Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 357198 times)

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा                 

 

                                                    अबौ जड्डू अर तबौ जड्डू

 

                                                       चबोड्या : भीष्म कुकरेती

 

              तबारि थर्मामीटर हूंदा होला पण तबारि सरकारम गढ़वाळो कुण इथगा बजट नि छौ बल हम तै पता चौल जावो बल गढ़वालम औसतन कथगा तापमान च त जलवायु इतियासौ खुजनेर बि नि बतै सकणा छन बल तबौ तापमान अर  आजौ तापमानम क्या अंतर छौ . मेरि ददि बुल्दि छे बल ये सालौ जड्डू इनि च जन जै साल फलण मोरि छौ या अलणौ ब्यौ ह्वे छौ या वैकि -तैकि जनानी मैत भागि छे . जलवायु इतियासौ खुजनेर अबि गढ़वाळम कथगा ठंड  पड़दि छे  बान हमर लोक साहित्य पर जादा आधारित छन .

                 हमर टैम याने जब हम छ्वटा छया (अब गीतेश नेगी जन कवि  बुल्दन मि दानो हवे ग्यों ) पर बि  सुबर सुबर आजौ तरां सिलड़ रस्तोंम   खारो कांच जन जम्युं रौंद छौ अर तब हम आज्ञाकारी श्रवण हूंदा  था त सुबर सुबर पाणि लाणो जाण पड़द छौ पण तबार्यौ कांच जन खारो बड़ो दयावान , दयालु , करुण हूंद छौ . वो खारो इथगा दयालु हूंद छौ बल हम तै पता इ नि चल्दो छौ बल ठंड बि क्वी चीज हूंद . हम सुबेर सुबेर  कर्च  कर्च खारोम हिटदा छा पण मजाल च खारो हमर कुछ बिगाड़ी द्याओ धौं .वै खारो तै बि पता छौ बल हम वीर पुत्र पुत्री छंवां अर नंगा खुटुन जाण हमारि शान छे त वै जमानो खारु बि हम लोगुं नुक्सान नि करदो छौ। अचकालौ खारु ! हे मेरि ब्वे बडो निगरू , करुड , निर्दयि ह्वे गे .  उन त अचकाल बच्चा लोग श्रवण कुमार बणनम शर्मान्दा छन पण कबि कबि कबार कै बच्चा पर श्रवण कुमारो भूत लगि गे अर वु सुबेर सुबेर पाणिम ग्यायि अर कांच जन खारोम हिटो त खारु रूसे जांदू . कांच जन खारु चप्पल वाळ तै रडै दींदु , रबर शु वळो रबर शू भिजै दींदु या चमडा जुतुं भितर बि छीरि जांदो .इनमा श्रवण कुमारो भूत लगण पर बि बचा लोग सुबेर सुबेर पाणिम नि जांदन बल कु रावु ये निर्दयी , निगरू खारो दगड़ भारत लीणु. हमर टैम पर जड्डूम सुबेर सुबेरो ठंडी , कुरकुरी हवा बि बड़ी मयेळि हूंदी छे , करुणामयी हूंदि छे। हम जंग्याम सुबेर सुबेर पाणिम जांद छा पण मजाल च कुरकुरी बर्फीली हवा हमर कुछ बिगाड़ी द्यायो धौं ! हमर टैमौ कुरकुरी हवा जाणदी छे बल हमम एकी सुलार च जैन सरा साल चलण अर हम वै सुलार पैरिक रोज स्कूल बि जांदा त हमर टैमौ कुरकुरी हवा जाणदी छे सुलार खारोम भीजि जांदो  अर कखि  बल जु हम सुलार पैरिक सुबेर सुबेर पाणि लौला त सुलारन भीजि ग्याई त हम स्कूल जाण लैक नि रै जौलां . इनमा  सुबेरक कुरकुरी हवा हम पर दया दिखांदी छे अर हमारो कुछ नि बिगाड़दि छे .अबै सुबेरक हवा ग्लोबल माइंडेड ह्वे ग्याइ अर जु तुम गरम कपड़ा नि पैरिल्या त या नई जमानै ठंडी हवा तुम पर निमोनिया जन रोग सरै दॆन्दि , फैले दींदी . हवा को रुख बदले ग्याइ त अचकाल नौन्याळ गरम कोट, पैंट , स्वेटर , टाइ पैरिक पाणि लाणो जांदन . पचीस सालम जड्डू हवाम इथगा बदलाव ऐ ग्याइ .

            तबारि जब हम जड्डूम  सुबेर सुबेर पाणि लाणो जांदा छा त पाणि लांदा लांदा हम पर अग्नि प्रेम को बयाळ चौढ़ी जांद छौ अर हम घौर ऐका अपण हाथ चुल जोग करि दीन्दा छा . खुट बि अग्नि प्रेम का खातिर चुल पुटुक जाणों आतुर्दि रौंद छा पण  हमर खुट सांस्कृतिक नियमों पालन करणों खातिर चुल पुटुक नि जांदा छा बस चुल्लो भैर बिटेन अग्नि दिबता पुजाई करदा छा . वै बगत खुट बि समाज अर संस्कृति नियमो पालन करणम घमंड महसूस करदा छा। अचकाल त खुट बि मनिख जन ह्वे गेन ब्वे बुबों तै बि लते दींदन।

                  हमर जमानोम जड्डूम गुड़ऐ बड़ी इज्जत हूंदी छे अर हम जड्डूम गुडै चा पींदा छा या गुडै कुटकी दगड़ चा पींदा छा . अब त लौबीइंगौ जमानो च . जख जावो तख लौबीइंग . शक्कर लौबी हरेक राज्यम इथगा ताकतवर ह्वे ग्याइ बल गुड़ लौबी इ खतम ह्वे ग्याइ अर अब त गुड़ - गिन्दोड़ा इतियासो पन्नो मा इ मिल्दन . गुड़ -गिन्दोड़ा बणानो बड़ी बड़ी चासणी -लखड़ो कैंचा पुरात्व विभागों म्युजियमम दिखणो मिल्दन .

    गां मा ह्यूं पोडि गे त त्यौहार जन माहौल ह्वे जांदो छौ . हरेक ब्वे बुखण (खाजा ) भुजदी छे जन कि भट्ट, मर्सू , भंगुल , मुन्गरि -जुंडळु खील आदि .अर बैक लोग अंगेठी चारो तरफ बैठिक तमाखू पींदा पींदा इतिहास विमर्श करदा छा याने लोक कथाओं आदान प्रदान करदा छया या अन्ताक्षरी खिल्दा छा  . अब  भट्ट, मर्सू , भंगुल , मुन्गरि -जुंडळु हूंदा नी छन त पैकेटोम भर्याँ नमकीन पर जोर रौंद अर अचकाल बैठकुंम तमाखु जगा दारु -शराबन ले आल, अन्ताक्षरी जगा जुवाक ताश बिराजमान ह्वे गेन .इतिहास विमर्श या लोक साहित्य चर्चा जरूर हूंद च पण कै ग्राम परधानन कथगा गोलमाल कार या जवाहर रोजगार योजनाम कै कैक नकली बैक खाता खोल्यां छन  जन आधुनिक लोक साहित्य पर चर्चा होंदी। 

             जलवायु या हवा परिवर्तन से अब हवाम कुछ हौरि हवा च।  अब रूम हीटरो आण से लोग बाग़ जड्डू मजा नी लींदन . पैल हम जड्डूम रात्यु खंतड्यु से प्रेमिका से जादा प्रेम करदा छा . अब त रूम हीटरो आण से खंतड्यु महत्व इ बिसरि गेवां .अब हम हवा- बदलणो(एयर -कंडीसनर)  लै गेवां त हम तै पता इ नि चलद  कि हवा कनै बगणी च . अब द्याखो ना हमर प्रधान मंत्री तै अमेरिकाम वित्तीय स्तिथि बाराम पूरो पता  रौंद पण प्रधानमंत्री तै इथगा सालोम पता इ नि लग  कि लोगम  स्त्री प्रातीडन से कथगा  आक्रोश च . 
 
