आदि तंगी से नुक्सान हूणु च वांपर टक लगावो।   हमारी  ड्रेस पर कुटक्क नि लगावो।




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                          वरिष्ठ नागरिक सर्टिफिकेट हेतु प्रार्थना पत्र

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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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जब बिटेन मि इकसठ सालौ हूँ , ब्वे  पैथर पड़ गे छे कि वरिष्ठ नागरिको साटिफिकट   लया अर मांक  समर्थन मा बच्चों की मौम बि रोज दनकांदि छै बल अब मि तैं सीनियर सिटीजन सर्टिफिकेट की अर्जेंट जरूरत। च  कुछ दिन त गयेळि  कार पर बिल्डिंग का  वरिष्ठ सदस्यों से नि सयाणु छौ कि मि आम नागरिक की सूची मा रौं।  तो अन्य वरिष्ठ नागरिकों का भारी दबाब पड़न से मी बि वरिष्ठ नागरिक का सर्टिफिकेट लाणो बान  प्रार्थना पत्र लौं।  मीन फॉर्म इन भार।
नाम - मि शेक्सपियर भक्त छौं।  शेक्स्पियरौ बुलण छौ नाम मा क्या धर्युं च ।
 पता - आजकल पता च चोर उचक्का वरिष्ठ नागरिकों पैथर पड्यां छन तो मि पता बताणम असमर्थ छौं।
लिंग - कनो इख हैंक ब्यौ कराणै बि इंतजाम च ? फिर मि सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों , संस्था अर समाज मा लिंग भेदौ विरुद्ध छौं।
कै पद का खातिर प्रार्थना पत्र च - लाल कृष्ण अडवाणी या मुरलीमनोहर जोशी जन क्वी पद।  कृपया संज्ञान लें - भगत सिंह कोशियारी जन पद नि चयेणु च।
शिक्षा - साठ साल से अधिक गरीबी हटावो , अच्छी शिक्षा लावो , अच्छे दिन लाणो  संघंर्षमय  अनुभव। मेरी पुस्तक 'अच्छे दिन कब आएंगे ? ' संलग्न च।
आखरी पद - बताणम शरम आंद।
तनखा इच्छा - अब इच्छा त छवाड़ो  सुपिन दिखण बि बंद ह्वे गेन।
अंतिम कार्य छुड़णो कारण - घुण्ड , मुंड , आंत , दांत , उत्साह , द्वारा असहयोग।
उपलब्ध  समय - निंद पर निर्भर करद।  जैदिन निंद ऐ जावो तो बीस घंटा उपलब्ध छन निथर चौबीस घंटा उपलब्ध छन।
ख़ास कौशल कुशलता - अपण जंग्या मि अबि बि अफिक पैर सकदु। बाइफोकल चश्मा से साफ़ देख सकुद; नकली दंतुंन अच्छी तरां से खाणक खै सकुद ; अपण बीस किसमों  दवै टैम पर खै सकुद ; आज बि कैक काम पर नुक्श निकाळ सकुद  निकाळणु रौंद ; टीवी सीरियलूं जन कौन बनेगा करोड़पति का सब जबाब प्रतियोगियूं  से पैल दे सकुद।
विशेष  रूचि - पीठ पैथर परनिंदा।
मौज मस्ती का मुख्य साधन - एक हैंकाकी छ्वीं इना ऊना लगाण।
पसंदीदा खेल - मुर्गा खेल की जगा द्वी दोस्तुं लड़ै पसंद च।
कैं जगा रिशेटल हूण पसंद करिल्या - पसंद तो न्यूआर्क च पर सरकारी मदद मीललि  त  देहरादून बि बुरु नी च।
स्वास्थ्य कन च - मेडिकल बिल दिखौं या लड़कों की पर्सनल डायरी दिखौं ?
जीवन मा क्वी विशेष उपलब्धि - यीं पंक्ति पढ़न मा दिक्क्त आणि च।
रिटायरमेंट का उद्येस्य - पता लगदि बतै द्योलु।
कै अपराध मा बि पकड़े गे छ ? मजाक नि कारो।  म्यार एकी अपराच च कि मि बुडे ग्यों।
क्वी ख़ास बात जु बताण चैल्या - म्यार लड़िकौंक सख्त हिदैत च कि यदि मीन घर परिवार की बात भैर बताइ तो रातक दारु ,  लिकर बंद।
कसम खाओ कि  मथ्याकि सब सूचना सै छन - अब यीं उमर मा झूठ बोलिक क्या पाण ? अर उनि बि लाखों झूट बोलिक बि क्या पाई ?




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Bhishma Kukreti

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                 चिर सुंदरी भुंदरा बौ हिमालय बचाओ आंदोलन से किलै बितकणि च ?

                 

