Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360297 times)

Bhishma Kukreti

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                                        भीषम ! जरा ये रूंद नौनु तैं हँसै दे

                                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

जु म्यार स्कूल या कॉलेजो दगड्या छन या म्यार गांवक पुरण लोक छन वु म्यार आजौ तीन चरित्र देखिक खौंळे जांदन कि मि चेन स्मोकर छौं , मि शराब बि पींदु अर सबसे बड़ी खौंळेणै बात च बल मि व्यंग्य लिखुद।
  सबसे जादा आश्चर्य म्यार दगड्यों तैं म्यार व्यंग्य लिखण पर हूंद।  वूंक बुलण च बल जो साम्यवादी , असलियतवादी साहित्य को प्रेमी ह्वावो वो हंसोड्या साहित्य लेखि नि सकुद।
जादातर लोग समजदन कि व्यंग्य साहित्य  हास्य साहित्य हूंद।
अधिकतर लोग समजदन कि मि महमूद या कपिल शर्मा जन हंसांदु।
 तबक छ्वीं छन मुंबई मा गढ़वाली समाज मा अफवाह फैलि गे कि मि हास्य -व्यंग्य लिखुद बस लोगुं मांग शुरू ह्वे गेन कि मि जोक्स सुणौ !
एक दिना बात च , मि सड़क क्रॉस करणु छौ कि समिण पार सैन सिंगन मै देखि अर  खत खत हंसण बिसे गे।  लोगुन समज वै पर पागलपन को दौरा पड़ि गे।
मी सैन सिंगम पौंछु अर पूछ - ये भै सैन सिंग क्या ह्वाइ भै ?
सैन  सिंगन और जोर से हंसद हंसद ब्वाल - ओ भैजि ! तुम तैं देखिक ही हंसी ऐ जांद , ही ही ही .... ।
मीन अपण कपड़ों पर ध्यान दे तो कपड़ा साधारण ही छा।  तो मीन पूछ- कनो क्या ह्वे ग्यायि ?
सैन  सिंग की हंसी बंद नि होणि छे , हंसद हंसद वैन जबाब दे - मीन सूण बल तुम गढ़वाळी मा जोक्स  लिखदा बल ! ही ही ही .... । जरा एकाद जोक त सुणाओ।  ही ही ही .... ।
 मीन बड़ी मुस्किल से सैन सिंग तैं समजाई कि मि व्यंग्य लिखुद ना कि जोक्स।  सैन सिंगs हिसाब से व्यंग्य अर जोक्स मा क्वी अंतर नी च।
एक दैं एक पछ्याण वाळ म्यार ड्यार ऐन अर बुलण मिसे गेन बल - भीषम यार ! मि उना कखि जाणु छ्यायि कि स्वाच कि चलदा चलदा गढ़वाळी जोक्स बि सूण ल्यूं।  जरा एकाद बढ़िया गढ़वाळी जोक्स सुणै दे।  दिखला कि गढ़वाळी अर हिंदी जोक्सुं मा क्या अंतर हूंद धौं।
मीन चायक  प्याला पकड़ांद पकड़ांद वूं तैं जब व्यंग्य अर जोक्स मा अंतर बिंगाइ कि व्यंग्यकार गंदगी दिखादं अर वीं गंदगी तैं साफ़ करदो तो वूं तैं चरचरी मिठि चाय बि क्वाथ जन कडुवी लग।
एक दैं एक सांस्कृतिक सभा मा उद्घोसकन अनाउंस कौर दे कि अब मुम्बई के घना भाई या मुबई के जूनियर महमूद श्री भीष्म कुकरेती गढ़वाली में जोक्स और चुटकले सुनाएंगे।
मीन जब लोगुं तै बताइ कि मि व्यंग्य लिखुद अर चुटकला नि लिखुद। मीन जब समझाइ कि व्यंग्य एक गम्भीर आलोचना हूंद अर व्यंग्य मा हास्य केवल मसाला जन हूंद  त एक  दर्शकै  आवाज आइ - जावो ! जावो ! बैठ जावो ! व्यंग्य क्वी सुणाणै चीज च ?
एक दिन हमर पट्टीक क्वी मोरि गेन।  मी बि श्मशान ग्यों।  जन कि रिवाज च बल कपाल क्रिया बाद मृतक तै श्रद्धांजलि दिए जांद।  खमण का अर मुम्बई मा नामी गिरामी सामजिक कार्यकर्ता श्री रमण  कुकरेती श्रद्धांजलि दीणो विशेषज्ञ छन. वू वैदिन नि ऐन।  त कैन बोलि दे - तै भीषम से ही श्रद्धांजली भाषण बुले द्यावो।  त पैथर बिटेन एक आवाज आइ ," श्रद्धांजलि दीण ! जोक्स थुड़ा सुणान !:
खैर मीन श्रद्धांजली वक्तव्य दे त लोगुं तैं भर्वस ह्वे कि मी गम्भीर वक्तव्य बि दे सकुद छौं।
 इथगा सालुं मा  मीन कुज्य़ाण कथगा दैं हरिशंकर परसाई जीक शब्द दोरैन कि "व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है , जीवन की आलोचना करता है , विसंगतियों , मिथ्याचारों और पाखंडो का पर्दा काटा करता है " पण अबि बि लोग बुल्दन बल "यार भीषम ! यु नौनु रुणु च जरा जोक्स सुणैक ये रुंदा तैं हँसै दे '


Copyright@ Bhishma Kukreti  21/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                          सतपाल महाराज जी ! नै कज्याणि बिगरौ मा पुराणि कज्याण  नि बिसरि जैन !

                                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                 अचकाल क्या बरसों से रिवाज च बल नै नै कज्याणि बिगरौ मा मरद पैलाक कज्याण बिसरि जांद।  पौड़ी क्षेत्रौ सांसद सतपाल महाराज जी का बि इनि हाल दिखेणा छन।  पुराणा जमाना मा हरम संस्कृति मा पुराणि राणि तैं नबाज साबौ दर्शन कर्याँ दसियों साल ह्वे जांद छा अर नबाब साब हर साल नै नै खवानीस दुल्हन तैं हरम जोग करदु छौ।  तथाकथित रेल पुरुष की फोटो दिखुद अर मि तैं यि नबाबजादा याद ऐ जांदन जु पुराणि घरवळिक हिफाजत त करदा नि छा अर नै नै कज्याण्युं कुण नै महल , नै बौड़ी बणान्दा छा । पुराणि कज्याण कुठड़ि पुटुक सड़णि ह्वावो , दम तोड़णि ह्वावो अर बुड्या   नै कज्याण लाणो विचार सरा गां वाळ तैं बताणु कि मीन नै बिगरैलि बांद लाणाइ।  सतपाल महाराज की याद करदु अर मि तैं इतिहास का उ दिन याद ऐ जांदन जब पैल रणिवास मा दस दस कज्याण सालों से राजा प्रतीक्षा करणा रौंदि छे कि राजा आवो त राजकुमार -राजकुमारी पैदा ह्वावन पण राजा च कि अपण नपुंसकता  छुपाणो बान , अपणि इम्पोटेंसी लुकाणो वास्ता हर साल दस नई दुल्हन लांदो छौ। सौ राण्युं नपुंसक पति महाराज  दुनिया मा बुलणु रौंद छौ मि  परजा तैं राजकुमार दीणो बान दूर देस से नई राणि लाणु छौं।  सतपाल महाराज की फोटो देखिक मि तै वै कजे याद ऐ जांद जु छौंद भूख -तीस से बेहाल बच्चों देख भाळ करणम असमर्थ ह्वावो पण चौथु ब्यौ त्यारी मा व्यस्त रावो।

