Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 143754 times)

Bhishma Kukreti

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  laughter, Satire , Humour in Garhwali Prose                                                   
                                                    साइबर जनानी या कम्प्यूटरी कज्याण
                                     भीष्म कुकरेती
इ राम दा  म्यार बुबा जी कु जमानु माँ इथ्गा किस्मू कज्याणि  नि होंद था अब ता क्या बोलूं भै. कंप्यूटर को ज़माना माँ ल्या द्याखो हाँ.....
हार्ड डिस्क कज्याण  :
ए मेरी ब्वै ! क्या यादास्त च भै इन जनानी की . ईन जनानी की यादास्त कबी बी ख़तम नी होंदी .
इन्टरनेट स्त्री
ईं जनानी तै सबी पाण चांदन, पण सबूं तैं एक्सेस नी होंदी 
विंडोज जनानी :
सौब जान्न्दा  छन बल या जनानी क्वी बी चीज ठीक से  नि कौरी सकदी पण ईं बगैर क्वी रै बी  त नि सक्दू .इन चा या जनानी .
वाइरस स्त्री  :
उफ ! या त बिलकुल घरवाली  च . शी  इज जस्ट एज  वाइफ .  जब तुम तैं ईंक आँणो  आशा कत्तई नी होऊ   या वै इ  बगत फर आंदी . तुमारा घर  फर बेधड़क कबजा जमें दीन्दी. तुमारा सबी संशाधंनु (रिसोर्सेस ) फ़र यींको राज ह्वै  जान्दो . ड़यारम  रखील्या त नुक्सान  आर घार  से भैर नि निकलिल्या त बहुत ही नुक्सान क्या बिजां नुक्सान हून्दो .
स्क्रीन सेवर :
अहा ! सौब जांणदा  छन बल या निकज्जी छ , पण दिख्यान्  दरसन माँ बिग्रैली बांद हुन्दी अर दिखन्न  माँ मजा आनंद त औंदी च .
एक्सेल जनानी :
या जननी बुल्दी बल या सब कुछ  कौरी सकद च  पण इन दिखे ग्याई  कि  सबी ईं जनानी से दूर ही रौण  चांदन  .

Bhishma Kukreti

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Satire in Garhwali Literature (prose)

दिल्ली बस स्टैंड म  एक नजारा At Delhi Bus Stop
                      Bhishma Kukreti
Bisht  : Where can i get a bus to Kotdwara ?
बिष्ट  : कोटद्वारs  खुण बस अ टिकेट कखम मीलल ?
Man : You ask at enquiry counter .
एक मनिख : इनकारी काउंटर मा जैक पूछो
Bisht : Where is enquiry counter ?
बिष्ट : इन्क्वारी कोंटर कखम च ? कखम होलू ?
Man : I have been searching enquiry counter for half an hour
मनिख : मि इन्क्वारी कौंटर अधा घण्टा बिटेन खुज्याणु छौं
Bisht : Let us find enquiry counter together 
बिष्ट : चलो ! इन्क्वारी कौंटर दगडी खुज्यौला
Man : Yes ! That is fine
मनिख : हाँ ! यू ठीक च / यू ठीक रालू
Bisht : Brother! where do you want to go ?
बिष्ट : भैजी तुम कख जाणा छ्न्वां ?
Man : I  also want to go to Kotdwar
मनिख : मी  बि कोटद्वार जाणु छौं
Bisht ( to another person) : Brother ! May  you tell me where is enquiry counter ?
बिष्ट : भैजी ! तुम बताई स्क्दवाँ  बल इन्क्वारी कौंटर कखम होलू ? / कखम च ?
Another person : You should find  at enquiry counter about enquiry counter
हैंको मनिख : भै ! इंक्वारी काउंटर बिटेन पता लगाओ बल इन्क्वारी कौंटर कखम च
Bisht ( to first person ) What is your name ?
बिष्ट : तुमर नाम क्या च ?
First person : I am Ramanand Bhildiyal
पैलो मनिख : म्यार नाम रामानंद घिल्डियाल च
Ghildiyal : Waa ! there is enquiry word on a name plate. Let us find from there about from where Kotdwara bus starts
घिल्डियाल : अरे ! वो एक नाम पट्टा मा इन्क्वारी कौंटर लिख्युं च उक्की  जैक पुछला बल कोटद्वार क बस कख बिटेन जांदी
Bisht : But , there is a bg line
बिष्ट : पण उखम त इथगा बड़ी पंगत ( लाइन )  च
Ghildiyal :Yes ! but we dont have any alternate
घिल्डियाल : पण हमम क्वी हैंको चारा बि त नी च
(Their turn came after half an hour . उंको नम्बर अधा घण्टा परांत /बाद /पैथर आयी )
Bisht (Enquiry counterman) Sir ! Where does Kotdwara bus start /which is the plateform number for Kotdwara bus ?:
बिष्ट : सर जी ! कोटद्वारs  बस कखम बिटेन  जांदी /कै नम्बर बिटेन जांदी ?
Man at enquiry counter: This counter  is not to tell you about plateform .
इन्क्वारी कौंटर कु मनिख: यू कौंटर यू कौंटर पलेटफारम  नम्बर  बताणो कौंटर नी च
Ghildiyal : but it is written Enquiry counter " on the sigbord
घिल्डियाल : पण ! साइन  बोर्ड मा त  पूछ ताछ लिख्युं च
Counter man : Yes you are right. However, it is enquiry counter to tell the exact bus fare and not about plateform
कौंटर मैन: हाँ आप  सै बुलणा छ्न्वां  पण यू कौंटर प्लेटफार्म की सूचना नी दींदु बल्कण  मा बस किराया की सूचना दींदु
Bisht : Where  is the enquiry counter for informing plateform?
बिष्ट : प्लेटफारम  का मुत्तालिक पूछताछ कौंटर कखम च ?
Enquiry counterman : There is one counter which, provides the information about the different counter. You go there and ask about specific enquiry counter
कौंटरमैन  : इख एक पूछताछ कौंटर च जु अलग अलग पूछ ताछ कौंटरू    बारा मा सूचना दींद . तुम वै पूछताछ कौंटर मा जाओ
Ghildiyal : Where is that enquiry counter?
घिल्डियाल : वो पूछताछ कौंटर कखम च ?
Counterman : For that information too there is another counter
कौंटरमैन   : यीं सूचना दीणो बान बि एक हैंको कौंटर च
Bisht : May you tell me where is that counter, please ?
बिष्ट : जरा किरपा  कौरिक ब्तैल्या बल वो कौंटर कखम होलू "
Counterman : Sorry ! it is not my duty to tell passanger  about where is that enquiry counter.
कौंटर मैन : क्षमा चौलू ! मेरी ड्यूटी या नी च बल मि कै जत्र्वे (यात्री )  तैं पूछताछ कौंटरूं बारा मा बथौं
 