                             

 

 
 
 

Copyright@ Bhishma Kukreti 25/12/2012

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

 

                                    मंत्री जीको डेलिगेसनो दगड़  उन्नादेस (विदेस ) जाण

 

                                 चबोड्या : भीष्म कुकरेती

 

 उन मंत्री जी उत्तराखंड क्या देसम कखि बि नि दिखेंदन .वैदिन  मंत्री जी परदेस बिटेन  एक हवाई जाज बिटेन  भैर ऐन अर फिर दुसर जाज से डेलिगेसनो दगड हैंको देस चली गेन . इखमा मंत्री जीक क्या दोष ?अब जब पैत धर्युं ह्वाओ, वीसा बण्यु होउ त मंत्री जी तै भ्युं उतरदा इ दुसर देसै जात्राम जाणि पोड़द। आज कुज्याण कनै मंत्री जी ड्याराडूणम दिखे गेन।

मीन पूछ बल मंत्री जी आज क्या बात ड्याराडूण पर इथगा मेरबानी किलै ? तुम इख देसम किलै?

 ऊंन बोलि बल मुख्यमंत्री जीक साडु भायौ  भैजिक साडु भायिक बड़ो नौनौ  ब्यो च त विदेस जात्रा बिचिम छोड़िक आयुं छौं . डेलिगेसन उखि विदेसम इ च .

 -अच्छा त डेलीगेसन उखि विदेस जात्रौ मजा लीणु च .

- चुप  ! मजा ना !डेलीगेसन उख उत्तराखंडम कनों विकास हूण चयेंद  जन विषयुं अध्ययन करणु च .

- माफ़ कर्याँ मंत्री जी , जीब रौडि गे .  उख विदेसम रैक आपौ डेलीगेसन विकासौ बान क्या क्या अध्ययन करणों च  ?         

-अब कुछ समौ पैल मि अर म्यरो डेलीगेसन उन्नादेसु ( विदेस ) जात्राम गे छा त मीन अर म्यार दगड़ो डेलीगेसनन कथगा बात सीखिन अर फिर मुख्यमंत्री तै अध्ययन की ख़ास खास बात बतैन .

-जन कि ?

-जन कि म्यरो डेलीगेसन को अध्ययनों बदौलत उत्तराखंडम नयो मूल निवासी क़ानून बौणि।

-पण यांक बान उन्नादेसु (विदेस) जात्रौ जरूरत क्या च ? इलाहाबादम जनम ल्याओ , सरा जिन्दगी भैर रावो अर रिटायरमेंटो मजा लीणो उत्तराखंडौ  मुख्यमंत्री बौणि जावो त अफिक गैर उत्तराखंड्यु तै मूल निवासी बणानो तरकीब ऐ ई जांद .

-हाँ तुमर बात सै च पण म्यार डेलीगेसनन मुख्यमंत्री तै ढाढस दे बल एक दै क़ानून बणै द्याओ त फिर क्वी घंटा बि नि उखाड़ सकदु .

-पण मंत्री जी ! बेशरमी, बिलन्चपन,  सिखणो बान आप तै डेलीगेसन लेकि उन्ना देस जाणै क्या जरूरत ? इखि डा रमेश निशंक से सीखि लींदा बल धुर्या, खुट्या , दुराचारी , बेदर्द , शराबौ दलाल , शराबो ठेकेदारौ  गुलाम,हत्या करणों जन मानसिकता वळो नामधारी तै उत्तराखंडो अल्पसंख्यक आयोगौ अध्यक्ष कनै अर किलै बणये जांद।

- हाँ ! हम कोंग्रेसी बि डा निशंक से भौत सा ऊलजलूली बात सिखणा इ रौंदा पण याँखुंण बि डेलिगेसनो दगड़ उन्नादेसौ जात्रा जरूरी च .

-अछा ! उन्नादेसौ जात्रा से हौर क्या क्या सीख आपन अर आपक डेलीगेसनन ?

- अब सि उर्दू तै उत्तराखंडम अग्वड़ि बढाणो बान उर्दू अकादमी की सिफारस बि मीन अर म्यरो डेलीगेसनन इ दे छौ
 
-हाँ ! अपुण मड़घट जोग हुयां बीमार ब्वे बाबु तै छोड़िक दुसरो ब्वे बाबु सेवा करण सिखणो बान उन्नादेसू जात्रा बि जरूरी च . द्वी हजार साल पुराणि कुमाउनी, गढ़वळि   भाषा मोरणि छन वांक कै तै चिंता नी पण उर्दू अकादमीs  बड़ी चिंता च .
 
-आप बुद्धिजीवी हर बात की काट करदां। अरे म्यर अर म्यरो डेलीगेसनन उर्दू अकादमीक कनै खुलणो बान कुज्याण कथगा देसूं सैर कार धौं अर तुम छंवां बल कुमाउनी, गढ़वळि रुण रूणा !

- पण मंत्री जी यो सिखणो बान उन्नादेसौ जात्रा जरूरी नि छे . यी त तुम डा। रमेश निशंक का कुउदेस्यों से सीखि सकदा छा कि जौंन कुमाउनी, गढ़वळि छोड़िक संस्कृत तै उत्तराखंडौ राजभाषा घोषित कौर .

-हां ! हां ! हम डा निशंक का सौब कुकर्मी, कुउदेस्यी  ब्यूंत/तकनीक  त सिखणा इ छंवां पण यूं ब्यूंतो तै कनैक  कार्यावनित करण सिखणो बान मि तै मय ड़ेलेगेसन उन्नादेस जाणि पोड़द।

-एक बात बथाओ तुमर ड़ेलेगेसनौ सदस्य कु कु छन ?

-इखमा क्या च ? जन सरा भारतम हूंद तनी च  . म्यरो सरकारी विदेसी जात्राक डेलीगेसन मा मि छौं, मेरि कज्याण च, परिवार च , ससुरालौ भौत सा लोग छन . और क्या ?

-औ! इखम आप पूरो विशुद्ध भारतीय नेता छंवां जु अपण परिवार तै सरकारी डेलिगेसनो नाम पर विदेश भ्रमण करांद                                       

 

 

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 7/01/2013

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा



                         सोनिया गाँधी अर मनमोहन जीs अण सुऴज्यां दुःख 



                                            चबोड्या : भीष्म कुकरेती





 -सोनिया जी ! मि तै कुछ समजम नि आणु .

-मनमोहन जी ! मेरी बि बिंगणम नि आणु

-सोनिया जी ! मि तै कुछ नि दिख्याणु बल क्या ह्वाल?

-मन जी ! म्यार  अगनै काळो अंध्यर च . राहुलो सौं जु एक बेथ अगनै बि दिखेणु हो .

-मिसेज गांधी ! मै लगद फिर से अन्तराष्ट्रीय छापोंम  (पत्र - पत्रिका) मेरी काट हूण

-सरदार जी ! मै लगद राष्ट्रीय मीडियाम मेरी बड़ी बेज्जती हूण   

-मैडम जी ! म्यार पुटकुंद  त च्याळ पोड़ना छन बल इतियासम म्यार नाम नाकाबिल प्रधानमंत्रीs पतडोंम लिखे जालो

-सिंह साब ! मि तै निंद नि आन्दि बल क्या म्यरो राहुल बगैर प्रधान मंत्री पद पायुं चैन से रै साकल ?

