Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360298 times)

Bhishma Kukreti

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                                                काश ! मी बि सेक्युलर ह्वे जांदु !

                                            चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


घरवळि -सूणो ! तुमन कबि एक सुख बि दे हूंद त मि बोल्दु म्यार ब्यौ सुफल ह्वे ग्यायि !
मि - नाति नतणा वाळ ह्वे गे अर अबि बि ब्यौ से सुख की आकंक्षा करणी छे ?
घरवळि -तुम तैं ले क्या हम जनान्युं तैं कथगा डिस्क्रिनेसन झेलण पड़द ?
मि - पण मीन त संदूक की चाबी तीमा ही सौंपीं च।
घरवळि -हां पण संदूकुंद कुछ ह्वावो तब दिखुद कि तुम चाबी कन दींदा धौं !
मि - ह्यां आज ह्वे क्या च आज ?
घरवळि -अरे मुहल्ला मा सबि सेक्युलर ह्वे गेन अर एक हम ही छंवां जु अबि तलक नॉन सेक्युलर छंवां
मि - सेक्युलर ?
घरवळि -हाँ तुम तैं क्या पता नॉन सेक्युलर से हूण से समाज मा कथगा बेज्ज्ती होंद। इख तलक कि मिसेज अर मिस्टर मुहमद खान बि सेक्युलर ह्वे गेन ।
मि - हैं ? पण मिसेज अर मिस्टर मुहमद खान त पैलि बिटेन सेक्युलर छा।
घरवळि -हां पण प्रमाण पत्र तो ब्याळि मील कि मिसेज अर मिस्टर मुहमद खान सेक्युलर छन।
मि - क्या कार वूंन कि ऊँ तैं सेक्युलर हूणों प्रमाण पत्र मीलि गे।
घरवळि -मिसेज अर मिस्टर मुहमद खानन  ब्याळि खुले आम बिल्डिंग की आम सभा मा कश्मीर मा संबिधान की धारा 370 की जोर से वकालात कार।
मि - हैं कश्मीर मा धारा 370 की वकालात से स्क्यूलर हूण से क्या लीण दीण च ?
घरवळि -किलै नी च।  जब नीतीश कुमार बुल्दन कि जब तक भारतीय जनता पार्टी कश्मीर मा धारा 370 की बात नि करदी छे तो तब तक भाजापा सेक्युलर छे
मि - क्वा च नीतीश कुमार सेक्युलर -नॉन सेक्युलर प्रमाण पत्र दीण वाळ ?
घरवळि -मि नि जाणदु पैन तुम बि मुहला का पंडित टोटकाचार्य जन स्क्यूलर का सर्टिफिकेट लै आवो।
मि - पंडित तोटकाचार्यन  सेक्युलर बणणो वास्ता  क्या कार ?
घरवळि -पंडित तोटकाचार्यन परसि सत्य नारायण व्रत कथा मा ब्वाल कि उर्दू लफज एक नफीस भाषा च , उर्दू इंडिया की शान च।
मि - उर्दू से क्या लीण दीण सेक्युलिरिज्म से ? हरेक भारतीय भाषा मा 30 प्रतिशत से जादा अरबी लफ्ज छन।  फिर उर्दू क्वी गैर भारतीय भाषा त छ ना ?
घरवळि -मि नि जाणदु कि उर्दू का  सेक्युलिरिज्म से क्या तालुकात च पण हम तै बि सेक्युलर बणन चयेंद
मि - यां पण हम सुबेर सुबेर मार्कण्डेय पुराण मा विश्व हित कामना का वास्ता देवी श्रोत्रम का जाप त करदा छंवां कि ना ?
घरवळि -नै नै देवी जाप तो नॉन सेक्युलर हूणै निसाणी च।
मि - त सेक्युलर हूणों क्या निसाणी च।
घरवळि -द्याखो ! सि कजीरवाळ बि सेक्युलर ह्वे गे।
मि - म्युनिस्पैलिटी की रोड मा चोरी -चकारी से पक्की दुकान बणाण वाळ सेक्युलर ह्वे गे ?
घरवळि -हाँ।  मुहल्ला वाळुन वै तैं बि सेक्युलर हूणों प्रमाण पत्र दे आल। 
मि - क्या कार वैन ?
घरवळि -वैन खुलेआम फ़कीर जुम्मन  अली की आलोचना कार।
मि - क्या ?
घरवळि -कजीरवाळन मुहल्ला मा साफ़ सफाई की मीटिंग मा ब्वाल कि फकीर जुम्मन अली द्वारा गौ ह्त्या समाप्त हूण चयेंद वाळ आंदोलन  दिखावा मात्र च।
मि - गौ हत्या बंद हूण चयेंद आंदोलन का  सेक्युलरिज्म से क्या रिस्ता ?
घरवळि -मि नि जाणदो कि गौ हत्या बंद कारो आंदोलन का   समर्थक तै गाळि दीण से एक मनिख कनकै सेक्युलर ह्वे जांदो ? पण कजीरवाळन गौ समर्थक फकीर जुम्मन अली तै गाळि देन तो कजीरवाळ तैं सेक्युलर हूणो प्रमाण पत्र त मीलि गए कि ना ?
मि - कुज्य़ाण यी हमर मुहल्ला मा क्या क्या खटकरम हूणा छन  धौं ?
घरवळि -मि नि जाणदो कि मुहल्ला मा क्या क्या क्या खटकरम हूणा छन।  बस तुम सेक्युलर हूणों प्रमाण पत्र लै आवो।
मि - पण प्रमाण पत्र कखन लाण ?
घरवळि -तुम तरुण तेजपाल की पैरवी कौर द्यावो
मि - तरुण तेजपाल को समर्थन से सेक्युलर को क्या संबन्ध?
घरवळि -देखो चूँकि तरुण तेजपाल सेकुलर च तो तरुण तेजपाल का समर्थन करण से तुम अफिक सेक्युलर ह्वै जैल्या !
मि - हे ! ईश्वर  तू अब में से क्या क्या कराण चाणी छे ?
घरवळि - खबरदार जो इश्वर ब्वाल धौं।  इश्वर बुलण नॉन सेक्युलर हूणो निसाणी च अर खुदा बुलण सेक्युलर हूणो निसाणी च
मि - मनुष्य हूणो निसाणी क्या च?  मि मनुष्य बणन चाणु छौं।
Copyright@ Bhishma Kukreti  2/12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी

Bhishma Kukreti

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                             बाडा ! धारा 370 पर चर्चा नि करिल त दांत तोड़ि द्योल।।
                               काका  ! जु धारा 370 पर चर्चा करिल त दांत तोड़ि द्योल।।
                               चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

