Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359885 times)

Bhishma Kukreti

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                              स्कुलौ सिलेबस अर असलियत

                               चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


 इख शहरम प्याज अब प्रागैतिहासिक चीज ह्वे ग्याइ अर इनि हाल राल त कुछ दिनुं मा इतियासौ किताबुं मा लिखे जालु बल कबि भारतीय प्याज बि खांद छा ।
सुन्दर काका ड्यार जायुं छ्यायि अर बौन कुछ ना कुछ भेजणि छौ जन चूड़ा -भट आदि । त मीन स्वाच बौ कुण बोलुं बल भट उट नि भिजण बलकणम द्वी चार दाणि प्याजक भेजि द्याओ ।
मि -समनैन बौ !
बौ -चिरंजी रौ !  ये कन बत्वार आइ तुम तिन्युं कुण ! ज्यु बुल्याणु च तुम तैं जिंदि खड्यार द्यूं ! 
मि -हैं ! क्या बुनी छे ?
बौ -अरे तेकुण नि बुलणु छौं । यी तीन काल छन जो ! द्वी नाती अर एक नातण ! युंकुंण बुलणु छौं ।
मि -क्या कार तौन ? उज्याड़ खलैक ऐ गेन क्या ?
बौ -उज्याड़ खलाणौ चिंता अब कख च ? उज्याड़ तब होंद जब खेती ह्वावो !
मि -त बच्चों तैं बीच दुफरा मा गाळी ?
बौ -अरे तिनि स्कूल बिटेन अबि ऐन । आज यूंक छ्मै परीक्षा का  परिक्षा पत्र लेक ऐन।परीक्षा मा अंट-संट लेखिक ऐ गैन !
मि - हैं ! अंट संट ?
बौ -हाँ । सवाल छौ "प्रतिपक्ष राजनैतिक दल की भूमिका पर अपने विचार लिखें  "। त स्यु बड़ लेखिक ऐ ग्यायि " प्रतिपक्ष की केवल एक ही जुम्मेवारी होती है कि संसद ना चले और हमारे देश का प्रतिपक्ष यह भूमिका भली भाँती निभा रहा है ।"
मि -ल्याख त वैन सही च !
बौ - क्यांक सै ल्याख ! किताबुं सिलेबस मा त कुछ हौरि लिख्युं च ।
मि -हैंकान क्या कार ?
बौ -प्रश्न छौ " भारत का राष्टीय खेल क्या है और  उसका हमारे देश में क्या महत्व है ?"
मि -त हैंक नातिक  जबाब क्या छौ ?
बौ -वैन लेखि दे "बल  हमारा राष्ट्रीय खेल इन्डियन प्रीमियर क्रिकेट लीग है ।जिसमें क्रिकेट के अतिरिक्त सट्टा (बेटिंग )   खेल भी साथ में खेला जाता है जिसमे जनता , लीग मालिक, फ़िल्मी हस्तियाँ और खिलाड़ी बड़े मनोयोग से भाग लेते हैं ।
मि - बात  त सै च !
बौ -ह्यां पण किताबुं सिलेबस मा त लिख्युं च बल हॉकी राष्ट्रीय खेल च ।
मि -अर नातणन क्या ल्याख ? 
बौ - प्रश्न छौ " संयुक्त परिवार के लक्षण बताइए " ।
मि -नातणन क्या जबाब दे ?
बौ -वीं नर्भागणन लेखी दे कि पत्येक सयुंक्त परिवार मा एक बुडड़ि हूंद जैं तैं 'बा' बुलदन , एक  तीन बड़ा बच्चों की माँ होंदी ज्वा पन्दरा सोळा  से बड़ी नि दिख्यांदी । संयुक्त परिवार का प्रत्येक सदस्य एक दुसरौ पीठ पर छुर्रा भोंकण म लग्युं रौंद ।
मि -हैं ?
बौ -हाँ अर ईं निर्भागणन उदाहरण बि देंन। जथगा बि टीवी सीरियल चलणा छन वूंक उदाहरण देकि ईन सिद्ध कौरि  बल संयुक्त परिवार मा  हर समौ हल्दी घाटी की लड़ाई या महाभारत हि चलणु रौंद ।
मि -पण यी बात कखन लेखि यूं बच्चों न ?
बौ -टीवी देखिक अर क्या !
मि -ये मेरी ब्वे !
बौ -चुप रावो ! बिंडी उदाहरण देल्या त गुदुल फ़ोड़ि द्योल हाँ !
मि -क्या ह्वाइ ?
बौ -अरे गां का हौरि स्कुल्योंन क्या ल्याख वांक बात बथाणा छन !
मि -क्या हौर बच्चोंन बि इनि कुछ उत्तर दे ?
बौ -हाँ इनि जन अजीब अजीब उत्तर !
मि -जन कि ?
बौ -जन कि सवाल छौ बल भारत मा प्रधान मंत्रीक  चुनाव कन हूंद त एकान लेखि दे बल कौंग्रेस का प्रधान मंत्री सोनिया गांधी क मर्जी से बणद अर बीजेपी क प्रधान मंत्री राष्ट्रिय स्वयं संघ निर्धारित करद अर बकै टॉस पद्धति से  !
मि -पण इखमा गलत क्या च ?
बौ -अरे पण किताबुं मा इन नि लिख्युं च । स्कूलूं सिलेबस को हिसाब अर असलियत मा अंतर हूंद अर बच्चों तैं असलियत छोड़ि सिलेबस का हिसाब से ही उत्तर दीण जरुरी च ।
मि -अब क्या करलि तू ?
बौ -जन हर दफां करदु अर क्या !
मि -क्या ?
बौ -मास्टरों तैं प्रति स्कुल्या हजार रूप्या देलु अर बच्चों मार्क्स ठीक करौलु !
अब जब  शिक्षा की गंध -बॉस की छ्वीं लगणि ह्वावो  त प्याज को छौंका मरणो तुक नि होंद अर मीन फोन काटी दे ।

Copyright@ Bhishma Kukreti 26/8/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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 मुंबई अर गौं  मा फरक -भेद

