Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 144870 times)

Bhishma Kukreti

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  मुर्ख लोगुं बीच रैल्या तो मूर्ख इ ह्वेल्या !
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  चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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 साढ़े तीन  सालौ नातिन ब्वाल बल - ग्रैंडपा मुर्ख शब्द नखुर शब्द च , बुरु शब्द च , डर्टी वर्ड च।  मैं नि पता कि कैन वैमा ब्वाल बल मुर्ख शब्द नखुर शब्द च पर अंथाज ह्वे इ गे छू किलैकि बार बार नाति बुलणु   छौ ," यदि आपन मुर्ख शब्द ब्वाल त मीन ददि मा बोलि दीण। "
मि जणन चाणु छौ कि वु किलै 'मुर्ख ' शब्द  तैं खुराफाती शब्द मानणु च।
"म्यार टँगटँगु ! तू किलै सुचणु छै कि मुर्ख शब्द बुरु   ..."
" ग्रैंडमा ! ग्रैंडमा ! ग्रैंडपान मुर्ख शब्द बोलि दे। "
" बेटा ! मि त खाली पुछणु छौं बल  तू किलै सुचणु छै कि मुर्ख शब्द  ... "
"दादी ! दादा जी ने फिर से मुर्ख शब्द द्वरै   "
" ठीक च।  ठीक च ऐन्दा से मि मुर्ख नि बुलल "
"दादी ! दादी ! फिर से  "
" सौरी टँगटँगु ! मुर्ख शब्द का वास्ता "
"दादी !"
 अब मि मुर्ख शब्द बुलण बन्द नि कौर सकुद अर जु मि बिंडि देर उखम रौंद त टँगटँगु की  दादीन मैं तै इ डंटण छौ बल मि बच्चाके समिण मूर्खतापूर्ण बथ किलै करदु तो मि उख बिटेन खसकि ग्यों।
पर कख नि हूणी च मूर्खता वळि बथ ?
श्याम दैं न्यूज टीवी चैनलों मा  सब मूर्खतापूर्ण बहस ही हूंदी।  अब बथाओ जब नरेंद्र मोदी ब्वालल बल पिछ्ला साठ सालों मा कुछ ह्वाइ नी च , या  राहुल गांधी ब्वालल बल नरेंद्र मोदीन अमेठी की सड़क नि सुधारिन या नितीश कुमार ब्वालल बल भाजपा जन्म से ही नॉन सेक्युलर  पार्टी च तो तुमन नि बुलण कि सरा दुनिया ही मूर्ख च।  केजरीवालै बात नि  करणै  किलैकि केजरीवाल समजद कि यदि वू अण्णा हजारे तैं मुर्ख बणै सकुद त सरा दुनिया तैं वु मुर्ख बणै सकुद।  पता नि कु कै तैं क्या समजणु च , कथगा समजणु च अर असल मा कु च मुर्ख ? पता नी।
अब मूर्खतापूर्ण बथों  तै बतायां बगैर बि त नि रयांद। क्वी कीड़ा मकौड़ा खैक वर्ल्ड रिकॉर्ड  बणानु च , क्वी गुरा खैक वर्ल्ड रिकॉर्ड  बणानु च त क्वी  बिच्छुऊं से कटवाणु च।  सब मूर्खतापूर्ण बथों मा व्यस्त छन।
  जरा टैक्सी , औटो से जावो तो डराइबर जख नि कुचयान्दि स्यूण तख कुच्याओ सब्बळ की तर्ज पर ट्रैफिक जाम करै दींदन , हॉस्पिटल का समिण बोर्ड लगयूं रौंद 'हॉर्न ना बजाएं ऊख हॉर्नुं सबसे अधिक प्यूंपाट हूंद।  फैक्टर्यूं मा वर्करों तैं हिंदी बि नि आदि पर उख  क्वालिटी कंट्रोल , सेफ्टी , प्रोडक्सन सिद्धांत का पाटी   अंग्रेजी    माँ टँगी रौंदन।     
अब  च मि 'मुर्ख ' शब्द ड्यारम नि बोली सकुद , नरेंद्र मोदी राहुल गांधी  या अस्सुदुदीन ओवैसी  तक मेरी पौंच नी च , ड्राइवरों तै मि मूर्ख नि बोलि सकुद , मार खाण क्या ? फैक्ट्री मा बॉस से मूर्खतापूर्ण बोर्डों बारा  मा कुछ नि बोल सकदु।  नौकरी से हथ धूण क्या ?
  मतलब च बल मूर्खतापूर्ण बात द्याखो किन्तु चुप रावो।  पर एक लेखक तैं लेखिक या मौखिक भड़ांस तो निकाळणी च अर डौर या बि च कि म्यार  लेख से क्वी म्यार भट्युड़ नि त्वाड़ द्या।   
तो सबसे सरल उपाय च मूर्खों तै ऊंकी मूर्खता गढ़वळि मा बतावो।  कैन क्या मेरी  घरवळिन बि गढ़वळि नि पढ़न तो भड़ांस निकाळनो सबसे उत्तम उपाय गढ़वळि मा गाळी द्यावो अर  कैकि डौर भौ से दूर रावो ।  क्वी बि गढ़वळि कवि या गद्यकार दूसराक गढ़वळि  गद्य नि पढ़द त नरेंद्र मोदी , राहुल गांधी या अस्सुदुदीन ओवैसी मा मेरी दियीं गाळि  क्या पौंछलि !     