 -                 



                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
-

भौत दिनों से भुंदरा बौ से छ्वीं बत नि ह्वे छे तो आज 10 सितम्बरौ दिन भुंदरा बौ कुण फोन कार -
मि -हेलो ! चलती है  खंडाला ?
 सुंदरी भुंदरा बौ - तेरी फूफू नीन उना ? वीं तैं इ खंडाला -बंडाला घुमा।
 मि - चलती मसूरी ?
चिरयौवनाभुंदरा बौ - मि तैं क्या अपणी बैणि तै किलै नि लीजाणी छे मसूरी ?
मि -चलती   क्या टमटिंग का सौड़ मा ?
कांत कामिनी भुंदरा बौ - टमटिंग  इ ना  भमटिंग का सौड़ बि  अपणी ब्वे तैं दिखा।
मि -ये बौ !  क्या बात आज मूड खराब च ?
भुंदरा बौ -मूड -फ़ूड की बात नि कौर।
मि -हैं ? आज इथगा दिनों बाद  फोन कार अर तू प्रेम की फुहार छुड़णो जगा अंगार बर्खाणी छे ?
भुंदरा बौ -अरे एक हफ्ता से हम गाँव वळा परेशान हुयां छंवां।
मि -कनो गूणी बांदर बिंडी ह्वे गेन ?
भुंदरा बौ -गूणी बांदर बिंडी ह्वे बि जाल तो बि क्या खै जाला जु हमर बुयूं च।  जख्या जम्याँ छन सग्वड़म अर कुलिण पैथर तो कै च गूणी   बांदरुं डौर ?
मि -त  आज आग का गोळा किलै बणी छे ?
भुंदरा बौ -अरे एक हफ्ता से यि हिमालय बचाण वळुन खाणि पीणि बंद करीं च।
मि -अरे हाँ 9 सितंबर  याने हिमालय दिवस ! चलो ये बहाना हिमालय पर बहस तो हूणि च।
भुंदरा बौ -अबि तक त मि देवर -भाभी की बीच की गाली सुना  रही थी।  अब तीन बि सेव हिमालय , प्रोटेक्ट हिमालय की बात कार ना तो मीन पता नी क्यांक गाळी दे दीण धौं।
मि -ह्वाइ क्या च ?
भुंदरा बौ -अरे एक हफ्ता से मैदान का पर्यार्वरण वादी ऐ ऐका हम तै हिमालय क्या च , हिमालय कु पर्यावरण क्या च अर हिमालय कनै बचाण पर लेक्चर -भाषण दे देक हमर नींद खराब करणा छन अर आज बि क्वी केरल की टीम 'हाउ टु सेव हिमालय ' पर भाषण दीणै आणी च। पुरो हफ्ता 'हिमालय वीक ' ह्वे गे।
मि -अच्छा ?
भुंदरा बौ -हाँ।  पैल उ डबरालस्यूं स्यंळ कठूड़क कुछ तो डबराल आइ अर हम तै सिखाण लग गे बल पेड़ों पर कैसे चिपका जाता है ।
मि - पेड़ों पर कैसे चिपका जाता है ?
भुंदरा बौ -हाँ उ डबराल दिल्ली मा 'चिपको ' NGO चलाँदो।  अर हम गाँव वळु तै हिंदी मा चिपको आंदोलन का बारा मा बथ करणु छौ।  हमन ब्वाल भै तू डबराल छे तो गढवळि छे तो गढवळि मा कि पेड़ों से कन चिपकण। पता च क्या जबाब छौ ?
मि -क्या ?
भुंदरा बौ -बल मुझे गढ़वाली बोलना नही आती है ।  खैर फिर उ हम जनान्युं तैं पेड़ों  चिपकाणो लीग।  पता च वु के के पर चिपक ?
मि -के के पर ?
भुंदरा बौ -पैल उ कांडो बुट्या  चिपकि गे।  तो बि बच गे। फिर वु डबराल जोश जोश मा कंडाळी बुट्या पर चिपक गे अर तब ज्वा बीती वैपर वी सरा गाँव पर वैका किराटन झीस पोड़ि गेन।  वु त डबराल कक्या सासुन वै तै गरम पाणिन नवाई अर सरा शरीर पर कड़ु तेल लगाइ तब जैक वैक किराट बंद ह्वे।
मि -पर भाभी जी ! हिमालय बचाना है तो पेड़ तो बचने ही चाहिए
भुंदरा बौ -अरे पर  स्थिति कुछ हौरि ह्वे गे।  अब खेत बांज पड़ी गेन तो गलत तरांका जंगळ पैदा हूणा छन, जनकि अत्यधिक कुंळै -चीड़ अर लैन्टीना का बौण ।  हम अपणी पेड़ नि काटि सकदां।  इन मा 'चिपको आंदोलन ' ना कुछ हौर आंदोलन चलण चयेंद कि ना ?
मि -हाँ।  अब तो आंदोलन की दिशा हूण चयेंद - हिमालय लायक जंगल को पनपने दो।
भुंदरा बौ -बॉंबे मा रैक तू बि जसपुरौ ललित बहुगुणा  उगावो आंदोलन जन बात करणु छे ।
मि -क्या कौर ललित बहुगुणान ?
भुंदरा बौ -पोरुक साल ऐ छौ वु हिमालय दिवस का दिन ढांगू जसपुर।  अर द्विक सौ डाळ लै छौ।  वैन अर वैकि टीमन नागराजा मंदिर , ग्विल्ल मंदिर अर दैविक मंदिर का रस्तौं डाळ लगै देन।  अर इख बिटेन सीम मुखीम डाळ लगाणो चल गे।
