Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360304 times)

Bhishma Kukreti

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                             प्रधानमंत्री पद की दावेदारी ठोक द्यूं ?

                                   चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

घरवळि - कनि बि छौ पर तुम से बढ़िया  तो वी छौ जु कखिम बि , कै बि पदौ बान दावा ठोकि दींदु छौ।
मि - नाती -नतणा समाळणो उमर मा कैकि याद आयि जु में से बढ़िया छौ ?
म्यार  बडु नौनु -पापा ! ममी के मुहल्ले में , देहरादून में जो धरतीपकड़ के भानजे नही  हैं ?
मि - अरे वु जु ग्राम प्रधान से लेकि रास्ट्रपति पद की दावेदारी ठुकणु रौंद।  वैन एक दैं जल्लाद की दावेदारी बि ठोक दे छे।
नौनु - हाँ ! ममी उसी की बात कर रही है।
मि -तेरी ममी अर वैक क्या संबंध ?
नौनु -अरे ममी की शादी की बात उन्ही अंकल से भी चली थी।
मि - तो फिर  शादी किलै नि ह्वै ?
नौनु -देहरादून के धरतीपकड़ अंकल ने ममी के ससुर पद की  दावेदारी ठोक दी थी।  नानी को खल गयी और बात आगे नही बढ़ी।
मि -अब क्या ह्वै गे जु देहरादून का धरतीपकड़ की याद ऐ गे ?
घरवळि -तुमर ले क्या ? उख प्रधानमंत्री पद खाली हूणु च अर तुम सीणा छंवां
मि - अबि बि मनमोहन जी प्रधानमंत्री पद पर छन।
घरवळि -हाँ पण सोनिया जिठाणिन घोषणा नि कार कि समय आण पर कॉंग्रेसी प्रधानमंत्री क नामो घोषणा ह्वे जालि
मि - तो ?
घरवळि -सि दिखणा नि छंवां , नीलकणी  नाम बि उछाळे गे।
मि - तो ?
घरवळि -त तुम अचकाल खाली बि छंवां अर कॉंग्रेस मा प्रधान पद का उम्मीदवार को पद बि खाली च।
मि - तो ?
घरवळि -त क्या ! एक सुन्दर सि बायो डाटा अपण भतिजु राहुल गांधी कुण भेजि द्यावो।
मि - तु त इन बुलणि छे जन बुल्यां  बिरला कम्पनी का सीइओ (चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर ) का पद का वास्ता अर्जी भेजि दे।
घरवळि -हाँ पण , गांधी परिवार का वास्ता भारत का प्रधानमंत्री पद सीइओ  पद जन ही तो च।
मि -अरे भारत का प्रधान मंत्री पद बड़ो सम्मान का पद च।
घरवळि -हां पण गांधी परिवार का वास्ता प्रदेस का मुख्यमंत्री पद ह्वावो या प्रधान मंत्री पद ह्वावो केवल सीइओ जन ही च।
मि - मतबल ?
घरवळि -द्याख नी तुमन ! महाराष्ट्र मा पृथ्वी  चौहाण तैं कन मुख्यमंत्री बणये गयाइ जन बुल्यां मैनेजर की पोस्ट ह्वावो
मि - हाँ पर ?
घरवळि -फिर द्याख नी तुमन विजय बहुगुणा तैं उत्तराखंड का चीफ मिनिस्टर इन बणये गे जन बुल्यां कमीसन क की पोस्ट खाली ह्वावो अर कै माननीय भूतपूर्व जज तै कमीसन का हेड बणै द्यावो।
मि - मुख्यमंत्री की बात अलग च।  इंदिरा गांधी जी अर संजय गांधी बि अपण मुख्यमंत्र्युं तैं मुगलकालीन सूबेदार ही समझदा छा।
घरवळि -वी त बुलणु छौं मि कि गांधी परिवार का वास्ता  एक सीइओ जन ही पद च। तुम ,  अबि अपण भतीजो राहुल गांधी कुण प्रधान मंत्री पद का वास्ता अर्जी भेजि द्यावो।
मि - पण कखि सोनिया बौ जी अर भतीजो राहुल गांधी मानी ग्यायी तो ?
घरवळि -तो क्या मजे से प्रधान मंत्री बौण जावो।
मि - पण इन मा प्रधान मंत्री बणे जावो तो रोज सोनिया जी, राहुल जी की चमचागिरी त कारो ही दगड़म सोनिया जी, राहुल जी का चार पांच चमचों की चमचागिरी बि करण पोड़ल।   
घरवळि -पर तुम तैं नौकरी मा सेठ , सेठाणी , सेठौ नौनु अर ऊंक चमचों की चमचागिरी करणो तीस सालो अनुभव त छैं च कि ना ?
मि - हाँ चमचागिरी को अनुभव तो बहुत च पर    …।
घरवळि -पर क्या ?
मि - अरे प्रधान मंत्री पद एक राजनैतिक अर संवैधानिक पद च।  प्रधान मंत्री पद की अपण गरिमा च। जनता से मशवरा , जनता की आवाज से ही प्रधान मंत्री को चुनाव हूण चयेंद
घरवळि -तो इखमा क्या च।  गांधी परिवार तैं कै बि पद से क्वी लीण दीण नी  च।   उ त हरेक रानैतिक पद तैं मैनेजर का पद समझदन।
मि - दिल त नी मानणु च पर यदि कॉंग्रेस का वास्ता प्रधान मंत्री पद या मुख्यमंत्री पद सीईओ या मैनेजर जन पद च त मि राहुल जी कुण अर्जी भेज इ  दींदु।
घरवळि -अर अर्जी की नकल मीडिया मा बि भेजी द्याओ।
मि - ठीक च .
घरवळि -इन कारो आम आदमी पार्टी मा बि त प्रधान मंत्री उमीदवार पद खाली होलु।  मीम बि कुछ खास काम नी  च तो मेरी तरफ बिटेन आम आदमी पार्टी कुण बि अर्जी ठोक द्यावो।


