Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 357532 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यकलु बानर ‎"पहाडि बँजारे"
 
 बँजारे हो रहे.... ये पहाडि
 हिमाल तलहटी से
 समान्तर गलियोँ मे
 अपना अस्तिव खोज रहे
 बँजारे से डोल रहे.... महानगरोँ मे
 पैसो के चमक-दमक मे
 पुर्वजो कि धरति मे
 कही....
 पहाडो के एक कोने मे
 टूट रहे ओ घर बिचारे
 किसके होगे....?
 जो सँजो रहे महानगरोँ मे
 पहाडो से दुर है सपनेँ
 लाचार नर्म आँखे भी
 जिसने जोडा होगा
 अपने यौवन मे....
 
 "मै कैसे लिख दूँ....?"
 
 'दरार पडे दिवालो मे
 बन्द पडे किवाडो मे'
 
 सँन्नाटा युँ.....
 उस खण्डहर कि अकुलाहट मे
 
 बुढि नर्म आँखो से
 कैसे नव-निर्मित करे....?
 जो खुद गुजर रहा... र्जीण अवस्था से
 कभी सुनने मे आता था
 "सुन्दर-दा कु रैन-बसैरा छी
 आ युँ परदेशी कु खण्डर रैगो"
 
 बँजारे हो रहे.... ये पहाडि
 
 "गार-माटु कु उ चिनाई तै
 ईजा-बौजु कु उ घरौदे तै"
 
 कभी झाँक के देखो
 उस खण्डहर मे....
 बुढि नर्म आँखो मे
 दफन पडे....
 तेरे बचपन के रँग
 आँगन के हर कोनोँ मे
 
 एक पुकार
 सुन-सुनी जा
 ओ बँजारे...
 "दफन पडे माँ-बाप कु स्वैणु
 बाँझ कुडि कु हर ढ़ुँगि तै
 बाँझ कुडि कु हर ढुँगि तै"
 
 लेख-सुन्दर कबडोला (कुमाँऊ)
 13/01/2013

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यकलु बानर कै लिखणु Row...?
 
 गौव-मा यु Proposal ऐगोँ
 westward कु rumour हेगोँ
 नानतिण-मानतिण हैगिण trust
 पहाड मा ऐगोँ यु foundation
 
 "far देश कु culture तै
 अद बुनि सी dreaming तै"
 
 hunging देखि begining छा
 hold on मा पहाडि रँनकर
 stay हुआ न कुड कु culture
 silence कर go आँगण-पात्थर
 गौ कु policy ले बदली
 "मिलन-मिलान confusing चा
 बखाई मा हेगोँ comparing चा"
 fox कु जैसो mind लगौणि
 दुर मुलुक कु travel करनी
 sad हे जानी gentleman
 present मा देखि futhur सोचि
 कौ छू अब...?
 past पहाडि hearing वाला
 सबै हैगिण gentleman
 परदेश मा रहने वाला
 
 कै लिखणु row...?
 "फूटि गगरि तै
 पण्देर कु पाणि
 कभै नि हुँछि
 पुरि गगरि"
 
 'पहाड मा ऐगोँ यस Progress
 पिछाड बै हेगोँ जस Regress'
 
 पहाडि ले गो english ऐगोँ
 देशी मा कै सोचणु अब
 बुढ-बाढा weeping करनी
 त्यार-ब्यार ले hungry रैगिण
 taste करन कु राजि नैहतण
 
 एक fly का बै करनी
 घुघति प्यारि forget हैगेँ
 बुराँश ले देखि मुरझि गिण
 young मुया temporary हैगिण
 
 इनरि ABSENCE तै...
 गौ कु रौनक Useless हैगेँ
 गौ कु रौनक Useless हैगेँ
 
 लेख-सुन्दर कबडोला
 16/01/2013

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                                  कौंग्रेसम चिंतन अर हौर्युं  चिंता
 
 

                                            चबोड्या: भीष्म कुकरेती
(s=-माने आधा अ )
 
 

               जब बि क्वी राजनैतिक पार्टी चिंतन शिविर (होटलूँम) लगांदी कुछ हौर्युं तैं चिंता ह्वे जान्दि . अब द्याखो ना उख जयपुरम  कॉंग्रेसौ चिंतन शिविर क्या लग बल भौतुं चिंता बढी गे .
 
इन बुल्याणु च बल कौंग्रेस नया नया दगड्या (अलाइन्स ) खुज्याणि च त   भाजापा चिंतित च बल कखि ये कौंग्रेसी चिंतन शिविरम  कौंग्रेस नितीश कुमार तै चंगुलम फंसाणो जाळ बुणि द्याला त बिहारम भाजापा को भट्टा बैठि जालो। एकाक चिंतन हैंकाक चिंता। उन बल यां से लालू प्रसाद बि चिंतित छन बल कखि नितीश कुमार अर कौंग्रेसक एक गौळ पाणि ह्वे ग्यायि त लालू जीक भैस कैका  पुंगड़ों चारा -पीन्डो खाला? एकाक सुळजाट हैंकाकु अळजाट   
 
           भाजापा तै यांकि बि चिंता च बल कर्नाटकम उल्टो तरीका या सीधो तरीका से कौंग्रेस भूतपूर्व प्रधान मंत्री देव गौड़ा दगड़ तमाखु पीण मिसे जावो अर दगड़म   यदुरप्पा तै सीबीआइ डौर दिखाण बिसे जालि त अगनैक चुनावोंम  कर्नाटकम भाजापाक कुगति क्वि नि रोक सकदो। एकाकुण अमृत हैंकाकुण बिष!   
 
   कौंग्रेसक चिंतन शिविर से शिव सेना बि चिंतित च बल भितरी -भितर मनसा (राज ठाकरे ) अर कौंग्रेसम पैणु चलि गे याने पैक्ट ह्वे गे त ये आण वळ चुनावम जितण मुस्किल ह्वे जालो। एकाक मुक्ति हैंकाकुण कुटांसी (जो गायों के पैरों में बाँधी जाती है या घोड़ो के पैरों में भी बाँधी जाती है ).         
 
             डीएमके तै  चिंता च बल कखि सोनिया गांधी  जय ललिता तै चाय पीणों भट्यालि त टू जी घोटालोम फंस्यां डीमके का सदस्योंक क्या होलु?एकाक चिंतन हैंकाक चिता .

      ममता बैणि चिंतित च कखि कौंग्रेस गरीबुं भलै योजना ल्है गे त  वीन कै पर भुकुण ? दूसरों पर भुकणो राजनीति मा भुकणो बान  दुसर तै गल्ति करण जरूरी होंद। दुसर गल्ती नि कारो त कै पर भुकण ?
 