  सतपाल जी यदि महाराज नि हूंद छा त सचमुच मा म्यार मुखान कुजाण क्या क्या गाळी -लाब -काब ऐ जाण छौ धौं।
सतपाल महाराज जी तताकथित रेल पुरुष नि हूंद छा त मीन सतपाल जीक बांठै धरण छे कि असभ्य से असभ्य गाळी बि शरमा मारन मूक लुकै दींदि !
सतपाल महाराज जीन गढवाळम आश्रम नि खोल्यां हूंदा त मीन सतपाल महाराज जी  तैं इन इन गंदी से गंदी उपमा दीण छे कि केजरीवाल की आप पार्टी मि तैं उत्तराखंड ना सै पण गढ़वाल का पार्टी अध्यक्ष अवश्य बणै  दींदी।
सतपाल माहाराज जी एक दैं हम लोगुं तैं भरमाणो वास्ता ही सै लोकसभा मा स्थानीय भाषाओं तैं संविधान की आठवीं सूची मा रखणो प्रस्ताव नि लांदा छा त मीन सतपाल जी तैं  खूनी  खजर , खूनी मंजर  , खूनी खंद्वार जन बेहयाई पदवी  देक भाजपा सम्राट से गुजरात रत्न की पदवी त  लेइ  लीण छे। 
  नै नै ! जरा ठहरो ! सतपाल महाराज जी अपण श्रीमती अमृता रावत जी छोड़ि दुसर पत्नी नि लाणा छन।  बात कुछ हौर च।
 अबि कुछ दिन पैल सतपाल महाराज उप राष्ट्रपति दगड़ लैटिन अमेरिका मा पेरू देस गेन अर सतपाल जीक दिल किनुआ पर ऐ गे।  अर दगड़म उत्तराखंड की उद्यान -बगवान मंत्र्यांणी श्रीमती अमृता रावत को दिल बि पेरू   का किनुआ पर ऐ गे ।
मनुष्य पर दुसरौ कज्याण बिगरैलि  अर दुसरौ कजे कामगति लगणो रोग पुराणो च।  सतपाल महाराज जी अर श्रीमती अमृता रावत तै किनुआ मा उत्तराखंड विकास का वास्ता एक रामबाण   दिखे गे।
किनुआ एक गुलेटिनहीन , उच्च प्रोटीनयुक्त अनाज (स्यूडोसीरल )  च जो कम नमी बलुआ धरती मा बि खूब पैदा ह्वे सकद।
अब जब सतपाल महाराज जी अर श्रीमती अमृता रावत का दिल किनुआ पर ऐ गे तो इन बुल्याणु च बल पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय का वैज्ञानिक पेरू जाला अर निकट भविष्य मा किनुआ की खेती उत्तराखंड मा बि होलि। सतपाल जीक दलील च बल कम कीमत पर उत्तराखंड्युं तैं एक सम्पूर्ण अनाज मिल  जालो।  सतपाल महाराज पेरू का कई रंगीन मुंगर्युं से भि प्रभावित छन अर सतपाल महाराज यूँ मुंगर्युं तैं उत्तराखंड मा लाण चाणा छन।

सतपाल महारज जी ! क्या उत्तराखंड की समस्या नयो  अनाज नि उपजाणौ  च ?
क्या उत्तराखंड कृषि की समस्या या च कि उत्तराखंड मा रंगीन मुंगरी नि हूँदन ?
क्वादो -झंगोरा की ही खेती पहाड़ मा दुबर शुरू करवावो तो उत्तराखंड तैं किनुआ की जरूरत ही नी  च।  चलो माना नई कज्याण किनुआ पुराणि कज्याण झंगोरा -क्वादो से जादा उपजाऊ च पण  सासत्व सवाल को जबाब कु द्यालो कि पहाड़ों मा खेती करण वाळ कखन आला ? सतपाल महारज जी ! किनुआ की खेती का वास्ता बि त उत्तराखंड -पहाड़ों मा किसाणु जरोरत होलि कि ना ?
सतपाल साब ! किनुआ की कृषि वास्ता बि त गूणी -बांदर -सुंगर से रक्षा बंदोबस्त की जरूरत होलि कि ना ?
सतपाल साहब ! पहाड़ों की समस्या क्या क्या फसलो खेती करे जावो कतई नी  च बल्कणम असली समस्या त खाली गाँव छन।   आपका संसदीय क्षेत्र का तो नया रिकॉर्ड च कि पौड़ी जिला मा जनसंख्या मा भारी कमी आणि च।
सतपाल जी ! पैल इन बतावो कि किनुआ उगाण  असली समस्या को निदान च   क्या ?
पहाड़ों मा अनाज उगाण कदापि बि समस्या निदान नी  च बलकणम समस्या निदान तो बागवानी ही च।
उत्तराखंड की समस्या किनाउहीन खेती नी च  बलकणम प्रवास्युं द्वारा कृषि मा भागीदारी नि निभाण च।  जब तलक पुंगडूं  असली मालिक प्रवासी कृषि मा भागीदारी नि निभाला तब तलक किनुआ की बात करण फोकटिया सुपिन दिखण च अर शायद प्रवासी बागवानी मा ही भागीदारी निभै सकदन।
तो सतपाल महाराज जी पैल प्रावास्युं भागीदारी बारा मा समाधान की स्वाचो फिर किनुवा का बारा मा स्वाचो।
अनाज की खेती मा प्रवास्युं (  खेतों असली मालिक छन ) भागीदारी ह्वैइ नि सकदी तो फिर किनुआ कु उपजालु ?
अर किनुआ /किनुवा कि खेती इन बि नी  च कि तिल जन ब्वावो अर फिर काटणो ही जावो।  आज यदि इनि जि  फसल उगाण सरल हूंद त पहाड़ी गांवों मा तिल की खेती तैं किले आप बढ़ावा नि दीणा छंवां ?
म्यार सांसद जी ! ऊत्तराखण्ड का पहाड़ों समस्या या नी च कि उख दुनिया का सबसे स्वास्थ्य वर्धक अनाज की खेती नि होंदि ।  पहाड़ों समस्या केवल एकी च कि प्रवासी खेती मा भागीदारी नि निभाणा छन अर प्रवास्यूं भागीदारी बगैर तुम अमृत बी लावो तो खेतिs दशा नि सुधर सकदी ! मेरी दरख्वास्त च बल किनुआ तैं प्रवास्युं भागीदारी से ज्वाड़ो तबि किनुआ का बारा मा ब्वालो



Copyright@ Bhishma Kukreti  22/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                                        तेरि  गुळादंगी त पाप , मेरि गुळादंगी पुण्य ! 
                                             चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

