Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360210 times)

Bhishma Kukreti

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                                     जरा सभ्य गाळि सिखे जावो !

                               चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 जब बिटेन उत्तराखंड मा पंचायत चुनावो छ्वीं लगण  शुरू ह्वेन तैबरि बिटेन मि पोलिटिकल कंसल्टैंट बि ह्वे ग्यों।  रोज क्वी ना क्वी पोलिटिकल सलाह मांगणकण ड्यार बिटेन फोन करणु रौंद अर करणि रौंदि।
अब सि परसि म्यार  स्कूलौ दगड्या बलबीरौ   भैजी  दलबीर भैजि फोन आयि बल ," यार भीषम ! तू अफु तैं गढ़वालीs बड़ो साहित्यकार बुल्दी पण ये गां तैं क्या फैदा ?"
मीन ब्वाल ," कनो अचाणचक गां तैं गढ़वळि  साहित्यकारौ क्या जरुरत पोड़ि गे ?"
दलबीर भैजिन ब्वाल ," अब तू तो जाणदि छे मि ग्राम प्रधान क्या बौण कि तै दिन बिटेन म्यार ख़ास भुला बलबीर पर बि प्रधान बणणो भूत -खबेस लगि गे अर ऊ बि ग्राम प्रधानौ बान खड़ हूणु च ?"
मीन पूछ , " त क्या बोट दीणो ड्यार आण ?"
दलबीर भैजि उत्तर छौ ," नै नै ! अबि इथगा कंगाली बि नि आयि कि प्रवास्यूं बोटुं  जरुरत पोड़ि जावो।  अर  तीन बोट त बलबीर तैं दीण।  बलबीर त्यार क्लासफेलो जि छौ। "
मीन पूछ , "तो चुनाव बान गढ़वळि  साहित्यकार की  जरूरत कखम पोड़ि गे?"
दलबीर भैजिन जबाब दे ," अरे जरा कुछ गाळि चयाणा छन ?"
मीन चकरैक ब्वाल ," भैजि पैल जब तलक बडा  जी बच्यां छा तब तलक गां इ ना सरा अडगैं (क्षेत्र )मा वूं से कैड़ि अर बुरि गाळि दीण वाळ क्वी नि छौ अर अब मीन सूण सरा ब्लॉक मा तुम से बड़ो गाळिदिवा क्वी नी च त फिर बि तुम तै गाळि चयाणा  छन ?"
दलबीर भैजि ," अरे उन सि बात हूंदी त मि सालों  "……" नि" …" । मि वै बलबीर की ……बि …  पण जरा बात ही कुछ हौर च।. " (यी गाळि लिखे नि सकेंदन )
मीन पूछ ," कनो ? क्या बात ह्वे ग्यायि ? क्या तुमर पीठि भाइ बलबीर तुम से बड़ो गाळिदिवा ह्वे ग्यायि क्या "
दलबीर भैजि , " नै नै ! वु अपण ब्वैक मैसु क्या गाळि द्यालो।  गाळि दीणम त मीन अपण बुबा की बि  …… ?
मीन ब्वाल ," त अंगरेजी मा गाळियुं शब्द चयाणा छन ?"
दलबीर भैजि , " नै रे ! अंग्रेज क्या गाळि द्याला जु मि दे सकुद !"
मि ," त पंजाबी  गाऴयुं जरुरत च ?"
दलबीर भैजि , " ओहो ! पंजाबी मीमांगन गाळि सिखणो आंदन अर तू पंजाबी गाळयुं छ्वीं लगाणु छे ?"
मि ," कबि मि गढ़वाली गाळि शब्दकोश छपौल त तुम से ही सौब गाळि संकलन करलु। तो फिर तुम तै कना गाळि चयाणा छन ? "
दलबीर भैजि ," अरे भै वुन गाळि चयाणा छन जौं गाळयुं तैं सज्जन , सभ्य , साधु , सरीफ , शांत , सुसंस्कृत , भद्र, प्रेरणा स्रोत्र लोग प्रयोग करदन। "
मि ," भैजि ! सज्जन , साधु , सभ्य , सरीफ , शांत , भद्र, सुसंस्कृत , संस्कारी , संवेदनशील , सभ्रांत , प्रेरणा दींदेर लोग सुपिन मा बि गाळि नि दींदन।  "
दलबीर भैजि ," क्या गधा जन बात करणु छे? "
मि ," हाँ यदि सज्जन , साधु , सरीफ , शांत , सभ्य , भद्र, सुसंस्कृत , संस्कारी ,  प्रेरणा दींदेर गाळि द्यावो तो वो सज्जन , साधु , सरीफ , शांत , भद्र, सुसंस्कृत , संस्कारी , संवेदनशील , सभ्रांत , प्रेरणा दींदेर ह्वेइ नि सकुद। "
दलबीर भैजि ," समिज ग्यों ! समिज ग्यों ! तू बलबीरौ दगड्या छे त मि तैं सभ्य , संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्याययुक्त  गाळि नि सिखाण  चाणु छे। "
गुस्सा मा दलबीर भैजिन फोन काटि दे।
आज बलबीरौ फोन आयी अर गुस्सा मा बुलण बिस्यायि , "क्या रै भीषम ! उन त तू बुल्दु बल मी त्यार दगड्या छे।  पण तीन म्यार भैजि तैं सभ्य , संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्यायपूर्ण  गाळि किलै सिखैन ?"
मीन पूछ , " कनो क्या ह्वाइ ?"
बलबीरन जबाब दे , " अरे म्यार भैजि (दलबीर )  पैल मि तैं माँ -बैण्युं  गाळि दींदा छा।  अर ब्याळि बुलणा छा कि बलबीर सांप है , मौत का  सौदागर है , दानव है , राक्षस है , हत्यारा है , भस्मासुर है। "
मीन ब्वाल , ' ब्वेक सौं छन मीन दलबीर भैजि तै सभ्य , सुसंस्कृत गाळि नि सिखैन। "
बलबीर ," वो त भैजिन दिल्ली मा कै कॉंग्रेसी से यी सभ्य , सुसंस्कृत गाळि सीखि होला।  मी बि फोन कौरिक दिल्ली का कै भारतीय जनता पार्टी वाळ से संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्यायपूर्ण  गाळि सीखि लींदु। "
बलबीरौ फोन कट कि गां बिटेन मेरी मौसी फोन ऐ गे ," ये भीषम ! मि अपण जिठा जीक विरोध मा प्रधानौ चुनाव लड़णु छौं। जरा कुछ सुसंस्कृत , सभ्य गाळि शब्द सुझादि। "
मि ," मौसी ! चुनाव मा जनता की समस्याओं पर बहस हूंदी अर तू गाळि शब्द खुज्याणि छे ?"
मौसी जबाब छौ ," अब जब प्रधान मंत्री प्रत्यास्यायी , बड़ा बड़ा मंत्री जनसमस्यों  छोड़िक खुलेआम अपण विरोधयुन तै सभ्य -असभ्य गाळि द्याला त हमन बि यूं देश का कर्णाधारों पद चिन्ह पर चौलिक अपण विरोध्युं तै  गाळि ही दीण कि ना ? "
मीन जबाब दे , " ठीक च एकाद दिनम सभ्य गाळि सीखिक फोन करुद। "
मौसिन ब्वाल ," तू रण दि इथगा देर मा त जिठा जी मि तै कुज्य़ाण  कथगा गाळिदे द्याल धौं।  मी दिल्ली मा कै बडु  राष्ट्रीय नेता तै फोन कौरिक गाळि सीखि ल्योलु।"
मौसिन फट से फोन काटि दे।  अर मेरि समज मा नि आणु कि यी भारतम क्या होणु च?   देस की समस्याओं समाधान की जगा नेता लोग गाळि दीणा छन या गाळि सिखणा छन।


Copyright@ Bhishma Kukreti  10 /11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                                पांच बरसौ स्कुल्या नौनु नीलामी

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

   स्थान आम पुंगड़ , एक हऴया हौळ लगाणु च।  "रा रा ! अरे अन्वैक  .... अबि तीन मौक पुंगड़ बाण  ....  ले ले  … बौड़ जा  …बौड़ जा ।
 
