Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 356644 times)

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य

                                   

                      मुर्दा, मुडै अर मड़घट

                             चबोड्या - भीष्म कुकरेती

   मोरण एक सचै च. मुरण सचै च त  मुर्दा तै मड़घट लिजाण बि सचै च. जरा क्वी    म्वार  ना कि परिवार मा उत्साह संचार शुरू ह्व़े जांद कि ये मुर्दा तै चौड़ मड़घट लिजाण. हाँ नेता  टैपक लोग जरा देर से मुर्दा तै मड़घट लिजान्दन किलैकि ऊंक उत्साह भीड़ से प्रेरित होंद. भीड़ कि आस मा इ लोक अपण ब्व़े   बुबा  तै मड़घट लिजाण मा औडि औड़ी कौरिक अबेर करदन. अर मुर्दा से जादा काम का मुडैयूँ आदिर खातिर मा लग्यां रौंदन.  यि भीड़ प्रेमी अर बड़ा अदिमु प्रेमी मुर्दा क चिंता छोड़िक पस्त्यौ दीणौ  अयाँ बड़ा अदिमु   इन आव भगत करदन जन बुल्यान ब्वे या बाबु नि मोरि ह्वाउ बल्कण मा   नौनो मांगण हूणि ह्वाओ.  मुर्दा तै यि नेता टैपक लोक प्रसिधी , शान , घमंड दिखाणो सामान बणै दीन्दन.
 
                कुछुं कुण मुर्दा   प्रमोसन कि सीड़ी , पुळ , डुडड़  होंद. म्यार एक दगड्या छन फैक्टरी मैनेजर छन. यूंक ब्व़े मोर त यूँ सरकारी अधिकार्युं कुण किराया क कार भेजिन. अर मुर्दा उठाण से पैल सरकारी अधिकार्युं तै अपण मालिक तै मिलाणै रैन -- सर यि इनकम टैक्श का औफ़िसर छन, यि सेल्स टैक्श का छन, यि पौलिसन बोर्ड का, यि लेबर विभाग का,  यि प्रोविडेंट फंड विभाग का.. . मालिक खुस ह्व़े गेन कि फैक्टरी कामौ आदिम मा च जैक सरकारी विभाग मा  इथगा चलदी कि सरकारी अधिकारी बि मुडै बणणो तैयार ह्वेन. बस फैक्ट्री मैनेजर को  दुसर  दिन  प्रमोसन   ह्व़े ग्याई.

  कुछ बजार बन्द कराण से इ  मुर्दा तै श्रधांजलि दीन्दन. फूलूं से जादा यि लोग बजार बन्द तै महत्व दीन्दन. यि बुल्दन फूल तुड़ण -चढ़ाण से पर्यावरण खराब होंद पण बजार बन्द हूण से   भग्यान मनिख चौड़  भगवान जोग ह्व़े जान्दो. 

  जब बि क्वी मोरद त जन भोज / फौड़ पकाणो विशेषग्य सर्युळ होन्दन उनि हरेक समाज मा सांग सजाणौ सल्ली होन्दन. एक सल्ली ह्वाओ त मुर्दा तै क्वी परेसानी नि होंद पण जु द्वी तीन साग सजाणो सल्ली ऐ  जावन त यूँ सल्यूं मा झगड़ा उनि होंद जन बामणु मा टिपड़ा मिलाण मा गृह युद्ध होंद. एक सांग सल्ली बुल्दो कि बांस तिर्छां हूण चएंद, हैंको बुलद कि बांस सीदो हूण चएंद . फिर डुडड़ बंधण मा बि सांग सल्ली अड़ी जान्दन कि कैकी टेक्नीक सही च , बिचारो मुर्दा परेशान होंद कि अब सांग बंधण मा ल़े क्यांकि तकनीक उल्टा   बांधो या सुल्टा बांधो जाण त सोराग या नरक इ च. बुजर्ग लोग जब बीच बचाव करदन तब सल्ली चुप ह्व़े जान्दन पण  एक हैंक पर आँख घुर्याण मड़घट तक बि बन्द नि करदन.

  बड़ी जातिक बामण  इन दिन बिमार क्या आई सी सी यू मा भर्ती ह्व़े जान्दन. जब मुर्दा बच्यूं रौंद त य़ी बामण रखड़ी  बंधण मा या दूध-गौंत  मंत्रण मा  हैंको बामण तै नि सै सकदो पण जजमान मोरि ग्याई त यि हिदायत दीन्दन कि कै हैंको बामण तै खुज्याओ .

   जु गरीब मर्युं ह्वाओ त जादातर मुडै बुल्दन बल जब बि ये भग्यान तै जरूरत हूंद छे  त यू उधार पगाळ मांगणो मीम ऐ जान्दो छौ. पण क्वी सौकार मोरि ग्याई त क्वी नि बोल्दो कि मि ये भग्यान मा कर्जा मांगणो गे छ्यायो. इन मा सौब बुल्दन बल सौकार जी मीमंगन राय मशवरा मंगण मा नि शर्मान्दा छ्या.  गरीब मोरि ग्याई त क्वी बि नि बथान्दो कि वैका भग्यानो दगड़ क्वी जादा घनिष्ट रिश्ता छयो. पण सौकार  मोरो त सौब मर्युं आदिमौ दगड़ रिश्तेदारी गंठयाण मा छौम्पा दौड़ करदन.

  राजनीति मा अर फिलम लाइन मा अजीब होंद. जब बि क्वी नेता बच्यूं रौंद त बिरोधी वैकी छट्यु पर मांस कि तलाश मा रौंद अर जनि मोरि ग्याई त य़ी नेता मोरणो बाद विरोध्यु खुणि कर्मठ, उत्साही नेता ह्व़े जान्दो . इनी फिलम लाइन मा होंद.

         मुडै मुर्दा तै मड़घट लिजांद भौत सा काम बि करदन. जन कि कैकी लौड़ी  कैको लौड़ो लैक च . कैकी बेटी भाजि ग्याई या कैकी ब्वारि भाजि ग्याई जन बात ये टैम पर इ होन्दन.

 पैल मु  डै शंख कि ध्वनि /अवाज से लोग  मुडै बणणो आन्द छ्या अच्काल जब तलक दारु सारु क पेटी नि दिखाओ त लोग अपण पीठ उन्दों रड्यु काका तै बि मड़ घट लिजाणो तयार नि होन्दन बल. 

   पैल मुर्दा जळाणो बाद  मुडै हलवा, सूजी  से संतुष्ट ह्व़े जांदा छया    अब शिकार अर दारु बोतल से कम मा मुडै दिवता नि माणदन बल.       

           

 Copyright@ Bhishma Kukreti 20/8/2012

Bhishma Kukreti

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महान गितांग श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी तै करकरो अर कैड़ो जबाब
                                                 