जब हम छुट छया त हमर कंदूडुंद  तेल जन कुछ शब्द भौरि भौरि डाळे गेन बल राजाशाही से बढ़िया लोकशाही हूंद।
पण मै लगद यु भ्रम च।  राजकरणी का  नियम सासत्व छन।  राजकरणी अपण कथगा बि रूप बदल द्यावो ,  चाहे राजा राज करे  चाहे जनप्रतिनिथि शासनाधीस ह्वावो , सबि जगा , हरेक समौ राजकरणी का छल -कपट इकजनि हूंद।
अब अचकाल सूचना माध्यमो आण से राजकरणी का कर्णाधारों नया नया कुकर्मी करतूत  हर पल समिण आणा छन ।
पण राजनैतिक नेताओं का बयानो अर कर्मों से पाप अर पुण्य की पूरी परिभाषा ही बदल गेन । पैल चोरी-जारी पाप छौ पण आज चोरी -जारी पाप बि ह्वे सकद अर महापुण्य बि ह्वे सकद।
आपकु   विरोधी दल गोरुक  पींडु खाव त पाप पण आप अफु  गोरु घास खाओ त वो पुण्यकर्म ह्वे जांद।  पाप -पुण्य की परिभाषा ही बदले  गे।
शब्दकोश आज बेकार ह्वे गेन।  डिक्सनरी का क्वी मोल इ नि रै गे।  भारतीय जनता पार्टी कुण कॉंग्रेस  वंशवाद त परिवारवाद च पण अकाली दल , शिव सेना , बीजू जनता दल को वंशवाद प्रजातंत्र तैं बचाणो बान महान औषधि छन।
ब्याळि तक नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड भाजपा क दगड़ छे त भाजापा एक महान धर्मनिरपेक्ष पार्टी छे।  जैबरि बिटेन जनता दल यूनाइटेड कु भाजापा से पलाबन्द खतम ह्वे तो नीतेश कुमार ऐंड कम्पनी वाळु कुण भाजपा खुन्कार , कुटिल , कातिल नॉन सेक्युलर पार्टी ह्वे गे। नीतीश कुमार ऐंड कम्पनीन अवसरवाद, सत्ता बान झूट -फरेबों की परिभाषा ही बदल दे।
जैबर तलक भाजापा नीतिस कुमार की सरकार मा छे त सरकार कर्मठ छे, विकासवादी छे , जन आकांक्षाओं तै पूरी करदि  छे पण इना भाजपा नीतेश से बिगऴयाइ , अलग ह्वाइ कि भाजपा वाळुकुण नीतेश सरकार लुंज , नाकाबिल , जनविरोधी ह्वे गे।  भाजापा वाळुन प्रशासनिक कर्मठता की परिभाषा ही बदल दे।
कोयला घोटाला की बात हूंदी त कॉंग्रेस बुल्दी बल न्यायालय तैं अपण काम करण द्यावो पण नरेंद्र मोदी का बारा मा बयान दीन्दन कि नरेंद्र मोदी तैं इस्तीफा दीण चयेंद। कॉंग्रेसन अभियोग , अभियुक्त ,अभियोगी की सम्पूर्ण जमी जमाई परिभाषा ही खतम कौर दे।
दिल्ली मा बलात्कार की घटना हूंद त भाजापा वाळु कुण बलात्कार की घटना शीला दीक्षित की नामकामयाबी ह्वे जांद पण मध्य प्रदेश का बलात्कार एक सामाजिक विसंगति का प्रतिफल ह्वे जान्दन। एक बलात्कार लौ ऐंड ऑर्डर से उपज्युं बलात्कार अर दुसर बलात्कार सामजिक बिसंगति से उपज्युं बलात्कार।  भाजापान लौ ऐंड ऑर्डर की डेफिनेशन ही  बदल दे।
भाजपा वाळु कुण जय ललिता का भ्रस्टाचार तो कॉंग्रेस की वक्रदृष्टि का फल च पण भाजापा वाळु कुण डीमके वाळु  भ्रस्टाचार बल एक जघन्य अपराध च।  भाजपा वाळुन करप्सन की डेफिनेशन ही करप्ट करि दे।
पैल जब भाजापा या कॉंग्रेस पर स्टिंग ऑपरेसन से क्वी अभियोग लगद छौ त केजरीवाल की महत्तवाकांक्षा रूपी आम आदमी पार्टी अभियोगी से तुरंत इस्तीफा की मांग करदि छे।  पण अपण स्टिंग ऑपरेसन तैं दुसर दल   की साजिस बतैक स्टिंग ऑपरेसन तैइ खारिज  कौर दींदन।  दूसरौ पाप पाप अर अपण पाप पुण्य ! दूसरौ गुण अवगुण अर अपण अवगुण सदगुण !
तहलका समाचार समूह अभियोग्युं तै अभियोग साबित हूंण से पैलि तुरंत फांसी पर लटकाणो मांग करद छौ (खासकर भाजापा संबंधी केस )। . पण   जब तहलका समाचार समूह का तेजपाल यौन शोषण केस को अभियोगी पाये गए तो तहलका समूह की मुखिया शोमा चौधरी न्यायिक प्रक्रिया , संवैधानिक प्रक्रिया , नागरिक का अपण अधिकार की बात करण मा लगि गे। अफु तैं  पाक -साफ़ की प्रतिनिधि बताण वाळि  शोमा चौधरीन दोगलापन ,दुत्तोपन ,  दुत्तीकरम की परिभाषा ही बदल दे। दुसरो कर्म पाप अर अपण बीभत्स दुस्कर्म भी पुण्य !
अब पाप अर पुण्य मा क्वी फरक , भेद , अंतर ही खतम ह्वे ग्यायि ।
अब त पाप पुण्य को मापदंड ही नि रे गे। पता ही नि लगणु कि पाप -पुण्य को असली मापदंड क्या च ?




Copyright@ Bhishma Kukreti  23/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]


Bhishma Kukreti

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                                            गरीबो ! भुजि खाण बंद कारो

                                            चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
मीन गरीब से पूछ ,"  तुम कथगा  खाणा खांदा ?"
गरीब - साब कथगा माने क्या ?
मि  -मलसन तुमर परिवार कथगा भुजि खांद ?
गरीब -यि त भुजि कीमतों पर निर्भर करद
मि - मतबल ?
गरीब -जनकि अजकाल गोभी आठ अन किलो सस्ती ह्वे गे त हम सबि खुसी खुसी एक एक जखेलि गोभि खै लीन्दा
मि  - बंद कारो एक जखेलि गोभि खाण बि.
गरीब - अरे एकै जखेलि गोभी खाण बंद करि द्योला त फिर रुटि क्यांमा खाण ?
मि -अरे तुम लोग गरीब छावो त गरीब जन रावो
गरीब -त हम एक जखेलि भुजि मा सात आठ रुटि त खांदा !
मि -नै नै तुम तै क्वी हक नी  च कि तुम भुजि का  सुपिन बि द्याखो
गरीब -त रुटि क्यामा खाण ?
मि -जन पैल खांद छा ?
गरीब -प्याज मा ?
मि -हां
गरीब -साब प्याज मैंगो ह्वे तबि त हम अब भुजि तरफ दिखणा छंवां
मि  -नै नै ! कुछ बि कारो तुम भुजि खाण बंद कारो।
गरीब -पण साब कुछ दिन पैल त तुमन सलाह दे छे कि हम गरीबुं तैं खरीदी बढ़ाण चयेंद
मि -तब वित्त मंत्री अर प्रधान मंत्री रूणा छा कि भारत मा उपभोक्ताओं खपत नी बढ़णि च त मीन देश की आर्थिक दसा सुधारणो बान तुम गरीबों तैं सलाह दे छे कि खपत बढ़ावो।
गरीब -अर अब क्या कांड लगि गेन जु तुम हम गरीबुं तैं सलाह दीणा छवां कि भुजि खाण बंद कारो।  कु असुण्या , बिलंच , बेगैरत , बेरहम हम गरीबुं से जळणु च ? वैकि त जीब रुंगड़ी दीण चयेंद  !
मि -नै नै ! वु गरीबुं सबसे बड़ा हितचिंतक छन पण वूंक स्टेटिस्टिक्स बताणि  च कि अब समय ऐगे कि देस हित , देसौ आर्थिक हितार्थ  गरीबुं तैं भुजि नि खाण चयेंद।
गरीब -जरा बतावो त सै वैक नाम जु बुलणु च कि गरीबुं तैं भुजि नि खाण चयेंद। मि वैक दांत तोड़ि द्योलु ,वैक आँखि फोड़ द्योलु , वैक झुगल्युं पर आग लगै द्योलु ! कुलैल्वैखतरी (माथे के नीचे वाला हिस्सा फोड़ना ) कौरि दींदु। 
मि -तुम गरीबुं मा ये ही बीमारी च तुम असंवैधानिक शब्दों प्रयोग करदा।  अब हिंसा की बात पर केवल नेता  या आतंकवाद्यूं अधिकार च !
गरीब -नै तुम बतावो त सै वैक नाम जु बुलणु च बल गरीबुं तैं भुजि नि खाण चयेंद मि वैक हत - खुट नि तोड़ि द्यूं त म्यार नाम बि गरीब नी  च।
मि -नै नै भै ! वो त देस हित मा हि बुलणा छा। 
गरीब -क्या ?
मि -कि चूंकि गरीबुंन द्वि भुजि खाण शुरू कौर त मंहगाई , इनफ्लेशन बढ़ी गे !
गरीब -वै ,  जालिम , जालिया (धोखेबाज ) , कोढ़ीक नाम त बतावो ? वै पर चीरा लगैक कवौं मा नि बाँटि द्योलु त म्यार नाम गरीबी लिस्ट से निकाळ देन।
मि -देखो ! गरीबुं तैं गुस्सा नि हूण चयेंद ।  वो बड़ा जुम्मेवार पद पर छन अर मंहगाई से भौत परेसान छन. देस मा मंहगाई बढ़ण से  वूंकि भूक -तीस -निंद हर्चीं च ।  वो चाणा छन कि मंहगाई कम ह्वे जावो।  तो ऊं तैं एक मंहगाई बढ़णो एकि  कारण नजर आयि  कि चूँकि गरीब लोगुंन भुजि जादा खाण शुरू कार तो मंहगाई बढ़ गे।
गरीब -वै मूर्ख, पाजी , अज्ञानी , अहमक  तै ब्वालो कि मंहगाई इलै नि बढ़ कि गरीब लोग  सब्जी जादा खाणा छन।
मि -त फिर मंहगाई किलै बढ़ ?
गरीब -मंहगाई इलै बढ़ कि संसाधनो पर द्वी चार लोगुं अधिकार ह्वे गे , सरकारी योजनाऊँ कु अद्धा से जादा पैसा त भ्रस्टाचार्युं तिजोरी जोग ह्वे जांद।
मि -पण आर्थिक सर्वेक्षण यीं बात पर सहमत नी  च।
गरीब - जरा वै कमदिमग्या नाम तो बताओ जु झूट बुलणु  ?
मि -अपण केंद्रीय मंत्री श्री कपिल सिब्बलन ब्वाल कि गरीबुं आय -इनकम बढ़ण से गरीबुंन दु दु भुजि खाण शुरू कार त मंहगाई बढ़ गे।
गरीब -सॉरी ! मि अपण सौब अल्फाज वापस लींदो।
मि -कनो क्या ह्वाइ ?
गरीब - वै वकील कपिल सिब्बल की दलीलों समिण ज्यूंरा बि नि जीत सकुद त हम गरीबुं औकात क्या च ? एक बात बतावो चुनाव कब छन ? छन कब चुनाव   ?चुनाव की तारीख बतावो ?
मि -कनो चुनाव अर मंहगाई को क्या संबंध ?
गरीब -इन बेरहम , निरदयी , गैरजरुरी , संवेदनहीन, गैरवाजिब , गरीबुं मजाक -हंसी उड़ान वळ , गरीबुं  घावुं पर लूण -मर्च लगाण वळ कुतर्कों /दलीलुँ का असली , सुडौल  जबाब त केवल वोटिंग मशीन का पास ही च !
 