पुंगड़ मथि एक आम रस्ता मा तीन आदिम अर एक बुडड़ि लाठि टेकिक कुकड़ि हिटणि।
तौळ बिटेन हऴया धै लगैक - क्या  हे भाना काका ! आज सबि इन जाणा छंवां जन बुल्यां कै खौळ -म्याळा मा जाणा छंवां ! अर हे भुभना दादि कख छे यीं उमर मा रक् रक कौरिक हिटणी।  क्या अफिक छे कुंडम फुकेणि जाणि।
बुडड़ि -चुप रै तू फेडु।   कुंडम जालि त तेरि ब्वे जालि ज्वा में से उमर मा बड़ी   च।
हऴया- हे काका ! दौड़ कखाकि ?
भाना - अरे उ आज पार गां राजेन्द्रs पांच सालौ नौनु नीलामी च त हम सबि नीलामि दिखणौ जाणा छंवां।  पोरु साल हमर मुंडीतम बरजात छे त दादी गिंदी म्याळा अर बिखोति कौथिक  नि जै साक त हमन स्वाच ददि तैं नीलामी इ दिखाये जावु।
हऴया ( बळद  खुलद , खुलद ) - हैं ये क्षेत्र मा नीलामी हूणि च अर कै हराम का बच्चान मीमा नि ब्वाल?
भाना - हैं ! सरा अडगै (क्षेत्र ) मा  फैलीं च अर त्यार गांवक लोग बि नीलामी दिखणौ आणा छन ।
हऴया-ल्या तुम एक सोड़ तमाखु खावो . सरा क्षेत्र मा मीम ही तुम तैं हुक्का तमाखु पीणो मीलल।  मी बि तुमर इ दगड़ आन्दु !
एक हैंक मनिख - ह्यां हे हऴया भैजि ! तू नीलामी दिखणो ऐलि त बल्दुं क्या ह्वाल ? कखि स्यूं ! बाघ   … ?
हऴया- अरे बल्द खुड़ -खुड़  अफिक सीधा सनिम /गौशलाम चलि जाला। बच्चों  नीलामी रोज रोज थुका दिखणो मिल्दि
(हऴया बल्द खोलिक , हौळ -ज्यू ऊनि सीं पर रण दींदु अर बळदुं तैं रस्ता लगैक बुल्दु - जा हाँ सीधा छनिम जैन हां ! )
हऴया- हे  काका ! कथगा लोग स्कुल्या नौनु नीलामी दिखणा आणा होला ?
भाना - पोरु साल पल्ली अडगैं (क्षेत्र ) मा नीलामी ह्वे छे त सौएक लोग नीलामी दिखणा ऐ छा।  हमर अडगैं (क्षेत्र ) मा पैल बार स्कुल्या नौनु नीलामी हूणि च त चार पट्टीयुं से कम से कम डेढ़ सौ लोग त आला ही।
हऴया- त यांक मतबल च बजार लगल ?
परमा - हाँ ! दुकानदार अपण दूकान लेकि आला।
हऴया- चाउ -माउ -जलेबी बि ? शराब बि बिचे जालि ?
परमा - हाँ सबि कुछुं दूकान लगलि भै।
हऴया- ठीक च हे भाना काका पांच  सौ रुप्या देदी।  जरा कुछ शराबै बोतल खरीद लींदु।    मी त्यार पुंगड़ बाणो भ्वाळ इ आदु
(भाना खुसी -खुसी हऴया तैं पांच  सौ रुप्या दींदो )
 सूत्रधार - हाँ तो आपन बि पुछण कि या स्कुल्या नौनु नीलामी क्या च ? चूंकि गांव का गांव ख़ाली ह्वेगेन त स्कूलम द्वी मास्टर  एक छात्र तैं पढ़ाणा छन मतबल बौगाणा छन।  अर अब गां का गरीब से गरीब परिवार बि अपण बच्चों तैं ऋषिकेश या कोटद्वार अंग्रेजी स्कूलम भर्ती करांदु त भौत सि प्राइमरी स्कूल छात्र नि हूण से बंद ह्वे गेन।  भौत सि जगा मास्टर छन अर छात्र नि छन अर मास्टर/मास्टर्यांण    अपण बदली नि चांद तो वो कखि बिटेन बि एक छात्र को जुगाड़ करदो या करदी जां से स्कूल चलणि रावो।  पैल नौन्याळु ब्वे -बाब  मास्टरुं  तैं नाळि  -डड्वार दींदा  छा अब मास्टर/मास्टर्यांणि    नौनु -नौनि क ब्वे बाबुं तैं मावरी फीस दीन्दन . पोरु साल पल्ली पट्टी मा एक नौनि  जनि पांच सालौ ह्वे त वैकि नीलामी ह्वे छे।  सात स्कूलुँ से मास्टर बोलि लगाणा ऐन।  बच्ची  साढ़े तीन हजार प्रति महीना मा एक मास्टर्याणि  नीलामी मा खरीद।  बकै छै स्कूल छात्र नि हूणों कारण बंद ह्वे गेन ऊँ इस्कूलुँ मास्टर /मास्टर्याण्यूं बदली  दूर ह्वे ग्यायि।  जैन साढ़े तीन हजार प्रति माह मा नीलामी जीत वो मजा से अपण ड्यारम बैठिक तनखा खाणु च।  क्या पूछ तुमन ? बच्ची  की पढाई लिखाई को क्या ह्वाल ? कनो जख एक छात्र अर एक मास्टर ह्वालु उख पढ़ाई -लिखाई की छ्वीं लगाण एक मूर्खतापूर्ण छ्वीं ही होलि कि ना  ?
ल्या ! चलो द्याखो कि एक पांच बरसौ बच्चा की नीलामी कन हूंदी।  सी द्याखो ! पंचैत घर का चौक मा पांच साल का बच्चा की नीलामी हूणी च।  इन लगणु च जन बुल्यां क्वी खौळ -म्याळा -कौथिग जुड्यु  ह्वावो धौं। दुकान  बि लगीं छन लोग रंगीन कपड़ा पैरिक कौथिग का परमानंद लीणा छन।  हाँ  एक जागरीन घड्यळ बि धर्युं च अर दूर दुसर क्षेत्र से औजी बि अयाँ छन।  नीलामी खतम हूण पर पंडों   नाच बि नचे जालो।  ये ल्या दुसर मुलक से बादी बादण बि अईं छन।  शराब बि बिकणि च।  बुगठ्या शिकार बि बिकणि च।   माहौल माँ खुसी ही खुसी च।   शिक्षा की ऐसी तैसी  हूणी च त खुसी मा त्यौहार त होलु ही।   ये ल्या जरा नीलामी त द्याखो।   प्रधान जीक देख रेख मा नीलामी हूणि च।  ल्या द्याखो पांच साल का बच्चा की नीलामी शुरू ह्वे गयाइ। बीस स्कूल से मास्टर अयाँ छन।  याने बीस स्कुलुँम एक बि छात्र नि छन।  अब जु मास्टर/मास्टर्याणि  नीलामी जीतल बस वोही स्कुल आबाद रालो बकै उनीस स्कूल छात्र नि हूणो कारण बंद ह्वे जाल। ल्या द्याखो नीलामी का अभिनव , आनंददायक दृश्य -
ग्राम प्रधान -   बच्चा का खाण पीण को इंतजाम की जुमेवारी बि शिक्षक या शिक्षिका की ही होली।  दिवळि -बग्वळि मा एक मैना बोनस बि दीण पोड़ल। साल भरक पैसा एडवांस मा बच्चा का बाप ले ल्यालो।    पांच हजार रुपया प्रति माह से बोली शुरू होलि।
एक शिक्षिका-छै हजार
हैंक शिक्षिका - सात हजार
एक मास्टर -साढ़े सात हजार
……
एक मास्टर नरेंद्र -बारा हजार पांच सौ रूप्या !
कुछ देर बाद ग्राम प्रधान - नरेंद्र मास्टरन साढ़े बारा हजार प्रति माह की बोलि लगै याल।  साढ़े बारा हजार रुपया प्रति माह एक ……। साढ़े बारा  हजार  द्वी  ……।
सुमति मास्टर्याण -  साढ़े बारा हजार रुपया प्रति माह अर द्वी बोतल थ्री ऐक्स  रम प्रति माह अलग से दगड़म इकै व्हिस्की की बोतल रखड़ी , दिवळि , होळि मा।
बच्चा का बाप - बस बस ! नीलामी बंद कारो।  म्यार बच्चा सुमति मास्टर्याणि क स्कूलम हि जालु।
प्रधान - ठीक च बच्चा सुमति मास्टर्याणि क स्कूलम हि जालु।  यदि  सुमति मास्टर्याणि तीन दिनम साल भर का एडवांस दे द्याली त बच्चा सुमति मास्टर्याणि क स्कूलम हि जालु। अर यदि तीन दिनम सुमिति पैसा नि भौरली त बच्चा नरेंद्र मास्टरक स्कूलम भर्ती ह्वालो।
  सुमति मास्टर्याण - एक लाख पचास हजार रुपया अबि ले ल्यावो।  (अपण पति तैं धै लगैक ) लावो तौं पैसा अर छै थ्री ऐक्स रम की बोतल बि बच्चा क बुबा जी तै अबि सौंप द्यावो।
नरेंद्र मास्टर - यह बईमानी है।  एक शिक्षिका शराब की बोतल से नीलामी जितणी च जब कि नीलामी से पैल शराब की शर्त नि छे।
प्रधान -नरेंद्र सूण ! अपण परिवारौ झगड़ा इकम नि ला।  सुमति मास्टर्याण की !
जनता - जय हो !
प्रधान -सुमति मास्टर्याण की!
जनता -जय हो ! जय हो !
सूत्रधार - चलो अब जरा कौथिग का मजा लिए जावो !