मि -हाँ ललित बहुगुणा बचपन से ही  अभिनव कार्य करदो।
भुंदरा बौ -खन्नु अभिनव कार्य करदो।  अरे जै तै अपण गांवक सामाजिक  ढांचा का पता नि हो वु क्या ख़ाक जंगळ उपजै सकवै सकुद गाँव वळु से ?
मि -क्या मतलब ? ठीक तो कार वैन जु मंदिरों रस्तौं मा डाळ लगवैन।
भुंदरा बौ -डाळ लगाण से जंगळ उगी जावन अर खाली ब्यौ करण से जि बच्चा पैदा ह्वे जावन तो लोग मेनत किलै कारन।  ब्यौ बाद बच्चा पैदा करणो बान घुण्ड हलाण पड़दन  अर जंगळ पैदा करणो बान समाज की वास्तविक भागीदारी चयेंद।
मि -अरे ललित बहुगुणान डाळ लगैन तो बाकी काम तो जसपुर वळु तै करण चयेंद कि ना ?
भुंदरा बौ -अरे पर जसपुरम सामाजिक विन्यास क्या च ?
मि -40 बिट्ठ अर 200 शिल्पकार।
भुंदरा बौ -ललित बहुगुणान डाळ कख लगैन ?
मि -तिनि मंदिरौ रस्ता पर।
भुंदरा बौ -बिट्ठों मा एक बि इन मनिख बि च जु यूँ डाळु हिफाजत कौर साको ?
मि -नै सब लाचार छन।  सब साठ से अळग छन। 
भुंदरा बौ -याने कि डाळु हिफाजत आदि शिल्पकार इ कर सकदन जख बच्चा , युवा अर दान आदिम छन।
मि -हाँ।
भुंदरा बौ -अर शिल्पकारों तै अबि बि मंदिर प्रवेश की मनाही च कि ना ?
मि -हाँ सामाजिक हिसाब से शिल्पकार मंदिर मा प्रवेश नि कर सकदन।
भुंदरा बौ -मतलब जु बच्चा पैदा कौर सकुद वु जोगी बण्यु च अर जैक ब्यौ हुयुं च वु न्यऴतु -नपुंशक च। 
मि -मतलब ?
भुंदरा बौ -मंदिर का रस्तों पर पेड़  शिल्पकारों तैं क्या फायदा ?
मि -पर पर्यावरण    …
भुंदरा बौ -ऐसी तैसी पर्यावरण की।  शिल्पकारों तै इन पर्यावरण  आवश्यकता नी च जु पर्यावरण ऊंको आर्थिक स्थिति से नि जुड्युं हो या सामाजिक न्याय से नि जुड्युं हो।
मि -हाँ मीन यीं दिशा मा नि स्वाच।
भुंदरा बौ -तू अर ललित बहुगुणा ब्राह्मण खानदान का जि छंवां। मंदिरो रस्तों मा पेड़ अर सँजैत जगामा जंगळ पैदा करण से शिल्पकारों तै क्वी फायदा नी च तो जंगळ उगी नि सकदन।
मि -पर हे बौ ! सँजैत गांवक जंगळ मा तो शिलकारों अपने आप भागीदारी ह्वे जाली कि ना ?  शिल्पकार सँजैत जंगळ उगाण मा उत्साह किलै नि दिखाँदन ?
भुंदरा बौ - म्यरा लाटो द्यूर ! जसपुर का सँजैत जगा मा जंगळ उगाण तो शिल्पकारों तै कुछ करण पोड़ल कि ना ?
मि -हाँ बिट्ठऊँ  मुख मा दांत नि छन अर पेट मा आंत नि छन।  सब बुड्या छन तो जंगळ उगाण  शिल्पकारों की 100 प्रतिशत भागीदारी हूणि चयेंद ।   
भुंदरा बौ -अर जब जंगळ उत्पादन को बँटवारो होलु तो तू बि त मुंबई बिटेन ऐली कि ना ?
मि -हाँ सँजैत जंगळ च तो मेरी बि भागीदारी बणदि च।
भुंदरा बौ -तो इन मा शिल्पकार सँजैत जंगल उगाण मा सहयोग द्याला क्या ?
मि -ना।
भुंदरा बौ -इनि ढांगू कैंडूळो संतन सिंग रावत जी ग्वील -जसपुर ऐ छया कि बांज खेतों मा   फल की खेती कारो।  यांसे आर्थिक स्थिति बि सुधरली अर पर्यावरण बि अर हिमालय बि सुरक्षित रालो।
मि -या बात तो सही च।
भुंदरा बौ -ख़ाक सही च।  ग्वील जसपुर मा शिल्पकारों पास खेत नि छन अर बांज पुंगण हूण से वूँ तैं गोर चराणो सुविधा च कि ना ?
मि -हाँ।  गाँव से ही चारागाह शुरू ह्वे जांद।
भुंदरा बौ -अब इन मा क्या बांज खेतों तै बागवानी मा बदलणो  वास्ता शिल्पकार सहयोग द्याला क्या ?
मि -मै नि लगद कि शिल्पकार सहयोग द्याला।  खेत आबाद होला तो चारागाह पर फरक पोड़ जालो।
भुंदरा बौ -अब इनमा क्वी पर्यावरणवादी हम तै सिखैक जाणु च कि बागवानी लगावो तो वै पर्यावरणवादी कुण क्या बुले जालो ?
मि -पर यी पर्यावरणवादी गलत बि त नि छन।
भुंदरा बौ -ध्येय मा क्वी गलती नी च पर एक्जिक्वीसन याने क्रियावनित करण मा भयंकर गलती करणा छन हिमालय बचाओ आंदोलनकारी।