Copyright@ Bhishma Kukreti  12  /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                      कोटद्वारम अंग्रेजी स्कूलम टीचर पोस्ट का बान इंटरव्यू

                                 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
( यु सरा इंटरव्यू हिंदी मा ह्वे।  यु अनुवाद च )
मि - सर ! यस्टरडे नाइट ! ऐट कोटद्वार बजार , आइ वाज हैविंग अ ड्रिंक इन गुप्ता बियर बार ऐंड  रेस्ट्रॉरेंट।  दियर द प्रोप्राइटर गुप्ता जी  टोल्ड मी दैट   देयर इज ए वैकेंसी फॉर टीचर इन  योर इंग्लिश मीडियम स्कूल।
वाइस प्रिंसिपल (म्यार कंदुड़म )  -प्रिंसिपल साब तैं अंग्रेजी ठीक से  नि आदि।  हिंदी मा बात कारो।
मि (वाइस प्रिंसी का कंदुड़म ) -तो गढ़वाळी मा बचऴयों ?
वाइस प्रिंसिपल (म्यार कंदुड़म ) -प्रिंसिपल साब तैं अपण घौरम अर स्कूलम गढ़वळिम बुलण -बचऴयाण पसंद नी च।  ऊंक मानण च  गढ़वळिम बुलण -बचऴयाण से  बच्चों की हिंदी बिगड़ जांद )
प्रिंसिपल वाइस प्रिंसिपल से -क्या बात हूणि च ?
वाइस प्रिंसी   -नै कुछ ना सर।  मि समझाणु छौ बल चूँकि  हिंदी उत्तराखंड की प्रथम राजकीय भाषा च त हिंदी मा छ्वीं लगन त ठीक रालो।
प्रिंसिपल-फिर ठीक च।  अच्छा तुम तैं गुप्ता जीन हमर स्कूलो बारा मा बताइ इ होलु कि हमर स्कूल क्या च ? कथगा प्रसिद्ध च।
मि - गुप्ता जीन ही  बतायी कि गंगासलाण का ग्रामीण मास्टरों बच्चा इखि पढ़दन । ढांगू , लंगूर , अजमेर अर उदयपुर पट्टी का ग्रामीण मास्टरों मध्य या स्कूल बड़ी प्रसिद्ध च।
प्रिंसिपल -जी हमर स्कूल मास्टरों बीच प्रसिद्ध च।
मि - इन लगणु छौ कि  गुप्ता जी की या स्कूल होली ?
वाइस प्रिंसिपल-नै नै ! स्कूल त उत्तराखंड का नामी गिरामी शराब वितरक माननीय श्याम मनोहर जुयाल जी की च।  गुप्ता बियर  बार का मालिक गुप्ता जी हमर जनसम्पर्क सलाहकार छन।  वो हमर स्कूलम मास्टर अर बच्चा भिजदन।
मि -श्याम मनोहर जुयाल ? वो जु  ढांगू का  छन ? 
प्रिंसिपल-तुम जुयाल जी तैं कनकै जाणदा ?
मि -वो मयार नजीको गांवक दूरो रिस्तेदार छन।
प्रिंसिपल-हैं ? अर मि ऊंक दूरो गांवक नजीको रिस्तेदार छौं।
वाइस प्रिंसिपल - वै हिसाबन तो आप द्वी बि दूरो रिस्तेदार ह्वेल्या ?
मि -प्रिंसिपल साब ! आप कै गांवक छन ?
प्रिंसिपल- मि कांडीखाळ कु जगमोहन कंडवाल छौं
मि -आप जगमोहन  कंडवाल ! पण आप त आबकारी विभाग मा चपड़ासी छा।
प्रिंसिपल-हाँ ! ओ तो तुम म्यार बारा मा जाणदा छंवां।  फिर ठीक च।  मीन भौत साल पैल एलटीसी ( टीचिंग ट्रेनिंग ) कौर छे।  वैबगतां टीचरूं तनखा कम छे तो मी टीचिंग मा नि ग्यों मि सरकारी दफ्तर मा चपड़ासी बौण ग्यों। रिटायर हूणों बाद खाली छौ तो स्वाच टैम काटणो वास्ता  प्रिंसिपल ही बौण जौं !
मि -यी श्याम मनोहर जुयाल जी ठहरे शराब का ब्यापारी तो फिर जुयाल जी शिक्षा व्यवसाय मा कनकै ऐ गेन ?
वाइस प्रिंसिपल-वु  क्या च।  शराब  ब्यापार का बाद शिक्षा ब्यापार मा ही जादा मुनाफ़ा च। बिजिनेस डाइवर्सीफिकेसन  का बान जुयाल जी शिक्षा व्यापार मा ऐन।  अर फिर शराब का ब्यापार का इन च कि श्याम मनोहर जुयाल जीन अपण गां मा मंदिर -धर्मशाला बणाइ।  पर सबि इनी बुल्दन बल सि देखि ल्यावदी ! शराबौ पैसान मंदिर बौण।
मि -हाँ या बात त छैं च.
प्रिंसिपल-यीं स्कूलम ढांगू -उदयपुर -लंगूर का गाउँ मा पढ़ाण वाळ मास्टरुं बच्चा पढ़दन। अब अंग्रेजी स्कूलूँ रिवाज च तो बिचारा ग्रामीण मास्टर अपण बच्चों तैं हमर प्रसिद्ध अंग्रेजी स्कूलम भर्ती कौर दीन्दन !
मि -जी पण मीमा टीचर ट्रेनिंग को सर्टिफिकेट नी  च।  ना ही मै  तैं क्वी मास्टरगिरी को क्वी तजुर्बा च।
वाइस प्रिंसिपल-आप तैं थोड़ा भौत अंग्रेजी आंदी च ना ?
मि -हाँ !
प्रिंसिपल-तो आप हमर स्कूलम  बच्चों तैं फीजिक्स अर केमिस्ट्री पढ़ाओ।
मि -पण मीन त बायलॉजी से ग्रेजुएसन कार।
प्रिंसिपल-इकमा क्या च हमर स्कूलम हिस्ट्री मा एमए वाळ मास्टर गणित पदांदु।  बस जरा थोड़ा भौत अंग्रेजी आण जरुरी च।
मि -पण आप लोग ट्रेंड टीचर किलै नि लीन्दा ?
प्रिंसिपल-ट्रेंड टीचरों तैं तनखा जादा दीण पोड़द।  ट्रेंड टीचर तीस हजार रुपया की डिमांड करद।  जब कि तुम सरीखा अनट्रेंड पांच सात हजार रुपया मैना मा मिल जांदन। 
मि -एक बात बतावदी यी ग्रामीण ट्रेंड अध्यापक अपण बच्चों तैं इन स्कूलम किलै पढान्दन जख अनट्रेंड टीचर पढान्दन। जाणि बुझिक अपण बच्चों भविस्य दगड़ खिलवाड़ ?
प्रिंसिपल-सूणो तुम तै पता च कि शराब बुरी चीज च ?
मि -हाँ।  शराब भौत ही बुरी चीज च। स्वास्थ्य अर  पैसा बर्बादी का लिहाज से शराब बहुत ही खतरनाक च।
प्रिंसिपल - बस जन तुम शराब का नुक्सान का बारा मा इथगा जाणिक बि शराब पींदा , तनि  ग्रामीण मास्टर बि अपण बच्चों तैं हमर स्कूलम पढान्दन।
वाइस प्रिंसिपल - आप भोळ से पढ़ाणो ऐ जावो।
प्रिंसिपल - एक बात हौर ! तुम तैं तनखा सात हजार कैश मीलि जालि पर रजिस्टर मा तुमर तनखा तीस हजार होली।