                 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


                   एक संजैत पूजा बान गौं जाण पोड़ । सुंदर दान  बोलि छौ बल कोटद्वार ऐक वीं बौ कुण फोन करि द्युं कि द्वी चार चीजुं जरुरत रै ग्यायि त  बौ (गौं वळि) बता देलि अर मि कोटद्वार बिटेन लै औल ।
मीन कोट्द्वार बिटेन बौ कुण फोन कार - पछ्याण कौन ?
बौ -जु अदा गढ़वाळि  अर अदा हिंदी मा ब्वालल तो वु भैरौअ मनिख   होलु । अब हम गां मा केवल शुद्ध हिंदी मा बचऴयोंदा !   अच्छा जरा सि इशारा दि त मि बतै द्योल बल क्वा च ?
मि -पोर भेळा  कि  कू छे घस्यारी माळु ना काटि तू  माळु ना काटि।
बौ -ह्याँ ! अब दाथी इ हर्ची गैन त ये जमनम  माळुक्या तिमल बि नि कटेंदन ।
मि -चल भुन्दरा बजार जयोला , मिठि भीलि खयोला हो !
बौ -हैं !  गीत त म्यार बूड ससुर जीक बगतौ च । अब भुन्दरा तैं भिल्ली नि खालांदन अब त कैडबरी चौकलेट खलाये जांद । जु बि छे त्वै तैं अब गांवक ज्ञान कतै नी च । चौकलेटौ जमनम भिल्ली - अन्दरखी की छ्वीं लगाणु छे !
मि -हिट कौंसिला म्येरी गाडी में घुमि आलि गरुड़ ला
बौ -अब त पक्कु ह्वे ग्यायि कि रिश्ता मा तु मै  से छ्वटु जरुर छे पण छे तू म्यार बूड ससुरो बगतौ ! अजकाल हमर गाँ मा गीत हूँदन बल चलती है क्या खंडाला !
मि -भिषम बुलणु छौं !
बौ -ये मेरि ब्वे ! ये द्यूर जी ! मीन त सूणि छौ बल तू यूरोप -थाइलैंड  घूमिक ऐ गै बल ?
मि -हाँ ! तो ?
बौ -ह्यां ! इथगा जगौं यात्रा करणो बाद बि यि बूड ससुर जीक टैमौ गीत गाणि छे ?
मि -हैं ?
बौ -अछा फंड फूक तौं गीतुं तैं । इन बतादि कि तू सबि चीज लयेलि ना ?
मि -हाँ बोल !
बौ -पैल इन बथा बल तू सुबेर चार बजि इ  बिजदि कि घाम आणो परांत ?
मि -कनो ! अबि बि मि सुबेर चारि बजि बिजदु अर बिजदि चा चएंदि ।
बौ -हाँ ! तो तू अफुकुण मिल्क पौडर लए ।
मि-मिल्क पौडर ?
बौ -हाँ ! वू क्या च नजीबाबाद की  दूधौ जीप नौ बजि पौंछदि त चाय बान त्वै तैं मिल्क पौडर से इ काम चलाण पोड़ल।
मि-मतबल अब गौड़ी भैंसी पळण  सब बंद ?
बौ -हाँ । ये गै -भैस से याद आयि बल तू एक कीलो गायक मोळ बि लये । पूजा मा जरुरत पोड़लि !
मि-गायक मोळ ?
बौ -इथगा जोर से किलै चिल्लाणु छै ? अरे जब गाँ मा गौड़ नी छन त पूजा बान गायक मोळ कोटद्वार से नि मंगाण त दिल्ली से मंगाण ?
मि-गायक मोळ ?
बौ -हाँ ! इख बजारम बि मिल्दु पण यी बणिया  गाइ मोळ मा भैंसौ मोळ बि मिलै दींदन।
मि-ठीक च और ?
बौ -और इन कौर एक ना अदा पूळ कुणजु लए !
मि-अदा पूळ कुणजु?
बौ -हाँ हाँ ! जखम पैल कुणजु हूंद छौ वीं जगा पर त लैंटीना अर कौंग्रेस घासन कब्जा जमै याल तो सरा क्षेत्र मा कुणजु दिखणौ बि नि मिल्द ।
मि-ठीक च । हौर ?
बौ -अरे हाँ ! दुबल जरुर लए हाँ । वू क्या च इख दुबल मा गूणी -बांदर -सुंगर हौगि दींदन त साफ़ दुबल नि मिल्दु । इलै सबि ऋषिकेश -कुटद्वर बिटेन दुबल मंगादन।
मि-हौर !
बौ -जौ , तिल , सबि अनाज दुकानदार तैं पुछिक लयै । दुकानदार तैं बुलण गढ़वाळम पूजा सामन द्यावो तो वो जौ , सटी , दाळ वगैरा अफिक धौर द्यालो 
मि-ठीक हौर ?
बौ -अछा सूण ! पूजाक  पिठै बान पन्दरा   किलो प्याज बि लये !
मि-पूजा मा प्याज ?
बौ -हाँ अजकाल पंडित , जागरी अर औजी पूजा मा तबि आंदन जब पंच पंच कीलो प्याज की पिठै आश्वासन दिए जांद ।
मि-हौर ?
बौ -हाँ ! वो गेंदा का बीस पचीस फूल लये ।
मि-पण गाँ मा संतराजौ फूल त भौत हूँदन ।
बौ -द्यूर जी ! अब हम इकीसवीं सदी मा छंवाँ । गंवड्या संतराज अब पूजा मा धरण गरीबी की निसाणी माने जांद ।
मि- ओ ! हौर कुछ ?
बौ -हाँ , वो तीनेक सौ चौकलेट बार जरुर लाण हाँ !
मि-तीन सौ चौकलेट बार ?
बौ -ये त्वै  पर चिल्लाणै बीमारी च क्या ?
मि-पण तीन सौ चौकलेट बार ?
बौ -हाँ त पूजा बाद गाँ मा मिठै नि बंटण ?
मि-हाँ पण गुड़ या लड्डू ?
बौ -नै अब गुड़ या लड्डू जमन नि रै ग्यायि अब गुड़ या लड्डू जगा चौकलेट बार बंटे जांदन ।
मि-एक बात बथावदि कि अब मुंबई अर गाँ मा क्या फरक रै ग्ये ?
बौ -भौत बड़ो फरक च ।
मि-क्या ?
बौ - मुंबई मा नौकरी -चाकरी मील जांद पण गाँ मा नौकरी नि मिलदी !



Copyright@ Bhishma Kukreti 27/8/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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नीचानगर  !

