Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 150984 times)

Bhishma Kukreti

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अथ 'प्री वेडिंग फोटोग्राफी' संस्कार महिमा
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मूल लिख्वार - छायाचित्रानंद विवाहाचार्य

टीका , अनुवाद - भीष्म कुकरेती चबोड़ाचार्य
 
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 प्रथम मूविंग फोटोग्राफीस्य फ़ादरो एडवार्ड मारब्रिज: नम:  . तदुपरांत ग्लोब्लाइजेसन पितामह   नरसिम्हाराव: नमः। तदनुसार ग्लोबल इकॉनोमिस्य पिताः  मनमोहनाय नमः।  अंतमा  फोकटस्य इन्कमाय नमः। 
  जजमान टक  लगैक सूण ल्यावो यु नव संस्कार प्री वेडिंग फोटोग्राफी आधुनिक कालौ इनि  महत्वपूर्ण संस्कार च जन गुप्त कालौ सत्य नारायण व्रत कथा।  विद्वानों म प्री वेडिंग फोटोग्राफी संस्कारै संख्या नंबर पर इनि मतभेद छन जन फिरोज जहांगीर गांदी का पौत्र राहुल गांधी का गोत्र  हेतु  मतभेद छन।   कुछ बिद्वान बुलदन   बल यु हिन्दू संस्कारौ   अड़तालीसवां संस्कार च त  क्वी  मनुस्मृति की कसम खांदन  बल सनातन धर्म शास्त्र अनुसार यु सत्रहवाँ संस्कार च अर विवाह से बि  महत्वपूर्ण संस्कार च बल।  कोर्टसंहिता म बि अब  प्री वेडिंग संस्कार एक गवाही सूत्र च बल। 
     प्री वेडिंग पूजन विधि से पैल कुछ महत्वपूर्ण नाटक आवश्यक छन निथर ये संस्कार को लाभ असम्भव च।
 सर्व प्रथम  मैरिज हाल बुकिंग का बाद मैरिज डेट फिक्स हूणो उपरान्त  यु संस्कार आवश्यक च निथर दिब्ता त  ना किन्तु अतिथि देव हंसी उड़ांदन  बल अरे प्री वेडिंग संस्कारै  औकात नि  छे , विवाह पूर्व छायाचित्रांकन की हैसियत नि छे तो किलै ब्यौ बरात सजाई।  अतः गेस्टुं मजाक निवारणार्थ विवाह पूर्व छायाचित्रांकन संस्कार या कर्मकांड अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार च बल।
       विवाह पूर्व छायाचित्रांकन संस्कार सुफल ह्वावो कुण कुछ नाटक स्वांग या सोशल  ड्रामाज  अति आवश्यक छन।
   ब्वे हो या बाब हो दुयुं  तैं अपण भाई बन्धुं , रिस्तेदार , सगा संबंध्यूं  तै छुट दिखाणो , जळाणो  मौका विवाह पूर्व छायाचित्रांकन संस्कार से बड़ो मौका नि ह्वे  सक्दो।
   ब्वे तै  अपण  जिठाण , द्यूराण, कक्या -बड्या सासु या सहेली  (जैं तैं जळाण  हो ) तै  फोन करण  चयेंद बल ये जी या दीदी या सहेली ! ह्यां तू कै प्री वेडिंग फोटोग्राफर तै बि जणदी।  अरे क्या करे जावो कांड लगीं छन ये जमानो पर बल अब प्री वेडिंग फोटोग्राफी आवश्यक जि ह्वे गे।  अर हां  ध्यान रखण बल फोन ऊंकुण इ करण जौं तै जळाण हो नीचा दिखाण हो।  गति मारिक अंठ म धोरी ल्यावो ऊं तैं फोन नि करण जौंक बच्चों ब्यौ म प्री वेडिंग फोटोग्राफी ह्वे  ह्वावो।  तुम तै फोटोग्राफर की जरूरत क्या वो तो नौनु या नौनी अफि इंतजाम कर  लीन्दन।  तुमन तो केवल रिश्तेदारों तै जळाणो बान पूछणो नाटक करण।
   चूँकि फोटोग्राफर तो दूसरों तैं  जळाणो  बहाना हूंद  तो सवाल बि  जळाणो  प्रकार मुताबिक़ ही हूण  चयेंदन  . तीन प्रकार से रिश्तेदारों तै जळये जांद -
कमअसल जळाणो  सवाल   - क्वी प्री वेडिंग फोटोग्राफर बि  च तुमर नजर म सस्तो सुंदर अर टिकाऊ
असल जळाणो सवाल - जरा क्वी प्री वेडिंग फोटोग्राफर तो बथाओ बल ना ना बजट की क्वी चिंता ननी  , ब्योली ममा सरा खर्च उठाणा  छन।
रिस्तेदारुं  तैं  ईर्ष्या से भड़याण वळ सवाल - जरा क्वी प्रोफेसनल फोटोग्राफर बथावदि जो अम्बानी या अडानी का छोरी छोरों प्री वेडिंग फोटोग्राफी म जयुं  हो।

  इनि  बेटा या बेटी को धर्म च बल अपण ऊं हरेक दगड़्या या सहेली तै फोन करण जौं तै नीचा दिखाण या जळाण  हो।  प्रश्न ? प्रश्न सब तैं एकी पुछण बल - जरा प्री वेडिंग फोटोग्राफी वास्ता सही लोकेसन तो बताओ।  आई ऍम गोइंग फॉर प्रीवेडिंग फोटोग्राफी। यु नाटक केवल अपणो तै जळाणो  ध्येय से करण बस ,  निथर  ब्योला ब्योली  त लोकेशन पैली डिसाइड कर लीन्दन कि ना ?   
   फोटोग्राफी म तिलकधार्यूं  कुछ काम नी।  हाँ यदि जजमान लुटाणो तैयार ही  हो तो वै दिन कैमरा पर पिठै सुठै लगाणो पंडित जै सकदन। 
    रिसेप्सन का बगत बि ब्योला अर ब्योली ब्वे बाबुं  महत्ती कर्तव्य च बल जब प्री वेडिंग फोटोग्राफी वाइड   टीवी स्क्रीनम  दिखाए जाय तो ब्योली ब्वे अर  ब्योली बूबा व दूल्हा का फादर व दूल्हा की मदर  तै हरेक पौणम , , मेमानम या गेस्टम जै  जैक बथाण बल दूल्हा दुल्हन फोटोग्राफी बान कै कै जंगळ , कै कै किला म गेन अर कैं कैं नदी या तालाव म नयाणो गेन।  ब्योला अर ब्योली ब्वे बुबौं तै यु  कर्मकांड अवश्य सम्पन  करण चयेंद।  निथर लाख द्वी लाख खर्चा करीक क्या लाभ ? अरे  जब अब शादी कर्मकांड संस्कार पूजन से अधिक दिखावा मात्र रै गे त किलै ना लोगुं तै जळाये जावो बल हमन फोटोग्राफी पर कथगा लाख लगैन भइ।  चूँकि ब्या काज म कर्मकांड अर्थहीन ह्वे जावो तो  रिस्तेदारुं  तैं   जळाण जरूरी ही च इलै यु संस्कार कर्मकांडी नाटक भी अति महत्वपूर्ण कर्मकांड च बंधु व भगनी। 
   
   -
16 /1 2/ 2018, Copyright@ chabodachaarya  Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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 सेल्स वळुं  विकास नापणो पैमाना