Copyright@ Bhishma Kukreti  13  /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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               उत्तराखंड  शिक्षा माफिया  की  खोज मा टीक टुटि गयाइ

                   चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 वैदिन भौतुंन ब्वाल बल उत्तराखंड शिक्षा पर शिक्षा माफिया को कब्जा च सो इलै उत्तराखंड शिक्षा स्तर तौळ जाणु च।
मीन एक चार साल बिटेन बीटीसी बेरोजगार दुख्यर नौनु पूछ बल हे भै यु शिक्षा माफिया कख मीलल तो वो बेरोजगार बीटीसी नौनान रुंद रुंद ब्वाल कुज्य़ाण भैजि मि त अपण द्वी लाखौं कुण रुणु छौं ।  भाजापा सरकारौ टैम पर एक एजेंट तैं द्वी लाख दे छौ कि अप्वाइंटमेंट लेटर मील जालो।  त वु एजेंट बुलणु च कि चूँकि अब कॉंग्रेस की सरकार बौणि गे त नै सरकारन पुरण सरकारक सबि आदेस निरस्तर करि आलीन।  अब वु एजेंट अप्वाइंटमेंट लेटर कुण चार लाख मांगणु च।
मि तैं लग  कि अप्वाइंटमेंट एजेंट मि तैं एज्युकेशन माफिया कु  ठौर -ठिकाणो पता बतै द्यालु।
पण अप्वाइंटमेंट एजेंट रुणफती हुयुं छौ कि नै सरकार आण से वैकि मार्केट मा क्रेडिट हे खतम ह्वे गयाइ।  वैन बताइ कि अब अप्वाइंटमेंट एजेंसी मा दम नी  च।  अप्वाइंटमेंट एजेंट सुचणु छौ कि टीचरूं ट्रान्सफर की एजेंसी लिए जावो।  वैक हिसाब से टीचर ट्रांसफर मा जादा मुनाफ़ा च।
मीन स्वाच टीचर ट्रांसफर एजेंट से  पूछे जावो कि शिक्षा माफिया कख मीलल।
टीचर ट्रांसफर एजेंट भौत व्यस्त छौ वैन ब्वाल बल सैत च नॉन टीचिंग स्टाफ ट्रांसफर एजेंट तैं एज्युकेशन माफिया कु पता मालुम होलु।
मि नॉन टीचिंग स्टाफ ट्रांसफर एजेंटम ग्यों तो वो भकोरिक रुणु छौ कि अब नॉन टीचिंग स्टाफ असोसिएसन खुद  ही घूस  ल्याली , खुद ही ट्रांसफर मा घपला कारली अर खुद ही घूस इना उना पौंछाली।  एजेंट बुलणु छौ यु त सरासर एजेंटों पेट पर लात मारण ह्वाइ।  अब एजेंट सुचणु छौ कि मिड डे मील विभाग को बिचौलिया बणे  जावु।
मिड डे  मील बिचौलिया  मा ग्यों तो वो बि बुलण मिसे गे अब मिड डे मील मा घपला करण मा उथगा मुनाफ़ा नी  च जथगा पाठ्य पुस्तक प्रकाशन का बिचौलिया बणन मा च अर मिड डे मील का बिचौलियान बथाइ कि सैत च एज्युकेशन माफिया पाठ्य पुस्तक प्रकाशन विभाग मा ही बैठद ह्वावो।
पाठ्य पुस्तक प्रकाशन कु विचौलिया हल्ला करणु छौ अर लाब काब बखणु छौ ," पाठ्य पुस्तक सेक्रेटरी जी ! नया मुख्य मंत्री आने का मतलब ये थोड़ा है कि तुम एजेंट या बिचौलिए भी इलाहाबाद -लखनऊ से ला जाओ।  मै भी देखता हूं कि कैसे ये इलाहाबाद -लखनऊ के एजेंट देहरादून में काम करते हैं धौं ! "
चूँकि पाठ्य  पुस्तक प्रकाशन बिचौलिया क्रोध मा छौ त मीन विभागीय चपड़ासी तैं पूछ ," भैजि यि शिक्षा माफिया कख बैठदन ?" चपड़ासीन एज्युकेशन माफिया पता बताणो बान द्वी सौ रुपया मांग करी ।  मीन द्वी सौ रुपया शिक्षा विभागौ चपड़ासी जीक क कीसा उंद डाळ त वूंन  खुलासा कार -
शिक्षा माफिया एक चेतना च जो शिक्षा विभाग से लेकि स्कुलूं तक इकसार फैलीं च।
शिक्षा माफिया का ब्वे बाब क्वी नी च किलैकि जब शिक्षा विभाग  का ही ब्वे बाबु क्वी नी च तो शिक्षा माफिया का ब्वे बाब कनकै ह्वे सकदन ?
 ना  इ शिक्षा माफिया का अपण क्वी रूप  च पण विभिन्न रुपुं मा माफिया प्रतिपल जनम लीणु रौंद , जनकि -शिक्षा नीति ,   नकल , कोचिंग क्लास , प्रशासन मा लाफीताशाही अर भ्रस्टाचार आदि।
शिक्षा माफिया लार्ड कर्जन से पैल बि छौ जब ब्राह्मण गुरुकुल मा पढ़ाइ करदा छा अर दलितों तैं वेद  पाठन अर वेद  श्रवण की साफ़ मनाही छे।
शिक्षा माफिया छैं च पर यु हरेक की पकड़ से भैर च किलैकि जथगा बि शिक्षा विभाग मा छन वो शिक्षा माफिया का वीर्य (ऊर्जा )  पुत्र -पुत्री छन।
शिक्षा माफिया कै बि राजनीतिक पार्टीक बंधन मा नि ऐ सकद किलैकि राजनीतिज्ञ बि शिक्षा माफिया का आत्मा का एक मुख्य अंग छन।
शिक्षा माफिया तैं सब इक तलक कि अध्यापक बि ख़तम करण चाणा छन।  पण शिक्षा माफिया अब अनंत च , अपार च, असीम च , अगम्य च। , कैक समज मा इ नि आंद कि माफिया तैं कख बिटेन पकड़े जावो। फिर शिक्षा माफिया का रक्तबीजी गुण इन छन कि एक रूप खतम कारो तो शिक्षा माफिया हजारों नया रूप लेकि खड़ु ह्वे जांद।
मीन चपड़ासी जी तैं पूछ कि तुमम  इथगा ज्ञान कखन आइ ?
चपड़ासी जीन बताइ कि वून पीएचडी करीं च।  चूँकि नौकरी नि मील तो हाई स्कुलो सर्टिफिकेट दिखैक चपड़ासी बणी गेन। 