       
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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  8 / 9/ 2016
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।


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Bhishma Kukreti

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   नायक दिखण या  नायक बणन ?
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  चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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 मि कोटद्वारम अपण बंगला    मा इखुलि छौ अर 'हमारे  नायक ' टीवी सीरियल दिखणु छू।  हरेक एपिसोड बड़ा  रोमांचकारी , आकर्षक अर एक बि पल छुड़न लैक नि छौ।  ड्यारम क्वी नि छू तो डिस्टर्ब्याणौ कवी जंजाल छौ बि ना।
मि  'हमारे नायक ' दिखणम बिलकुल डुब्यूं छौ।  कि इथगा मा भैर बिटेन इन आवाज ऐ जन बुल्यां कै कुखड़ी मा कैन तातो पाणी डाळि दे हो अर कुखड़ी फत फत करिक फतफताणि,  भतभत्याणि , सकस्यट्याणि    हो।   मैं तैं इन कुखड़ि दिखणम रौंस नि आंद।  मि तै मौण कटीं  मुर्गी या मौण कट्यूं  मुर्गाक भतभताट मा अधिक रौंस आंद अर फिर भड़यूं शांत मुर्गा या मुर्गी  मा।  मि बेखबर 'हमारे नायक ' दिखण मा इ ब्यस्त रौं।
 पण अब मुर्गी म्यार ड्वार भड़भड़ाणि छै जु मुर्गी कुण असंभव  छौ अर उनि बि क्वी बि मुर्गी या मुर्गा मुरगाखोर का दरवज पर धै लगैक नि आंद कि ले मि तैं घूळ।
 दरवजौ  भड़भड़ाणै  आवाज 'तारक मेहता  का उल्टा चश्मा ' की दया बेन द्वारा  द्वार भड़भड़ाण से अधिक तेज छौ।  मि द्वार पर औं अर की होल से द्याख त द्वी तीन बंगला पार की पड़ोसन मालती छै।  वीन बरामदा की लाइट से बचणो  बान माथा मा हाथ धर्यूं छौ।  द्वार खोलिक मि जनि भैर औं तो वींन जगता सगती मा ब्वाल - अधकपाळिन म्यार मुंड फटणु च।  या तो मि तै घुमाणो लिजाओ या डाक्टरम।
मि यिं उमर मा अबि बि रात मा गाडी चलै लीन्दो तो मीन मालती तैं अपण मोटर साइकल मा पैथर बिठाळ अर मोटर साइकल तै दुगड्डा जिना दौडै दे।  क्वी आधा पौण घँटा  बाद वींन बोलि कि अब वींका अधकपाळी दूर ह्वे गे तो मि वापस ऐ ग्यों।  वीं तै वींका ड्यार छोड़िक औ।  द्वार खोलिक भितर ग्यों तो 'हमारे नायक ' सीरियल अबि बि चलणो छौ।  अब मेरी इच्छा 'हमारे नायक दिखणम कत्तै नि रै गे छै।
अधिकतर दुसर 'नायक ' दिखण से बढ़िया अफु ही 'नायक' बणन ठीक रौन्दु।  नि बोल जाण ?                               


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  10/ 9/ 2016

Bhishma Kukreti

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Garhwali Humorous, Satirical Dictionary


 
                                           कु क्या क्या व्यवसाय करद ?

                                        गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग -  52     

                               Garhwali Humorous and Satirical Dictionary part - 52
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                                     खुज्याण , छिंडन,  बिंवन,    ::: भीष्म कुकरेती

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जु ज्यामितीय रेखाचित्रों से कै निर्माणक  योजना बणाद  पर वे तैं पता रौंद कि ये रेखाचित्र से निर्माण ह्वेई नि सकद - पी डब्ल्यू डी कु सिविल इंजीनियर

 हर समय खिड़की से भैर इ दिखणु रौंद - हवाई जाजौ चालक

जु लोगुं तै बथांद कि तुम उथगा खर्च नि कर सकदा जथगा तुम कमांद छंवां -सरकारी विश्लेषक या टैक्स सलाहकार

जु दुर्भाग्यशाली मनिखों अर कुजगों   की फोटो खैंचद -X रे टेक्नीशियन

 दुर्भाग्य अर   दुर्भाग्यूं  से लाभ कमाण वळ  -पुलिसकर्मी

चीजुं तैं एक ट्यूब से दुसर ट्यूब मा डाळणु रौंद -माइक्रोबाइयोलौजिस्ट

 अपण जगा से भागद अर पुलिस तै खबर दीन्दो - सुरक्षा कर्मी
औरूं सुपिन मा बड़बड़ान्द -प्रोफ़ेसर

इन शब्द लिखद जै तै क्वी नि पढ़न चांद - तकनीकी लेखक

लोगुं तै अहसास दिल्लान्द कि ऊंन खराब काम कार -गुणवत्ता निरीक्षक

जु द्वी व्यक्तियों तै एक दुसर से घृणा करणो हुस्क्यांद -तलाक वकील   


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 @ Bhishma Kukreti , Mumbai, India ,11 /9 //2016

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                                      स्वच्छ भारत ! स्वच्छ भारत ! बुद्धिमान भारत !

Bhishma Kukreti

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           भैंसक गुस्सा मकड़ा पर
  चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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म्यार गाँव मा एक छौ  छवण दा । छवण दा क बुबा जीन हमर इ गांवक मास्टर जी सीताराम की काकी तै सँजैत जंगळौ  लखड़ कटद देखि अर वींकि दाथी लूंठी दे।  सीताराम मास्टर तैं डंड भरण पौड़।  मास्टर सीतारामन छवण दा  चारम फेल कर दे।  मीन मास्टर जीकी भतीजी तै खेल इ खेल मा पीटि दे कलजुगी मास्टरन मै तै कला /आर्ट मा फेल कर दे। भैंसक  गुस्सा मकड़ा पर।
इंदिरा गांधी तै तबाक गृह मंत्री चरण सिंगै जेल कराइ।  जेल से इंदिरा गांधी तैं जामिन मिल गे  तो चरण सिंगन कथ्या इ अधिकारी, लिपिक  अर चपड़ास्यूं बदली करे दे।  बागणी गुस्सा छौंनों पर।
इंदिरा गांधी बि कम नि छै वा बि कैको गुस्सा कै पर गाड्दी इ छै। भेड़िया कु  गुस्सा किदल पर।
भैंसक  गुस्सा मकड़ा पर  आजै बात नी च।   पुराणो से यु खेल चलणु च।
नबाबजादा जब बि मदरसा मा भर्ती हूंदा था त दगड़म चार पांच गरीबजादा बि भर्ती करे जांद था।  जब बि नबाबजादा क्वी गळती कारो  ना   कि उस्ताद की सोटी गरीबजादों की पीठ पर पड़दी छै।  एवरी थिंग वज ऑफिसियली। याने भेड़िया कु  गुस्सा चखुलि पर।
कखि क्वी घोटाला ह्वावो अर मंत्री जी पर आंच /तैंचि आणि वळ हो कि मंत्रालय का चपड़ास्यूं बदली ह्वे जांद।  अखिलेश सरकार मा या मायावती सरकार मा यु रोजाना रोजनामचा च।  चकड़ैतूं गुस्सा मुर्गी पर।
कुछ दिन पैलि  उत्तर प्रदेश मा कै बाबा या महर्षिन अपण आश्रम से पुलिस पार्टी पर गोळयूँ बौछार  कौरी अर फिर बड़ी ल्वै खैतरी ह्वे।  यूपी सरकार तै पूछे गै बल आश्रम मा इथगा असला कनै आयी ? तो  जबाब थौ बल हमन तेरा  क्लर्क , तेरा चपड़ासी अर पुलिसक तीन हवलदारो तैं सस्पेंड कौर आलिंन।  मरखुड्या सांडक गुस्सा मोळकीड़ू पर।   
अब सी कर्नाटकम कावेरी नदी जलविवाद पर पता नि कथगा सरकारी बस   जळिन  धौं।  आज भोळ खबर आलि कि एक सौ क्लर्कों बदली ह्वे गे। 
बस युगों से यी होणु च बल बाग़ खुराफात करदो, भेड़िया खुराफात करदो  अर  गुस्सा मा  किदल मारे जांदन।   
 