-  सोनिया जी ! मीरो रिफ़ॉर्मs बदौलत अम्बानी , पोंटि चड्ढा , मारन , जन धन्युं मातबरी हजारो गुणि बढ़ पण संयुक्त राष्ट्रे रिपोर्ट बथाणि च बल गरीबी मा कमि नि आणि च। सोनिया जी ! यि गरीब पैदा इ किलै हून्दन  ?

-मनमोहन सिंह  जी ! बिचारो राहुलन चुनावों बगत फर कथगा  फिरड़-फराड़ कार। अर कोंग्रेसौ भितरै रिपोर्ट बथांदी बल वोटर राहुलो भकलौणम कतै नि आन्दन। जख जख राहुल गे उख हम चुनाव हरौं . मनमोहन जी ! इ भारतम गैर-कौंग्रेसी वोटर पैदा इ किलै होंदन?

-सोनिया जी अब द्याखो ना ! मेरी म्यरों आर्थिक नीति  से अम्बानी , पोंटि चड्ढा , ए राजा जन लोग अब महलोंम  रौण बिसे गेन अर यूएनओ रिपोर्ट  बथाणि च बल तेतीस टका भारतीयोंम दस बाइ  दस फीटो  ड़्यार बि नी च। सोनिया जी !यूं गरीबोंम जब रौणै जगा नी च त यी गरीब-हीण लोग बच्चा पैदा इ किलै करदन ! यूं गरीबुं वजै से में सरीखा प्रकांड, विद्वान्, अर्थशास्त्रीs दुन्या -थौळ ( इंटरनेशनल फोरम) मा कथगा बेज्जती हूंद ?     

-मन जी अब द्याखो ना ! नेहरु परिवारों वजै भारतम प्रजातंत्रम कथगा उन्नति ह्वे। अर यि भारतीय छन बल हमर राजकुमार राहुल गांधी छोड़िक  नरेंद्र मोदी तै प्रधान मंत्री बणान चाणा छन . यी गैर कोंग्रेसी पार्टी भारत जन देसुम पैदा इ किलै हॊन्दन ? यूं गैर कोंग्रेसी नेतौं वजै से हमर राजकुमार सीधो प्रधान मंत्री नि बौण सकुद .

-सोनिया जी ! तुम त गवा छंवां बल म्यरी आर्थिक नीति से भारतम मतबरो कुण सैकड़ो  अस्पताल खुलि गेन . दुन्याs बड़ा बड़ा पत्रकार यां पर मेरि बडे-प्रशंसा करदा नि अघान्दन . अर यु यूएनओ च बल मि तै दनकान्दु  बल भारतम बाल मृत्यु दर बंगलादेस से बि जादा च अर भारत बाल मृत्यु दर कम करणम अबि भौत पैथर च . मेरि समजम इ नि आंदो जब यूं गरीब लोगुम खाणों नी च , पैरणो लारा नी च , रौणो कूड़ नी च त इ  ब्या इ किलै करदन ? यूं गरीबों  वजै से हम आर्थिक पंडितु कथगा बेज्जती हूणी च।

- मन जी ! त क्या  करे जावो ?   

-मै लगद यूएनओ  रिपोर्ट ठीक करणों बान  कपिल सिब्बल जी अर चिदम्बर जी तै यूएनओ  भिजदां . यी द्वी संख्या /फैक्ट -फीगर तै तुड़ण -मरोड़नम उस्ताद छन . उख जैक इ द्वी काळो तै सुफेद सिद्ध त कौरि द्याल।

-अर मनमोहन जी ! इख राहुलो क्या होलु ?

-मैडम जी ! राहुल जी तै राष्ट्रीय स्वयं संघम नागपुर भेजि द्याओ 

- मनमोहन जी यी क्या बुलणा  छंवां। कोंग्रेस की नीति ?

-मैडम जी ऊनि बि क्वा पार्टी  च  ज्वा नीत्युं पर हिटणि च ?

-हाँ ! सिंह जी !  बुलणा त तुम सै छंवां। मि जरा अहमद पटेल जी तै बि पूछि लींदु 


Copyright@ Bhishma Kukreti 8/01/2013

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा



                                                                   

                                              फिकर नी कारो -द्वी चीजुं पूरो  इंतजाम च



                                                 चबोड्या : भीष्म कुकरेती

(s=-माने  आधा अ )

                    ब्याळि गांमा कुटुमै बोडि गुजरि त सुबेर सुबेर सुन्दुर भैजिs फोन ऐ बल ब्वे खतम ह्वे गे। कुंडुम लिजाणै परेशानी त नी च . अचकाल बस अड्डा तलक मुरदा जनक्याणो  नेपाळी या बिहारी खार्युं मिल जांदन अर उख मड़घटम बि लखड लाणों बि  नेपाळी या बिहारी मिलि जांदन पण मड़घटम पचास साठ  मुडै नि राला त गां -गौळम (समाजम ) नाक कटि  जालि .

                         पैलि जब बस अर नेपाळी या बिहारी नि छ्या त हमर गांवक मुर्दा लिजाणों सहेलि जन सहकारिताs  प्रदर्शन होन्दु छौ अर गांवक अर न्याड़ -ध्वारो गांवक लोग शंख बजदि खेती पाति से कैजुअल लीव लेकि मुर्दा लिजाणों मुडै बणनम पुण्य समजदा छा। अब बस, नेपाळी या बिहार्युं आण से लोग बाग़ मुडै बणनम  ठसठस लगदन। महादेव चट्टी बस नि जान्दि त अब हमर  गांवक  मड़घट बि महादेव चट्टी घाट से सात मील दूर फूलचट्टी घाट शिफ्ट ह्वे ग्याइ।फूलचट्टी माने हिंवल अर गंगा जी संगम .

 सुन्दुर भैजिन पूछ , " भीषम !  पचास साठ मुडै कखन लाणन ?"

 "भैजि ! गां मा तुम छंवां। मि मुंबई मा रैक क्या बथों ?" मीन जबाब दे अर अग्वाड़ी ब्वाल ,"  ब्वाडा जीन सरा अडगें (क्षेत्र ) मुर्दा बोकिन त बोडिs जनाजा मा किलै नि लोग आला ?"

"भई अब जमानो बदलि गे ." सुन्दुर  दाs जबाब छौ

मीन ब्वाल ," सि घौरम अपण मुंडीतौ रामु का च, बंसी भैजि च . ऊंकुणि बोल बल लोगुं तै भट्यावन।"

सुन्दुर भैजिक जबाब छयो ," अरे दुयुं दगड कुट्टी हुंईं च . हम एक हैकाक दगड नि बचऴयांदा ."

 मीन पूछ ," किलै ?"

" रामु का तै महा गरीब (बीपीओ ) बणन छौ त मेरि गवाही चयाणी छे .इनि बंसी भैजि तै सुदि मुदि सरकारी लोन चयाणु छौ अर मेरि गवाही जरूरी छे . म्यार दिलन गवाही नि दे अर मीन दुयुंक परपंचम गवाही नि दे त द्वी  नरक्याँ (नराज ) छन ." सुन्दुर दान बोलि .

 मीन ब्वाल ," क्वै ना क्वै त तरकीब होलि कि गां अर न्याड़ -ध्वारो गांवका लोग बोडि तै कंधा दीणों ऐ जावन ."

सुन्दुर दान पुळेक ब्वाल ," हाँ छैं  च . तीम  गां अर  न्याड़ -ध्वारो गांवका सौएक लोगुं फोन नम्बर त छैं छन ना ?"