Bhishma Kukreti

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Humour and Satire in Garhwali Folk Poetry
Presented by Bhishma Kukreti

हास्य रस (Rapture of Laughter )
1- घोटे जाली हींग , घोटे जालि हींग
नौ रूप्या को मोती ढाण्गो  सौ रूप्या को सींग , सबसे म्यारो मोती ढाण्गो
गुठ्यारो को  दांद    गुठ्यारो क दांद
हळस्यूं देखिक ल्म्स्त ह्वेई जांद ससे म्यारो मोती ढागो 
गुठ्यारो क दांद गुठ्यारो क दांद हुरु घास देखि च्चम खड़ो ह्वेई जांद सबसे मीरो मोती ढाण्गो
कलोड्यों  देखि बुड्या क्न घुरयोंद आंखी
       

Bhishma Kukreti

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                 Humour and Satire, Wit in Folk Garhwali Poetry
                              Presented by  Bhishma Kukreti
 हास्य रस (Rapture of Laughter )
    घुघती न बियाण ल़ा घुग्ती मोल
        घुग्ती न बियाण तै चैत का मैना
          घुग्ती बिये ज्ञ कारो बालण कु पूजा
          क्न घुग्ती तौंकी छई माणा   दूध
          घुग्ती की छांछ छोल़े छोलण सेर घीउ

Bhishma Kukreti

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Social Satire in Garhwali Literature (Prose)
 जू सात जन्मों से समधी समधन बननो को  तर्सना छन
            Bhishma Kukreti
हम द्वी वी जमन माँ हिरन आर हिरनी छया. व अपड़ी चांठी माँ में अपुड़ डाँडो  माँ  एक दुसर तै प्यार से टक लगैक  दिख्नना रौंदा छया .भेमाता (ब्रम्हा ) तैं यु मंजूर नि थौ की हम एक  हैंका का सुवा हुवां . 
भेमता न हम तैं हैंक जनम माँ मनिख रूप माँ प्रेमी -सुवा बननो की जगा गढ़वाल माँ समधी समधन बननो को वरदान दे द्याई .
पैलो जनम लुठेरूं  को जोग:
हमर पैलो जनम टिहरी जिनां गंगा को छाल फर ह्वे थौ. मेरी बेटी आर वींका नौन्याल की माँगन बड़ी  धूम धाम से ह्वै. आज बी अदगैन (क्षेत्र)  माँ वीं माँगन की छवीं  लगदन.हम द्वी खुस छाया, पुल्याना  छाया  बल बस एक इ मनिख जनम उपरांत हम तैं मोक्ष मिल जालो . पण इन नि ह्वाई. ब्वौ से पेल सिपै जात  का लोकुं का एक जुंटा रात डकैती दालनो अं अर मेरी बेटी तै उठाई   का ल्हीगैन . इन सुणन  माँ आई बल उनो मेरी  बेटी तैं देस माँ  गुड  को सन्तरो बन्तरो (barter) माँ बेची दे .  वै  जनम माँ हम समधी-समधन नि बौन सक्वां.
दुसर जनम बडो-छुटो  बामण जात को नाम :
हैंको जनम माँ हम दुयुं को जनम बामण जाती माँ ह्वै. वींको जनम अर ब्वौ बि सर्यूल बामण जात माँ ह्वै म्यार जनम छुटी  बामण जात    माँ ह्वै . सर्युलों  न हमारू बेटी बेटा को रिश्ता नि होणी दे . ये जनम माँ बि हम तैं मोक्ष नि मील
तिस्रो जनम तैं खश्या -  बामण   की लडाई -बीमारी खाई गे :
तिस्रो जनम बि सुफल नि ह्वै . वींको जनम राजपूत जात माँ ह्वै अर म्यारो जनम बामण को घर ह्वै . तीन सौ साल पैली क्या आज बि गढ़वाली समाज माँ राजपूत बमाणु ब्यौ तै सामाजिक मंजूरी नि मिलदी त वी उबारी वै जनम माँ बामण जज्माणु को आपस माँ ब्वौ की सामाजिक मंजूरी कनकैकी मिलनी छे . हम वै जनम माँ बि निरसै  का ही मोर्वाँ.
  चौथो जनम मातबरी अर गरीबी को अर्पण :
हमारो चौथो जनम शिल्पकार जाती माँ ह्वै . ए जनम माँ ता हमारो  समधी अर समधन बन्नो को पुरो अवसर थौ पण शिल्पकार जात माँ जनम ल्हेकी बि हम समधी समधन नि बुन सक्वां . वा सुनारून की ब्वारी छे अर मी  पुनग्दों-खेतहीन  का छौ जू   रोज बित्ठों को इख मजदूरी करण वाल शिल्पकार छौ. म्यार नौनो बि मजदूरी कर्रदार छ्याई. वा मातबर घर की  छे  में अर म्यार नौनु गरीब गुरबा घरानों का छया . कोर कोसिस करण पपर बि हम समधी -समधन नि बौन  सक्वां . ऊ जनम बि बेकार ही ग्याई.
पंचों   जनम क्षिक्षा अर नि-शिक्षा  को भेद बीच माँ आई
पंचों जनम माँ हम समधी -समधन बौनी सकदा छया.पण मेरी नौनी (बेटी)  अनपढ़  छे अर वींको नौन्याल (बेटा) ऍम ए पास छायो त  शिक्सा  अर ni-शिक्सा  का भेद हमारी गाणी, हमारी इच्छा , हमारी अकन्क्षा की दुसमन बौनी गे .हम दुयुं को  पंचों जनम बि तन्नी ग्याई.
छठो  जनम बच्चों  की आकन्क्षा की भेंट :
छठो  जनम माँ त हमारो समधी समधन बन्नो को पुरो अवसर छौ . खानदान, जात, गरीबी-मातबरी , नौनु -नौन्याली की शिक्षा , स्टैण्डर्ड ऑफ़ लिविंग ko क्वी भेद  नि थौ,पण तबी बि हम समधी-समधन नि बौनी सक्वां
कारण ---हमारा बच्चों न साफ़ बोली दे , " हम अपड़ी जिदगी का मालिक खुद छवां, माँ बाप तैं क्वी अधिकार नि च की हमारी जिन्दगी का खास निर्णय ल्ह्यावन..We shall take our decision for our own marriage "
और हमारा नौनी नौन्याल न अंतरजातीय विवाह कौरी अर  सौब कुछ ठीक hona फर बि हम तैं समधी-समधन नि बणन द्याई
अब हम saton  जनम को baatu jagwalanaa छवां
Copyright @ Bhishma Kukreti