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                                           अदृष्य मूसलाधार बरखा

                 

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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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               वाह मुंबई मा भौत दिनों मा मूसलाधार बरखा ! मुंबई तो डुबण जोग ह्वे गे होली। मि बि जाणदु , तू बि जाणदु अर वै तै बि बिश्वास च बल मुंबई मा बरखा होली।  मौसम विभागन चेतावनी जन शब्दों मा ब्वाल कि आज मुंबई मा पिछ्ला द्वी सौ साल का रिकॉर्ड टूटल - विराट कोहली का ना , आश्विन क द्वारा विकेट लीणो ना बल्कण मा मुंबई मा बरखाक रिकॉर्ड टूटनणै भविष्यवाणी हुईं च।  अवश्य ही बरखा हूणि होलि पर मि तै नि दिखेणि च।  अवश्य ही अदृष्य बरखा हूणि होली तबि त मि तै नि दिखेणि च।
  बच्चा लोग सुबेर बिटेन बिस्तर छोड़िक चौकुं (माने  ग्राउंड ) मा , रस्तों मा , बगीचों मा अयाँ छन।  ये साल बच्चोंन बरखा मा भिजणो सुख नि पायी तो आज जब मौसम विभागन चेतावनी सि भविष्यवाणी दे कि मुंबई मा बरखाक रिकॉर्ड टूटल तो बच्चा सुबेर इ बिटेन भैर छन।  स्कूल वळुन पैलि डौरन स्कुल्यों तै छुटि दे दे कि इथगा बारिश मा कखि कैक बच्चा डूबि गे तो पुलिस तो न पर टाइम्स नाउ अर अन्य टीवी चैनेल स्कूल तैं इ दोषी ठहराल कि ना ? सब स्कुलूंन टीवी चैनेलुं डौरन स्कूल बंद कर्याँ छन कि आज मुंबई मा बरखाक रिकॉर्ड टूटण। पर भारतीय बच्चा बहादुर बच्चा छनत  वु बरखा मा भिजणो रस्ता मा अयाँ छन।  उन सामन्यतया शिक्षा रस्ता मा अयीं रौंदी आज बच्चा रस्ता मा अयाँ छन। पर सब बच्चों तैं अर मि तैं बरखा नि दिखेणि च।  शायद म्यार इ ना बच्चों का आँख खराब ह्वै गे होला।  शायद हम पर बरखौंधी (रतौंधी मा रात नि दिखेंद तो बर्खौंधी मा बरखा मा बरखा नि दिखेंद ) बीमारी ह्वै गे धौं !
                उन तो मुंबई का लोग बमबारी का बीच बि काम पर आणा जाणा रौंदन किन्तु आज ऊंन मौसम विभाग पर विश्वास कार अर भौत सा लोग खासकर सरकारी कर्मचारी काम पर नि गेन तो रोड खाली छया अर आण -जाण आज सरल ह्वे।  जू भारतीय इकॉनोमी अर इंडियन पॉलिटिकल सिच्विवेसन का तरां रस्ता मा अयाँ छया वु सब अपण आँख अर गात टटोळणा छया कि ऊँ तैं या अदृष्य बरखा किलै नि दिखेणि च। मि अर हौर डरणा छया कि भयंकर मूसलाधार बरखा मा कखि रात ऑफिसम इ नि रौण पोड़ल तो सब्युंक ड्यार बिटेन द्वी टैमो भोजन लंच बॉक्स पर कुचायुं च।  म्यार लंच बॉक्स मा तीन टैमो भोजन पैक च।
    आजक सब अखबारुंन मौसम विभाग पर भरवस करिक समाचार छापि देन कि सुबेर पांच बजे से आठ बजि तक प्रथम मूसलाधार बरखा ह्वे गे , दुसर टैमाकि तड़्क्वणिन बारा से द्वी बजिक बीच पड़न अर फिर पांच बजे से लगातार तड़क्वणि पड़ना राला।  हम अज्काल अपण ड्यारो हालत देखिक नि   चितांदा कि अच्छे दिन ऐ गेन कि ना।  अपितु हम मीडिया का ओपिनियनुं  से ओपिनियांदा कि अच्छे दिन ऐ गेन कि ना ? उनि हम अखबारों की न्यूज तै सत्य ही समझणा छंवां कि मा आज सुबेर से आठ बजे तक मूसलाधार बरखा ह्वे।  अखबारुंन पाठकों से बरखा की फोटो भेजणो बि प्रार्थना करीं छै, अर मि बि आज अपण कैमरा लेक ऑफिस अयुं छौं कि क्वी खास बात हो तो मि फोटो खैंचुल अर मओबीएल कैमरा तो तयार इ च ।   सब मुम्बईकर जु बि भैर छन वु अपण अर गात पर कुछ बीमारी चिताणा छन कि ऊँ तैं बरखा किलै नी  दिखेणि च अर गात तींदु किलै महसूस नी करणु च। उल्टां आज से अधिक घाम तो मुंबई वळुन मई मा बि नि चितै छौ।
  सब मूसलाधार बरखा से निपटणौ तयार छन बिचारी म्युनिस्पैलिटी छोड़िक।  अबि म्युनिस्पैलिटी हार्ड समर से निबटणो जू योजना पास ह्वे छे ऊँ योजनाओं तैं पूर  करणम ही व्यस्त छन।  जब हार्ड समर (अत्यंत गर्मी ) से निबटणो योजना पूरी ह्वेलि तबि तो म्युनिसिपैलिटी बरखा से निपटणो योजनाओं पर हाथ लगाली कि ना ?
   श्याम पांच बजि तक एक बूँद बि बरखा नि पोड तो दिल्ली सरकार का तख्ता तो नि हिल, सरकारी  दल का नेताओं की नींद तो नि खुल पर विरोधी दलों का बंद कार्यालयों मा प्रेस कॉन्फ्रेंस रूम मा भयंकर अफरा तफरी मचीं छे।  दिल्ली मा बैठ्याँ सब विरोधी दल वळुन , इख तलक कि बंगाल तक सीमित तृणमूल कॉंग्रेसन बि मौसम विभाग मंत्री से इस्तीफा की मांग कर दे कि मुंबई मा मूसलाधार किलै नि ह्वे अर अब तक क्वी जानमाल कु नुक्सान किलै नि ह्वे।
    सरकार कु तो पता नी कि वींन क्या कदम उठैन पर मीडिया वळुन ही सब कदम उठैन अर पता लगाइ कि मौसम विभाग का पास जु कम्प्यूटर छन वो तो बाबा आदम का जमाना का छन अर समय समय पर रखरखाव नि हूण से यी कम्प्यूटर बीच बीच मा भंयकर गर्मी  की जगह सुनामी अर भयंकर बरखा की जगह भयंकर धुप की भविष्यवाणी कर दींदु।  ब्याळि बि मौसम विभाग का कम्प्यूटर पर खतरनाक वाइरस घुसी गे छौ अर कम्प्यूटर मा भयंकर धूप की जगा भयंकर मूसलाधार की भविष्यवाणी ऐ गे।
   रात टीवी चैनलों मा अच्छे दिन वळुन खराब कम्प्यूटर का अभियोग बुरे दिन वळु पर लगाइ अर बुरे दिन वळुन कम्प्यूटर खराब हूणों अभियोग अच्छे दिन वळु पर लगैक अपण कर्तव्य निभाई। अर ये कीचड़ उछालो खेल मा मौसम विभाग का कम्प्यूटर का बारा मा क्वी बहस ही नि ह्वे।
देर रात फिर मौसम विभाग से भविष्यवाणी आइ कि भोळ मुंबई मा मूसलाधार बरखा का दगड तेज धूप बि होली अर ढांड गिरणै संभावना से बि इनकार नि करे सक्यांद।

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                  जब चिर सुंदरी भुंदरा बौ का  कारण छ्वारा, बुड्या  रतखुनिम नयाण मिसे गेन