मीन बोलि ," हाँ फोन नम्बर छैं छन ."

" त तू इन कौर तख मुम्बै बिटेन सब्युं कुण  फोन कौर अर आखिरें जोर लगैक जरुर टक लगैक , जोर लगैक बोलि बल मुर्दा फुकेणों परांत द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च. मुर्दा फुकेणों परांत द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च बुलण नि बिसरण हां !" सुन्दुर भैजिन आदेस दे .

मीन पूछ भैजि बल यो  द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च को मतबल क्या च .

सुन्दुर दान ब्वाल ," तू बस फोन कौर।  मीम या बात समजाणो टैम नी च .डांडी , कफनौ  इंतजाम बि करण। तू बस सब्युं कुणि फोन कौर अर द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च बुलण नि बिसरि"

मीन मुम्बै बिटेन गां अर न्याड़ -ध्वारो गांवका सौएक लोगुं  तै फोन कार बल बोडि  गुजरि गे अर आखिरैं जोर लगैक ब्वाल बल मुर्दा फुकेणों परांत द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च।

सब्युंन पुळेक जबाब दे बल जब द्वी चीजुं पूरो इंतजाम च त मि  सुंदुरु ब्वे तै कंधा दीणों अर लखड़ दीणों जरूर जौलु .

मेरि समजम अबि बि नि आयि बल पैल मुड्वैयुं तै परसाद खिलान्दा छा त अब या  दुसर नै चीज क्या आयि         

   

दुफरा परांत सुन्दुर भैजिक फोन आयि ," थैंक यु भीषम ! म्यरो बाई हार्ट ब्लेसिंग च , आशीर्वाद च बल जब तू मोरलि त  हजारो लोग त्वे तै कंधा दीणों ऐन ." मि घंगड़े ग्यों अर मेरी समज मा नि आयि बल यो आशिर्बाद च या क्या च। फिर सुन्दुर दाक आवाज बि लड़बड़ाणि छे . मीन घड़याइ बल सैत च ब्वे मोरणों दुःख अब होणु होलु   

मीन ब्वाल , भैजि मीन त सौएक लोगुं तै फोन कार छौ . लकड़ी दीणों क्वी नि आयि क्या ?"

 सुन्दुर दान जबाब दे ," अरे न्है रे  त्यार फोनों बदौलत ब्वे तै लखड़ दीणों द्वी सौ आदिम ऐन . इथगा आदिम त कैक सप्ताहम बि नि आन्दन . अर सौब इखम बखत्वारौ होटलम बैठ्यां छन  "

 मीन पूछ , " भैजि यि 'द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च'   मतबल क्या च ? पैल त  मुड्वैयुं तै परसाद खिलान्दा छा अब या नै चीज क्या च ?"

सुन्दुर दाक जबाब छौ ," अबे लाटा ! अब परसादो जमानो नि रै गे . द्वी चीजो इंतजाम माने शिकार अर  शराब ."

मीन खौंळेs ब्वाल ," क्या ! मुरदा फुकणो बाद -शराब अर शिकार ?"

सुन्दुर दान बोलि ," हाँ ! मीन बि छै बुगठ्या अर बीस पचीस मुर्गा मर्वैन अर कुज्याण कथगा बोतळ दारु धौं ! अबि बि मुडै शिकार अर शराब का मजा लीणा छन ."

मीम बुलणों कुछ रयुं बि नि छौ     

     



 Copyright@ Bhishma Kukreti 9/01/2013

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                    उत्तराखंडक  भूतपूर्व मुख्यमंत्र्युं आत्मकथा

 

                                                 चबोड्या: भीष्म कुकरेती

 

(s=-माने आधा अ )

 

   भारतम राजनीतिग्य आत्मकथा कमि लिखदन . एक त इख क्वी बि नेता राजनीति बिटेन रिटायर नि होंद जु यूं तै आत्मकथा लिखणो समौ मील साको , अफार अपण लाल कृष्ण अडवाणी जी तै इ देखि ल्यावदी इख  आत्मकथा लिखणो बगत च त अडवाणी जी उख प्रधानमंत्री बणणो खटकरमुम व्यस्त छन .

   अब सवाल आंदो बल उत्तराखंडऔ मुख्यमंत्र्युंन उत्तराखंड बाबत अबि तलक आत्मकथा किलै नि लेखी होलु /

सि भग्यान नित्यानंद स्वामी लेखि सकदा छ बल उन त वो हरियाणो छया पण बुबा जीs फौरेस्ट  रिसर्च इंस्टिच्यूटम  होण से ऊंन देहरादून तै अपण कर्मस्थली बणाइ . पेल जनसंघऔ प्रत्यासी ह्वेक  विधान सभा चुनाव हरदा छा। फिर कोंग्रेस माँ गेन . कुमया  अर गढ़वाऴयूं  आपसी मनभेद अर मतभेद हूण से अध्यापकीय सीट से उत्तर प्रदेश विधानपरिषद सदस्य बणदा छा . कुमयों  अर गढ़वाऴयूं आपसी मनभेद अर मतभेद पर स्वामी जी दसेक अध्याय लेखि सकदा छा अर गैर कुमया गढवाऴयूं लोगुं तै बथै सकदा छा बल बस कुमयों अर गढ़वाऴयूं तै लड़ान्दा  जावा , बन्दरबांट करदा जावा अर  सत्ता का उच्च पद पर पदासीन होंद जावो .

                स्वामी जी अपण आत्मकथाम देहरादुना गढ़वाळयूं मजाक बि कौर सकदा छा कि देहरादूनम गढ़वाळयूं बहुमत च पण गढ़वाळयूंम   एका नि हूण से देहरादून विधान सभा सीट गढ़वाली  नि जीत सकुद .स्वामी जी अपण आत्मकथाम लेखि सकदा छा देहरादूनs गढ़वाळयूंम अपण भाषा या कौमs प्रति क्वी उत्साह इ नी च त उख देहरादूनम दिखे जावो त गैर गढ़वाळयूं राज च। स्वामी जी अपण आत्मकथाम फिर से बथै सकदा छा बल कुमयों अर गढ़वाऴयूं आपसी मनभेद अर मतभेद का वजै से इ एक गैर कुमया-गढ़वळी उत्तराखंड राज्यौ पैलो मुख्यमंत्री  बौण। जख तक एक नाकमयाब मुख्यमंत्री हूणों सवाल च स्वामी जी ईं बात तै लुकै दींदा बल नित्या नन्द स्वामी एक निहयती नाकामयाब मुख्मंत्री सिद्ध ह्वे .नित्यानंद स्वामी जीन अपण आत्मकथाम इन नि लिखण छौ बल एक नयो राज्यौ नयो नयो मुख्यमन्त्री अपण राज्य तै एक नयो दिशा दीन्द एक नयो रस्ता बथांद . नित्या नन्द स्वामी आत्मकथाम इन बि नि लिखदा बल चूंकि 'कवों भागन घीयक घौड़ फुट  '(बिल्ली की भाग से छींका फूटा ) वजै से वों मुख्यमंत्री बणिन त ऊं तै क्या पड़ी छे जु  राज्यौ बाराम कुछ सोचदा .
 