Bhishma Kukreti

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                       Quotes on Satire and Satirical Literature
                        व्यंग्य पर साहित्यकारों व ज्ञानियों के उदगार 
                        चबोड्या -चखन्यौरी , व्यंग्य साहित्य पर जणगरूं  बोल बचन
                                        Bhishma Kukreti
         पुरण पन्त पथिक बुल्दन बल चबोड़ /व्यंग्य से लिख्वार भ्रष्ट अर दुरजनु  को छाती मा कील  घुट सकद अर बंचनेरुं  तैं रौंस बि दींदु   
       मदन डुकलाण  बोल्दु बल व्यंग्य क्या-बुन्या-क्या-कन्या वालुं  क खलड़  गाडण मा भौत कामगर ब्यूँत  च
      हरीश जुयाल माणदो बखरों भेष मा लुक्याँ भेड़ियों रूपी नेतौं /ऑफीसरूं  तैं खुले आम  जुत्याण  /लत्याण ह्वाऊ या अपणा गौं  क भ्रष्ट पधान तैं स्ब्युं समणि रुवा ण ह्वाऊ त बस एक इ दवा च चबोड़ इ चबोड़ मा जुत्याओ , चखन्यौ मा ल्त्याओ अर मजाक मा इ सै रुवाओ
                भीष्म कुकरेती को मानण च कुनेथी, कुबोल्या उटंगी (नटखट ) उतड्यू   (असभ्य) उदभरी (उत्पाती ) क्मसल (कमयोग्य) कलजुगी ( अन्यायी )कुकराण (सभा मा असंगत बात )   कुजात (दुष्ट ) कुहाल खचराट , खच्चा (काम  में बाधा डालने वाला )  छ्ग्टो (ठग ) , कुढब, , , फदौण वलू, (किसी को  विश्वाश दिला कर ), निगरू (निर्दयी  ) करुड (कठोर  व निर्दयी ) अन्यायी जन गुण या मनिखों की khuleaam काट करणो बान चबोड़ से बडो अस्त्र, शस्त्र  , हथ्यार,  च
     