     

   राहुल गांधी भाषण से अपण विजय बहुगुणा जन नेता खुश छन। राहुल गांधीन बोलि बल हम तै कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं सुध लीण जरूरी च अर विजय बहुगुणा सरीखा कौंग्रेस्युं कार्यकर्ता त परिवारों सदस्य ही होंदन अब विजय बहुगुणा सरीखा नेता अपण नौन्याळ अर रिश्तेदारों तै खुलेआम राहुल नीति का तहत चुनावी अर पार्टी संगठन का  टिकेट दिलाला . एकाक चिंता हैंकाक चिंता-हरण। 
 
 

   गरीब चिंतित छन बल कौंग्रेस जब बि गरीबो जादा इ चिंता करदी मंहगाई हौर बि उच्ची ह्वे जांदी -ढाँटि ह्वे जान्दि . उन सुणनम आयि बल मंहगाई चिंतित नी च।  मंहगाईन पीटीआइक संवाददाता मा ब्वाल बल जब डीजल का दाम बढ़ी गेन त वींन (मंहगाई ) उकाळि-उभारी कुणि इ चढ़ण।
ठेकेदार अर बिचोलिया चिंतित नि छन किलैकि गरीबी उनमूलनो योजनाओं ठेका त मातबरों अर बिचौलियों  तै इ मिल्दन ना कि गरीबों तै . ना ही मातबर चिंतित छन किलैकि कौंग्रेसी राज ह्वाओ या भाजापाइ राज ह्वावों -द पुअर विल बी पुअरर ऐंड रिच विल बी रिचर।

कौंग्रेस का चिंतन शिविरम सोनिया गान्धिन  चिंता जताई बल  भ्रस्टाचार देस का बान  भलो नी च . पण भ्रस्टाचार चिंतित नी च किलैकि भ्रस्टाचार जाणदो च जब कौंग्रेस  भ्रष्टाचारम फंस्युं वीर भद्र सिंग तै हिमाचल प्रदेसो मुख्यमंत्री बणान्दि त भ्रष्टाचार खतम करणै बात इ बेईमानी च। जै से कुछ नि होंदु वो उपदेस दींदु। 

 
हाँ चिंतन जरूर चिंतित च बल अब चिंतन का नाम पर स्वांग (नाटक ) किलै खिले जांदन ?       

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 19/01/2013   

 

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                             काश ! मेरि बि  क्वी पार्टी हूंद !     





                                        चबोड्या: भीष्म कुकरेती
(s=-माने आधा अ )

 

    उना कोंग्रेसs चिंतन शिविर म चिंतन से पता चौल बल जब तलक राजकुमार तै  औपचारिक ढंग से राजगद्दी पर नि बिठये जालो कोंग्रेसौ कुण लोगुं तै बौगाण मुस्किल ह्वे जालो अर राजकुमार  उपाध्यक्ष बणणो तैयार ह्वे गेन . त इना मेरि घरवळि बुलण लगि ,"काश ! तुमर बि क्वी पोलिटिकल पार्टी होंद धौं !"

"त क्या भारत बिटेन गरीबी खतम ह्वे जान्दि ?" मीन पूछ

   

घरवळिन फटकार लगांद बोलि ," तुमर मिजाज अबि बि आलो -पालो खाणों च . ग्लोबलिजेसन क जमानो म बि तुम परो समाजवादी भूत पिचास नि उतर . अचकाल राजनीतिम गरीबी हटाणो बात क्वी नि करदो बस अमीरी हथियाणो बात करदो ."

मीन पूछ ," त तू किलै चांदी बल मेरि बि क्वी पोलिटिकल पार्टी होंदि ?"

वींन बोलि ," तुमर एक राजनैतिक घरपऴया पार्टी होंदि . तुम इ सब कुछ होंदा . हां दिखाणो बान पार्टीम अंदरूनी चुनाव बि होंदा . तुम नौ साल बिटेन साझा सरकार चलांदा . अर "

" अर फिर क्या ?" मीन बात काट .

"नौ साल साझा राज करणों बाद तुम तै अकल आन्दि बल अपण नौनु तै अब  आम सरकारी गैंडा जन  खुले आम  घुमणो आजादी  दीण चयेंद। याने कि अपण राजकुमारौ ताजपोशी करण चयेंद . त तुम बि  जसपुरम एक चिंतन शिविर लगाणो नाटक करदा।" घरवळिन बथै .

"तो " मीन पूछ

"फिर नौ साल तलक धनी -मातवरों एजेंट बौणिक तुम धनियों तै हौर धनी बणाणो पूरो जोर लगांदा अर उख सयुंक्त राष्ट्र संघ तुम तै बार बार चितळ करणों   रौंद बल भारतम गरीबी दूर नि होणि च पण तुम त धनी -मातवरों गुलामिम व्यस्त रौंदा। अर फिर जसपुर चिंतन शिविरम तुम अपण कार्यकर्ताओं तै संबोधित करदा कि अब बगत ऐ गे कि गरीबी बि दूर होण चयेंद . फिर तुमारो पब्लिक रिलेसन विभाग पत्रकारों तै बथांद बल पार्टी अध्यक्ष भारतै गरीबी से आहत च। बस मीडियाम धूम मचि  जांद बल पार्टीक मालिक भारतम  गरीबी से चिंतित च।" घरवळिन बोलि

"ह्यां पण ! क्वी इन बि त पूछल बल नौ साल तलक झक रावो मारणा जु अब चिंतन शिविरम याद आयि कि भारतम गरीबी बि च ." मीन टोकि

वा  अणसुणि ह्वेक बोल्दि गे ," क्वी तुम तै बथांदो बल नौ साल से पार्टी का मंत्री संतरी घूसखोरीम लिप्त छन अर यां से पार्टी बदनाम ह्वे ग्यायि .फिर चिंतन बैठकम तुम आम कार्यकर्ताओं तै संबोधित करदा अर बोल्दा बल अब भारतम भ्रष्टाचार भौत बढ़ी गे हमारा आम कार्यकर्ताओं तै घूसखोरी -भ्रष्टाचार से दूर इ नि रौण चयेंद बल्कणम घूसखोरी-भ्रष्टाचार रुकणो बान विरोधी पार्टी क राज्योंम घनघोर  आन्दोलन बि चलाण चयेंद। प्रेस रिपोर्टरों तै बथाये जांद बल पार्टी मालिक विरोधी दलों शाषित राज्यम भ्रष्टाचार  से व्यथित छन और पार्टी मालिकन कार्यकर्ताओं तै आह्वाहन कार कि विरोधी दलों शाषित राज्यम भ्रष्टाचारो विरुद्ध आन्दोलन छिड़े जावो ."

मीन बीचम बोलि ," ह्यां ! क्वी त पूछि देलो बल जब पार्टी का उच्च पदासीन मंत्री -संतरी भ्रष्टाचारम लिप्त छन त ऊं तैं किलै नि अड़ाणा छंवां ? आम कार्यकर्ताओं तै अड़ाणो मतबल ?"