Copyright@ Bhishma Kukreti  12 /11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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गढ़वाळम  शिक्षा मा बनि बनिक चुनौती

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 गढ़वाळम शिक्षा मुतालिक   भौत सि चुनौती छन।
 परसि   एक हाई स्कुल्या  विद्यार्थिन छात्रों की चुनौतियां पर इन निबंध  ल्याख -
                    यों तो भारत कभी अन्वेषणों देस थौ पण अब घनघोर नकलच्यूं  देस ह्वे ग्ये।
                 उन त हमर स्कूलम छात्रों , स्कूल प्रबंधक सदस्यों अर अभिभावकुं अथक अर भारी सार्थक दबाब का वजै से खुले आम नकल की सम्पूर्ण आजादी च।  पण नकल से बि हम छात्रुं समिण भौत सि समस्या अर चुनौती ऐ  गेन।  चूंकि सबि एकि किस्मै किताब से  इमतानम  हम नकल करदां त मास्टर बि सब्युं तैं सौ मांगन नब्बे नब्बे नंबर दे दीन्दन। अब इन मा हम स्कूल्यों तैं पता इ नि चलद कि कु छात्र अब्बल च अर कु फिस्सडि च।
              चूंकि खुले आम नकल कौरिक पास हूण अब शिक्षा संस्कृति बणि गे अर छात्रुंन पढ़न -लिखण बंद करि दे त मास्टर लोग  अचकाल जासूसी उपन्यास पढ़िक या गारि खेलिक अपण टैम पास करदन पण गौ बुरि चीज च जु इ मास्टर  छात्रुं तैं सही ढंग से नकल करण सिखावन धौं।  यां पर मास्टर लोग बुल्दन बल नकल सिखाण सिलेबस मा नी च। पोरु साल इमतान मा  एक निबंध  आइ कि 'गणतन्त्र दिवस ' पर निबंध ल्याखो त हम सब्युंन पन्दरा अगस्त पर निबंध लेखी दे अर सबि छात्र इकदड़ि फेल ह्वे गेन।  पर्चा बणाण वाळ तैं एक्सप्लेन करण चयेंद छौ कि गणतंत्र दिवस कै दिन आंद।  पर्चा बणाण वाळु तैं ध्यान दीण चयेंद कि नकलची शिक्षा संस्कृति मा कन तरां का सवाल पुछण चएंदन ! चूंकि अब पढण  अर पढ़ाण प्रागैतिहासिक बात छन त क्लास मा सीणै बड़ी तकलीफ च , बेंच मा सीणम मुंड पटै जांद . हमन प्रिंसिपल साब से कथगा इ प्रार्थना कार कि हम तै ड्यार बिटेन सिरवणि  -दिसाण लाण दयावो त प्रिंसिपल साबन ब्वाल बल स्कूल नियम संदर्भ  BKBAS EDUCATION, संख्या 420 ,   डेटेड दिसंबर 1859   का तहत क्लास मा गद्दा -दिसाण -सिरवणि  नि लाये सक्यांद।  छात्रों समिण क्लास मा खासकर बरसात मा सुख की सुनिंद लीण एक बड़ी चुनौती च।
               मास्टर अलग रुंदन।  ऊंक समणि बि कथगा इ चुनौती छन।
ब्याळि कुछ  मास्टर छ्वीं लगाणा छया।
एक मास्टर - यार साला ! मि चाणु छौ अपण बदली अपण क्षेत्र मा करै द्यूं पण साला  ट्रांसफर का रेट बि असमान  चली गेन। हमन भाजापा सरकार तैं इलै हराइ थौ कि कॉंग्रेस का राजम ट्रांसफर रेट कम होला।  पण जु भाजापा का बगत ट्रांसफर रेट द्वी लाख छा अब सीधा पांच लाक ह्वे गे।  ट्रांसफर कराण अर रुकवाण बड़ी चुनौती ह्वे गयाइ।
हैंक  मास्टर - भै बिचारा विजय बहुगुणा तैं अपण बैणि रीता बहुगुणा जोशीक बि त ख़याल रखण पोड़ल कि ना ? त कुछ हिस्सा इलाहाबाद -लखनऊ त जालो कि ना ?
तिसर मास्टर - यार में से त बड़ी गलती ह्वे गे।  क्या सुन्दर मि ऋषिकेश  म्युनिस्पैलिटी मा चपड़सी लगि गे छौ कि म्यार सवर्गीय बुबा जीक बि औड़ राइ अर मि इख गां मा मास्टर बौण ग्यों। वाइफ दूर स्कूलम मास्ट्रयाणि च।   अब म्यार बच्चा उख ऋषिकेश अंग्रेजी स्कूलम भर्ती हुंयां छन त ब्वे ऊंक दगड़ रौंदि।  भुला अर वैक घरवळि  बि अलग अलग जगा नौकरी करदन अर बच्चौं तैं  देहरादून कॉन्वेंट स्कूलम भर्ती कराण वाळ च अर बुलणु च कि ब्वे वैक बच्चों दगड़ ब्वे ही रालि। समझ मा नि आणु कि क्या करे जावु !
पैल मास्टर - हाँ भै हम गढ़वाल का गांवुं  मास्टरुं कुण बच्चों शिक्षा एक बड़ी चुनौती च।  इख गाउँ मा एज्युकेसनौ स्टैंडर्ड जीरो  च। दिनों दिन एज्युकेशन कु स्टैंडर्ड गिरणु इ च।   त हम तैं बच्चा देहरादून, कोटद्वार  या ऋषिकेश भिजण  पड़णा छन।  पता नि या सरकार कब शिक्षा स्तर बढ़ाली धौं।
दुसर मास्टर - मि तै त नि लगद कि सरकार एज्युकेसनौ स्टैंडर्ड बढाणो बान  सीरियस च । 
एक मास्टर - अच्छा ! आज रातौ क्या प्रोग्राम च ?
दुसर मास्टर - इखमा प्रोग्राम का बारा मा चिंतित हूणै जरुरत क्या च।  बुबा बोलिक प्रिंसिपल दारु बि पिलाल अर कछबोळि बि खलाल!
हैंक मास्टर - हाँ साला तैं हमन झूठी गवाही देक लड़की छेड़णो  केस से जि बचाइ।  पण साला  प्रिंसिपल छ बि नारायण दत्त तिवाड़ीक च्याला हाँ ! कख ग्याइ नौनि छेड़णो ? दूर भाभर हैं ?
पैल मास्टर -हाँ उ त हमन गवाही दे दे कि प्रिंसिपल साब वैदिन स्कूलम कक्षा दस तैं क्रॉस फर्टिलाइजेसन पड़ाणा छया त बची ग्याइ ।
xx                                        xx
अभुभावकुंक समणि बि बड़ी चुनौती छन
एक अभिभावकन अपण छुटु भुलाकंण चिट्ठी ल्याख -
            उन त इक सौणा ( नौनु) की  फेल हूणो डौर नी  च।  नकल से सबि पास ह्वे जांदन।  पण परेशानी तब हूंदी जब एकी छुट्टी रौंदि।  पैलाक सि जमानो त रै नि ग्याई जब हमर जिमदारु रौंद छौ त ब्वे -बाब इन्तजार करदा छ कि नौनु -नौनीक  स्कूल से छुट्टी ह्वावु त हौळ , गोर मा जाण, पगार लगाण , धांण - निरै - गुडै, पाणी सारण जन आदि काम कारल।  तब खेती पाती छे।  अब तन बात नी च  । अब खेती ही नी च त   हम भगवान से प्रार्थना करदां कि हे भगवान स्कूलम छुट्टी ही  नि ह्वावो।  काम नी  च त सबि स्कुल्या छुट्टी दिनूं मा खेल , भंगऴयाट करण मा व्यस्त रौंदन।  डाँटो त इ स्कुल्या अपण बुबा तैं धमकी दीन्दन कि हम यूथ  कमीसन से शिकायत कौरि देल्या कि हमर बुबा हम तैं धमकान्द। अब त अपण जण्या बच्चों तै हम डाँटि बि नि सकदाँ !   म्यार बिचार च ये सौणा तैं तख त्यार दगड़  शहरम भेजि द्यूं !