                                                           भीष्म कुकरेती

                          वैदिन पौड़ी मा भारतौ महान गितांग /गिताड़ नरेंद्र सिंह नेगी जीन श्री चन्द्र सिंह राही सम्मान [खौळ म्याळ] मा बोली बल गढ़वळि  मा जवान छ्वारा छोरी प्रेम साहित्य नि रचदन.
मीन 'खबर सार' मा बांच अर मै तै कण्डाळी जन झीस, चरमरि लगिन  कि नेगी जीन इन कनो बोलि दे मै सरीखा ज्वानु जवान प्रेम अनुभवी लिख्वार न अबि तलक प्रेम कथा नि ल्याख .
  मीन दिल पक्को कार बल आज ना भ्वाळ  इ सै एक दुनिया कि महान प्रेम कथा लिखण अर फिर मी नेगी जी तै बतौलु बल गढवळि मा म्यार सरीखा मै जवान छोरा बि प्रेम कथा लेखी सकुद च.
                    अब कथा लिखण ह्वाओ त पैल कथा प्लाट सुचण इ पड़द .  अपण अनुभव कर्याँ या दिख्यां विषय पर सबसे बढिया कथा लिखे सक्यांद. त मीन घड्याइ बल अपण प्रेम अनुभव पर इ कथा लिखे जाओ अर नेगी जी तै  दिखाए जाओ कि गढवळी मा  बढिया प्रेम साहित्य ह्व़े सकुद च.
              मीन स्वाच बल अपण बाळापन म हुयुं प्रेम पर कथा लिखे जाव !
                  सुचद सुचद मी गाँ पौंछि ग्यों जब मि  दस सालौ  छौ . म्यार समणि मेरी हमउमर सूमा छे ज्वा मेरी जातिक नौनि    छे. हम द्वी एक हैंको गात  हिरणा छया कि हम दुयुंक  गात मा इथगा फरक  भेद किलै च . मीन पूछ बल ये सूमा तेरी छाती अर मेरी छात्युं मा इथगा फरक  च ना ?सूमा न बोली ए भीषम ! त्यार कमर तौळ अर म्यार कमर तौळ मा बि भौत फरक च ना? चलो झुल्ला उतारला अर दिखला  बल कथगा फरक च ! हम दुयुंन अपण अपण झुला उतारीन अर जनि हम एक हैंकाक गात का फरक समजदा कि  दुयुं पर थपड कि चमकताळ पोड़ी गेन . हम द्वी बबरै गेवां कि हमन क्या गुनाह कार जु सूमा क ब्व़े न इन चमकताळ  लगाई. सूमाक  क ब्व़े न ब्वाल,' तुम द्वी भै बैणि  छंवां अर भै बैणि इन एक हैंको तै नंगी नि दिखदन." हमर समज मा तैबारी नि आयो कि एक हैंको तै नंगी दिखण किलै   बुरु च  " बस तै दिन बिटेन भौत मैनो  तलक इच्छा ह्वेक  बि मि कै हैंकि नौनि क गात अर अपण गातु फरक नि खुजे  सौकु. अब गाँ मा हमारि जातिक ह्वावन या दुसर जातिक ह्वावन सौब त बैणि इ छ्या . त बाळपन मा नौनि-नौन क गात फरक जाणणो बान  ज्वा प्रेम कथा ह्व़े सकद उन कथा त मि  लेखि नि सकुद.
                  अब मीन स्वाच बल 'टीन एज लव' या पन्दरा सोळा सालम जु प्रेम होंद वै विषय  पर कथा लिखे जाओ त वा कथा अमर ह्वे जालि.
अब मि अपण पन्दरा  सोळा मा हूण वळु प्रेम कथा कि खोज मा  जवानी  क देळि म पौन्छु. अहा क्या दिन छया वै बकती शरीर मा कुज्याण क्या बदलाव आणा छया अर  तैबारी नाड्यु मा अजीव सि मस्तानी खून कि दौड़ महसूस करदो छौ .एक अदिखीं ऊर्जा महसूस होंदी छे.  जनि क्वी नौनि दिख्याओ या नजीक ह्वाओ त नाक पर एक अपछ्याणि गंध आँदी छे. आँख कतड्याण बिसे जांद छया कि बस नौन्यु तै दिखणु रौं.  हाथ खुट गात पर खजी लगदी छे अर  ज्यु बुल्यांदु छौ कि कै नौनि क सरैल पर अपण सरैल  रगोड़ी द्यूं. कै नौनि तै पकड़ी द्यूं .  कै बि जनानी देखिक मन मा एक अजीव तूफ़ान, औडळ बीड़ळ आंदो छौ. इन निपतौ, अजीब औडळ बीडळ अब मन मा चैक बि नि आन्दन. वा ऊर्जा, वा जनान्यु क न्याड़ ध्वार रौणै हवस, जनान्यु सरैल  पर अपण सरैल  रगोंड़णो  तीब्र इच्छा क भाव अब इच्छा कौरिक बि नि आन्दन. वै दिन गोर मा समण्या क  गौं  कि  सदभामा अर मि गोर मा छया.वा जजमान छे अर मि बामण छौ.  वींक उमर बि मर्दुं  सरैल रगोंड़नै ह्व़े गे छे.  बांजौ डाळ तौळ हम एक हैंकाक नशीली  गंध क  मजा लीणा छया. एक हैक तै बार दिखणा छ्या. नजीक से आण वळि जनानी गंध से म्यार सरा सरैलौ ल्वे तातो  हूणु छौ इन लगणु छौ म्यारो सरैल तपणु ह्वाऊ पण बेहन्त रौंस आणु छयो  कि क्वी जनानी बिलकुल बगल मा च. म्यार कंदुड़ गरम अर लाल हुयाँ  छ्या.  अर सदभामा कंदुड़ बि लाल छया. अर मै लगणु छौ कि वींन   बेहोशी दवा पे द्याई ह्वाओ. बेहोशी लक्षण दुयूं पर इकजनी छौ.  मेरि अर वींक  जिकुड़ी मा  उमाळ उठणि छे. ना वीं पता ना में पता कि इन बौळ  किलै? बस हम अफिक जरा जरा कौरिक एक हैंकाक नजीक आंदो गेवां , फिर हम बिलकुल एक हैंक तै चिपटिक/ चिपकिक  बैठी गेवां. अब तलक ना वीन कुछ ब्वाल ना मीन कुछ ब्वाल.  बस अब हम बिलकुल चिपकिक देर तलक बैठ्याँ रौनवान. मीन अपण हथ वींक हथ मा धार अर जोर से सदभामा क हथ मरोड़ण सि लग्युं  , वा बि म्यार हथ जोर जोर से मरोड़ण मिस्याई. दुयूं पर एक अजाण , अपछ्याणको , बौळ , बेसुधी ऐ गे छे . समणि तौळ ब्यासचट्टी मा गंगा अर नयार कु संगम दिखयाणु  छौ  जख गंगा छ्लार से नयार तै उब ढकेळणि छे अर नयार फिर समू ह्वेक गंगा मा विलीन हुणि छे. अब मीन जरा अपण एक हथ वींक   हतहु  से  छुडाइ i अर उना   लिजाणो  उठाइ छौ कि जन बुल्यां बादळ फ़टी गे ह्वाओ धौं . मथि बिटेन सदभामा   क काकी क किडकताळि आयी। अर काकिन ब्वाल्," ये निर्भागण ! स्यू  तयार भतिज लगद ,   अर तेरी स्या सदभामा फूफू लगद. क्य ह्व़े ग्याई जु तुम एकी गांवक नि छंवां , छा त  फूफू भतिज ना.    फूफू भतिज इन चिपटी क बैठदन क्या?.
  अर वैदीन बिटेन नौनी देखिक बौळ जरूर उठदी छे , उमाळ आँदी छे पण वा उमाळ दीदी -फूफू क फूकन सर भ्यू ऐ जांद छौ.
               फिर  जब मि कॉलेज पढ़दो छौ त एक सुमित्रा से प्रेम जन कुछ ह्व़े ग्याई. अर वीं तै बि सैत च प्रेम कि बीमारी हुण शुरू ह्वाई . साधु ना देखे ज़ात पांत अर प्रेम ना देखे ज़ात पांत वळि बात छे. सुमित्रा लोहारण  छे। मीन एक  लम्बू  प्रेम पत्र सुमित्रा कुण भेजी द्याई . जु कवि विहारी अर कालिदास ईं प्रेम चिट्ठी पढ़दा त दुयुन शर्माण छौ कि भीष्म त अलन्कारु मामला मा  ऊं दुयूं से अगनै निकळी ग्याई .
                प्रेम पत्र दे त सुमित्राक हथुं  मा इ छौ पण उ प्रेम पत्र सुमित्राक ब्व़े क हथ पोड़ी ग्याई. मि अपण ख़ास रिश्तेदार क इख रौंदू छौ.  अर वैदीन सुबेर ल्याखन सुमित्रा क ब्व़े, बुबा अर द्वी तीन हौरी लोक उख ऐ गेन. अर सौब समजाई गेन कि भले इ सुमित्रा जातिक लोहारण च पण रिश्ता मा मेरी मौसी लगद. अर क्वी अपण मौसिक कुण इन चिट्ठी भेजदु क्या? अर तब बिटेन देहरादून क्या इख मुंबई मा मै तै सौब छोर्युं  सूरत मा मौसी क सूरत इ दिखेण लगी गे.
            मीन कथगा इ घड्याइ बचपन से लेकी ब्यौ हूण तलक म्यार प्रेम अधूरा इ राई किलैकि बैणि  फूफू अर मौसी से त श्रृंगारिक प्रेम ह्वेई नि सकद.
  त जब में तै प्रेम कु अनुभव कु क्वी विषय नि मील त मीन प्रेम कथा लिखण स्थगित करि दे.  अर फिर महान गायक नरेंद्र सिंग नेगी जी कुणि स्या चिट्ठी भेजि दे .
 आदरणीय नरेंद्र सिंह नेगी जी !
समनैन   !
                  नेगी जी आप बि बड़ा मजाकिया छंवां  जु गढवळि लिख्वारो से प्रेम साहित्य की उम्मीद करणा छंवां .
 जी हम तै त दूधि क दगड पिलाए  जांद कि गाँ अर न्याड़ ध्वारक गाँ कि सौब बेटी मेरी बैणि हून्दन.  मि कें बैणि  क नख सिख वर्णन कौरी सकुद क्या ? में से त नि हूंद कि मि बैणि .क नख सिख वर्णन कौरूं .
श्रृंगारिक या सौन्दर्य पूर्ण प्रेम का वास्ता क्वी ना क्वी  नायिका चयांदी. अर जब क्वी नायका फूफू या मौसी ह्वेली त नेगी जी ! मि नाट्य शास्त्र क हिसाब से सम्भोग श्रृंगार युक्त  या विप्रलंभ श्रृंगारिक प्रेम कथा लेखी सकुद क्या? में से त बैणि, फूफू, मौसी से श्रृंगारिक प्रेम क बारा सुच्यांद इ नी च .
                 त नेगी जी मीन सूण कि आप में से बि उम्मेद लगाणा छया कि मि गढवळि  मा क्वी प्रेम कथा लिखुल . त नेगी जी में से त उम्मीद छोड़ी दियां कि मि क्वी प्रेम कथा लिखुल. जब मीन बचपन से यो इ सूण कि गांवक सौब छोरी मौसी, फूफू अर बैणि होन्दन त फिर इन मा वा मानसिकता पैदा ह्व़े इ नि सकद जै  मानसिकता मा श्रृंगारिक प्रेम पैदा ह्वाओ. त नेगी जी! आप म्यार भर्वस नि रैन  कि मि प्रेम कथा क बारा मा सोचि बि ल्यूं. प्रेम का मामला मा मेरी  गढवळि मानसिकता बांज च .
नराज नि हुंयाँ कि मीन आपक बुल्यूं नि मान. 
आपक  कणसु  दगड्या
भीष्म कुकरेती

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Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य


                        कमरौ  सामानौ दगड़ छ्वीं

                               

                           चबोड्या - भीष्म कुकरेती


           क्या छे आज मै तै इन दिखणि जन बुल्यां मी त्यार छेंइ  नि छौं.   हे ! कमरा याने म्यरो फ्लैट जब मीन त्वे  खरीद  छौ त तू इ म्यार बडी बडै करणु छौ. अर  वैबरी त तू क्या सरा दुनिया मतबल म्यार परिवार, म्यार रिश्तेदार , म्यार दगड्या, औफ़िस का लोग बाग सबी मेरी दूर दृष्टी अर दूरगामी सोच  का बारा मा कथगा जोर शोर से बडै करणा छया कि मीन सही निर्णय ठीक समौ पर ल्याई . अर आज तू अर इ सौब म्यार निर्णय कि तौहीन करणा छन  ?