  घरवळि बुल्दि गे ," फिर कुछ कार्यकर्ता याद दिलांदा बल जनान्युं बारम बि चिंतन ह्वे जांद त ठीक छौ . फिर तुमारो एक स्टीरिओ टाइपो बयान  प्रेस तै जारी करे जांद बल पार्टी मालिक स्त्रियों दशा सुधारणो बान अति चिंतित छन ."

मीन बोलि ,: ह्यां पण ! क्वी पूछल त सै  बल  पिछ्ला नौ  सालोंम स्त्रियों दशा सुधारणो बान सरकारन क्या क्या कार ?अर ऐन चुनावों से पैल इ जनान्यूं चिंता कनै हूणी च ? " 

वा बुल्दि गे ,"  फिर सोची समझी चाल से भारतम युवावों फिकर पर रुवारोळी होन्दि . अस्सी पिचासी सालो मंत्री रुंदा बल भारतम भारतीय युवा गुमराह होणु च; युवाओं तै समुचित रोजगार नी मिलणु च ; भारत कु युवा कुंठित च , भारत कु युवा दिशाहीन च, भारत कु युवा आशाहीन च , भारत कु युवा कांतिहीन च , निरुत्साहित च . फिर चिंतन शिविरम एकी आवाज उठदी कि पार्टी मालिक को युवा नौनु जो पिछ्ला दस साल से पार्टी क महा मंत्री च वूं तै उपाध्यक्ष बणायों  बगैर भारतीय युवाओं तै रोजगार नि मेल  सकुद . जब तलक राजकुमार जी पार्टीक उपाध्यक्ष नि बौणला तब तलक भारतीय युवा गुमराह रालो ..अर फिर एक आवाज से राजकुमार तै भारतीय युवाओंम उत्साह लाणों पार्टी उपाध्यक्ष घोषित करे जांदो।"

मीन बोलि ," पण क्वी ना क्वी त इन पूछल इ कि युवराज राजकुमार त पिछ्ला नौ सालों से सपार्टीम अर सरकारम बकुछ छयो त फिर किलै  भारतीय युवा बेरोजगार छया ? किलै भारतीय युवा कांतिहीन , दिशाहीन , निरुत्साहित छाया ?"

  मेरि घरवळिन राज ख्वाल ," प्रेस अर जनता क स्मरण शक्ती कमजोर होंदि बस हमार बड़ो नौनु तै उपाध्यक्ष बणन से जनता सुपिन दिखण मिसे जालि कि भारत की दशा सुधरि जाली।प्रेस बि हमर राजकुमार से आशान्वित ह्वे जालि ..बल  भारत की दशा सुधरलि"

मीन पूछ ," क्या सचमुच मा लोग सुपिन दिखण बिसे जाला कि युवराज तै उपाध्यक्ष बणान से ही भारत की दशा सुधरली ?"

वींन कॉन्फिडेंस से ब्वाल ," क्यों सन सैंतालीस से इनि नी होणु च ?"

मीम क्वी जबाब नी छौ किलै कि पोलिटिकल पार्टी जनता तै बौगाणो बान  इनि नै नै  खिल्वणि लाणा रौंदन अर जनता बि राजनैतिज्ञो भकलौण्यु  मा आणि इ रौंदी .                                     

     

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 20/01/2013   

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

 

                             राहुल गांधी से बड़ो  चबोड्या (मजाकिया) कु होलु ?
 
 

     

                              चबोड्या: भीष्म कुकरेती

(s=-माने आधा अ )
 
 

"बाबा ! बाबा ! एक खुश खबरी च ?" नौनौन बोलि 

बुबान पुळेक पूछ ," कनो  आज कै धुर्या-असुण्या-छक्टू तैं पुलिस स्टेसन बटें छुड़ानम  त्वे  तै जादा कमीसन मील ?'
 
"नै नै ! उल्टां आज पुलिस वाळुन म्यार कमीसन बिटेन पुलिस फ़ोर्स वेलफेयर का नाम पर आधा पैसा काटि देन ." नौनौ जबाब छौ

" त हे निर्भागि ! इखमा पुऴयाणै बात क्या च ? क्या राशन कार्ड ऑफिसम  रोजाना से जादा बंगलादेस्युं राशन कार्ड गुळादंगी से बणैक त्वै तै जादा दलाली मील ?" बुबान पूछ
 
" नै उल्टां आज राशन कार्ड ऑफिसम बड़ो साबुं आण से म्यार कमिसनम भौत जादा इ कटौति ह्वे ." नौनान उत्तर दे

"अबे नालायक त इखमा तीन रुण छौ कि खुस्याण (खुस होना) छौ ? क्या आज कोर्टम कै जघन्य बलात्कारी तै छुड़ाणो बान तेरि झूटि गवै से क्वी बलात्कारी न्यायोचित रूप से छुटि गे ? अर त्वै तै खूब कमिसन मील ?" बुबाक सवाल छौ
 
  नौनौ समझाई " नै नै ! बलात्कार्युं न त कमीसन बढ़ाण से मना कौर दे पण बिचौलिया भ्रष्ट अधिकार्युंन बलात्कार केसम अपण घूसों रेट  बढै देन त आज नफाम बड़ो नुकसान इ जि ह्वे"
 
बुबान रुसेक बोलि ," अबे थ्वरद्यना ! नफाम नुकसान ह्वे अर तु हैपियाणु (खुस होना ) छे ? क्या आज कै भ्रष्ट नेता तै तीन न्यायालय से छुड़ाणों ऐवजम खूब कमाइ ह्वे या क्वी आळि-जाळी , भ्रष्ट  अधिकारी तेरि मकारि भरीं गवाही से बेदाग़ छुट अर तेरि साल भरो कमाइ ह्वे ?'
 
"नै नै ! अचकाल हम मक्कार गवाहों कमिसन त भ्रष्ट नेताऊँ अर भ्रष्ट अधिकार्युं असोसिएसन (संगठन ) तय करदो . यूं दुयुंक संगठनुं बुलण च बल चूंकि अब थोक का भावम नेता अर अधिकारी भ्रस्टाचारो केसम फंसणा छन गवाहों कुण थोकम ग्राहक आणा छन। त इलै भ्रष्ट नेता -अधिकार्युं  संगठनन हमारो कमिसन आधा कौरि दे ." नौनौ जबाब छौ
 
बुबान डुंकरताळि मार ," ओ उतकों घस्सा ! उल्लू का पट्ठा ! कमिसन रेट आधा ह्वै अर त्वै पर प्लेजर्याण (खुसी ) फ़ैलणि च ? इखम प्लेजरो क्या बात ? क्या तीन कै खुंकार डकैत या स्मगलर-डौन   को संपर्क कै मंत्री से करायी जो तू खुसी मा इथगा  कुतकणि छे ?"
 