Copyright@ Bhishma Kukreti  13 /11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                               थुकाथुकी पुराण

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )



थुकण हमर राष्ट्रीय धर्म च।
थुकण हमर परम कर्त्वय च।
बेतरदीदि से कखिम बि थुकण सभी धर्मियूंक  सांस्कृतिक कर्मकांड च।
जखम चावो ऊखम थक्क  थूक दीण हमर सनातनी विरासत च।
हम सबि भारतीय जाणदा छंवाँ कि रस्ता मा , चौबट मा, बसुँ मा , रेलुं डब्बों  मा , लिफ्टूं मा , सिनेमा हाल मा , सरकारी कार्यालयुंम खुलेआम बेशर्मी से थुकण हमर मूलभूत अधिकार च, सार्वजनिक जगाऊं तैं थूकिक , खंकारिक  गंदा करण हमारो प्रजातांत्रिक अधिकार च ।
पान खाइ , पान चबाइ अर कैक पीठ  झुलाउंद थुकण   विशिष्ठ भारतीय  अमूल्य परम्परा च।
थुकण एक भारतीय वैशिष्ठ्य च।
कखिम बि , कैबरि बि , कैक बि समणि या कैक बि पैथर थुकण हमर एक धर्मनिरपेक्ष आचरण च।
अपण चौक साफ़ सवच्छ रखण अर दूसरौ चौकम थुकण हमर राष्ट्रीय चरित्र च।
सार्वजनिक स्थलों मा थुकण अर थुकिक  जगा गंदी करण   हिंदू -मुसलमान -सिख -इसाइयुं   मा एकता को परिचायक च।
 चूंकि हम सभी जीव जंतुउं प्रति  ही ना यूं जीव जंतुओं विकास का प्रति संवेदनशील छंवां त संजैत  जगाऊंम थुकण से जोरों से बैक्टीरिया , वाइरस फैलदन अर यांसे सिद्ध हूंद कि हमर संस्कृति मा अबि बि जीव -जंतु प्रेम  बच्युं च।
थूकीक चटण एक स्वच्छ भारतीय परम्परा र च तबि त सीबीआईs  डायरेक्टर राजीव सिन्हान  पैल ब्वाल  बल   यदि  बलात्कार नि रोक सकदा त बलात्कार का आनंद ल्यावो।  फिर स्याम दै थुकिक चाटि बि दे कि मि अपण बयान वापस लींदु।
थुकथुकी निखालिस भारतीय आचरण च।
एक -दुसर पर थुकण हमर एक विशिष्ठ हिन्दुस्तानी आचरण च।  इलै अचकाल राजनीतिक नेता विरोध्युं पर रोज थुकणा ना खंखार फेंकणा  रौंदन। राजनेताओं द्वारा विरोध्युं पर थुकण अर खंखार चुलाण बतांदु कि दूसरों पर थुकण -खंकार फिंकण  हमारो पुराणो संस्कार च।
'थूक उछालना' एक अखिल भारतीय संस्कृति की ख़ास पहचान च अर हमर राजनैतिक नेता हर समय , हर क्षण 'थूक उछालणा' रौंदन जो यीं बातौ द्योत्तक  च कि 'थूक उछालना'  भारतीय संस्कृति की पछ्याणक , आइडेन्टिटी च।
थूक लगाण बि हमर विशेष गुण च अर हमर नेता जनता पर रोज थूक लगाणा रौंदन जु  एक उत्साहवर्धक बात च।
थूक बिलौना (अनुचित प्रलाप ) बि भारतीय  सभ्यता की पछ्याणक च अर लोकसभा , राज्य सभा , विधान सभा , विधान सभा, अर  आम सभाओं मा सांसदुं -विधायकुं भाषण अर करतब   यांक गवाह च कि थूक बिलौना (अनुचित प्रलाप ) बि भारतीय  सभ्यता की पछ्याणक च।
जखिम ज्यू बुल्यावु उखम वमन करण , उल्टी  करण हमर प्राचीन सांस्कृतिक कर्मकांड च।  अर  यीं जखिम ज्यू बुल्यावु उखम वमन करण , उल्टी  करण जन प्राचीन सभ्यता, पुरण सांस्कृतिक  कर्मकांड , पुराणि थात तै नई पीढ़ी मा प्रचार -प्रसार करण हमर जुमेवारी च।
हमर भावी प्रधान मंत्री राहुल गांधी - नरेंद्र मोदी अर यूंका चमचा एक हैंक पर रोज भयानक , भयंकर ढंग से, बेशर्मी से , विष वमन करणा रौंदन जो परिचायक च कि हमारा शीर्षथ नेता थुकाथुकी की भारतीय परम्परा का प्रति संवेदनशील छन।  शीर्षथ नेताओं द्वारा एक हैंक पर विष वमन  एक ढाढस की बात च कि भारत मा सार्वजनिक स्थलुं मा थुकाथुकी , विष -वमन , खंकार करण बच्युं राल।  बड़ा बड़ा नेताओं द्वारा एक हैंक पर खुलेआम थुकण  , एक दुसर पर खंकार, वमन  चुलाण हमारो वास्ता एक गर्व की बात च।


Copyright@ Bhishma Kukreti  14 /11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]



Bhishma Kukreti

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                       अपड़ो ही  क्षेत्र मा  बेटि ब्यो करण नामुश्किल किलै च  !

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

कुजाण कथगा सालुं मा परसि अपण ममा कोट  ग्यों धौं।
 चार छै लोग बजार बिटेन शराब की जग्वाळ  मा बैठ्यां छा बल  द्वीएक पैग गौळुन्द जावन अर सबि  ग्राम विकास का मुद्दा पर गहन विचार कौर साकन । अचकाल बिचरू ग्राम विकास बि शराब की जग्वाळ करदु ।
इनि बोर हूणा छा कि सुरेन्द्र मामन  बात शुरू कार ," अरे कखि मेरि बेटि कुण बि नौनु द्याखा रै ! MA कौरी याल अर ब्यौ नि ह्वाल त झख मारिक मी तैं PhD कराण पोड़ल !"
सुरेन्द्र मामा अपण बेटि छ्वीं शुरू करण थौ कि पंडि जी बि ऐ गेन अर बुलण बिसेन ," मीन सूण कि बजार बिटेन मॉल मसाला आणु च त …।   "
सब्युंन बोलि ," हाँ हाँ ! द्वी घुटांग लगै जा। "
सुरेन्द्र मामन  बोलि ,"क्या पंडि जी ! तुमर हूंद बि मेरि बेटि अणब्य्वा च ?"
पंडि ,"जी  त समिण गौंक गजेन्द्रs नौनु दगड़ टीप मिलै द्यावो !"
जन्ना नना न बोलि ," न्है न्है ! बेटि बुड्या बि किलै नि ह्वे जावो हम समिण गां मा हम अपण बेटी ना त द्योला ना इ वै गां बिटेन ब्वारि लौंला !"
मीन पूछ ," कनो , किलै ?"
जन्ना नना   ," अरे म्वाड़ मोरल ऊँ समणि गौं वाळुन्क ! तौंक गांक पाणि गदन बिटेन हमर गांव कुण पाणि नळ आण वाळ छा कि तौन इन ढकोसला कार कि पाणि नि ऐ साक।  ये पाणि पर द्वी गाँव वाळु मध्य भौत बड़ो झगड़ा ह्वे तीन   साल ह्वे गेन हम वै गां वाळु भिड्युं पाणि त छ्वाड़ा हम ऊंक मुख दिखण बि पाप समजदां। "
पंडि जी - त  तौळ  गांव को राजेन्द्रक नौनु बि अणब्यवा च !
जन्ना नना  - पंडि जी ! तौळ  गाँव वाळु नाम लेल्या त हम तुम तै इ छोड़ द्योला  फिर चाहे हम तैं कै शिल्पकार तैं इ बामण किलै नि बणाण पोड़ल धौं !
मीन ब्वाल -पण तौळ  गाँव वाळु दगड़ त आपक  रिस्तेदारी छे ?
जन्ना नना  -रिस्तेदारी जावो भाड़ मा।  सालोंन हम तैं चार दिन जेल दिखाइ।
मीन पूछ - क्या व्हाइ छ्याइ कि जेल जाण पोड़।
जन्ना नना  -अरे ऊ  पली सारिक  हमर बेकार बगदो पाणि नि छौ ?   सरकारन वै पाणि तै तौळ गां वाळ तै दीणो  फैसला कार अर उख बौड़ी बणै दे , सरकारी कारिंदा नळ लगाण इ वाळ छा कि हमन बौड़ि तोड़ि दे अर वै पाणि तै इन खत्यायी कि पाणि ई चौळ ग्याइ,
सुरन्द्र मामा - हाँ अपण अधिकार की लड़ाई छे।  ठीक च हम चार दिन जेल रौंवां  अर  मैना कोर्टम हाजरी दीण पोड़द पण हमन बि सालों तैं अपण पाणि नि लिजाण दे।
गोविन्द भैजि -अब हम ऊंक सारीम बि कदम नि धरदा ना वो हमर सारी तरफां दिखदन।  जर , जोरू अर अपण पाणि पर कैतै  अधिकार किलै  दिए जावो भै ?
पंडि जी - अगल -बगल  गांव मा भूपेंद्रक बि नौनु च ?
हरी मामा - पंडी जी अगल -बगल  गाँव वाळ ? कतल्यो ह्वे जालो जु हमर गांवक बेटी उख दिए जाव अर वै गां बिटेन ब्वारि लये जावो।
मी - हैं पण मामा ! ननि याने तुमर मां त अगल -बगल  गाँव की  ही च ?
हरी मामा - त क्या ह्वाइ ? ऊंक गदन जैक पाणि वो सुपिन मा बि इस्तेमाल नि कर सकदन।  वै   बिटेन हमर गां कुण सिंचाई बिभाग की नहर स्वीकृत ह्वे गे छे पण सालों ने  ऐसा पेंच लगाया कि हमर इक नहर नि ऐ साक।  मि ना त अपण ममाकोट जांद ना म्यार ममाकोटी इना खुट धौर सकदन।  'अगल -बगल' अर हमर गां  इन छन जन कश्मीर का मामला मा हिंदुस्तान -पाकिस्तान।
पंडि जी - अब मि बुलल कि 'न्याड़ -ध्वार' गां मा प्रोफेसर नौनु च तो बि तुमन बुलण कि बेटी तैं ज़िंदा इ खड्यार द्योला पण बेटि 'न्याड़ -ध्वार' मा नि दीण।
गोविन्द भैजि -हां तो ! इ 'न्याड़ -ध्वार' गाँ वाळ हम तै क्या समजदन ? साले हमारे गदन से सिंचाई के लिए नहर ले जा रहे थे।  हमन बि इन खुरापाती दिमाग  लगाइ कि सौ साल तक तो 'न्याड़ -ध्वार' गां वाळ हमर  गदन से पानी नै लिज्या सकते हैं।
पंडी जी - द्याखो ! सरा अडगैं (क्षेत्र ) मा पाणि बान हेरक गांवक  एक हैंक गांवक दगड़ भयंकर झगड़ा चलणु च कि अब आस -पास ब्यौ करणि बंद ह्वे गे त अब तुम दूर ही ब्यावो बात चलावो !
 