           जु भगत सिंह कोशियारी जी आत्मकथा लिखदा त हिंदी मा लिखदा अर कखिम बि कुमाउनी शब्द नि रौंदा किलैकि कुमया शब्दों से राष्ट्रीय छवि कमजोर ह्वे जाणों डौर रौंदी .  जु  भगत सिंह  कोशियारी जी आत्मकथा लिखदा बि त उंकी  आत्मकथाम निराशा वळि छ्वीं  लिखीं रौणी छे । अब कोशियारी जी इन बि त नि लेखि सकदा छ बल ना ही ओ एक कामयाब मुख्यमंत्री सिद्ध ह्वेन ना ही ऊंमा इथगा तागत,पुन्यात,सक्यात च कि वो उत्तराखंडों एकछत्र -एकमात्र नेता ह्वे सौकन।
 
  अहा जु अपणा नारायण दत्त तिवारी जी आत्मकथा लिखदा त भारत तै नयो जमानो वात्सायन मिल्दो जो नयो -कामसूत्र लिखदो। तिवाड़ी जी अंग्रेजी मा बतांदा बल अस्सी सालो उपरान्त बि अपण जवानी कनकैक बरकरार रखण .तिवाड़ी जीक कामसूत्री आत्मकथा अमेरिका म बि खूब बिकदी। पण चूँकि तिवाड़ी जी अबि बि रिटायर नि ह्वेन अर अबि बि वो बिगरैलि बांदो पर खोज करणा छन त तिवाड़ी जीम आत्मकथा लिखणो  टैम नी च।
 
  जख तलक रमेश निशंक जीक आत्मकथौ सवाल च मै लगद डा रमेश जी तै अफिक अपण आत्मकथा लिखणो जर्वत इ नी च . जब बि निशंक जी तै आत्मकथा लिखणो  इच्छा ह्वेली वो लिख्वारो तै पैसा देकी अपण नाम से दसियों आत्मकथा छ्पाला . हाँ वूं आत्मकथाम कुमाउनी अर गढ़वाळी भाषा बचाणों बात कखिम बि नि होलि पण संस्कृत भाषा बचाणों दसियों अध्याय होला फिर उखमाँ अपणी खूब बड़ाई अफिक कारल  कि कन ऊंन संस्कृत तै उत्ताराखंडै राजभाषा घोषित करी। रमेश जीक आत्मकथाम एक दुःख पर कथगा इ अध्याय होला  कि ऊंको राजमा कुम्भ मेला बढिया ढंग से सम्पन ह्वे अर ऊं तै नोबल पुरुष्कार नि मील . 
 
     अब भुवन चन्द्र खंडूरीs आत्मकथौ सवाल च त आत्मकथाम सड़को छोडिक कुछ ख़ास नि होलु .  चूंकि आत्मकथाम अपणी प्रशंशा अर मन्शा पर जोर हूंद त खंडूरी जी कोटद्वार विधान सभा चुनाव किलै हारिन पर कुछ नि लिख्युं मीलल . अब खंडूरी जी बेवकूफ थुका छन जो अपणी कमजोरी लोगुं तै बथाला .
 
 हाँ जु उत्तराखंडौ ब्याळै मुख्यमंत्र्युं आत्मकथा सवाल च कैं बि आत्मकथाम  उत्तरखंडम पहाड़ो विकास पर एक बि छ्वीं नि होलि किलैकि यूं ब्याळै मुख्यमंत्र्युं तै उत्तरखंडम पहाड़ो विकासौ बारम कुछ अता पता हूंद त यि अपण मुख्यमंत्री कालम कुछ त करदा जां से पता चलदो बल यूं भलमानसु तै पहाड़ की चिंता च . कैक बि आत्मकथाम कुमाउनी अर गढ़वाळी भाषा अर संस्कृति छ्वीं नि होलि .
 
 उन एक रैबार म्यार बि  च जै बि भूतपूर्व मुख्यमंत्री तै आत्मकथा लिखाण हो त बन्दा हाजिर च .
 
             

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                     म्यार गांवक नै राजकीय निशाण (चिन्ह )

 

                                     चबोड्या: भीष्म कुकरेती

(s=-माने आधा अ )

 

                      आज इ ना महाभारत इ बिटेन एक रिवाज च बल हरेक मनिख  अर हरेक गां अपण राजकीय निशाण /चिन्ह घोषित इ नि करदो वाई निशाण तै अपणि पछ्याणक बणादु।म्यार गांs बि कथगा इ राजकीय निशाण था . हाँ पैल हमर गांवक राजकीय पछ्याणकौ चिन्ह या निशाण सैकड़ो सालम बदलदा छा अब साल द्वि सालम इ गौंs राजकीय निशाण बदल्याणा छन।



                                 अब जन कि जब गुस्साम हमारा उदयपुर्या विधायक (अर प्रदेश मंत्री ) भग्यान  जगमोहन सिंह जीन ढांगू-डबरालस्यूं वळु कुण बोलि 'यि खीरा (कद्दु )खाण वळा मि तै क्या वोट द्याला " त ढांगू - डबरालस्यूं पट्टी वाळुन अपण कूड़ो मुंडळो मा अपण स्वघोषित राजकीय निशाणी खीरा धरण शुरू करी दे अर जब बि क्वी कॉंग्रेसी दिख्यावो त वै तै खीराs  दाण  दिखांदा छा . तब बिटेन आज तलक ढांगू-डबरालस्यूं वळुन खीरा की निशाणी नि छोड़ी याने कि यि पट्टी अबि बि गैर्कोंगरेसी कौम च . हां यूं ढांगू-डबरालस्यूं   पट्टी वाळुक कूड़ो मुंडळोम खीरा दाण खोजिक बि नि दिखेंदन अब ढांगू-डबरालस्यूं  पट्टी वाळुक कूड़ो मुंडळोम खीराs जगा देसी कैक्टस दिखेन्दन अर अब जैक मुंडळम देसी कैक्टस नि जम्युं ह्वाओ समजी ल्याओ वो ढांगू - डबरालस्यूं पट्टीक नी च।ढांगू-डबरालस्यूं पट्टीs  प्रवासी जब बि ड्यार जांदन वो अपण दगड बनि बनि देसी कैक्टस लिजान्दन अर अपण इ ना दूसरों कूड़ोम बि देसी कैक्टस लगैक ऐ जांदन . देसी कैक्टसन खीरा की राजकीय पदवी लूठि  याल अर अब हमारो मुंडळो राजकीय निशाणी देसी कैक्टस ह्वे गे।चूंकि भौत सा प्रवासी गां नि जांदन , वो लोग नागराजा-नरसिंगो  भेंट भ्याजन या नि भ्याजन पण वो हर साल अपण कूड़ो मुंडळो बान देसी कैक्टस या इम्पोर्टेड कैक्टस भिजण नि बिसरदन।



                   पैल हमर गौंक चरित्रौ राजकीय निसाणी 'गौड़ी' छॆ ज्वा राजकीय निसाणी  बथांदी छे बल हम सीधा साधा दूसरों भलै सुचण वळा छंवां .अब या राजकीय निसाणी प्रजातंत्र की रक्छा करणों खातिर बदले गे अब गौंक पंच अर प्रधानो घौरम घट्यूं झंडामा राजकीय निसाणी मुसक्या चोर जन स्याळs फोटो छप्युं रौंद जो बथांद बल अब हम बि अब धुर्यापन, चोरी चपाटी , धोखाधड़ीम विश्वास करण लगि गेवां। 

                     
 
                     पैल हमर सीधो सच्चो, दयामय  जीवन की राजकीय निसाणी  घिंडुडि (गौरया ) छे अब हमारी मंशा की  राजकीय निसाणी गरुड़ -चिलंग छन ज्वा बथांदी बल हम अब लूठा-लूठी का गुलाम ह्वे गेवां .