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Bhishma Kukreti

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Garhwali Parody Satire, Land acquisition
गढ़वळी गीता सार कथा
रचना-अखिलेश अलखनियाँ
Garhwali Humor and Satire by Akhilesh Akhaniya

त बल लड़ै लग गी एक तरफ पांडव छन जोंकी दगडी चकड़ैत कृष्ण भगवान छन अर हैंका तरफ बीटी कौरव अफरी म्वारों की जन सेना लेकी खड़ा होयान। सुंण मा औणु बल कौरवोन पांडवो थैं सुंणै नोक बराबर पुंगडा भी देंण से झाड़काटी ना बोलेल, अब त लड़ै पक्का छ। बोड़ा धृतराष्ट्र कुजणी क्या होलु खुजोंणु इनै उनै, हे बल संजू भुला ऐ संजू कख छै रे गयी अरे ऐ लाटा संजय जरा यख औदी फटाफट। तबरयो संजय फटाफट दनकी तै गिच्चा भीतर गुण गुण कै तै ओंदू, क्या व्हे होलू ...ये बुड्यन मी चैन से नी रौंण देंण,क्या व्हे भैजी ? किलै मचयु तुम्हारु ढमड्यात क्या बात? अरे भुला संजू सुबेर तेरी बौन यार दुर्जोधनै पाणी पिठै कारी लड़ै तैँ पठाई, जरा भुला आँखों देखा हाल बतोs दs। संजय मुंड पर खज्जी करी बुन्नू क्या छ यार भैजी तुम इखरी इखरी पितोंणा रौंदा कुछ काम धाम नी तुमरु, अफ त तुमरी स्या घिमस्यांण (कौरव) लोख्वा उजाड़ खांणो छोड़ी छा अर मै छा यख घडी घड़ी परेसान कन्ना, एकाध त रौंण देंदा घौर मू। अब देखा बात या छ की आँखों देखा हाल बतोण छन त थोडा खर्चा पाणी लगलू सुद्दी थोड़े होयु तुमतै। खर्चा पाणी कन् खर्चा पाणी रे, तू त यख काम करदे क्वी फ्रीफंट मा नी कन्नी रूप्या मिलदन त्वे रुप्या हा।अरे बल भैजी रुप्या त काम करयां का मिलदन..यु जू सीधा प्रसारण छ वू क्या फ़ोकट मा दिखेंदू।सीधा प्र..सा..र..ण ! तू क्या मी तै मोलsमाध्यो जंण दे,अरे मीन सूंणी की बल अजकाल फ्री हाई-फाई क्या बोल्दा होला माचू...उ लग्यान् जगs जगs अर तू खर्चा पाणी की बात कन्नी। अरे भैजी वू वाई-फाई होन्दू, वाई-फायी त तै पांडवा लड़िकन क्या नौ छ तैकू हा अर्जुन वेका तीर मार मारी तोड्या छन सिग्नल पकणन कखन छन अर उन भी मेरी अफरी कंपनी छ ज्वा पैसा लेंदी क्वी अम्बानी जिओ नी ज्वा फ़ोकट मा काम करै द्यो.ठीक छ भुला तू भिंगरेणी किलै छै बाद मा हिसाब किताब बराबर कै लेला ठीक छ,अब यन बोल युद्ध भूमि मा क्या होणु। अथ संजय उवाचः बल भैजी द्वी सेना कौरव अर पांडव अमणा समणी खड़ी चा तबरयो कृष्ण भगवान् द्वी सेनाओं पर कुजणी कू देवता घतोंदन की द्वीयी सेना छले जन्दे अर जखमू छै वखी मू खड़ी रै जन्दे। अब चकड़ैत कृष्ण अर्जुन तै बिंगोणा छन बल लड़ै कौर पार्थ लड़ै कौर। धृतराष्ट्र बुन्नू जब वू अर्जुन लड़ै कन ही नी चांदू त कृष्ण किलै छ वेतैं चुंग्न्योणु,कृष्णा सदनी यु काम रैगेन।हे बुड्या तू बीच मा हल्ला न कार वो चुपचाप सुंण ली(संजय बुन्नू )।अथ कृष्ण उवाचः बल अर्जुन क्या लेकी अऐ छै तू अर क्या लेकी जाण तिन..खाली हाथ अऐ अर खाली हाथ जाण...अर्जुन बुन्नू बल प्रभु अगर इन छ त मेरी बिंगण मा इन नी आणी यु जू बड़ा बड़ा सौकार,उद्योगपति,नेता लोग छन वू बिल्डिंग,जमीन जायदात,बैंक बैलैंस किलै छन बढ़ोण पर मिस्यान अर मीन त सुणी क्वी क्वी त स्विजरलैंड मा भी कालू धन छन रखणा,यु कालू धन क्या होन्दू प्रभु।कुजणी भै यु कालू पीलू धन क्या व्हाई मीन त कबी मनख्यो मा भी रंग भेद नी कार त अब मनख्योन ही यु भेद करी... चा धन कू हो चा मन कू हो, अफि भुक्त भोगी छ मनखी। कृष्ण उवाचः बल जन पुरणा लत्ता कपडा छोड़ी हम नया लुक्का पैरदा उन्नी आत्मा पुरणी गात छोड़ी नयी गात मा घपरोल करदी। अर्जुन बुन्नू बल ओ अब आयी मेरी समझ मा ,कृष्ण पुछणन बल इन क्या आयी तेरी समझ मा जरा मी भी जाणु। बल ई अब बिंगयो मी यु जू भ्रष्टाचार छ वू भी एक गात छोड़ी हैंकी गात मा खुटू धन्नू छ यान् ही यु भ्रष्टाचार नी जाणी या अजर अमर छ। औ हाला तू त धीरू धीरू समझदार होणी छै शाबाश मेरा काला।कृष्ण बुन्ना छन जू व्हाई वू अछू व्हे,जू होणु छ वू भी बढ़िया छ अर जू होंण छ तैन बी ठीक होण मने भूतों पछतों नी कौर,भोळ की चिंता नी कौर अर आज तै चलण दी। द बोला धौं प्रभु अर मै लाटू यन छ सोचणु उत्तराखंडै स्थिति गैरसैंण राजधानी बंण से ठीक होंण बळकम हमरा हाथ मा त कुछ छैंयी नी... जू होणु छ वे होंण द्या गिच्चा पर बुजडु रखी।