  " तुम बि ना ! तुम तै पता च ना कि अचकाल नेता चोरों , डकैतों , स्मगलरो अर डौनों से सीधा संपर्क करदन अर ये मामलाम हम बिचौलियों क्वी भागीदारी नि होंदी ."  नौन्याळौ प्रतिउत्तर छौ

बुबान रुणफति ह्वेक प्रश्न कार ," ह्यां त फिर किलै पुऴयाणु छे?, किलै तु  इथगा   जादा प्रसन्न होणु छे ?

बेटाको उत्तर छौ ," अब मि या तो कॉंग्रेसी प्रदेश मुख्यमंत्री बणुल या कॉंग्रेसी प्रधान मंत्री !

" मै लगद बल त्वे  पर सन्निपातो रोग लगि गे।" बुबान आतंकित ह्वेक बोलि

" न्है न्है ! ब्याळि कौंग्रेस क उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधीन बोले कि अब आम कार्यकर्ता बि मुख्यमंत्री बणी सकुद ." नौनो उलार -उत्साह दिखण लैक छौ

बुबान समझाई ," हो हो ! राहुल गांधी त बुलदो इ रालो पण मुरली देवड़ा , ज्योतिकराय सिंधिया , दिग्विजय सिंग , शीला दीक्षित, प्रणव राय मुखर्जी, जीतेंद्र प्रसाद, विजय बहुगुणा ,अशोक राव चौहाण पुत्र श्री  शंकर राव चौहाण, पृथ्वी राव चौहाण पुत्र श्री आनन्द राव चौहाण जन मानसिकता हूंदा नेता क बेटा छोड़िक कोंग्रेसम कै हेंको नेता तै पनपण द्याला ? नही ! न्है! कौंग्रेसम एकि मानसिकता च कि मंत्रीक रिश्तेदार ही नेता ह्वे सकद अर इनमा राहुल गांधीन मजाक इ मजाक मा बोलि होलु कि कार्यकर्ताओं की सूणों। केन्द्रम कौंग्रेस पार्टीक सरकार ही परिवारवादों पोषक पार्टीयूं  एनसी पी (पंवार ); डीऐमके , लालू यादव , मुलायम सिंग यादव  की मदद  से चलणि ह्वाओ वीं कौंग्रेस पार्टी को उपाध्यक्ष ब्वालो कि पार्टी कार्यकर्ताओं कि सुणवाइ ह्वावो त वो एक मजाकिया जुमला या चबोड़ ही माने जालो  "

" नै नै ! राहुल गांधीन बोले कि कौंग्रेस तै कौंग्रेस कार्यकर्ताओं से दस प्रधान मंत्री लैक उम्मीदवार चयाणा छन ." नौनो उलार -उत्साहम कमि नि छे

बुबान संगीन ह्वेक समजाई ," अबे गधे !  ज्वा पार्टी सन सैंतालीस बिटेन नेहरु-गांधी खानदान की बैसाखियों छोड़िक मुर्दा पार्टी ह्वाओ उखमा पार्टी कार्यकर्ताओं को महत्व की बात करण ही बेईमानी च।यीं कौंग्रेस पार्टीम आम कार्यकर्ता तै अगवाड़ी लाणो बात करण माने जनता दगड़ चबोड़ - चखन्यौ -मजाक -मसखरी -हंसी -प्रहसन करण ही च ."

नौनान घंगतोळ म बोलि ," तो ब्याळि जो भि राहुल गान्धिन ब्वाल वो सौब मजाक-मसखरी-चबोड़ - चखन्यौ -हंसी -प्रहसन -जोक्स छौ ?"

बुबान निर्णय सुणाइ ," हाँ परिवारवाद , कुनबावाद , रिश्तेदारीवाद,  से जनम्युं पार्टी को उपाध्यक्ष जब आम कार्यकर्ताओं की बात  कौरल त वा बात मजाक-मसखरी-चबोड़ - चखन्यौ -हंसी -प्रहसन -जोक्स माने  जालि ."

नौनु अबि बि घंगतोळम छौ,"  पण राहुल गान्धिन केन्द्रीय वाद खतम करणै बात करि ."

बाबन रस्ता दिखाइ ," अबे लाटो जै पार्टीक (इंदिरा कौंग्रेस ) जनम -लगनम  एकाधिकार वाद ह्वाओ, जैं पार्टीक धनेशम नेहरू-गांधी खानदानवाद  ह्वाओ ,  जैं पार्टीक द्वितीयेशम परिवारवाद ह्वावो ; जैं पार्टिक त्रितियमेशम संगठन की अवहेलना या संगठन की ऐसी तैसी हो , जैं पार्टीक चथुर्मेशम अधिनायकवाद ह्वावो;जैं पार्टिक पंचमेशम चमचावाद ह्वावो;  जैं पार्टिक छटो घौरम व्यक्तिपूजा ह्वावो , जैं पार्टिक सप्तमेशम केन्द्रीय सत्तावाद ह्वावो तो वीं पार्टीमा विकेंद्रीयकरण की बात करणों मतबल च  मजाक-मसखरी-चबोड़ - चखन्यौ -हंसी -प्रहसन -जोक्स करण ."

 नौनाक बिंगणम बात आइ अर वैन ब्वाल ," यांक मतबल च आज भारतम राहुल गांधी से बड़ो मजाकिया ,  मसखर्या, प्रहसनकर्ता , हंसोड्या , चबोड्या, चखन्योर्या क्वी नी च ?"

बुबाक निर्णय छौ ," हाँ आज त राहुल गांधी से बड़ो मजाकिया , मसखर्या, प्रहसनकर्ता , हंसोड्या , चबोड्या, चखन्योर्या क्वी नी च"                   

                                     

 

 

 

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 21/01/2013

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                            कोठि बणाणै  त देहरादूनम इ ठीक रालि !


                                         चबोड्या: भीष्म कुकरेती
 (s=-माने आधा अ )



                        म्यार बुबा जीक स्याणि-गाणि छे बल रिटायरमेंट का दिन अपण ड़्यार म कटे जैन अर वूंन इख जवानिम  मकान लीणो कोशिस नि करि .  बुडेंद दै पता चौल बल नौनुं तै नौकरी त उत्तर प्रदेशम मिलण से रायि अर नौकरि मामलाम भारातम बम्बै छोड़िक क्वी बढ़िया  जगा नि च त वूंन इख मकान खरीदेन . वूंकि इच्छा छे कि जिन्दगीक आख़िरी साल अपण गौं कटे जावन पण इन नि ह्वे।

  मेरि बि इच्छा च बल रिटायरमेंट की जिन्दगी गौं मा काटे जावो .