  पैल हमर राजकीय पशु निशाणी बल्द  होंद था अब राजकीय पशु निशाणी सुंगर ह्वे गे



   पैल सुबेर बिजाऴणो खुणी हम कुखड़ पाऴदा छा अब हम तै गुणी बांदर बिजाऴदन अर घाम अयां भौत देर ह्वे गे  की सूचना दीन्दन . गूणी-बांदर समय सूचक निसाणी ह्वे गेन।


 
   पैल हमर दास संग्रान्दो नौबत बजैक दिन बार मैना सूचना दीन्दा छा अब हम अंग्रेजी कैलेण्डर पर ही भरवस करदा।



         पैल लुट्या हमर  हर कामौ निसाणी छौ अब प्लास्टिकौ बोतलन लुट्या भेळुन्द जोग कौरि आल.


 
         पैल हिसरोंम भुज्याँ बुखणो /खाजों  कुमराण  हमारि निसाणी हूंदि छे अब हमर दांत कमजोर ह्वे गेन त मुंगर्युं,तोरs बुखण बुकाण कट्ठण ह्वे गे त हमन बहु राष्ट्रीय कम्पन्यु नमकीन बुकाण शुरू कार अर यांकी राजकीय निसाणी याने प्लास्टिकौ थैला हमारो चौक, गुठ्यार,गुरबट, चौबट, खल्याण अर पुंगड़ोम सुलभता से दिखे सक्यान्दन . या हमारी अमर राजकीय निसाणी च .हजारो साल बाद बि या निसाणी खतम नि ह्वे सकदी। प्रवासी यीं अमर निसाणी बड़ो संवाहक छन .

 
        पैल  हमारो गांवक राजकीय मिठै  अरशा छौ अब  प्रवास्युं दबाब से , प्रेरणा से कुछ हौर मिठै राजकीय पदम बैठ्यां छन अर अरशा आर्किओलौजिकल  म्यूजियम जोग ह्वे गेन।



 पैल हमारो राजकीय घास 'डड्यळ' छौ अब हमारो राजकीय घास 'लैंटीना' ह्वे गे।



पैल गंगा पर हमारो हक छौ अब सुणनम आयि बल गंगा पर हक्क उत्तर प्रदेश , हरियाणा अर दिल्ली सरकारूं  च।



 रिकार्ड बथान्दन बल हमारि राजकीय अर दुधबोली एकि छे याने गढ़वाली राजभाषा  छे  अब हिंदी हमारि दुधबोली ह्वे गे अर अंग्रेजी राजभाषा ह्वे गे

   

   हमारो पैल एकि राजकीय पेय छौ अर वों छौ पाणि अब हम सौब पाणि बचाणों बान राजकीय पेय 'शराब' पींदा।

         

 

                               

 

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                           

                                               गंगा जी -जमुना जीक भगवानुंम जाणु   

 

                                            चबोड्या: भीष्म कुकरेती

(s=-माने आधा अ )


      जख करोड़ो लोग मक्रैणि कुंभ नयाणों प्रयागराज जयां छन तखि गंगा जी अर जमुना जी इलाहाबादs बजार बिटेन अगरबत्ती , धूपबत्ती , घ्यू खरीदीक भगवान ब्रह्मा ,विष्णु अर शिवजी पंचैतम पौन्छ्याँ छ्याइ . वूं दुयुंन अर्घ चढै तिनि भगवानू पूजा कार .

अर उखम हंसदी सरस्वति देखिक दुयुंन रोष अर रुन्दि भौणम ब्वाल ," ये भुलि सरस्वति हैंसी लेदि हमर दुर्दशा पर . अफु त तू गढ़वाळी प्रवास्युं तरां हम परिवार वाळु तै तै नरक छोड़ी ऐ गे .कुज्याण कै दिनों पाप छौ जु हम भुगणा छंवां!"

 सरस्वतिन बोलि ,"ये दीद्युं ! मीन त तबारि बोलि याल थौ बल  यीं पृथ्वीम कलजुग आण वळ च चलो इख छोड़ी सोराग बसि जौंला .पण तुम दुयुं पर मानव कल्याणो रागस लग्युं छौ . तुम पृथ्वीमाँ इ रै बसि गेवां .अब भुगतो मानव कल्याणों पुण्य ."

  दुयुंन उस्वासी छोडद बोलि ," हम क्या पता छौ मानव कल्याण का ऐवजम हम तै डंड मीलल"

ब्रह्मा जीन पूछ ," हे देव-मानव पाप निवारणियो ! इन क्या बिपदा ऐ ग्यायि जख आज मक्रैणि दिन  तुमतै करोड़ो लोगुक श्रधा भक्ति क ऐवजम पुण्य बंटण थौ अर तुम इख रूणो अयाँ छा ? क्या जम्बूद्वीपम क्वी नया राक्षसs राज ह्वे गे ?  "

गंगा -जमुनाक समज माँ नि आयि अर ऊंन पूछ ," ब्रह्मा जी ! हम जम्बूद्वीपs बात नि करणा छंवां .हम त इंडियाक बात करणों अयां छंवां ."

सरस्वतिन दुयुं तै बिंगाई ," ओहो ! तुम द्वी त अब जम्बूद्वीप नाम  बि बिसरी गेवां। जम्बूद्वीप माने इंडिया ."

   

  गंगा -जमुनान इकदगड़ि ब्वाल," अब बिसरण इ त च . उख जख बिटेन अलकनंदा शुरू होंद उखम बड़ी पाटी पर लिख्युं च दिस इज माणा विलेज द लास्ट इंडियन विलेज , इनि गौमुख अर यममुखम बि बोर्डम लिख्युं रौंद द मोस्ट औस्पेसिअस इंडियन प्लेस . त हमन भूलण इ च कि कबि हमारि जन्म धरती  जम्बूद्वीप या भारत छौ"

यांमा ब्रह्मा जीन पूछ 'क्या इंडियाम रागस राज च क्या ?"

गंगा न बथाई ," ब्रह्मा जी अचकाल हमारो उद्गम इ बिटेन लोक कूड़ाकरकट चुलांदन कि हमर आँख इ बंद ह्वे गेन त हम तै पता इ नि चलणु च बल इंडियाम रागस राज च या मनिखों राज च ."

 विष्णु जीन पूछ ,'त तुम कन्दूडु से सूणिक बि त जाणि सकदवां बल उख भारतम कैक राज च ?"

जमुना जीन  भेद ख्वाल ," जब हमर छालों (किनारों ) पर ध्वनि प्रदूषण इथगा बढ़ त धन्वन्तरी वैद जीन हमारा कन्दुड़ इ सील देन बस ! हम डिवाइन हियरिंग एड का बदौलत दिवतौं बात सुणि सकदवां ! बस !"

शिवजीन पूछ ,"पण तुमारो स्पर्शेंद्रियां त काम करणी होला ? स्पर्शेंद्रियों से  पता लग सकुद बल भारतम कैक राज च ?"

जमुना  जीन रुन्दि भौंणम ब्वाल ,"  प्रभो ! चोहड़पुर बाद जु गुवारोळी-मूतारोळी- फैक्टर्युं गंदो पाणि मिलावट मीमा होंदी कि दिल्ली आंद आंद मी बि अपुण पाणि नि पींदु बल्कणम बोतलुं मिनरल वाटर पींदु ..."

  गंगा जीन बोलि ,' शिव पूरी बिटेन मेरो पाणिम गू -मूत -भंगार -कूडा करकट फिंके जांद वां से मै पर खौड़ू रोग (छुवा-छूत को स्किन डिजीज ) ह्वे गे अर मेरि अर जमुनाक स्पर्शेंद्रियां काम नि करणा छन ."

 ब्रह्मा जीन ब्वाल ,"पण तुम दुयुंम मानयोग की शक्ती च  त ..."
 