Copyright@ Bhishma Kukreti  15/11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                        सन 2114 मा परिवारवादी -वंशवादी प्रजातंत्र बचाणो खटकर्म

                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 समाजवादी पार्टीक एक सदस्य - सदर ए आल पार्टी मीटिंग ! शुक्रिया आपन मै तैं  संजीदा मसला पर बुलणो मौक़ा दे ! मी   लोक सभा अर विधान सभा का हरेक रुकनियतों याने मेंबरानु से दरख्वास्त करणु छौं कि मेरी बात मुक्क्मल  ढंग से सूणो अर वै पर अमल कारो।। आज सन 2114 मा जम्हूरियत पर गैरखानदानी तस्स्वर (विचार ) वाळ जोरो से हमला करणा छन अर जम्हूरियत का पैरादार -चौकीदार कुछ नि करणवां छंवां।  जु इनि 'जम्हूरियत मा गैरखानदानी राज का जहरीला विचार' जनता मा चली गे त ना केवल खानदानी सियासतदां ( खानदानी राजनैतिक ) वाळु कुण, खानदानी सियासत का वास्ता ख़तरा च बल्कणमा दुनिया मा एक अलहदा , मखसूस , अनोखी हिंदवी जम्हूरियत का वास्ता बि खतरा   ह्वे ग्याइ।
एक भाजापा पार्टी सदस्य - तुम लोग मुसलमानो तैं उर्दू नाम पर बेवकूफ बणादां।
 समाजवादी पार्टीक सबि  सदस्य  - हमर  देवता मुलायम सिंह जी की कसम च, उप दिवता अखिलेश यादव की कसम , देवी डिंपल यादव की कसम च मुसलमानु तैं वेवकूफ बणाण हमारो खानदानी पेशा च, मुर्ख बणाण राजनैतिक धंधाच, एकाधिकार च ।  जो भी  हमर पेशा तै गाळि द्याल हम वैकि त हम …। सभी राजनैतिक दल याद रखां यदि हमर  एकाधिकार पर खतरा आल त हम क्या कौर सकदां यु सौब तैं पता च। हम तैं बि धार्मिक उन्माद फैलाण आंद च।
भाजपा - तो हमन बि हिंदूवादी देवी-दिवतौं   कसम खायीं च  कि अयोध्या मा ही मंदिर बौणल , वांक बान चाहे हर मैना लोग भेड़ -बकरी जन कटे जैन धौं।
सभा अध्यक्ष -  द्याखो हम एक गम्भीर विषय पर चर्चा वास्ता कट्ठा हुयां छंवां।  यी सभा को क्वी लाइव टीवी कवरेज नी  च कि तुम जनता तैं मुर्ख बणाणो बान एक हैंक पर हौग -मूत चुलाओ।
समाजवादी पार्टीक सदस्य -भइ अयोध्या मा राम मंदिर बाद मा बणे लेन।  अबि त असली मसला अनाप -सनाप पार्टी वाळ जनता मा जो जम्हूरियत याने प्रजातंत्र मा वंशवाद -परिवारवाद का विरुद्ध को जहर फैलाणा छन वै तै रुकणै जरूरत च।  राम मंदिर पर तुम तबि नाटक कौर सकदां जब तुम अनाप -सनाप पार्टी का जहरीला जहर से बचिल्या !
 शिव सेना - समाजवादी पार्टी सदस्य ठीक बुलणा छन।  कसम भगवान श्री बाल ठाकरे की ! हम अनाप -सनाप पार्टी वाळु पिच उखाड़ द्योलां।  प्रजातंत्र मा यदि वंशवाद -परिवारवाद ही नि राल तो वो क्यांक प्रजातंत्र ?
कॉंग्रेस सदस्य - ओम नमो श्री नेहरू जी , ओम नमो श्रीमती गांधी परिवार याने हमर दिवता !
भाजपा नेता -खबरदार ! तुम  नमो शब्द उच्चारण नि कौर सकदां !
कॉंग्रेसी नेता - अरे ओम नमो पर  ....
भाजपा नेता -नमो माने माननीय भगवान नरेंद्र मोदी …
कॉंग्रेसी -सॉरी ! मीन मौत का दिवताक  नाम ले ल्याइ। हाँ तो मि अपण कुलदिवता नेहरू अर कुलदेवी इंदिरा तैं दंडवत प्रणाम करदो अर कसम खांदो कि हम राजनीति मा परिवार वाद अर वंशवाद खतम नि हूण द्योला।  प्रजातंत्र मा वंशवाद -परिवारवाद ज़िंदा रौणो  बान हमन द्वी सौ साल से इथगा तिकड़म लगैन।  इख तलक कि हमर देवी दिवतौंन  इमेरजेंसी -आपातकाल भि लगैन।  आज कॉंग्रेस ही इन पार्टी च जो ग्राम पंचायत का चुनाव मा बि टिकेट वै तै दींदी जैक पुरखा पंच -प्रधान रै होला।  हमर कॉंग्रेस मा क्वी बि ग्राम प्रधान या पंच,  सेवक , विधायक , लोक सभा सदस्य गैरखानदानी नी  च।  जै वंशवाद की !
भाजपा - द्याखो ! तुमन खानदानवाद की शुरुवात सन सैंतालीस से पैलि कौरि आल छौ   त तुम तैं बड़ो ऐडवेंटेज छ ।  हमन सन नब्बे से राजनीति मा खानदानवाद -परिवारवाद शुरू कार त हम थोड़ा पैथर रै गेवां।  पण अब हमन बि पिछ्ला बीस सालों से वूं तैं चुनावी टिकेट दीण बंद कौरि आल जौंक पड़दादा आदि प्रधान , विधायक , नगर सेवक नि छया।  आज हमर जु बि अलाइज पार्टनर छन सौब वंशवाद -परिवारवाद का पुजारी छन।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीमके ) सदस्य - ये भाई ! इखमा बखान दीणै जरूरत क्या च कि हम वंशवाद -परिवारवाद का चौकीदार छंवां , सिपाही छंवां।  आज क्वी बि राजनैतिक दल इक तक कि साम्यवादी दल बि डेमोक्रेसी बचाणो बान परिवारवाद को पोषक च।
सबि क्षेत्रीय दल एक स्वर मा - हाँ आज हम सबि परिवार वाद का ही खंबा छंवां। 
बीजू जनता दल का सदस्य - हमर कुल दिवता श्री बीजू पटनायक अर श्री नवीन पटनायक की जय हो ! आज हमर समिण  बिलकुल नई अनाप -सनाप पार्टी एक बडु  खतरा च या पार्टी जनता तैं गुमराह करणी च कि भ्रस्टाचार , देस लूटो जन अपराध उथगा खतरनाक नी छन  जथगा राजनीति मा वंशवाद -परिवारवाद च।  या अनाप -सनाप  पार्टी वंशवाद -परिवारवाद प्रजातंत्र तै खतरा बताणी च।
आम आदमी पार्टी क सदस्य - हमर कुलदिवता श्री केजरीवाल की जय हो ! इखमा डरणै बात क्या च।  हम बि राजनीति मा परिवारवाद -वंशवाद तै गाळि देकि ही पहला पहल  चुनाव जीती छा अर आज हम बि चुनाव टिकेट वूं तैं ही दींदा जौं तैं राजनीति विरासत मा मिलीं ह्वावो।  हम तो झूठ बुलणम  तुम सब लोगों से बि बड़ा खिलाड़ी छंवां।
कॉंग्रेसी सदस्य - द्याखो ! हमर काम च कि अनाप -सनाप पार्टी तै जनम लीण से पैल ही ख़तम करी द्यावा।
सबि एकस्वर मा -हाँ जो भी परिवारवाद -वंशवाद का विरुद्ध च वीं विचारधारा  तै ऊखमि खतम करे जावो।
भाजापा - तो अनाप -सनाप पार्टी का मुख्य नेताओं पर इनकम टैक्स , सेल्स टैक्स, झुटा  प्रचार, देस द्रोह आदि की धाड़ मारे जा अर यूं नेताओं तैं इन जंजाळ मा फँसावो कि यीं पार्टी का नेता रोज  कोर्ट मा चक्कर लगाणा रावन। यूंका चरित्र हनन कारो , यूंका सभा नि हूंण दयावो।
सबि - हाँ पुलिस हमम च , सीबीआई हमम च तो हम कुछ बि कौर सकदां।  प्रजातंत्र मा परिवारवाद -वंशवाद बचाणो बान जो भि कुकर्म करण पोड़ल हम करला !
सभापति -श्री जगजीवन राम दिवता जी की जय हो।  तो हम सबि राजनीतिक दलों की पैली प्रायरिटी च कि राजनीति मा वंशवाद -परिवारवाद का विरोध्युं वंशमूल ही नाश  करे जावो।  जय परिवार वाद।  वंशवाद  जिन्दावाद  !