चबोड़ , चखन्यौ , मसखरी :  भीष्म कुकरेती चबोड़ाचार्य

   हरेक तबकौ  विकास नापणो अपण अपण तरीका हूंदन।   जन कि बल कॉंग्रेस अध्यक्ष याने गळ्या  प्रौढ़ बौड़ तैं  शौचालय क्रान्ति क्रान्ति नि दिखेंद या बहिन मायावती नि मणदि बल शौचालय क्रान्ति से सबसे बिंडी फैदा  दलित व गरीबुं तैं ह्वे या अमित शाह तैं केरल आयुर्वेद टूरिज्म क्रान्ति म विकास नि दिखेंद।  युंकुंण  अपणी पार्टी की सरकार ही विकासौ पैमाना च तो तराजू च,  माणु च , पाथु च । मुकेश अम्बानी कुण विकासमुखी सरकार  माने  ज्वा सरकार अम्बानी तैं वैका कूड़म हवाई  जाज उतारणो इजाजत दे दे। 
 मतबल हरेक कौमौ विकास नापणो अलग , बिगळ्यूं  पाथो  हूंद , माणु हूंद , परोठी हूंद।  इनि सेल्स वळु बि  विकास  का सीधा अर्थ हूंद बल उपभोक्ताओं की खरीदी ताकत याने बाइंग पावर या बाइंग पोटेंशियलिटी ।  सेल्स वळ बगैर सरकारी सांख्यकी पोथी देखिक बि पता लगै लीन्दन बल ये शहर की उपभोक्ता खरीदी तागत ह्वेलि।
    मि जब रफ़ि कम्पनी म नौकरी पर लग त मेरी तनखा  छे 421 रुपया (420 नि छे किलैकि 420 भली संख्या नि मने जांद छे ) . खैर जब मि तै कम्पनी न भैर टूर पर जाणो डीए  डेली अलाउंस बताई तो सामन्य शहरुं  डी  ए  भत्ता छौ 18 रुप्या दिनकी , कुछ शहरों डी. ए  . छौ  22  रुप्या दिनकी अर पूना को डी ए  छौ 26 रुप्या दिनकी  . मि फट से बींगी ग्यों बल पूना म सबसे अधिक रेडिओ बिकदा ही ह्वाल , मर्फी ना सै त हौर  ब्रैंड तो बिकदा ही होला।  याने कै  बि शहर को खरीदी सामर्थ्य पता लगाण  हो तो सर्वप्रथम  सेल्स वळु दिनकी भत्ता याने डेली अलाउंस  पता लगाण जरूरी च।
   फिर सन 80 तक भारत म कार एक दर्शनीय वस्तु छे तो यदि कै कस्बा म कार दिखे जावन तो हम उपभोक्ता  खरीदी तागत का अंदाज लगै लींद  छा।
    मीन सिगरेट शुरू कार जब मी एमएससी करणु छौ अर फोर   स्क्वायर सिगरेट से शुरू कार।  तब भी अर आज भी फॉर स्क्वायर सिगरेट हर जगा नि मिल्दी।  जु कै कस्बा म फॉर स्क्वायर सिगरेट मिल जावो तो मि क्या क्वी बि अंदाज लगै लीन्दो छौ बल ये कस्बा म किंग साइज कंज्यूमर छैं छन। फॉर स्क्वायर माने लिव किंग साइज लाइफ।
    सेल्स वळ अमूनन दारु सारू का कुढबी हूंदन।  यदि कै बड़ो शहर म तब मैक्डोल नंबर वन नि मीलो तो समजी ल्यावो यु शहर नामौ शहर च किन्तु खरीदी शक्ति म म्यार गाँव से बि छुट  च।  फिर ब्रैंडेड बियर मिलण याने तब गोल्डन बियर , पिल्सनर , किंग फिशर ब्रैंड कै कस्बा म मिल जावो तो समजो बल ये कस्बा की उपभोक्ता  खरीदी शक्ति छैं च।
    बियर पर याद आयी बल सन 80 का आसपास बिजली को कुहाल छा।   तब कस्बौं  म  बियर बारम  बियर चिल्ल्ड ना बियर ग्लास म बरफ डाळी पिए जान्दि छे।  कसम से बियर की ही कसम बल बियरै  ग्लासुंद बरफ क्यूब डाळे  जांद  छौ।  यदि कै कस्बा म बियर बारम चिल्ल्ड बियर मिलदी छे तो समजी ल्यावो बिजली ठीक च याने विधायक को डेरा होलु। विधायक को डेरा याने ठीक ठाक   बिजली याने कुछ तो खरीदी पावर च।
      रेडीमेड ड्रेसेज की कथगा  दूकान छन से भी हम शहर की उपभोक्ता खरीदी शक्ति अंदाज लगान्द छा कबि अब ना।  अब त टेलर इनि हर्चि गेन जन  गढ़वालम  किसान  .
     फिर बियर बारम चखना या मंचिंग उपलब्धता बि हम तै बथान्द  छौ बल शहर कै लायक च।  चिकन चिल्ली या टंगड़ी कबाब उपलब्धि  भी विकास का पैमाना छा।
       आपन बि बुलण बल यु खळचट्टी  क्या छ्वीं लगाणु च।  महाराष्ट्र म कथ्या कस्बा इन छा जख ब्रैंडेड कंडोम याने गैरसरकारी निरोध बि लाला जी उधार बिच्दा छा।  तो हम बुल्दा  बि  छा बल जै गाँव /कस्बा म निरोध बि उधार बिकदो उख तीन बैंडो रेडियो क्या बिकल !
     फिर कुछ समय बाद जब जनान्युं  ब्रा चोली जमानो (अधिक चलन ) आयी तो   ब्रा /चोली की दुकानुं  संख्या से बि पता चलदो छौ बल कस्बा न कथगा विकास कार। 
    जब मि कार से घुमण  लगी ग्यों  तो भी ग्रामीण हाइवे पर शराबखाना ही यार क्या ज्यादातर सेल्स वळु उपभोक्ता खरीदी तागत का अंदाजा लगाणो सर्वोत्तम माध्यम छा अर आज बि।  महाराष्ट्र म सबसे अधिक किसान आत्म हत्त्या उखी करदन  जै  क्षेत्र म हाई वे का बार म किसानुं  अधिक भीड़ हो। 
   उन उपभोक्ता खरीदी ताकत पता लगाणो हौर बि सरल इंडिकेटिव छन किन्तु यी सेक्रेट छन तो अबि  नि बताणा आयी।

सर्वाधिकार : भीष्म कुकरेती चबोड़ाचार्य , दिसंबर , 2018
 गढ़वाल से हास्य व्यंग्य ; जसपुर गढ़वाल से हास्य व्यंग्य  : उपभोक्ता खरीदी शक्ति : उपभोक्ता खरीदी शक्ति  ; पौड़ी  गढ़वाल से हास्य व्यंग्य: उपभोक्ता खरीदी शक्ति   ; चमोली गढ़वाल से हास्य व्यंग्य, मजाक , जोक्स : उपभोक्ता खरीदी शक्ति  ;   रुद्रप्रयाग गढ़वाल से हास्य व्यंग्य, मजाक , जोक्स  : उपभोक्ता खरीदी शक्ति ;  उत्तरकाशी गढ़वाल से हास्य व्यंग्य, मजाक , जोक्स : उपभोक्ता खरीदी शक्ति  ;  देहरादून गढ़वाल से हास्य व्यंग्य, मजाक , जोक्स  : उपभोक्ता खरीदी शक्ति ; हरिद्वार गढ़वाल से हास्य व्यंग्य, मजाक , जोक्स  : उपभोक्ता खरीदी शक्ति ;   

   
 
       
     
   
 
   

   

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  बन बनिक किस्मौ स्याळि : किसम किसम की सालियां