Copyright@ Bhishma Kukreti  14/12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                         घ्याळ  दा शिक्षा मंत्री कनकै बौण ?

                             चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


घ्याळ दा  विधान सभा का टिकटु बंटवारा टैम पर स्याळ दा की पैरवी करणो देहरादून छौ।  पण स्याळ दा का विरोधी कुरस्यळ काका अर गूणी बाडान साफ़ बोलि दे कि स्याळ दा तैं पार्टी टिकेट देलि त वून स्याळ दा हर्वै दीण। उना  स्याळ दा अर कुरस्यळ काकान बि बोलि दे कि यदि गूणी बाड़ा तैं टिकेट मीलल तो उंन गूणी बाड़ा हर्वे दीण।  पार्टी कुरस्यळ काका तैं टिकेट दे नि सकदी छे किलैकि गूणी बाडा अर स्याळ दादान कुरस्यळ काका हरवै दीण छौ।  ये चक्कर मा अचाणचक घ्याळ दा तैं विधान सभा कु टिकेट बि मिल गे अर घ्याळ दा एमएलए बौण ग्यायि।
सीट बि  इन च कि घ्याळ दा तै मंत्री बणाण जरूरी ह्वे गे।
  चूंकि जै देस मा पंचु नामांकन बि दिल्ली से ह्वावो तो वै देस मा प्रदेस मंत्री मंडल गठन बाबत गम्भीर बैठक दिल्ली मा हूण जरूरी च।  तो कै तै मंत्री बणाण कै तै मंत्री नि बणाण की बैठक दिल्ली मा चलणी छे।
मुख्यमंत्री -शिक्षा मंत्री कै तै बणये जावो ?
प्रदेस प्रभारी -खड़क सिंह तैं शिक्षा मंत्री बणावो। . साला तैं डंड मिलण चयेंद।
केंद्रीय पर्यवेक्षक - हां ! खड़क सिंह पर  भौत चर्बी चौढ़ गे।  हाई कमांड की एन बड़ी जगहंसाई करवाइ।
प्रदेस  पार्टी अध्यक्ष -ओ तो ठीक च पर वै धुर्यान इन तुच्छ मंत्रालय लीण से मना कौर दीण अर कखि उ अपण चार पांच एमएलए लेक पार्टी छोड़ि द्याल तो क्या ह्वाल ?
मुख्यमंत्री - नै नै ए बगत खड़क सिंग जी तैं तुच्छ मंत्रालय देक बेज्ज्ती  करण ठीक नी च।  खड़क सिंग जीकी बेज्ज्ती समय आण पर करे जालि।
प्रदेस पार्टी अध्यक्ष - तो भवानी दत्त जी तैं शिक्षा मंत्रालय दे दिवां ?
प्रदेस प्रभारी -तुमर दिमाग खराब हुयुं च। भवानी दत्त जी हाइ कमांड का ख़ास आदिम छन  तो  भवानी दत्त जी तैं इथगा गंदो , बेकारौ, गैरजरूरी  मंत्रालय देल्या त हाइ कमांड हमर बारा मा क्या स्वाचल ?
मुख्यमंत्री - तो मिसेज सुचेता आर्य तैं शिक्षा मंत्री   …।
प्रदेस अध्यक्ष - देखो जी मुख्यमंत्री ! तुम मेरी खुले आम बेज्ज्ती करणा छंवां।  इथगा महत्वहीन , फिस्सडी मंत्रालय म्यार आदम्युं  तैं देल्या त पता च मि क्या से क्या कौर सकुद।
प्रदेस प्रभारी - तो भंवर लाल गुप्ता जी तैं शिक्षा मंत्री ....
केंद्रीय पर्यवेक्षक - नै नै गुप्ता जी भौत काम का आदिम छन।  पार्टी तैं चंदा वी दिलवांदन।  गुप्ता जी तैं इन सड्यू गऴयुं, बेकार  शिक्षा मंत्रालय नि दीण।   
पार्टी प्रदेस अध्यक्ष - डा. सिद्धार्थ जी तैं शिक्षा मंत्री ?
मुख्यमंत्री - डा सिद्धार्थ जी शिक्षा का  बड़ा ज्ञानी छन। म्यार बुबा जी बरफ नंदन जीक बुलण छौ कि कबि बि एक्सपर्ट तैं वो मंत्रालय नि दीण चयेंद जांक वो एक्सपर्ट ह्वावो।
केंद्रीय पर्यवेक्षक -हाँ बरफ नंदन जी सै बुल्दा छा।  एक्सपर्ट तै इन मंत्रालय दीण चयेंद जांक वेकि समज कम ह्वावो।
पार्टी प्रदेस अध्यक्ष- तो मुस्सदी लाल टमटा जी तै शिक्षा मंत्रालय दे दिया जाय।
प्रदेस प्रभारी - नै नै ! टमटा जी मा संगठनात्मक शक्ति भौत च। माना कि शिक्षा मंत्रालय बेकार मंत्रालय च पण पहाड़ों मा चुनाव जितण त मास्टर हमर कब्जा मा हूण चैन्दान।   शिक्षा मंत्रालय देल्या त टमटा जीन सबि शिक्षक संघ  अर छात्र सँघुं पर कब्जा कौर दीण।  मुस्सदी  लाल जी तैं इथगा ताकतवर नि बणान कि भ्वाळ वो हम तैं ही आँख दिखाण बिसे जावन।
 केंद्रीय पर्यवेक्षक -तो सुलेन्द्र सिंग जी तै शिक्षा मंत्रालय दे द्यावो।
प्रदेस अध्यक्ष -नै नै ! हम सुलेन्द्र सिंग जी तै इन घटिया, उयाद , बेगैरत मंत्रालय देक नाराज नि कौर सकदा।  भ्वाळ विरोध्युं से विधायक तुड़ण पोड़ल तो सुलेन्द्र सिंग जीन ही काम आण।
प्रदेस प्रभारी - आप बुलणा छा कि क्षेत्रीय अर जातीय समीकरण बैलेंस करणो बान घ्याळ दा तै मंत्री बणाण आवश्यक च ?
मुख्यमंत्री - वु त ठीक च पर घ्याळ दा तैं क्वी अनुभव नी  च।
केंद्रीय पर्यवेक्षक - शिक्षा मंत्रालय ही तो चलाण क्वी उद्योग मंत्रालय त चलाण नी च कि अनुभव की आवश्यकता ह्वावो। घ्याळ दा तैं शिक्षा मंत्री बणै द्यावो।  नै नै छन तो बोलि बि नि सकदन कि इथगा महत्वहीन मंत्रालय मील !
सबि - हाँ ठीक च। घ्याळ दा तैं शिक्षा मंत्रालय देक  क्षेत्रीय अर जातीय समीकरण बि बैलेंस ह्वे जाल अर घ्याळ दा पर क्वी फरक बि नि पोड़ल कि इथगा बेकार मंत्रालय मील !
मुख्यमंत्री - चलो शिक्षा मंत्रालय की आफत त खतम ह्वे गे।  अब महत्वपूर्ण मंत्रालयों बारा मा गम्भीरता पूर्वक सुचे जावो।