Copyright@ Bhishma Kukreti  24/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                                 नामर्दी की  परिभाषा राजा भरथरी अर तरुण तेजपाल का संदर्भ मा

                                            चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

सूत्रधार - भरथरी उज्जैन देशौ  महान राजा छौ।  जैक रणिवास मा   सहतर से अधिक राणी छे। पण भरथरीक प्रेम राणी पिंगला से जरा बिंडी इ  छौ।  एक दिन वै तैं एक साधुन  अमर कीर्ति पाणौ  फल दे , भरथरीन वो फल अपण प्रेमी तैं दे , प्रेमिन वो फल अपण प्रेमिका एक वैश्या तै दें अर वीं गणिकान वो फल अपण कृपासिंधु विक्रमादित्य तैं दे दे। राजा भरथरी तैं या  बात पता लग तो वो प्रयाश्चित स्वरुप सन्यासी ह्वे गे।  एक दिन राजा भरथरी भिक्षा मांगणौ रानी पिंगला मा ऐ।  अलग अलग क्षेत्रों मा लोकगाथाउं भरथरी -पिंगला संवाद अलग अलग ढंग से गाये जांद।  पण यु संवाद  इन बि त ह्वे सकुद छौ।  सुणो अर द्याखो भरथरी -पिंगला संवाद!
भरथरी -हे माता  पिंगला भिक्षा दे दे ।
पिंगला -वो हो !  द्याखो ! दुनिया का महान ढोंगी मर्द आज मँगत्या भेस मा भीख मांगणु च. बोल पुरुषार्थ की भिक्षा द्यूँ या अनाज की भिक्षा ?
भरथरी - माते !  मानव तै कुटिल शबद शोभा नि दींदन
पिंगला -अच्छा ! हे कपटी मरद ! जब तुम्हारो सन्यासी हूण पर हम सहतर राणी रांड -विधवा जीवन  यापन करणा छंवां तो वो सभ्य मानव की पहचान च है ?
भरथरी -यो सौब पाप कर्मों फल च माते।  कर्मफल तो भुगण ही पड़दन।
पिंगला -हाँ कर्मफल या पाप तो तुम्हारो छौ पण हम सहतर स्त्री तुम्हरो पाप कर्मो फल भुगतान करणो मजबूर किलै करे गेवां ?
भरथरी -ये तो संसार का संसारी जाळ मा फंस्युं समाज से पूछ जैन यो सामजिक नियम बणयां छन।
पिंगला -अर भगोड़ो के सरताज ! तुम तै क्या पूछे जावो ?
भरथरी -मि बताइ सकुद कि ये भव संसार तैं कनै पार करे जावो अर परलोक प्राप्ति साधन बताइ सकुद !
पिंगला -हे कर्तव्य बिमुख्युं सम्राट ! हम सहतर राणियुं समस्या परलोक नी  च यो ही लोक च।
भरथरी -यांक उत्तर मीम  नी च !
पिंगला -तो फिर तुमन मी पर बेवजह शक किलै कार ?
भरथरी -मीन कीर्ति पाणो फल  त्वे तैं दे छौ अर तीन वो एक परपुरुष तै दे दे !
पिंगला -तो इखमा साबित कख हूंद कि वो मेरो प्रेमी छौ।  हमर आपस मा मधुर संबंध अवश्य  छा पण प्रेम तो नि छौ। तुम मर्द अफु त निष्ठावान नि रौंदा पण स्त्रियों से सौ प्रतिशत निष्ठा की ख्वावीश करदां। अर हे शंकित मर्द ! तुमन बगैर जाँच्या परख्यां सन्यास को निर्णय ले ल्याइ।  हे निरदयी मर्द! विवाहित ह्वेक , सहतर जनान्युं पति ह्वेक बि अपणो आप संन्यास लीणो निर्णय लीण एक पुरुषत्वहीन   को ही काम ह्वे सकुद।
भरथरी -पिंगला राणी ! अपुरुष  की उपाधि ठीक नी  च !
पिंगला -हाँ इन पुरुष तैं त अपुरुष ना किमपुरुष की उपाधि ही ठीक लगद।  पुरुष जब चाओ  जैक दगड़ चाओ  वैक दगड़ गैरमुनासिब संबंध बणै सकुद अर फिर वुं संबंधो तैं तोड़िक भजोड़ा बण सकुद।  यि  भजोड़ा मर्द मर्द ना बलकण मा केवल पुरुषत्वहीन  या केवल किमपुरुष ही ह्वे सकुद।
भरथरी -पिंगला मी इक अशोभनीय शब्द सुणणो नि अयूं छौ।
पिंगला -वाह मर्दों तै आयना दिखाओ तो क्रोध अर शब्द अशोभनीय ह्वे जांदन।  जो पुरुष अपण पाप प्रयाश्चित का खातिर अपण पौरुषीय जुमेवारी से भागो वो या तो पुरुषत्वहीन च या किमपुरुष च . वो  सन्यासी नी च वो नपुंषक च , नामर्द च। अर तुम पुरुषोंन एक पुरुषत्वहीन   विश्वामित्र तैं ब्रह्मर्षि की उपाधि बि दे जैन महर्षि  पद पाणो खातिर अपण बेटि शकुंतला छोड़ी, जैन अपण मानवीय उत्तरदायित्व नि निभाई ।
भरथरी -मि अब एक क्षण बि इक नि ठहर सकुद।
पिंगला -पुरुषत्वहीन तैं पुरुषत्वहीन ब्वालो तो वो इनि बहाना दींदु।