    भाजापा कार्यकर्ता इन दौड़नु छौ जन वैक पैथर खदुळ कुत्ता पड्युं ह्वावो धौं !
 भाजापा कार्यकर्ता पैथर कांग्रेसी कार्यकर्ता छौंपा दौड़   करणु छौ जन बुल्यां भाजापा तैं मुख्यमंत्री कुर्सी मिलण वाळ च !
भाजापा कार्यकर्ता एक स्कूलम पौंछ अर वैन मास्टर तैं पूछ ," तुम कै विषय पर चर्चा करणा छंवां ?"
मास्टर - चर्चा क्या करण ? मि त  परेशान छौं कि म्यार द्वि नौन बीएड छन पर पांच साल से घौरम बेरोजगार बैठ्यां छन ।
भाजापा कार्यकर्ता- भारत इक इथगा बड़ी समस्या पर चर्चा करणु च अर तुम बेरोजगारी समस्या पर सुचणा छंवां ?
मास्टर - पर नेता जी मि मेरी समस्या पर नि सुचल त नेपाल की समस्या पर सुचल ?
भाजापा कार्यकर्ता- देखो ! आप अबि केवल धारा 370 पर ही चर्चा कारो !
मास्टर - अरे पर चर्चा कैक दगड़ करण ?
भाजापा कार्यकर्ता- इथगा बड़ी स्कूल च त विद्यार्थ्युं दगड़ चर्चा कारो।  पर अवश्य ही चर्चा कारो।
मास्टर -  स्कूलौ इमारत   बड़ी च पण विद्यार्थी पांच सालै एकि नौनि च.
 भाजापा कार्यकर्ता- मि नि जाणदु तुम वींकि दगड़ धारा 370 पर चर्चा कारो।  आप चर्चा कारो मि दुसर गां जाणु छौं।
इना स्कूल बिटेन भाजापा कार्यकर्ता ग्यायी कि  कॉंग्रेसी कार्यकर्ता स्कूल भितर आयि।
कॉंग्रेसी कार्यकर्ता - मास्टर जी द्याखो ! धारा 370 पर कतई चर्चा नि करण हाँ
अर इथगा बोलिक कॉंग्रेसी कार्यकर्ता भाजपा कार्यकर्ता पैथर लगि गे।
भाजपा कार्यकर्ता एक सट्यड़म  (धान  का खेत ) पौंछ।  उखम एक अदबुडेड़  अपण घरवळि दगड़ गहन विचार विमर्श करणु छौ ।
भाजपा कार्यकर्ता- द्वी झणु क्याँ पर चर्चा हूणि च ?
अदबुडेड़- चर्चा क्याँ पर हूण।  वी रोजै चिंता।  म्यार पांच दूणो सट्यड़ च अर म्यार चार नौन छन।  अब जु सट्यड़क पैदावार चार गुण नि बढलि त हम  सब्युंन भूख मोरण। मि  कृषि विश्व विद्यालय मा बि ग्यों।  विश्व विद्यालय वाळुन ब्वाल बल यां  से जादा पैदावार नि बढ़ सकद।  ऊंन ब्वाल हाँ जु सरकार अन्वेषण पर बजट बढ़ाली तो पैदावार बढ़ाणो तरीका  मील जाल पर सरकार कृषि अन्वेषण पर बजेट बढाणि ही   नी च। .
भाजपा कार्यकर्ता- द्याखो तुम किसान लोग बि ना स्वार्थी छंवां।  एबरी भारत मा प्रमुख चिंता धारा 370 की च।  तुम द्वी झण केवल और केवल धारा 370 पर चर्चा कारो।
इन बोलिक भाजापा कार्यकर्ता दुसर छ्वाड़ निकळ गे त हैंक छ्वाड़न कॉंग्रेसी कार्यकर्ता आयि अर धै लगाण बिसे गए ," धारा 370 पर कतै बि चर्चा नि हूण चयेंद। "
इन धै लगैक कॉंग्रेसी कार्यकर्ता भाजापा कार्यकर्ता पैथर दौड़ लगाण मिसे गे।
  सरा दिन भर भाजापा कार्यकर्ता लोगुं तैं धमकी दीणु राइ कि 'धारा 370 पर चर्चा कारो अर कॉंग्रेसी कार्यकर्ता बि धमकी दीणु राइ बल धारा 370 पर कतै चर्चा नि हूण चयेंद।
आखिरैं भाजापा कार्यकर्ता एक बुड्या समिण गे।  आखुं कमजोरी से बुड्या तैं भौत कम  दिखेंद छौ।
भाजापा कार्यकर्ता - बाड़ा क्यां पर चर्चा हूणि च ?
अन्धो बुड्या - क्यांकि चर्चा ? एकी समस्या च कि अब अगनै बुढ़ापा कनकै कटे जालो।
भाजापा कार्यकर्ता -देखो बाडा !  ध्यान रखेन कि चर्चा धारा 370 पर ही ह्वावो।  जु तुम धारा 370 पर चर्चा नि करिल त मीन तुमर दांत तोड़ि दीणन ।
इथगा मा कॉंग्रेसी कार्यकर्ता आयि अर बुड्या तैं धमकाण लगी गे - काका  ! जु तुम धारा 370 पर चर्चा करिल्या  त मि तुमर दांत तोड़ि द्योल।।
बुड्यान बोलि - अबे हरामखोरो ! मीन चर्चा कैक दगड़ करण ? मि दिखणम लाचार छौं अर मेरि घरवळि  सूणि नि सकिद तो चर्चा क्यांकि ?
दुयुंन कुछ नि सूण अर अपण रस्ता लगि गेन।
कॉंग्रेसी कार्यकर्ता - सूण हे ! या धारा 370 छ क्या च ?
भाजापा कार्यकर्ता - कुज्य़ाण क्या बबाल च धौं।  मथि बिटेन आदेस आयि कि धारा 370 पर चर्चा कराओ। बस  मि लोगुं कुण बुलणु छौं कि धारा 370 पर चर्चा कारो।
कॉंग्रेसी कार्यकर्ता - हां मैकुण  बि मथि बिटेन ऑर्डर आयि कि तुमर क्षेत्र माँ धारा 370 पर कतै बि चर्चा नि हूण चयेंद।  बस मि चर्चा बंद कराणु छौं।
   

Copyright@ Bhishma Kukreti  3/12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी
   

Bhishma Kukreti

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                        ब्यौ काजुं मा हम क्यांक मजा लींदा ?