कृष्ण उवाचः ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ बल हे अर्जुन तुम अफरी काम धांणी पर लग्या रां आमैं दांणी स्यांणी छोड़ दे,तू बस काम कन्नू रौं फलैं इच्छा नी कार। द बोला धों प्रभु या छ बात(अर्जुन कृष्ण तैं देखी बुन्नू)। क्या बात रे क्या छै बोलणी। बल प्रभु सैद हमरा गढ़-कुंमों का बीर भड़ों,नोन्यालों,स्वतंत्रता सेनानियोन भी बिना कैं चीजे स्यांणी उत्तराखंडै अलग राज्य की लम लड़ी,मी यन लगणु उन भी कै फलैं इच्छा बिगैर राज्य थैं जुद्दी होँणै मांग रखदे, अगर वूंतै पता होन्दू बिगळा होँणा बाद भी स्थिति मुंडs नौ कपाल ही रौंण त स्या लम नी लड़ेन्दी बल बोल्दा नीन ब्वे नी दगड़ा रौंण छs त बिगळा क्येकू होँण छs। हे अर्जुन जू कुछ आज त्वेमू छ वू ब्याळी हैंका छो,आज त्वेमू छ अर भोळ वेन हैंका व्हे जांण, य सब माया छ आज तेरी छ भोळ हैंका मू जांण यां माया लोभ छोड़ दी। बल प्रभु मीन त माया लोभ छोडेल मी यन लगणु यखा मुख्यमंत्रियोन भी माया लोभ छोड़ियाली। कनक्वे पार्थ जरा मी भी बिंगौ भगवान् टक लगै तै सुंणन। हे प्रभु ये राज्य बण्यां सोळा साल होंदिन युं इथगा सल्लो मा क्वी भी मुख्यमंत्री यन नी जू यख चटेली तैं टिकी हो सैद वू ईं खुर्शी से मोह नी करदन तबी त यख पता नी चलदू आज कैन रोंण,भोळ कैन होंण अर ब्याळी त....। तबरयो एक जननी दूर बीटी धै लगै तै औंदी..कु छा रे तुम निरणयों का, कैं मवस्यां छा,क्या कन्ना छां हमरी सार्यों, किलै बंजोंणा हमरी पुंगडियो,क्वी काम धाम नी तुम्हरु जू ये तड़तडा घाम मा भट्ट जन तिडेंणा, जा यखन फुंड निथर झपोड़दो मै कंडल्योन। हे प्रभु क्वा छ या जननी अर किलै देंणी या घत्ती हमतैं।हे माते कू छै तू अफरु परिचय दी कृष्ण भगवान पूछणा छन हाथ जोड़ी तै। परिचय त तुम ध्या मितै कू कू छा तुम अर हमरी पुंगडियो मा क्या कन्ना छां ? तुमरी पुंगड़ी ! ये बल कन तुमरी पुंगड़ी...! माते त्वे पता नी यु पुंगडों बाना ही त या लड़ै होणी अर तू छै बुन्नी यु पुंगडा तुमरा छन किलै छैं सुद्दी मुद्दी बोन्नी,कौरव अर पांडव सोरा भारा छन युंका बांठा पञ्च भी नी कर सकेन यान यु युद्ध होंणु जा तू अफ़रा घौर जा। ये बल कन खोपरी डंगड़े मेनत मजूरी करा हम अर मौज तुम लोग करा यन त नी होंण। यु पुंगडा हमरा छन युंकी खाता खतौनी भी हमरा नौ छ जा यखन फुंड। कृष्ण भगवान अफरु मुंड खजोंणन बल क्या बुन्ना छा तुम ? मै कुछ बिंगणु नी यु तुमरा पुंगडा कखन व्हेगेन अर खाता खतोनियो मा तुमरु नौ कनक्वे ऐगै। अरे बल सुण रे ध्यान से यु हमरा ही पुंगडा छन अर यु जथगा भी जगा तुम देखणा छा वू प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना का अंतर्गत औंदन,सरकार भी हमरा नौ से रिकॉर्ड लीगी अब यख कुछ दिनों बाद सड़क ऐजाण। औ... हाला अर्जुन...अर्जुन..अर्जुन कख गए रे क्या छै खड़ा खड़ा उंगणि, न न प्रभु मी त बिज्यु छोs बोला क्या बात छ, अरे बल अर्जुन तभी मै बोन्नू ये जमना मा त सब्बी गों का गों बंजेणा छन,लोग बाग़ पलायन कन पर लग्यान् वख यु लोग किलै छन गौं मा रौंणन। अर्जुन आँखा कताडी भगवान् तै देखणु बल प्रभु किलैई ? अरे पार्थ बात या छ यख प्रधानमन्त्री सड़क योजना औणी छ अर यु पुंगडा वीं योजना का भीतर औंदन त जों जों का यु पुंगडा छन उं उं तै यांकू पैसा मिलण त यु लोखुन यख कब्ज़ा कर याली यानी त यु लोग गौं छोड़ी नी गैन या छ सरी बात..गौं बसी नी मंगत्या पैली ऐगेंन। मंगत्या कै खुणी छै तू बोलणी त्वे पता नी शकुनी एक दां हमरा गौं आयी और यु पुंगडियो हमतै बेच गी यु पलायन सलायन त अब होंणु उबरी त गौं का गौं भोरयां छां खेती बाड़ी ही हमरु धरम करम छs,लोग नाज,धान भुज्जी लगोंदा छा अर चैन से खांदा पेंदा छा, हमरा सैंती,पाल-पोषी यु जंगल,पाड़,सेरा,पुंगड़ी बचयां छन तुम यखन फुंड चलजा निथर त.....। ओहो अर्जुन यु सब त उल्टू ही व्हेगी लो ,जों का बाना हम लड़णा छा वू त हमरा छैंई नीन.. कन बजर पोडी तैँ शकुनी कुड़ी पर जैन लूका लूका हम परै जोळ लगेयाळी। अब प्रभु अब क्या कन, अरे कन क्या छ यीं धरती पर सच्चू अधिकार युंही लोखुं कू छ जू बिचरा क्वी सुख सुविधा नी होंणा बाद भी यख रौंणा छन अर युं जंगलू,पाड़ अर पुंगड़ियों थैं बचोंणा छन,माते यख पर तुमहरु ही अधिकार छ हमतैं छमा कैन अब हम यखन जांदा छा। अथ धृतराष्ट्र उवाचः ये बल सरी ढिबरी मुंड मांडी अर पूंछै दां लराट मचै, औण दी तै शकुनी तै घौर तैकू मै.....। "रचना- अखिलेश अलखनियाँ।
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Bhishma Kukreti