                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
            हिंदी सिनेमा को नामी निर्देशक चेतन आनन्द भौत पुराणि फिलम छे 'नीचा नगर '। यीं फिलम मा चेतन आनन्दन एक नयो प्रयोग कौरि छौ बल जब बि कै बड़ो -धनी मनिखौ डायलौग ह्वावन तो कैमरा तौळ रौंद छौ जां से वो उच्चु मनिख उच्चु दिख्याओ । फिर जब बि क्वी निम्न वर्ग को चरित्र ह्वावो त कैमरा मथि रौंद छौ जां से चरित्र छुट दिखाये जावु । यांक आलावा जब बि निम्न अर उच्च वर्ग का द्वी चरित्र इकदगड़ि ह्वावन त उच्च चरित्र थोड़ा मथि खड़ो रौंद छौ अर निम्न चरित्र कम उंचाई पर खड़ो रौंद छौ । फिल्मांकन से उच्च अर निम्न वर्गीय भेद बथाणो नायाब कौंळ ( कला ) , ब्यूंत (शैली , तरीका ) छौ ।
  परसि यमकेश्वर बिटेन गढ़गौरव का सम्पादक शैलेन्द्र थपलियाल जीक  फोन आयि - भीषम जी चुंकि अब जनान्युंम कुटण पिसणो काम नी च त अखबार बंचणा रौंदन अर अच्काल जनान्युं मांग च बल मनमोहन सिंह जी पर कुछ ल्याखो । पण इन ल्याखो कि कबि कैमरा तौळ हो त कबि कैमरा मथि हो ।
मीन ब्वाल -थपलियाल जी फिलम हूंदी त मि एक दै मनमोहन सिंह जीक फोटो धार मा धौरि दींदु अर कैमरा तौळ अर दुसर दै मनमोहन जी तै गदन बिठा दींदु अर मथि धार मां कैमरा धौर दींदु।
थपलियाल जीन बोलि बल - आप हि देख ल्यावो कि क्या करण पण मनमोहन जीक चरित्र दर्शांद दै नीचा नगर जन प्रयोग हूण चयेंद ।
अब सम्पादकों अर सेठ लोगुं क्या जाणु च बोलि दीन्दन इन हूण चयेंद त बस हूण चयेंद ।
       मीन स्वाच बल मनमोहन जीक गाह , पंजाब पाकिस्तान मा जनम लीण से लेक वित्त मंत्री बणन तक की यात्रा दिखांद दै कैमरा तौळ इ रालो बल एक गरीब घर को नौनु ऑक्सफोर्ड बिटेन अर्थ शास्त्र मा डॉक्टरेट कारो त कैमरा तौळ ही राल अर मनमोहन जीक जात्रा डाँडो मा इ दिखाए जालि । मनमोहन जीक संयुक्त राष्ट्र मा काम करद दै बि कैमरा तौळ ही रालो अर मनमोहन जी अळग धार मा इ हिटद दिखाए जाला । फिर मनमोहन सिंह जीक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को गवर्नर बणद दै बि कैमरा भ्यूं रालो अर मनमोहन सिंह जी मथि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया क बिल्डिंग मा चढ्या राला । कु भारतीय मनमोहन सिंह जी से प्रेरणा नि लीण चालो कि एक गरीब घर कु नौनु बि रिजर्व बैंक कु गवर्नर बौण सकुद च ? मनमोहन सिंह जी जब वित्त मंत्री क शपथ लींद दिखाये जालो तबि बि कैमरा तौळ रालो अर मनमोहन सिंह जी डांड मा राला । फिर कैमरा मथि डांड मा जालो अर दिखाए जालो कि जब मनमोहन सिंह जी न शपथ ले छे त भारतीय अर्थ व्यवस्था मृतप्राय: अवस्था मा छे , डाक्टरोंन आस छोड़ि दे छे अर सरा भारतवास्युं  टक -निगाहें प्रधान मंत्री नर  सिम्हा राव अर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह जी पर छे ।
  फिर कैमरा तौळ चली जालो अर मनमोहन सिंह जी रिफौर्म को झंडा लेकि एवरेस्ट मा चढ्या छन अर शायद मनमोहन सिंह फिलम को यो ही भागचमकीला -गर्वीला भाग होलु । कैमरा तौळ होलु अर भारतीय उच्चा डाँडुं माँ इम्पोर्टेड पेन्सिल , इम्पोर्टेड रबर, इम्पोर्टेड रुमाल , आयतित बंडी , आयातित सिगरेट , इम्पोर्टेड  गणेश जी की मूर्ती , इम्पोर्टेड माटो द्यु लेक खुश छन । कैमरा तौळ अर पहाड़ों मा विदेशी मैग्जीनो मनमोहन सिंह जी की बडै का बैनर लग्याँ छन । कैमरा तौळ अर भारतीय डांड मा खुस कि विदेशी लोग मनमोहन सिंह जीक प्रशंसा करणा छन ।
    अर जब मनमोहन सिंह जी प्रधान मंत्री बणिन त मि कैमरा तौळ ल्हीगो कि मनमोहन जी उच्चा दिख्याला पण कुनगस कखि मनमोहन जी नि दिख्याणा छया बस सबि डाँडु मा सोनिया गांधी या राहुल गांधी दिख्याणा छ्या ।प्रधान मंत्री कुर्सी उच्चि जगा मा छे पण कैमरा की पकड़ माँ केवल छाया बैठिं छे अर कुजाण किलै वा छाया बि सोन्या गांधी की छाया हि दिखेणि छे । मनमोहन सिंह जीक गंध -बॉस प्रधान मंत्री कुर्सी नजीक बि नि छे। मीन अपण कैमरा लाल कृष्ण अडवाणी जी अर दिग्विजय सिंह जीम बि दिखायि पण कैमरा मा सोनिया गांधी
की ही परछाईं दिखे ।
 मीन कैमरा भारतीयों जिना  घुमा तो ऊंक क मनसा छे कि प्रधान मंत्री त प्रधान मंत्री हूंद वो क्वी क्लर्क नि होंद । भारतीयुं  मन मा प्रधान मंत्री माने सर्वे सर्वा पण म्यार कैमरा मनमोहन सिंह जी तैं पकड़ी नि सकणु छौ जो मनमोहन सिंह जी तैं प्रधन मंत्री सिद्ध कारो ।
म्यार कैमरा मंत्री परिषद की बैठक मा बि ग्यायी तो उख बि प्रधान मंत्री क कुर्सी मा सोनिया गांधी की छाया बैठिं छे । मनमोहन सिंह जी कखि नि दिख्यायि । लोक सभा अर राज्य सभा मा म्यार कैमरान मनमोहन सिंह जीक फोटो ले पण वा फोटो एक लाचार मनिखौ फोटो छे उखमा कखि बि प्रधान मंत्री की अनवार नि छे ।
भारतीयों हिसाब से भारत तैं इमानदार मंत्री , बेदाग़ मंत्री चयान्दन अर ये हिसाब से म्यार कैमरान मनमोहन सिंह जी तैं इमानदार पायी पण एक इमानदार प्रधान मंत्री का अधिसंख्य दागी मंत्र्युं क्लास लीणु अर मंत्री छन कि बेलगाम हुयां छन । म्यार खुफिया कैमरा मा उल्टां भौत सा मंत्री प्रधान मंत्री तै दनकाणा छ्या ।
म्यार कैमरा मा एक भारतीय प्रधान मंत्री दागी मंत्र्युं दाग लुकांद पाए गे ।
म्यार कैमरा मथि डांड गे त कैमरा तै मनमोहन सिंह जीक प्रधान मंत्रित्व काल मा सामजिक मूल्यों , सार्वजनिक -राजनैतिक -प्रशासकीय मूल्यों माँ गिरावट ही दिख्यायि अर इथगा गिरावट तो भारतीय इतिहास मा कबि नि दिखे गे छे । देश की संपदा  की लूट खसोट अपण चरम सीमा पर छे । भारतीय उत्पादन उद्यम की जगा बिचौलिया उद्यम की जादा मांग दिख्याणि छे।
जै रिफोर्म की  जै जैकार हूणि छे वै ही रिफौर्म की थू थू हूणी छे । अर म्यार कैमरा समिण एक बैनर छौ जैमा लिख्युं छौ - रिफौर्म करणाइ त भारत को हिसाब से कारो , उधार-पगाळ को विचारों  से रिफौर्म नि होंद। म्यार कैमरा मा मनमोहन सिंह जी एक अर्थ शास्त्री को हिसाब से बि  निम्न वर्ग मा हि दिख्याणा छया ।
म्यार कैमरा मा भारत नीचानगर सि दिख्याणु छयो अर वै  नगर मा नीच प्रवृति की तादात बढ़णि छे !




Copyright@ Bhishma Kukreti 28/8/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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 म्यार गाँवा  पोरु सालौ लेखा -जोखा

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

मि - ये परधान काका ! पोरु साल कन रायि ?
परधान काका -पोरु साल बि भौत बढ़िया राइ , जथगा मनमानी करण छे सि कार !
मि -अच्छा ? जन कि ?
परधान काका -जन कि मनरेगा देवी की कृपा से म्यार एक हैंक कूड़ ड्याराडूणम लगि ग्यायि ।
मि -पण अचकाल बंसल सरीखा नेता फंसणा  छन । तो तुम फंसण से बचि गेवां ?
परधान काका -नै मीन जु मेरा विरोध मा मैदान मा ऐन उंकी डंडलि सजै दे !
मि -हौर ?
परधान काका -हौर क्या ! अफु सरा साल  हंसणु रौं अर दुसर तैं खून का आंसू पिलाणु रौं । 
मि -अरे वाह ! गौं कु कथगा विकास ह्वे होलु ?
परधान काका -नाप त मीन नी च पण जख घ्वीड़ - काखड़ बि नि जांदन उख पुळ बणैन ! 
मि -त फिर गूणि -बांदरूं कुण पाखाना बि बणै होला ?
परधान काका -नै नै ! सार्वजनिक शौचालय का नाम पर मीन अफुकुण शानदार ट्वाइलेट बणाइ !
मि -पण क्वी जब फ़ाइल ऊइल मांगल अर द्याखल तो ?
परधान काका -जब कोयला मंत्रालय से दस बारा सालुं फाइल गैब ह्वै सकदन तो एक ग्राम प्रधान को कार्यालय से सार्वजनिक शौचालय की एक फ़ाइल गायब नि ह्वै सकदी ?
मि -अछा काका ! अचकाल पर्यावरण -पर्यावरण को बड़ो हो हल्ला हूणु च ?
परधान काका -हमर गां मा बि चालीस पचास एकड़म डाळ लगीं छन । 
मि -पण मि तैं त खरड़ जंगळ का अलावा कुछ नि दिखेणु च ?
परधान काका -सरकारी काम च त सरकारी अधिकार्युं तैं ही सार्वजनिक जंगळम  पेड़ दिख्याला । त्वै तैं किलै दिख्याला ?
मि -औ त ये मामला मा बि फ़ाइल गैब होलि क्या ?
परधान काका -न्है ! न्है ! सूखा मा पेड़ सुकि सकदन या बाढ़ मा पेड़ बौगि बि सकदन !
मि -गौं की आर्थिक दशा का  क्या हाल छन ?
परधान काका -भई खरीदी क पैमाना से त आर्थिक स्थिति बि ठीकि च । पैल जख मैना मा शराबौ सौ बोतल बिकदी छे अब पांच सौ बोतल बिकदन !
मि -अरे वाह प्रोग्रेस च ! अच्छा ! खेल विकास को क्या च ?
परधान काका -खेल मा बि युवाओं की रूचि बढ़णि च।
मि -जन कि ?
परधान काका -जन कि जुआ अर सट्टा बजारी मा युवावों रूचि उत्साहवर्धक च
मि -गां मा सामाजिक विन्यास को क्या हाल च ?
परधान काका -पोरु साल चार  नौनि गुरख्यों दगड़  या पुरबी परदेस वाळु दगड़ भागिन त चार गैर गढ़वाली ब्वारि  गां मा बि ऐन । सामजिक अर जातीय समीकरण बराबर बैलेंस मा च ।
मि -सौहार्द अर सहकारिता क्या हाल छन ?
परधान काका - अब गौं मा लोग झगड़ा या गाळी गलौज पसंद नि करदन । सीधा पटवरिम  या लैन्सडाउन  मुकदमा करणों जांदन । सैत च बीसेक मुकदमा त लोग आपस मा लड़ना ही होला । लैन्सडाउन बस सर्विस से एक फैदा ह्वाइ कि अब गाँ मा हल्ला -मारा -मारि नि होंद बलकणम लोग बाग़ शान्ति से मुकदमा लड़णा रौंदन ।
मि -बड़ी कामयाबी च हैं ?
परधान काका -हाँ ।
मि -काका ! तुम तैं शरम नि आन्दि ?
परधान काका -हाँ आन्दि च ना
मि -क्यांक शरम आन्दि ?
परधान काका - कि  ए.राजा , कलमाड़ी , बंसल, अजित पंवार जथगा रुपया कमै सकदन मि उथगा रूप्या नि कमै सकणु छौं ! 