Copyright@ Bhishma Kukreti  16/11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य  श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                               बेलो पॉवर्टी लाइन  (बीपीएल ) की घिराळी -चकरघिनी

                                           चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

अधिकारी - मेरि जान नि खा ! तू गरीबी रेखा तौळ  ऐइ नि सकदी !
लखपति  -ह्यां पण म्यार नाम म्यार बुबान लखपति  इलै धौर छौ कि सैत च हम तैं  द्वी टैम खाणा नसीब ह्वे जावो !
अधिकारी -मीन सौ दैं बोलि याल लखपत्यूं  हजारपत्यूं  तैं हम गरीबी रेखा तौळ वाळ याने बीपीएल सर्टिफिकेट नि दे सकदां।
लखपति -पण  .... !
अधिकारी -हवलदार ये आदिम तैं गां से भैर छोड़ि आ यु सरकारी कामु मा अड़चन डळणु च।
हवलदार -चल साला गांव की सरहद से भैर चल जा हाँ , निथर त्वै पर उपद्रव मचाणै धारा लगै द्योल हां !
लखपति - जांद छौं ! जांद छौं
हवलदार -पता नि यूं लखपत्यूं तैं शरम ल्याज बि नी च जु बीपीएल मा आण चांदन।
गरीबदास -समनैन साब ! यि ल्यावो म्यार कागजात !
अधिकारी -हूं त त्यार क्वी सगा संबंधी बि नी जु तेरि देख भाळ कौर साक !
गरीब दास - सात भाई ह्वे छा पण क्वी ये रोगन मोर त क्वी हैंक रोगन मोर।
अधिकारी -पण तेरी घरवळि त छैं च ?
गरीब दास -हां चौथु बच्चा जणद दैं वीं पर लकवा मारि  गे।  तीन बच्चों देख भाळ नि ह्वे सकणि च।
अधिकारी -हां तू बीपीएल लैक नागरिक छे
गरीबदास - जुग  जुग जिओ साब ! तुमर ड्यार छपन भोगुं बरखा हूणि रैन !
अधिकारी -हैं ! गरीबदास त्यार नाम पर त एक पक्कु मकान च ?
गरीबदास -साब इख पहाड़ि गाउँ मा मकान नि ह्वाल त हर साल सैकड़ों लोग ठंड से मरि जाला।
अधिकारी -नै नै ! पण जैमा पक्कु मकान होलु वै तैं हम बीपीएल मा नि डाळि सकदां
गरीबदास -साब वो मकान तो थोकदार जीन म्यार पड़दिदा तैं थोकदार जी कुण पख्यड़  खोदिक पुंगड़ बणाणो मजदूरी मा दे छौ।
अधिकारी - मि कुछ नि जाणदु नियमक हिसाब से जैम पक्कु मकान ह्वावो वो बीपीएल स्कीम मा नि ऐ सकुद
गरीबदास - साब अब तुमि कुछ कारो।
अधिकारी -सॉरी गरीबदास ! तू बीपीएल मा नि ऐ सकदी। हवलदार ! गरीबदास तै भैरौ रस्ता दिखावो
गरीबदास -रण द्या मि अफिक जांदु।  अरे गढ़वाळम क्वी मौ इन नि ह्वे सकदी जैक एक भितर नि ह्वावो तो  …।
अधिकारी -हैंक प्रार्थी तैं बुलावो
निखण्या दास -ल्या साब सौब कागजात लयां छन।
अधिकारी - हाँ तीम त पक्कु मकान बि नी च।
निखण्या दास -साब अपण पक्कु मकान नि हूण से पोरु साल ठंडन  एक नौन मोर अर परार दूधि नौनु मोर ! झुपड़ा मा ठंड भौत हूंद
अधिकारी -हां तू अवश्य ही बीपीएल लायक  नागरिक छे
निखण्या दास - जुगराज रयां साब !
अधिकारी -अरे ! पर तुमर नाम पर  त एक साइकल च
निखण्या दास - वूंक कफ़न लगलि या सैक़ल जौन फोकट मा दे छे ।  परार एक सरकारी स्कीम ऐ छे कि नौन्युं तै सरकार से फ्री सैकल मीललि।  छै मील से हम वीं साइकल तै जनकेक ल्है छा . अब हमर क्षेत्र मा  सड़क बि नि छन त साइकल दिवतौं मूरत जन पडीं च।
अधिकारी -मि कुछ नि जाणदु।  सरकारी हिसाब से त्यार परिवार साइकल मालिक च। अर साइकल मालिक बीपीएल स्कीम मा नि गणे सक्यांद।  जा भैर जा।
निखण्या दास - साब वीं साइकलौ हमन करण क्या च जब उक  दस मील तलक सड़क ही नि छन।
अधिकारी - मि कुछ नि जाणदु।  हवलदार !  निखण्या दास  तैं भैरो रस्ता दिखावो ! हाँ ! त ग्राम प्रधान जी अब आप समिण बैठो !
ग्राम प्रधान - जी ब्वालो !
अधिकारी -प्रधान जी ! हम तै टारगेट मिल्युं च कि हरेक ग्राम सभा से द्वी  परिवार बीपीएल मा पंजीकृत हूण चएंदान । .
ग्राम प्रधान -द्वी परिवार बीपीएल लायक छैं छन ना।  ल्या  ऊंक कागजात !
अधिकारी (कागज पतर देखिक )-कागज तो बिलकुल सही छन।  सही माने मा बीपीएल लायक नागरिक।  कु कु छन यी परिवार ?
ग्राम प्रधान -एक म्यार भतिजु च अर दुसर सरपंच जीक साडु भाइक स्याळु च।   कागजात मा यी द्वी बिलकुल सहारा विहीन छन।
अधिकारी -ठीक च।  हवलदार तैं  दक्षिणा दे द्वावो।
ग्राम प्रधान हवलदार तैं कूण्याम लिजांद - हवलदार जी बीपीएल पंजीकरण की कथगा दक्षिणा च ?
हवलदार - ये मैना बिटेन दस हजार रुप्या प्रति पंजीकरण
प्रधान - हैं ! पोर त पांच हजार रुप्या छौ
हवलदार -प्याजौ भाव द्याख च ? कथगा बढ़ी ग्यायी ?
ग्राम प्रधान -ठीक च।  ल्या दस हजार रुप्या।
हवलदार - अधिकारी जी !  प्रधान जी तैं द्वी बीपीएल सर्टिफिकेट दे द्यावा !


Copyright@ Bhishma Kukreti  17/11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य  श्रृंखला जारी ...]

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                                विधानसभाs टिकेट  दिलै द्यावो प्लीज !