               अर तू ! पाळी क पेंट!  क्या छे मै तै बैरी जन दिखणि ? अरे जैदिन मीन त्वे तै यूँ पाळयूँ पर लिपवाई छयो विदिन त अहा लोक बुलणा छया कि क्या इंद्र धनुषी , वास्तु शास्त्र क हिसाब अर आनन्द प्राप्ति क हिसाब से रंग लगाई मीन! सर संसार वैबगत रंगीं ह्व़े ग्याई छौ अर अब तुम सौब लोग मै तै बेरंगी मनिख बताणा छंवां ? 

अर सि किचन अर बाथरूम कै दिन अफु तै दिखानो बान बगैर खुटक बि ड्र्वाइंग मा पौणु समणि ऐ जांदा छया. अर आज म्यार इ समणि बि मुक लुकाणा छन ? में से इन दूर हूणा छन जन बुल्यां मी क्वी कोढ़ी होऊं

  अर रर तू इथगा बड़ो टी.वी ? . जैदिन त्वे तै लै छौ त तुम सौब कमरा क सामान कन  पुळे छया खुश ह्व़े छया कि अब  तुम बड़ो स्क्रीन मा फूटबाल , क्रिक्यट मैच , एम्.टी.वी क गाणो मा अध् क्या पुरो जन नंगी मॉडल अर जनानी स्टार देखिल्या! याद च रे दिवालो  फोटो ! तीन सूचना दे  छौ कि पड़ोस्यूं  घौरौ  सामान सौब जळणा छन कि ऊंक मालिक बि इथगा बडू टी.वी. लान्दो त कन मजा से अंग्रेजी पिक्चर दिखदा!  अर जब म्यार इख मेमान अर  पड़ोसी इथगा बड़ो टी.वी. मा वर्ल्ड कप दिखणा ऐन त तुम सौबुन बोलि बल मालिक कि मेहरबानी से मेमान अर पड़ोस्यूं समणि हमारो बि  मान  सम्मान  बढ़ी ग्याई .तुम वैबगता मै पर यानि अपण मालिक पर गर्व करणा छया. अर आज में से घीण करणा छंवां ?
 
 हाँ भै सोफा सेट! जब तू  ए घौर मा ऐ छौ त घौर का सौब सामान ते मा बैठणो रगाबगी करणा छया. अर हरेक क्या स्या  मैंगी तस्वीर बि सोफा मा बैठणो बान छौम्पा दौड़ करणि छे. अर आज स्या इ तस्वीर मै तै तून देणि च कि मै तै औकात मा रौण चयेंद!

 किचन, बेड रूम, ड्र्वाइंग  रूम, गेस्ट रूम आर बाथरूम का बनि बनि क म्युजिक सिस्टम ! तुमार क्या बुलण जब लै छयो त तुमारि ढौळ मा खुसी, आत्मीयता, उलार, उत्साह, चटपटोपन छौ अर आज तुम दूरदर्शन मा नेताओं कि अन्तेष्ठी वळ ढौळ मा गा ना छंवां ?

 बेड रूम अर हौरी कमरों क गद्दा ख्न्तुड़ कैदिन तुम मा पौड़ो ना कि अनिंदो बीमार  तै बि  निंद ऐ जांदी छे अर आज तुमारो  मखमली स्पर्ष कख ग्याई ? आज तुम किलै  काण्ड  पुड़ाणा छंवां ?

कमरों क एंटीक अर साज सज्जा का /डिकोरेटिव सामानों ! ब्याळि  तलक त जब बि क्वी म्यार ड़्यार आंदो छौ तुम सौब घमंड से उंचा ह्व़े जांदा छ्या. छक छक पौणु समणि आणो बान कूण्या कूण्या से अग्वाड़ी ऐ जांदा छ्या अर आज तुम सौब मेखुण बुलणा छंवां  बल म्यार वजै से तुमारो मुंड झुकी ग्याई?

 अर जब सि समणि चौकम की दुई कार तुम तै अर मै तै देखिक कन मधुर संगीत मा हौर्न   बजान्दी छयी .अर आज  मर्युं आदिमौ खुणि बजाण वाळ धुन मा हौर्न  बजाणि छन.

 अरे बस यायि बात च ना कि मीन लोकदिखाई क बान  बैंक  लोन से तुम तै खरीद छयो. फिर कौर कोशिस से बि  वीं  पगाळ तै  मी नि बौडै  सौकु  अर आज बैंक वळ  फ़्लैट पर कब्जा कुणि आणा छन अर सामान बिचण वाळ छन. तुम किलै  दुखी हूणा छंवां ?तुमारो क्या च तुम तै त नया नया मालिक मील जालो . अरे म्यार बारा मा स्वाचो कि मि तुमारो बगैर कनि बेज्जती वळि जिन्दगी कटलु ?

 

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                                    स्युंदी सुप्पा  कर

                                  चबोड्या - भीष्म कुकरेती

 राजा प्रदीप शाह - आज मीन फिर स्वाच अर एक विचार आई

मंत्री  भगवत सिंह कटोच - ना ना ! माराज इन जुलम नि कारो

राजा- अर उनि बि झंगवर क्वादों खेती मंड्याणि होलि

कटोच- तुमर मतबल च अब एक हैंको नयो कर ?

राजा- हाँ जादा ना बस दस सुप्प .

कटोच- पण इन मा त आठ दस दूण कर ?

राजा- अरे पर मेरी राणि लड़ना रौंदन कि ना?

कटोच- हाँ दीदी बि नराज च

राजा - अरे म्यार बुबा जी से गलती ह्वाई कि वूंन बीस पचीस राण्यु महल नि चिणैण

कटोच- माराज ! सिरीनगर मा इथगा जगा बि नी च ना !

राजा- पण आज मै तै हरेक राणि तै एकै महल दीणि पोडल , अर कुछ वु नचण वाळी बांदुं कुण बि महल ना सै त बड़ो कूड़ चयेन्दन कि ना ? अरे राजा छौं त मी सुदि झुपड़ो मा त जैनि सकदो.

कटोच - पण

राजा- त इन कारो तुम चौड़ कर बढाओ

कटोच- कखी जनता कुछ लाब काब बखण  बिसे ग्याई त, कखी रज़ा विरुद्ध क्रांति ..?

राजा- त जनता क मुखाक बान लोखरो म्वाळ बि बणाओ  . अर कुछ लोग नया कर का विरुद्ध गाळी देला, पण जादातर हमारो राजा बुलान्दो बदरीनाथ होंद क नाम से कर द्याला

कटोच- पण नयो कर का बान कुछ कारण बि त बताण  पोड़ल .

राजा- त इन कारो बल कुमाऊं पर  आक्रमण कारो   या तिब्बत  पर आक्रमण कारो अर उखाकी जनता से धन लूटो मै तै राण्यु कुणि महल अर  नचाड़ बांदु कुणि कूड़ चयाणा छन.
 
कटोच - त मतबल हम तै कुमाऊं या तिब्बत पर आक्रमण करण जरूरी च .

राजा --पण सौब सेनापति त कखि ना कखि लडै पर जयां इ होला.

कटोच- त इन कारो आप सेना कि बागडोर लेकी आक्रमण कारो

राजा- आक्रमण करणो जाण त मि बि चांदो पण तुम त जाणदा इ छंवां कि मि एक दिन बि भैर रौलु  त पचीसेक  राणी अर सैकड़ाक नचाड़ बांद सौब खुद्याण मिसे जान्दन. अब मि सौब देखि सकुद पण यूँ राण्यु खुद्याण  , नचाड़  बांदुं आंसू नि देखि सकुद.

कटोच- हाँ या बात बि सै च

राजा- अरे मंत्री जी इन कारो तुम इ जि सेनापति बौणिक पड़ोस्यूं पर आक्रमण  कि डोर थाम्बो !