Copyright@ Bhishma Kukreti 29/8/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 



Bhishma Kukreti

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सैकड़ो साल पुरण बौड़ौ डाळ कटि गै

                                                    भीष्म कुकरेती


              म्यार ददा बुल्दा छा बल यू बौड़ौ डाळ म्यार बूड ददा का पड़ददा का बि पड़ ददा से बि पैल बिटेन इखम छौ।  इखमा ददि ददा तैं दनकांदि छे बल सीधा ब्वाला ना कि गां बसण से बि पैल यु बरगदौ डाळ इखम छौ।
ब्याळि वू ऐन अर ये सैकड़ों साल पुरण बौड़ौ डाळ, कथगा हि ग्वाळ ( तना ) वाळ डाळ काटि चलि गेन। 
यु बट वृक्ष नि कट हमर गांवक पछ्याणक, हमर गौं विशेषता हि कटि गे।  हमर गाँवक नौं हि बौड़ तौळक गाँ छौ अब बौड़ कटे गै त हमर गौंवक  नौ बटबिहीन गौं त नि ह्वे जालु ?
 सैकड़ों साल पैल जु कीड़-मक्वड़ ये बौड़म  ऐ होला अर अब उंकी नसल जो ये बौड़ पुटुक पऴदि -भरदि छे उ कख जाला ?
सैकड़ों किसमौ कीड़-मक्वड़ अलग अलग किसमौ चखुलों तै आकर्षित करदा छा अब जब वो कीड़ नि छन त क्या म्यार गाँ मा अलग अलग किसमौ चिड़िया आलि? अर आलि बि त जब बौड़ नि द्याखल त क्या वु  चखुलि निरस्याल ना ?
जु ये बौड़ का वासिंदा चखुल छया वु अब कख जाला ?
जु अलग अलग समौ पर चीन -रूस बिटेन प्रवासी पंछी आंदा छा , अपण घोंसला बणान्दा छा , बच्चा जणदा छा अर फिर छुट छुट बच्चों तैं लेकि रूस -चीन का तर्फां उड़ि जांदा छा। बौड़ डाळ ऊँ प्रवासी परिंदों कुण प्रसूति गृह बि छौ अर बालबाड़ी बि छौ।  अब कख अपण घोल बणाला ?
वै बरगदौ परताप हमर गां मा सुबेर चार बजे से लेकि रात आठ बजि तलक अलग अलग तरां कि चखुलों बसणो संगीत बजणु रौंद छौ अब हम कखन वो प्राकृतिक संगीत सुणला ?
हर मौसम मा कुछ चिड़िया बदल्यांद छा अर हम तै अलग अलग मौसम मा अलग अलग चखुलुं अलग अलग गीत -संगीत सुणणो मिल्दु थौ अब कखन हम वै संगीत सुणला ?
हमर कथगा इ रिस्तेदार त ख़ास मौसम मा हमर गां इलै आंदा छा कि वो नया नया चखुल देखि साकन।  क्या वो रिस्तेदार अब बि हमर गां आला ?
ये बरगदौ पेड़ तौळ हमर संस्कृति बि पळदि छे -पुसदि छे।  अब कखन हम वीं संस्कृति तै वापस लौंला ?
ये बौड़ डाळौ बगल मा मथै सरा गां कौंक बुसड़ अर लखुड़ु कठघळ छया।  कीट -पतंगों-पंछियुं   कुण बरगद, बुसड़ अर लखुड़ु कठघळ बसेरा अर खाणकौ अटूट समीकरण बण्यु छौ अब वो समीकरण टूटि गै त हमर गांवक वातावरण नि बदल्यालु ?
ये बरगद क ठीक तौळ बीस पचीस उर्खयळ छया जख हमर गांवक सबि जनानी सटी , कौणि , झंग्वर कुटदा छा । भौत सा चखुल इन्तजार मा रौंदा छा कि जनानी कुटणो आवन अर वो उर्ख्यळो आस पास चुग्गा चुगन ! सुबेर घाम आंदी कुटणो आवाज अर चखुलुं बसणम एक प्रतियोगिता शुरू ह्वे जांद छे।  पता नि चल्दो छौ चखुलुं बसणम जादा मजा च कि कुटणै आवाज मा जादा मजा च।  अब बरगदअ  पेड़ कटे गे त मनुष्य अर पक्षियों बीच जो सामजस्य बण्यु छौ वै प्राकृतिक सामंजस्यौ क्या ह्वाल ?
ये बौड़ तौळ बच्चों प्ले ग्राउंड बि बणि गे छौ जख सैकड़ों साल से बच्चा खेल खिल्दा छा ? अब बच्चों कुण नयो प्ले ग्राउंड कु बणाल?
हमर गोर बछर , कुत्ता, बिरळ  बि छैलौ  बान दुफरा मा ये बरगदौ डाळ तौळ बैठि जुगार लींदा छा। 
ये  बरगदअ  तौळ पथर घिसे घिसेक अफिक बैठक बणि गे अर सैकड़ों साल से बैक , बड़ा छुटा इखम उठदा- बैठदा  छया।  इख तलक कि पंचैत बि इखमि बैठदि छे।  ब्यौ बरात्युं कुण फौड़ बि इखमि बौड़ से हटिक  दस गज दूरम   पकदो छौ।   अब कखम लोग छैल लाला अर कखम दगड़ि  बैठला  ?
 अब यू बौड़ कटि गे।  सैकड़ो साल बिटेन जु गांवक इतिहासौ गवाह छौ , जो हमर गांवक विरासतौ पोषक छौ वो ब्याळि काट दिए गे।
मोटर सड़को रस्ता मा यू डाळ आणु छौ त यू बौड़अ  कटे गेयि।
पण दस मीटर तौळ बि त मोटर सड़क जै सकदी छे ?
अब ये बौड़ तै जळैक क्वीला बणल। क्वीला बिचे जाला  अर वै पैसा से आधुनिक सुविधा संपन एक अति आधुनिक पंचैत घर बौणल।  सैकड़ों साल की विरासत जळैक विकास अर आधुनिकता लयाणि च ।     
     




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Bhishma Kukreti

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                            खबरदार ! जु मि तैं आममनिख ब्वाल त !