                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

ब्यौ काज , न्यूत , जीमण -जामण आदि मा हम लोग खुस हूंदा , आनंद लींदवां , मजा लुटदां।  तुम बतावो तो सै मजा लींद छां कि ना ?
पर जरा टक लगैक , ध्यान लगैक स्वाचो त सै कि इन जगा पर हम मजा क्यांक लींदा ? क्यां से हम तैं सबसे जादा मजा आंद ?
तुम या मि शहरूं मा कैक ब्यावक न्यूत मा जांदवा त सबसे मिलदवां।  मिलदा छा कि ना ? पर क्या हम तैं कै तैं मीलिक मजा आंद ?
नै हम तै मजा तब आंद जब हम बुलदां बल यार मजा त गांवक न्यूत मा आंद छौ।  परसाद की सपडांग मा जु मजा छौ उ इख बुफे पार्टी मा कख च?
फिर हैंक न्यूतेर हुंगारी पूजिक हां  मा हां मिलैक बुलद - हां यार जु मजा माळु पत्तों पत्तळ चाटण  मा आंद छौ वू यूं प्लास्टिकौ प्लेटुं माँ कख ह्वे सकद।
अब तिसर चुप किलै रावो वो बि हुंगारी पुजद अर व्हिस्की की चुस्की लगांद लगाँद बुलद बल पर यार अब त गाउँ हालत भौत बुरी ह्वे गे . बगैर दारु क्वी काम इ नि करद। सर्यूळ  भात  पकाणो तबि आंद जब वैक ड्यार चार टैमो आठ बोतळ पौंच जांदन।
दुसर अपण दारु पंचों पैग खतम करदो अर बुल्दो बल अरे फिर उख ब्यौ काजुं मा दारु पेक जु घपला , जु दंगऴयाट हूंद नि ब्वालो।  अब त हमर गां मा ये दारु वजै से ब्यौ घौरम हूण ई बंद ह्वे गेन।  उख गां मा लोग बाग़ तुमरि दारु पींदन अर तुमि तैं गाळि दीन्दन।
अब द्याखो जरा यीं न्यूत पार्टी मा अफु पैग पर पैग लगाणा छन अर तुलना करणा छन कि गां मा जीमण मा गांवक लोग दारु पींदन।
इख  न्यूत पार्टी क टेबल की बनि बनि   भोज्य पदार्थों तैं चखणा छन अर तुलना करणा छन कि पैल गाँव मा न्यूत भोज मा जादा मजा आंद छौ।
असल मा हम जीमण माँ याने पार्टी मा आज को  भोजन से मजा नि लींदा अपितु भूतकाल से तुलना करिक , पास्ट से कम्पेयर करिक ही जीमण याने पार्टी का मजा लींदा।  हम तैं मजा आज से नि आंद।  हम वर्तमान से आनंदित नि हूंदा बलकणम जब तलक वर्तमान की तुलना भूतकाल से नि करला त हम मजा लेइ नि सकदा। हमर आनंद मा तुलना एक आवश्यक मसाला हूंद । जन बगैर मसाला का भोजन मा मजा नि आंद उनी बगैर कंपैरिजन नामक मसाला का हम प्लेजर नि ले सकदा।  प्लेजर का वास्ता तुलना करण हमकुण एक  आवश्यक इंग्रेडिएंट च।
शादी हॉल ठंडो अर सुविधाजनक ह्वावो तो हम बुलदां बल, "हॉल एयरकंडीशंड च।  निथर परसि फलणो ब्यौ मा ! ये मेरि ब्वे गरमिन अर फगोसन मोरि गे  छा। " आज की ठंड से यदि हम पर्स्याकि गरमी से तुलना नि करला तो हम तैं ख़ुशी प्राप्त ह्वै इ नि सकेंद।  खुसी का वास्ता हम तुलना करदां।
बर -ब्योलि देखिक हम बुलदां , " जोड़ि त ठीक च पर तै बरौ कुण मेरी साडो भाइक नौनि ही ठीक छे।  टिपड़ा नि मील।  निथर आज …। " इखम बि तुलना ही महत्वपूर्ण च।
पौण देखिक हम बुलदां बल ," पौण त ठीकि छन पण वो स्टैंडर्ड नी  च जु मेरि स्याळि द्युरो ब्यौ मा छौ !" तुलना से ही हम आनद ले सकदां।
हमर हरेक खुसी मा तुलना हूंद।
जरा श्मशान यात्रा का हाल द्याखो त सै उखम बि हम तुलना करिक दुःख का आनंद  या दुःख का स्वाद लींदा। मरण मा बि हम तुलना करदां।
ओहो या उमर थ्वड़ा  छे  मुरणै ! चलो अपण उमर भोगिक मोर ! भौत भोग बिचारिन !
यार श्मशान घाट बिंडी दूर ह्वे गयाइ।  जथगा लोगुं उम्मीद छे उथगा नि ऐन।  क्या बात दिवंगत का ऑफिस वाळ नि ऐन ? क्या दिवंगत की ऑफिस वाळ से नि बणदी रै होलि ? क्या बात बीच वाळ भाइ ब्वे कुण क्रिया मा बैठणु च , जेठु भाइ क अपण ब्वे दगड़ नि बणदि रै होलि ?
यी वाक्य  क्या छन ?  सब तुलनात्मक वाक्य छन।
हमर मजा मा तुलना महत्वपूर्ण च।
तुलना की तराजू से हम प्रसन्न हूंदां।
माप -तौल से हम खुश हुँदा।
हम तै मजा तुलना से ही आंद।
हमर प्लेजर मा कम्पैरिजन आवश्यक इंग्रेडिएंट हूंद।
तुलण , माप तौल करण , कंपैरिजन करण ही हमर मजा च।



Copyright@ Bhishma Kukreti  4 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी

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                                  आतंकवादी की दलील

                                     भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

रिपोर्टर - आतंकवादी  बात …
आतंकवादी - मिस्टर रिपोर्टर प्लीज बिहेव विद मैनर।  त्यार ब्वे बाबुन संस्कार सिखैन ?
रिपोर्टर - क्या मतबल ?
आतंकवादी -मि तैं दिग्विजय सिंह जीक तरां आतंकवादी जी करिक भट्या ! जी लगाण जरूरी च
रिपोर्टर - मि क्वी राजनेता नि छौं जु मौत का एजेंटों याने आतंकवादी तैं श्रीमान , श्रीमती , जी कौरिक बुलौं।
आतंकवादी -एक बात बतादी रे रिपोर्टर ।
रिपोर्टर - क्या ?
आतंकवादी -  शराब का मालिक विजय मल्लया या खेतान तैं तू जी लगैक किलै भट्यांदि भै ?
रिपोर्टर - उ  लोग ये देस का सभ्य नागरिक छन ।
आतंकवादी -त मि बिरण देसौ नागरिक छौं ?
रिपोर्टर - नै नै तुम लोग हत्या ....
आतंकवादी -तो क्या शराब मा हत्या जन काम नि करदि ।
रिपोर्टर - शराब बि हत्यारी च पण उन नी  च जन कि आतंकवादी द्वारा हत्या !
आतंकवादी - अच्छा ! एक हत्या जायज अर हैंकि हत्या नाजायज ?
रिपोर्टर - नै आतंकवाद  मानव समाज का वास्ता बड़ो गुनाह च। .
आतंकवादी -चरस-गांजा , गर्द, ड्रग्स जन वस्तु  क्या मानव हत्या का माध्यम नि छन ?
रिपोर्टर -अवश्य ही यी सब वस्तु अंत मा मनुष्य की हत्या ही करदन ।
आतंकवादी -अर जु जु बि ,नेता  अफसर , सुरक्षा कर्मचारी व अन्य व्यापारी गर्द , ड्रग्स, चरस गांजा  भारत मा फैलाणा छन , -चरस गांजा का धंधा तैं परिश्रय दीन्दन।  वूं लोगुं तैं तुम लोग आतंकवादी या हत्यारा किलै नि माणदा ?
रिपोर्टर - भै नशा व्यापार कुछ हौर हूंद अर आतंकवाद कुछ हौर हूंद।
आतंकवादी -पण अंत मा शराब , ड्रग्स आदि से मनुष्य हत्या ही हूंद तो तुम सभ्य , सुसंस्कृत लोग शराब , ड्रग्स का व्यापारियों तैं किलै ना आतंकवाद्यूँ श्रेणी मा धरदा भै ?
रिपोर्टर - वो तो .... वो तो
आतंकवादी - चल एक बात बतादी तम्बाकू ,बीड़ी - सिगरेट त मनुष्य की हत्यारा ही च ?
रिपोर्टर - हाँ
आतंकवादी -तो फिर तुम श्रेष्ठि लोग तम्बाकु  उपजाण वाळु तैं , बीड़ी -सिगरेट निर्माताओं और विक्रेताओं तैं हत्यारा किलै नि माणदा भै ?
रिपोर्टर - वो तो .... वो तो
आतंकवादी -मि जाणदु छौं सभ्य समाज का पास यांक उत्तर नी  च
रिपोर्टर - छैं च पण …
आतंकवादी -चल एक बात बताओ कि भारत मा जातीय -धार्मिक दंगा हूँदन कि ना ? सैकड़ों लोग हर साल दंगों मा मरदन कि ना ?
रिपोर्टर - हाँ  कै ना कै रूप मा हर मैना जातीय -धार्मिक दंगा हूणा रौंदन।
आतंकवादी -तो फिर  दंगा कराण वाळु , दंगा भड़काण वाळु तैं तुमार सभ्य समाज , तमीजदार समाज , सुसंकृत समाज आतंकवादी किलै घोसित नि करदो भै ?
रिपोर्टर - हां पैन दंगा तैं हम आतंकवाद नाम नि दे सकदा।
आतंकवादी - हा ! हा ! एक हत्या जायज अर दुसर हत्या नाजायज ? सबसे पैल तंबाकु का जघन्य हत्यारा व्यापार अर पैदावार बंद कराओ , जातीय दंगा जन जघन्य कृत्य, कुकर्म  बंद कराओ तो भारत मा आतंकवाद जन्म ले ही नि सकुद।
रिपोर्टर - अब तीन बुलण बल शराब , ड्रग्स , चरस -गांजा का धंधा बंद कारो तो आतंकवाद अफिक  बंद ह्वे जालु।
आतंकवादी - अवश्य बंद ही ह्वे जालु। 