कटोच - नै नै ! जनता पर नया कर लगाण इ ठीक रालो

राजा - मि त पैलि बुलणु छौ कि जनता पर कर लगाओ

कटोच- जब बिटेन हम कटोच भयात हिमाचल बिटेन  इख औवां  हमन बौण कर, घास कर, चुल्हा कर, अर पता नि क्या क्या कर नि लगाई

राजा- मि नि जाणदो मै तै राण्यु महल अर नचाड़ बांदु क वास्ता कूड़ो बान रकम चयाणि च

कटोच- त इन करदवां स्युंदी सुप्पा कर लगै दींदवां

राजा- स्युंदी सुप्पा माने हरेक ब्यौ  पर एक सुप्पो कर ?

कटोच- हाँ

राजा- जरा गणत कारो कि इनमा कथगा कर ऐ जालो ?

कटोच- महल त सैत बौणि जाला

राजा - अर नचाड़ बांदुं कुड़ो कुणि ?

कटोच- त ठीक च सुत सुप्पो बि लगै दीन्दा

राजा- मतलब हरेक बच्चा हुण पर एक सुप्प अनाज कर ?

कटोच - जी. बांदुं कुणि कूड़ सुत सुप्पो कर से बणि जाला.

राजा - त ठीक च जरा द्वी  होशियार मंत्र्युं तै बिजनौर भ्याजो अर कुछ आठ दस बिगरैलि नचाड़ बांद खरीदिक लाओ

कटोच- मि आजि  अपण द्वी भायुं तै नचाड़  बांद लाणो बिजनौर  भिजदु

राजा- अहा ! अब मेरी  सौब चिंता खतम ह्व़े गेन .


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Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य   

                          अखबारों  संपादक  किलै   सेल्समैन  बौण  ?



                          चबोड्या - भीष्म कुकरेती

 राजेन्द्र- आ आ भै आज दस बाद मिलणा छंवां त जरा कुछ दारु सारु ह्व़े जाओ

गजेन्द्र- अरे पण इथगा बड़ो होटल मा ?

राजेन्द्र - हाँ त क्या ह्वाई ? बिल जथगा बि आलो मि द्योलू

गजेन्द्र - अच्काल कख छे तू ?

राजेन्द्र- मि अच्काल एक अंतरास्ट्रीय कम्पनी मा सेल्स डाइरेक्टर छौं 

गजेन्द्र-  वधाई हो. पण तू त मास्टर  बणणो बान कोशिश करणु छयाई

राजेन्द्र- हाँ कोशिश त कार च पण जब मास्टरगिरी नि मीलि त सेल्स लाइन मा चलि ग्यों

गजेन्द्र - बढिया

राजेन्द्र - अरे त्यार इन चिर्याँ फुर्याँ झुल्ला किलै   पैर्यां छन ?

गजेन्द्र- अरे यू स्टाइल च मि एक कलाविग्य जि  छौं

राजेन्द्र - अच्छा तू क्या करणि छे ?

गजेन्द्र- मि एक पत्रिका क सम्पादक अर प्रकाशक छौं

राजेन्द्र- कें भाषा मा च . तेरी अंग्रेजी भौत बढिया छे त अंग्रेजी पत्रिका?

गजेन्द्र- ना मि पर तैबारी गढवाली भाषा  प्रेम कु दिवता आयुं छौ त मीन गढवाली अखबार  प्रकाशन शुरू कार

राजेन्द्र- यार तू भौति सीदु छौ. बिजिनेस उजिनेस सीख च कि ना ?

गजेन्द्र - अरे मि आज भौत बड़ो सेल्समैन छौं.

राजेन्द्र- अच्छा ?

गजेन्द्र - हाँ मि तै भौत सि चीज बिचणो अनुभव च

राज्नेद्र - पण तू त गढ़वाली अखबारों प्रकाशक छे त ...?

गजेन्द्र - तबि त

राजेन्द्र- क्या क्या ब्याच तीन ?

गजेन्द्र - अखबार चलाणो बान , घौर क टी.वी, पलंग, फर्नीचर, भांड कूंड, इख तलक कि ये साल मीन अपण बुबा जीक लगायुं कूड़ बि बेचीं आल 


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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य   जारी ...

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य 

 

                टरकाणौ बनि बनि ब्यूंत -हाउ टु से नो 

 

                              चबोड्या - भीष्म कुकरेती   

                 हाँ बुलण सरल च पण ना बुलण सौबसे कठण च . तबी त अच्काल 'ना कनकैक बुलण' पर बजार मा दसेक  किताब  छन.

पण जु तुम म्यार बुल्युं मनिल्या त तुम ना बुलणो जणगरो ह्व़े जैल्या . जाण तुम तै ना बुलण गिजण पोडल बस.

 ह्वेक बि ना बुलणो सबसे पैलि शर्त च बेशरम हूण  . मुखमुल्यजा लोग ना बोली नि सकदन. बेशरमी सिखणो  बान तुम तै कखि जाणै जरुरात नी च बस कौंग्रस्यूं  हाल    देखी  ल्याओ  कि  कन  यि  बेशर्मी  से  बुल्दन बल कोग्रेस सन सैंतालिस से इ  भ्रष्टाचार मिटाणो बान प्रतिबद्ध च .
 
               अर जु तुम भातीय जनता पार्टी तै अपण पार्टी माणदवां त  यूंक कु -करतबों से बि तुम बेशरमी भली भांति सीख सकदवां जन कि यि कर्नाटक मा यदुरप्पा  कु खुलेआम भ्रष्टाचार तै भ्रष्टाचार नि माणदन पण महाराष्ट्र कु अशोक चौहाण तै बड़ो भ्रष्टाचार माणदन. बुल णो मतबल च बल बेशरमी तुम राजनैतिक पार्ट्यु कु-करतबों से सीखि ल्याओ  .
 
           ना बुलण मा एक बात बुले जांद बल इच्छा त मेरी भौत च पण क्या कौरू इन ह्व़े नि इ सकुद. या एक कला च अर यि तै हम बौगाणै  कौंळ बोली सकदां. बौगाण सिखण त आप तै भारत, भूटान, नेपाल, पकिस्तान, बंगला देस आदि देसूं  सरकारी रवयों से बौगाण सिखण पोडल.  यूँ देसूं मा शिक्षा एक मूल बहुत जरुरात बि च अर समस्या बि च. पण यि सौब देस शिक्षा तै उथगा महत्व नी दीन्दन जथगा शिक्षा तै जरुरत च . बस यि देस अपणि जनता तै कै बि तरां से टरकाणा छन , तुम क्या करो यूँ देसूं से टरकाण सीखो . बस यि द्याखो कि  यि देस कन अपणि जनता तै संदेस   दीन्दन बल "हे शिक्षा !  मीम कुछ हून्दी  जि त मी त्वे नी दींदु ?" दुन्या मा यां से जादा टरकाण आपन कखि  नि देखि होलू जन यि देस अपणा युवांओ तै टरकान्दन  .

               ह्वेक बि लुकाण अर ना बुलण एक ब्यूंत च, एक कौंळ च , एक कला च, एक हुस्यारी च. यांखुणि तुम तै  मास्टरों व्यवहार पर ध्यान दीण पोडल . यूं मास्टरों मा  जो  बि च यि स्कूल या कॉलेज मा नी दीन्दन अर बकळि जिकुड़ी कौरिक ना बोलि दीन्दन। अर वही बढिया ज्ञान का भंडार यि उत्साह से , जोश से कोचिंग क्लासुं मा दीन्दन. यि मास्टर स्कुलम ज्ञान दीण मा ना नकोर करदन पण कोचिंग क्लास मा भरपूर ज्ञान दीन्दन.

      ना बुलण मा सिद्धांतों  बली दिए जांद.प्रतिबद्धता  क  सौं  बि घटे जान्दन या ब्वालो सिद्धांत या प्रतिबद्धता तै ना बुलणो बहाना  कु माध्यम  बणये जांद. भारत मा सेकुलर अर नॉन सेकुलर कि लडै कुछ नी च अकर्मण्य हूणै दवा च या कै तै ना बुलणो बहाना भर च । 

  कबि कबि ना बुलणो बान समणि वाळक ध्यान बंटण ज्रौरी होंद. ना बुलणो कुणि कुछ बि कौरिक समणि वाळक ध्यान इनै उनै लिजाण बि एक  मारक ब्यूंत च. अब द्याखो ना पैल उत्तर प्रदेश सरकार अर अब बुलणो अपणि  उत्तराखंड सरकार ग्रामीण उत्तराखंड मा उद्योगुं  बारा मा हमारो ध्यान कन बाँटदि ! ना बुलणो  कुणि कन ध्यान बंटे जांद सिखण त ऊं उत्तराखंड कि सरकारी कौंळु को अध्ययन  कारो जौं कौंळु से  पहाड़ी जनता क ध्यान असली मुद्दों से नकली मुद्दों तरफ लिजाये जांद.

  ना बुलण मा कबि कबि अपण पूठो  गू दुसरो पूठ पर पतकाण या चिपकाण जरूरी होंद. यि गुर सिखण ह्वाओ त कै बि राज्य सरकारों बयान पर ध्यान द्याओ जु बुलणा रौंदन कि हम त राज्य  तै सोराग जोग करर्णों तयार छंवां पण केंद्र सरकार कुछ इमदाद दीन्दी नी च.