मीन ड्यारम अपण  बडा (बुबा  जीक चचेरा भै ) क नौनौ कुण फोन करी ," भैजि मि चाणो छौं बल मि बुडेंद दै ड्यारम रौं ."

भैजिन ब्वाल," हां जब जवानी छे त तीन जवानि बम्बै तै दे अब बुढापा की परेशानी, लाचारि  गौं तै दे "

"नै नै  भैजि इन बात नी च मि चांदो बल बुढ़ापाम सुखि जिंदगी काटे जावो ." मीन बोलि

  भैजिन उत्तर दे," त ऐ जा . क्यांकि परेशानी च ?"

  मीन परेशानी बथै," बल भैजि !  अब जरा भितरी भितरि  नयाणों , भितरि  झाड़ा करणै आदत पोड़ी गे . फिर जु पुराणों कूड़ उफारिक चिणणो बात ह्वेलि त हम सौब काका बाडों का बीस भाइ बंद छंवां . कै कै तै समजाये जावो।त मि चांदो कि दुसर मौडर्न कूड़ चिणे जावो ."

भैजिन बथाये," हां बात त तेरि बि सै च . पण ठीक गौं मा हमारि इन जमीन नी च कि मकान लगि जावो .त त्वे तै इख जमीन खरीदण पोड़लि।अर चूँकि जमीन की जर्वत त्वै तै च त कैन बि अपण बंजर जमीन त्वै तै सात आठ लाख से तीळ नि बिचण ।"

मीन बोलि," पण भैजि ! जमीन त देहरादून से मैंगी  ..?"

  भैजिक जबाब छौ," मकानै जमीन सबि जगा , सबि जमानोम मैंगी हि होंदी।"

   मीन पूछ ," त मकान लगाणम कथगा लागत ऐ जालो ?"

भैजिन बथै," कम से कम देहरादून से तीन गुणा लागत त समजि लेदि . अब सब कुछ त चढ़ायों माल च . फिर भैराक ओड -भैराक मजदूर .."

मीन बोलि," भैजि इन मा त कोठि देहरादूनम ठीक रालि!"

"हाँ तू सै बुलणी छे . मीन बि देहरादुनम जगा लियाल अर मकान लगैक रिटायरमेंट उखि काटे जालो . इख ना त मेडिकल सुविधा ना सुख . इन कौर तु देहरादून इ जमीन लेलि अर उखि कोठि बणा ." भैजिन राय दे

मीन बोलि," भैजि जब शहरम  रौण त इख बम्बै से बढिया क्वा जगा च ?"

' मेरि बि राय याइ च कि त्वेकुण बम्बै इ ठीक च ." भैजिन राय दे

अर मीन रिटायरमेंट का वास्ता  बम्बै से पचास साठ कीलोमीटर दूर एक गौं मा फ़्लैट खरीदी आल। स्याणी -गाणि कौरिक कुछ नि होंद .

               

 

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 25/01/2013

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा



                          गैरसैणs नाम वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली नगर ठीक नी च



                                                           चबोड्या: भीष्म कुकरेती


(s=-माने आधा अ )


                      अचकाल कथगा लोगुं  मांग च बल गैरसैणो  नाम बल वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली नगर धौरि द्यावो। नाम बदलणो भारी  विरोधी छौं।


                    अब द्याखो ना ! दूर दराज बिटेन क्वी विधवा अपण पेन्सन पट्टाs कागज़ सुधारणो   राजधानी आलि अर इख जब नेता अर औफिसर क्वी बि वीं दुख्यारि काम नि कारल अर उल्टां तंग ही कारल त वीं रंडोळन (विधवान) इन गाळी दीण ," बज्जर पोड़ी जैन ईं चन्द्र सिंह नगरी पर जख दुख्यारो तै बुरि तरां से तंग करे जांदो ." त ए मेरो दगड्यो तुम चांदो बल वीर चन्द्र सिंह तै फोकटम गाळि पोड़न ? इनि हजारों लोग अपण काम कराणों उत्तराखंडऐ राजधानी आला अर जब ऊंको काम नि होलु त विचारों न निरस्याण च अर गाळी वीर चन्द्र सिंह नगरी तै दीण . क्या तुम सहमत छंवां कि चन्द्र सिंह जी गाळि खावन ?

 

                   जब पत्रकार रन्त रैबार -खबर-सार द्याला  कि उत्तरखंड की राजधानीम नेता अर अधिकारी निवास नि करदन बल्कणम  उत्तरखंड की राजधानीम छगटा  (ठग), डकैत  रौंदन त छगटों, ठगों, अर डकैतों संबंध बगैर बातो वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली दगड़ जुड़ी जालो। जिकुडि पर कथगा बड़ो चीरा लगल,  कथगा बुरु लगल जब  अखबारम लिख्युं रालो ," चन्द्र सिंह गढ़वाली नगरी नेताओं अर अधिकार्युं नगरी नी च बल्कणम छगटों याने  ठगों नगरी च, चन्द्र सिंह नगरी चोर उच्चकों की नगरी च  ". क्या वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चाला कि बगैर बातो वीर चन्द्र सिंह को नाम छगटों या  ठगों दगड़ जुड़ल ?


  अचकाल जब देहरादूनम सड़कोम जाम लगदो त हरेकक मुख बिटेन गाळि आंदन ," साला ! देहरादून की सड़के चलने लायक नही है ..". अर इनि जब बुले जालो ,' साली चन्द्र सिंह नगरी की सडकें चलने  लायक नही .." तब क्या रूणों ज्यूं नि बुल्याल बल बिचारा चन्द्र सिंह गढवाली दुसरो पाप को डंड भोगणा छन!


    राजधानीक अपणों बिगरौ हूंद बल इख जमीनै कीमत  स्वर्गलोक  से बिंडी ह्वे जांद अर खार खैक इनमा लोग इन बोल्दन ," आग लगिन ईं राजधानी पर "फिर जब गैरसैण या वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली नगरम बि जमीनों कीमत विष्णुलोक से जादा इ बढ़लि त लोगुंन रोषम -गुस्साम इन बुलण ," काण्ड लगिन! बुरळ पोड़िन, कीड़  पोड़िन यीं चंद्र सिंह नगरी पर जख खुट धरणो जगा बि नी बचीं।" क्या इन बुरा सम्बोधन भग्यान चंद्र सिंह गढवाली को वास्ता ठीक रालो ?


  कै बि राजधानी एक जरूरी लक्छण होंद बल उख पाणि भारि कमि होंद अर तिसा लोग हरदम इन गाळि दीन्दन ," बिजोग पोड़ि जैन यीं राजधानी पर, नरक समै जैन या राजधानी।". इनमा गैरसैणम बि पाणि टापि टापि जरूर ह्वेलि अर तिसा लोगुन  गाळि दीणि च बल ,"बिजोग पोड़ि जैन यीं चंद्र सिंह नगरी पर, नरक समै जैन या चंद्र सिंह नगरी !". अब तुमि बथाओ क्या इन गाळि , बुरि बात को संबंध वीर चंद्र सिंह गढवाली दगड़ भलो रालो ?