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


                  भौत दिन ह्वै गे छा , राजनैतिक  नेताओं अर अधिकार्युं भ्रष्टाचार , अनाचार , कुल्टाचार पर चबोड़्या-चखन्योर्या लेख लिखद लिखद मि तैं बि बिखळाण आण बिसे गे छे अर फेस बुकौ पाठक बि अब Like बटन नि दबांद छा।  त रिफ्रेश हूणौ बान मीन  स्वाच आम आदिमुं समस्या जाणे जावु अर आम आदिमुं परेशानी पर  कलमौ तलवार चलाये जावु।
      पैला जमनु  भलो छौ आम आदिम फटाक से पछणे जांद छौ।  सूर्यकांत त्रिपाठी निरालाs समौ पर 'पेट पीठ एक ,लकुटिया टेक ' से पता चलदो छौ कि आम आदिम क्वा च।  'पेट पीठ एक ' पर आम मनिखों मोनोपोली छे ।  ' पण ;पेट -पीठ एक'  चिन्ह पर त सिक्स  पैक वाळुन कब्जा कौरि  आल अर सलमान खान , आमीर खान जन अमीर लोग बि पेट-पीठ-एक कौरिक फोटो खैंचाणा छन।
          फिर कमलेश्वर कु जमाना आयि त आम मनिखों चिन्ह छौ -बल मुंड मा छुट छुट बाळ, पसीना , अदा बौंळु फट्युं कुर्ता अर दुंळदार गमछा या धोती । पण आर्थिक सुधार का बाद अब अदा बौंळु फट्युं कुर्तौं अर धोति -गमछा बणाण वळी फैक्ट्री बंद ह्वे गेन अर चीन से केवल टी शर्ट अर पैंटुं ही आयात हूंदन ।  गंजमज दाड़ि पर कौंग्रेस कु सुभाष झा जन नेतौं कब्जा ह्वे गे। अर टी शर्ट त -पैंट से सेठ लोग अर आम मनिखौं मा फरक खतम ह्वे गे। जख तलक पसीना बगाणौ सवाल च त संसद नि चलण दीणो बान विरोधी दल का नेता पसीना बगांदन अर अफु पर भ्रष्टाचारौ दाग -धब्बा मिठाणो बान मंत्री पसीना बगाणा रौंदन या धन्ना सेठ लोग अपण वजन कम करणों बान जौगिंग से या सत सत मंजिल चौढि पसीना बगाणा रौंदन । याने कि अब पसीना पर बि आम मनिखौ कब्जा नि रै गे ।
   मजदूर बि त आम आदिम हूंद।  त मीन स्वाच कै फैक्ट्री मा जये जावो अर मजदूर से पूछे जावु कि आम आदिमुं क्या क्या परेशानी छन।  मि एक फैक्ट्री मा ग्यों।
 फैक्ट्री क मीन एक मजदूर से पूछ बल जरा बथावदी  आम आदिमौ समस्या क्या क्या छन ?
वो मजदूर इन बितक जन इकुऴया गोर कै मिनख देखिक बितकद।  वो मजदूर कुकुर जन भुकद भुकद बुलण बिस्यायि - मेखुण आम आदिम बुललि त गुदल फोड़ि द्योल हाँ ! मि आम आदिम नि छौं मि त ऐटक (AITUC) कु सदस्य छौं अर हम आम आदिम क्या हम त आदिम हि नि छंवां।  हम त कॉमरेड छंवां ।  हाँ यी इंटक का सदस्य आम आदिम होला त वूं तैं पूछि ल्यावो !
मि इंटक  कु मजदूरम ग्यों तो वैन बौळेक ब्वाल - तुम लोग बि ना हमको कुछ नही समझते !  जब ऐटक वाळ आम आदिम नि ह्वे सकुद त इंटक वाळ आम आदिम त राइ दूर हम आम मजदूर बि नि छंवां।  हम त इंटक का सदस्य छंवां।
मीन हरेक मजदूर से पूछ तो हरेक अफु तैं मजदूर ना कै मजदूर यूनियनौ सदस्य बताणु छौ।       
उख फैक्ट्री मा क्वी बि मजदूर नि छया , क्वी बि आम आदिम नि छौ इख तक कि क्वी बि आदिम नि छ्यायि बस कै यूनियनों सदस्य छौ।
मि स्कूलम ग्यों त पायि कि चतुर्थ श्रेणी कर्मिक अर नया मास्टरौ तनखा इकजनि च त मीन टीचर तैं आम अदिमौ समस्या पूछ तो टीचर मै पर भड़िक ग्यायि ," अरे मि टीचिंग कैडर मा आंदु त मि कनकै कॉमन मैन ह्वे सकुद , हैं ?"
चतुर्थ श्रेणी कर्मिकौ दलील छे कि स्कूलों मा काम करण वाळ कर्मचारी अर फैक्ट्री या सडकों पर काम करण वाळ  मजदूरों तुलना नि ह्वे सकद अर वैन ब्वाल बल "हम नॉन टीचिंग स्टाफ वाळ छंवां तो कै बि हिसाब से हम आम मनिख नि ह्वे सकदां !"
मीन अपण बिल्डिंगौ स्वीपर्याण  तैं आम मिनखों समस्या पूछ  तो वा बुलण लगि बल ' मि  त प्राइवेट स्वीपर छौं । प्राइवेट सफाई कर्मचारी कबि बि पसंद नि करदन  कि वूं तैं आम मनिख बोले जावो। सरकारी स्वीपर आम आदिम हूंदन "
सरकारी सफाई कर्मचारी तैं पूछ तो वो मै पर रूसे ग्यायि अर गुस्सा मा बुलण मिस्यायि ," अरे हम सरकारी मुलाजिम छंवां , हम तै पेन्सन मिल्दि ! हम कनकै आम आदिम ह्वे गेवां ?"
मि एक बिल्डिंगौ मजदूरम ग्यों त वैकि दलील छे कि चूंकि वैकि दैनिक ध्याड़ी तीन सौ रूप्या रोज च त वो आम आदिम ह्वेइ नि सकुद ! वैन ब्वाल बेलो पावर्टी लाइन (BPL ) वळ ही आम आदिम होलु ।
चर्मकारूं तैं पूछ तो वो अफु तैं प्रकाश आंबेडकर वादी , अठावलेवादी या कुम्बले वादी बथावो पण कैन बि स्वीकार नि कार कि वो एक आम मनिख च। 
मि बेलो पावर्टी लाइन वाळम ग्यों तो वैन मी तैं आदलत मा मुकदमा की धमकी दे द्याई , " अरे हम बीपीऐल वाळ छंवां ! क्वी ऐरा गैरा नथू खैरा नि छंवां कि तुम हम तैं आम आदिम बणाओ ! ज्वा फैसिलिटी हम तैं बीपीऐल मा मिल्दि वा फैसिलिटी  आम आदिम हूण पर मीललि क्या ?" अजीब बात छे कि वो आदिम बीपीऐल मा रौण चांदो अर  आम आदिम को ठप्पा पसंद नि करणु छौ। 
मि जै तैं बि पुछणो ग्यों वो क्वी ना क्वी तगमा /ठप्पा लेकि बैठ्युं छौ अर क्वी बि आम आदिम तो क्या ! क्वी बि मनिख नि छौ।     
जु आप तैं कखि आम आदिमौ दर्शन ह्वे जावन तो मि तैं चौड़  सूचित करि देन ।

Copyright@ Bhishma Kukreti 31/8/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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फेस बुक की लाइक्याण ( Like की गंध /बास )

                   चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

   अब  फेस बुक इन यथार्थ ह्वै ग्यायि कि परसि एक ब्यौ मा मेरि ब्वै सब्युं समिण बुलण बिसे ," म्यार भीषम त मि तैं फंड धुऴयुं समजद।"
   भुंदरा बौन बोलि ," ए जी ! क्या बुलणा छां ? भीषम त तुमकुण इथगा चीज लांदु, ; इख तलक कि तुमर बान अपण घरवळि  दगड़ लडै झगड़ा तक करदु !
ब्वेन बोलि," यि सौब दुनिया तैं दिखाणौ ढ़ोंग छन।  मि तै भलु माणदु त मि तैं फेसबुक मा Like नि करदो।  तीन साल बिटेन सार लग्युं छौं कि म्यार भीषम मि तैं Like कारल पण दुन्या तैं रोज Like करदो पण मेकुणि वैक Like हर्चीं छन। सी कथगा इ नौन छन रोज अपण ब्वे तैं पिटदा छन , धमकांदा छन पण  फेसबुक पर रोज दस दै अपण ब्वे तै  Like करदन।  इन ह्वाइ 'लौ बाणी' (अच्छा चरित्र ) का नौन !
अब हरेक मा की ख्वाइस होंद कि वींक नौना -नाति -नातण वीं तै फेसबुकम हर दै Like कारन !
पंडि  जी बि फेस बुक की Like की अहमियत पछ्याणि गेन अर अब वो ब्यौ मा सात फ्यारा नि लिवांदन बलकणम अब ब्यौ मा अठौं फेरा लिवांदन।  अठौं फेरा मा ब्योला तैं कसम खाण पुड़द ," अब जब तू मेरी अर्धांगनी बन जायेगी तो मै फेसबुक या अन्य सोसल ग्रुप में सदा हर समय तुझे Like करूंगा। "
फेस बुक की Like अब हमर भाषा मा कथगा इ आण -पखाण , मुहावरा लै गै।  सि परसि घना काका  अर सुंदरि  काकि मा तून लगि गेन।
घना काका -त्वे पर रति भर की बि तमीज नी च।   त्यार सवर देखिक त क्वी बि  त्यार हथन पाणि बि नि प्यालु।
सुंदरि काकि -अरे तुम कुण इ मि फंड धुऴयूँ छौं।  जरा फेस बुक मा जावो त सै त पैल्या कि अमेरिका , रूस , जापान क्या चीन का छ्वारा बि मि तैं प्रेम से Like करणा रौंदन अर दगड़म रसीला कमेंट्स बि भिजणा रौंदन।
फेस बुक की Like अब सामाजिक पद, सामाजिक रूतबा , सोसल स्टेटस कु चिन्ह , सिम्बल बणि गे।
अब नौनि अपण दगड़्याणियुं तैं इन दनकांदन ," तु क्या मेरी बरोबरी करिल ? मीम फेस बुक मा पांच हजार परमानेंट , दस हजार टेम्पोरेरी Like करण वाळ छन। "
अब फेस बुक का Like तुलना करणौ माध्यम ह्वे गे ।
कैं सभा मा कै बड़ आदिमौ परिचय इन दिए जांद ," श्री खुंखार सिंग जी परिचय का मोहताज नि छन।  रोज फेस बुक पर हजारों संख्या मा खुंखार सिंग जी कुण Like आणा रौंदन।  "
अब मृतक तैं श्रधांजलि इन दिए जान्दि ," स्वर्गीय घपरोऴया जीम कार , मकान, चमचौं फ़ौज सब त छैंइ छौ दगड़म ट्वीटर अर फेस बुक पर लाखों Like करंदेर बि छया। 
अब साहित्यौ आलोचना मा इन लिखे जांद , " भीष्म कुकरेती तैं अब आलोचना करण बंद करि दीण चयेंद।   यद्यपि भीष्म कुकरेती न ब्रह्मा नन्द ध्यानी की कवितौं बुरी तरां से आलोचना कार , काट कार पण आलोचना से क्या हूंद ब्रह्मा नन्द ध्यानी का भंडार मा अबि   तलक अड़तालीस हजार Like छन। उना भीष्म कुकरेती ब्रिजेन्द्र सिंह की कवितौं इथगा बडै करदन पण आज तक इथगा सालुं मा ब्रिजेन्द्र सिंह को फेस बुक भंडार मा केवल दस Like इ छन।   "
Like अब एक पुण्य जन धन च।  Like जळण या  इर्ष्या को माध्यम बि बणि गे अर एक अपण दगड़्या क Like से जळिक इन बोदु ," साला घर से नगा है अर अपण फेस बुक का Like संख्या पर इथगा घमंड करुद जन बुल्यां मुकेश अंबानी ह्वालु  ! "
Like शंका बि लांदु।  एक बेटी क मंगतेर  बुबा फेस बुक की Like पर इन बुलुद ," हां छ्वारा तैं फेस बुक मा Like करण वाळ त सैकड़ों छन।  पण क्या सचमुच मा यू नौनु इथगा मयळ होलु ? कखि मेरी बेटि अणभरवस त नि होलु ?"
Like से पैदा हूण वाळ दैन्य , हर्ष , आवेग , विषाद, उग्रता , चिंता , श्रम , उन्माद आदि भावों से अब ब्लड प्रेसर अर हार्ट अटैक की बीमारी बि बढ़णा छन। 
जब कैक फेस बुक मा Like कम ह्वावन तो वो मन मारणो बान अपण मन तैं समजांदु ," फेस बुक का Like माया च , मोह च , मिथ्या च , झूठ च ।  "   
 