सूत्रधार -अब अचकाल एक समाचार रोज सुण्याणम आणो च कि तहलका पत्रिका का मुख्य सम्पादक तरुण तेजपालn  अपणि कनिष्ठ पत्रकारिण से द्वी दै छेड़ छाड़ कार।  अर फिर प्रयाश्चित   स्वरुप अफिक  छै मैना संन्यास ले ल्याइ। क्या तहलका पत्रिका का तरुण तेजपाल अर वैकि पत्नी का मध्य संवाद नि ह्वे हवालु ? अवश्य ह्वे होलु अर ह्वे सकुद च द्वी पति -पत्नी मध्य इन संवाद बि हे ह्वे होलु ' जरा सूणो अर द्याखो।
टीवी समाचार - तहलका पत्रिका की  कनिष्ठ स्त्री पत्रकार ने पत्रिका के मुख्य सम्पादक तरुण तेजपाल पर दो बार शारीरिक छेड़खानी का आरोप लगाया और तरुण तेजपाल ने प्रायश्चित स्वरुप पत्रिका से छह महीनो के लिए सन्यास की घोषणा कर दी है।
मिसेज तरुण तेजपाल (अट्टाहास करद करद )- वाह ! डियर तरुण !
तरुण तेजपाल - इख मेरि इज्जत ख़तम हूणि च अर तू इथगा जोरुं से हंसणि छे ?
मिसेज तरुण तेजपाल- हां हां ! याद च एक पार्टी मा मि एक मित्र का दगड़ घुल मीलिक छ्वीं लगाणु छौ अर डियर तरुण तीन पार्टी ही मा बबाल खड़ो कर दे छौ अर ड्यारम तीन म्यार दगड़  जु बरताव कार वो संबळिक आज बि मि तैं रूण आण बिसे जांद। 
तरुण तेजपाल-हाँ पण मि सहन नि कौर सकुद कि मेरी प्रिया कै हैंकाक ....
मिसेज तरुण तेजपाल-हा  ! हा ! मर्द चांदो कि पत्नी पर एकाअधिकार रावो  किन्तु अफु अपणी बेटि सहेली दगड़  शारीरिक संबंध बणाण मा क्वी बि शरम ल्याज ना हैं ?
तरुण तेजपाल-अरे क्षणिक भावनाओं को ज्वार भाटा मा इन ह्वे गे।  निथर …
मिसेज तरुण तेजपाल-हे राजनीति अर समाज मा  स्वछता को धड्वे, ओजस्वी , प्रखर पत्रकार ! एक बात बतावो  यदि यही आरोप मै पर लगदा तो तुम्हारि क्या प्रतिक्रिया हूंदी ?
तरुण तेजपाल-उं ! उं …
मिसेज तरुण तेजपाल-हाँ ! हाँ ! तुम जबाब ही क्या दे सकदवां ? मर्द स्त्री से एकनिष्ठा ही चांदो अर अफु जख चाओ उज्याड़ खैक ऐ जावो।   मर्दों तैं पत्नी से  एकनिष्ठा की शत प्रतिशत चाहत हूंदी ।
तरुण तेजपाल-उं ! उं …
सूत्रधार - मिसेज तरुण तेजपाल क्वी राणी पिंगला त छ ना जो अपण पति तै नामर्द, नपुंषक   या पुरुषत्वहीन बोलि द्यावो ।  हां आप ही फैसला कारो कि जु सम्पादक हारुँ  गुनाहों तैं त उजागर करण म बहुत ही माहिर च अर अफु इन बेहयाई , बेशर्मी को गुनाह कारो तो वो मर्द , मर्द च या नामर्द च , नपुंषक च या पुरुषत्वहीन च  ?


Copyright@ Bhishma Kukreti  26/11/2013
यह लेख सर्वथा काल्पनिक है।

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                                         धर्मनिरपेक्ष बलात्कार अर सेक्युलर भ्रष्टाचार निवारण मंत्र

                                                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

            अथ: कळजुगी 'तहलका -कोहराम का तहखाना' वाले बाबा तरुण तेजपाल बलात्कार निवारण मंत्र लिषित:
 
                                                     अथ: बलात्कार -भ्रष्टाचार प्रायश्चित मंत्र प्रारम्भ

बलात्कार या भ्रष्टाचार या गर्ल सर्विलेंस (नौनी जासूसी ) मा फंस्युं प्राणि तैं पैल अग्यारा दैं बुलण -लिखण चयेंद बल यी पिछ्ला दिन बड़ा तनाव का छया।
फिर बलात्कारी  कळजुगी 'तहलका -कोहराम का तहखाना' वाले बाबा तरुण तेजपाल का नाम व दगड़ मा कलजुगी माइ शोमा चौधरी अथवा बाबा आशा राम आदि का नाम लेकि इकीस दैं जाप  करिक अफु तै  बेशर्मी से मुआफ करण चयेंद ।
 भ्रष्टाचारी तैं कळजुगी महात्माओं जन कि महापुरुष लालू यादव , बंगारू लक्ष्मण , ए राजा , यदुरप्पा , कलमाड़ी ,  मुंडा , शिबू शोरेन , बंसल-भतीजा जन देवों का तेरा दैं जाप करण चयेंद। जाप का बाद अफु तैं मुलायम सिंग देवपुरुष या मायावती भगवती जन पाक साफ़ घोषित कौर दीण चयेंद। अवश्य ही सेळि पोड़लि।  यदि यी जाप काम नि आंदा तो विंध्यांचल -दक्षिण नरेश अजित पवार का जाप कारो अवश्य सफलता मीललि।  देव अजित पवार का नाम लेंदी कसूरवार अफु तै पवित्रात्मा समजण बिसे जांद। दगड़म स्कैम पुराण को वाचन बि करण चयेंद।
बलात्कारी व भ्रष्टाचारी तैं प्रायश्चित मंत्र जाप का बाद यदि सेळि नि पोड़दि त घोर कळजुगि टोटकाचार्य, हिप्पोक्रसीआचार्य,चालबाज-सम्राट  तरुण तेजपाल का नाम से पाणि मंत्रो अर फिर वै मंत्र्युं पाणि तैं अपण पर छिड़को।  ध्यान रहे सन्यास से पैल अपण  संबंध्युं तै गद्दी मा बैठैक  लघुतम -सन्यास की घोषणा करण चयेंद।   सगा संबंध्युं तैं गद्दी दियां बगैर संन्यास पूरो नि माने जांद।

                                                              अथ: जमनात मंत्र प्रारम्भ

बलात्कार या भ्रष्टाचार, गर्ल सर्विलेंस से सद्गति पाणो सबसे उत्तम पथ न्यायदेवी से अग्रिम जमानत प्रार्थना च।
अग्रिम जमानत या साधारण जमानत मा बलात्कार या गर्ल सर्विलेंस तैं या भ्रष्टाचार तैं सेक्युलर या स्यूडोसेक्युलर सिद्ध करण प्रत्येक बलात्कारी या भ्रष्टाचारीक प्रथम अधिकृत अधिकार  च।
यदि तुम बलात्कार का केस मा फंसि गेवां त बेशर्मी, लज्जाहीनता  से अपण बलात्कार तैं सेक्युलर बलात्कार बताण आवश्यक च। ह्वे साको त अपण बलात्कार तैं अहिंसावादी , मानवता हितैषी बलात्कार बतैक जमानत प्रार्थना पत्र द्यावो। यही काम भ्रष्टाचारी क बि च अपण भ्रष्टाचार तैं देशहित,-राष्ट्रहित,-समाजहित , अनुसूचुत जाती हित या आदिवासी-हित से जोड़ो। आपका बलात्कार व भ्रष्टाचार कै ना कैका हित मा हूण जरूरी च।