  ना बुलणो खुणि  समणि वाळ तै भ्रमित करण जरुरी च . ना बुलण मा भरम को जाळ बड़ो काम को च . भरमाण सिखण ह्वाओ त लालू प्रसाद का ऊं करतबों तै याद कारो जु वूनं रेल मंत्री होंदा करी छ्या . भारत इ क्या हावर्ड स्कूल तै बि ऊंन  भरमाई कि भारतीय रेल मुनाफ़ा कमाणि च.

  प्रतिज्ञा तै बार बार दोराण बि ना बुलणो एक ब्यूंत च. जन भारतीय जनता पार्टी बार बार बुल्दी बल राम मन्दिर बणाण जरूरी च . बार बार प्रतिज्ञा दुराणो  अर्थ ना ही हूंद.

 ना बुलण मा एक शब्द भौति कामौ क  च अर ओ शब्द च जरा मी हौरुं राय ल़े लीन्दो. क्वा सरकार च ज्वा नि बुल्दी कि जन समस्या तै सुळजाणो बान हम राजनैतिक अर सामाजिक स्तर पर एक राय बणाणो छंवां . जब क्वी एक राय बणाणो बात करणो ह्वाओ त समजी ल्याओ कि वु  ना बुलणु च.

ना बुलणो भौत सा ब्यूंत छन पण मीम अर तुमम अबि बगत नी च कि मि सौब ब्यूँतूं बारा मा तुम तै  बथौं . जब समौ आलो त जरुर मी तुम तै हौर जादा ब्यूंत बथौलु .


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Bhishma Kukreti

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                      पटवारी तै अपराधी किलै नि दिख्यांद ?

 

                         चबोड्या - भीष्म कुकरेती   
 
 

-अरे पटवारी जी ! स्यू समणि पर अपराधी च अर तुम तै नि दिखयाणु  ?

- कख च अपराधी ? मै तै त सरा संसार अपराध विहीन दिखयाणु च.
 
-कन काण्ड लगिन तैं रंडोळ  अळगस  पर . पटवारी जी ! अळगस छोडिल त तुम तै अपराधी दिख्याल ना ? जरा रोज कसरत , योग्याभ्यास वगैरा कारो. बेवजह  अन्दाळ करणै प्रवृति छोडिल  त स्यू चकडैत अपराधी अफिक दिख्याल.

- अरे पण क्या कौरु !  ले मीन तैं अळगस तै स्योड़ जोग करि  आल . अबि बि मै अपराधी नि दिखयाणु च. तु बुनी छे बल अपराधी समणि च अर भंगुल जामि कि में तै स्यू अपराधी अदिखळ हूयुं च ?

- पटवारी जी ! भंगुल त तै अठारा सौ सदी कु कबाड़ जन टेलिस्कोप से आजौ  अपराधी दिख्ल्या त कने अपराधी दिख्याल . टुटकि  ह्वेन तै प्रागऐतिहासिक टेलिस्कोप कि .  जै टेलिस्कोपक अंजर पिंजर ढीला हुयाँ  ह्वावन  वां से त पहाड़ बि नि दिख्याल. जरा नया जुग को  टेलिस्कोप लाओ त फिर कनकैक स्यू   अपराधी नि दिख्यांद धौं !

- ले मि अब नयो टेलिस्कोप से बि दिखणु छौं पण मै अबि बि अपराधी नि दिखेणु च.

- बिजोग पोड़ीन  तै पुराणा पेनल कोड पर. अरे पटवारी जी ! तुमर चस्मा पर जरा पुराणा पेनल कोड को सिंवळ जम्युं च . जरा तै मर्युं खप्युं सन अठारा सौ अठावन को ब्रिटिश पेनल कोड को सिंवळ  हटैल्या त किलै ना स्यू बिलंच , ऐबी  अपराधी दिख्यालू.

--ले भै ल़े ! मीन बेकाम कु पुराणा पेनल कोड क सिंवळ साफ़ कौरी आल पण कुनगस कि मै तै अबि बि स्यू अपराधी अदिखळ च .

- तड़म  लगि जाओ  स्यू  लाल फीताशाही . हे पटवारी जी ! जरा  आँखों मा लाल फीताशाही क जळम्वट त द्याखो. जरा तौं लाल फीताशाही क  जळम्वट साफ़ त कारो फिर द्याखो कि अन्ध्यर मा बि तुम तै स्यू जल्लाद अपराधी दिख्यालु. 
 
- ये ल्याओ मीन लाल फीताशाही क जळम्वट साफ़ करी आलि. पण ये म्यार भुभरड़ , अबि बि मै  अपराधी नि दिखयाणु च.

- आग लगि जैन तैं ग्रुप बाजि पर. अरे पटवारी जी ! स्यू पाळिबंदी /स्य गुटबाजी क कीच जु तुमारो चस्मा पर लग्युं च ना वां से तुम काणो हुयाँ छंवां . जब तुमारि चस्मा पर ग्रुपबाजिक कीच साफ़ कारो त  सै .
 
- ल्याओ मीन ग्रुपबाजिक कीच बि ध्वे आल अब . पन सत्यानास ! अबि बि अपराधी हर्च्युं च .

- बुरळ पोड़ी जैन, कीड पोड़ी जैन  ये जातीय समीकरण अर भाई भातीजाबाद पर. पटवारी जी ग्रुपबाजिक कीच त तुमन साफ़ कौरी आल पण स्यू जातीय समीकरण अर भाई भतीजाबाद कु कोंटेक्ट लेंस त तुमारो आन्खुं पर लग्यां  छन कि ना ? पटवारी जी! जातीय समीकरण अर भाई भातीजाबाद को  कोंटेक्ट लेंस से हत्यारा, जघन्य हत्यारा अर आतंकवादी  जन अपराधी बि नि दिख्यांद .

- ले भै ले ! अब मीन जातीय समीकरण अर भाई भातीजाबाद को कोंटेक्ट लेंस बि भैर चुलै  आल. ये मेरी ब्व़े ! अबि बि मै अपराधी नि दिखयाणु च.

- सड्याण ऐन तै राजनैतिक दबाब पर. पटवारी जी !  जरा अपण मुंड मा राजनीतक दखलंदाजी, राजनैतिक पैंतराबाजी, राजनैतिक स्वार्थ अर राजनैतिक बेईमानी क गर्रू पर त ध्यान द्याओ. तै राजनीतक प्रपंच को भार से तुमारा आँख इ ना सबि ज्ञान चक्षु बुज्यां छन जरा ये राजनैतिक छल छद्म को बहार तै बिसाओ , न्याय व्यवस्था मा तै राजनैतिक दखलंदाजी को गरु तै उतारो त सै.

- ओह, मीन सब राजनैतिक दखलंदाजी क भार उतारी आल. अब भौत इ  हल्को महसूस करणु छौं . गुरा लगिन भै!  फिर बि मै अपराधी नि दिखयाणु च.

- मड़घट  जोग ह्वेन  सि अधिकार्युं परपंच, औतु ह्व़े जाओ स्या चमचागिरी  क नीति, बसे जैन सि प्रोमोसन कि लाळसा .टुटि जैन  स्यू ट्रांसफर को लगुल   . पटवारी जी जरा अपण आंतरिक ब्यूह रचनाओं तै फेंको त सै . फिर द्याखो कि कन अपराधी नि दिखेंद धौं .

- ल़े मीन अब अपण आंतरिक व्यवस्था कि गलत ढर्रा तै बि भैर चुलै  आल . पन गौ बुरी चीज च जु मै अपराधी दिखेणु ह्वाओ.

- निफल्टि  लगी जैन तै घुसखोरी क . ये पटवारी जी अर वो जु तुमन घुस्खोरिक पगुड़ पैर्युं च  ना वै पगुड़ से कबि बि अपराधी नि दिखेंद.

- ले मीन घूसखोरी क पगुड़ बि उतारी आल. पन हे भगवान अबि बि मै अपराधी नि दिखेणु च .

- ए मेरी ब्व़े . पटवारी जी ! जरा कंदूड़ लगावदी . कुछ सुण्याणु च ?

- हाँ ! हाँ जनता की आवाज सुण्याणि  च .

- अच्छा चलो जनता क त सुण्याणि च . क्या बुनी च जनता ?

- जनता जोर जोर से बुनी च बल जु तुम नि सुदरल्या त हमन सिस्टम इ बदल दीण .

- अब अपराधी दिख्याणु च ?

- हाँ ! हाँ ! अपराधी त म्यार इ समणि च. अपराधी त साफ़ साफ़ दिख्याणु  च .चल साले देखता हूं कि आज से तू कैसे अपराध करता है .

- जै हो जनता क दबाब की !


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 गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य  जारी

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य 
 
                                 संसद क्या च ?