 जैं राजधानिम गंदगी, सड्याण , चिराण, सिलापैण, भ्रष्टाचार , अनाचार , अत्याचार , व्यभिचार  आदि  नि ह्वावो वा भारतीय प्रदेशों राजधानी नि ह्वे सकदी त इनमा जब लोग खबर पौढ़ल बल "वीर चंद्र सिंह नगरी गू-मूत, कचरा-गंदगी, भ्रष्टाचार , अनाचार , अत्याचार , व्यभिचार   की नगरी" त क्या क्या वीर चन्द्र सिंह जी क आत्मा दुखि नि होलि       


राजधान्युंम बिजली संकट अति होंद अर जब बिजली जाँदि  त गाळि राजधानी ही खादि अर बुले जांद निरपट लगि जैन यीं राजधानी पर . ऊर्जा प्रदेसम बि बिजली कटौति होण इ च त जब उत्ताराखंडै राजधानिम बिजली जालि त हरेक कूड़ बिटेन इन पितीं (दुखी ) आवाज आलि ," सुंताळ पोडि जैन यीं चंद्र सिंह नगरी पर , आग लगी जैन यीं चंद्र सिंह नगरी पर .". इनमा हम सबी भक्तों तै हार्दिक दुःख नि होलु कि विचारा चन्द्र सिंह गढ़वाली बगैर बातों  गाळि  खाणा छन !


    इनि हर पल , हरेक सेकंडम निरास , प्रताड़ित , रुंदा -पित्यांदा , दुखि , रोगिलों  लोग बुलणा राला ," चन्द्र सिंह गढ़वाली नगरी को छत्यानास  ह्वे जैन ! जा ! चन्द्र सिंह गढ़वाली नगरी डूबि जैन ! जा  चन्द्र सिंह गढ़वाली नगरी नरक समै जैन ...." त हम सौब वीर चंद्र सिंह गढ़वाली प्रेम्युं तै बुरु नि लगल ?


त म्यार दिखण से गैरसैणो नाम वीर चंद्र सिंह गढ़वाली नि होण चयेंद .             

           

             

     


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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा


                                    बुफे लंच-डिन्नर  सस्तो किलै हूंद ?


                                            चबोड्या: भीष्म कुकरेती
 

(s=-माने आधी  अ )



                     अजकाल बुफे डिन्नर या बुफे लंचौ याने बुफे पार्टीs  प्रचलन बढ़ी गे . जख जावो तख सडकोंम   तुम तै -बुफे पार्टी कैसे दी जाय या - बुफे पार्टीम खाणों तरीका जन  किताब मीलि जाला। आप तै  सिखये जांद बल जैदिन बुफे पार्टी ह्वावो वां से एक या द्वी दिन पैलो बरत धरण जरूरी होंद . याने अजकालो हिसाब से बुफे पार्टीम जाण ह्वावो त नीनु पुटुक जाण ही सभ्य पुरुसुं काम  च।



                            जु तुमन पार्टी दीण  त  बुफे   पार्टी दीणम फैदा च . बुफे पार्टीs खर्चो सस्तो आंद . होटल वाळ तीन सौ टका को डिस्काउंट दीणों तयार रौंदन .

 

   ब्याळि , रिवाजो  हिसाब से , द्वी दिनों नीनु पेट लेकि मि एक बुफे पार्टीम होटल ग्योँ। उख पार्टीम मीन अंक्वाई (अन्थाजण) बल उख बड़ा बड़ा लोग छ्या किलैकि सबि अंग्रेजीम बचऴयाणा छया अर सबि एक हैंक तै हीण समजणा छ्या।पैलो जमानम जु संस्कृतम बचऴयांदो छौ अर सब्युं तैं छ्वटो समजदो छौ वी बड़ो आदिम हूंद छौ अब जु अङ्ग्रॆजिम  बचऴयांदो  अर सब्युं तैं छ्वटो समजदो वो ही बड़ो आदिम हूंद .

  मि प्लेट लेक सलादों एरियाम ग्योँ त उख सबि बीस किस्मो सलाद मिक्स सलाद छया एक बि सलाद इकुऴया नि छौ । सलादो तौळ बनि बनि नामै प्लेट छे जन कि  'मिक्स्ड ग्रीन एंड ग्रीन बेल्जियन सलाद'; 'चीज, वेजिटेबल एंड पास्ता मिक्स्ड स्पेनिश सलाद';'चिकन मिक्स्ड  विद पल्स पोर्तगीज सलाद'; 'मंगोलियन स्रिम्प प्राउन एंड लोबस्टर सलाद '; 'टेन वेज मिक्स्ड विद जमाइकन सौस कैरिबियन सलाद' आदि आदि। मीन एक सलाद गाड  अर मेरि खानदानी सरयूळया जात जगी गे . मै लग ये सलादम अलग अलग दिनम कटीं भुजी या दाळ च    . मीन गढ़वाळी बैरा तै पूछ ,"  भैजि ! इन लगणु च चिकन मिक्स्ड विद पल्स तीन चार दिन बासी च ."

बैरान जबाब दे ," हाँ ! भुला ताज होटलों पर्स्याक वेडिंग पार्टीम बच्युं चिकन सलाद मांगक  चिकन च अर  ओबेराय होटलौ  नितर्स्यो तिरैं  पार्टी मांगन बच्युं दाळ  सलाद च। हमन द्वि मिलै देन "


मीन बोलि," अर नाम दे द्यायि - 'चिकन मिक्स्ड विद पल्स पोर्तगीज सलाद'"

"खाणों नामकरण    मार्केटिंग डिपार्टमेंट वाळ करदन ." बैरा क जबाब छौ .

मि नौनवेज टेबल जिना ग्योँ त उख दुन्या भरौ नौन  वेज से मेज भोरिं छे जन कि मोमिजी जापानीज चिकन'; 'अरेबियन लैम्ब विद ऑस्ट्रेलियन सौस' ; 'बेल्जियन डक लेग एंड  मलेसियन डक  रिब्स विद रसियन रेसिपी' आदि  आदि 

मीन 'इन्चिलाडा मेक्सिकन चिकन' चाख त फिर से मेरो भितरौ खानदानी सरयूळ जागृत ह्वे गे। मीन गढ़वाली बैरा तै पूछ ," भुला ये मैक्सिकन चिकनम तीन चार किस्मौ चिकन लगणा छन "

गढ़वाली बैरान बथाई बल हाँ द्वी तीन बड़ा बड़ा होटलों से ब्याळि-पर्स्यौ चिकन आलो त तीन चार किस्मौ चिकनs स्वाद आलो ही .