 रॉबर्ट इल्लियट  चबोड़ या व्यंग्य की परिभाषा इन दीन्दो , " चबोड़ या व्यंग्य या सटाइर साहित्य, अर हौरी बि कलों (जन कि बल  रिख्डा (चित्र), स्वांग (नाटक) या फिल्म ) मा एक ब्युंत (विधा ) च चबोड़ मा चबोड्या पाप, मुर्खपन  , बेव्कुफ्फ़ी , क्म्जोर्युं तैं बतांदु अर फिर वै या वीं बुरे तैं शर्मशार करद .उन त चबोड़ /व्यंग्य एक तरां मसखरी या मजाक च  प ण यू एक सामजिक काट बि च जरोरी च (Encyclopeadia Britenica, 2004  )
                         लोर्ड बईरोन बुलद बल मुर्खता मीरो विषय होंद, अर चबोड़ /व्यंग म्यारो गीत
                               जुवेनल बोल्दु थौ बल तुम व्यंग्य/चबोड़ क्र्याँ बगैर रै इ  नि   सकदा
                     रॉबिन विलियम  न बोली  थौ बल कैन बोली बल चबोड़/व्यंग्य मोरी गे व्यंग्य/चबोड़  त जिन्दो च अर ख़ास व्हाईट होंउस (राजनैतिक -क्वाठाभितर , गलियार्रौं   डंड़यळ  या बड़ लोखुं इख )  मा  ज़िंदा च
                  अलेक्जेंडर पोप को बुलण छौ कि  जु बडे या बधाई लैक नि ह्वाऊ अर वैकी बड़ें  ह्वाऊ या बडाउ मांगे जाऊ (प्रशंशा ह्वाऊ ) त  येइन बड़ें तै लुकयुं चबोड़ माने जाण चयेंद याने  छद्मधारी व्यंग्य
            ब्लादिमीर नाबोकोव त इन बुल्दु बल  " व्यंग्य/चबोड़ /चखन्यौ त सिखाणो पाठ च त पैरोडी या नकल सिरफ़ बौगाणो खेल च  "
    जोनाथन स्विफ्ट  का विचार च बल चबोड़/व्यंग्य इन आइना/ऐना /क्कंच च बल जखमा दिखण वा ळ दूसरों का छैल (कुकर्तब ) इ नि दिखदु बल्कण  मा  अपण छैलू बि दिखदु
        बेन निकोल्सन त इन बोदू बल चबोड़/व्यंग्य जोरदार चीज च . व्यंग्य एक गम्भीर विधा /ब्यूँत   च जनी राजनीति मा तिड्वाळ पोड़दी   तन्नी चबोड़ मा पैनोपन आंदो किलैकि व्यंग्य मा ही बोध च ज्ञान च तत्व च
            लिओ रोसटेन  व्यंग्य/चबोड़ तैं कडु वाट  पर केन्द्रित विधा/ब्यूँत माणदो
     डाउन पोवेल को मनण  च बल व्यंग्य/चबोड़ - जन लोग छन (वोई व्यंग्य च), व्यंग्य  रोमांस  च किलैकि  लोक उन होण चांदन  जन उ नि छन , चबोड़ / व्यंग्य त असलियत च
समाचार पत्र (छापा ) मा व्यंग्यात्मक व्यंग्य का बारा मा जेओर्ज काफ्मन बुलदो  बल व्यंग्य/चबोड़ छ्न्छर (शनिबार) कुणि बंद ह्व़े जांद
 मोली इविंस इन ब्वाद  , "    साख्युं बिटेन इन हूंद  गे बल चबोड़/व्यंग्य , सगत्या (शक्तिशाली )  पर निसगत्या (शक्तिहीन ) को आक्रमण करणों बडो हथ्यार च  "
     माइकल फ्लान्दर्स को बुलण च बल व्यंग्य लुक्युं सच तैं खैन्चीक भैर लान्दो
            इस्सक हेस लिखदो  बल जख्म व्यंग्य/चबोड़ खतम होंद उखम बिटेन असहिष्णु , कट्टरपंथी  धार्मिक नेता असह्य ह्व़े जान्दन   
        इडवार्ड यंग क लिख्युं च बल व्यंग्य/चबोड़ आज तैं भोळ दिखान्दो अर आजै कमजोरी दिखांद
       ज़ोन ओल्ढम कु बुलण च बल कलम अस्त्र   च शस्त्र च अर व्यंग्य/चबोड़ वैको पैनोपन .
           चन्द्रसेखर रेड्डी क हिसाब से ब्रित्तानुगामी प्रहारमय  व्यंजना को नाम व्यंग्य च (गोळ घुमैक जै  बात से चोट लगद   )
        मरेदिथ कु बुल्युं च बल व्यंग्यकार नैतिकता को ठेकेदार च जु गाँ गौ ळ की गन्दगी साफ़ करदो
         हरिशंकर परसाई बोल्दन बल व्यंग्य जीवन से मुखाभेंट (साक्षात्कार ) करदो , जीवन की आलोचना करद बिसंगतियों , कुसंग्तियों , ..अर पाखंड को पर्दाफास करदो
    शरद जोशी बुल्दन बल व्यंग्य अन्याय  , अत्याचार अर निराशा का विरुद्ध एक अभिव्यक्ति च
  रविन्द्र त्यागी बोल्दो बल भ्रस्ताचार कुरीत्त्युं को भंडाफोड़ व्यंग्य से ही ह्व़े सकद
     शंकर पूणताम्बेकर बुल्दन बल व्यंग्य युग की विसंगतियों की वैदग्धपूर्ण अभिव्यक्ति च
     बालेन्दु शेखर तिवारी को मानण च बल व्यंग्य एक विशिष्ठ समाजधर्मी प्रेक्षण च
लतीफ़ घोंघी को बुलण च बल व्यंग्य से चोट त लगण इ चयेंद पण बंचनेरुं  तैं रौंस बि आण चयेंद 
     
 
 
 ,
 
 
 
 


Dhanyabad
Regards
Bhishma Kukreti

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Sir.... Amazing...... Keep posting. sir..
God bless u.

                       Quotes on Satire and Satirical Literature
                        व्यंग्य पर साहित्यकारों व ज्ञानियों के उदगार 
                        चबोड्या -चखन्यौरी , व्यंग्य साहित्य पर जणगरूं  बोल बचन
                                        Bhishma Kukreti
         पुरण पन्त पथिक बुल्दन बल चबोड़ /व्यंग्य से लिख्वार भ्रष्ट अर दुरजनु  को छाती मा कील  घुट सकद अर बंचनेरुं  तैं रौंस बि दींदु   
       मदन डुकलाण  बोल्दु बल व्यंग्य क्या-बुन्या-क्या-कन्या वालुं  क खलड़  गाडण मा भौत कामगर ब्यूँत  च
      हरीश जुयाल माणदो बखरों भेष मा लुक्याँ भेड़ियों रूपी नेतौं /ऑफीसरूं  तैं खुले आम  जुत्याण  /लत्याण ह्वाऊ या अपणा गौं  क भ्रष्ट पधान तैं स्ब्युं समणि रुवा ण ह्वाऊ त बस एक इ दवा च चबोड़ इ चबोड़ मा जुत्याओ , चखन्यौ मा ल्त्याओ अर मजाक मा इ सै रुवाओ
                भीष्म कुकरेती को मानण च कुनेथी, कुबोल्या उटंगी (नटखट ) उतड्यू   (असभ्य) उदभरी (उत्पाती ) क्मसल (कमयोग्य) कलजुगी ( अन्यायी )कुकराण (सभा मा असंगत बात )   कुजात (दुष्ट ) कुहाल खचराट , खच्चा (काम  में बाधा डालने वाला )  छ्ग्टो (ठग ) , कुढब, , , फदौण वलू, (किसी को  विश्वाश दिला कर ), निगरू (निर्दयी  ) करुड (कठोर  व निर्दयी ) अन्यायी जन गुण या मनिखों की khuleaam काट करणो बान चबोड़ से बडो अस्त्र, शस्त्र  , हथ्यार,  च
     