Copyright@ Bhishma Kukreti  5 /12/2013

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                      ये निर्भागी कुण बेशरमी -बेहयाइ तो लाओ

                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

नेत्याण -ये मिट्ठु बुबा जी ! सुणणा छंवां !
नेता -चुप रै भै ! पार्टी कार्यालय मा हाइ  कमांड की सूणो , संसद मा विरोध्युं  ताना सूणो , फिर पत्रकारों पैना सवाल सूणो अर ड्यारम घरवळि बोलबचन सुणो।
नेत्याण -चलो , भलो हवाइ आज इन ब्वाल चुनाव क्षेत्र मा जनता की शिकैत सूणो।
नेता -  बिचारी जनता त संति  गाय समान च।  दूध बि दींदी अर अफिक इना उना घास चौरिक ऐ जांदि।
नेत्याण -अच्छा सूणो
नेता -  बोल क्या बुन्यायि।  अपण पार्टी क बड़ नेता तैं फंसाणो बान आज एक बड़ी  मीटिंग मा जाण । साले तैं बलात्कार का केस मा फंसाणो बिचार च।
नेत्याण -ह्यां मीन ब्वाल मिट्ठु क साइकॉलोजी अनैलिसिस  रिपोर्ट ऐ ग्ये।
नेता -  अच्छा ! क्या अईं च रिपोर्ट ?
नेत्याण - उन सि बात हूंद त ठीक छौ।  पण चूंकि ये तैं नेता बणाण त रिपोर्ट नेगेटिव च।
नेता -  इथगा अड़ाणो बाद बि अबि तलक आम मनुष्य का ही सद्गुण छन ?
नेत्याण -हाँ ! अबि बि वै पर सद्गुणी मनुष्यों गुण बच्यां छन।
नेता -  क्या क्या रिपोर्ट च ?
नेत्याण -मिट्ठु क  बुलण च बल राजनीति समाज सेवा च
नेता -  मीन तेकुण दस दैं  बोलि छौ कि ये घौरम गांधी साहित्य नि दिखेण चयेंद।  भोळ बिटेन एक बि गांधी बुड्या क क्वी लेख ये घौरम मीलल त तेरि खैर नी  च।
नेत्याण -अर फिर मिट्ठु क्वी बि गुनाह करद तो फट से चट चटाक पकड़ मा ऐ जांद।
नेता -  ये मिट्ठु तैं मैना मा एक दिनों कुण शरदहीन  पंवार कोचिंग क्लास मा भर्ती कौर दे।  वीं कोचिंग क्लास की ट्रेनिंग से मिट्ठू देस बेचिक बि खै जाल तो बि कबि पकड़ मा नि आलो।
नेत्याण -मिट्ठु क्वी गुनाह करद त पुछण पर वैक  मुख लाल ह्वे जांद। अभिनय मा कमजोर च।
नेता -  अरे वैकुण बोल बल रोज श्याम दैं समाचार चैनेलों मा राजनीतिक पार्ट्यूं प्रवक्ताओं क छद्म रोज देख कि कन  इ पोलिटिकल स्पोक्सपरसन अभिनय करदन।  फिल्मुं अभिनेत्री -अभिनेता बि अब अभिनय की ट्रेनिंग यूं पोलिटिकल स्पोक्सपरसन से लींदन।
नेत्याण -चोर का चर चर बचन मा तो हमर मिट्ठु भौत इ फिस्सडी च।
नेता -  ये तैं 'वै कैक राजा अर गिरीश कलमाडी स्कूल ऑफ डिफेंडिंग ओन सिन थ्रू ब्लास्टिंग आर्ग्युमेंट याने चोर का बड़बोला बचन कोचिंग स्कूल' मा भेज दे।
नेत्याण -चमचा गिरी मा मिट्ठु भौत इ कमजोर च।
नेता -  द्वी दिनों कुण क्रैश कोर्स करणो बान अजय बहुगुणा इंस्टीटूट ऑफ फलैटरिंग, इलाहाबाद भेजि दे उख चमचागिरी मा उस्ताद बौण जाल या वै तैं  नारयण दत्त जीकि सन्जय गांधी चप्प्ल उठाण वाळ  फोटो रोज दिखण चयेंद अफिक चमचा गिरी करण सीख ल्यालो।
नेत्याण -वै तैं नियमुं धज्जी उडाण नि आंद
नेता -  ठीक च मि वै तैं इन्डियन ओलेम्पिक असोसिएसन को मेंबर बणवैं दींदु या क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को सदस्य बणवै दींदु । 
नेत्याण -विरोध्युं पर करारा लांछन , अभियोग लगाणम बि कमजोर च।
नेता -  वैकुण बोल नरेंद्र मोदी का भाषणु वीडिओ कैसेट रोज सुबेर देखा कर फिर वो अपण ब्वे बाब पर बि लांछन , अभियोग लगाण सीख जालु
नेत्याण -हमर पुत्र बेशर्मी अर बेहयाइ मा बि कमजोर च।
नेता -  ठीक च में से बड़ो बेशरम, बिलंच , बेहया क्वी नई च।  यांक ट्रेनिंग मी खुद द्योलु
नेत्याण - हां या बात सौ प्रतिशत सत्य च। अब तुमारी ट्रेनिंग से म्यार मिट्ठु  बेशरम, बिलंच , बेहया मा अब्बल नंबर अवश्य लालु
नेता -त्वेकुण मीन कथगा दैं ब्वाल कि राजनैतिक नेता अपण कजै (पति ) बि किलै नि ह्वावो वैक बातों पर भरवस नि करण चयेंद। 
 