सरस्वती जीन खुलासा कार ," भगवन ! विभिन्न साधु संतो संगठनम  भयंकर  वैमनष्य , अखाड़ो आपसी लड़ाई , आचार्यों भेषम लोभी -लालची , भक्तो भेषम खरदूषण, शंकराचार्यों अर महंतों राजनैतिक अभिलाषा अर अति महत्वाकांक्षा देखिक यि द्वी मनोरोगी ह्वे गेन अर यूंमा जो मनशक्ती छे वा भ्रमित शक्ति ह्वे गे। अर अब यि द्वी मनशक्ति से कुछ बि   बथाणम अशक्य ह्वे गेन।'
 
विष्णु जीन बोल ," यांक मतबल च हम सौब तै कुछ ना कुछ करण पोड़ल ..पण मै लगणु च मि बेहोश हूण वाळ छौं ..अं ...अं ..अं "

शिवजी अर ब्रह्मा जीन बि इकदगडि ब्वाल ,' मै बि लगद बल मि बेहोश हूणु छौं ..अं ...अं ..अं "
 
सरस्वतीन गंगा जमुना तै पूछ ,' तुम द्वी इ अगरबत्ती -धूपबत्ती -घ्यू कखन लै छया ?"

गंगा -जमुनान ब्वाल ,"प्रयाग राज बिटेन अर कखन ? कनों क्या ह्वाइ ?"

सरस्वतीन जबाब दे ," हूण क्या छौ . अगरबत्ती -धूपबत्ती अर घ्यू नकली छौ अर विषैली गंध से भगवानो भगवान बि बेहोश ह्वे गेन ."
 
गंगा -जमुनान पूछ ,' अब क्या हमारो  होलु /"

सरस्वती जीक जबाब छौ," इन मा भगवान बि कुछ नि कौर सकदन अब त जू बि कौर सकदन वो इन्डियन इ करी सकदन।"                   
 
     

 

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा



                           अपराध जगत तै राजनीतिज्ञों से बचाणों आन्दोलन


                                            चबोड्या: भीष्म कुकरेती
(s=-माने आधा अ )



ब्याळि खुन्कार अपराधी मटका छुर्रा अपण दगड्या हफ्ता सुपारी दगड़ मील त मुख पर दया, निराशा अर करुणा भाव देखिक मीन पुछि,"कनो औन लाइन  लौटरी से बिजिनेस डाउन चलणु च कि मुर्दार सूरत बणै घुमणा छां ."

मटका छुर्रान ब्वाल,' नै रे ! ऑनलाइन से हम फर कुछ फरक  नि पड़दो .हम चिंतित छंवां कि हमर साफ़ -स्वच्छ  अपराधी समाज मा राजनीतिज्ञोंन घुषपैठ कौरि आल अर हम अब एक कमीसन बिठाळणा छंवां जु हमार अपराध जगत मा पौलिटिकल नेक्सस को पता लगालु अर पता लगालु कि  अपराध जगत से राजनीतिज्ञों तै कै तरां से भैर करे जावु ."

मीन खौंळेक ब्वाल," औ ! त तुम चांदा बल अपराध्युं अर राजनीतिज्ञों अपवित्र रिश्ता खतम ह्वाओ ."

हफ्ता सुपारिन ब्वाल," हां ! राजनीतिज्ञों अपराध जगतम  आण से हम अपराध्युं आचार -विचार -अनुशासनबद्धता इ खतम ह्वे गे। अब हरेक अपराधी हमर बणईं आचार संहिता तै  तोड़ण गीजि गेन ."

 "पैल हम अपराध्युं एकी साफ़ स्वच्छ छवि छे बल हम निर्दयी छंवां अर अपण जवान का पक्का छंवां  पण जब बिटेन हमर अपराध जगतम राजनीतिग्य ऐन आम लोग हम तै बि लुच्चा-लफंगा-लबाड़; अणभर्वस्या; क्या बुन्या-क्या कन्या; दोगला- धोखेबाज समजण बिसे गेन।" अपराधी मटका छुर्रान अपणी विपदा सुणाइ .

हफ्ता सुपारिन दुखि ह्वेक बोलि," अरे अब त व्यापारी अर प्रशासनिक अधिकार्युं बि अपराध्युं दगड़ संबंध ह्वे गेन ! यो खतरनाक मेल -मिऴवाक भारतम  स्वच्छ -साफ़ -पवित्र-स्वस्थ  अपराधीकरण विकास का वास्ता  बड़ो  खतरनाक च" 

मटका छुर्रान ब्वाल," पैल हम अपराधी कैक बि आंखों मा आंख मिलैक बात करदा छया पण अब नेतौं दगड़ संबंध होण से शरमैक बात करदवां। हम अपराध्युं तै बड़ी शरम लगदी  जब लोग रस्ता चलदा हम पर फबसी कसदन बल -स्यु द्याखो जघन्य अपराधी ह्वेक बि तैक संबन्ध धुर्या राजनीतिज्ञों दगड़ छन . अब त हम खुले आम रस्ताम  बि  नि चौल सकदां ."

हफ्ता सुपारिन ब्वाल ," अपराध जगतम हरेक अपराधी एकी बात से परेसान च कि अपराध को राजनीतिकरण ह्वे ग्यायि।"

मटका छुर्रान ब्वाल ," हमर पूर्वजुन जब अपराधी संघ बणै छौ त साफ़ साफ़ अघोषित -अलिखित संविधान बणै छौ बल अपराध जगतम राजनीतिग्य-उद्योगपति-अर प्रशासकीय अधिकारी नि आवन पण हम मादे कुछ लोभि अपराध्युंन राजनीतिज्ञों दगड़ संबंध बणैक सरा अपराध जगतौ भविष्य इ खतम कौर दे।अब हम स्वच्छ साफ़ अपराध्युं तै पता इ नि चल्दो कि यो राजनीतिग्य च या अछकि अपराधी।अपराध को राजनीतिकरण होण से पाक साफ़ अपराध पर यो बडो काळो धब्बा लगि गे।"

  हफ्ता सुपारिन रुंदी सूरतम ब्वाल," राजनीतिज्ञोंन अपराध जगत से इथगा गाढ़ा संबंध बणै ऐन कि क्या बोले जावो . जरा कै बि राजनीतिज्ञों ऑफिसम जावदि उख तुम तै जवान गुंडा अर अण्डरवर्ल्ड क छोरा इ मीलल।"

मटका छुर्रान दुखभरी  दास्तान  सुणाइ ,"पैल हम अपराध्युं क ग्राहकों दगड़ सीधो संबंध छौ अब ग्राहक राजनीतिज्ञों द्वारा 'सुपारी' दींदो अर हम अपराधी राजनीतिज्ञों द्वारा ग्राहक खुज्यान्दा . हम अपराध्युं यां से बड़ी बेज्जती क्या ह्वे सकदी कि हम तै काम खुज्याणो बान रोज राजनीतिज्ञों ऑफिसों चक्कर लगाण पोड़द . राजनीतिज्ञों ऑफिस क्रिमिनल इम्पलौयमेंट एक्सचेंज ऑफिस ह्वे गेन ."