 रॉबर्ट इल्लियट  चबोड़ या व्यंग्य की परिभाषा इन दीन्दो , " चबोड़ या व्यंग्य या सटाइर साहित्य, अर हौरी बि कलों (जन कि बल  रिख्डा (चित्र), स्वांग (नाटक) या फिल्म ) मा एक ब्युंत (विधा ) च चबोड़ मा चबोड्या पाप, मुर्खपन  , बेव्कुफ्फ़ी , क्म्जोर्युं तैं बतांदु अर फिर वै या वीं बुरे तैं शर्मशार करद .उन त चबोड़ /व्यंग्य एक तरां मसखरी या मजाक च  प ण यू एक सामजिक काट बि च जरोरी च (Encyclopeadia Britenica, 2004  )
                         लोर्ड बईरोन बुलद बल मुर्खता मीरो विषय होंद, अर चबोड़ /व्यंग म्यारो गीत
                               जुवेनल बोल्दु थौ बल तुम व्यंग्य/चबोड़ क्र्याँ बगैर रै इ  नि   सकदा
                     रॉबिन विलियम  न बोली  थौ बल कैन बोली बल चबोड़/व्यंग्य मोरी गे व्यंग्य/चबोड़  त जिन्दो च अर ख़ास व्हाईट होंउस (राजनैतिक -क्वाठाभितर , गलियार्रौं   डंड़यळ  या बड़ लोखुं इख )  मा  ज़िंदा च
                  अलेक्जेंडर पोप को बुलण छौ कि  जु बडे या बधाई लैक नि ह्वाऊ अर वैकी बड़ें  ह्वाऊ या बडाउ मांगे जाऊ (प्रशंशा ह्वाऊ ) त  येइन बड़ें तै लुकयुं चबोड़ माने जाण चयेंद याने  छद्मधारी व्यंग्य
            ब्लादिमीर नाबोकोव त इन बुल्दु बल  " व्यंग्य/चबोड़ /चखन्यौ त सिखाणो पाठ च त पैरोडी या नकल सिरफ़ बौगाणो खेल च  "
    जोनाथन स्विफ्ट  का विचार च बल चबोड़/व्यंग्य इन आइना/ऐना /क्कंच च बल जखमा दिखण वा ळ दूसरों का छैल (कुकर्तब ) इ नि दिखदु बल्कण  मा  अपण छैलू बि दिखदु
        बेन निकोल्सन त इन बोदू बल चबोड़/व्यंग्य जोरदार चीज च . व्यंग्य एक गम्भीर विधा /ब्यूँत   च जनी राजनीति मा तिड्वाळ पोड़दी   तन्नी चबोड़ मा पैनोपन आंदो किलैकि व्यंग्य मा ही बोध च ज्ञान च तत्व च
            लिओ रोसटेन  व्यंग्य/चबोड़ तैं कडु वाट  पर केन्द्रित विधा/ब्यूँत माणदो
     डाउन पोवेल को मनण  च बल व्यंग्य/चबोड़ - जन लोग छन (वोई व्यंग्य च), व्यंग्य  रोमांस  च किलैकि  लोक उन होण चांदन  जन उ नि छन , चबोड़ / व्यंग्य त असलियत च
समाचार पत्र (छापा ) मा व्यंग्यात्मक व्यंग्य का बारा मा जेओर्ज काफ्मन बुलदो  बल व्यंग्य/चबोड़ छ्न्छर (शनिबार) कुणि बंद ह्व़े जांद
 मोली इविंस इन ब्वाद  , "    साख्युं बिटेन इन हूंद  गे बल चबोड़/व्यंग्य , सगत्या (शक्तिशाली )  पर निसगत्या (शक्तिहीन ) को आक्रमण करणों बडो हथ्यार च  "
     माइकल फ्लान्दर्स को बुलण च बल व्यंग्य लुक्युं सच तैं खैन्चीक भैर लान्दो
            इस्सक हेस लिखदो  बल जख्म व्यंग्य/चबोड़ खतम होंद उखम बिटेन असहिष्णु , कट्टरपंथी  धार्मिक नेता असह्य ह्व़े जान्दन   
        इडवार्ड यंग क लिख्युं च बल व्यंग्य/चबोड़ आज तैं भोळ दिखान्दो अर आजै कमजोरी दिखांद
       ज़ोन ओल्ढम कु बुलण च बल कलम अस्त्र   च शस्त्र च अर व्यंग्य/चबोड़ वैको पैनोपन .
           चन्द्रसेखर रेड्डी क हिसाब से ब्रित्तानुगामी प्रहारमय  व्यंजना को नाम व्यंग्य च (गोळ घुमैक जै  बात से चोट लगद   )
        मरेदिथ कु बुल्युं च बल व्यंग्यकार नैतिकता को ठेकेदार च जु गाँ गौ ळ की गन्दगी साफ़ करदो
         हरिशंकर परसाई बोल्दन बल व्यंग्य जीवन से मुखाभेंट (साक्षात्कार ) करदो , जीवन की आलोचना करद बिसंगतियों , कुसंग्तियों , ..अर पाखंड को पर्दाफास करदो
    शरद जोशी बुल्दन बल व्यंग्य अन्याय  , अत्याचार अर निराशा का विरुद्ध एक अभिव्यक्ति च
  रविन्द्र त्यागी बोल्दो बल भ्रस्ताचार कुरीत्त्युं को भंडाफोड़ व्यंग्य से ही ह्व़े सकद
     शंकर पूणताम्बेकर बुल्दन बल व्यंग्य युग की विसंगतियों की वैदग्धपूर्ण अभिव्यक्ति च
     बालेन्दु शेखर तिवारी को मानण च बल व्यंग्य एक विशिष्ठ समाजधर्मी प्रेक्षण च
लतीफ़ घोंघी को बुलण च बल व्यंग्य से चोट त लगण इ चयेंद पण बंचनेरुं  तैं रौंस बि आण चयेंद 
     
 
 