चबोड्या , चखन्यौर्या , नटखट : भीष्म कुकरेती


s =आधी अ
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 उन मि आदतन चुनौती , ललकार , चैलेंज स्वीकार नि करदु बल्कण  मी बि केजरीवालौ श्रेष्ठ च्याला राहुल गांधी तरां चुनौती स्वीकार नि करदु उल्टां हौरुं तै इ जि  चुनौती दीणु रौंद।  झूठ बुलणु हों त फिरोज जहांगीर गांदी का सगा नाती से इ पूछ ल्यावो।  राहुल सरा  दुन्या म मोदी तै दनकाणु रौंद बल जबाब दे जबाब दे पर अफु आज तक जबाब नि दे बल जब फिरोज जहांगीर गांदी छा तो तुमर कुनबा गांधी कन ह्वे भै ? हाँ त मि बुनु छौ बल मि चुनौती दींदु चुनौती स्वीकार नि करदु पण जब चुनौती ख़ास अपणी पर दूssरै स्याळि चुनौती दे द्यावो तो।  दूरै मतलब मेरी वाइफ अर स्याळि बीच छै सात भाई बैणि छन तो स्वयमेव वा दूsssरै  स्याळि  ह्वे कि ना ? तो मेरी अपणी ख़ास दूरै स्याळिन ब्याळी ललकार दे , चुनौती दे दे , चैलेन्ज कर दे जिज्जू जु यदि तुमन पॉउडरौ दूध पियूं च त फेसबुक म बथाओ बल स्याळी  कथगा किस्मौ हूंदन।  मि जनान्युं पर अर अपण भूतपूर्व प्रेमिकाओं पर लिखण से बचणै कोशिस करदु।  पण जब ब्याळि स्याळिन खुलेआम पल्ला पसारिक चैलेंज कर दे तो कु जीजा होलु जु चैलेन्ज नई स्वीकारल भै।  चैलैंज्याण लग जावो तो लोग लुगाई कि बि नि सुणदन बल।  मीन बि चैलैंज्याण , चैलैंज्याण म स्याळियूं किसम खोजी दीनी। 
   सबसे पैल चैलैंज  छे बल कै हिसाब से स्याळइयूं तै विभाजित करे जाव।  सुंदरता हिसाब से स्याळियूं विभाजन कर बि द्यावो तो नरेंद्र सिंह नेगी जी , जीत सिंह नेगी जी अर गिरीश सुन्दरियालौ कवितौं म बनि बनि प्रेमिकाओं समिण म्यार विभाजन क्या टिकद ! तो मीन स्याळियूं विभाजन कार्यकलापों या ब्यौहार से कार।  गद्य म यी सौंग बि च।
पहल करेंदरि , अग्रसक्रिय स्याळि याने प्रोऐक्टिक सीस इन लौ -  जौं तै गाँव क पुरण दिनों ब्यौ अनुभव हो उ इन स्याळियूं बारा म  जणदा इ छन।  यी कै बि जीजा की छेड़खानी या मजाक की प्रतीक्षा नि करदन बल्कणम मजाक मस्करी की शुरुवात जीजाओं से पैल करदन।  तब संचार व्यवस्था नि हूंदी छे तो इन सुंदरियुं ऊर्जा ब्यौ बगत ही भैर आंद छौ।  अब इन प्रोऐक्टिव स्याळी मिलण कठण च किलैकि अब इन ऐक्टिव जीव फेसबुक , व्हट्सप या अन्य सोशल मीडिया म इथगा ऐक्टिव रौंदन कि ब्यौ काज म यूंकि ऐक्टीवपन समाप्त ही रौंद।  सोशल मीडिया यूंकि ऊर्जा खै गे। 
नेत्याणि -इन स्याळि गिरोह बणैक इ मजाक मसखरी म भाग लींदन। 
 रिएक्टिव याने प्रतिक्रियावादी स्याळी - उन इन स्याळी बि मजाक , मस्करी अर ब्यौ काजम हूंदा था।  अब बि होला।  इन किस्मौ  स्याळी असलम इनिसिएटिव नि ले सकदन यी जग्वाळम रौंदन बल क्वी जीजा यूंक दगड़ चबोड़ शुरू कारो अर एक दैं मजाक , मसखरी,  चखन्यौ शुरू ह्वावो ना यी चकचुंदरी प्रोऐक्टिवुं बि बौ सिद्ध ह्वै जांदन। 
 पैथर बिटेन छुस छुस करंदेरि - यि बस भीड़ म पैथर बिटेन मजाक पसंद करदन।  समिण पर आणम यूंक बौ तै करास लग जांद। इन स्याळी प्रतीकों सम ही बातचीत अधिक करदन। 
नासमज - इन स्याळी ह्वावो या नि ह्वावो कुछ फरक नि पड़द।  यू तै  प्रतीक समज म इ  नि आंदन।  तुम फ्यूंळि नाम ल्यावो तो इ बुलण मिसे जांदन -नरभै फ्यूंळि न चखणम भला न घासौ  कुण  भला।  घुघति बात कारो तो यि कव्वा अर घुघति झगड़ा की छ्वीं से  तुमर मूड खराब कर द्याल।  चिपळ कपाळ , चकोर , चाँद  , फाइव स्टार चॉकलेट क्या युंकुंण सब बोस हूंद।
गौल जन याने सिमसाण स्याळी - इन स्याळियूं तै भौत देर बाद पता चलद बल तुम यूं पर लाइन मारणा छां।  यी राहुल गांधी तरां हूंदन जै तै अब पंदरा साल बाद कुछ कुछ समज आयी बल नेता की क्वी जुम्मेवारी बि हूंद बल।  इन स्याळियूं दगड़ चुहुलबाजी वास्ता वेट ऐंड वाच पॉलिसी ही ठीक हूंदी।
 अर्ध्ग्रामेश्वर स्याळी - या जाति प्रवासी गढ़वळियूं म मिलदी।  यदि तुम गढ़वाली जीजा छा अर मजाक करण शुरू करिल्या तो यि अर्ध ग्रामेश्वर्याणि तुम तै निम्न कोटि मनुष्य समजदी या यूंको हिसाब से मजाक मसखरी निम्न स्तर का लोगुं आदत हूंदी।  पर यदि क्वी पंजाबी या यूपी का जीजा मजाक कारो तो यी वीं मजाक तै सभ्य समाज की संस्कृति नाम दे दींदी। 
  उन हौर किस्मौ स्याळी बि पाए जांदन जन कि जिकुड़ेळी , फड़कुळी , कुरस्यळी , भड़कीली , शर्मीली , आदि आदि।  किन्तु आज इथगा इ काफी च।जरा तुम बि बताओ बल हौर कै किस्मौ स्याळी हूंदन ?
 
भोळ - जब स्याळी नराज हो तो पुळयाणो तरीका ...

 
 

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  अजकाल जिंदगी पासवर्डै बैसाख्यूं पर  चलणी च