Copyright@ Bhishma Kukreti  6 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                               हर्युं नेता क वास्ता मातमपुर्सी करणो अटल सिद्धांत

                                   चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                   भारत मा हर समय चुनाव हूणा रौंदन।  कुछ ना सै त गढ़वाळि गाऊं मा गूणी बांदर बचाओ महासंघ या सुंगरु संख्या बढ़ाओ समीति का चुनाव त ह्वाला ही।  जितद त एकि नेता च पण दस नेता हरदन।  जित्युं नेताम वधाई दीणो पांच साल तलक जै नि सक्यांद पण हर्यां नेता तैं मातमपुर्सी दीण जरुरी हूंद किलैकि जब नेता जीती गे तो उ तुमर नि रै जांद। अब तुमर टैम -कुटैम मा साथ तो हर्युं नेता ही द्याल कि ना ?
इलै हर्युं नेता पास मातमपुर्सी वास्ता जाण जरुरी च।

जु नेता चुनाव जितुद वैकि राजनैतिक जीत हूंद अर जु हरदु च वैकि नैतिक जीत हूंद।  इलै हर्युं नेता मा जैक बुलण पोड़द ," नेता जी आपकी त नैतिक विजय ह्वे। " आपकी  नैतिक विजय हुई है वाक्य हर्युं नेताओं वास्ता एक माळा च , एक हार च।
अचकाल चुनाव मा शराब का गाड़ -गदन बगाण अर रुप्यों बरखा करण चुनाव लड़णो अभिन्न अंग च।  चाहे तुमन हर्युं नेताक खूब दारु घटकै ह्वावो फिर बि  हर्या नेता समिण पश्त्यौ शब्द जरुर बुलण चएंदन," अजी ! वु थुका जीत वो त वैक दारु अर रुप्या जीत ! अचकाल विचारा शरीफों वास्ता चुनाव जितण मुश्किल ह्वे गे। आप त पक्का सिद्धांतवादी छन तो तुमन शराब थुका बगाण छे।  वैकि शराब जीत आपका सिद्धांत जीत गेन "
हर्युं नेता कथगा ही कुकर्मी ह्वावो , हर्युं नेता पर धारा 302 ,307 का मुकदमा ही किलै नि चलणा ह्वावन, हर्युं नेता गुंडगर्दी को कथगा बि बड़ो उस्ताद ह्वावो आप तैं हर्युं नेता वास्ता सांत्वना का यु वाक्य बुलण जरुरी च ," अजी वैम इथगा बड़ी बाहु बली अर गुंडों फ़ौज नि हूंदी तो अवश्य ही जीत तुमरि ही हूण छे। गुंडों समिण शरीफुं कख चलदी ?"
अजकाल क्या पैलि बिटेन उद्योगपतियों पैसा से ही चुनाव लड़े जांद तो मातमपुर्सी का यी शब्द एक सास्वत्व वाक्य च ," या जीत उद्योगपतियुं गुलामुं जीत च।  "
फिर जनता बि त बेवकूफ च अर हर्युं नेता समिण  यि लफज बुलण बि जरूरी छन ," जनता साली बि मुर्ख च।  भला -बुरा पछ्याणदि नी  च।  जनता भलो भूलो बीच फरक करण माँ बिलकुल नाकामयाब राइ । "
कुछ लांछना का इन शब्द प्रयोग आवश्यक छन जन कि मीडिया बि बिकाउ च।  मीडियान बि आपक न्यूज नि दे।
सरकारी तंत्र तै गाळि दीणो बि इ बकत च तो हर्युं नेता से बुलण चयेंद बल सरकारी तंत्र बि भ्रस्ट च , सरकारी तंत्र चांदु इ नि छौ तुम सरीका ईमानदार नेता राजनीती मा आवो।
 आवश्यक नी बि ह्वावो तो बोलि दीण चयेंद कि आज प्रजातंत्र की जघन्य हत्या ह्वे।  प्रजातंत्र का वास्ता आज काला दिवस च।
इनि  श्रद्धांजलि का हरेक शब्द हर्युं नेता समिण बुलण चयेंदन।

Copyright@ Bhishma Kukreti  7 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                                         शिक्षा बिचारी त लँडेर कुत्ति जन च

                                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 सबि चांदन बल भारत मा शिक्षा स्तर बढ़ण चयेंद।  पण मंहगाई , भ्रस्टाचार , बलात्कार का स्तर मा दिनोदिन बढ़ोतरी हूणी च यि सौब एवरेस्ट  तरफ जाणा छन।  अर एक हमारी शिक्षा च  घड़ी खड्डा जिना खसकणि च।
नेताओं का  हाल छन कि बिचारा शक्षा स्तर बढ़ाणो बान चिंतित छन पणबिचारा कुछ नि करि सकदन।
सि परसि नेता जी क पीए न बोलि बल ,"नेता जी ! द्वी जगा बिटेन आमंत्रण च ?"
नेता जीन पूछि ," कख कख बिटेन ?"
पीएन उत्तर देइ ," एक आमंत्रण च शिक्षा का स्तर कैसे बढ़ाया जाय वाळुक अर हैंक आमंत्रण च फिल्मों का स्तर कैसे बढ़ाया जाय वाळुक। द्वी एकी समय पर छन। "
नेता जीन पूछ , " भीड़ कख जादा होली ?"
पीए - भीड़ त फिल्मों का स्तर  बैठक माँ होली।
नेता -टीवी कवरेज कख मीललि ?
पीए - शिक्षा स्तर की रिपोरटिंग  त अखबार वाळुन बि नि करण।  पण फिल्मों स्तर की रिपोर्टइंग  त नेसनल टीवी चैनेल वाळुन बि  करण
नेता - त ठीक च।  फिल्मो का स्तर कैसे बढ़ाया जाय की बैठक का आमंत्रण स्वीकार करो।
फ़िल्मुं बहस मा आकर्षण च।   शिक्षा बहस आकर्षणहीन च।
एक  अधिकारी अत्यंत परेशान छौ । सुबेर बिटेन समस्या हल करणै कोशिस मा लग्युं छौ पर समस्या निदान मा असफल राय।  वो अपण बॉस से पुछणो गयाइ।
एक अधिकारी - सर द्वी लाख कु बजेट आयुं च।  समज मा नि आणु कि मनोरंजन गृह की बिल्डिंग रिपेयर करे जावो कि स्कूल कि बिल्डिंग रिपेयर करे जावु ?
बॉसन जबाब दे ," अबे  इकमा दिमाग लगाणै जरूरत क्या च ? मनोरंजन गृह की बिल्डिंग रिपेयर करा और क्या। लोगुन स्कूल  टुटणै शिकैत  दस साल तक नि करण ।  पण मनोरंजन गृह की  बिगड़ीं हालात  की शिकायत रोज आणि रौण "
बॉस सही बुलणु च।  हमकुण  स्कूल त  एक सर्टिफिकेट पाणै धरमशाला च बस ।
बहुसंख्यक ह्वावन या अल्पसंख्यक सबि किराणा रौंदन मंदिर यहीं बनेगा , मस्जिद यहीं बनेगा।  क्वी माई का लाल इन मांग नि करदो बल अंतररास्ट्रीय स्तर का अत्याधुनिक विश्व विद्यालय वहीं खड़ा करेंगे ! वहीं खड़ा करेंगे।
विद्यास्थल की औकात देवस्थल का समिण कुछ छैं ई नी च।
गांऊं मा ह्वेन या शहरूं मा ह्वेन।  झणि क्यांक क्यांक बान रोज हड़ताल -खड़ताल होणि रौंदन पण मीन नि सूण कि शिक्षा स्तर बढ़ाणो बान क्वी मनिख या समाज सड़क पर ऐ ह्वावु।
वैदिन टीवी मा सुबेर बिटेन श्याम तलक संजय दत्त को पैरोल पर छुट्टी मिलणै समाचार इन आणा रैन  बुल्यां सन्जय दत्त क्वी क्रांतिकारी ह्वावो धौं ! एक अभियुक्त या जेल का कैदी का बारा मा अख़बारबीस अर टीवी वाळ इथगा कागज अर समय बर्बाद करदन पण रति भर कागज अर समय सही शिक्षा पर नि दीन्दन।
फेसबुक मा बि इ हाल छन , सोनाक्षी सिन्हा का समाचारों या फोटो पर लाखों कमेंट्स ऐ जान्दन पण शिक्षा  सवालो मेल तैं क्वी दिखद या ओपन बि नि करद।
सही शिक्षा का बारा मा हम सब संवेदनहीन छंवां।  शिक्षा की स्तिथि का बारा मा पूरो हिंदुस्तान ही सियुं च , बौं हौड़ पड्युं  च।




Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

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                                 चुनावी विश्लेषकों द्वारा अति सरलीकृत विश्लेषण

                                                भीष्म कुकरेती


 टीवी चैनेलों मा जब आप पार्टी कु योगेन्द्र यादव ब्वालो कि सरा भारत मा शहरी मतदाता दिल्ली  जन आम आदमी पार्टी तै वोट द्याला तो बात समज मा आदि च बल यादव अपण पार्टी का प्रोपेगेंडा बान अति सरलीकृत विश्लेषण रीति अपनाणु च।  राजनैतिक पार्टी वाळु कुण अति सरलीकृत रीति अपनाण माफी लैक  च।
टीवी चैनेलों मा जब भाजापा का पीयूष गोयल ब्वालो कि सोसल मीडिया को इथगा प्रभाव च कि गरीब, रस्ता मा सीण वाळ हरिया काका बि नरेंद्र मोदी तैं प्रधान मंत्री बणाण चाणु च।  अतिसरलीकरण करण राजनैतिक पार्टी वाळु कुण एक धारदार हथियार च।
जब तृणमूल कॉंग्रेस या अन्य दल वाळ बुल्दन बल भारत मा चार छै करोड़ लोग ही नरेंद्र मोदी तैं जाणदन तो यो अति सरलीकरण क्वी नी च किलैकि राजनीतिकों से या उम्मीद करे जै सक्यांद।
जब कॉंग्रेस का प्रवक्ता राहुल गांधी तैं इंदिरा गांधी से जादा जनप्रिय नेता बुल्दन तो क्वी भारी भूल नि माने जालि।  यदि सरलीकृत विश्लेषण से क्वी  राजनैतिक पार्टी पार्टी रक्षा कवच पैरो तो यु सरलीकरण जायज च।
पण  जब न्यूट्रल राजनैतिक विश्लेषक जाने अनजाने मा  सरलीकृत विश्लेषण कारन तो बात समज से भैर ह्वे जांद।
आप  पार्टी दिल्ली मा जीत तो यांक अर्थ कतै नी  च कि मुम्बई , कोलकत्ता , लखनऊ , जयपुर मा बि आम आदमी पार्टी तैं वा ही उर्बरक धरती मीललि ज्वा उर्बरक धरती आम आदमी पार्टी वाळ तैं दिल्ली मां मील। अब आम आदमी पार्टी सभी शहरों में अपना परचम लहरायेगी जन वाक्य सरलीकृत वाक्य च जो अनुभवी पत्रकारों का मुख से नि निकळण चयेंद।
एक वाक्य छौ क्या दिल्ली में मोदी का जादू नही चला और हैंक वाक्य छौ क्या राहुल गांधी का जादू नही चला ?
यी द्वी वाक्य अति सरलीकृत विश्लेषण छन।
चुनाव , वोटिंग सबि एक जटिल प्रक्रिया च जख मा केवल करिश्माई नेता ना बल्कणम संगठन अर हौर बि तत्व छन जो काम करदन।
राहुल गांधी अबि बि कॉग्रेस्युं वास्ता संजीवनी च।  राहुल गांधी बाद कॉंग्रेस माँ कु नेता च जु आसाम का एक गाँव मा बि भाषण दे सकुद तो मदुरई मा बि? आज  कॉंग्रेस्युं तैं एकजुट गांधी परिवार ही कौर सकुद।
राहुल गांधी या क्वी बि केंद्रीय या राष्ट्रीय नेता चुनावुं टैम पर भीड़ जुटा बि द्यालो अर संगठन कमजोर च तो चुनाव जितण कठण ही च।
फिर कथगा प्रत्यासी कम्प्लिसेन्सी का शिकार ह्वे जांदन अर वो अपण रणनीति तैं उन नि चलान्दन जन चलण चयेंद।
बाड़ -वाड -फेंस मा बैठ्याँ वोटर्स चुनाव का पासंग होंदन अर यूं वॉटरूं पर ध्यान नि  जावो तो सबी चुनाव गणित अर विश्लेषण सरलीकृत ह्वे जांदन।
वोटिंग मा द्वी बजी से पांच बजे तक की वोटिंग अति महत्वपूर्ण हूंद . जु बि पार्टी द्वी बजे से लेकि पांच बजे तक वोटरों तैं खैंचीक लांदी वा पार्टी कांटे की टक्कर जन जगाऊँ मा बाजी मार जांद , इखमा ही  संगठन काम आंद।
कॉंग्रेस पर यूपीए द्वितीय मा इथगा दाग लग्यां छन कि भगवान बि ऐ जावो तो भी कॉंग्रेस का पक्ष मा दलील दीण कठण च।
नरेंद्र मोदी का रास्ट्रीय स्तर पर आण सरल च , ऊनि केजरीवाल ऐंड पार्टी का वास्ता बि अवतरित हूण कुछ हद तक सरल च किलैकि नरेंद्र मोदी का  रास्ट्रीय स्तर की पैथरै स्लेट साफ़ च अर केजरीवाल की स्लेट तो बिलकुल ही साफ़ च।
चार हिन्दीलैंड राज्यों का चुनाव ना ही लोक सभा का आइना छन अर ना ही यूँ चुनावुं रिजल्टुं तैं खारिज करे सक्यांद।
चुनाव मा जितण इन च जन खाणक बणाण।  लूण से दाळ स्वादिस्ट ह्वे ग्याइ  एक सरलीकृत विश्लेषण च किलैकि दाळ बणाण मा कथगा ही घटक अर प्रक्रिया दाळ तैं सवादि बणान्दन। इख तलक कि भोजन तैं कै हिसाब से परोसे गे  बि भोजन को स्वाद बदल दींद।  इनी चुनाव हूँदन अर चुनावी रिजल्ट तैं एक कारण से विश्लेषित नि करे सक्यांद।
विश्लेषकों से उम्मीद हूंद  कि वूंकि विवेचना सरलीकृत नि  ह्वावो
 





Copyright@ Bhishma Kukreti  9 /12/2013

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                               हार का बाद आत्मचिंतन या आत्मा हरण   ?