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 Satire Or Fatkar
  Satical article
                       अपणि पुराणि  सुआ (प्रेमिका ) की समलौण (याद)  मा द्वी आंसू
                                (याने उत्तराखंड क्रांति दल की  कळकळी (करुण रस ) कथा  )
 ------------------------------------------भीष्म कुकरेती---------------------------------------
       अपणि पुराणि सुआ या प्रेमिका की याद जब बि कैतैं  आँदी त अहा ! अहा !  जिकुडि मा सेळ
बि पोड़ी सकदी, उत्साह से तरोबितर  ह्व़े सकद  या उमाळ बि ऐ सकद अर निरुत्साह को घौण कुयडु  (कोहरा, बादल ) बि लग सकुद
    इन्नी मेरी क्या भौतुं एक प्रेमिका छे जैको   नाम थौ (उन वा बोल्दी क़ि बल  वा त बचीं च ) उत्तराखंड क्रान्ति दल ..
   कबि उत्तराखंड आन्दोलन मा लोग बाग़ वींको नाम जपदा छ्या अब त इ राम दा ! सत्ता बिहीन होण से क्वी वीं को नाम ल़ीण त दूर वींको नाम सुणण नि चान्दन अर वींको नाम च उत्तराखंड क्रांति दल . विचारी दल दल, फडक़ि-फड़की  मा जि  बंटीं च . जु इन बोल्दु बल वु उत्तराखंड क्रांति दल मा च त वै तैं इ नि पता क़ि सच्ची मा उत्तराखंड क्रान्ति दल छें च या वो सुद्दी ही भरम मा शरम मा बोलणु च  बल यू के डी ज़िंदा च
उत्तराखंड क्रान्ति दल इन दल च जैन जोश खरोश, देळी देळी मा जैक  गारो माटो कु इंतजाम करी , इना उना बिटेन इख तलक क़ि मुंबई बिटेन अर्जुन सिंह गुसाईं या  नैनीताल का डी डी पन्त ओड (मिस्तरी ) ल्हैक , संघर्ष से एक भलो कूड चीण , मुलायम सिंह यादव का अन्न्याई का डंडा , गोळी  खैका बि उत्तराखंड नाम को मकान बणाई अर जब कूड़ो   मा भितरपैन्छी , ग्रह प्रवेश को  समौ आयी त  बी जे पी अर कांग्रेस वालुं न यू के डी वालुं तैं राजनैतिक थान्तो/मूसल  से पीट पीटिक, लात्युं न लतेक, मार मारिक,  मुठक्यूँन  मुठकैक  (घुंसाबजी ) , तागत का जोर पर , तिकडम का बल पर कूड को न्याड ध्वार (निकट)  त जाणि द्याओ यूकेडी तैं  गाँ से भैर  करी दे अर अब त उत्तराखंड क्रांति दल (मेरी पुराणि सुआ-प्रेमिका ) का हाल इन छन जन बुल्यां वा लंडेरि कुत्ती  ह्वाऊ अर लंडेरी  कुत्त्ती बि  इन कुत्ती जें   फर खज्जी, खाज -खुजली   की बीमारी, ब्याधि लगीं च . वीं कुत्ती से वोटर नामक सैं -गुसैं दूर इ रौण चांदो उल्टा  अपण नौकारू  से इन खज्जी   वळी कुत्ती क  पिटे बि करे जांद   
यू के डी वल़ा  लाचार छन , तंगी हालात मा छन, कंगाली का मरयाँ  छन अर यूँ तैं कांग्रेसी, भाजापाई , बी एस पी जन बडो गौड़ का छोड़यूँ  घास-खौड़  त जाणि द्याओ  भिन्टळ (जहाँ मनुष्य पेशाब कर्ता है ) चाटणो बि नि मिल्दो   . यूकेडी वल़ा  पस्त छन . यूकेडी वल़ा इन घिंडुडी, चखुली , चिड़िया  छन जौका मेनत से तिनका तिनका कट्ठा कौरिक बणयूँ घोल-घोसला पर धुर्या चिलंगा ऊँन, गिद्ध-गरुड़उन कब्जा कौरी दे अर यूँ वगत   का मारयां चख़ुलों मा च्वींचाट , किर्राट  (कराहना ) करणो अलावा क्वी काज बि नी च . जब सत्तासुख  को समौ आयी त सत्ता क फसल क्वी हौरी निज्जड़ो  ही काटिक ल्ही ग्याई अर यू के डी वल़ा टपरान्दा    इ  रै गेन .
   उन दिखे जावू त यूकेडी का अकाळ ( दुर्दिन ), अँध्यारो, अपौन्दो (जिसे कोई चीज प्राप्ति न हो ) क्वसकाणी स्तिथि (निपट  अंधे वाली हालत) बुरा हाल, कुहाल,  , कमजोरी, कंगाली, बदहाली , ख़ळचटि हालात (गैर जम्मेदाराना ), खज्यात, तीसवाळी हालात (प्यासा) का जुम्मेवार यू के डी वल़ा इ छन . युनको सन्गठन मा पवाण (शुरुवात )  से बुरा हाल रैन . यू के डी मा नेताओं की त भरमार रै अर अबी बि च पण कबि बि यूकेडी मा खेतवाळउ  (खेती करने के मजदूर या कार्यकर्ता ) क्वी नि ह्वाई. नेता बिजां ( बहुत अधिक ) रैन ,अर अबी बि  छन पण असली कामकज्या कार्यकर्ता खुज्याण से बि नि मिलदा छ्या अर ना ही आज यूकेडी मा क्वी कार्यकर्ताओं की फ़ौज च . नेतौं फ़ौज अर बगैर कर्यक्र्ताउन का च यूकेडी
    यूकेडी वला हंसाण मा उस्ताद छन . युंका दल हवा मा ही रौंद  अर हवा मा इ कामकाज हुन्द जन की क्वी बि अध्य्क्स का पद से एक हँका नेता  तैं दल से निकाळी दीन्दो अर ना त निकाळण वलू  पर क्वी फ़रक पोडदू ना ही जै को हुक्का  पाणी बंद होंदु/ निष्कासन ह्व़े वै फर कुछ फ़रक पड़दो  किलैकि यूकेडी को असली अस्तित्व हव्वा मा च अस्मान मा च , शून्य मा च यूकेडी अगास मा इ च. ह्व्वाई बात , ह्व्वाई छ्वीं लगदन बस . यूकेडी का नेताओं की फौन्दारी (लड़ाई झगड़ा ) हव्वा मा ही होंदी . जमीन से यूँ नेताओं क  क्वी नातो रिश्ता इ नी च
हाँ हम सरीखा जु कभी उत्तराखंड क्रान्ति दल का प्रेमी छ्या, भीना छ्या उ अब बस गू-अक सी घूंट पेकी  टपराणा रौंदन बल क्या यूकेडी का दिन बौड़ळ ? कुज्याण ?कुज्याण कु जाण? 
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From - Bhisma.