                                        अथ: अपराध को राजनीतिकरण मंत्र प्रारम्भ

कै बि अपराध को राजनैतिकरण ह्वे गे  तो समझो पापीन  भव सागर पार करि याल ।
जमानत की अर्जी मा बलात्कारी , भ्रष्टाचारी या गर्ल सर्विलेंस का तथाकथित अभियोगी तैं लिखण चयेंद कि चूंकि वैको /वींको बलात्कार सेक्युलर च,  रेप की अथक कोशिस ह्यूमन बेनेफिट्स मा च या भ्रस्टाचार व गर्ल सर्विलेंस राष्ट्रहित मा च त FIR फलण प्रदेस मा ना अलण प्रदेस मा हूण चयेंद।
यदि बलात्कार च त बलात्कारी तैं बेहिचक प्रार्थना करण चयेंद कि चूंकि म्यरो बलात्कार प्योर सेक्युलर च तो भाजापा या स्यूडोसेक्यूलर पार्टी की  सरकार से मी तैं न्याय की उम्मीद कतै बि नी  च।
बलात्कार का जथगा जोरुं से राजनीतिकरण ह्वावो उथगा ही अधिक फायदा बलात्कारी तैं होलु।  इनि  भ्रस्टाचार या गर्ल सर्विलेंस का हाल छन।  अभियोग  को राजनैतिकरण हूणों  बाद अभियोग हर्ची जांद अर राजनीति की चक्कलस अग्वाड़ी ऐ जांद अर अभियुक्त पाक -साफ़ सिद्ध ह्वे जांद।
यदि  बलात्कार तैं धर्म, जाति  या क्षेत्र विशेष  से जुड़े जावो  तो बलात्कारी का वास्ता लाभ की  संभावना अधिक बढ़ जांद  ।
अथ: धर्मनिरपेक्ष बलात्कार एवम  सेक्युलर भ्रष्टाचार निवारण मंत्रस्य  प्रथम अध्याय  सम्पन।। १।।


Copyright@ Bhishma Kukreti  27/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

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                        पहाडुं  शिक्षा गाड़ी पटरी पर किलै नी आणि च ?

                                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

एक प्रवासी (जोर कै धै लगांदु )- अरे यी शिक्षा गाड़ी तैं क्या ह्वे भै ? बड़ी दरदनाक बात च कि हमार गांवक शिक्षा गाडी इंजिन  बुरी हालात मा च।
मुम्बई बिटेन आयुं प्रवासी  - मै लगद या गाड़ी पटरी से उतर गे।
दिल्लि बिटेन आयुं प्रवासी - नै नै गाड़ी त ऊनि च जन सन 1890 मा अंग्रेज यीं गाड़ी तैं ये गां मा ल्है छया।
अमेरिका बिटें अयुंप्रवासी  - हाँ  लगणु च गाड़िक अंजर पिंजर ढीला ह्वे गेन।
सबि प्रवासी -नै नै हमर गांवक शिक्षा गाड़ी दौड़न चयेंद।  हम सब तैं कुछ करण चयेंद।
एक प्रवासी इंजिनियर  - अरे इंजिन का अग्वाड़ी द्वी पहिया अलग अलग साइज का किलै छन ?
एक प्रवासी जणगरु - हाँ एक पहिया शिक्षक च अर हैंक पहिया शिक्षा प्रशासन च।
इंजिनियर -पण दुयुंक साइज अलग अलग च त गाड़ी पटरी से नि उतरलि त क्या ह्वालु ?
जणगरु -दुयुंक साइज एक बि ह्वै बि जालो तो शिक्षा गाड़ीन अग्वाड़ी नि बढ़ सकद।
इंजीनियर - किलै ?
जणगरु -एक वाममार्गी च त हैंक दक्षिण मार्गी च।  अंग्रेजूं टैम इ बिटेन द्वी पैया अलग अलग दिशा मा चलणा रौंदन।
इंजीनियर - कनो ?
जणगरु - प्रशासन बुलद बल बच्चों तैं शिक्षा नौकरी पाणो जरिया हूण चयेंद बस तो  शिक्षक बुलद बल  नौन्याळु आचार -विचार -ज्ञान -विज्ञान बढ़ाणो शिक्षा दिए जाण चयेंद।
इंजिनियर -हां सही बात त च कि नौन्याळु आचार -विचार -ज्ञान -विज्ञान बढ़ाणो शिक्षा दिए जाण चयेंद।
जणगरु -पण द्वी पहिया अलग अलग दिशा मा चलणा कोशिस करदन अर गाड़ी अग्वाड़ी ही नि बढ़द।
विशेषज्ञ -अर पैथर समाज , नेतृत्व का पहिया बि छन जो उत्तर या पश्चिम दिशा गामी छन। चार पहिया अलग अलग दिशा मा चलदन।
एक प्रवासी - अरे पर यूं  पहियों नट , बोल्ट , स्क्रू त ढीला हुयां छन।
एक ग्रामवासी - वांक बान दिल्ली बिटेन शिक्षा नीति संशोधन का टिक्वा बि त अयाँ छन।
जणगरु -पण वो अधकचा, अधकचरा  टिक्वा नट , बोल्ट , स्क्रू की जगा त नि ले सकदन ना ?
एक प्रवासी -अरे ये इंजिन बिटेन सड्याण किलै आणि च ?
हैंक प्रवासी विशेषज्ञ -पुराणो सिलेबस सौड़ी गे  तो   वांक दुर्गन्ध आणि च।
जणगरु -पण सरकार त पांच दस सालम सिलेबस बदलणि रौंद त फिर बि इथगा दुर्गन्ध किलै ?
विशेषज्ञ - असल मा सिलेबस पूरो नि बदल्यांद। तो पुरण सिलेबस नै सिलेबस तैं सड़ै दींदु।
इंजिनियर - एक बात बतावो ! शिक्षा इंजिन त जै बि हालत मा च स्यू त च।  पण शिक्षार्थी कख छन ?
ग्राम वासी -अब क्वी अपण बच्चों तैं गां मा नि पढ़ान्द।  सब्युं बच्चा  देहरादून या ऋषिकेशउंद पढ़दन।
कुछ  प्रवासी - हम सब तैं अपण मातृभूमि शिक्षा वास्ता कुछ ना कुछ करण चयांद ।.
एक बणिया - अरे जन शहरूं मा हूणु च तनि  कारो।  यीं खस्ता हालात की  , अंजर पंजर हुईं  शिक्षा गाड़ी नीलाम मा बेचीं द्यावो अर कैं प्राइवेट कम्पनी से  सेकंड हैंड शिक्षा गाडी ल्है आओ।
सबि प्रवासी - हम एक प्रस्ताव पारित करदवां कि हमर पहाड़ मा शिक्षा गाडी पटरी पर आण चयेंद। अर हम सब अपण गांवक शिक्षा गाडी पटरी पर लाणो संकल्प लींदा।
एक ग्राम वासी - तो सौब चलो पौड़ी जैक स्कूल इंस्पेकटर ऑफ स्कूल से बात कौरिक शिक्षा गाड़ी तैं पटरी पर लांदवां।
एक प्रवासी - अरे मि  त द्वी दिनों छुटि लेक सामूहिक नागराजा पूजन का वास्ता अयूं छौं।  मेरि त परस्यूं ऑफिस की महत्वपूर्ण मीटिंग च।
सबि - हाँ हम सब त द्वी या तीन दिनों कुण गाँव अयाँ छंवां . हमम टैम नी च।
सबि ग्रामवासी - त फिर अपण घड़ियाली आंसु  बगाण बंद कारो अर सुरक अपण अपण शहर जावो। हम गांवाळ  अफिक अपण समस्याउं  निदान करला !
 