चबोड़।  चखन्यौ , मजाक : भीष्म कुकरेती
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हर युग म अपण अपण ठसक हूंद , सलीका हूंद , महत्वपूर्ण तकनीक हूंद।  अंग्रेजुं जमनम लाट साब , लाट साब महत्वपूर्ण छौ , नेहरु,  इंदिरा, राजिव , मनमोहन  जीक  जमन म जय हो नेहरु खानदान याने चापलूसों जमन छौ  चूंकि भाजपौ  शासन अबि तलक पांच साल नि ह्वेन त 'जय हो नागपुर की ' तैं अबि महत्व नि मील। 
      इनि कुछ साल पैल ताली चाबी जमन छौ , स्विच ऑन स्विच ऑफ  कु जमन छौ अब पासवर्ड से जिंदगी चलणी च , भगणी च या उड़नी च।  मै लगद उड़नी च। 
     पैल सैक़ल ह्वावो , स्कूटर ह्वावो  या कार इ किलै नि  हो हरेक कण ताळी चाबी हूंदी छे।  चाबी हर्चि जावो तो बॉबी अर बाबा कुछ बि कर लींदा छा।  पर अब  ह्वावो , स्कूटर ह्वावो हो या कार खुलण बंद करण हो इलेक्ट्रॉनिक लौक  ओपन करणो तुमर दिमाग अर स्मरण शक्ति की पराम् आवश्यकता पड़दी।  चाबी ख्वे जाय तो बॉबी दगड़ डांस ह्वे सकद छौ पर अब पासवर्ड बिसरी जावो तो बॉबी बि भाजी जाली। 
   पैल मकान लगण या फ़्लैट मालिक हूण बाद म पैल ताळ चाबी खरीदण पड़द छे अब इलेक्ट्रॉनिक ताळ अर बस पासवर्ड , तुमर भैर भीतर हूण पर पासवर्ड   कु अधिकार च अब। 
    बैंकिंग अब परम्परागत बैंकिंग नि रै गे बल्कण म अब पासवर्ड बैंकिंग ह्वे गे।
   पैल खरीददारी सरल छे बस रुप्या लिजाण आफत  हूंद छे अर अब बस क्रेडिट स्वेप कारो पर पासवर्ड बिसरि गेवा त खरीददारी की ऐसी तैसी।
   मोबाइलम खुलणो पासवर्ड , नेट खुलणो पासवर्ड, फेसबुक खुलणो पासवर्ड  अर भुल्युं पासवर्ड का बान हैंक पासवर्ड।  जिंदगी पासवर्ड का जंजाळ फंस  गे।
    पैल सेफ हूंदी छे अर ताळ चाबी हूंद थै अब सेफ का वास्ता पासवर्ड ह्वे गे।  सेफ्टी पासवर्ड की बंधक ह्वै गे।
      कम्प्यूटर  सर्वपर्थम पासवर्ड की ही मांग , मेल खुलणो पासवर्ड की मांग , विशेष सर्च का वास्ता पासवर्ड। 
किचन म जावो तो माइक्रोवन , इंडक्शन कुकर , मल्टी कुकर , गैस स्टोव,  क्या फ्रिज बि बगैर पासवर्ड का यूज नि करे सक्यांद।  भोजन  बि अब पासवर्ड ह्वे गे
    पैल समौ बिताणौ बान बाछी कांद हूंदी छे अब  हरेक पासवर्ड याद करण से समय कट जांद।  जिंदगी पासवर्ड पिंजरा म बंद ह्वे गे।
     अच्काल जिंदगी घ्यू दूध पर नी चलणी अपितु पासवर्ड पर चलणी च।
 
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           भुंदरा बौ उवाच (जोक्स, हंसुड़ी , हँसिकाएँ )  -भाग 22     
 
                   अनुवाद अर संकलन  - भीष्म कुकरेती   -
भुंदरा बौ - ये द्यूर ! मीन पैल भैर वळ तै फेंक अर भितरौ चीज भड्याइ  फिर भैर वळ खाई अर भितर वळ फुण्ड चुलै दे।  बोल क्या ?
द्यूर - मुंगरी थ्वाता
xxx
भुंदरा बौ -पलानिअप्पन चिदंबरम कु बड़ो च , नरेंद्र मोदी कु कुछ  छुट च , देवेंद्र डे कु सबसे छुट च , योगी आदित्यनाथम  बि च पर प्रयोग नि करदो।  बोल क्या ?
द्यूर - जाति या सर नेम
xxx
भुंदरा बौ - एक डॉक्टर अर एक लड़का सड़क म जाणा छन।  लड़का डॉक्टरक पुत्र च पर डॉक्टर लड़का कु बाबा नी च।  तो डॉक्टर क्वा च ?
द्यूर - डॉक्टर लड़का की ब्वे च।
xxx
भुंदरा बौ - क्वा चीज च " जैंक मुख च पर खै नि सकदी , चलदी च पर खुट नीन। 
द्यूर -नदी



  / /2017   Copyright ? डाका डाळिक लयूं  माल च तो म्यार अफिक  अधिकार ह्वे जांद कि ना ?
 
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  बंशी  किसना से इथगा  किलै चिरड्यांद ?

चबोड्या  , चखन्यौर्या  , मज्जक्या  : भीष्म कुकरेती
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   बंशी सद्यनी तरां सुबेर पूजा की जगा एक फोटो पर चक्कु नपांद अर बड़बड़ करदो - ते से बड़ो दुसमन म्यार ये जमन म नी।  म्यार सरा रिस्तेदार  एक असुण्या  कु सुख्यर  जीवन की कामना करदन अर एक मि छौं जु एक सूरत देखिक इ दुख्यर ह्वे जांद  .
बंशी क नयो रूममेट - क्या रे बंशी सरा दुन्या सुबेर सुबेर भगवान से प्रार्थना करद अर तू यीं फोटो पर चक्कु नपाणु रौंद।    बात क्या च आखिर  ?
बंसी चक्कु  तरफ घुमैक  - यु म्यार दुन्या म सबसे बड़ो दुसमन च। 
रूममेट - ह्यां  पर किलै यु , अबोध, बेगुनाह  बेगुनाह , इन्नोसेंट  दिखेण वल यंग मैन त्यार दुसमन च ?
 बंशी - , बेगुनाह अर यू ? अबोध अर यू ? अरे ये से बड़ो रागस आज तक पैदा इ नि ह्वे यीं दुनिया म। बेगुनाह , अबोध हूँ ! ये बड़ो जल्लाद क्वी नी च यीं दुन्या म।
रुममेट - अरे बंशी ! सूरत त देख मासूम साधी किन्तु ऊर्जावान यूथ ! रियाल इन्नोसेंट यंग मैन !
बंशी - अबे ये से बड़ो दुर्जन आज तक तीन देखि नि होलु ?
रुममेट - अरे पर येन कार क्या च ?
बंशी - अरे जु दस्यु रागस करदो  उनी येन कार और क्या ?
रुममेट  - बस रागस च दस्यु च , दुर्जन च की रट लगायीं च बल दुश्मन च। ह्यां बतैल त जणलु न ?
बंशी - अब क्या बथौं ?
रुममेट - ठीक च नि बथा।
बंशी  - अरे सूण सूण।  उ क्या च जब यु एक सालक रै होलु त मि अपण बैणि मिलणो एक गाँव ग्यों। 
रुममेट - औ त क्या ह्वाई ?
बंशी -हूण क्या छौ।  एक दिन दीदी बुन बिस्याइ बल ये बंशी सुबेर बिटेन ये किसना न मूत नी जरा ये तै झाड़ा करै दे।  दीदीक बात मनण इ छौ।  मीन  किसना तै खुकली पर ले अर स्स स्सू सू बोलिक पिशाब कराइ दे। 
रुममेट -औ त बंशी त्यार भणजो च ?
बंशी (दांत कीटिक )  -केक भणजो दुश्मन च दुश्मन च। 
रुममेट - क्या ह्वाइ फिर ?
बंशी -अब क्या ह्वाइ जब बि पिशाब कराण हो तो दीदी मितै बुलै द्यावो।  मी बि भणजु बोलिक तल्लीनता से ये तैं पिशाब करांद छौ।
रुममेट -या तो बढ़िया बात च।  भणजो सेवा से पुण्य मिल्द।
बंशी -खन्नौ पुण्य मिलद।  अरे मि त झाड़ा वैद्य बणी ग्यों।  टट्टी  हकीम ,लू , यूरीन फिजिसियन
रुममेट -क्या ?
बंशी -हाँ।  दीदी अर जीजान बाबा जी कुण रैबार भयाज बल किसना बगैर बंशी क पिशाब नि कौर सकद त बंशी तै इकि रुकणा छां।  बाबा जीन बोल बल ठीक च।  कुछ दिन पिशाब करांद छौ फिर वु किसने बगैर म्यार खड़ हुयां टट्टी बि नि करद छौ , रात बिरांत बि मि तैं वै तै पिशाब या झाड़ा कराण पड़द छौ। 
रुममेट -ओहो बड़ी दिक्कत हूंदी ह्वेली हैं ? पर भणजो सेवा त बुरी नी ना।
बंशी -अरे भणजु तै झाड़ा पिशाब कराण हो तो ठीक छौ पर फिर गाँव म लोग बाग़ अपण बच्चों तै लेक आण बिसे गेन - बल ये बंशी म्यार छुटु तैं पिशाब नी हूणी जरा सुसू बोलिक पिशाब टट्टी करै दे।  अर अब कुछ दिन बाद कैक बि बच्चा तै टट्टी पिशाब कराण हो मि तै जाण पड़द छौ।  म्यार नाम बंशी पधान से सुस्सू पधान ह्वे गे।
रुममेट -वास्तव म यू त मानसिक बलात्कार ही ह्वाइ भै।
बंशी -अरे यांक बाद तो  गैंग रेप हूण मिसे गे।
रुममेट -विलेज गैंग रेप ?
बंशी -फिर कुछ दिन बाद गाँव बैक याने प्रौढ़ुं तै कबज ह्वे जावो या पिशाब रुक जावो तो लोग मि तैसुस्सू सुस्सू बुलणो बुलावन अर तब जैक ऊंक टट्टी पिशाब खुल्दी छे।  स्कूलम बि पैल पैल प्रिंसिपलन सुस्सू कारणो बुलाई अर फिर मास्टरुंन बि सुस्सू बुलणो बुलाण शुरू कर दे।  इख तक इ बात नि रुक अब त क्षेत्र वासी बि कबज या पिशाब की बीमारी म सुस्सू कराणो भट्याण मिसे गेन। मि बंशी से सुस्सू मैन ह्वे ग्यों।
रुममेट -अछेकि मानसिक प्रतड़ना ह्वे या तो।  फिर ?
बंशी -फिर मि भाजिक अपण चचाम पढ़णो देहरादून ऐ ग्यों।
रुममेट -औ त अब तो मानसिक त्रास बंद ह्वे गे होली हैं ?
बंशी -क्यांक बंद। गाँव वळ कबज हो तो देहरादून ऐ जावन। अर सुस्सू बुलणो काम दे द्यावन।रुममेट -वेरी बैड।  फिर छुटकारा ?
बंशी -मि देहरादून से भाजिक ममा जी म पढ़णो पटना च ग्यों
रुममेट - चलो दूर। .. पर अब किलै गुस्सा क्यांक गुस्सा ?
बंशी -अरे फिर लोगुंन फोन पर सुस्सू बुलणो रिक्वेस्ट शुरू कर दे अर अब मोबाइल पर मि तैं सुस्सू सुस्सू बुलण पड़द।
रुममेट -औ तबी तू ऑफिस म या ड्यारम मोबाइल पर सुस्सू सुस्सू चिल्लाणु रौंदी ?
बंशी -हाँ अब बि दीदी क ससुराल वळुं झाड़ा पिसाब रुक  जावो तो फोन पर सुस्सू चिल्लाणो ऑर्डर दीणा रौंदन।
रुममेट - भौत तकलीफदेय स्थिति च भै।  टेरीबल सिच्युएशन।  वेरी टेरीबल।
बंशी -हाँ तबी त मि अपण भणजु तै अपण दुसमन मणदु।
रूममेट - बंशी ! एक मिनट हाँ म्यार गाँव बिटेन  फोन च।  हेलो चचा जी हेलो।  प्रणाम चचा जी।  हाँ हाँ मि बंशी कु रुममेट छौं।  क्या ? क्या ? क्या आप तै कबज च अर चार पांच दिन से पेट नि खुल अर भौत दर्द हूणु च ? क्या क्या ? क्या बंशी से सुस्सू सुस्सू बुलणो रिक्वेस्ट करण ? ठीक च मि बंशी से सुस्सू सुस्सू  बुलणो रिक्वेस्ट करदु। 
 