Satire or Fatkar             
              चतुर पत्रकारों की  चारणशैली में चीफ की चमचागिरी
                                       भीष्म कुकरेती
                           विद्वानों, लेखकों का चीफ /उच्च पदस्त की चारण शैली में चरण वन्दन करना , चमचागिरी करना, चरनबरदार करने   का चलन प्रचलन  सदियों पुराना    है .
  आजकल पत्रकार भी चुगलाते हैं. . इन चमचा पत्रकारों के लिए उच्च्पदस्त  के लिए चहचहाना एक चंग है एक उत्सव है .चमचा पत्रकार उच्चपदस्त के चंकुर को चलाता है और उस बड़े आदमी को अपने कंधों पर चौथेपन में भी  चंक्रमण (घुमाना )  भी करता है .चमचागिरी  की बात है तो यह सब चलता है ..इसका चलन भी है ही.
                     अपने चंग  की खातिर चमचा -चारण पत्रकार चंगला रागिनी में चंग बजाकर बड़े आदमी के चंग पर चढ़ता है . चमचा पत्रकार चंगा (निर्मल)  चंगा (बच्चों का खेल) नही खेलता. किन्तु चंट पत्रकार चकली जैसे खेल खेलता है.
चतुर पत्रकार चंट होता है वह चारणशैली की चोंच या चुन्चपुट  से बड़े आदमी को अपने चंगुल फंसाने की कोशिश करता है चारण शैली के शब्द चमचे पत्रकार के लिए चंगेरी होती हैं .
            चतुर चमचा पत्रकार चंचरीक बन चंचपुट , चंचेरी  ताल में बिन होली के भी चीफमिनिस्टर की चमचागिरी करता है .
                      चालाक चमचा पत्रकार स्वयम  चंचल नही होता है अपितु चीफ को चंचल बनाता है. चारणशैली, चिकने चुपड़े शब्द  चमचे-चुगलखोर पत्रकारों के लिए चीफ को खुश करने के लिए चंचलास्य का  काम करते हैं.
                        चमचे पत्रकार द्वारा प्रयोगित   प्रशंसा  के शब्द चीफ को फँसाने के लिए जहां चंगेरी  का काम करते हैं वहां विरोधी पत्रकार के लिए व चीफ के विरोधी हेतु चंचा का काम करते हैं.
       चतुर , चालाक  चमचा पत्रकार अपनी  चोंच, चंचु, चंचुका से चीफ के विरोधी पर चंडत्व से  , चंडकर  शब्दों से , चंडासु  बनकर , चंडालिता पूर्बक  चंहुदिसा  से चढ़ाई करता है जिससे चीफ के विरोधियों को चतरभंग   का रोग लग जाय और चीफ खुश हो जाय .और चमचा पत्रकार चकाचक हो जाय
   चीफमिनिस्टर  के चमचे पत्रकार की चेष्ठा  चक्षु चंडालपक्षी जैसी होती हैं जो चीफ मिनिस्टर के चदनगोह  रूपी किचन कबिनेट  के चिंतावेश्म  में रहकर चांदी/चाट  की चाह  में लगा रहता है 
       चमचा पत्रकार अपने विरोधी पत्रकार को कभी चंडू (चुहा )  कहता है कभी चणडु (बंदर ) कहता है और अपनेआप चीफमिनिस्टर  का चम्बरढार बन कर चोबदारी कर चहकता रहता  है
  चमचा  पत्रकार   चीफमिनिस्टर के काम से चीफ को  चंद्रकांत नाम देता है और उसी काम के लिए विरोधी नेता को चखिया नाम देता है . जहां चीफ मिनिस्टर का चमचा पत्रकार अपने को चन्द्र जैसा पवित्र कहता है तो दुसरे पत्रकार को उसी गुण के लिए चबाई पत्रकार कहता है
 अपने आप चीफ मिनिस्टर का चमसा , चमसी  पत्रकार विरोधी नेता का चरित्रहनन करने में चोटी पर रहता है पर जब कोई दूसरा पत्रकार चीफ  मिनिस्टर के विरुद्ध छापता है तो चापलूस  पत्रकार उस पत्रकार को चरित्र हनन ना करने की सलाह देने में शर्माता भी नही है .
  चाप्लोस पत्रकार जब चीफ मिनिस्टर की चापलूसी में चरण बंदना करता है तो उसे वह चर्चा नाम देता  है पर कोई दूसरा ऐसा करे तो उसे वह चूहे का च्यूंचाट  नाम देता है,  चलकूट  नाम दे डालता है
            चमचा पत्रकार अपने कृत्य को चारटिका  नाम देता है तो उससे कर्म के लिए दुसरे को चाली नाम दे देता है
  चापलूस पत्रकार चीफ मिनिस्टर के चौक में चरता रहता है पर नही चाहता  क़ि कोई और चेहता चीफ के चौक में चहलकदमी करे कोई  और चीफ का चेहता  बने  .. चापलूस  पत्रकार दुसरे चमचे पत्रकार को  चर्मदंड से  चोट देकर , चांटा मारकर, चांप कर  चलन्तू   कर देता है.
 चमचा पत्रकार चालाक होता है वह भी नारायण दत्त तिवारी की तरह संजय गांधी जैसे चीफ के  चरणपादुक  उठाता है पर वह यह चारण वृति खुलेआम हवाई अड्डे पर नही करता चुपके  से करता है चमचा पत्रकार भी चीफ की चिलम भरता है पर उसे गौरव शाली  पत्रकारिता का चोला पहना दिया जाता है चापलूसी की चिलम पर पत्रकारिता की चादर चढाई  जाती है चंट जो होते हैं ये चकचूंदरे  पत्रकार
पर मै यह भी कह सकता हूँ क़ि यदि पत्रकार चापलूसी  ना करें तो घर कैसे चलाएंगे ?
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            चतुर पत्रकारों की  चारणशैली में चीफ की चमचागिरी
                                       भीष्म कुकरेती