                                      चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


                 अजकाल नयो फैसन ऐ ग्यायि सेना या कोर्ट का बड़ा बड़ा अधिकारी  सेवा निवृत या रिटायर हूँदन त मुख्यमंत्री बणदन जन कि खंडूरी जी या विजय बहुगुणा जी या विधयक -मंत्री बणदन जन टीपीएस रावत जी आदि।  फिर बड़ गोर घास खांदन त छुट गोर थुंथर चाटदन।  जब कुछ नि ह्वावो त रिटायर ह्वेक ग्राम प्रधान बौण जावो।  दिल बि बौग्युं  रौंद अर पैसा पाणि बि बौण जांदन।  अजकाल इन लगणु च हमर जिनां ग्राम प्रधान की पोस्ट रिटायर लोगुं कुण रिजर्व हुईं हो धौं !
  मीन एक कंसल्टटैंट  तैं कंसल्ट कार कि मि तैं रिटायरमेंट का बाद क्या करण चयेंद त वैन सलाह दे बल कुछ ना त ग्राम प्रधान बौणि जा !
 अब  उमर का तकाजा अर इथगा अनुभव का बाद केवल ग्राम प्रधान बणे जावो तो मेरी बीस पचीस डिग्र्युं  अर हजारों मील लम्बी यात्रा तैं पसंद नि आयी। मेरी डिग्री अर यात्रा अनुभवन बोलि बल रिटायरमेंट का बाद विधायक बणण जादा फायदामंद च।
 मी दिल्ली एक राजनैतिक पार्टीs ऑफिसम  विधायक बणणो टिकटों बान ग्यों।
कै  बि तरां से मि टिकेट  कमेटी चेयरमैन तक पौंचु, चेयरमैनन म्यार इंटरव्यू  ले याने म्यार अंतर्मन को व्यू /दर्शन ल्याइ।
इना उना छ्वीं लगणो बादौ  वार्तालाप का मुख्य भाग इन च।
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- तो तुम तैं चकु -छुर्रा चलाण बि आंद ?
मि -जी मीन कबि भुजि नि काट ! पैल ब्वे खाणा बणान्दि छे अब घरवळि  ....
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-मि भुज्जी कटणो बात नि करणु छौं।  कैक पुटुक पर छुर्रा बि भोंक?  किलैकि विधायक का वास्ता  चाकु -छुरा चलाणो  अनुभव जरूरी च।
मि -पर विधान सभा मा त वाक् -युद्ध हूंद ?
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- अच्छा चलो जाण द्यावो।  स्कूल कॉलेजुं जमानो  मा सरकारी बस या सरकारी इमारत जळाणो क्वी अनुभव ?
मि -जी हमर कॉलेजौ टैम पर द्वी चार बस इ  हूंदी छे।  वूं तैं इ जळै दींदा त लोग हम छवारों तैं ज़िंदा नि जळै दींदा !
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- चलो ! त स्कूल कॉलेज तै जळाणो अनुभव ?
मि - दर्जा आठ तक हमन मैदान मा पौड़ , बरखा टैम पर बि इनि पौड़ त उख जळाणो कुछ नि  छौ। फिर देहरादून मा महंत इंद्रेश चरण दास जीक कॉलेज छा।  मुफ्त मा पढ़दा छा   त स्कूल -कॉलेज जळाणो ज्यू कबि नि बुल्याइ। 
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- वो हो तो विधायक बणणो बेसिक ट्रेनिंग बि तुमम नी च ?
मि -जी हमर जवानी  टैम पर भक्त दर्शन जी  , महावीर त्यागी जी , भैरव दत्त धुलिया जी सरीखा नेता हूंद छा जौन अंग्रेज सरकारौ  विरोध जरुर कार पण अंग्रेजूं खोलीं स्कूल कॉलेज तैं बि सरस्वती मंदिर समझदा छा अर मंदिर जळाण पाप माने जांद छौ। 
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-तो प्रिंसिपल या मास्टरों पिटाई या मास्टरुं पर जुत चलाणो  क्वी ख़ास अनुभव ?
मि -क्या  विधायक बणणो बान प्रिंसिपल या मास्टरों पिटाई करणो या अध्यापको तै जुत्याणो अनुभव जरुरी च ?
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- हां ! जु तुम तैं अध्यापकुं तै जुत्याणो अनुभव नि ह्वालो त विधान सभा मा तुम विरोधी दल का सदस्यों पर जूता  कनकै चलैल्या ? विधान सभा मा जूतम पैजार कनकै करिल्या ?
मि -जी हमर टैम का विधायक ही ना छात्र नेता जन कि आजौ कॉंग्रेसी नेता हीरा सिंह बिष्ट बि मॉस्टरुं तै गुरु ही मानदा छा। 
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- यार तुमम त नेता बणणो आधारभूत प्रशिक्षण ही नी  च ?
मि -जी ! मीन इथगा साल नौकरी कार वो कम   च क्या ?
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- तुम पर कबि बलात्कार का आरोप या चोरी जारी का आरोप बि लगिन ?
मि -ना कबि ना.
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-ओ माइ  गॉड ! तुम दुसरुं मा -बैण्यूं  तैं अपण मा -बैणी समजदवां क्या ?
मि -हां
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-ना तो बलात्कार का एक्सपीरियंस  , ना ही चोरी जारी का अनुभव ! अर फिर बि विधायक बणनो ख्वाब दिखणा  छंवां ?
मि -जी हाँ !
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-अच्छा घूस लीणो क्वी अनुभव ?
मि -ना ! मि सेल्स लाइन मा छौ त घूस लीणो क्वी अवसर ही पैदा नि ह्वेन।
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-तो फिर तुम जन सेवा कनकै करिल्या ?
मि -जी जन कि क्वी ब्वालल कि म्यार राशन कार्ड बणै द्यावो या ट्रांसफर करै द्यावो तो फटाक से प्रशासनिक अधिकारी तै बोलिक काम करै द्योलु !
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- विधयाक बणिक बि बगैर पैसा खयां ट्रांसफर करै देल्या ?
मि -हां ! जन सेवा ही तो विधायक को असली कर्म च।
 टिकेट  कमेटी चेयरमैन- अच्छा धार्मिक विद्वेष फैलाणो या जातीय दंगा फैलाणो क्वी प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस ?
मि -ना ! हम तैं सिखाये जांद छौ बसुँधैव कुटुंबकम अर विश्व कल्याण ही मानव जीवन को असली उद्येश्य च।   
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-एक सलाह द्यूं ?
मि -जी द्यावो !
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-तुमर चरित्र अर अनुभव त धर्म गुरु का छन।  धार्मिक  टीवी चैनेलों मा प्रवचन किलै नि दींदा।
मि -जी धार्मिक टीवी चैनेलों मा गे छौ पण ऊन बि यी अनुभवुं मांग कार जु तुम करणा छंवां।
टिकेट  कमेटी चेयरमैन-हाँ उख बि त हमर सरीखा आशा राम बैठ्यां छन।
मि -तो ?
टिकेट  कमेटी चेयरमैन- सॉरी ! हम तुम तैं टिकेट नि दे सकदां।  तुमम एक बि चरित्र या गुण विधायक बणणा नि छन ना ही तुम तै विधायक बणणो क्वी बेसिक  ट्रेनिंग मिलीं च।


Copyright@ Bhishma Kukreti  18/11/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                       विजय बहुगुणा अर रीता जोशी मध्य छ्वीं :राजकुमारौ  सभाउं मा  भीड़ कम किलै च ?