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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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     ऊंक गां क्या तुमर विलेज मा बि इन नि ह्वे होलु जन भुंदरा बौक ससुराड़ि गौं मा ह्वे।  सरा गौं मा बूड -बुड्या परेशान कि ये गाँव तै क्या ह्वे गे।  जखम जावो तखम एकी छ्वीं ब्त्था कि अचकालो छ्वारों पर या ऋषि मुनियों बाण कन लग ! यि गांवक युवा वर्ग जखमा ब्यौ बंद वाळ युवा बि छया वी बि गौतम ऋषि तरां रतखुनि से पैलि नये धुएक तयार ह्वे जांदन।
  किशिर याने टीनएजर्स अर युवाओं की ब्वे , बैणि अर बौ सब दुखी छया बल यूँ किशोरुं अर युवाऊँ घाम आण से पैल नयाण से अब उ अपण सुबेर सुबेर का वाकछल कर्मकांड अर स्वास -निस्वास क्रिया अर प्राणायाम से बंचित ह्वे गेन।
जब घ्याळ दा घाम आण तक नि बिजद छौ तो अपण स्वास क्रिया ठीक करणो वास्ता घ्याळ दा कि बैणि तौळ उबर से इ धै लगान्दि छे - भैजि घाम ऐ गे , ग्विरमिलाक हूण वळ च , बिजी जा। घ्याळ दा तक वा आवाज कबि बि नि पौंछि होली पर अभ्यास का  खातिर भुलि अपण धरम निभांदि छे।
नणद की आवाज अभ्यास से जळ भुनिक घ्याळ दाकी बौ रुस्वड़ो  द्वार तक ऐक धै लगान्दि छे - जन जलड़ि   तन डंकुळि ।  हे घ्याळु ! खड़ हो निथर तेरी ब्वेन तेरी ददिक मैत्युं तै अर म्यार मैत्युं तै गैदान की जगा गाळीदान दीण हाँ।  तब बौकि सुणन जरूरी नि छे तो घ्याळ दा पर कुछ फरक नि पड़दो छौ पर ब्वारिक तून/ताना  से घैल - घायल ह्वेकि घ्याळ दाकि ब्वे गाळी मांगळ शुरू कर दींदि छे - ये कन म्वार त्यारू ! निसिणी ह्वेन तेरि ! जा जन सियुं छे तनि सियुं रै   …।
 इना द्यूराणीक गाळी पुराण से जळीक घ्याळ दाकी बोडी आग की भट्टी बण जान्दि छे अर वा बि अपण बेटा तै बिजाळणो धै सग्वड़ बिटेन लगान्दि छे - ये कन बिजोग पोड़ तेकुण ! खत्ता भरेन तेरि ! जा इनि सियां मा खटला मा तेरी डंडलि सज्यावो ! खड़ु हो।  अब द्यूराण याने घ्याळ दाकि ब्वै अपण गाळयूँ की स्पीड हि नि बढ़ांदि छे अपितु गाळयूं मा मर्च  बढ़ै दींदि छे अर फिर जिठाण तै ताव ऐ जांद छौ तो   वा अपण नौनु तै बिजाळणो वास्ता गाळयूँ मा अम्ल -ऐसिड की मात्रा वृद्धि कर दींदि छे।  हाँ अब गाळी अपण पुत्रों तै नि दिए जान्दि छे अपितु बच्चों का दादीक मैत या ब्वार्युं मैत वळु तै गाळी अर्पित हूंद छा।  पर ना तो घ्याळ दा अर ना ही घ्याळ दा का चचेरा भाइक कन्दूड़ गाळी पुराण का प्रवचन सुणदा छा।  द्यूराणि -जिठाणि की गाळी प्रतियोगिता से गांवक हौरि पवित्र नारी बि प्रभावित ह्वे जांद छा  अर हरेकाक घौरम गाळयूंक मांगळ लगण मिसे जांद छा।  सरा गांमा का चौक अर कुलणियूं मा गाळयूं ऋचाएं गुंजायमान ह्वे जांद छा। सरा गांमा गाळयूं ऋचाऊँ कोलाहल से डौरिक चखुल दुसर गां जिना उड़ जांद छ (हालांकि उख बि गाळी श्लोक  हवा मा तैरणा रौंद छया  )। कवियों की कल्पना रौन्दी छे कि गांवुं मा सुबेर सुबेर गौरया की चहचहाट , कोयल की कू कू अर पंछ्युँ की मधुर आवाज गुंजणि रौंद पर ये गांमा किशोर अर सबि युवाओं का देर से बिजणौ कारण हवा मा गाळी बा काटणि रौन्दि छे।
   जख तक नयाणो सवाल च तब गांमा किशोर अर युवा अपण लिखल , जूं अर मैल से जान से बि जादा  प्रेम करदा छा तो हफ्ता द्वी ह्फ़्तौं  मा इ किशोर अर युवा पाणीम जैका नयांदा छा।  गुन्दर जन युवा बि छौ जैक शरीर का लिखल , जूं अर मैल गुंदरूक  शरीर से ऊबी  (बोर ) जांद छया किन्तु गुंदरु महीनों तक नयाणो नाम नि लींदो छौ।  गुंदरु तै गरम पाणि देखिक बि जड्ड़ु लगण बिसे जांद छौ।  किन्तु अब गुंदरु रात खुलण से पैलि नयेणो पंद्यरम पौंछि  जांद छौ।
     पर अब कुछ दिन से गांवक सरा दिनचर्या ही बदल गे।  पाकिस्तान मा आतंकबाद खतम ह्वे जावो तो दुनिया कन आश्चर्य कारलि  ऊनि आश्चर्य सरा गाँव मा फैल्युं छौ कि यूँ किशोरों ,  युवाओं तै ह्वाइ क्या च कि रतखुनि मा इ किशोर , युवा अर कुछ प्रौढ़ बि पाणि -पंद्यर बिटेन   नये धुएक  ऐ जांदन।  गांवकी की आर्थिक स्थिति पर बि फरक पोड़ि गे छौ।  गांवमा साबण की खपत बढ़ण से हरेक गृहस्वामिनी इनि परेशान ह्वे गेन जन आज अल्लु - प्याज का भाव से गृहस्वामनी परेशान छन। किशोर तो किशोर , युवा तो युवा अब तो मड़घट जाण जोग बुड्या बि नयाणो बान रात खुलण से पैलि पाणिम,  पंद्यरम , छिंच्वड़म पौंचि जांद छा।  अब सब किशोर , युवाओं अर बुड्यों पर सुबेर सुबेर स्नान करणो रोग लग गे छौ।
गांवकी जनानी परेशानी की स्थिति मा छे कि ऊंको गाळी ऋचाएं सुणाण से ऊंको प्रणायाम ह्वे जांद छौ अब यु प्राणायाम बंद ह्वे गे  , चिड़ियाएँ दुखी छन  कि अब गांमा जनान्युं जगा डीजे (DJ ) प्रोग्राम ऊँ तै दीण पड़नु च,  इख तलक कि  कुत्ता बिरळ  बि दुखि छन कि अब किशोर , युवाओं अर बुड्यों सुबेर बिजण से ऊँतै सुबेर सुबेर बिजण पड़द। गांव मा किशोर , युवाओं , बुड्यों का सुबेर बिजिक नयांणो प्रकरण से सामाजिक , सांस्कृतिक अर कृषि की आर्थिक  स्थिति बि बदलेणि छे।
    कुछ दिन तो जनानी आपस मा इ छ्वीं लगाणा रैन कि गाँव मा यु भयंकर बदलाव कनै आयि अर अचाणचक सरा मरद जात इन किलै सुदरी गे।  अब जनान्युन सीबीई का सहारा ल्याई याने जासूसी कार।
   अर जब मरद जात का सुबेर बिजण अर रोज रतखुनी से पैल पंद्यरम नयाणो   भेद खुल तो जनानी तो जनानी गांवकी गौड़ी अर भैंसी बि बेहोश ह्वे गेन।
    ह्वै क्या छौ कि भुंदरा बौ जब बिटेन अपण ससुरास आइ तब बिटेन गांवका किशोर , यवा अर बुड्यों मा रतखुनी से पैल नयाणो आदत पड़न शुरू ह्वे गे।
चिर सुंदरी भुंदरा बौ तै सुबेर चार बजि नयाणो की आदत हि नि छे अपितु नळ, धार  या छिंछवड़ तौळ नयाणो आदत जि पडीं छे। तो भुंदरा बौ ससुरास आणो बाद बि सुबेर उठिक पंद्यर /पाणी /पनघट जांदी छे अर मजा से नयेक ऐ जांदी छे।  किन्तु जनि किशोर युवाओं तै पता चल कि चिर सुंदरी रातखुलण से पैलि धारम नयाँदी तो स्निग्ध  , दिव्य , दीप्तमान सुंदरी तै नयाँद दिखणो इच्छा किशोरों , युवाओं मा जागृत ह्वे गे अर पैथर यु इच्छा रोग बुड्यों पर बि लग गे अर सरा गांवक मरद रतखुनी से पैल बिजण लग गेन अर नयाणो बान पंद्यरम अटकि जांद छा कि  चिर सुंदरी का गात की एक झलक इ दिखे जावो।
 यु ठीक ह्वे कि मरद जात सुबेर बिजण लग गे किन्तु बिचारा किशोर , युवा अर बूड्यों  की स्निग्ध  , दिव्य , दीप्तमान सुंदरी तै नयाँद दिखणो इच्छा पूरि नि ह्वे साक कारण तिनि रस्तों मा भुंदरा बौका द्यूर -जगत सिंह बिष्ट , बलबीर सिंह रावत अर दिनेश बिजल्वाण बैठ्याँ रौंद छा अर जनि क्वी पाणि जिना  आवो तो यि आठ नौ सालक द्यूर धै लगै दींदा छा - ऐ गेन !  ऐ गेन !  रिक बाग़ ऐ गेन !
पर ना तो भुंदरा बौन सुबेर नयाण छ्वाड़ ना ही किशोर , युवा अर बुड्योंन सुबेर बिजण छ्वाड़।  गांवकी अन्य जनानी अब गाळी ऋचाएं सुणाण  बंचित ही छन।