                           चबोड्या - भीष्म कुकरेती

[गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य , उत्तराखंडी हास्य व्यंग्य, मध्य हिमालयी हास्य व्यंग्य साहित्य , उत्तरी भारतीय भाषाई हास्य व्यंग्य साहित्य , भारतीय क्षेत्रीय भाषाइ हास्य व्यंग्य साहित्य , दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय भाषाइ हास्य व्यंग्य साहित्य ,एशियाई क्षेत्रीय भाषाइ हास्य व्यंग्य साहित्य लेखमाला ]

 परसि म्यार नाती क मास्टर न    वै तै संसद पर निबन्ध लिखणौ  होम वर्क दे छौ. वैन निबन्ध ल्याख अर मीमा मीमांसा वास्ता लै ग्याई
- ग्रैंड पा ! मीन  संसद पर यू ऐसे ल्याख जरा बताओ कि ठीक च कि ना !  .
-भौत बढिया . बोल क्या क्या लिख्युं च ?
- उन त  भारत मा नेतौं तै कट्ठा हुणौ भौत सी जगा छन पण कुछ खास दिनो मा  नेता संसद  भवन मा बि कट्ठा  हून्दन.
-  भै संसद का नियम छन कि साल भर मा इथगा दिन संसद चलणि चयांद
- ठीक च मी जोड़ी द्योल. संसद सत्र से  पैल अखबार अर टी.वी. चैनलूं मा बहस होंदी कि   विरोधी दल रण नीति का तहत कन सरकारी पाळी तै छ्काणो बान, पटकनि द्याला अर कै तरां से सरकारी दल अपण बचाव खुणि  रण नीति बणाल़ा. मै लगद कि संसद एक युद्ध भूमि च.
- नै नै ! संसद रण भूमि नी च. या त पवित्र कार्यपालिका क पवित्र  भूमि च
-पण मीन टी.वी चैनलूं से यी सीख कि संसद भवन  रण भूमि च जख मा द्वी ख़ास पाळि हून्दन  जु लड़णो तयार रौंदन.
-बेटा ! गलत . निबन्ध क बान टी.वी चैनलूं पर विश्वास नि करे जांद. चल अगने बिल ..
- संसद मा स्कुलो तरां एक मोनिटर हुंद. जै तै सभापति बुले जांद .
- हाँ यू ठीक च .
- स्कुल मा हम अपण मोनिटर की बात सुणदां अर वैकु  बुल्युं माणदां  पण संसद मा भौत कम बगत पर सांसद अपण सभापति क बात पर ध्यान दीन्दन
- नै नै इन नि लिखण.  यू  असंवैधानिक  बात च. आधिकारिक तौर पर सांसद सभापति क बुल्युं माणदन .
-पण मीन त टी.वी मा अणबुल्या सांसद देखिन .
- ओहो ! टी.वी देखिक निबन्ध नि लिखे जांद. निबन्ध लिखणो कुण संविधान संबंधी किताब पढ़ण जरूरी च. अगने बोल
- विरोधी दल अर सरकारी द्लूं मा हरेक बात पर झगड़ा हूंद. भौत बहस हूंद. पण जब बि सांसदुं तनखा बढ़ाणो बात हूंद  त सौब एकमत ह्व़े जान्दन.
- पण यू वाक्य इथगा महत्व पूर्ण नी च
-पण टी.वी वळा यीं बात पर दस दिन तलक ब्रेकिंग न्यूज दीणा रौंदन.
-बेटा टी.वी वळा अपण चैनलों टी.आर. पी. क प्रति प्रतिबद्ध हुन्दन ना कि  संसद का प्रति . अगने बोल
- हरेक सांसद द कु कर्तव्य च कि वु सभापति क माध्यम से प्रश्न पूछो . पण शून्य काल जख मा देस का मुतालिक महत्व पूर्ण सवाल जबाब होन्दन वै टैम पर  संसद खाली रौंद. मंत्री जी अर सवाल करण वाळ इ संसद मा दिख्यान्दन.
-प्रश्न काल या शून्य काल त ठीक च पण संसद खाली रौंद नि लिखे सक्यांद 
- पण मीन लोकसभा अर राज्य सभा चानेल मा यि इ  द्याख
- बेटा दिखण अर लिखण मा भेद हूंद, अंतर हूंद. अगने बोल
- सासद प्रश्न पुछणो उद्योगपतियुं  से पैसा बि लीन्दन.
- ये इन लेखिल त्वे तै जेल ह्व़े जाली .
- पण मीन त एक टी.वी प्रोग्रैम  मा इनी द्याख कि सासद प्रश्न पुछणो  पैसा लीणा छन .
-अरे वु चनेलूं अपण चैनेल क टी.आर.पी. बढाणो बान स्टिंग ओपरेसन करदन .
-पण ददा जी जु मीन द्याख ?
- अरे पण सिद्ध त नि ह्वाई ना ?
- सतरा सालुं मा यू बि सिद्ध नि ह्वाई कि श्रधेय लालू प्रसाद यादवन चारा खायी त क्या ..
- नै जब तलक सिद्ध नि होंद तुम अपण  निबन्ध मा इन नि लेखि सकदा कि लालू जीन घूस खायी
- त यि लोग टैम पर सिद्ध किलै नि करदन कि कें घूस खाई अर कें घूस नि खाई ?
-बेटा अपण निबन्ध पर ध्यान दे . इन बथों पर ध्यान देलि  तू ना तीन मा रैली ना तेरा मा . अगने बोल
-अविश्वास या विश्वास मत का बान तिकड़म लड़ये जांद , कथगा इ टुटब्याग करे जान्दन. सांसदों कि खरीद फरोक्त  आम बात च . एक ऍम पी. क कीमत करोड़ो मा हूंद.
- ये ! तू अखबार कुणि  समाचार लिखणि छे कि अपण स्कुल कुणि निबन्ध लिखणि छे? विश्वास  मत पर वोट देणो बान सासद घूस खान्दन कतै  बि स्कुलूं निबन्ध मा नि लिखे सक्यांद . असंवैधानिक बात स्कुलूं निबंधुं  नि लिखे सक्यांद .
-पण मीन त टी.वी मा यो इ द्याख .
- टीवी खबरूं अर स्कुलो पढ़ाई  मा फरक हूंद बेटा! चल अगने बोल
- सांसद बिल की कौपी फाड़ सकदन जब कि आम जनता कुण यू काम गुनाह च
- अरे बाबा यू क्या खनु खरपट   लिखणु  छे तू ?
- पण ददा जी टी.वी मा यू इ दिख्याई कि एक सासद लोकपाल बिल कि कौपी राज्य सभा मा फडणु च .
- ये म्यार बरमंड  नि तचा तू . क्वी क्वी धुर्या सांसद इन काम कौरी बि द्यालों त इन नि लिखे सक्यांद कि हर समौ इ काम हूंद. अब टी.वी न्यूज का आधार पर अगने क्या क्या लिख्युं च त्यार.
- संसद मा बहस कम घपरोळ जादा इ हूंद.  क्वी कैकि नि सुणदो . बिचारा सभापति किराणा रौंदन पण फिर बि क्वी चुप नि होंद. फिर जब बि कै तै संसद कि कार्यवाही बन्द कराण ह्वाओ त वो पार्लियामेंट क वेल मा ऐ जान्दन अर घ्याळ करदन अर संसद कुछ देर या सरा दिनों कुण स्थगित ह्व़े जांद .
-निबन्ध मा तीन यू सौब ल्याख
- ठीक च आज से मी ये केबल टी.वी क कनेक्सन इ बन्द करै दींदु . हेलो केबल टीवी वळु  ! अब्याक  अबि म्यार टी. वी कनेकसन काटी  दे। म्यार नाति इनि टी.वी समाचारुं क आधार पर निबन्ध ल्याखाल  त वैन फेल ह्व़े जाण .

(यू सिरफ़ एक व्यंग्य च , चबोड़ च )

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                                 नौ  रूप्याकु  मोती ढांगू  , अरबों क सींग

                                   चबोड्या - भीष्म कुकरेती                         
               
     अर जनि सोसल औडिट जनरल (SAG ) कि रिपोर्ट गाऊँ मा सौरी याने कि गाँव मा यू लोक गीत
                                 घोटे जाले हींग, घोटे जाले हींग,
                                  नौ रूप्या कु मोती ढांगू , अरबों क सींग
जनि  प्रसिद्ध ह्वाई कि टी.आर.पी का प्रेमी, टी.आर.पी का लोभी टी.वी पत्रकार , रीडरशिप का गुलाम टी.वी चैनेल , अपण पाठकों  संख्या जादा बताण वळा  अखबारों मालिक सब्युं  मा  विज्ञापन पाणों  ऊर्जा ऐ ग्याई. मीडिया मालिकों  तै लगी ग्याई कि आण वळ मैना इ सरा सालौ लाभ-नुकसान निर्धारित कारल. पत्रकारों तै लग बल आण वळ मैना ऊं  तै अरुण शोरी जन प्रसिधी दिलाल. अर अखबारों मा सोसल औडिट जनरल (SAG )  रिपोर्ट की धुंवाधारी  आग लगी गे, सम्पादकीय, स्थाने पृष्ठ, ब्यापार पन्ना, खेल पना लेकी पाठकनामा सब्युं मा एकी छ्वीं  मोती ढांगू  अर मोती ढांगू. टी.वी चैनलूं मा त भ्युंचळ अयूँ  छौ . हर बगत केवल ब्रेकिंग न्यूज अर बस ब्रेकिंग न्यूज. इख तलक कि सिनेमा प्रोग्रैम मा  बि टी.वी वळा खोजि खाजिक दिखाणा छ्या" 'हिन्दी सिनेमा मा  बैलों का महत्व" कति त दिखाणा छया," विश्व सिनेमा में बैलों की कहानियाँ" . हरेक सीरियल कि कथा बदले गेन अर अब हरेक सीरियल मा मोती ढांगू या बल्दुं  कथा जोड़े गेन. इक तलक कि इन्डियन आइडल प्रोग्रैम या आपका लचकदार नृत्य मा बि हरेक एपिसोड मा मोती ढांगू सम्बंधित प्रोग्रैम लाये गेन. अब समाचार इ इन छौ कि इन हूण लाजमी छौ.