Copyright@ Bhishma Kukreti 1/9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

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                                         महेंद्र सिंह धोनी बखरूं हड़ताल से परेशां !

                                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


               जब बखरुन द्याख बल जब बि क्वी धार्मिक नेता बलात्कार प्रयत्न या कुल्टाचार  तहत पुलिस कस्टडी जांद या जेल जांद त वैका च्याला चांठी हड़ताल कौरि दींदन।  जब बखरुंन देखि बल जब क्वी आतंकवादी पकड़े जांद त भारतम सेंसलेस सेक्युलर  अर नॉनसेन्स सेक्युलर पार्ट्यु मा जुद्ध छिड़ जांद अर एकाद जगा दुसर दिन समाचार ऐ जांद बल फलण जगा द्वी गुटुं मा झगड़ा अर उख धारा एक सौ चवालीस लगि गे।
              जब बखरुंन विश्लेषण कार अर पायि कि अयोध्या मा लोगुं तैं राम मन्दिर की याद तबि याद आंद जब चुनाव नजीक ह्वावन अर बकै दिन कृष्ण से काम चल जांद।  जब बखरूंन कश्मीर मसला को विश्लेष्ण कार त पा बल कश्मीर मा जिहाद करणों क्वी एक बि ठोस कारण नी च अर कश्मीर इथगा बड़ु इश्यु नी च कि कश्मीर तैं जिहाद का बान मनुष्य बलि दियाणि छन।  तो बखरुंन बलि का बकरा बणनो मना करि दे।
          बखरुं समज मा ऐ ग्याइ बल क्वी बि धार्मिक अनुष्ठान जैमा पशु बळि  दिए जांद वो इश्वारादेस नी च बलकणम मनिखौं बणयां नियम छन अर बखर समजि गेन कि जनि उत्तराखंड का बामणुन मांश भक्षण तै जायज ठैराणो बान शास्त्रीय श्लोक  की रचना कार अर बुल्दन कि वेदुं मा लिख्युं च बल ,"उत्तराखंडे ब्राम्हणे मांश भक्षते, विंध्याचले मातुल कन्या अप्यते  । " अर ये श्लोक का बल पर  उत्तराखंड का बामण मुंडळी का हकदार बण्या छन तो  इनि  शास्त्र अर भगवान का नाम पर हर धर्म की धर्मपुस्तकों  मा कुछ न कुछ लेखिक 'बखर बली ' जायज ठहराये गे।
                  बस जनि बखरों तैं मनुष्य का आळी -जाळी -स्वार्थी धार्मिक अनुष्ठानो बारा मा तत्व ज्ञान ह्वै बखारोंन हड़ताल कौरि दे अर साफ़ साफ मना करि दे कि "धार्मिक अनुष्ठानो हेतु हम बली का बकरा बनने को कतई भी तैयार नही हैं !" । देखादेखि अठ्वाड़ का ब्याला , घात मा पुज्याणा  मुर्गा, गिगड़ , गड्याळ , बकर ईद मा कट्याण वाळ बल्द बि हड़ताल मा शामिल ह्वे गेन। 
         धरती मा फिर से ऊनि भूचाल ऐ ग्यायि जनि धर्म की लड़ाई हेतु धार्मिक नेताओंन धर्म का नाम पर बच्चों की फ़ौज बणाइ अर लाखों बच्चों तै धर्म युद्ध मा मरवाई। 
  घूस -  भ्रष्ट तरीकों से रुपया कमाओ अर पशु बलि से स्वर्ग पावो का अनुयायी परेशान छया कि अब जब वो पशु बळि नि द्याला त वूं तैं नरक की जगा सोरग कनकै मीलल !
अनाचारी , ब्यभिचारी बि परेशान छा कि इथगा पाप करणों बाद सौंग उपाय छौ कि पशु बळि द्यावो अर पाप हरण कारो। पशु बळि पाप हरता छौ अर अब यी अनाचारी -ब्याभिचारी दुखी छा कि बखरों हड़ताल से यूंका  पाप कनै कट्याल?
आम जनता अर सबि धर्मों का सहिष्णु धार्मिक नेता परेशान नि छ्या बलकणम नया विकल्प की बात करणा छा कि  पशुबळि नि बि ह्वावो तो धर्म रसातल को नि जै सकुद।  आम जनता अर सबि धर्मों का सहिष्णु धार्मिक नेताउं मानण छौ बल धार्मिक अनुष्ठान महत्व पूर्ण नि होंद बलकणम धर्म महत्वपूर्ण होंद।
  पण व्यापारियुं तैं बखरों हड़ताल से चिर्रि पोड़ गे।  गलादारों तैं पशुऊँ हड़ताल से कुजगा मर्च लगि गे कि अरे हमर व्यापार को क्या ह्वाल ?
महेंद्र सिंह धोनी का परिवार वाळ, साक्षी धोनी व खुद महेन्द्र सिंह धोनी तैयार ह्वे गेन कि सिरी या देओरी मन्दिरम बुगठ्य़ा मारणो जगा रोट या परसाद काटल।
पण महेंद्र सिंह धोनी का स्पोंसर आशंकित छा कि कखि महेंद्र सिंह धोनी की पशुबळि नि दीण से धोनी की फॉर्म खराब नि ह्वे जावो अर वूंका महेन्द्र सिंह धोनी पर लगायां अरबों रुपया नि डूबि जावन।  स्पोंसरों डौर से महेन्द्र सिंह धोनी बि परेशां छा।
आम मुस्लिम अर धार्मिक नेता बखरुं हड़ताल से कतै बि परेशान नि छा।
पण बकर-ईद का बकरा ब्यापारी खौफजदा ह्वे गेन बल बकर ईद पर ही तो वो करोड़ों कमांदन अर पशुबळि बंद ह्वे गे तो इ लोग त रस्ता पर ऐ जाला।
 सरकार ये मामला मा तटस्थ ह्वे ग्यायी। 
तो व्यापारियोंन अपण द्वी कारिंदों -एक हिन्दू अर एक मुसलमान कारिन्दा तैं बखर समजाणो भेजिन ।
हिन्दू कारिन्दा तैं क्वी ज्ञान नि छौ कि  गीता मा क्या लिख्युं च।     पण एक ज्ञान छौ कि गीता को स्वार्थ पूरक इस्तेमाल से नरक मिलद। 
 वैन बखरों तैं इन समझाई , " द्याखो बकरा समाज ! मि तुम तैं संयोगिता शास्त्र को तत्वज्ञान की बात बथांदु।  संयोगीता  शाश्त्र मा लिख्युं च बल आत्मा अर  शरीर अलग अलग छन।  तुमारी आत्मा अलग भी होलि तो भी कुछ फर्क नि पोड़ल।  हाँ यदि तुमारी देवतौं बान बली चढ़ाई जालि तो तुम तैं नर्क की आग मा नि भर्च्याण पोड़ल बलकणम  अवश्य ही स्वर्ग मीलल अर स्वर्ग मा तुम तै पड्या पड्या अनाजौ चारा अर मखमली पत्ती खाणौ मीलल।  पीणों सदा ही सरस्वती जल मीलल।  बली का बकरा बणण माने स्वर्ग को टिकेट। "
फिर मुसलमान कारिंदा कि बारी आयि।  वै तै बि पता छौ कि कुरान शरीफ का बेवजह इस्तेमाल कुफ्र हूंद।  तो वैन ब्वाल , " देखो ! इब्ने शफी एक बड़ा जासूसी सक्शियत छौ अर इब्ने सफी को फलसफा छौ बल यदि क्वी जनावर खुदा का वास्ता देह त्यागो तो वै जनावर तैं दोजख की आग मा नि भर्च्याण  पोड़ल अर जन्नत को सुख मीलल अर जन्नत मा सदा ही पवित्र पाणि मीलल। "
फिर वूं दुयुंन बखरूं तै नरक का दर्दनाक, दुखी जीवन से डराई अर स्वर्ग का सुखी जीवन का बारा मा बड़ा बड़ा सब्जबाग दिखाइन ।  दुयुंन सिद्ध करि दे कि पशुबळि से पशुओं तै ही स्वर्ग मिलद अर कै बि हिसाब से नर्क नि मिल्द।
बखर मनुष्यों भकलाण मा ऐ गेन अर वो बि सोरग नरक की फांस मा फंसी गेन अर ऊंन अपणि हड़ताल वापस ले ल्यायि। 
अब सब  बखर बलि का बकरा बणणो बान धार्मिक स्थलों मा लैन लगै खड़ा छन अर नारा लगाणा छन - संयोगीता की जय ! इब्ने सफी की जय !