(श्री सम्पूर्ण सिंह बिष्ट (डवोली , डबरालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल द्वारा सुनाई गयी एक सत्य घटना पर आधारित )।

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*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                            आत्मसुधार सूत्र अर कुछ आधारभूत कठिनाई

 -                 



                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
-

                परसि एक होटलम चेक इन करण मा देर छै तो मि समय काटणो वास्ता एक पत्रिका पढ़ण मिसे ग्यों।  वीं पत्रिका मा आत्मसुधार का कुछ आधारभूत अर कामक सिद्धांत दियां छया। पर भौत सा सिद्धांतुं तै अपनाण भौति कठण छन।

उखमा एक सूत्र च - हळको भोजन ल्यावो अर प्रेरणात्मक किताब पढ़ो।  अब मि तै कार्टूनुं किताब पढ़न भौत पसंद च अर इन्स्पिरेसनल चॉकलेट , इन्स्पिरेसनल कुकीज़ ,  प्रेरणादायक मटन रोगन भौति पसंद छन।
एक सूत्र च बल दूसरों स्वागत सकारात्मक रूप से कारो।  यांको मतलब तो यी च आप  दांत चमकावो अर हर समय माउथ फ्रेश्नर प्रयोग कारो।
संगठित हिसाब से काम कारो अर कार्य पूर कारो।  हाँ इखम मि सहमत छौं कि कामुँ लिस्ट बणान की जगा कुछ काम तो पूरा कारो।
अपण भूतकाल की सफलताओं तै दुहरावो अर याद कारो।  मि सफलतापूर्वक कखड़ी चुर्याँद छौ , दुसर तै लड़ाणो बान सफलतापूर्वक एकाक गोर दसुराक पुंगड़ खदेड़ दींदु छौ अर  दसक परीक्षा नकल करिक सफलतापूर्वक पास कार। समझ मा नी आणु कि यदि मि यूं सफलताओं तै दुबर दुहरौं या याद कौरुं तो अर्थ कु अनर्थ नि ह्वे जालो ?
दुसर से सलाह मांगो।  इखमा मंगणै बात क्या च ? मि जैदिन बि शराब छुड़णो कसम खांदु वैदिन इ दगड्या खेंचिक दारुक अड्डा लीजाँदन कि  कम मात्रा याने रोज एक क्वाटर पीण से शरीर बि अर मस्तिस्क बि तंदुरस्त रौंदन।
एकैक करिक वुं कामुं तै करण बिलकुल बंद कारो जु तुम तै पसंद नि छन याने अनैच्छिक काम बंद करण बंद करण चयेंद।  मि तै नौकरी करण बिलकुल पसंद नी च अर यदि मि नौकरी करण बंद कर द्युं तो फिर खौं क्या ? परिवार कनकै पाळु ?
रचनात्मक बणो , बी क्रियेटिव , कल्पना मा बहो।  अच्छा गाडी चलांद दैं यदि मीन यूँ सूत्रों का प्रयोग कर दे तो क्या होलु ?
नकारात्मक सोचों तै ल्याखो अर वै कागज तै फाड़ी द्यावो।  मतलब मीन 2000 से अधिक व्यंग्य लिख्याँ छन वु सब फाड़न पोड़ल ? कारण व्यंग्य से अधिक नकारात्मक सोच हौर क्या होलु ?
जु तुम हूण चांदवां वांकी कल्पना कारो।  मि कथगा बि मुंड फोड़ी द्यूं पर यीं उमर मा अब तो  युवा ह्वे नि सकदु।
 धन बचत का बाद जु तुम तै पसंद च वांसे अफु तै पुरस्कृत कारो।  मतलब दिन तक धन बचाओ अर स्याम दै अफु तै पुरस्कृत करणों वास्ता खूब शराब पीओ।
छुट्टी मा  अकेला कखि जावो अर उख भावी योजना बणाओ  ।  ज्वाइंट फेमिली याने सयुंक्त परिवार मा अकेला छुट्टी पर कखि  छुट्टी पर जये सक्यांद च क्या ?
 पत्रिका मा अग्नै बि कथगा इ आत्मसुधार सूत्रछया पर ऊँ तै पढ़णो मौक़ा नि मील कारण तब तक म्यार चेक इन जि ह्वे गे छौ। 







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                          यात्रा मा अफु तैं गढ़वळि कतै नि बतावो

                 

