बन बनिक किस्मौ स्याळि : किसम किसम की सालियां
चबोड्या , चखन्यौर्या , नटखट : भीष्म कुकरेती
s =आधी अ
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उन मि आदतन चुनौती , ललकार , चैलेंज स्वीकार नि करदु बल्कण मी बि केजरीवालौ श्रेष्ठ च्याला राहुल गांधी तरां चुनौती स्वीकार नि करदु उल्टां हौरुं तै इ जि चुनौती दीणु रौंद। झूठ बुलणु हों त फिरोज जहांगीर गांदी का सगा नाती से इ पूछ ल्यावो। राहुल सरा दुन्या म मोदी तै दनकाणु रौंद बल जबाब दे जबाब दे पर अफु आज तक जबाब नि दे बल जब फिरोज जहांगीर गांदी छा तो तुमर कुनबा गांधी कन ह्वे भै ? हाँ त मि बुनु छौ बल मि चुनौती दींदु चुनौती स्वीकार नि करदु पण जब चुनौती ख़ास अपणी पर दूssरै स्याळि चुनौती दे द्यावो तो। दूरै मतलब मेरी वाइफ अर स्याळि बीच छै सात भाई बैणि छन तो स्वयमेव वा दूsssरै स्याळि ह्वे कि ना ? तो मेरी अपणी ख़ास दूरै स्याळिन ब्याळी ललकार दे , चुनौती दे दे , चैलेन्ज कर दे जिज्जू जु यदि तुमन पॉउडरौ दूध पियूं च त फेसबुक म बथाओ बल स्याळी कथगा किस्मौ हूंदन। मि जनान्युं पर अर अपण भूतपूर्व प्रेमिकाओं पर लिखण से बचणै कोशिस करदु। पण जब ब्याळि स्याळिन खुलेआम पल्ला पसारिक चैलेंज कर दे तो कु जीजा होलु जु चैलेन्ज नई स्वीकारल भै। चैलैंज्याण लग जावो तो लोग लुगाई कि बि नि सुणदन बल। मीन बि चैलैंज्याण , चैलैंज्याण म स्याळियूं किसम खोजी दीनी।
सबसे पैल चैलैंज छे बल कै हिसाब से स्याळइयूं तै विभाजित करे जाव। सुंदरता हिसाब से स्याळियूं विभाजन कर बि द्यावो तो नरेंद्र सिंह नेगी जी , जीत सिंह नेगी जी अर गिरीश सुन्दरियालौ कवितौं म बनि बनि प्रेमिकाओं समिण म्यार विभाजन क्या टिकद ! तो मीन स्याळियूं विभाजन कार्यकलापों या ब्यौहार से कार। गद्य म यी सौंग बि च।
पहल करेंदरि , अग्रसक्रिय स्याळि याने प्रोऐक्टिक सीस इन लौ - जौं तै गाँव क पुरण दिनों ब्यौ अनुभव हो उ इन स्याळियूं बारा म जणदा इ छन। यी कै बि जीजा की छेड़खानी या मजाक की प्रतीक्षा नि करदन बल्कणम मजाक मस्करी की शुरुवात जीजाओं से पैल करदन। तब संचार व्यवस्था नि हूंदी छे तो इन सुंदरियुं ऊर्जा ब्यौ बगत ही भैर आंद छौ। अब इन प्रोऐक्टिव स्याळी मिलण कठण च किलैकि अब इन ऐक्टिव जीव फेसबुक , व्हट्सप या अन्य सोशल मीडिया म इथगा ऐक्टिव रौंदन कि ब्यौ काज म यूंकि ऐक्टीवपन समाप्त ही रौंद। सोशल मीडिया यूंकि ऊर्जा खै गे।
नेत्याणि -इन स्याळि गिरोह बणैक इ मजाक मसखरी म भाग लींदन।
रिएक्टिव याने प्रतिक्रियावादी स्याळी - उन इन स्याळी बि मजाक , मस्करी अर ब्यौ काजम हूंदा था। अब बि होला। इन किस्मौ स्याळी असलम इनिसिएटिव नि ले सकदन यी जग्वाळम रौंदन बल क्वी जीजा यूंक दगड़ चबोड़ शुरू कारो अर एक दैं मजाक , मसखरी, चखन्यौ शुरू ह्वावो ना यी चकचुंदरी प्रोऐक्टिवुं बि बौ सिद्ध ह्वै जांदन।
पैथर बिटेन छुस छुस करंदेरि - यि बस भीड़ म पैथर बिटेन मजाक पसंद करदन। समिण पर आणम यूंक बौ तै करास लग जांद। इन स्याळी प्रतीकों सम ही बातचीत अधिक करदन।
नासमज - इन स्याळी ह्वावो या नि ह्वावो कुछ फरक नि पड़द। यू तै प्रतीक समज म इ नि आंदन। तुम फ्यूंळि नाम ल्यावो तो इ बुलण मिसे जांदन -नरभै फ्यूंळि न चखणम भला न घासौ कुण भला। घुघति बात कारो तो यि कव्वा अर घुघति झगड़ा की छ्वीं से तुमर मूड खराब कर द्याल। चिपळ कपाळ , चकोर , चाँद , फाइव स्टार चॉकलेट क्या युंकुंण सब बोस हूंद।
गौल जन याने सिमसाण स्याळी - इन स्याळियूं तै भौत देर बाद पता चलद बल तुम यूं पर लाइन मारणा छां। यी राहुल गांधी तरां हूंदन जै तै अब पंदरा साल बाद कुछ कुछ समज आयी बल नेता की क्वी जुम्मेवारी बि हूंद बल। इन स्याळियूं दगड़ चुहुलबाजी वास्ता वेट ऐंड वाच पॉलिसी ही ठीक हूंदी।
अर्ध्ग्रामेश्वर स्याळी - या जाति प्रवासी गढ़वळियूं म मिलदी। यदि तुम गढ़वाली जीजा छा अर मजाक करण शुरू करिल्या तो यि अर्ध ग्रामेश्वर्याणि तुम तै निम्न कोटि मनुष्य समजदी या यूंको हिसाब से मजाक मसखरी निम्न स्तर का लोगुं आदत हूंदी। पर यदि क्वी पंजाबी या यूपी का जीजा मजाक कारो तो यी वीं मजाक तै सभ्य समाज की संस्कृति नाम दे दींदी।
उन हौर किस्मौ स्याळी बि पाए जांदन जन कि जिकुड़ेळी , फड़कुळी , कुरस्यळी , भड़कीली , शर्मीली , आदि आदि। किन्तु आज इथगा इ काफी च।जरा तुम बि बताओ बल हौर कै किस्मौ स्याळी हूंदन ?
भोळ - जब स्याळी नराज हो तो पुळयाणो तरीका ...
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