                                     चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 
हार अर जीत मा एक सबसे बड़ो अंतर हूंद कि जितण वाळ जश्न मनांद त हरण वाळ प्रेस कॉन्फ्रेंस करद अर आत्मचिंतन करद।
प्रेस कोन्फेरेंस अर आत्मचिंतन द्वी ही भयावह व धर्मसंकटी बात छन।
प्रेस कॉन्फ्रेन्स मा पत्रकार इन इन बात पुछ्दन कि राजनीतिज्ञ जांक उत्तर सही द्यावन त कोढ़ी हूँदन अर उत्तर नि द्यावन त जग हंसाई हूंद।
अब द्याखो ना सन 2013 का पांच विधान सभाओं का चुनाव  पश्चात , पत्रकार कॉंग्रेसी नेताओं तैं जब पुछदन बल क्या राहुल का जादू ख़तम हो गया ? तो कॉंग्रेसी  नेताs समणि यमराज -ज्यूंरा बैठ जांदो।  कॉंग्रेसी सही जबाब दीन्दन कि राहुल को जादूs  सुख हम कॉंग्रेस्युंन कबि नि चाख ना द्याख तो जु नेता सच बोलि द्यावो  वो कॉंग्रेसी नेता ह्वैंइ नि सकुद।  अर आदतन , अपण संस्कृति अनुसार कॉंग्रेसी नेता झूट बुल्दन कि नही राहुल गांधी का जादु कभी समाप्त नही हो सकता है तो जग हंसाइ ह्वै जांद।  इलै ये प्रश्न का जबाब मा कॉंग्रेसी बुलद बल राहुल गांधी दलितुंक  इख  भोजन करदन अर रात सिंयां रौंदन।
 फिर निर्दयी , कुटिल, कठोर हृदयी पत्रकार हरीं कॉंग्रेसी नेता पर हैंक सवालो तोप दागी दीन्दन बल क्या नरेंद्र मोदी का जादू चल गया है ? अब सही उत्तर च कि नरेंद्र मोदीन अपण कार्यकर्ताओं अर भक्त वोटरों माँ जान फूंकी दे।  पण कॉंग्रेसी सही जबाब द्यालु तो वै तैं कु कॉंग्रेसी ब्वालाल ? संतप्त कॉंग्रेसी जबाब दींदु बल अल्पसंख्यकों ने नरेंद्र मोदी को सफाचट नकार दिया है। पण खटिक -कसाई पत्रकार फिर पुछद कि क्या भ्रस्टाचार मुद्दा छयो ? अब इखम बि  पंजाब का मुख्यमंत्री स्वर्गीय  प्रताप सिंग कैरो का पश्चात कै बि कॉंग्रेसीम जबाब नि हूंद , तो कॉंग्रेसी जबाब दींदो बल जु भ्रस्टाचार मुद्दा हि हूंद त यदुरप्पा तैं वोट किलै मिलदा ? असल मा कॉंग्रेसी जबाब दीण चांदो छौ बल जब भ्रटाचार मा लिप्त बीर भद्र सिंह हम तै हिमाचल मा जीत दिलै सकुद त साफ़ च कि लोग भ्रस्टाचार प्रेमी छन। 
इनी भाजपा का बुरा हाल छन।  माना कि आप चटपटो मटन -भात -कळेजी पेट भरिक खावो या चटकाओ अर फिर इथगा स्वादिस्ट भोजन का बाद आप तैं नीम रस की आचमन पीण पोड़ल तो तुमर क्या हाल ह्वालु ? भाजपान तीन राज्यों मा आशा से बिंडी जीत हासिल कार , किन्तु बिचारा भाजापाई उत्सव ही नि मनै सकणा छन। अब दिल्ली  चुनाव मा  आम आदमी पार्टी का 28 एमएलए आण  से  दिल्ली विधान सभा मा सर्वाधिक 31 जितणो बाद बि भारतीय जनता पार्टी बेउत्तर च।
जब भाजपा का नेतौं से पूछे जांद कि क्या दिल्ली में नरेंद्र मोदी का जादू नही चला ? तो बिचारा भाजपा का नेता सच नि बोल सकदन कि नरेंद्र मोदी का असर नि हूंद त हमर हाल बि कॉंग्रेस जन हूण छौ। जब पूछे जांद कि दिल्ली में नरेंद्र मोदी का जादू नही चला ? तो भाजपा का नेतौं एकी स्टीरिओ टाइप जबाब हूंद बल प्रधान मंत्री त नरेंद्र मोदी ही बणल।
 अर पत्रकारुं समिण झूट बुलण भौत ही सरल च।  दस -बीस मिनट गूवक घूँट पीण मा नेताउं कुछ नि जांद।  बेशर्मी , बेहयाई, लज्जाहीनता  राजनेताउं का सदाबहार जेवरात , कवच, कुंडल, मुर्खल  हूँदन।
पण सबसे कठण काम आत्मचिंतन का हूंद।  सरा दुनिया तैं ठगण सरल हूंद पण मनिख अफु तैं ठग ही नि सकुद।
जब कॉंग्रेसी आत्म चिंतन कारल तो  भ्रस्टाचार , मंहगाई , आत्मकेंद्रित नेतौं कुकर्म त ऊंक समिण आला कि ना ?
जब कॉंग्रेसी आत्मचिंतन कारल तो ऊंकी आत्मा पूछलि कि ना कि 125 साल पुराणि पार्टी एक परिवार पर ही निर्भर किलै च ? कॉंग्रेसी नेता की आत्मा एक सवाल तो कारलि  ही कि प्रजातंत्र मा विकेंद्रीकरण एक आवश्यक तत्व हूंद अर तुमन विकेन्द्रीयकरण को भट्टा किलै बैठाइ ?
ऊनि भाजपा का नेतौं तैं ऊंकी आत्मा सवाल पूछलि कि तुम तैं संसद मा जनतान विरोधी पार्टी का रूप मा भेजि छौ कि संसद बंद करणो बान भेजि छौ ? आत्मचिंतन मा भाजपा नेता की आत्मा का प्रश्न यु  बि त होलु कि जख बि कॉंग्रेस अर भाजपा का अतिरिक्त ताकतवर तिसर राजनीतिक दल हूंद ऊख तुमर घमंड कख हर्ची जांद।  उख तुम लुंज किलै छंवां ? किलै इथगा सालों बाद बि हिन्दीलैंड तक सीमित छंवां ?
पण नेताओं द्वारा आत्मचिंतन बि अपण आत्मा तैं धोखा दीणो बान हूंद।  बकळि जिकुड़ी का नेता , मोटी चमड़ी का नेता जै तरां से  जन मानस तैं धोखा दींदो वो अपणी आत्मा तैं बि भरमाण , धोका दीण सीखि गे।  राजनैतिक नेता का वास्ता आत्मा अर जनता मा अब कुछ फरक  नि रै ग्याइ। 



Copyright@ Bhishma Kukreti  10 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                                   कड़े कदम उठाणो बान कड़क कदम उधार दे दो  !