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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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              यात्रा करण जानवरूंक , नेताओंक इ ना मनिखुं चरित्र बि च। दू- दूर फार यात्रा करण अब आम बात ह्वे ग्ये।  अब अमेरिका केवल गुजराती इ नि जांदन बल्कि गढ़वळि बि अमेरिका जांदन , अफ्रीका की यात्रा केवल सिंधी , पंजाबी अर गुजराती नि करदन बल्कि अफ़्रीकी देशों का वास्ता गढ़वळि बि वीसा बणान्दन। बैंकॉक पटाया का मालिस घरों का भैर अब उनियाल , रावत अर टमटा बि रिंगणा रौंदन।
  पर मेरी राय च कि गढ़वळि दिल्ली की यात्रा कारन या अमेरिका की या मकाओ की गढवळयुं तै यात्रा मा अफु तै गढ़वळि नि बताण चयेंद।
 आप रेल का कूपा मा अफु तैं गढ़वळि बतावो ना कि परदेसी  बुलण शुरू ह्वे जांद ," अच्छा अच्छा ! वो आप की ही इन कौम च ज्वा अपण भाषा बोली छुड़दि ?"
 फिर आपन  ये भाषा कु गौळ तै कनि  बि टपि दे तो दुसर सदाबहार टिप्पणी मिल्दि , "अच्छा आप लोगुंन अपण पुंगळ पटळ करण छोड़ी दे हैं ? हिमाचल वळुन खेती किलै नि छोड़ि होलि ?"
 जरा आपन ब्वाल ना कि आप नैनीताल या देहरादून तरफां का छवां तो पुछणवळ बोल्दु ," अच्छा अच्छा ! नारायण दत्त तिवारी का गांवका छंवां।  एक बात बतावो ऊना हिमालय मा इन क्या जड़ी बूटी मिल्दी कि पिचासी साल का बुड्या बि   .... ?"
आप यांक जबाब मा बोलि देल्या ," नै नै हमर इक हेमवती नंदन बहुगुणा जन नेता बि छया। "
तो हैंक परदेसीका उत्तर तयार रौंदु, औ ! घर्या कज्याण तै पागल घोषित करिक दुसर ब्यौ ! मजा छन यार तुमर। "
फिर तुम बतैल्या कि तुम बद्रीनाथ -केदारनाथ का छंवां। तो बरोबर टिप्पणी आदि ," लैंड स्लाइड ही लैंड स्लाइड ! आपदा ही आपदा ! तुमर इखाक ऑफिसर बड़ा भ्रष्ट छन भाई।  आपदा प्रबंधन मा जांद स्कूटर मा छन अर बिल कार का लगांदन। "
यदि तुम बात तै मिलिट्री का तरफ मोड़ो तो भी परदेसी का प्रश्न हूंद ," ये मैना आपक परिवार मा पाक फ्रंट मा , चाइना बॉर्डर या नक्सली हमला मा कु शहीद ह्वे ?"
यदि फॉरेन कंट्री मा कैन वै  विदेशी  धुर्या लेखक की जौनसार बाबर मुतालिक किताब पढ़ीं हो तो इन बि टिप्पणी आंद, " अच्छा तुमर इकु ब्वे हूंदी अर कथगा इ बुबा ?"
जब तुम अफु तै गढ़वळि बताओ तो इनि कुछ कमेंट्स मिल्दन।
किन्तु परदेसी चाहे भारत का हो , अमेरिका का हो , जपान का हो या ऑस्ट्रेलिया को हो हरेक परदेसी अंत मा एक प्रार्थना अवश्य करद , "भाई साब !  मुझे एक ईमानदार कुक , खानशामा की शख्त जरूरत है।  गढ़वाली बोर्न ऑनेस्ट कुक  होते हैं।  दो  चार ऑनेस्ट कुक भेजिए ना !"
इन मा अफु तै गढ़वळि नि बताण चयेंद कि बताण चयेंद ? आप इ मि तै सलाह द्यावो जी।



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         क्या नरेंद्र सिंह नेगी जीक इन्सल्ट  कौमेडी मा बेज्जती ह्वे  सकदी ?

                 