                           विद्वानों, लेखकों का चीफ /उच्च पदस्त की चारण शैली में चरण वन्दन करना , चमचागिरी करना, चरनबरदार करने   का चलन प्रचलन  सदियों पुराना    है .
  आजकल पत्रकार भी चुगलाते हैं. . इन चमचा पत्रकारों के लिए उच्च्पदस्त  के लिए चहचहाना एक चंग है एक उत्सव है .चमचा पत्रकार उच्चपदस्त के चंकुर को चलाता है और उस बड़े आदमी को अपने कंधों पर चौथेपन में भी  चंक्रमण (घुमाना )  भी करता है .चमचागिरी  की बात है तो यह सब चलता है ..इसका चलन भी है ही.
                     अपने चंग  की खातिर चमचा -चारण पत्रकार चंगला रागिनी में चंग बजाकर बड़े आदमी के चंग पर चढ़ता है . चमचा पत्रकार चंगा (निर्मल)  चंगा (बच्चों का खेल) नही खेलता. किन्तु चंट पत्रकार चकली जैसे खेल खेलता है.
चतुर पत्रकार चंट होता है वह चारणशैली की चोंच या चुन्चपुट  से बड़े आदमी को अपने चंगुल फंसाने की कोशिश करता है चारण शैली के शब्द चमचे पत्रकार के लिए चंगेरी होती हैं .
            चतुर चमचा पत्रकार चंचरीक बन चंचपुट , चंचेरी  ताल में बिन होली के भी चीफमिनिस्टर की चमचागिरी करता है .
                      चालाक चमचा पत्रकार स्वयम  चंचल नही होता है अपितु चीफ को चंचल बनाता है. चारणशैली, चिकने चुपड़े शब्द  चमचे-चुगलखोर पत्रकारों के लिए चीफ को खुश करने के लिए चंचलास्य का  काम करते हैं.
                        चमचे पत्रकार द्वारा प्रयोगित   प्रशंसा  के शब्द चीफ को फँसाने के लिए जहां चंगेरी  का काम करते हैं वहां विरोधी पत्रकार के लिए व चीफ के विरोधी हेतु चंचा का काम करते हैं.
       चतुर , चालाक  चमचा पत्रकार अपनी  चोंच, चंचु, चंचुका से चीफ के विरोधी पर चंडत्व से  , चंडकर  शब्दों से , चंडासु  बनकर , चंडालिता पूर्बक  चंहुदिसा  से चढ़ाई करता है जिससे चीफ के विरोधियों को चतरभंग   का रोग लग जाय और चीफ खुश हो जाय .और चमचा पत्रकार चकाचक हो जाय
   चीफमिनिस्टर  के चमचे पत्रकार की चेष्ठा  चक्षु चंडालपक्षी जैसी होती हैं जो चीफ मिनिस्टर के चदनगोह  रूपी किचन कबिनेट  के चिंतावेश्म  में रहकर चांदी/चाट  की चाह  में लगा रहता है 
       चमचा पत्रकार अपने विरोधी पत्रकार को कभी चंडू (चुहा )  कहता है कभी चणडु (बंदर ) कहता है और अपनेआप चीफमिनिस्टर  का चम्बरढार बन कर चोबदारी कर चहकता रहता  है
  चमचा  पत्रकार   चीफमिनिस्टर के काम से चीफ को  चंद्रकांत नाम देता है और उसी काम के लिए विरोधी नेता को चखिया नाम देता है . जहां चीफ मिनिस्टर का चमचा पत्रकार अपने को चन्द्र जैसा पवित्र कहता है तो दुसरे पत्रकार को उसी गुण के लिए चबाई पत्रकार कहता है
 अपने आप चीफ मिनिस्टर का चमसा , चमसी  पत्रकार विरोधी नेता का चरित्रहनन करने में चोटी पर रहता है पर जब कोई दूसरा पत्रकार चीफ  मिनिस्टर के विरुद्ध छापता है तो चापलूस  पत्रकार उस पत्रकार को चरित्र हनन ना करने की सलाह देने में शर्माता भी नही है .
  चाप्लोस पत्रकार जब चीफ मिनिस्टर की चापलूसी में चरण बंदना करता है तो उसे वह चर्चा नाम देता  है पर कोई दूसरा ऐसा करे तो उसे वह चूहे का च्यूंचाट  नाम देता है,  चलकूट  नाम दे डालता है
            चमचा पत्रकार अपने कृत्य को चारटिका  नाम देता है तो उससे कर्म के लिए दुसरे को चाली नाम दे देता है
  चापलूस पत्रकार चीफ मिनिस्टर के चौक में चरता रहता है पर नही चाहता  क़ि कोई और चेहता चीफ के चौक में चहलकदमी करे कोई  और चीफ का चेहता  बने  .. चापलूस  पत्रकार दुसरे चमचे पत्रकार को  चर्मदंड से  चोट देकर , चांटा मारकर, चांप कर  चलन्तू   कर देता है.
 चमचा पत्रकार चालाक होता है वह भी नारायण दत्त तिवारी की तरह संजय गांधी जैसे चीफ के  चरणपादुक  उठाता है पर वह यह चारण वृति खुलेआम हवाई अड्डे पर नही करता चुपके  से करता है चमचा पत्रकार भी चीफ की चिलम भरता है पर उसे गौरव शाली  पत्रकारिता का चोला पहना दिया जाता है चापलूसी की चिलम पर पत्रकारिता की चादर चढाई  जाती है चंट जो होते हैं ये चकचूंदरे  पत्रकार
पर मै यह भी कह सकता हूँ क़ि यदि पत्रकार चापलूसी  ना करें तो घर कैसे चलाएंगे ?
                       
       
         
 
   
     
 
                           
       
                     
 
 
 


Jugraj Rayan
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Bhishma Kukreti

 

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