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डांगरीयों तैं  पेंसन
व्यंग्य – अतुल गुसाईं ‘जाखी ‘
आदरणीय
अजब गजब मुख्यमंत्री
हरीश रावत जी
उत्तराखण्ड सरकार।
रावत जी मिन ब्याळी अख़बार मा पौढ़ी की आप चुनो से पैली डांगरियों (पस्वा)जौ फर देवता नाचदु ऊ थै पेंसन देण चाणा छा बौत अच्छी बात च अर मी भारी खुसी ह्वे।
रावत जी मि आप थै बताण चाणु छौ की मी फर भी ब्याळी रात बटी राजीव गाँधी भूत नाचणु च अर मी राष्ट्रिय लेबल कु डांगरि(पस्वा) ह्वे ग्यों, एका आधार पर मी सबसे ज्यादा पेंसन मिलण चैंद, अब क्या बताण रावत जी कभी कभार त मी फर केदार बाबा भी भौ धै री देंदिन अर जब भी खयाँ पियां माँ राँदु तबारी मी फर साकछात डेनिस नचण बैठी जांदू। कुल मिले की बात या च की मी फर देवता, राष्ट्रिय भूत अर दारू भी नचदु । युं तीनों आधार पर मेरी पेंसन कम से कम 10 हजार होण चैंद निथर सोची लियां नेवतों कु दोष जब लगलु तब लगलु पर नरों कु दोष बौत जल्दी लगण ओळ च।
अर दूसरी बात अगर मी थै पेंसन नि मिली त मिन तुम फर केस ठोकी देण आखिर तुम मा क्या सपूत च कि मी फर राजीव गाँधी नि नाचनु, क्या सपुत च की मी फर केदार बाबा नि नाचदु, अर क्या सपूत च की मी फर डेनिस नि जलकदु । मी फर यु तिनी नाचदिन मि सपूत देणा कु तैयार छौं।
तुम गस त गडा जागरी बुला मी नचणु कु तैयार छौं।
आखरी मा सिर्फ इथगा लिखण चाणु छौ या सिर्फ एक साजिस च हमरा देवी देवतों थै भ्रष्ट करणा की आज तक जख हमरा देवी देवता अपणा श्रद्धा भक्ती से कै नर फर भौ (अवतार) धरदा छा भोल 1000 रुपयों का बना एक ही देवता का 10 डांगर पैदा ह्वे जाला । कैका कपाळ फर लिख्युं त छौ नी च की यूँ देवी कु डांगर च, यु हित कु डांगर च, यूँ रमोला कु डांगर च, यूँ नरसिंग कु डांगर च, अब एक देवता का 10 डांगर पैदा होला तुम कै कै की पेंसन लगेला। पेंसन त छोड़ों हमन कै फर विस्वास करण । अच्छु होलु की वोट का खातिर देवी देवताओ फर छेड़ खानी न हो।
धन्यवाद
आपकु राष्ट्रिय डांगरि
अतुल गुसाईँ जाखी।                                             


Bhishma Kukreti

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Dangariyon tain Pension: A Satire on Vote oriented polices and schemes
Critical review of Garhwali satirical prose- 142    
          Review: Bhishma Kukreti
 Atul Gausain ‘Jakhi’(Jakh, Pauri Garhwal) is multitalented Garhwali literature creative. Drawing Artist Atul also create Kavita poster. Atul is a Garhwali poet too.
Atul Gausain ‘Jakhi’ create satire in Garhwali too. His following satirical Garhwali prose is proof that Atul does not spare any wrong or wrong polices by government or chief minister. Uttarkhand Chaif Minister Harish Rawat declared a weird scheme or promised to do so for offering pension to those who dances or tells the future.  Sensitive Atul create a satirical prose and lambasts Harish Rawat directly through humor.
 The site is sharp and direct.  The satire is successful in informing readers that the scheme is foolish and just for vote purpose. The satire has reasonable humor too .
Copyright@ Bhishma Kukreti 2106

Bhishma Kukreti

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राजनेता भी हमाम में , राजनीति प्रवक्ता भी हमाम में  और टीवी ऐंकर भी हमाम में अज्ञानी