Copyright@ Bhishma Kukreti  15/12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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              क्या  शिक्षा मंत्री की पोष्ट स्योड़ या भैड़ा जन पोस्ट च?

                           चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 मुख्यमंत्री की इच्छा त या  ही छे कि ऊंक शपथ ग्रहण समारोह बड़ो मैदान मा हो अर दगडम मंत्री मंडल शपथ ग्रहण समारोह बि ह्वावो पण सटकपाल  रावत 'महाराज' , खड़क सिंग रावत अर हरषु रावत की आपसी राजनैतिक बैमनसी इथगा जोर की छे कि रत्यां मुख्यमंत्री जीन शपथ ले जन बुल्यां क्वी चोरी करणु ह्वावो।
मंत्रीमंडल शपथ ग्रहण बि ग्रहण लगण से तीन  घंटा पैल करण पोड़ किलैकि वैका बाद मळमॉस लगणु छौ।
शपथ ग्रहण से पैल घ्याळ दा तैं द्वी ऑफिसरुंन ट्रेनिंग दे कि कन महामहिम राज्यपाल कु सम्मान हूण चयेंद , कन शपथ लीण।
घ्याळ दान ब्वाल बल मीन त गढ़वाळि मा सौं घटण।  अर यांसे संवैधानिक संकट खड़ो ह्वै गे। गढ़वाळी भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची मा नी च अर घ्याळ दान शपथ लेकि बतै कि शपथ तो मीन गढ़वाळि मा ही लीण। बात गम्भीर अर संवेदन शील छे तो बात मुख्यमंत्री मा पौंछी गे।  मुख्यमंत्री ऊनि बि तनाव मा छा तो ऊन घ्याळ दा तैं हड़कै दे कि क्या च या बेकार सि भाषा मा शपथ लीणै बात हूणी   । 
घ्याळ दान बि धीरे किन्तु ठोस अर  अडिग भौण मा बोल बल म्यार जनम इलहाबाद मा नी हुयुं च कि मि अपण ब्वे बदल द्यूं।
मुख्यमंत्री घ्याळ दाक शब्द सूणि डौर गेन।  मुख्यमंत्री जी तैं पूरो भरवस ह्वे गे कि निर्गुट घ्याळ दा सटकपाल  रावत 'महाराज' , खड़क सिंग रावत अर हरषु रावत मादे कै ना कै पाळी /ग्रुप मा चली गे। फिर निर्णय ह्वाइ कि मंत्री जी तैं जैं बि भाषा मा शपथ लीणाइ लीण द्यावा।
 शपथ ग्रहण से पैल घ्याळ दा अग्वाड़ी की पंक्ति मा बैठ्याँ धाकड़ -बड़ा नेताओं से मिलणा गेन। दगड़ मा एक जूनियर अधिकारी बि पूछ बौणि छौ।
घ्याळ दान सटकपाल  रावत 'महाराज' जी क खुट मा मुंड धार त सटकपाल  रावत 'महाराज' जीन  ब्वाल ," म्यार ग्रुप मा ऐ जांदि त यु जयुं बित्युं , फंडधुऴया , बेकार सि मंत्रालय नि मिल्दो।" घ्याळ दाक समज मा नि आयि कि 'महाराज' जीन श्राप दे कि आशीर्वाद ?
खटक सिंग रावत अर हरषु रावत गुस्सा मा नि अयां छा पण ऊंका प्रतिनिधि अयां छा।
खटक सिंग रावत कु प्रतिनिधिन मिल्दो ही ब्वाल, छि मंत्रालय बि मील त क्या मील ?"
हरषु रावत कु प्रतिनिधिन ब्वाल ," क्या जरूरत छे ये उयाद, रद्दी  मंत्रालय तै स्वीकार करणै ? अति दक्षिण गढ़वाल  मा तू ही पार्टी को विधायक चुनिक ऐ  तो मुख्यमंत्री बुबा बोलिक क्वी बि मलाईदार अर इज्जतदार  मंत्रालय बुबा बोलिक दे दींदा। "
 घ्याळ दा कि समज मा नि आयि कि यी लोग कै तरां से बधाई दीणा छन.
पैल लाइन मा दिल्ली बिटेन  धाकड़ नेता कपिल खुब्य़ा बि ऐक  बैठ्युं छौ।  कपिल खुब्य़ा पैल त खुस ह्वे कि अति दक्षिण गढ़वाल मा घ्याळ दान जीतिक पार्टीक इज्ज्त बचाइ।  पण जनि जूनियर अधिकारिन बताइ कि घ्याळ दान शिक्षा मंत्री की शपथ लीण तो कपिल खुब्यान हिराकत भर्यां शब्दुं मा अधिकारी कुण ब्वाल ," ठीक है ठीक है ! इन्हे छोटे मोटे नेताओं को मिलने दो। "
 महामहिम राज्यपाल का आण से पैल शपथ लीण वाळ विधायकों तैं एक जगा मा बैठये गे।  चूंकि सब तैं पता छौ कि घ्याळ दान शिक्षा मंत्री बणन तो ऊंकी सीट सबसे पैथर अर इन जगा मा छे कि हाल मा बैठ्या लोग देखि नि सकद छा कि घ्याळ दा कखम बैठ्युं च।
शपथ ग्रहण समारोह का बाद मंत्र्युं मुख्यमंत्री दगड़ फोटो सेसन ह्वै तो फोटोग्राफरन अर अधिकार्युंन घ्याळ दा तैं सबसे पैथर खड़ो कार अर फोटोग्राफरन इन बि चिंता नि कार कि शिक्षा मन्त्री कु मुंड त वित्त मंत्री अर पीडब्ल्यूडी मंत्री क पैथर छुप्यूं च। दूसर दिन जब स्थानीय समाचार   पत्रों मा मंत्र्युं सामूहिक फोटो   छप त शिक्षा मंत्री क कंधा ही दिखेणा छा।
घ्याळ दा तैं सब दक्षिण गढ़वाल का पार्टी कु एकमात्र बान सबि बधाई दीणा छा पण क्वी बि घ्याळ दा तैं शिक्षा मंत्री बणनो वधाई नि दीणा छा।
मंत्रीमंडल शपथ ग्रहण समारोह मा घ्याळ दाक ब्वे , घरवळि अर नौनु बि अयां छा।
घ्याळ दा तैं ग्रहण लगण से पैल मंत्रालय मा प्रवेश करण जरुरी छौ।
ब्वे , घरवळि अर नौनु ड्यार जाण से पैल घ्याळ दा से मिलेन।  कैक मुख पर पुऴयाट (खुसी ) नि छे।  उलटां सब्युं रंग बेरंग हुयुं  छौ।
ब्वेन पूछ - हे घ्याळु ! यु शिक्षा मंत्री पोस्ट मड़घट (श्मशान ) का स्योड़ (महाब्राह्मण ) जन पदवी   च ?
घ्याळ दा - कनो ?
ब्वे - सबि घिणैक अर   हिराकत से बुलणा छा , " अच्छा घ्याळ जी तैं शिक्षा मंत्रालय मील ?"
घरवळि - सूणो ! राजनीति मा शिक्षा मंत्री भैड़ा जन पदवी च ?
पुत्र -बाबा जी ! राजनीति माँ शिक्षा मंत्री की पोस्ट कोढ़ी जन पोस्ट च ?
घ्याळ दा तैं मंत्रालय मा प्रवेश आवश्यक छौ तो वो यूं सासत्व सवालुं जबाब नि दे साकु।
         



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[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                   भू संरक्षण मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय की लाल बत्ती ली गे !