            जन भावना से भौत फार, जनता से भौत दूर रौण वळ मुख्य विरोधी दल तै  समाचार  पत्रुं अर टी.वी चैनलुं से  इ पता चौल कि कुछ दिनों पैल सोसल औडिट जनरल (SAG ) कि रिपोर्ट गाऊँ गाऊं मा  ऐ ग्याई त ऊं तै बि लग कि मोती ढांगू इ ऊं तै चुनाव जिते सकुद  अर मुख्य विरोधी दलन  संसद तै कुरुक्षेत्र को युद्ध मैदान बणै दे . संसद मा (विधान सभा ) शेरों कि दहाड़ , चीतों  गुर्राहट , हाथी की चिंघाड़ , बल्दुं  डुन्करताळी   इ सुण्याणु छौ . विरोधी दालों की बजर पोड़णो (बादल फटण  ) जन अवाज  से सरकारी दल का सबि सदस्यों कंदुडु कनपट्टा फूटी गेन . सरकारी दल संसद मा विरोधी दल से पुछणा  छ्या कि बताओ त सै कि ह्वाई क्या च पण विरोधियों क महान महाघोष / घ्याळ  का मध्य  सरकारी दलौ अवाज इनी छे जन मोरद  मूसो  अवाज. संसद ठप पोड्यू छौ अर संसद टी.वी चैनलों  मा शिफ्ट ह्व़े ग्याई . जु काम या प्रश्न-ऊत्तर  काल या बहस संसद मा हूण छौ वो काम अब टी.वी चैनलों मा हूण बिसे गे . सौब  टी.वी चैनेल  संसद बौणि गेन. जु विरोधी दल संसद मा बैठण णि चाणो छौ वैका छ्वटा बड़ा नेता टी.वी चनेलूं मा प्रश्न कर ना अर सरकारी दल का नेता उत्तर दीणा. नेतौं क भारी क्या महा कमी ह्व़े ग्याई किलैकि कार्टून नेटवर्क या संगीत चैनेल  जन चैनेल बि  मोती ढांगू काण्ड कि संसद जन चर्चा मा लीन ह्व़े गे. अर याँ से ब्लौक स्तर का नेता बि टी.वी चैनलूं मा प्रश्नोत्तर का बान बुलाये जाण बिसे गेन .

              विरोधी दलुंन माग कौरी दे कि चूंकि जब मोती ढांगू काण्ड ह्वाई त वैबरी मुख्यमंत्री पशु  सम्वर्धन मंत्री बि छ्या त जब तक मुख्यमंत्री अपण पद से  त्यागपत्र नि द्याला संसद मा घ्याळ  ह्वालू अर संसद नि चलि  सकद.  अब इन जि क्वी मुख्यमंत्री त्यागपत्र दी न मिसे गेन त ह्व़े ग्याई फिर प्रजातंत्र की रक्षा. प्रजातंत्र को अमर नियम च ख्वावन प्यावान  औरुक  अर मार ख्वावन गौरुक. याने कि जु मंत्री जि कै भ्रष्टाचार मा फंसी इ  ग्यायी त पैल विदेसी हाथ पर इल्जाम लगाओ अर विदेसी हाथ तै गाळी दीण से काम नि चलो त कै जयुं  बित्युं अधिकारी याने जैक क्वी पवा नि ह्वाओ वै तै उठाणो   बुग्ठ्या /खाडू  समजिक सस्पेंड कारो.  चूंकि राज्य स्तर को मोती ढांगू राष्ट्रीय टी.वी चैनेलूं धरोहर बौणि गे त एक बुग्ठ्या क कत्लेआम से काम नि चलण छौ त चिनखौं   बळी दिए गे, याने कि कथगा इ चपड़ासी अर जूनियर क्लर्क संस्पेंड करे गेन पण भै विधान सभा मा घ्याळ कम नि ह्वाई .

   उन कैको समज मा नि आणु छौ कि ह्वाई क्या च . सोसल औडिट रिपोर्ट समजणो ताकत कैमा त छे ना अर ना इ क्वी नेता, पत्रकार, वरिष्ठतम विश्लेषक जनता या समाज का  सम्पर्क मा छ्या जु बींगी जांद कि ह्वाई क्या च. अर जु नेता, पत्रकार , महानतम  विश्लेषक समाज का सम्पर्क मा इ जि रंदा त मोती ढांगू कि कथा वैदिन  इ भैर ऐ जांद जै दिन मोती ढांगू योजना शुरू ह्व़े छे.

             ह्व़े क्या छौ कि पैलाकी सरकार याने आजौ विरोधी दल कि सरकारन हीरा बैल कि योजना लागू कौरी छे  त परम्परा निभाणो बान ईं सरकारन  मोती ढांगू योजना लागु करी दे. पशु सम्बर्धन योजना का तहत हजारों 'मोती बौड़' बणियों मा बांटी देन . चूंकि अच्काल प्रति राष्ट्रीयकरण  कु जुग च त सामयिकता को  ख़याल करदा ईं सरकारन हजारों 'मोती बौड़' बणियों तै मुफ़त मा दे देन. बणियों काम छौ कि हरेक मोती बौडु तै संडा बणावन अर हरेक गौं मा नई नस्ल क पशुउं मा बढ़ोतरी कारन.  चूंकि संडा या बौड़ पर बणियों तै खर्च करण पोड़ण  छौ त इन निर्णय करे ग्याई कि जब बि क्वी गाँव वळ अपणि गौड़ी संडा क ध्वार लाओ त वै तै घास पाणि कुण इके  रूप्या द्यालों अर बकै रूप्या सब्सिडी क रूप मा सरकार ब णियों तै इमदाद बि द्याली. सोसल औडिट रिपोर्ट (SAG ) से लोगूँ तै पता चौल कि बणियों न सौब बौड़ दुसर प्रदेश मा सौ गुणा दामुं मा  बेचीं देन, दगड मा अबि बि हरेक बणिया सरकार से रोज सब्सिडी बि पाणु च  अर याँ से  सरकार तै करोड़ो रूप्या क नुकसान त ह्वाई इ च पण एक बि पशु सम्बर्धन कु काम आज तक नि ह्वाई  .

 सरकारी दल को हिसाब से बस इथगा सि छ्वटि बात छे अर विरोधी दल फोकट मा घ्याळ करणु च. सरकारी दल कु महामंत्री धिगविजय  सिंग न त बोली दे बल  लोक गीतुं तै इ बैन करे जाण चयेंद किलैकि इ लोक गीत आर.एस.एस का लोगूँ का रच्यां छन .
  दस पन्दरा दिन तलक विरोधी दल का लोग नि मानिन अर संसद जन काम अबि बि टी.वी चनेलूं मा शिफ्ट हुयूँ  छौ  त  फिर सुरक सुरक हीरा बल्द कि फाइल   लीक हूण मिसे गेन .हीरा बैल योजना क तहत इन पता चौल कि  आज का विरोधी दल न बि हीरा नाम का हजारों बल्दुं जोड़ी  बणियों मा मुफ़त मा बांटी छौ कि जां से पहाड़ी गौं मा बल्द रावन अर पहाड़ी लोग जु अब बल्द नि पल्दन उं तै हौळ लगाणै सुविधा प्राप्त ह्वाओ. हरेक हौळ लगाण पर बणियों तै कुछ शुल्क किसाण द्याला  अर बकै सरकार सब्सिडी  क रूप मा बणियों तै दीणि राली. मजे कि बात च कि सरकार रोज बणियों तै आज बि सब्सिडी दीणि   च अर आज बि उत्तराखंड का पहाड़ी गाऊँ  मा एक बि हौळो चीरा नि लगदन. बणियोंन हीरा बल्द बिजनौर, पीलीभीत ज़िना  जि बेचीं आली छौ . एकाद टी.वी चैनेल न घ्याळ बि कार कि आज कि विरोधी दल कि सरकार क  हीरा बैल योजना मा   बि अरबों रूप्या क हेरा फेरी ह्वाई पण जनता विरोधू दल क विरोध कतै नि सुणदि  त वै टी.वी चैनेल कि टी.आर पी नि बढ़ अर याँ से हीरा बैल स्कैम समाचार नि बौण .पन अब सरकारी द्लूं मा हथियार ऐ ग्याई छौ त ऊन सरकारी विज्ञापनु से हीरा बैल योजना कि बात जनता तै बताण शुरू कार.
  याँ से विरोधी दल मा कुछ डौर पैदा ह्वाई अर वून अपण रैबर्या सरकारी दल कु  नेता मा भ्याज अर फिर भै बंधी मा निर्णय लिए ग्याई कि हीरा-मोती -बैल-सांड योजना कि समीक्षा वास्ता एक कमीसन बिठाये जालु . बस तै दिन बिटेन विधान सभा चलण बिस्याई.
 अर अब टीवी चैनेलु मा एकी खबर च कि 'कौन  बनेगा करोडपति ' सीरियल मा एक गरीब आदिमन दस करोड़ रूप्या जीतिन, अर हरेक समाचार चैनेल  यू सीन दिखाणु  छौ   
अमिताभ बचन- हाँ तो  आदमी  जि आप अब तलक नौ करोड़ जीति गेन  . जु आप चावन त नौ करोड़ रूप्या लेकी ड़्यार जै सकदवां . या आखरी सवाल क उत्तर द्याओ कि आप दस करोड़ रूप्या जीति  जैल
आदमी  - जि मी आखरी सवाल क बान तयार छौं
अमिताभ बच्चन- त कंप्यूटर जी सवाल पूछे जावन
कम्प्यूटर - तौळ क मुवारा, आण मादे कु आण आज का राजनैतिक नेताओं पर लागू होंद-
एक रग त हैंको ठग
एक सांपनाथ त हैंको नागनाथ
चोर चोर ममा फूफूक
हमाम मा सौब नंगी छन
आदिम - जी ये चरी मुहावरा आजौ राजनैतिज्ञों पर लागू होन्दन 
अमिताभ बच्चन - कंप्यूटर जी क्या यू  उत्तर सै  च
अमिताभ बच्चन - वाह आप दस करोड़ रूप्या जीति गेन किलैकि आपको यू उत्तर बिलकुल सोळ आना सच च.