                   व्यंग्य - भीष्म कुकरेती

            तब शायद बिहार चुनाव आने वाले थे और राजनैतिक हमाम में होली खेलने हेतु केंद्रीय सरकार ने बिहार के 24 जिलों में उद्यम हेतु  'प्रोतसाहन योजना ' की घोषणा कर दी। 
टीआरपी के लालची या वास्तव में बहस करवाने हेतु एक टीवी चैनेल पर  बिहार के 24 जिलों में उद्यम हेति 'प्रोतसाहन योजना ' बहस चल रही थी।  उद्योग धंधो के विकास की बात  हो तो मैं लगन से बहस सुनता हूँ।
किन्तु उस बहस देखकर मुझे लग गया कि राजनेता भी हमाम में , राजनीति प्रवक्ता भी हमाम में  और टीवी ऐंकर भी हमाम में अज्ञानी होते हैं।
               सबसे पहले तो टीवी ऐंकर ने बिहार के नेताओं की प्रतिक्रिया दिखाई।  भाजपा व भाजपा के गुर्गों ने तो मुर्गा फाड़ बांग दी और कहा कि कल से बिहार के 24  जिले उद्योग  धंधों के मामले में  चीनी जिले हेनान या लिआओनिंग प्रदेश बन जाएंगे।  तो विरोधी दलों के नेताओं ने नकारात्मक सड्याण (गन्ध ) फैला दी कि कुछ नही होगा सब बकबास है। भाजपा के गुर्गों और विरोधियों के मुर्गों में एक समानता थी कि किसी को भी कुछ भी  ज्ञान नही था की योजनाए हैं क्या ?

  फिर टीवी ऐंकर ने  निमन्त्रित अर्थशास्त्री से  उद्यम हेतु  'प्रोतसाहन योजना ' से लाभ के बारे में पूछा  तो उस भड़भूजे की टिप्पणी सुन मेरा दिल चाहा कि इस भड़भूजे की डिग्री ही छीन  दूँ।  अर्थशास्त्री सीधा कहने लगा , नही अभी  तो कुछ फायदा होगा किन्तु जब पांच साल बाद प्रोत्साहन योजना समाप्त हो जाएंगी तो फिर  फिर से जिले उद्योगविहीन हो जायेंगे।  उस अर्थशास्त्र के कुशास्त्री की सुई पांच साल आगे की नकारात्मक केंद्र पर ही अटकी रही।  उस अनर्थ अर्थशास्त्री ने एक शब्द भी नही कहा  कि चलो पांच साल में तो उद्योग संस्कृति विकसित होगी।  जब किसी जिले में उद्योग संस्कृति जन्म लेती है तो फिर उद्यम दूसरे उद्यमों को भी आकर्षित करता है।  उस पीएचडी धारी (शायद नकली रही होगी ) अर्थशास्त्री ने नही कहा कि उद्योग स्टेटिक नही होते अपितु काइनेटिक होते हैं और प्रोत्साहन योजना समाप्ति के बाद भी उद्योग अपने को सँभाल लेते हैं।  बाद में पता चला कि यह अर्थशास्त्री कांग्रेस का पट्ठा था।  किसी के पट्ठे होने का अर्थ नही कि एक अर्थशास्त्री अपनी भूमिका भी भूल जाय ?
 जद (यू ) , जद (स्यू ) और जद (चारा ) के प्रवक्ताओं का तो तो क्या कहने।  वे तो बिना कोई ज्ञान के , बिना कोई खोजबीन, बगैर तैयारी  के टीवी बहस में तेरहवीं -बरखी खाने आये हुए लगते थे।  तीनो को बिहार के उन जिलों की भी जानकारी नही थी बस विरोध का भोम्पू बजा रहे थे कि केंद्रीय सरकार बेवकूफ बना रही है।
  जद (यू ) , जद (स्यू ) और जद (चारा ) के प्रवक्ता तो बिना तैयारी के आये थे किन्तु भाजपा का मुर्गा रूपी प्रवक्ता भी बगैर तैयारी के तेरहवीं -बरखी खाने आया था।  उसे पता ही नही था कि उद्यम हेतु  'प्रोतसाहन योजना' होती क्या हैं।  बस मोदी -मोदी की बांग देने के अतिरिक्त भाजपा का भोंदू  भोम्पू कुछ भी नही कह सक रहा था।
 ऐंकर तो भारत में भगवान होते हैं।  ऐंकर के पास भी कोई सांख्यकी नही थी कि वह  बता सके कि उद्यम हेति 'प्रोतसाहन योजना  से जिले को क्या क्या लाभ हो सकते हैं।
 भारत में टीवी बहस अब राजनैतिक मल्लयुद्ध के प्लेटफॉर्म बन चुके है।  टीवी बहसों में उद्यम हेतु  'प्रोतसाहन योजना ' विषय पर  बहसों का छत्यानाश ही होता है क्योंकि -राजनेता भी हमाम में , राजनीति प्रवक्ता भी हमाम में  और टीवी ऐंकर भी हमाम में अज्ञानी  होते हैं।