(तेलगु फिल्म 'लव ऐक्शन धमाका'  का एक सीन से से प्रेरित )
Copyright@ chabodachaarya  Bhishma Kukreti ,2019  Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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सुरजेवाला का खम्बा नोचना,अपना सर फोड़ना और राहुल जी लहूलुहान !
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 व्यंग्य - भीष्म कुकरेती
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 कैपणि  बोल हैं बल जब असहाय फील करें  तो बिल्लियों को खम्बे को नोचना चाहिए।  आजकल कॉंग्रेस को देखकर एक नई कहावत आ चली है बल  राजनैतिक विरोधी कोई अभिनव काम करे तो  उस माध्यम , उस उद्द्येश्य को ही गाली दो जो माध्यम विरोधी अपना रहा है।
  24 अप्रैल के दिन भारत में पोलटिकल मार्केटिंग में एक बिलकुल नया प्रयोग हुआ कि अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार सारे टीवी चैनल दिखा रहे थे।  मार्केटिंग का प्रोफेसनल होने के नाते मैं तो इस प्रयोग को इक्कीसवीं सदी का विपणन में एक अभिनव प्रयोग ही मानूंगा।  सभी टीवी चैनलों ने इस साक्षात्कार को सारे दिन भर कई बार दिखाया।  इन टीवी चैनलों ने इस साक्षात्कार को इसलिए सरे दिन भर नहीं दिखाया कि यह मोदी जी का या अक्षय कुमार का  इंटरव्यू है बल्कण में टीवी चैनलों को इंटरव्यू  प्रसारण के समय ही पता लग रहा था कि दर्शक चॅनेल से हुक हो गए बंध गए हैं।  यहाँ तक कि हिंदूवादी विचारधारा धुर विरोधी चैनल NDTV को भी इंटरव्यू दिखाना पड़ा व इस इंटरव्यू पर नकारात्मक ही सही बहस तो चलानी ही पड़ी क्योंकि यह इंटरव्यू टीआरपी खिंचाऊ इंटरव्यू जो था , दर्शक पिड़ -पिड़ टीवी चैनल देख रहे थे।
 कॉंग्रेस के महान विचारक सुरजेवाला का महान विचार भी दर्शकों को सुनने को मिला बल मोदी अक्षय कुमार से बड़े नाटककार या फेल नेता आदि आदि।  बेचारे  सुरजेवाला ने  गुस्से में , खुन्नसमें , निराशा में  खम्बा इतने जोर से नोचा कि बेचारे राहुल जी क्या प्रियंका ही लहू लहान हो गए।  खम्बा नोचु प्रवक्ता सुरजेवाला ने प्रयोग (नए तरह का इंटरव्यू ) को ही गली दे डाली , प्रयोग की ही ऐसी तैसी कर डाली।  सुरजेवाला को वरोध अवश्य ही करना चाहिए इसमें कोई बेवकूफ पप्पू सप्पू भी प्रश्न नहीं करेगा कि सुरजेवाला बिलाव  खम्बा क्यों नोच रहा है किन्तु सुरजेवाला के शब्द तीखे थे प्रभावशाली न थे कि दर्शक इंटरव्यू से घृणा करते उलटा कॉंग्रेसी दर्शक भी टीवी के पास आ धमके और टीआरपी बढ़वा गए।  बेचारे सुरजेवाला गए थे राहुल जी के लिए पीने के लिए  घी लेने  और मोदी पर इतना गुस्स हुए कि  राहुल जी के लिए मिट्टी तेल ले आये । कॉंग्रेस विरोधी पार्टी है और कॉंग्रेस का काम है भाजपा या मोदी के कमजोर पक्ष पर भयानक से भयानक   आघात करना।  'राफेल घोटाला ' या 'चौकीदार चोर' वास्तव में मार्केटिंग दृष्टि से प्रशंसनीय  आघात है किंतु  आघात हेतु कॉंग्रेस को नए अभिनव प्रयोग करने चाहिए था।  राजनैतिक संचार संवाद में समाचार बनना सबसे बड़ी कामयाबी मानी जाती है किन्तु 2019 चुनाव में कोन्ग्रेस ने कोई नया प्रयोग न कर दिखा दिया कि कॉंग्रेस में सोच बुढ़ा गयी है, बृद्ध सोच कॉंग्रेस की कमजोरी बन गयी है ।  कॉंग्रेस को तीर व धनुष भी नए लाने चाहिए थे जैसे नए एग्रेसिव स्पोक्सपर्सन लाये। 
  पोलिटिकल मार्केटिंग में सरकारी दल या बड़ा दल अपने पर ही आघात करता है याने नए नए माध्यम या न्यूज बनता है। अक्षय कुमार पीएम का इंटरव्यू ले रहा है यही बड़ी न्यूज थी। विरोधियों द्वारा  इंटरव्यू बेकार था , इंटरव्यू में भूसा था , बकवास इंटरव्यू या अब मोदी को बादी , बादण , नचनिया  (फिल्म वाले )  का सहारा लेना पड़  रहा है जैसे व्यक्तव्य कुछ नहीं खम्बे नोचकर अपने को ही लहूलुहान करने वाले व्यक्तव्य थे।  पोलिटिकल मार्केटिंग में मोदी तो जीत ही गए ना !
   'अक्षय - मोदी साक्षात्कार' पर विरोधी प्रवक्ता इतने गुस्सिया रहे थे इतना बौरा रहे थे  जैसे कोई इनकी कोई धरोहर भगा कर ले गया हो।  वास्तव में इन विरोधियों का रोष ऐसा ही था जैसे पड़ोसियों की मकई खूब हुयी हो और ये महाराज अपने दादा पड़ दादा को गाली देता हो बल हमारे लिए अच्छे उपजाऊ खेत क्यों नहीं छांटे !   
 
  सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती , 26 अप्रैल 2019
जसपुर ढांगू गढ़वाल से हिंदी राजनैतिक व्यंग्य , गढ़वाल से राजनैतिक हिंदी व्यंग्य , उत्तराखंड से राजनैतिक हिंदी व्यंग्य , मुंबई से राजनैतिक हिंदी व्यंग्य ; महाराष्ट्र से राजनैतिक हिंदी व्यंग्य , कोंकण से राजनैतिक हिंदी व्यंग्य ; गैर हिंदी क्षेत्र से राजनैतिक हिंदी व्यंग्य
   

Bhishma Kukreti

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  प्रियंका बाड्रा का बनारस चुनाव से वापस पैर  खींचने का असली सच्च

चिकोटी , चक्कलस , मसखरी : भीष्म कुकरेती

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भारत का हर  , ननो , छोटा बड़ा अख़बार नबीस , टीवी चैनलों के खुर्दबीनी पत्रकार जोर लगा रहे हैं बल पता चले कि  फिरोज जहांगीर  पौत्री की होने वाली महान नेत्री प्रियंका बाड्रा ने बनारस से मोदी विरुद्ध चुनाव लड़ने से क्यों इंकार किया व किसके कहने पर मिसेज राबर्ट बाड्रा तैयार हुयी और किसकी सलाह पर मिसेज बाड्रा ने लड़ने से पहले ही हथियार छोड़ दिए , बनारस से हार स्वीकार कर ही नहीं ली अपितु अन्य भाजपा विपक्षियों हेतु भी हार के दरवाजे खुलवा दिए।  बहुत से मुंहफट ,मुखर ,  छिछोरे लोग मिसेज प्रियंका को मिसेज खेत छोड़ू बाड्रा कह  रहे हैं।  बहुत से पत्रकार मुंडी खुजा रहे हैं बल वो कौन सी बैठक भयी हुयी होगी फिरोज  जहांगीर परिवार मध्य कि नपी नुपी तेज कुल्हाड़ी को खुंडी , धार कम की गयी।   
  मैंने सोचा और बहुत सोचा बल क्या हुआ होगा कि मिसेज प्रियंका रॉबर्ट को लड़ने से पहले ही हार माननी पड़ी।  मुझे लगता है कि फिरोज जहांगीर गांधी के वारिसों मध्य इस प्रकार वार्तालाप हुआ होगा -
राहुल - मम्मी ! मम्मी ! ओह मादरे !
सोनिया - कारो फ्रिग्लिओ ! डियर सन कुछ तो सुधर जा।   जब भी तुझे निर्णय लेने पड़ते हैं तू चीखने चिल्लाने, किराने  लगता है और कभी क्या हर बार गले पड़  जाता है।
राहुल - कारो मादरे ! क्या करूँ मुझसे निर्णय लिए ही नहीं जाते।
रॉबर्ट बाड्रा - गर्र -गर्र -घर्र
राहुल - मम्मी ! जब भी मैं परेशानी में होता हूँ रौबर्  ट जीजा शेर जैसी आवाज निकालने लगते हैं।
रॉबर्ट बाड्रा - मैं तो जोर जोर की सांस ले रहा हूँ।
प्रियंका बाड्रा - डियर रौबर्  ट ! यह राजस्थान हरियाणा की खाली जमीन नहीं जिसे देख तुम खुसी में गुर्राओ प्लीज।  इट्स वेरी वेरी सीरियस डिसीजन वी हैव  टु टेक।
सोनिया - सि सि ! (यस ) अमे  गंबीर  डिसीजन ले ना ऐ तो रॉबर् ट ! टुम बी गंबीर  ओ जाओ।
रॉबर्ट बाड्रा - बट मॉम  मै तो जस्ट जोर जोर से सांस ले रहा हूँ।
प्रियंका बाड्रा - डियर रॉबर् ट ! सांस लो पर शेर जैसे नहीं लोमड़ी जैसी  सांस लो , शेर की आवाज से भय्या  डर जाते हैं।
प्रियंका - भय्या ! मैं बनारस से चुनाव लड़ूँ कि नहीं ?
राहुल - मम्मी ! मम्मी  मादरे ! दीदी भी।
सोनिया - प्रियंका डोंट पुश हिम हार्ड ऑलरेडी ही इज डुइंग मोर  दैन हिज कैपेबिलिटी।  उसे निर्णय लेने के लिए ऐसे बाध्य मत करो।
प्रियंका बाड्रा - बट मॉम  भय्या के सलाहकारों ने ही सलाह दी बल मैं बात फैलाऊं बल प्रियंका बाड्रा बनारस से चुनाव लड़ेंगी।
सोनिया - मोदी के सामने हार तो निश्चित है।
रॉबर्ट - गर्र गर्र घर्र
प्रियंका - डियर रॉबर् ट ! ये क्या फिर से ?
रॉबर्ट बाड्रा - डियर तुम्हे बलि का बकरा बनाया जा रहा है। गहलोत अंकल व हुड्डा अंकल दोनों कह रहे थे बल बनारस से तुम्हारी हार निश्चित है।
सोनिया - तो अब क्या करें।  अरे डिक्की मतलब दिग विजय जी का फोन। .
सोनिया - हाँ बोलो दिग्गी बाबू ! क्या प्रियंका ही नहीं तुम्हारी भी हार पक्की है , हंड्रेड परसेंट ?
दिग्गी  (फोन पर ) - मैडम महाभारत पुराणों से सीख लेनी चाहिए कि अभिमन्यु को मरवाया जाता है और युधिष्ठिर , अर्जुन , भीम को मारक , मृत्यु दायी चक्रव्यूह से बचाया जाता है। 
सोनिया - तो क्या करें ?सैम पित्रोदा तो सलाह दे रहा है प्रियंका को बनारस से चुनाव लड़ना चाहिए
दिग्गी - किसी ऐरे  गैरे , निट्ठले  को बलि का बकरा बनाइये सेनापति को क्यों बलि का बकरा बना रहे हो।
सोनिया - टीक ऐ  , टीक ऐ।  समज समज गया  मै
सोनिया - हैँ मोती लाल बोरा जी का पोन ? आं  आँ बोरा जी ?
मोती लाल बोरा - मैडम पोपला मुंह छोटी बात ! मैडम मिसेज बाड्रा को कर्ण याने मोदी जी के सामने खुले आम बीच चौक में मत पिटवाईये  मिसेज बाड्रा को घटोतकच्छ मत बनवाइए।
सोनिया - ए क्या ऐ ? दिग्गी बाबू कअ रये ऐं  प्रियंका को अभिमन्यु मत बनाओ और बोरा  जी कअ रये ऐं घटोतकच्छ मत बनाओ। प्रियंका अभिमन्यु , घटोतकच्छ का मीनिंग क्या ऐ ?
प्रियंका बाड्रा - मॉम मुझे भी इतना पता नहीं।  लेट अस आस्क अवर स्प्पोर्टर द्वारिका पीठ के शंकराचार्य जी।
सोनिया - हाँ हाँ ! पोन लगाती ऊं।
सोनिया - ऐलो ऐलो ! शंकराचार्य जी ! ये अभिमन्यु और घटोतकच्छ बला ऐ क्या ? क्या  खिचरोड़ ऐ ये ?
शंकराचार्य - जब किसी बड़े शौर्यवान की किसी शक्ति को समाप्त करवानी हो तो  पुत्रों की बलि चढ़ाई जाती है जैसे महाभारत में सात योद्धाओं की शक्ति डिफ्यूज करने के लिए अभिमन्यु को चक्रव्यूह में भिजवाना , कर्ण की अमोध शक्ति को समाप्त करने घटोतकच्छ का इस्तेमाल , अश्वथामा के ब्रह्मास्त्र समाप्त करने या शक्ति कम करने के लिए पांडव पुत्रों को मरवाया गया जिससे पांडव ज़िंदा रहें।
सोनिया - मतलब  अभिमन्युओं , घटोतकच्छों की मृत्यु निश्चित होती है ?
शंकराचार्य - बिलकुल इन्हे ही बलि का बकरा बोला  जाता है। जैसे आपके सामने कभी सुषमा स्वराज को उतरा गया था या , राहुल के सामने स्मृति ईरानी को खड़ा किया गया है
सोनिया = ग्रेजी मिले ग्रेजी मिले मतलब थैंक यू संकरा जी।
प्रियंका - यस मॉम ?
सोनिया - नो वे ऐट ऑल।
राहुल - क्या मॉम ?
सोनिया - फिरोज जहांगीर के वारिस बलि के बकरे बनने के लिए पैदा नई ओते। फिरोज जहांगीर के वारिस  जीतने के लिए , राज करने के लिए बर्थ लेते हैं हारने के लिए नईं।  प्रियंका बनारस से चुनाव नहीं लड़ेगी बस।  दिस इज फाइनल डिसीजन।
राहुल - ओह मॉम आइ ऐम रिलैक्स्ड नाऊ ।  थैंक्स यू टुक डिसीजन। 

सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती 27 अप्रैल 2019
(यदि किसी  कारण से उपरोक्त बातें सहीं हों तो मुझे नहीं मेरी कल्पना को दोष दीजियेगा )

पश्चिम भारत से हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ; गैर हिंदी क्षेत्र से हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ; महाराष्ट्र से हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ; मुंबई से हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ; मुंबई से गढ़वाली व्यंग्यकार का हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ; मुंबई से उत्तराखंडी व्यंग्यकार का हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ; मुंबई से उत्तर भारतीय व्यंग्यकार का हिंदी राजनैतिक व्यंग्य ;
 









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सपुर वळुं  तैं म्यूजियम दिखणम मजा किलै नि आंद ?
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 चबोड़ , चखन्यौ , मसखरी : Bhishma Kukreti
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 दिल्ली , मुंबई म जसपुर ढांगू  वळुं  रिस्तेदार जसपुर वळुं पर भगार , लगांदन बल यूं जसपुर वळुं तै कुज्याण किलै म्यूजियम दिखणम क्योंकि औसंद आन्दी  अर किलै पसंद  नि करदन धौं।  इख तलक कि जसपुरा लोक लखनऊ का चकरघिन्नी , मुंबई क फिश म्यूजियम दिखणम बि  मजा नि लीन्दन।  जसपुरा लोक बाग यूं म्यूजियम तै इन दिखदन जन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रधान मंत्री पद तै उदासीन भाव से दिखदान। 
   भौत सालुं तक मि हौर गांव वळुं  भगार , लांछन , अभियोग , उलाहना सुण नु रौं मीन इनि ध्यान नि दे जन  उत्तर प्रदेश , बिहार , उत्तराखंड सरकार पचास सालुं से पलायन एक समस्या पर ध्यान नि दीणा रैन।  पर जनि तीरथ भुलान पलायन आयोग बणायी मेरी बि निंद बिजि गे अर सोच बिचार करि मै समज आयी गे बल  जसपुर वळ म्यूजियम दिखण पसंद किलै नि करदन।  या बिगळीं  छ्वीं छन बल पलायन आयोग अबि बि स्टेटिक्स कट्ठा करणु च।  आयोग सदस्य सब रिटायर छन तो पोस्ट रिटायरमेंट बेनिफिट्स को मजा कम से कम पांच साल तो ल्याला इ बल कि ना ?
   पलायन आयोग रिपोर्ट जब द्याल तब दिखला पर मेरी रिपोर्ट त तयार च।
    अच्छा हम म्यूजियम म क्या दिखदां बल हमर इतिहास क्या च , हमम क्या क्या अनोखी चीज बस्तर छन या क्या प्राकृतिक अनोखा पन  छौ।  जब हमर गाँव म हम बचपन से इ अनोखाइ प्राकृतिक छटा दिखला तो क्या हमतैं नियाग्रा फाल पसंद आल  क्या ? कत्तै नि आंद।  जैन बचपन म होस सम्बाळदा  हि समिणा गाँव ग्वीला अळगौ बखारी छिंछ्वड़ देखि हो अर बरसाती रातों म रोज बखारी डांडो छिंछ्वड़ ै आवाज से डरदो हो वै तै नियाग्रा फाल क्या पसंद ालो।  बरसात बखारी झरना म जु फ्यूण , जो उफान , जु डरावनी ध्वनि पैदा हूंद छौ वांकी याद से ही जसपुर वळुं तै बकै झरना फरना  दिखणम मजा नि आंद।
  फिर जसपुर का बच्चा जनि तीन चार सालौ हूंद छौ गांव म घुमण शुरू हूंद छौ वु राधु ददा जी (अब जगदीश चचा जी अर बंधु ) अर सस्ता ददा जी (अब गोविन्द चचा जी  )  क खड्ड उबर से रुबरु हूंद छौ।  दस बारा साल तक हमर समज म ऐ जान्द छौ बल यी उबर कम से कम , आजा हिसाब से डेढ़ सौ  साल पुरण त रै इ ह्वाल।  खड्ड उबर माने ठंड , ग्राम से बचत /रक्षा।  जै गांव वळुंन यी धरोहर देखि हो वै गां वळुं तै म्यूजियम क्योंकि मजा आल  भै ? तुमि बताओ ?  अब गोविन्द चचा जी अर जगदीश चचा जीन यी खड्ड उबर भरी ऐन अर मकान अब आधुनिक ह्वे गेन तो शायद नई पीढ़ी तै म्यूजियम दिखणम मजा आलो।   इनि जखमोला सौकारुं तिबारी बि उन्नसवीं सदीs  याद दिलांद छे अब वा तिबारी अब ध्वस्त करे गे अर नै मकान आयी गे।  ऊनि बहुगुणो तिबारी छन वो बि ध्वस्त ह्वे गेन अब पर एक जमाना हम जसपुर वळुं कुण यी तिबारी दिखण माने लाल किला दिखण।  इन म मेरी जनरेसन वाळुं से क्वी आसा कारल बल हम म्यूजियम दिखणम इंट्रेस्ट ल्योला तो यु त हमर ऊपर जुलम ही होलु जन सवर्ण आरक्षण तै जुलम मणदन उनी जुलम।
    इनि चार पांच सौ साल पुरण  ग्विल्ल का ठौ (धातु की सांप , बंदळ आकृति आदि ) हो सौ साल पुरण  नागराजा मंदिर दिखयूं हो वो जगन्नाथ  मंदिर म क्या इंट्रेस्ट ल्यालो ?
कुकरेत्युं क्वी पुराणी तिबारी नी छन किले कि हम ोरोजिनल कुकरत्यूं तिबारी तो महा भू स्खलन म बॉगी गे छ शायद अंग्रेज आण से पैली।या 1850 का बाद। बस हम तै यी जरूर याद दिलाये जान्द बल हमर गां म पाणी छौ अर महास्खलन म उ पाणि तौळ चौळ गे अर अब उखम एक नौळी च जु दुसर गाँव सौड़ की हद्द म च।  इतहास से हम रुबरु बचपन से इ ह्वे जांदा त म्यूजियम प्रेम से क्या लीण -दीण ? इनि कबि जसपुर की धरोहर शिवाला आज ग्वील की शान च भी तो इतिहास गवाह ही च इनि ठंठोली हद्द म गोदेश्वर शिवाला बि त जसपुरौ इतिहास गवाह च बल कबि यूं द्वी शिवाला पर जसपुरौ अधिकार छौ अर यूं  द्वी   जगा मड़घट बि छौ। 
    बौद्ध  गया दिखणम बि जसपुर वळुं तै क्वी इंट्रेस्ट नि   आंद अरे जौन अपण गांव, तीन सौ साल पुरानी संस्कृति गवाह याने  डळयों मट्ठ  देखि हो ,  वूं तै कै बि म्यूजियम दिखणम क्या मजा आलो ?
   जौंक गांवम कुकरेती जाति 600 साल पुरण पितर्वड़ हो वूं तै फतेहपुर शीकरी  दिखणम क्या मजा आलु।  जै गांव म तीन सौ साल पुरण हल्डूणो डाळ , चारेक सौ साल पुरण बौड़ौ डाळ हो द्वी सौ सालपुरण सिमळो डाळ (अब एक लखड़ अस्पताल भवन पर छन ) . द्वी सौ साल पुरण कंडारs डाळ (ग्वाळ का उड्यारी से अंदाज लगद ) हो, जै गांवम द्वी सौ साल पुरण  कुंळै डाळ , 1890 का करीब का खड़ीक हो ,  वै गाँव वळ कोलकत्ता का बॉटनिकल गार्डन दिखणम क्या इंट्रेस्ट ल्याला ?
      इनि जौं गां वळुंन 1860 का न्याड़ ध्वारा स्कूल टंकाण स्कूल देखि हो वो नालंदा विश्व विद्यालय का खंडहर म किले इंट्रेस्ट ल्यालो भै ?
    हां इन दिखणम आयी बल जसपुर की नई साख अब म्यूजियम या पर्यटन स्थल भ्रमणम इंट्रेस्ट लीण लग गे बल तो कारण च बल या नई नवाड़ी जनरेसन  म्यूजियम से सिखणी च बल कनै 600 साल से पुरण जसपुर क्षेत्र तैं पर्यटक स्थल प्रसिद्ध करे जावो।  दिख्या क्या हूंद धौं.
   