                           चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 ( पहले खंडों में आपने जाना कि किस तरह घ्याळ दा विधायक बने , कैसे शिक्षा मंत्री बनाए गए और फिर कल आपने पढ़ा कि मंत्री मंडल शपथ ग्रहण में किस तरह शिक्षा मंत्रालय कि बेइज्जती होती गयी। आगे …। )
जनि शपथ ग्रहण ख़तम ह्वे तनि नया नया बण्या मंत्री अपण मंत्रालय जिना भगणा छा जन बुल्यां सब्युं तैं झाड़ा लगीं हो।  थोड़ा देर मा ग्रहण जि लगण वाळ छौ अर फिर एक मैना तक मळमॉस  तो सबि  मंत्री आज अपण कामक शुरुवात करण चाणा छा।
शपथ ग्रहण हाल का भैर  तक जूनियर अधिकारी घ्याळ दा तैं छुड़णो आयि अर  इथगा मा एक मनिखन अपण परिचय दयाइ , " सर माइसेल्फ माणावाल।  शिक्षा मंत्री कु  प्राइवेट सेक्रेटरी।  ग्लैड टु रिसीव यु !"
राजभवन का अधिकारींन ब्वाल ," माणावाल जी माइ ड्यूटी ऐंड्स हियर , नाउ ,युवर ड्यूटी स्टार्ट्स ."
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं इन लग जन बुल्यां वो कैदी ह्वावन अर एक जवान कैदी तैं हैंक जवान तैं सौंपणु ह्वावो।
राजभवन का अधिकारिन गुड लक , गुड बाइ ब्वाल अर भितर चली गे।
माणावाल जी उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड तैं हौर अधिकार्युं तरां दहेज़ मा मिल्यां छन।  प्रादेशिक सेवा का काडर छन।
घ्याळ दान ब्वाल ," चलो माणावाल जी ! मंत्रालय चले जावो !"
माणावाल जीन ब्वाल ," जी मंत्री जी ! पण मंत्री ह्वेक आप अब बगैर सरकारी सहायता का ना त खुट  अळगै सकदां अर ना इ पैदल जै सकदा। आपा कुण सरकारी कार आणि च "
घ्याळ दान द्याख कि एक समयबद्ध अर क्रमवार तरीका से कार आणि छे अर अपण अपण सवारी याने मंत्री तैं लेकि जाणि छे।   सवारी उठाणो कंडक्टर बि छौ याने मंत्री दगड़ मा मंत्रीक सेक्रेट्री बि छौ।
घ्याळ दाकु नंबर आखिरैं आइ।
ड्राइवरन पैल अंग्रेजी शब्दों मा खड़ा खड़ी सिवा लगाइ अर कारौ पैथराक दरवाजा ख्वाल।
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा गाड़ी मा पैथर बैठिन अर ड्राइवरों बगल मा माणावाल जी बैठि गेन। गाड़ी चलण लगी गे।
कुछ समय बाद माणावाल जीन चलदी गाडी मा ड्राइवर जी से पूछ," ये भै ख्यातवाल जी ! कार का मथ्याकि लाल बत्ती कख चलि गे ?"
ड्राइवर ख्यातवाल जीन जबाब दे ," वू क्या च ! भू संरक्षण मंत्रालय की कार की लाल बत्ती खराब ह्वे गे छे त भू संरक्षण मंत्रालयो ड्राइवर लाल बत्ती ली ग्याई। अर ऊनि बि शिक्षा मंत्रालय कु क्वी रौब दाब हूंद नी च तो मीन बि लाल बत्ती भू संरक्षण मंत्रालय तैं दे दयाइ। "
घ्याळ दान गाड़ी रुकवाइ , गाड़ी से भैर ऐन , माणावाल जी बि भैर ऐन.
घ्याळ दान ड्राइवरों कुण बरफ जन ठंडा शब्दों मा ब्वाल ," ड्राइवर जी ! जावो अर भू संरक्षण विभाग की कार से लाल बत्ती वापस लावो। इनी अपण चीज दुसर मंत्रालय तै दीणा रैल्या तो रौब दब अफिक खतम हूंद। "
घ्याळ दान माणावाल जी से ब्वाल," चलो जी पैदल ही शिक्षा मंत्रालय चले जावो। "