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2016


Bhishma Kukreti

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 गढ़वाली के प्रसिद्ध हास्य -व्यंग्य कवि आजकल ध्यान में क्या क्या कॉकटेल पीते हैं ?
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                 चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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           गढ़वाली नवाड़ी कवि धर्मेंद्र नेगी जीन धाद (धरमधाद ना निथर भाजपाइयूँन चिढ जाण ) दे बल हंसण -खिलण अर वक्रोक्ति का विशेषज्ञ श्री हरीश जुयाल अचकाल मेडिटेसन मा फंस्यां छन।  मि तैं विश्वास नि ह्वे कि म्यार मित्र सांसारिक प्रेमी जुयाल कबि धयन सरीखा कुसाज माँ बि फँसल ! जी हाँ लालू यादव से ब्रह्मचर्य की उम्मीद , राहुल गांधी से तर्कसंगत भाषण की उम्मीद अर हरीश जुयाल से संतनुमा ध्यानग्रस्त आचरण   की उम्मीद इनि च जन पाकिस्तान से सीमा पर चुप बैठणो उम्मीद।  हरीश अर मि खाँद -पींद घौराक जि छंवां -बिना पैग का सींद नि छंवां अर हम दुयुंक हफ्ता मा तीन दैं बगैर शिकार खयाँ पेट खुल्दु नी च। 
 शनिवारौ रात ग्यारा बजि मि तैं धर्मेंद्र नेगी जी से सूचना मील अर मि तै रात भर नींद नि ऐ।  आण बि कनै छे ? शेरनी  वेजिटेरियन ह्वे जावो तो शेर शावक अर शेर की नींद हराम हूण मामूली बात च। रात भर उठा पोड़ी -संसय का कारण।
सुबेर चार बजी मीन स्वाच की हरीश जुयाल तै फोन कर द्यूँ पण अपण घरवळी  डौरन फोन निकौर।  वीं तै अनावश्यक शक ह्वे जांद कि मि अपण सेक्रेटरी दगड़ बचळयाणु छौं।
कनि कौरिक मि  मुख मा चदुर लपेटिक पड़्युं रौं।  सुबेर सात बजि मीन हरीसौ कुण फोन घुमै।
"हेलो  हेलो !  मि भीषम   बुलणु छौं। "
" मि हरीसै ब्वे बुलणु छौं।  अबि हरीश कैक दगड बात नि कौर सकुद।  वु अबि बिज  तो नीट लगाणम व्यस्त च।  कुछ समौ परांत फोन कर्यां " अर हरीसै मांजीन फोन धौर दे।
मैं पर रंगतन्गी फैली गे कि हरीश पींद  त छौ पण सुबेर सुबेर कबि नि पींद छौ अर फिर सुबेर सुबेर नीट ?
एकाद घँटा परांत मीन फिर फोन घुमाइ त उत्तर आयी ," मि  हरिसौ पिता बुलणु छौं।  अबि हरीश कॉकटेल पीणु च। "
मीन घँघडै  पूछ , " सुबेर सुबेर कॉकटेल ? क्यांक ?"
उत्तर छौ , " सड़यां   ग्यूं , जौ अर क्वादो कॉकटेल। पैथर फोन लगैन अबि 'स्ट्रेटअप' कॉकटेल च पैट बाद मा 'मिस्ट'  " अर हरीसौ पिताजीन फोन काटी दे।
 सड़यां  ग्यूं , जौ अर क्वादो कॉकटेल ! सोचिक इ म्यार पुटुकुंद मरोड़ पड़ि गे। ग्यूं , जौ अर क्वादो कॉकटेल मेरी  पियिं च अरे ईं शराब पीक तो आंत छिजै जांदन । धर्मेंद्र नेगी बुलणा छन कि हरीश जी मेडिटेसन मा व्यस्त छन अर हरीश जी ग्यूं , जौ अर क्वादो कॉकटेल पीणम मदमस्त छन। अर 'स्ट्रेट अप' याने कॉकटेल बगैर बरफ का अर 'मिस्ट अप' याने कॉकटेल तै क्रस्ड बरफ मा  डाळिक पीण।
   
 द्वी घँटा पैथर मीन फिर फोन कार त सीधा जबाब आयी , " मि श्रीमती जुयाल बुलणु छौं।  अबि यि बिट्टर शौट लगाणा छन तो तीनेक  घँटा बाद इ  फोन लगैन।  बिट्टर शौट का बाद ऊँ तै हैंगओवर ह्वे जांद अर तब इ हैंगओवर उतारणो बान लाइम अर मैंगो चटनी चटदन। " मिसेज जुयालन  बगैर कुछ सुण्यां फोन धर दे।
 मि आज ना तो  झाड़ा ग्यों , ना दांत साफ़ करीन अर ना इ मि नयायी।  मैं लग हरीश  बड़ो अल्कोहोलिक ह्वे गे तबि धर्मेंद्र जीन यांको नाम मेडिटेसन दे दे जांसे  हरीश जुयाल की बदनामी नि हो।
तीनेक घँटा बाद मीन फोन कार तो उत्तर ऐ , " काल रिकॉर्डिंग मैं हरीश जुयाल बोल रहा हूँ।  कुछ समय के लिए मैं ' ऑन द रॉक पीने जा रहा हूँ।  फिर मैं सौर (sour ) के साथ कॉकटेल पीऊंगा।  कृपया शाम छै के बाद ही सम्पर्क कीजियेगा। "
स्याम दै मीन सात बजे फोन कार तो फोन पर हरीश जुयाल आयी , "शुभ सन्ध्या श्रीमान कुकरेती श्री।  आपका जीवन असफल हो।  कहिये मुझ किंचन के लिए क्या आदेश है ?
हरीश की बात मा दरोड्या पन कुछ बि नि छौ।  बड़ी शालीनता छे।  जु बिजण से लेकि दुफरा तक बनि बनिक दारु पीणु हो वो इथगा शालीनता से छ्वीं लगाणु छौ।
मीन पूछ , " धर्मेंद्र जीन फेसबुक मा धाद दे बल  तुम अचकाल मेडिटेसन मा फंस्यां   छंवां ?"
"फंस्यूं ना मेडिटेसन मा लीन छौं। " हरीशन शान्ति से उत्तर दे।
" क्या  यू ध्यान बाममार्गी ध्यान च ? अघोरी माफक ध्यान ?" मीन पूछ
हरेस को जबाब छौ , " नही श्रधेय मित्र ! म्यार ध्यान ना तो बाममार्गी या अघोरी च अपितु केवल ध्यान च। "
मीन पूछ , " तो फिर यु सुबेर बिटेन पीण ? इन शराब पीणो कु ध्यान च भै ?"
"जेष्ठ  भ्राता सम कुकरेती श्री ! कैन बोलि कि ध्यान मा द्रव्य पीण मना च ?" हरीश जुयाल को उत्तर छौ।
" द्रव पीण ?" म्यार प्रश्न छौ
"आज रविवार छौ तो म्यार भोजन केवल द्रव पीण छौ " हरीश कु उत्तर छौ।
"अरे पर यु क्या ?" मीन पूछ।
" कु क्या ? फिर से उत्तर ना अपितु प्रश्न छौ
"नीट , कॉकटेल , स्ट्रेट अप , मिस्ट , ऑन द रॉक ,  , बिट्टर शौट , हैंगओवर ?" म्यार प्रश्न छया।
   हरीश को उत्तर छौ , " आदरणीय जेष्ठ  मित्र ! नीट याने केवल जल , सड़यां   ग्यूं , जौ अर क्वादो कॉकटेल याने यूँ भिगयां  अनाजौ जल  को मिश्रण अर स्ट्रेटअप मने बगैर बरफ का अर मिस्ट याने अनाज जल मिश्रण याने कॉकटेल तै बरफ म डाळिक पीण। "
" अर ऑन द रॉक ?" मीन पूछ।
जुयालन बिंगै ," हमर बगल मा एक बड़ो पौड़ च।  मि वै मा ध्यान करदो अर कॉकटेल आदि पान करुद।  तो ध्यान , खान -पान का नाम ऑन द रॉक धर्यूं च।  "
मीन शंका समाधान चाहि , " अर बिट्टर शॉट , हैंगओवर ?"
हरीश को जबाब छौ , " बिट्टर शॉट ! याने करेला का रस छुटि गिलसड़ी से रक़दम घुळण अर फिर करेला  रस का हैंगओवर मिटाणो    बान मि लाइम अर मैंगो चटनी चटदु।  वेरी सिम्पल सर जी "
मीन ब्वाल , " तो  सचमुच मा   ध्यानवत्त ?"
" क्षमा जेठ जी ! मि श्रीमती हरीश जुयाल बुलणु छौं।  जब  से यूंन मेडिटेसन शुरू कार , तब से सारा परिवार सुखी ह्वे गे।  सुबेर श्याम गायत्री जाप अर हर्बल ड्रिंक ! अब हमर जीवन प्रसन्नचित च " श्रीमती हरीश फोन पर ऐन।
मीन पूछ , " वधाई हो कि हमर मित्र ध्यानमय ह्वे गेन पर  या दरोड्यो की शब्दावली किलै याने अल्कोहलिक वोकेब्लरी किलै ? "
    " ओल्ड हैबिट्स डाई हार्ड।  पुराणी आदत जल्दी खतम नि होंदिन।  तो अबि बि अल्कोहलिक वोकेब्लरी च।  कृपया क्षमा कर्यां।  हमर मील को टाइम ह्वे गे तो aperitifs को टाइम ह्वे गे।  हम सब एक साथ हर्बल  अपेरिटिफ्स पींदा। " मिसेज जुयालौ आन्सर छौ     