Copyright@ Bhishma Kukreti 2/9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                      भूतूं ब्यथा-कथा

                     चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
                                                 

एक भूत - वेरी डेड इवनिंग
दुसर भूत -वेरी डेड इवनिंग  टु यूं टू
भूत १- क्या बात त्यार मुक सुज्युं च दिन मा निंद नि आयि ?
भूत २- अरे ये कलजुग मा इ मनिख ना त आफु  चैन मा छन अर ना हि हम भूतुं तैं चैन से सीण दींदन।  त्यार क्या च ! तु त भांगै गोळि खैक फकोरिक से जान्दि त त्वै क्या पता आज दिनम इख श्मशान  पर क्या क्या स्वांग , कना -कना नाटक ह्वेन !
भूत १- अरे भै जब श्मशान स्थल पर बि यि मनिख कुत्ता -बिरळो  तरां लड़दन त इन मा निंद आन्दि नी च त मि भंगुल पेक से जांदु।  अछा बथादि कि आज दिनम क्या ह्वाइ जो त्वै तै निंद नि आयि ?
भूत २ - हूण क्या छौ ! एक बुडड़ि क डेड बौडी आयि त वींक चार नौनु मादे क्वी बि मुंड मुंड्याणो तयार नि छौ
भूत १- किलै क्वी बि अपण ब्वे कुण मुंड्याणो तैयार नि ह्वे ?
भूत २ - अरे हरेक बुलणु कि मीन ब्वे पर सबि भायुं से जादा खर्च कार त मि किलै मुंड्यौ ? हरेकक अपण ब्वे पर कर्युं खर्चाक बही खाता लेक आयुं  छौ।    पट्ठोंन एक सर दर्द की गोळि क बि हिसाब लिख्युं छौ। चार घंटा तलक मुर्दा बिचारि घाम मा सुखणु राइ , इख तलक कि  जादा से जादा मड्वै  मुर्दा तैं बगैर लखड़ दियां वापस चलि गे छा पण यूं चार भायुं झगड़ा नि निपट। 
 भूत १- फिर क्वी नि मुंड्याइ? बिचरि ! बरखी  बाद हमर  दगड़ भूतुं गाणी मा ऐइ  जालि !
भूत २ - ना फिर ऊंन अपण मुंडीतौ एक गरीब तै पैसा  देक  पटाई अर फिर वो वीं बुडड़ि कुण मुंड्याइ   अर वी ध्याड़ी (दैनिक वेतन ) हिसाब से क्रिया मा बि बैठल।   
भूत १- अब बथावो ध्याड़ि (दैनिक भत्ता ) पर मृतक  -क्रिया मा भुर्त्यौ बैठणो दिन बि ऐ गेन। या त एक मुर्दा बात ह्वे त तू बुनु छौ सरा दिन भर काईं काईं हूणु राई ?
भूत २ -हाँ एक हैंक मुर्दा आइ  त वु पुरुष मुर्दा तीन घंटा तलक घाम मा सुकणु राइ अर तीन भाई लड़णा रैन। इख तलक कि तिन्युं मा हाथा -पाई बि होइ।  पुलिस आयि त तौंकि हाथापाइ -मारामारी बंद ह्वे।   
भूत १- कनो क्वी बि नौनु अपण बुबाकुण मुंडेणौ तयार नि ह्वाइ ? क्या तौं तैं मृतक-क्रिया मा बैठणौ भुर्त्या नि मील ? 
भूत २ -नै रे नै ! हरेक नौनु चाणो छौ कि वु बुबाक बान मुंड्यावो अर केवल अर केवल वु इ मृतक क्रिया मा बैठो ! 
भूत १- वाह ! क्या आज ये कलजुग मा इन बुबा प्रेमी पुत्र पैदा हूणा छन ?
भूत २ -ना रै ! बुबा प्रेमौ बान वो नि मुंड्याण चाणा छा।  बलकणम बात कुछ हौरि छे।   
भूत १- क्या ?
भूत २ -वो क्या च ! बुड्या मोरद दै बोलि ग्यायि कि जु पुत्र वैक बान मुंड्याल अर मृतक -क्रिया मा बैठल वै नौनु तैं फ़्लैट को अतिरिक्त स्टोर रूम मीलल ! 
भूत १- औ त स्टोर रूमौ बान सबि भाइ बुबाकुण मुंड्याण चाणा  छा अर मृतक -क्रिया मा बैठण चाणा छा।   
भूत २ -हाँ ! निथर क्वा च अचकाल जो ब्वे बुबौं बान मुंड्याणु ?
भूत १- फिर कु मुंड्याई ? कैन लगाइ चिता पर आग ?
भूत २ -कैन बि ना !
भूत १- त ?
भूत २ -त क्या जब तिन्युं मा मारामारी -हाथापाई ह्वे अर पलिस आयि त पुलिस केस बणी गे अर अब केस न्यायालय मा चलि गे कि स्टोर रूम कै तैं मीलल।
भूत १- अरे पण चिता पर आग कैन लगाइ ?
भूत २ -कैन लगाण छौ ? पुलिस का एक सिपाहीन चिता पर आग लगाई अर क्या ?
भूत १- हाँ ! हम भूतुं मा एक आण (मुहावरा ) च बल -भायुं  झगड़ा मा पंच  कुखड़ खावन  अर परधान बुगठ्या  !
भूत २ - हाँ
भूत ३- वेरी डेड इवनिंग टु आल ! अरे यूं मनिखों क क्या ह्वाल ?
भूत १- औ त बिजि गेवां ?
भूत ३- अरे बिजिक बि क्या फैदा ? वो हमन सोचि छ्यायि कि चूंकि यु श्मशान हम लैक नि रै ग्यायि त हम अब शहरी श्मशान छोड़ि ग्रामीण श्मशान मा  डाळळा।  वांक क्या ह्वाइ ?
भूत २- हाँ यार जथगा जळदि ह्वावो हम तै शहर छोड़ी   ग्रामीण श्मशान चलि जाण चयेंद !