                                   चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 

                  जब बिटेन मि तैं अखबार बांचणो  कुढब पोड़ तब बिटेन रोज पढ़णु रौं बल सरकार कड़े कदम उठालि या सरकार तैं 'कड़े कदम' उठाण चयांद। अब टीवी समाचार दिखणो ढब पड्यू च त उख बि रोज या ही बात आंद कि सरकार कड़े कदम उठाएगी या सरकार या पार्टी तैं 'कड़े कदम' उठाने चाहिए।

               मुलायम सिंह बुलद बल अखिलेश सरकार तैं  आतंकवाद अर धार्मिक दंगा रुकणो   वास्ता 'कड़े कदम ' उठाण चयेंद।  अखिलेश बुलद बल सरकार 'कड़े कदम' उठाएगी।  अखिलेश तताकथित 'कड़े कदम ' उठांद बि च अर आतंकवाद आरोप मा फंस्या अल्पसंख्यकों तैं जेल से भैर करणो आदेस  दे दींद  पण पैल नॉन सेक्युलर पार्टी घ्याळ करदी अर पैथर न्यायालय  वै सरकारी आदेस तैं गैरसंबैधानिक   घोषित कौर दींद।  अखिलेश सरकार का 'कड़े कदम' बेदम ह्वेक ऊखमि जाम ह्वे जांदन। बिचारा अखिलेश यादव का 'कड़े कदम ' 'ढीला कदम ' ह्वे जान्दन।
                      बारा तेरा साल पैल तमिल नाडु मा सामजिक सरोकारी लोगुन घ्याळ कार बल प्रदेस मा लौ ऐंड ऑर्डर सुधार का वास्ता 'कड़े कदम ' उठाण चयेंद।  जय ललितान 'कड़े कदम 'उठैन अर श्रृंगी का  शंकराचार्य अर अन्यों तैं एक ह्त्या का जुर्म मा बंद कौरि दे।  बारा साल बाद न्यायलयन बोलि बल यी 'कड़े कदम ' नकली कदम छा।
              मनमोहन सिंह जी पर भारी दबाब छौ क्या अबि बि प्रेसर च कि सरकार तैं  भ्रस्टाचार रुकणो बान 'कड़े कदम' उठाण चयेंद।  अब बिचारा मनमोहन जी मा द्वी ही कदम छन , एक 'ढीला कदम' अर दुसर 'कड़ा कदम ' ।  'मनमोहन जी ढीला कदम' उठांदन त राहुल गांधी वै कदम तैं 'नॉन सेन्स ' कदम बोलि दींदु छौ तो भ्रस्टाचार रुकणो बान मनमोहन सिंह जीन राहुल का डौरौ बान कबि बि 'ढीला या नॉनसेंस कदम ' नि उठैंन।  यीं उमर मा मनमोहन सिंह जी ज्यु मारिक , गोळी खैक 'कड़े कदम ' उठाणो कोशिस करणै सुचद बि छया तो लालू प्रसाद यादव , मुलायम सिंह यादव , मायावती , करुणा निधि, शरद पवार सरीखा सहयोगी दल अपण सहयोग का डंडा दिखांद छा कि 'सुणो ! मनमोहन जी , अगर भ्रस्टाचार रुकणो बान 'कड़े कदम ' उठैला तो हम तुमर  कदम ही ना जंगड़ बि तोड़ि द्योला। " बिचारा मनमोहन सिंह जी अपण सि मुख लेक ' कड़ा कदम ' नि उठांदा छा।   इलै मनमोहन सिंह जीन भ्रस्टाचार का विरुद्ध ना तो 'ढीला कदम ' उठैन  ना ही 'कड़े कदम ' उठैन। मनममोहन सिंह जीक द्वारा भ्रस्टाचार का विरुद्ध क्वी बि 'कदम ' नि उठाण से क्रांतिवीर 'केजरीवाल ' पैदा ह्वे गे।
                इनी मंहगाई रुकणो बात आयि।  चारों तरफ से चीख पुकार , चिल्लाहट ह्वाइ कि मंहगाई रुकणो बान सरकार तैं 'कड़े कदम ' उठाण चयेंद।  मंहगाई रुकणो बान 'ढीला कदम ' क्वी काम को नि छौ अर मनमोहन जी 'कड़े कदम 'उठांदा तो फ्री इकोनोमी या स्वतन्त्र आर्थिक नीति पर ढसका लग जांद तो मनमोहन जीन मंहगाई विरुद्ध 'कड़े कदम' नि उठैन। फिर मंहगाई विरुद्ध 'कड़े कदम ' उठाण से चंदा दीण वाळ चंदा दीण मा ढिलाइ करदन तो मनमोहन जीन मंहगाई विरुद्ध क्वी 'कदम ' ही नि उठाइ अर लोगुं तैं इन लगद जन बुल्यां मनमोहन जी की सरकार पर गठिया को रोग होउ कि मंहगाई विरुद्ध क्वी बि 'कदम' नि उठाणा छन। राजस्थान मा अशोक गहलौत अर दिल्ली मा  शीला दीक्षित त यी सुचणा छन कि केंद्रीय सरकारन मंहगाई विरुद्ध 'कड़े 'क्या ढीला 'कदम' बि नि उठैन।
      राहुल गांधी बि  परेशान च बल जनतान कॉंग्रेस तैं वोट दीणो बान 'कदम ' नि उठै। दिग्विजय सिंह त बुलणु च बल  बल वोटरूं तैं वोटिंग मसीन तक लाणो बान आम कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओंन क्वी 'बड़ो कदम ' नि उठाये।  अब राहुल गांधी तैं कॉंग्रेस  जीत का वास्ता 'कड़े कदम ' उठाण जरुरी च। राहुल गांधीन ब्वाल बल मी अब आम आदमी पार्टी का क़दमों पर चलुल। किन्तु केजरीवालन अपण कदमों निसाण हि मिटै देन कि राहुल गांधी आम आदमी पार्टी का  'कदम चिन्ह' पर नि चौल साको। शरद पवार का मानण च बल कॉंग्रेस झोला छाप डाकटरों पास जांदी इलै इ कॉंग्रेस क्वी 'कदम ' नि उठांदी।
 तेलंगाना का वास्ता कॉंग्रेसन लम्बा अर कैड़ो कदम उठै पण आंध्र प्रदेस का कॉंग्रेसी नेता ही वै कदम तैं रुकणा छन।

            " 2013 का दिल्ली विधान सभा चुनावमा नरेंद्र मोदी का दिल्ली की और बढ़ते कदमों से भाजपा को अधिक फायदा नही" जन चर्चा चलणी च ।  दिल्ली चुनाव नतीजों का बाद भाजपा की हालात तो और बि बुरी च कि दिल्ली मा 'ढीला कदम ' उठाये जाय कि 'कड़ा कदम ' उठाये जाय। 'ढीला कदम ' से मोदी ब्रैंड तैं नुकसान ह्वे सकद अर कॉंग्रेसी या आम आदमी पार्टी का विधयकों की खरीद फरोख्त जन 'कड़े पण सुखदायी कदम ' से केजरीवाल ब्रैंड तैं ही फायदा होलु।  बस दिल्ली चुनाव नतीजों से  से भाजापा पर बि गठिया रोग लग गे।
  उना  मि तैं अपण घरवळि 'कदमो' आवाज सुण्याणि च तो 'कदम पुराण ' बंद करण पोड़णु च

Copyright@ Bhishma Kukreti  11  /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

 

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