 

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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 17  / 10 / 2016
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।


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Bhishma Kukreti

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गढ़वळिs मा नया मुहावरा - ब्रेकिंग न्यूज , सर्जिकल स्ट्राइक अर पेड मीडिया
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             चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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 सि ब्याळि परसि मि गौं जयुं थौ।  ये म्यार भुभर्यड़  तथैं कथा नया नया आण , पखाणा अर मुहावरा ऐ गेन भै ! मैं तो खौंळे  ग्यों , भौंचक्का रै ग्यों अर खौंळेणु छौं बल हमर गढ़वाळम रौण वळ साहित्यकार यूँ निवाड़ी मुवावरों तैं समिण किलै नि लांदन।  हाँ पर गावक जोगी जोगड़ा अर पल्लि पार वळु कुण सिद्ध !
 मि अपण बोडि दगड़ बैठ्युं थौ बल तैबरि बेड़ बटिं भुभना काकी आई अर  बुलण मिस्याई ," ये दीदी तीन बि ब्रेकिंग न्यूज सूण ?"
"क्वा वळि ब्रेकिंग न्यूज ?" बोडिन पूछ।
 भुभना काकिन न्यूज ब्रेक कार , " परसि स्योड़  (सोहन जैक नाम भुभना काकि नि ले सकदी छे ) ज्योरूक बेटी प्वार गांवक मड्वे (मोहन ) जिठा जीक नौनाक दगड़ भाजी गे छै स्या ब्याळि रात बौड़िक ड्यार ऐ गे। "
"   त्वी बि ना ! टीवी चैनलों तरां बासी न्यूज सणि ब्रेकिंग न्यूज बुलणि रौंदी। " बोडिन भुभना काकिs मुक मारि दे।
"कनो क्या भंगुल जामि ?" भुभना काकिन पुछि।
' असल ब्रेकिंग न्यूज या च बल सुबेर सुबेर स्योड़  ज्योरूक बेटी बिंदु क्या छमना  बख्तवारौ लौड़s दगड़ भाजी गे। " बोडिन न्यूज ब्रेक कार।
  घाम अछळे गे छौ कि मीन द्याख कि मथि तरफां रस्ता से  सोहन बडाs बड़ लौड़ अर तीन हौर जवान लाठ लेकि  गांव से भैर जाणा छन।
मीन बोडी पूछ , " यी रत्यां लाठ लेकि कथैं जाणा होला ? "
बोडिक जबाब थौ , " सि सर्जिकल स्ट्राइक पर जाणा छन। "
"सर्जिकल स्ट्राइक " मीन पूछ।   
"हाँ !   सर्जिकल स्ट्राइक ! स्योड़ ज्योरू लौड़ अर बकै    प्वार गाँव जाणा छन अर नन्दा तै जबरदस्ती उठैक लाणो जाणा छन। " बोडिन जबाब दे।
कुछ देर परांत हमन सोलर पोल तौळ  द्याख कि कृतराम काका , कृपाल सिंग चचा अर भग्गु भतीजो  हमर ड्यार जिना आणा छन
बोडिन सलाह दे , " यूँक समिण प्रधान ,  पटवारी अर प्रिंसिपलौ काट नि कौरी हाँ।  यी सब पेड मीडिया छन। "
"पेड मीडिया ?" मीन पूछ।
"अबि चुप रौ।  पैथर बथौलु। " बोडिन आगाह कार।
एकाद घँटा तक  तिनि छ्वीं लगाणै रैन। कृतराम काका प्रधान तै दुन्या को ईमानदार मनिख सिद्ध करणु रै , कृपाल सिंग चचा पटवारी तै ग्विल दिब्ता से बि बड़ो न्यायप्रिय बथाणु  थौ त भग्गु भतीजो प्रिंसिपल तै गुरु द्रोणाचार्यौ अवतार घोषित करणु थौ।
जब सब चल गेन त बोडिन बथै , " सब पेड मीडिया छन।  प्रधान  कृतराम तैं फोकट मा मनरेगा की पगार दिलांदु , कृपाल सिंग आळी -जाळी करणों बान पटवारीs कमिसन एजेंट च तो  भग्गु की ब्वारी स्कूलम भोजन माता च , सारा परिवार स्कूलौं रासन पर जि पळणु च।  सब अब पेड मीडिया ह्वे गेन।  जु यूँ तै फोकट मा सरकारी माल खलांदन यी वेकि प्रशंसा , बडै करणा रौंदन बस।  लुच्चा ! लुचड़ बि नी आणु ये पेड मीडिया पर ! " बोडिन समझाई।
क्या आप बि इनि नै मुहावरों तै बि जाणदां ?   
 


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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 11  /11 / 2016
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