Copyright @ Bhishma Kukreti , मई 2019
   
       

Bhishma Kukreti

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           लाटु (मूर्ख ) बणि लाभ उठाण

(राहुल गांधी जी, तेज प्रताप यादव जी  से क्षमा याचना सहित )

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 चबोड़ ,चखन्यौ , कंडाळी : भीष्म कुकरेती
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      मराठी म बुल्दन   एड़ा बणि पेड़ा खाण मतबल लाटु बणि मजा लीण।    मीन मूर्ख बणि लाभ उठाण बाळापन से इ सीखि आल थौ।  मि तै तमाखू से बड़ी चिढ़ छे।  पर गांवम संस्कृति छे बल बच्चों से तमाकू भरवाओ , हुक्का पाणी बदलावों।  पैल पािल मि तै बि काम दिए गे मीन लाटू (मूर्ख ) बणि चिलम पर तमाखू  मथि आग अर आग मथि चगटी धौर।  तमाखू भराण वळ ददा , काका न धमकाई बि च बल 'क्या रे भीषम ! मीन सूण बल पढ़न म टी हुसियार छे फिर चिलम भरण नि आंद ?'
मि मूर्ख जन चुप्पी रौं , कुछ नि ब्वाल। 
   दुसर दैं कै हैंक  बडा जीन हुक्का भरणो दे।  मीन चगटी सजला क दुंळ मथि  धार अर फिर तमाखू अर तब आग।  अर दे दयायी हुक्का बाडा जी तै।  स्वास फूल गे बाडा  जीक पर धुंआ नि आयी।  सजला उफार तो पता चौल बाडा जी तैं ।  बाडा जीन ताबड़ तोड़ ऐज्युकेसन ण की ऐसी तैसी करदा ब्वाल ," हराम का बच्चा मास्टर फोकट की तन्खा खाणा छन बच्चों तैं ठीक से तमाखू भराण बि नि सिखान्दन "
  बस द्वी तीन दैं मूर्ख बणि तमाखू गलत भौर तो फिर कैकि  बि हिम्मत नि ह्वे कि इंडियन एजुकेसन सिस्टम पर तमाखु उछाळन। 
     मूर्ख बणनो बान भौत सा नलटण  करण पोड़दन।  जन कि स्कूल म पाद द्यावो अर मास्टर जी पूछन , ये कैकि पुटकी लग खाड ?  या कैकई पुटकी फट ? बस तुम चुम मुंडी तौळ राखो जन बुल्यां तुमन सूण इ नि हो धौं !
  बसम छोर्युं पर धक्का मारो अर मूर्ख जन व्यवहार कारो तो 100 दफै मांगन  40 दफै छोर्युं चप्पल खाण  से बचणो चांस मिल ही जांदन।  हाँ मूर्ख लगणो का स्वांग जरा ठीक से ही हूण चयेंद।  लाभ का वास्ता मूर्ख बणनो सिद्धांत च गळा लगो पर गळा नि पोड़ो या खुले आम आँख नि मारो।
    रजमर्रा म बि हम मूर्ख बणनो नाटक  करदा इ छा।  घाम ऐ जावो अर तुम बिस्तर पुटुक इ छवो तो पत्नी से मूर्ख बणी इ बच सकदा। बस रेल म कन्फर्म्ड टिकट नि तो मूर्ख बणि जगा या सीट हथ्याणौ कुण सबसे बड़ो हथियार हूंद लाटा या मूर्ख बणनो स्वांग कबि पास कबि फेल।  पास तो ठीक फेल ह्वे जावो तो सब साले चोर हैं भ्रस्ट हैं से गुस्सा निकाळो।
     ओफिस म बॉसक समि दिन म भौत दैं मूर्ख  हूणो नाटक करण इ पड़द अर यांकुण  एकि शब्द हूंद -OMG  ओ माई गौड मि तै आसा नि छे , मि नि समजदो छौ मूर्खता व्यक्त करणो वास्ता
एक रिसर्च से पता लग बल औसतन मनिख दिन म हर घंटा म  तीन दैं मूर्ख बणनो  नाटक स्वांग करदो बल। 
बुल्दन बल हुस्यार तै सलाह की जरूरत नि हूंदी अर मूर्ख सलाह नि लींद किन्तु मूर्ख बणनो स्वांग करणो बान हुस्यार हूण जरूरी च निथर मार पोड़ सकद। परीक्षाओं म बि कत्ती दैं मूर्ख बणि इ त नकल करे जांद।
बुले जांद बल मूर्ख गुस्सा म दुसरा  मुख कटणो जगा अपण नाक काटि दींदो किन्तु मूर्ख बणि लाभ उठाणम दुसराक नाक कटण पोड़द।
मूर्ख बणि नाटक करो पर एक कहावत बड़ी बढ़िया च बल - बुलण नि आवो तो मूर्ख बणि मुख बंद रखण अधिक लाभकारी जि हूंद।
मूर्खता पर बात हूणी त हम सब तै पता च हम  मूर्ख या लाटु पर दया करुणा इलै दिखांदा  वै तै पीट नि सकदा।  अर यी सिद्धांत च मूर्ख बणी लाभ उठाणो।  तुमन बि मूर्ख बणी लाभ उठायी कि ना ?

 सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती , मई 2009
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