  मि तै होटलों परचेज मैनेजर बडोला जी मीलि गेन। बडोला जी हमर अड्गैंका छन त वूंन बथै बल हम बड़ा बड़ा होट्लूं से बच्युं खाणा खरीददवां अर फिर मिक्स कौरिक नै नै रिसिपी बणौन्दा अर नया नया नाम देकि आप लोगुं तै परोसदवां 

मीन पूछ," पण बडोला जी!  यो त ऐथिकल बिजिनेस नी च। दुसर होटलों बच्युं खाणक  नया नाम से बिचण क्वी बढ़िया बात त नी च  ?"

 बडोला जीक जबाब छौ," एक बात बथाओ तुम सरीका कम आमदनी का लोगुं तैं  इथगा  जादा खाणक सौ रुपया प्लेट मिलणों च त यां से खुशगंवार एथिकल बिजनेस क्या ह्वे सकुद ?"

  खैर जो बी ह्वाओ मै तै बनि बनिक खाणों मील मि इखमा इ खुश छौ .                                       



Copyright@ Bhishma Kukreti 27/01/2013

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                          मुम्बैम रौणौ परमिट   
 
                           

                                     चबोड्या: भीष्म कुकरेती
 

(s=-माने आधी अ )

 

ब्याळि मीन अपण घरवळि कुणि  बोलि बल आधार कार्ड बणानो जाण।

त घरवळिन बोलि," बुड्या ह्वे गेवां पण अबि तलक तुमर समज माँ कु काम अर्जंट च , कु काम महत्वपूर्ण च , कु काम जरूरी च पण महत्वपूर्ण नी च  जन बात छंट्याण नि आयि।"
 
मीन पूछ ," अरे पण आधार कार्ड बणान जरूरी बी च अर अर्जेंट बि च।"

वींन बोलि," हां आधार कार्ड जरूरी जरूर च पण अर्जेंट कतै नी च।"

मीन बोलि," हां पण आधार कार्ड टैम पर बौणि जा त ...?"
 
 घरवळिन रुसेक ब्वाल," तै बुड्याs खज्यात ऐ गे . मि कथगा सालुं से बुलणु छौं बल मुम्बैम रौणौ परमिट बणाओ पण मेरि कु सुणदु ?"

मीन बोलि," पण हमम राशन कार्ड च , हम सब्युंम अपण अपण वोटिंग कार्ड च त फिर ...?"
 
 घरवळिन रुणफति ह्वेक ब्वाल,' पण हमम मुम्बैम रौणौ परमिट नी च . मि इथगा सालों बिटेन तुमर पैथर पड्युं रौं बल बाल ठाकरे ज्योर  मांगन मुम्बैम रौणौ परमिट लया,  परमिट लया  पण मजाल च जु तुमन मेरि सुणि होलि धौं . अब त बिचारा ठाकरे ज्योर भग्यान बि ह्वे गेन।"
 
मीन बोलि," पण .."

वींन जोर से ब्वाल," अब आजि तुम राज ठाकरे जिठा जीमा जावो अर  मुम्बैम रौणौ परमिट बणैs लैया।"

मीन बुलण चाइ पण वींन नि सुणि अर बुल्दि गे," सुणो ! जु  राज ठाकरे जिठा जि पूछल कि तुम महाराष्ट्रियन छंवां कि ना त जबाबम अपण बवे अर बैणि सौं घौटिक बुलेन कि तुम शत प्रतिशत  महाराष्ट्रियन छंवां। कखिम बि उत्तराखंड को नाम नि गाडिन !"
 
"पण मीम सन चौवहतरो राशन कार्ड च बल मि पक्को महाराष्ट्रियन छौं।" मीन तर्क दे

"नै नै ! राज ठाकरे जिठा जीक बुलण च बल इख बंगलादेस्यूंन घूस देकि अपण ददाओं राशन कार्ड बि बणायां छन। त तुम तै राज जिठा ज्योरू समणि सौंइ घटण पोड़ल कि तुम पक्का महाराष्ट्रियन छंवां।" घरवळिन समजाई
 
मीन बोले ," पण "

वींन मि तै बुलण नि दे," तुम तै नी पता अमेरिका म रौणो वीसा मिलण सरल च अर राज जिठा जी बिटेन मुम्बैम रौणौ परमिट पाण  भारि कठण च।जु राज जिठा जी पूछ्ल बल तुम तै मराठी आन्दि च कि ना त मराठी माँ ना अंग्रेजीम सौं घटिन बल तुम तैं इ ना तुमर संतान तै बि मराठी पढ़ण अर लिखण आंद च।"
 
मीन पूछ," पण मराठी म किलै नि बचऴयाण?"

 घरवळिन खुलासा कार," तुमर हिंदी मा इ गढ़वाळी भौण आन्दि त राज जिठा जीक समणि   मराठीम बचळेऴया त वूं तै शक नि ह्वे जावो कि तुम बिहारी छौंवां।"

 मीन अपण तर्क दे," पण राज जी उतराखंड्यूँ  से नि चिर्याड़न्दन।  मि बोलि सकदो कि मि उत्तराखंडी छौं अर अब महाराष्ट्रियन छौं।"

घरवळिन गुस्सा ह्वेक ब्वाल," तुम सरीखा लाटा -काला-स्वमा लीन  उतराखंड्यूँ तै गलतफहमी च बल राज ठाकरे ज्योर सरीखा लोग जाणदा छन कि उत्तराखंड बि क्वी जगा च। अरे जब सूबा को मुख्यमंत्री तैइ नी च पता कि उत्तराखंड क्या च त हौरुं तै क्या पता कि उत्तराखंड बि क्वी परदेस च। बस राज ज्योरु समणी तुम केवल अंग्रेजीमा ही   मराठी माणस की ही छ्वीं लगैन।" 
 
मीन बोलि," अरे पण .."

बगैर मेरि बात सुण्या वींन हिदैत दे," अर सुणो ! राज जिठा जि हुस्यार मनिख छन वु तुम तै पूछि सकदन कि रिटायरमेंटो बाद कख सेटल हूण त भूलिक बि अपण इच्छा नि बथैन कि देहरादून। बोलि देन कि तुम तै आमचि मुंबई से बडो प्रेम च अर बुढ़ापाम इखि मुम्बैमा इ रैल्या।" 

मीन आखरि बार कोशिस कार," अरे भई जब आधार कार्ड मील जालो त अफिक ही मि मुंबईक नागरिक ह्वे जौलु।"

वींको तर्क छौ," नै नै ! राशन कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड त खालि साबित करदन कि तुम भारतीय छौंवां पण राज ज्योरू मुम्बैमा रौणौ परमिट से तुम खुले आम मुंबईमा घूमि सकदवां। आज भारतम भारतीय हूण जरूरी नी च बल्कणम स्थानीयता को पुजारी,स्थानीयता को गुलाम हूण जादा जरूरी च।", 

मि घंघतोळ मा छौं बल पैल मुम्बैमा रौणौ परमिट बणौ कि भारतीय हूणों प्रमाणपत्र आधार कार्ड   बणौ ? 