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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   
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 अचकाल भारत मा रोस्ट कॉमेडी , इन्सल्ट कॉमेडी याने बेज्जती करदारो हास्य को बोलबाला च।  कपिल शर्मा कु शो ह्वावो  , कॉमेडी सर्कस ह्वावु  या कॉमेडी बचाओ शो हो या क्लबुं मा छुट मुट या बड़ा स्टेज शो ह्वावन धौं सब जगा एकी तरां की कॉमेडी करे जांदी।  अर वा च दुसराकी  भद्दी से भद्दी , गंदी से गंदी  ढंग से बेज्जती करे जावो।   बेज्जती  जथगा ज्यादा हो कॉमेडी शो उथगा सफल  माने जांद।  इन हौंस , हास्य, कॉमेडी  कुण रोस्ट कॉमेडी , इन्सल्ट कॉमेडी अर अमेरिकी अफ़्रीकी समाज मा द डोजर्स बुले जांद।  समिण वाळ तै नंगी  करण ही रोस्ट कॉमेडी कु ध्येय, उद्देश्य , मोटिव हूंद। गढ़वाली मा इन शो तै नांग/नंगी  दिखाण बि बुले सक्यांद।
   अब जब दुसर तैं नंगी करण , दुसराकी बेज्जती करण से कॉमेडी शो सफल हूणा राला तो गढ़वळि मा बि रोस्ट शो ह्वावन या नि ह्वावन पर गढ़वाली रोस्ट शो बारा मा त सुचे सक्यांद च कि ना ?
रोस्ट , इन्सल्ट कॉमेडी की पैली अर आखरी शर्त हूंदी कि रोस्टेड (जै तै भड़ये , भर्चये जांद याने बकरा ) सेलिब्रिटी हूण चयेंद अर रोस्टर (भड्याण वाळ ) बि सेलिब्रिटी हूण चयेंद।  पर हम तो गढ़वळि छंवां अर हम अपर अलावा कै हैंक गढ़वळि तै सेलिब्रिटी माणदा इ नि छंवां तो इन मा रोस्ट कॉमेडी शो ह्वाल कि ना यां पर मै तै शक च।
 खैर माना कि कै बि तरां से हम गढ़वळि मानि बि जवां कि म्यार अलावा हैंक गढ़वळि बि सेलिब्रिटी ह्वे सकद तो भी गढ़वाली रोस्ट या गढ़वाली इन्सल्ट कॉमेडी शो या नंगी दिखावो शो सफल नि ह्वे सकदन।
 गढ़वळि मा सबसे बड़ा सेलिब्रिटी राजनैतिक नेता ही छन।  याने कि यदि गढ़वाली रोस्ट कॉमेडी शो सफल करवाण हो तो नेताओं तै बेज्जती करवाणो बुलाण पोड़ल।  चलो बेशरम, बिलंच , बेदर्द नेता अपण बेज्जती करवाणो ऐ बि जाला तो दर्शकुं तै वीं बेज्जती मा मजा नि आण।  भई नेताओं की जथगा बेज्जती पत्रकार करदन तथगा बेज्जती रोस्टर तो कर नि सकुद तो इन मा दिखंदेरूँ तैं मजा ऐई नि सकुद।  फिर पत्रकारुं से अधिक तो नेताओं तै विरोधी पार्टी वळ भरच्यांदन, भड़्यांदन , रोस्ट्यांदन तो विरोधी पार्टीक समिण रोस्टर की क्या बिसात कि कै नेता की अधिक बेज्जती कर साकन। फिर नेताओं का विरोधी नेताओं से अधिक नंगी तो अपड़ी पार्टी का नेता करदन अर अपणी पार्टी का दगड्या अपण सहयोगी नेता तै   इथगा अधिक नंगी करदन कि नेताओ का क्वी कार्य बच्युं इ नि रौंद कि हौर कुछ नंगी करे जावो।  इन मा रोस्टर कै नेता तै नंगी करणो कोशिस बि कारल तो दर्शक उबाऊ शो का कारण रोस्टर की चड्डी उतार द्याला कि बासी तिबासी जोक्स सुणानु छे ?
अच्छा फिर खण्डूडी , पोखरियाल , सतपाल महाराज, टिहरी राणी की क्या बेज्जती करण?  जब नरेंद्र मोदीन मंत्रीपद नि देकि यूँ नेताओं कि इथगा बड़ी बेज्जती करीं ही हो तो क्या दुनिया मा छ क्वी माई को लाल जु यूँ बिचारुं कि हौर बेज्जती कार साको ? ना भै ना ! यांसे अधिक इन्सल्ट यूं नेताओं कि नि ह्वे सकदी।
 हाँ नारयण दत्त तिवाड़ी की बात अलग च।  पर वै शोन हास्य शो ना श्रृंगार शो बण जाण तो इन कॉमेडी शो मा कैन बि नारायण दत्त तिवाड़ी तै नि न्यूतण।
जख तक सरकारी अधिकार्युं मादे सेलिब्रिट्यूं  को सवाल च तो अजकाल एकी सरकारी अधिकारी फॉर्म मा छन अर उ छन अजित डोभाल। पर गढवली अधिकार्युं  एक सिद्धांत च बल भोजपुरी प्रोग्रैम मा चली जावो किन्तु गढ़वळि प्रोग्रैमुँ मा कतै नि जाण तो इनमा गढ़वळि रोस्ट कॉमेडी शो का वास्ता सेलिब्रिटी अधिकारी मिलण से त राइ ।
  अब गीत संगीत का सेलिब्रिट्यूं से रोस्ट कॉमेडी शो ह्वे सकद च अर हूण बि चयेंद।
किन्तु गीत संगीत का सेलिब्रिट्यूं बेज्जती करण इथगा आसान काम बि त नी च जी।
जीत सिंह नेगी या चन्द्र सिंह राही जी तै बेज्जती करवाणो बुलाये जै सक्यांद।  किन्तु फेसबुक्या अर व्हट्सअप्प्या पीढ़ी तै पता इ नी च बल जीत सिंह नेगी या राही जीका  क्या योगदान च तो इनमा रोस्ट  कॉमेडी शो को ही बरखबान हूण।
गजेन्द्र राणा की बेज्जती ह्वे सकदी च ।  किन्तु गजेन्द्र राणा की इथगा बेज्जती ऑलरेडी ह्वे गे कि अब बेज्जती बि हौर अधिक बेज्जत हूणों तयार नी च। याने गजेन्द्र राणा तै इन्सल्ट कॉमेडी शो मा नि भट्याये जै सक्यांद।
बकै गीतकारों का इन ऐब लोगुं तै पता बि नि छन कि ऊँ ऐबो गुणगान से से हास्य पैदा  हो।
हाँ नरेंद्र सिंह नेगी जी  यदि इन्सल्ट कॉमेडी शो मा शिरकत कारन तो शो हिट तो अवश्य ह्वे जालो पर सवाल या च कि बिरळौ गौळउंद घांडी कु बांधल ? नेगी जन सूर्य की कु अभागी बेज्जती करणो हिम्मत कारल ? द्याख नी तुमन ? फेसबुक मा द्वी दै पाराशर गौड़न नरेंद्र सिंह जी की काट क्या कार कि सबि फेसबुक्या गौड़ जी तै काटणो कनाडा पौंछि गेन। अर गजेन्द्र राणा का क्या कुहाल हुयां छन ? मतलब नेगी जीकी बि बेज्जती मजाक मा ही सही ह्वेई नि सकदी। अर जब बेज्जती नि ह्वावो तो व शो इन्सल्ट कॉमेडी शो ह्वेई नि सकद।
साहित्यकारों बेज्जती ह्वे त सकद च पर गढ़वळि लोग गढ़वळि साहित्यकारों तै सेलिब्रिटी ही नि माणदन तो दर्शक साहित्यकारों बेज्जती क्या द्याखल ?
हाँ साहित्यकार डा राजेश्वर उनियाल की बेज्जती ये  विषय पर अवश्य ह्वे सकदी कि डा उनियाल तै हिंदी राजभाषा सम्मान मछली विभाग मा हिंदी का कार्य पर मील किन्तु अफवाह या उड़ाई जाणि च कि डा उनियाल तै उत्तराखंड लोक साहित्य सृजन पर राजभाषा सम्मान मील।  पर मुंबई का द्वी चार लोगुं अलावा डा उनियाल तै कु साहित्यकार माणदु कि डा राजेश्वर तै इन्सल्ट करणो बुलाये जावो ?
मेरी समझ मा तो गढ़वळि इन्सल्ट कॉमेडी शो सफल नि ह्वे सकुद।  हाँ यदि आप माणदा छंवां कि गढ़वळि मा इन्सल्ट कॉमेडी शो सफल ह्वे सकुद च तो बतावो कि कै गढ़वळि सेलिब्रिटी की बेज्जती ठीक राली ?
 

           



  5/10  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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