Copyright@ Bhishma Kukreti  28/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

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                                                  म्यार गौं  की बिजळि 
                                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

हमर नेता , ग्राम विकास अधिकारी, मोटर सड़क हमर भेळ  वळ गांव मा आण से डरदन पण भै या बिजळि  बगैर उकाळ -उंधार का हमर गां मा ऐइ ग्याइ।
पैला जमानु मा बि लोग बाग़ अपण नौनि नाम बिजलि नि धरदा छा तब बिजली नाम बजर पड़न छौ।  आज बि कैन अपण नौनि नाम बिजली नि धरण।  दिमाग खराब हुयुं च कि बेटि नाम बिजली धरला अरे लोग बुबा कुण ब्वालल कि ल्या स्या धोकेबाज का बुबा ऐ गे। या बिजली की ब्वे  कुण बोलि द्याला बल ले !  चंचला की माँ त चंचल ही होली।
बिजली आण से हमर गाँकि संस्कृति ही बदल ग्याइ।  अब नया मुहावरा हमर गां मा ऐ गेन।
जन कि पैल बुल्दा छा कि स्यु या स्या कन , कै तरां आँख झपकांद अब बुल्दन स्यु बिजली तरा आँख झपकाणु च।
बिजली की लुका छिपी चलणि रौंदि यानि कबि आंद च कबि चलि जांद। पैल बुल्दा छा चल लुका -छिपि खेल खिलला अब त बुल्दन चल बिजली खेल खिलला।
तुमर खाणो टैम ह्वावो य़ा बच्चों परीक्षा ह्वावो या दिवाली ह्वावो वैबरि ही बत्ती गोल हूंदी। पैल लोग अपण बच्चों तैं अड़ान्द छा बल तैक दगुड़ नि करण स्यु बार बगत पर धोका दे दींदु।  अब जब मेन टैम पर , बार बगत , जरूरत का बगत बिजली जरुर गुल ह्वे जांद तो लोग सीधा बुल्दन बल तैक दगुड़ नि करण स्यु बिजली च याने तैन अवश्य ही बार बगत पर धोका दीण। अब जै पर भरोसा नि ह्वावो वै तैं बिजली बोलि द्यावो तो सब्युं समझ मा ऐ जांद कि तै पर या तैं पर भरोसा नि करण।
इन लगद बल बिजली भूतों से जादा ही डरद। तबि त रात बिजली नि आदि पण दिन मा बिजली रौंदि च।
पैल जनानी जंगलातौ पतरोळs दगड़ भैजि , ममा क रिस्ता लगांद छे कि घास-लखडु चोरी करद दैं पतरोळ भैजी , ममा या मम्या ससुर कै हैंक छ्वाड़ चल जावो।  अब सरकारी  बिजलीक लाइन मैन का दगड़ रिस्तेदारी लगाण पोड़द कि जग्गी मा फ़ोकट मा बिजली तार छोड़ द्यावो या कुछ हौर टैम पर निरंतर बिजली आण द्यावो।
पैल लोग पटवारी से डरदा छा अब पटवरि बि लाइन मैन से डरद।  .
पैल गाळि दिए जांद छे कि तैंक गौड़ तड़म लगि जैन , तैंक गौड़ी दूध मा कीड़ पोड़ी जैन।  अब गाळि , घात , श्राप का शब्दों मा बदलाव ऐ गेन।  अब गाळि हूंदन बल जा ! बार बार तेरी बिजली जाणि रैन , जा ! जग्गी , त्यौहारुं दिन त्यार इक बिजली नि ऐन  या जा बार बार त्यार फ्यूज उड़णा रैन या लाइन मैन त्यार दुसमन ह्वे जैन।
पैल  जंदरो सल्लि क  ज्योर बोलिक खुसामद करण पोड़द छे अब इलेक्ट्रिक मैकेनिक का हथ जुड़ण पोड़द कि ह्यां ये जी ! जरा तै फ्यूज ठीक करि देन। 
बिजली अपण दगड़ भौत कुछ लाइ  अर भौत कुछ ली बि गे। 



Copyright@ Bhishma Kukreti  29/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

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                                            प्रवास्यूं द्वी ब्यौ जरुरी छन !
                                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                   हाँ तुमन बि बुलण बल यु ढाँगुवाळ बि क्या टुटबाग सिखाणु च। कत्युंन बुलण भैरों ! ये सलाणी तैं इन असंवैधानिक छ्वीं लगांद शरम बि नि औणि ! कै कैन त बुलण बल तै कुकरेतीक हुक्का पाणि बंद करै दयावो। ह्वे सकद च द्वि चार मि तैं देखिक ही अपण ड्वार इ  बंद कौर द्याला बल दुनिया इकीसवीं सदी मा ऐ गे अर यु कळजुगि हम तैं खबेस जग मा दुबर लिजाणो कोशिस करणु च। ना ना ! म्यार बूड ददा से लेक अर में तक कैक बि द्वी ब्या नि छा कि मी द्वी ब्यौ की वकालत कौरु !
             हरेक प्रवासी द्वी ब्यौ जरुरी च जन राय , थिंकिंग , सोच विचार म्यार नि छन।  ना ही म्यरो मकसद च की भोळ प्रवासी घौर जैक अर हैंक ब्यौ कौरिक ऐ जैन।

                    असल मा परसि गां बिटेन घुमणा अयां डक्खु दा तैं छुड़णो जयुं छौ अर ट्रेन चलद दैं डक्खु दान बोलि बल हे  भीषम तुम प्रवासी जब तलक द्वी ब्यौ नि करिल्या तब तलक तुम गढ़वाळ विकास मा भागीदारी नि निभै सकदां !
 मि घंघतोऴयों ग्यों बल इ   डक्खु दा बोलि गे बल प्रवास्यूं द्वी ब्यौ जरुरी च पण असल मा क्या बोलि गेन।
                प्रवासी द्वी ब्यौ कु सीधा अर्थ च , सिम्पल मीनिंग च बल प्रवासी एक ब्यौ मुंबई मा हैंक ब्यौ गाँव मा। एक दैं म्यार मन मा ख़याल आयि कि डक्खु दा बोलि ग्याइ बल जब क्वी प्रवासी गाँव आल त वै तैं ड्यारम बि मुंड मा ठुंग मारणो कज्याणि मीलली।  ड्यारम बि कज्याणि कुखली मीललि जै से प्रवासी उख बि अपण पत्नी कुखलि मा मुंड धरिक द्वि झपांग निंद ले साको।
                     डक्खु दा कबि बि रसीली , सेक्सीली, श्रृंगार भरीं छ्वीं नि लगांद तो अवश्य ही डक्खु दा को अर्थ कुछ हौर च।
             मीन घड्याइ , मीन स्वाच कि यदि हरेक प्रवासीक द्वी ब्यौ ह्वाल त क्या ह्वे जाल।  सरल बात च जु पुंगड़ बांज पड़ीं छन , जौं बांज डांडों पुंगड्यूं मा कबि ग्युं हूंद छा उख अब कुंळै डाळ उपजी गेन ,   जौं पुंगडों मा   अब मळसु फुळणा छन वो सब पुंगड़ी फिर से आबाद  ह्वे जाला।
            जु तिभित्या तिबारी डंडेळि   आज खंद्वार बणी छन वो फिर से चकाचक ह्वे जाला।  आज प्रवास्यूं भैर जाण से जौं चौकुं मा   किनग्वडु डाळु  झाड़ झंकार हुयुं च वुं चौकुं मा फिर से हरेक संग्रांदि दिन फिर से औँज्युं नौबत बजलि।
  जब हरेक प्रवासी का द्वी ब्यौ होलु त जौं मकानुं मा उळकाणु वास करणा छन उख मनिखों वास -निवास होलु। जब हरेक प्रवासी द्वी ब्यौ होला त जख मुर्दा घ्वाडॊ मा जाणा च तब मुर्दा आदम्युं काँध मा जाला।
   पण फिर स्वाच क्या ग्रामीण गढ़वाळ बचाणो वास्ता क्या यो असंवैधानिक, अमानवीय , टुटबग्या, कुबगत्या , कुतरकीब ही आखरी रस्ता च ? क्या यु गढ़वाळ को दुर्भाग्य नी  च कि गढ़वाळ से पलायान की आंधी त नि रुके सक्याणि च पर लाचारीवस प्रवास्युं समिण द्वी ब्यौ करणो विकपल की बात करयाणि च ? आखिर ये आधुनिक , वैज्ञानिक युग मा क्वी ना क्वी तरकीब त होलि कि गढ़वाळ बि बच जाओ अर प्रवास्युं तैं द्वी ब्यौ बि नि करण पोडु !
      मीन खूब देर तलक स्वाच त पाइ बल आदर्श अध्यापक डक्खु दा की सलाह को असल अर्थ कुछ हौरि च।
        डक्खु दान मै सरीका प्रवासी पर व्यंग्य का बरछा , चबोड़ का बसूला चलाइ  अर चबोड़ -चखन्यौ मा ब्वाल बल गढ़वाल का विकास का वास्ता   प्रवास्यूं द्वी ब्यौ जरुरी छन !  डक्खु दा की हम मुंबई जन शहरों मा बस्याँ प्रवास्युं वास्ता असल मा एक धाद छे कि जु मुंबई मा समोदर का छाल  पर बैठिक गढ़वाल की बिगड़ती स्थिति पर मगरमच्छी आंसू बगांदन अर कबि बि ड्यार नि जांदन वूं तैं इक सेमीनार करणों जगा पर साल द्वी सालम अपण ड्यार जैक कुछ करण चएंद।
        डक्खु दान वूं प्रवास्युं पर शब्दों मार कार जु अफु त गढ़वाळो बाटु भूली गेन पण इक मंचों मा फोकट मा  गढ़वाल विकास पर भाषण दीणा रौंदन।  डक्खु दान  वूं प्रवास्युं  गाळ पर झनाटेदार थप्पड़ मार जौं तै शिक्षा बारा मा रति भर बि ज्ञान नी च वु इख मुंबई मा बैठिक गढवाल विश्वविद्यालय का सिलेबस तैयार करणा रौंदन।
 डक्खु दान वै पर चमकताळ लगाइ जु तीस साल से गढ़वाऴ नि गए वो गढ़वाळ पर्यटन विकास पर भाषण दीणु रौंद।