हफ्ता सुपारिन ब्वाल," अब हमन एक उच्च स्तरीय कमिसन गठित कौरि आल जो अपराधम राजनीतिज्ञों पता लगालु अर तब हम अपराध जगत तै राजनीतिग्य मुक्त करला।"

इथगाम मटका छुर्राक मोबाइल बज अर दुसर तर्फान आवाज आयि," हेलो ! मटका सुपारी ! मि त्यार मुहल्लाक बड़ो नेता बुलणु छौं , मीन त्यार मटका ब्यापार पर कब्जा कौरि आल . जु अपण जिंदगी चान्दि त ये शहर छोड़ी दे .' मटका छुर्रा बेहोश ह्वे ग्यायि

इना हफ्ता सुपारिक फोन बज , "हलो ! हफ्ता सुपारी ! मि त्यार मुहल्लाक बड़ो   नेता बुलणु छौं। मीन त्यार हफ्ता उगराणि अर सुपारी लेक कतल करणों ब्यापार पर कब्जा कौरि आल .जिन्दगी चांदी त ये शहर छोड़िक अबि चलि जा ." सुणिक हफ्ता सुपारि बि बेहोश ह्वे गे छौ।     

             

                                 







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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                       ओम प्रकाश घोटाला क जेल  जांद दै ब्वेको अड़ाण

 

                         चबोड्या: भीष्म कुकरेती
(s=-माने आधा अ )

 

             ब्यटा ओम प्रकाश ! आज मेरि जिन्दगी सुफल ह्वे गे . एक राज्नीतिग्यौ ब्वेक एकि गाणि /स्याणि /इच्छा होंदि बल वींको लायक -नालायक पुत्र भ्रष्टाचारओ मामलाम जेल आंदो जान्दो रावु . आज  हरियाणवी  देवी क  कृपा से तू अर त्यार नौनु घोटाला केसमा जेल जाण से मेरी जिन्दगी क असली अभिलाषा पूरी ह्वे गे।

 ब्यटा उ जमानो और छा जब नेता लोक अंग्रेजी राजो खिलाफ जेल जांदा छा . आज त जब तलक क्वी नेता भ्रस्टाचारो मामलाम जेल नि जांद त जनता वै नेता तै असल राजनीतिग्य  नि माणदि . जन असली सोना भट्टीम पकिक चमकदो उनी अचकालो नेता अनाचार, ब्यभिचार, अत्याचार, भ्रष्टाचारक मामलाम   जेल जैक इ चमकदो . सि अंतुले , लालू प्रसाद यादव , जय ललिता , अशोक चौहाण , अजित पंवार , अजित जोगी ,मधु कोड़ा, शिबू शरीन , यदुरप्पा , मुलायम सिंह यादव,वीर भद्र सिंह आदि भूत पूर्व मुख्य मंत्र्युं/उप मुख्य मंत्र्युं नाम तबि जादा बढ़ जब यूं पर भ्रष्टाचारो गम्भीर आरोप लगिन । आज सफल राजनीतिग्य वो इ माने जांद जो भ्रष्टाचारी च इलै मि खुश छौं कि म्यरो पुत्र जेल जाणु च .

   ब्यटा बीर भोग्या वसुंधरा . या धरती भोगणों बान इ च . त हरेक नेता क पैलो अर आख़िरी काम च, कर्तव्य च  जै बि तरां से ह्वे साको समाज अर सरकार को धन , धरती तै बेईमानी से लूटो , खसोटो अर अपण सात पुस्तों कुणि माल जमा कारो। 

 
 
 हां ब्यटा जरा जेल जांद दें ध्यान दीण कि इन दिखायो जाव जन बुल्यां तू कै बड़ो कामौ खातिर या जन हितौ खातिर जेल जाणि छे . खासकर भ्रष्टाचारो मामलाम  जेल जांद  दै जन-सैलाबों इंतजाम करण चएंद अर प्रेस कौन्फेरेंस जरूर करण चएंद . प्रेस कौन्फेरेंस मा अफु पर लग्यां अभियोगुं तै अपण जाति या समुदायों दगड़ जरूर जुड़ण चयेंद जांसे जनता इन मानि ल्याओ  कि तु  भ्रष्टाचारो मामलाम जेल नि छे जाणि बल्कणम अपण जातिक भलै बान जेल जाणि छे अर सरकार पर अभियोग लगाण नि बिसरि बल या सरकार एक ख़ास समुदाय तै तंग करणों बान त्वे  तै जेल भिजणी च .
 
  ब्यटा घोटालाबाज ! जेल या न्यायपालिका से कतै नि घबराण . जेल या न्यायालयम केस आणों मतबल च कि अब त्यारो ऐबों बात क्वी नि कौर सकदो . जब बि क्वी ऐबी त्यरो घोटाला बाराम बात कारो वै तै याद दिलाइ दे कि चूंकि केस अब न्यायालयम च घोटाला बाराम बात करणों मतबल माननीय न्यायालय की अवमानना या तौहीन करण .
 
 फिर तुम सरीखा राजनीतिज्ञों कारण ही न्यायपालिकाम रिफोर्म नि  ह्वे सकणु च जां से न्याय समौ पर ह्वे साको। समौ पर न्याय नि मिलण  तुम सरीखा अनाचार्युं वास्ता एक  औषधि च अर तुम बेखटक राजनीति क चारागाहोंम घूमि सकदां।

 ब्यटा जेल जाण माने पारस पथरो पास जाण . उख तुम सरीखा नेताओं बान कै चीजै कमि नी च . त जेल जाण से घबराणै जरूरत नी च . जेल जाण से कथगा इ फैदा छन जन कि उख सैकडाक नेता छन त उख नया तरांक घोटाला , सामजिक -सरकारी चोरी सिखणो मौक़ा बि मिल्दो .   

हां एक बातो ध्यान जरूर धरी कि कै बि तरां से आत्म ग्लानि या आत्म ज्ञानो चक्कर मा नि फंसी कखि त्वे तै आत्म ज्ञान को रोग लगि गे त समजी ले कि हमारि मवासी चौपट ह्वे जालि . जब बी उख इकुलासम आत्मग्लानि या आत्मग्यानो बिमारि समणी आवो त लोभ, लालसा, अभिलाषा , आकांक्षा , महत्वाकांक्षा दिव्तों सुमरण करदी जै फिर इनमा आत्म ग्लानि नामै बिमारी आस पास नि आंदी     

 

 

  Copyright@ Bhishma Kukreti 17/01/2013   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यकलु बानर
‎"पहाडि बँजारे"

बँजारे हो रहे.... ये पहाडि
हिमाल तलहटी से
समान्तर गलियोँ मे
अपना अस्तिव खोज रहे
बँजारे से डोल रहे.... महानगरोँ मे
पैसो के चमक-दमक मे
पुर्वजो कि धरति मे
कही....
पहाडो के एक कोने मे
टूट रहे ओ घर बिचारे
किसके होगे....?
जो सँजो रहे महानगरोँ मे
पहाडो से दुर है सपनेँ
लाचार नर्म आँखे भी
जिसने जोडा होगा
अपने यौवन मे....

"मै कैसे लिख दूँ....?"

'दरार पडे दिवालो मे
बन्द पडे किवाडो मे'

सँन्नाटा युँ.....
उस खण्डहर कि अकुलाहट मे

बुढि नर्म आँखो से
कैसे नव-निर्मित करे....?
जो खुद गुजर रहा... र्जीण अवस्था से
कभी सुनने मे आता था
"सुन्दर-दा कु रैन-बसैरा छी
आ युँ परदेशी कु खण्डर रैगो"

बँजारे हो रहे.... ये पहाडि

"गार-माटु कु उ चिनाई तै
ईजा-बौजु कु उ घरौदे तै"

कभी झाँक के देखो
उस खण्डहर मे....
बुढि नर्म आँखो मे
दफन पडे....
तेरे बचपन के रँग
आँगन के हर कोनोँ मे

एक पुकार
सुन-सुनी जा
ओ बँजारे...
"दफन पडे माँ-बाप कु स्वैणु
बाँझ कुडि कु हर ढ़ुँगि तै
बाँझ कुडि कु हर ढुँगि तै"

लेख-सुन्दर कबडोला (कुमाँऊ)
13/01/2013

 

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