माणावाल ," जी उन बि सि अपण मंत्रालय आइ गे।  बस एक  द्वी फलांग ."
इना सबी मंत्रालय छा।  सबि मंत्रालयों समिण नै मंत्री तैं वधाई दीण वाळु पिपडकारो लग्युं छौ।
वित्त मंत्रालयक समीण भीड़ से एक अदबुडेड़ आदिमन हाथ हिलाइ , माणावाल जीन बि  उत्साह दिखैक हाथ हिलाइ।
माणावाल जीन घ्याळ दा तै बताइ ," यी गढ़वाल  विश्वविद्यालय का उपकुलपति डा नटवर लाल छन। "
घ्याळ दान पूछ ," नटवर लाल जी वित्त मंत्री जीक रिस्तेदार छन ?"
माणावाल जीन जबाब मा ब्वाल ," नै नै ! विश्व विद्यालय तैं समय पर वित्तीय सहायता पौंछणी रावो यांक बान उपकुलपति वित्त मंत्री दगड़ अच्छा संबंध बणैक रखदन . "
उद्योग मंत्रालय समिण भीड़ से एक प्रौढ़ आदिमन माणावाल जीक तरफ जोर का हाथ हिलाइ अर माणावाल जीन बि जोर कैक हाथ हिलाइ।
माणावाल जीन ब्वाल ," सर ! यी कुमाऊं विषयवविद्यालय का उपकुलपति डा उफंदरी सिंग छन। "
घ्याळ दान पूछ ," डा उफंदरी सिंग उद्योग मंत्री का बालमित्र  छन ?"
माणावाल जीन बोलि ," नै नै ! विश्व विद्यालय तैं उद्योग पतियों से स्पोंसरशिप मिलदा रावो यांक वास्ता उपकुलपति उद्योग मंत्री दगड़ शुरू से ही रिलेसन बणान्दन। "
गृह मंत्रालय क समिण की भीड़ से बि एक आदिमन   माणावाल जीकुण हाथ हिलाइ अर माणावाल जीन बि हाथ हिलाइ।
माणावाल जीन ब्वाल ," यी हरिद्वार विश्वविद्यालय का कुलपति डा भजराम हवलदार छन।  यूं तैं राज्य मंत्री जन सुरक्षा मिलणी रावो यांक बान यी सदा गृह मंत्रालय का चक्कर लगाणा रौंदन . "
 इथगा मा शिक्षा मंत्रालय की बिल्डिंग ऐ ग्याइ।
जख गृह मंत्रालय , उद्योग मंत्रालय , वित्त मंत्रालय , वन  मंत्रालय का भवन चकाचक चमकणि छया , उख शिक्षा मंत्रालय कु भवन इन छौ जन बुल्यां कैं विधवा क मांग अर अन्वार ह्वावो।  शिक्षा मंत्रालय का भवन कांतिहीन , चमकहीन छौ।
शिक्षा मंत्री तैं वधाई दीणो कवा तक बि नि अयां छा। वीरान , जन बुल्यां शिक्षा मंत्रालय बंजर धरती ह्वावो।
गेट टूट्यूं छौ।
घ्याळ दान पूछ ," गेट रिपेयर नि करांदा आप लोग ?"
माणावाल जीन उत्तर दे ," मंत्री जी ! द्वी साल बिटेन पीडब्ल्यूडी मंत्रालय कुण रिमाइंडर पर रिमाइंडर भिजणा छंवां पण क्वी सुणवाइ नी हूणि च। "
इथगा मा भितर बिटेन एक अधिकारी ऐन ," शिक्षा मंत्री जी आपकु स्वागत ! वधाई ! मि शिक्षा मंत्रालय कु चीफ सेक्रेटरी करम सिंह रावत !"
घ्याळ दान उत्साह से हाथ मिलांद ब्वाल ," आप कखि प्रिसद्ध इमानदार अधिकारी धर्म सिंह जीक रिस्तेदार त नि छंवां ?"
करम सिंह जीन जबाब दे ," जी मि ऊंक दुरौ रिस्तेदार छौं ."
घ्याळ दान ब्वाल ," चलो ऑफिस भितर चले जावो ?"
करम सिंह जीन ब्वाल ," सर जरा रुक जावो। राष्ट्रीय अर राज्य स्तर का टीवी चैनेल त हौर मंत्र्युं का मलाईदार मंत्रालय संम्बांलणम व्यस्त छन तो मीन एक लोकल केबल ऑपरेटर बुलायुं च।  बस आदि ह्वाल।  ल्या सि लोकल केबल चैनेल वाळ ऐ गेन। "
 