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कल पढिये कि भूत शहरी श्मशान छोड़ ग्रामीण श्मशान क्यों जा रहे हैं ?

Copyright@ Bhishma Kukreti 3/9/2013



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Bhishma Kukreti

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 सचिन तेंदुलकर रिटायर ह्वालु कि ना ?
                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
 
  मि मि मुंबई बिटेन ड्यार जाण वाळ छौ त स्वाच प्रवासी भै बन्धुं तैं बथै द्यूं कि ऊंक गाँ मा कुछ काम ह्वाउ त करै द्योलु।
मीन अमेरिका मा डा विनोद  भैजि कुण फोन कार ," भैजि मि ड्यार जाणु छौं. गाँ मा तुमर पिता जी अस्सी सालौ ह्वे गेन अर अबि बि ग्राम प्रधान छन।  तुमर बि इच्छा छे कि अब बाडौ आराम करणा दिन छन।  तो क्या बाडा  तै पूछुं कि वो कब रिटायर होला ?"
डा विनोद  भैजिन जबाब दीणो जगा सवाल इ करि  दे ," सूण अचकाल मि समाचार सुणणु छौं बल सचिन 200 वां टेस्ट खेलिक रिटायर हूणु च ! जरा अपण सोर्सुं से पता त लगा सचिन सचमुच मा रिटायर हूणु च ?"
मि विनोद  दादाम  गांक बारा मा बोलुं त विनोद  भैजि विषय पल्टी कौरि सचिन पर विषय लै जावु।  बस मीन फोन काटी दे।
 मीन ऑस्ट्रेलिया मा गजेन्द्र काका कुण फोन कार ," गजे काका ! मि ड्यार जाणु छौं अर गां मा  तुमर भतिजु सुरेंदर अल्कौहलिक ह्वै ग्यायि। त क्या वै तैं रिहैबिलेसनक बान देहरादून ली जौं ?"
गजेन्द्र काकन पूछ , " छोड़ रै सुरेन्द्र की छ्वीं।  सुरेन्द्र का बारा मा बौ तै पूछि लेन।  तु जरा  बथादि कि सचिन रिटायरमेंट का बाद खूब छक्कैक दारु प्यालु या अफु पर कंट्रोल कारल  करदो ?"
मीन बि  बात कौरिक फिर फोन काटि दे।
प्रभात जब परार संजैत  नागराजा पुजैम गां ऐ छौ त गां मा एक आइ टी आइ का तर्ज पर  टेक्नीकल स्कूल खुलणो बान बड़ो उत्साहित छौ . मीन जापान प्रभात कुण फोन लगाइ," हे प्रभात !मि गां जाणु छौं।  अर मीन गां मा टेक्नीकल स्कूल खुलणौ प्रोजेक्ट रिपोर्ट बि बणै याल।  तीन मैना पैल त्वेकुण प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजि छे।  क्या ह्वाइ तीन अपण टिप्पणी नि दे ? क्या मि गां जैक सरकारौ दगड़ चिट्ठी पतरी चलौं ?"
प्रभात कु  जबाब छौ ," इथगा बि क्या जल्दी च।  खुलि त जाल टेक्नीकल स्कूल।  हाँ ! एक बात बथावदि कि क्या सचिन रिटायरमेंट का बाद ग्रेजुएसन पूर कारल कि ना ? या ऊनि ?"
प्रभातौ बान  गाँ मा टेक्नीकल स्कूल से जादा महत्वपूर्ण सचिन तेंदुलकरौ ग्रेजुएसन की डिग्री छे।
मीन दिल्ली मा प्रोफेसर डा हेमंतs काका  कुण फोन लगाइ।  डा हेमंत हिंदी को बड़ो कवि च।  सात आठ साल पैल गां मा वैक कूड़ उजड़ी गे छौ।  परार र जब संजैत नागराजा पूजा मा हेमंत काका ऐ छौ त कसम खैक गे छौ कि जल्दी  कूड़ की मरम्मत कारल।
मीन फोन मा ब्वा," हेमंत काका ! मि ड्यार जाणु छौं।  त उख गां मा त्यार कूड़ छंवाणौ ओडूँ   दगड़ बात कौरुं क्या ?"
हेमंत काकान बोलि," नै यार ये साल त कूड़ छाणो  बजेट नी  च।  ये साल हम सबि परिवार वाळ भारत का पुरात्व भवनों तै दिखणौ जाणा छां।  देख पुरात्व भवनों दिखणो जौंला अर वांक बान टिकेट ल्योला त हमारी संस्कृति का प्रतीकुं मरम्मत का वास्ता  खूब पैसा कट्ठा हूंद रालो ।  अच्छा सूण हम जब मुंबई औंला तो  सचिन तेंदुलकरौ बंगला दिखाणौ जिमा त्यार च हां ! पण तैबरी तक त सचिन तेंदुलकर रिटायर बि ह्वे जालु।  सची न्यूज च क्या ?"
हेमंत काका पुरात्व भवनों मरम्मत का बारा मा , सचिन तेंदुलकर का बंगलो बान चिंतित च पण अपण उजड्युं कूड़ो बान गैरफिकर च।
मीन संगति जै कुण बि फोन कार त सबि सचिन तेंदुलकर का रिटायरमेंट का बारा मा चिंतित दिखेन क्वी बि गां का बारा मा चिंतित नि छौ।
आखिरै मीन हुस्यर ददा कुण फोन लगाइ। जातिक ल्वार हुस्यर ददा अर   मि हमउमर छंवां। हुस्यर ददा खरी खोटि बात करणों बान फेडु नाम से प्रसिद्ध च।  अजकाल हुस्यर ददा लुधियाना रौंद।  हुस्यर ददा बुलण च शिल्पकारुं तै अगर बिठ  (सवर्ण ) बणण त उख बसण चयांद जख क्वी बि अपण गां वाळ नि ह्वावन।  अर हुस्यर ददाक बुलण च बल मैदान मा ऐक कै बि शिल्पकार तैं गढ़वाळी मा नि बचऴयाण चयेंद।  निथर सवर्ण गढ़वाली लोग शिल्पकारों  तै मैदान मा बि याद दिलान्दन कि वो शिल्पकार छन। 
मीन हुस्यर ददा तैं फोन कार ," हुस्यर ददा ! मि जै तै बि फोन करणु छौं वु मुख्य बात छोड़ि सचिन तेंदुलकर का रिटायरमेंट की छ्वीं पर ऐ   जांदु ?"
हुस्यर ददा न बोलि ," बेटा ! जब भी मनुष्य किसी ना सुलझने वाली समस्या से सामना करता  तो वह समस्या से दूर भागता है और पलायनवादी प्रश्नों या बेकार की समस्याओं के बारे में सोचता है। तूने  गाँव वालों को उन समस्याओं के बारे में पूछा जो वै  सुलझा नही सकते हैं तो फिर वे सचिन तेंदुलकर कब रिटायर होगा जैसे उलजलूल प्रश्नों को पूछकर मुख्य समस्याओं से दूर भागना चाहते हैं। "
हुस्यर ददा कि अभिलाषा छे कि गां मा एक संजैत कूड़ बणये जावो जख एक कमरा मा गांकी पुराणि  प्रतीक जन डिबल, कील -ज्यूड़,घण्यस , पथर अर काठौ पयळ , दौंळी - घांडी, माण - पाथो ,पल्ल आदि संग्रहीत करिक धरे जावन कि हमारी कला की समळौण बचीं रावो।
मि हुस्यर ददा तैं संजैत संग्राहलय बाराम पुछणि वाळ छौ बल संग्राहलय को क्या ह्वाल कि वां से पैलि हुस्यर ददान पूछ , " अरे भीषम ! तू तो मुंबई में रहता है तो तुझे पता होगा कि सचिन तेंदुलकर के विभिन्न बल्ले , गेंदों, जूतों , पैड्स आदि का म्यूजियम बन रहा है।  वह  तेंदुलकर म्यूजियम तेरे घर से कितना दूर   बन रहा है ?"



Copyright@ Bhishma Kukreti 4/9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

 

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