 असल मा डक्खु दा की प्रवास्यूं द्वी ब्यॉवक बात को अर्थ च कि प्रवास्यूं तैं खालि भाषण नि दीण चयेंद बलकण मा   गढ़वाळ जैक  भागीदारी निभाण चयेंद। प
***यह लेख 'पराज' पत्रिका के जनवरी 1991 अंक में प्रकाशित हुआ था। इस लेख परवुद्धिजीवीओं के मध्य एक सार्थक बहस भी मुम्बई में हुयी थी।
 
Copyright@ Bhishma Kukreti  30/11/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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                                सन  2013 का  विश्लेषण याने 1963 का अवलोकन

                                               चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 हर साल दिसंबर विश्लेषण मैना हूंद जु जनवरी तलक चलदी रौंद।
उन ये सालौ विश्लेषण अर सन 1983  सालौ विश्लेषण मा संख्या को फर्क ह्वे सकुद पण गुणात्मक हिसाब से 2013 मा क्वी फरक नी ह्वे सकुद।
जन कि सन 1983 मा बि हजारों कुदशाउं , दुर्द्शाउंन भौत जोर लगाइ पण देशन प्रगति अवश्य कार।
कृषि क्षेत्र मा सन 1983 मा बि किसानुं आत्महत्या निरोधीकरण का बान कथगा इ योजना बौण छे त 2013 मा बि कृषक हित मा सैकड़ों योजना बणिन।  पण चुंकि दिल्ली अर राज्य राजधानी से गाँव -खेत दूर छन तो किसानुं बजेट रस्ता मा इ चौळ जांद।  या बात सन 1985 मा भग्यान राजीव गांधीन बि मानि छे कि हम दिल्ली बिटेन 100 लीटर योजना भिजदां अर गां मा 15 लीटर योजना पौंछदि।  सन 2013 मा राहुल गांधीन बि ब्वाल बल हम दिल्ली बिटेन 100 लीटर बजेट भिजदा जु गाँव आंद आंद 15 लीटर ह्वे जांदन।
सन 1953 मा बि शिक्षा मंत्री अर सरा भारत सरा साल चिंतित रैन कि भारत की शिक्षा भारत लैक नी च त सन 2013 मा मानव संसाधन मंत्री अर पूरो इण्डिया फिकर मा दु दु सब्जी खै गेन कि इण्डिया मा एजुकेसन की स्थिति सोचनीय, टेरिबल  च।  सन 1953 मा अर 2013 मा बि बस सिलेबस बदले गे।  इकमा क्वी सुचणै जरुरत नी  च कि सन 2053 मा बि शिक्षा स्थिति सोचनीय ही रालि.
1993 मा बि प्रधान मंत्रीन संसद मा अर संसद से भैर जगा जगा बयानुं बरखा करी छौ कि भ्रस्टाचार तैं रुके जाण चयेंद अर 2013 मा बि प्रधान मंत्रीन संसद अर संसद से भैर भाषणो झड़ी लगाइ बल भ्रष्टाचार रुकण चयेंद।  जनता द्वी टैम परेशान ह्वे बल प्रधान मंत्री कैकुण बुलणा छन कि भ्रष्टाचार रुके जाण  चयेंद ?
डॉलर -पाउंड का मुकाबला मा सन 1991 मा बि रुपया की कीमतों मा  गिरावट ऐ त सन 2013 मा रुपया का स्वास्थ्य मा गिरावट ही राइ।
सन 1993 मा बि स्वास्थ्य मंत्रीन दुःख जताइ कि ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था मा सुधार की अत्यंत आवश्यकता च त सन 2013 मा बि इना स्वास्थ्य मंत्रीन ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था मा गिरावट की सूचना संसद तैं दे अर उना शहरुं मा आबादी बढ़ गे।
मुलायम सिंघन सन 1993 मा बि बोलि छौ कि हिंदी तैं प्रोत्साहन मिलण चयेंद अर अंग्रेजी तै निरुत्साहित करण चयेंद।मुलायम सिंघ अपण बचनो पर पक्का छन सन 2013 मा बि मुलायम सिंहन हिंदी की हिमायत मा पर्चा बांटिन।  सन 1993 मा मुलायम सिंघन अपण नॉन अंग्रेजी स्लूलम भर्ती करिन त सन 2013 मा अपण नाती -नातिण कॉनवेंट स्कूलम भर्ती करिन।
भारत का गृह मंत्री अर राज्यों गृह मंत्री 1993 मा बि क़ानून व्यवस्था मा गिरावट से परेशान छा त 2013 मा बि सबि गृह मंत्री क़ानून व्यवस्था मा गिरावट से परेशान नजर ऐन।
मंहगाई , गरीबी , बेरोजगारी रुकणो बान 1963 मां बि आश्वासनु बाड़ लगाये गे छे तो सन 2013 मा बि मंहगाई , गरीबी , बेरोजगारी रुकणो बान बाड़ लगाए गे अर द्वी दैं मंहगाई , गरीबी , बेरोजगारी बाड़ तोड़ि जनता मध्य पौंछि गेन।
फिस्कल डेफिसिट की समस्या 2013  मा बि उन्नि राइ जन 1963 मा छे।
सन 1993 मा बि अमेरिका धौंस दींद छौ त 2013 मा बि हम अमेरिकी धौंस सौंदा छा।
घुसपैठ का बाबजूद पाकिस्तान का दगड़  सन 2003 मा बि डायलॉग चलदा छा अर 2013 मा बि घुसपैठ का बाबजूद पकिस्तानौ दगड़ डायलॉग चलणा रैन।
सन 1983 मा बि राष्ट्रीय अखबार उत्तर -पूर्व क्षेत्र का समाचार नि दींदा छा तो 2013 मा राष्ट्रीय टीवी समाचार चैनलों सम्पादकों तैं पता बि नी च कि उत्तर -पूर्व भारत को हिस्सा च।
सन 1969 से 1984 तक श्रीमती इंदिरा गांधी गरीबी हटाओं आंदोलन चलाणि राइ तो श्रीमती सोनिया गांधी 1998 से अब तक गरीबी हटाओ आंदोलन  मा ही व्यस्त च।
 उपरोक्त तथ्यों देखिक मि अग्वाड़ी सन 1963 का एक अखबार का विश्लेषण देखिक 2013 का विश्लेषण करुल।


Copyright@ Bhishma Kukreti  1/12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी ...]

 

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