                                                                                 

   

 

   

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                      बनि बनिक ब्यौs  पौण (मेहमान )                     



                                   चबोड्या: भीष्म कुकरेती
 

(s=-माने आधी अ )


आप कखि बि , कबि बि कै ब्यौम जावो आप तै तरां तरां का पौण सबि ब्यौम मिलि जाला। कुछ मेमानुं  लक्छण इन छन।
 
 

       आव भग्त्या या गेट कीपर पौण: इ पौण चाहे ब्योलाs  तर्फांन ह्वावन या ब्योलिs तर्फांन ह्वावन यि तुम तै वेडिंग प्वाइंट या मांगल्य हौलौ  गेटs समणि खड़ा मीलल।यि पौण इन लगद जन बुल्यां यूँ तैं हौर पौणु आव भगत करणों ठेका दिए गे हो। कुछ जनम जाति बाटो दिखन्देर हूंन्दन जो लोगुं तै बथाणा रौंदन बल भितर जाणों रस्ता क्वा च या ब्योला -ब्योलि रिसेप्सेन पर बैठि गेन कि ना।कुछ कुछ कुछ नि करदन बस गेटs न्याड़-ध्वार  लंग्यड़ बरोबर खड़ रंदन। कुछ इना उना इन रिटणा रौंदन जन बुल्यां इ कैतैं खुज्याणा छन या कैकि जग्वाळ करणा छन।   

 

जौंक पूठाs पर था नि होंद: इन पौण कखिम बि अधा मिनट तक ना त बैठ सक्दन ना इ खड़ा रै सकदन। रिसर्च पर अरबों रूप्या  खर्च कौरिक दुनिया भरो गोंद बणाण वळि कंपनी  फेल ह्वे गेन पण इन पौणु खुट या पूठ पर था (ठहराव या आधार) लीणो क्वी गोंद नि बणै सकिन।


रगरट्या पौण: बस यूं पौणु तै कुज्याण केको रगर्याट लग्युं रौंद धौ बस हर दें , हर बगत जल्दी बाजि इ करणा रौंदन। कति दें इ पौण  रगर्याटमा ब्योला -ब्योलि तै भेंट दींद बिसरि जांदन या बगैर खयां द्वी चारों तै लमडैक-पतेड पत्याड़िक भैर अटकिक ऐ जांदन। अमूनन हरेक ब्यौमा रगर्याटम यी खाणक जरूर खतदन या रगर्याटम दुसरs घरवऴयूं  हाथ पकड़िक भैर गेट तक खैंचि बि लै जांदन।अर फिर जब वा जनानि बुल्दि बल "यां जब मै तै खैंचणो बगत छौ तब तुम गोरम जल्दि बाजिम गौड़ी या बखरितै खैंचण मिसे जांदा छा" तब यूं तै पता चलदो बल यूंन  कुबगत पर  रगर्याटम कै तै खैंचि द्याइ !

 

चिपकदा पौण: यि पौण जखम बैठि जाला अंत तलक उखमि बैठ्या मीलल।

 

जी दुखाण वळ पौण: कुछ पौण जथगा  देर बि राला उथगा देर कैको मोरणो या दुख्यर होणो की इ छ्वीं लगांदन। यूं से हूणी-खाणी छ्वीं लगदि  नि छन।
 
 

अग्ल्यारि लिन्देर पौण या पंगत तोडु पौण: इन पौण पंगतम पैथर नि रै सकदन अर जखम बि पंगत ह्वावो पंगत तोडि अग्वाड़ी जांदन अर क्वी हैंक  पौण पंगत तोड़ी द्यावो  त यी अगलर्या पौण वै तै अडांदन बल लैन तोड़न से इ इंडियाक छ्त्यानाश होणु च।
 
 

दुंळ खुजनेर (छिद्रोन्वेषी), निंदक  या नुक्श बतांदेर: यूंक काम सब्युं तै ब्यौम क्या क्या  कमि छन बथाणो हूंद याने यी जनम जाति दुंळ (छिद्र) खुजनेर हूंदन। दुंळ खुजनेरूं  असली धरम निंदा करण इ  होंद। 

 

तुलना  करदरा : यी हौर पौणु तै वर्तमानम नि रौण दींदन बस अलाणो शादिम त इन ह्वे छौ, फलणो शादिम तन ह्वे छौ कि बात करणा रौंदन। यूं तुला राशिक लोगुं तै लगद कि यी सुणण वाळु तै मजा दीणा छन जब कि यि हौरुं  वर्तमानs मजा बिगाड़णा रौंदन।

         

 

गपोड़ी पौण: यूंको काम बस बड़ी बड़ी गप मारणों हूंद

 

गढ़वाल प्रेमी पौण: यी चालीस पैंतालिस साल से मुंबई या दिल्ली जोग हि हुंयां छन पण मानसिक रूप से गढ़वाल से भैर नि ऐ सकदन अर रूणा रौंदन बल "गढ़वाल की संस्कृति खतम हूणि च , अब त ब्यौमा पाणि क्वी नि पींदो सबि दारू पींदन"।
 
 

भिंट्याण वळ पौण: बस यी पौण ज्वी बि मिल्दो वै पर भिंट्याण मिसे जांदन।  कबि कबि आदतन अर गल्तिम अपणी घरवळि पर इ भिंटे जांदन अर पुछदन,' ये मेरि लाडि ! कथगा सालों से मिलणि छे तू ! बुड्या ठीक च?"
 
   

खौंळेण वळ  पौण: यी पौण हेरक बात पर खौंऴयाणा रौंदन अर हरेक बात पर बुल्दन " न भै यां ! न्है यार ! क्या बुना छां? अच्छा ? हे मेरि ब्वे!"

 

 खुचरट्या पौण: यूंक एकी काम होंद बस  खुचर्याट करण।


सदाबहार पिछ्ल्वाड़िक पौण: इन लगदो कि यि लोग नौ ना दसों या ग्यारों मैनाम पैदा ह्वे होला या यूं तै यूंकी ब्वेन पिछल्वाडि बाड़ी खलै ह्वालो। यी  पौण हमेशा ब्यौमा ड्वाला उठांद दै (विदाई ) इ आंदन।           

     

   उन हौर तरां पौण बि होंदन पण मि जरा एक शादि म जाणो छौं त उख बिटेन ऐक मि हौर तरां पौणु बाराम बथौल।       

 

                                                   

   


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