कैन अफवा सरायी , फैलाई बल मी कम्प्यूटर व्यसनी छौं ?
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मजाक ,मसखरी , मुलमुल हंसी : भीष्म कुकरेती
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कैन अफवा फैला दे बल भीषम त कम्प्यूटर व्यसनी च याने कम्प्यूटर गुलाम च , बल भीषम बगैर कम्प्यूटर का रै इ नि सकुद। ऑवर लोगुंन त सच नि मानी पर मेरी ध्याणि , घरवळि , अर्धांगनीन न सच मानि दे जन हरीश जुयाल कुटज की वाइफन गिरीश सुन्दरियाल की उदायिन अफवा तै सच्च मानी दे बल हरीशन फिर से पव्वा , दारु , नौटांग शुरू कर दे।
अब बथाओ यु ठीक च जब मे तैं नातणि गू पुंजण छौ तब मि ई मेल चेक करदो कि कखि कैं सामाजिक संस्थान क्वी अवार्ड , इनाम किताब दीणो फैसला त नि कौर हो। अब साहित्यकारै आस त बुडेंद तक ही ना मड़घट जाण तक हूंदी च बल कि एकाद अवार्ड सवार्ड मिल जाव !
मि अर कम्प्यूटर ऐडिक्ट , ढब्युं , व्यसनी ? मीन बड़ो ऐना म अफु तैं ठीक से टक्क लगैक घूर क्या द्याख त पायी कि मी बि आम मनिख खासकर आम मिडल क्लास भारतीयौ तरां माल न्यूट्रशन , कुपोषण का शिकार ना अपितु अति भोजन प्रियता
अर कचर पचर खाणो कारण गेरी इन चढ़ी गे जन बुल्यां नौ मैना दुबास्ता जनानी की गेरी हो। हाँ मुख पर जरा जरा पीलो पण च पर मै नि लगद यु कम्प्यूटर व्यसनी चिन्ह च अपितु भौत दिनों से मि भैर घूम इ नि छौ तो सूर्य किरण अप्राप्ति से गल्वड़ -सल्वड़ पील पोड़ गे ह्वाल। पर मि देर रात तक कम्प्यूटरs समिण त नि रौंद बैठ्युं।
मि अर कम्प्यूटर ठसकी व्यसनी ? ना जी ना बिलकुल कत्तई ना। हाँ उ ठीक च जब दाढ़ी बणानो टैम हूंद मि फेसबुक म अपर ना हौरुं Like , Comments , Love टटोळणु रौंद कि मि जु गढ़वाली नाटकों इतिहास पोस्ट करदो तो केवल चार Like एक फोकट माँ great कमेंट अर दगड्यों फोटो पर 400 Like अर 200 comments . इन मा दाढ़ी प्राचीन ऋषि मुन्युं तरां बढ़ गे। अर दोष कम्प्यूटर ौ नी च अपितु मीन काका हाथरसी की कविता पौढ़ बल " औरत की सोभा साड़ी में , मकान की शोभा सीढ़ी में मर्द की शोभा दाढ़ी में ' अब काका हाथरसी च्याला हूण क्वी गुनाह या व्यसन तो नी ना !
मि अर कम्प्यूटर ऐडिक्ट ? जब अपण चेयर की गंदी गद्दी साफ़ करणौ बगत रौंद तब मि धनेश कोठारी , दिनेश ध्यानी सरीखों पोस्ट पढ़णु रौंद , ईर्ष्या , जळण माँ राख हूणु रौंद कि कन यूंन भौत सा ब्लॉगों म अपण साहित्य प्रचारित कर याल। अरे चेयर की गंदी गद्दे तो कबि बि साफ़ ह्वेई जाली किन्तु सहोदर साहित्यकारों की प्रगति से जळण बि महत्वपूर्ण च निथर बिचारा धनेश कोठरी , दिनेश ध्यानी निरसे नि जाल ? सहोदर साहित्यकारों की उन्नति पर जळण तैं कम्प्यूटर ऐडिक्ट त नि बुले सक्यांद ना ?
फोकट म लोगुंन अफवा फैलाई दे बल भीषम कम्प्यूटर ऐडिक्ट ह्वे गे अर मेरी वाइफन सच्च मानी दे। यांसे क्या ह्वे मि अल्लू , प्याज , हरी मिर्च , हरी भुज्जी , सुख्यूं आदो , छांछ , जु मि ऑनलाइन मंगांद थौ स्यु मेरी वाइफन बंद कराई दे , डेबिट कार्ड कैंसल हि कराई दे। अब वाइफ बुल्दी बल चलो रियल शॉपिंग कारो अर वर्चुअल शॉपिंग बंद कारो। वाइफ तै कनै बतौं जथगा समय मि रियल शॉपिंग म लगान्दु उथगा समय म मि सोशल मीडिया म दगड्यों पोस्ट की बड़ाई कम्मेन्ट्स देलु तो बिचारों साहस बढ़ल कि ना ? खामखां लोगुंन म्यार ऑनलाइन शॉपिंग तै कम्प्यूटर एडिक्शन नाम दे दयायी अर मि तै बदनाम कर दे ।
मै नि लगद मि कम्प्यूटर ैदिक व्यसनी छौं। हाँ कम्प्यूटर से प्यार च अर जरा सि खांद दैं बि की बोर्ड नि दिखे तो मे से खाये नि ज्यांद , ट्वायलेट म मोबाईल कम्प्यूटर नि हो तो झाड़ा ठीक से नि हूंद। पर यो तो प्यार च , कम्प्यूटर लव च ये तै कम्प्यूटर एडिक्शन बुलण सरासर अत्याचार च। आपकी राय क्या च ?
सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मई 2009