                                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

ब्याळि दिन दुफराम मीन सुपिनमा विजय बहुगुणा अर रीता बहुगुणा जोशी छ्वीं लगांद देखिन।
विजय बहुगुणा -भुलि ! क्या हाल छन ?
रीता जोशी - भैजि ! क्या बतौँ भौत बुरा हाल छन । ये नरेंद्र मोदी अर केजरीवालन निंद हराम करीं च।
विजय बहुगुणा- बहना ! हम तोरे हाल पूछत हैं राजकुमार जी का नाहीं
रीता जोशी -वो ही तो राजकुमार जी को नींद ना आवत हो तो हम कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं का कइसा नींद आवे भइया ?
विजय बहुगुणा-हां तौन बात तो सही होइ।  पण अजकाल राजकुमार जी तैं जादा क्या परेशानी च ?
रीता जोशी - भैजि !  एक औसंद (परेशानी ) ह्वावो तो बतौँ !
विजय बहुगुणा-पण फिर बि ?
रीता जोशी -अब शब्दों खिलाड़ी नरेंद्र मोदी तैं पटकनी दीणौ चक्कर मा भाषण लिखण वाळ कुछ लिखदन त राजकुमार जी जोश मा कुछ हौरि बोल जांदन।
विजय बहुगुणा-हां वु परसि -नितरसि मध्य प्रदेश मा भाजपा वाळो तैं पुछिक  ऐ गेन कि हम जु पैसा भिजदां वांक क्या ह्वाइ ?
रीता जोशी -अर जोश जोश मा छतीस गढ़ मा बोलिक ऐ गेन कि भजापा वाळ चोर छन।
विजय बहुगुणा-हां मीन टीवी मा देख।
रीता जोशी -भैजि ये त आफत च , हरेक टीवी चैनेल वाळ पुछणा रैन कि पैसा त केंद्रीय सरकार या जनता को च ; राहुल गांधी को थुका च।
विजय बहुगुणा-हां बड़बोला नरेंद्र मोदी त मध्य प्रदेश मा बोलिक ऐ गए बल शहजादा जी पैसा आपके मामा का है क्या ?
रीता जोशी -भाषण राजकुमार जी दींदन अर हम प्रवक्ताओं तैं एक्सप्लेन करण पोड़द। अब ब्याळि बिटेन एक नई मुसीबत खड़ी हुईं च।
विजय बहुगुणा-क्या ? बहिना कौनो नई मुसीबत ?
रीता जोशी -अरे वही पुरानी मुसीबत ! राजकुमार जीक जन सभाओं मा जनता क भीड़ कम दुनाळि बंदूक वाळ जादा !
विजय बहुगुणा-पण इ हाल त तब बि छा जब तु उत्तर प्रदेश कॉंगेसौ  अध्यक्ष छे । राजकुमार की सभा मा गौण -गाणिक चार हजार लोग बि नि आंद छा। 
रीता जोशी -भैजि तब लाल कृष्ण अडवाणी या सुषमा सुराज की सभाओं मा बि त भीड़ नि आंद छे।  अब पता नि कि क्या ह्वे धौं ! नरेंद्र मोदी क बात त जाणि द्यावो ! क्वी बि भाजपा कार्यकर्ता रस्ता मा खड़ु ह्वे जांद त हजार चार हजार लोग सुदि खड़ ह्वे जांदन
विजय बहुगुणा-वी त हाल इक बि छन।  मि तैं टीरी मा साकेत की जन सभाओं मां भीड़ दिखाणो  बान इख बिटेन लोग भिजण पड़दन।
रीता जोशी -अर यि निरदयी पत्रकार खुलेआम बोलि दिंदन बल राहुल गांधी की लोकप्रियता कम होणि च त जनता राहुल जीक सभा मा नि आंदन , बड़ी मुश्किल ह्वे जांद लाइव टीवी प्रोग्राम मा पत्रकारों तै समझाणो कि भारत मा एकी लोकप्रिय नेता छन अर वो छन श्री राहुल जी।
विजय बहुगुणा-पण यी पत्रकार मानद कख छन।  उलटां विश्लेषण करण मिसे जांदन।
रीता जोशी -हाँ भैजि ! पता च  एक समाज शास्त्री त वै दिन क्या छौ बुलणु?
विजय बहुगुणा-क्या ?
रीता जोशी -बल राजनीति मा चूंकि वंशवाद ऐ गे तो भूतपूर्व या वर्तमान नेताओं का बेटी -बेटा नेताउं की  फ़ौज अवश्य  खड़ी ह्वे ग्याइ पण अब भीड़ जुटाण वाळ भक्त कार्यकर्ताउं हरचंत ह्वे ग्याइ।  अब वंशवाद का कारण पार्ट्यु मा पार्टी प्रेमी  कार्यकर्ता जनम ही नि लीणा छन।
विजय बहुगुणा-भूलि यि विश्लेषक सही बुलणा छन।  पता च म्यार पैथर टिहरी का कॉंग्रेसी नेता क्या बुलणा रौंदन ?
रीता जोशी -क्या भैजि ?
विजय बहुगुणा-बुलणा रौंदन बल जब विधान सभा अर लोक सभा का टिकेट भूतपूर्व नेताओंक बेटी -बेटाउं तैं इ मिलण त पार्टी बान मेहनत किलै करण ?
रीता जोशी -निरदयी कार्यकर्ता ! असुण्या कार्यकर्ता ! अरे हमर बुबाउंन खेती लगाइ त खेती हमि काटला कि ना ? इन थुका हूंद कि मुर्गी अंडा द्यावो  अर फकीर ऑमलेट खावो !
विजय बहुगुणा-हां पण इ कार्यकर्ता समझदा इ नि छन कि इं  जागीर पर सिरफ अर सिरफ नेता पुत्रों को ही हक च।
रीता जोशी -पता नी  यूं कार्यकर्ताओं आत्मा कब जागलि धौं ! कि पार्टी भक्ति बि क्वी चीज च ! पार्टी प्रेम बि कुछ हूंद।
विजय बहुगुणा-एक मिनट बहना।  म्यार प्राइवेट सेक्रेटरीक फोन च।  हाँ ब्वालो सक्रेटरी ! क्या हड़क सिंह जी हरीश रावत जी से मिलणो दिल्ली जाणा छन ? तो सेक्रेटरी ! तुम मेरि मीटिंग हाई कमांड से करवाओ। बहना मि स्याम दै दिल्ली आणु छौं
रीता जोशी -पण अबि त सुबेर तुम दिल्ली से देहरादून अवाँ अर फिर स्याम दैं दिल्ली ?
विजय बहुगुणा-क्या बताउं ! परसि रात उत्तराखंड कॉंग्रेस का चार विधायक हाई कमांड का बड़ा नेता से मिलेन त पता लगाणो दिल्ली आण पोड़ कि कखि म्यार पत्ता साफ़ त नी होणु च ?
रीता जोशी -एक मिनट ! एक मिनट ! SMS अयूं च कि राहुल जीन एक हैंक आपत्तिजनक भाषण दे दे।  मि पत्रकार समेलन मा पत्रकारुं तैं बौगाणो जाणु छौं। 
विजय बहुगुणा - अच्छा ! म्यार प्रिय भणजु मयंक का क्या हाल छन ?
रीता बहुगुणा जोशी - फिकर करणै बात नई च।   द्वीएक सालम मयंक मेरि गद्दी समाळि ल्याल !

Copyright@ Bhishma Kukreti  19/11/2013
यह लेख सर्वथा काल्पनिक है।

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]



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                      भाड़े के प्रशिक्षित कार्यकर्ता और दर्शक प्राप्त करने का  एकमात्र स्रोत्र
                                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

          भाड़े के प्रशिक्षित कार्यकर्ता और दर्शक प्राप्त करने का  एकमात्र स्रोत्र हमारी दुकान  (विज्ञापन )
 क्या आप वातानुकूलित कमरा मा बैठिक राजनीति करदां ? अर यां से भूलि गेवां कि कार्यकर्ता कन तैयार हूँदन अर जनता भी तुम तैं बिसरी ग्याइ तो हमारी शरण मा आवो!
क्या आप बड़ा नेता का नौनि -नौन्याळ छंवां अर भारतीय प्रजातंत्र तैं बाप -दादा की जायजाद समजिक चुनाव लड़नो ऐ गेवां।  आपको   क्या !   आपके बाप को भी  नि पता कि कार्यकर्ता क्या हूँदन जो आपकी मीटिंगुं  मा भीड़ कट्ठा कारन?
क्या आपका शाहजादे की चुनाव रैली बिटेन बोर ह्वेक भाड़ा का दर्शक बि उठिक चलि जांदन ?
क्या बड़बोला साहेबजादा की रैली तैं मैगा रैली सिद्ध करणो वास्ता  लाखों प्रशिक्षित भीड़ चयेंद ?
क्या आप तैं सेक्युलर दिखाणो वास्ता  अरबी गोल टोपी मा छवारा अर बुर्का मा जनानी दर्शक चयाणा छन ?
क्या चमचागिरी अर घोर  तिकड़मबाजी से आप तैं चुनावी टिकेट मील अर अब चुनावी सभाओं मा भीड़ चयेणि च ?
यदि आप विधायक छन अर पांच साल तक तुमर टुटकी राजधानी मा इ हुंई राइ अर अपण चुनाव क्षेत्र से तुम दुश्मन जन बिमुख रवां  ?
क्या  तुम अब स्पेंट फ़ोर्स या इरेलिवेंट नेता ह्वे गेवां , अर आपकी टक  अबि बि प्रधान मंत्री क कुर्सी पर लगीं च अर आपक भाषण सुणिक  सुंगर बि बितक जांदन ?
तो आप सब्युं तैं हमारी दुकान से प्रशिक्षित कार्यकर्ता अर दर्शक मील जाला।
हमर भाड़ा का कार्यकर्ता आप तैं धर्म , जात , उपजात , का हिसाब से आप तैं वोटरूं से जाण पछ्याणक कराला अर आप तैं लगल बि ना कि यी भाड़ा का कार्यकर्ता छन।
हमर कार्यकर्ता आप तै छुट छुट भाषण बि लेखि दींद जाल।  भाषणु स्तर बेशर्मी से गिराण मा हमर कार्यकर्ता इथगा प्रशिक्षित छन  कि नरेंद्र मोदी , राहुल गांधी , मनीष तिवारी , नरेश अगरवाल जन बेशर्मी से भाषण दीण वाळ इकीसवीं का महान नेता बि शरमै  जाला !
हमर प्रशिक्षित दर्शक आपकी हाँ मा हाँ मिलाला अर जब शहजादा या साहेबजादा मंच से क्वी बि बेकार , बासी सवाल कारल तो मन मुताबिक़ द्वी हाथ या द्वी खुट उठैक उत्तर द्याला।
हमारी दुकान का ट्रेण्ड दर्शक बीच बीच मा शहजादा की जय हो शहजादा की जय हो या हमारा प्रधान मंत्री कौन हो ?-साहेबजादा जैसा हो जन जय जयकार बि करणा राल।
तुमर शहजादा कथगा बि झूठो  या बोर भाषण द्याला तो बि हमर दुकानिक दर्शक ताळी बजाला। 
रोड शो का वास्ता विशेष प्रशिक्षित कार्यकर्ता अर दर्शक भाड़ा मा दिलाण हमर विशेषता च।
सेक्युलर दिखाणा बान अरबी टोपी मा युवा या बुर्का पैर्या जनानी  अथवा आदिवासी कपड़ो मा जनानी -मर्द या गरीब-मजदूर -लाचार -बीमार दर्शक जूटाणै  फीस चौगुणी।
हमर दुकानम विशेष जनानी मोर्चा लिजाणो बि  उचित प्रबंध च. कैक बि पुतला फुकणम सबि प्रशिक्षित छन।
नकलचियों से सावधान !
तिकड़म से चुनावी सभा करण असोसिएसन द्वारा प्रस्तावित संवैधानिक चेतावनी -
१-हम भाड़ा  का दर्शक अर कार्यकर्ता दिलै सकदवां वोट मीलल कि ना यांकि गारेंटी हम क्या भगवान बि नि दे सकुद !
 २-चुनावी सभा मा  भाड़ा का दर्शकुं भीड़ से यदि तुम तै लगद कि तुम चुनाव जितणा छँवाँ अर चुनावी नतीजा यदि उल्टा आंदन तो यांकि जुमेवारी हमर नी  च।
फीस भुगतान ऐडवांस अर बग़ैर लिखा पढ़ी का !


Copyright@ Bhishma Kukreti  20/11/2013

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