Copyright@ Bhishma Kukreti 2/9/2012
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Bhishma Kukreti

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 गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य

                             शहर वाळ कारन त पुण्य अर गाँ वळ कारन त पाप ?

                                   चबोड्या - भीष्म कुकरेती 
[हास्य व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी हास्य व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी हास्य व्यंग्य साहित्य; हिमालयी हास्य व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय हास्य व्यंग्य साहित्य; भारतीयहास्य व्यंग्य साहित्य; सार्क देसिय  हास्य व्यंग्य साहित्य; दक्षिण एशियाई हास्य व्यंग्य साहित्य; एशियाई हास्य व्यंग्य साहित्य लेखमाला ]

   सि परसि धर्मा भै कु फोन गा बिटेन ऐ," भीष्म ! भै ब्व़े गुजरी गे. "
"ओ धर्मा दा !  तेरी त ब्व़े छे पण मेकुण बोडि साक्षात वृहस्पति छे. बोडि न मै क्या नि सिखाई." मीन पशत्यौ मा ब्वाल.
" हाँ ओ त ठीक च पण अब बड़ी समस्या मड्वेउंक च . इख बिटेन फूलचट्टी  जाणो मीन जीपुं इंतजाम त करी आलीन पण अब मुडै चयाणा छन " धर्मा दा न अपणि तकलीफ बताई. अर सै बि च मुडै नि ह्वावन त गंगा-हिंवल संगम कु क्या माने .
मीन ब्वाल," ह्यां पण स्यू नारायण सिग काका च .बड़ो कामगति च "
धर्मा दा न बोली," हाँ छ त छें च पण ह्वाई क्या च पोरुक साल वैको नौनो नौउम फेल हूणो छौ अर मास्टर मेरो साडो भै ह्वाई. नारेण का न मीमा बि बोली. पण सडु  भाई बुलण बिस्याई बगैर पैसा क वैन अपण भाई बि पास नि करण. नारायण का तै पैसा दीण पोड़ीन अर तब बिटेन नारायण काका मि फर  नराज च . "
मीन ब्वाल," कुछ बि कौरिक नारायण का तै पटाओ ."
धर्मा दा न बोली," अच्छा त इन कौर नारायण काका कुण फोन कौर कि घाट पर जाण  जरूरी च अर वांको पूरो इंतजाम च. सौब इंतजाम च बुलण नि बिसरी हाँ "
मीन नारायण काका कुण फोन कार कि घाट  पर जाण जरूरी च अर सौब इंतजाम च.
थ्वड़ा देर  मा धर्मा दा क फोन आई बल नारायण काका त ऐ ग्याई अर बुलण  मिस्याई . ," भीष्म ! तू इन कौर बलिराम दादा कुण फोन कौर अर बोल घाट पर जाण जरूरी च अर सौब इंतजाम च."
"पण बलिराम दा त अपण मुंडितौ च . मड़घट मा उ नि आलो त फिर कु आलो ?" मीन पूछ
धर्मा दान बताई,"  अरे भै पोरुक साल में से एक सुंगुर मोरी ग्याई. पट्वरि जि म्यार  कक्या ससुरौ स्याळ छन त डौर कुछ नि छे पण भुलमरां  मा बलिराम दा तै शिकार दीण बिसरी ग्यों अर ऊ बि नराज च . तु इन कौर  बलिराम दा कुण फोन कौर अर बोल कि सौब इंतजाम च."
मीन फटाफट बलिराम दा कुण फोन कौर कि घाट पर जाण जरूरी च अर सौब इंतजाम च
थ्वड़ा देर  मा धर्मा दा क फोन आई बल," बलिराम दा त पौंची ग्याई. अब तु प्रेम सिंग तै फोन कौर अर जोर देक बोल कि सौब इंतजाम च "
मीन ब्वाल," ह्यां पण ! प्रेम सिंग त त्यार गोर माँगक यार च फिर ?"
धर्मा दा ण समजाई," उ क्या च पोर प्रेम सिंग तै बेटिक ब्यौव कुण रूप्या चयाणा छया वैन  एक हौज क नाम पर सरकारी लोन ल्याई अर मेकुण ब्वाल कि गवाह बौण. अब हौज त बौणि नि छौ अर ना ही बणण छौ त मि डौरि ग्यों अर मि गवाह नि बौण त प्रेम सिंग नराज चल णु च."
मीन ब्वाल," ठीक च मि प्रेम सिंग तै फोन पर समजांदु  कि घाट पर जाण जरूरी च ."
इथगा मा धर्मा दान ब्वाल," अर सौब इंतजाम च बुलण जरूरी च"
 मि पुछण वाळ छौ कि यू सौब इंतजाम कु मतबल क्या च पण धर्मा दान फोन काटी दे
फिर धर्मा दाक फोन आई बल प्रेम सिंग बि पौंछि गे . फिर धर्मा दान पांच हौर गाँ वळु कुण फोन करणो ब्वाल अर सब मा एकी हिदायत  छे कि सौब इंतजाम छें च 
मीन इख मुंबई बिटेन गाँ मा पांछ छै आदिमुं   कुण फोन कार अर ब्वाल कि सौब इंतजाम छें  च  सौब धर्मा दा क इख पौंछि गेन
कुछ देर परांत  धर्मा दा  फोन पर ब्वाल  कि अब वो लोग जीप से गंगा- हिंवल को संगम फूल चट्टी जाणा छन त फोन श्याम  दै इ ह्वाल .
मि तै यू जाणणै उचमिची लगीं छे कि सौब इंतजाम छें च को मतबल क्या च .
मीन दुफरा परांत  धर्मा दा फोन करि दे . धर्मा दान बताई कि दाह संस्कार वगैरा  सौब अछि तरां से ह्व़े ग्याई अर अब सौब ढाबा मा बैठिक खाणा पीणा छन .
मीन पूछ कि भै यू सौब इंतजाम कु मतबल क्या छौ त धर्मा दान फोन नारायण काका क हथ  मा पकडै द्याई .
नारायण काका क अवाज लड़खड़ाणि छे , "क्या रै भीष्म ! सौब इंतजाम कु मतबल नि जाणदि ?"
मीन ब्वाल," नै काका ."
नारायण काका शराब कु झांझ  छौ," इख गाँ मा सौब इंतजाम कु मतबल हूंद मुर्दा फुकेणो बाद शराब अर शिकार कु पूरो इंतजाम रालों "
मीन ब्वाल,' यि क्या! गाँ मा क्या खज्यात ऐ ग्याई बल मुर्दा फुकणो बाद मुडै दारु प्यावन अर शिकार खावन .पाप पुण्य  बि क्वी चीज हूंद."
नारायण काकान शराब क झांझ मा ब्वाल," गूणि  अपण पूच त दिखुद नी च अर बांदरौ कुणि ब्वाद बल तैको  पूच लम्बो च"
मीन ब्वाल," पण काका.."
नारायण काका न ब्वाल," क्या रै भीष्म ! परार मि जब मुंबई अयूँ  छौ त तैबारी बिसनु  काक मोरी गे अर फिर मुंबई मा हम गाँ वळ अर इलाका वळ विसनु  काका क दाह संस्कार मा गे छ्या. अर फिर मुर्दा फुकणो बाद त्वी इ हम चार लोगूँ तै एक होटल मा ल़ी गे छौ , बगैर नययाँ हमुन छ्कैक दारु पे, मट्टन खायी, मुर्गी खायी. वाह भै शहर वळा ! तुम कै क्वी  काम कारो त वो  पुण्य  अर वेई काम हम गाँ वळा कौराँ  त पाप?"
अब मीमा बुलण लैक कुछ नि छौ.

Copyright@ Bhishma Kukreti 4/9/2012
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