 *** कल पढ़े शिक्षा मंत्री का कक्ष कैसा है ?

Copyright@ Bhishma Kukreti  17/12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

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               जब भूतपूर्व शिक्षा मंत्री की खाणि -हगणि बंद ह्वे छे !

                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
           
वर्तमान शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं शिक्षा मंत्रालय का चीफ सेक्रेटरी अर मंत्री जीक प्राइवेट सेक्रेटरी मंत्री कक्ष मा लैन।  उख पूजा पाठ को इंतजाम बि छौ।  तिन्युंन चपड़ासी जीक सहायता से पूजा कार।
पूजा बाद प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जीन घ्याळ दा तैं कुर्सी मा बैठणो प्रार्थना कार।  कुर्सी कुर्सी तरां चर्र चर्र ना मूसुं तरां किर्र किर्र करणी छे।  घ्याळ दा क हथ मेजक ड्रावर पर गेन अर ऊन खाली ड्रावर ख्वाल तो उख क्वी कागज फंस्युं छौ।  घ्याळ दान सावधानी से कागज भैर निकाळ।
माणावाल जीन कागज दिखदि ब्वाल ," यु  त भूतपूर्व मंत्री सिमसाण  जीक डायरी पन्ना दिखेणु च। "
हाँ डायरी को पन्ना ही छौ। आज से पांच साल पैलाकि तिथि छे।
डायरी इन छे
फरबरी 23  2007
पांच साल बाद विधान सभा की  सत्ता फिर अपण पार्टी मा  बौड़ि ऐ गे।  सत्ता का ख्वाळम  विरोधि दीवाल मा बैठणम बड़ो फ्रस्ट्रेशन हूंद, निराशाजनक हूंद जन बुल्यां समोदरौ बीच मा तिसा मनिख ह्वावो।
रिजल्ट अयां बीस दिन ह्वे गे छा पण चूँकि बहुमत से तीन सीट कम मिलेन त पार्टी तैं जुगाड़ करद करद पांच दिन लगिन।  फिर हमर पार्टी मा सशक्त नेता कार्यकर्ताओं से जादा ह्वे गेन याने मूस कम अर बिरळ बिंडी तो मुख्यमंत्री की दौड़ मा उत्तराखंड ही ना उत्तरप्रदेश , पंजाब , हरियाणा का नेता बि शामिल ह्वे गेन।  एक दिन सुबेर सुबेर तो इन बगत आइ कि  हाई कमांडन म्यार नाम पर बि विचार विमर्श कार अर टीवी चैनेल वाळुन घोषित कर दे कि मि मुख्यमंत्री ह्वे ग्यों पण फिर दुफरा मा कै हैंक तैं मुख्यमंत्री बणनो समाचार आण बिसे गेन अर रात का समाचार मा तिसर नेता मुख्य्मंत्री की दौड़ मा अग्वाड़ी छौ।
खैर अंत मा उत्तरप्रदेश का एक नेता ही मुख्यमंत्री बौण।  पत्रकार सम्मेलन मा बुले गे कि चूंकि वूंक जमीन जायजाद उत्तराखंड मा याने नैनीताल , भीमताल , मसूरी मा जादा च अर उत्तरप्रदेश  मा कम च तो वो उत्तराखंडी जादा छन , उत्तरप्रदेशी कम छन। डा सोमेश निर्द्वन्द न    मुख्यमंत्री की शपथ अकेला ही ल्याई किलैकि मुंगरी कम छे अर रिक बिंडी छा। मंत्री पद कम छा अर इच्छुक जादा। 
ब्याळि मुख्यमंत्री दिल्ली छा , जख मंत्रीमंडल गठन की बैठक छे।
आज दिन तलक  राज्यपाल भवन से आधिकारिक तौर से मंत्रियुं तैं औपचारिक तौर पर निमंत्रण दिए जालु। अनाधिकारिक तौर पर डा सोमेश निर्द्वन्द का ख़ास आदिम ही सूचना दे सकद छा कि कु कु मंत्री बणना छन।  पण डा सोमेश निर्द्वन्द का ख़ास आदिम चूँकि लखनऊ का छन तो म्यार लिंक डा सोमेश निर्द्वन्द का ख़ास आदिम्युं दगड़ अबि तलक नि ह्वे साक।
चुंकि मि एक ख़ास जाति अर ख़ास क्षेत्र कु छौं त मि तैं विश्वास च कि मी तैं मंत्रीपद अवश्य मीलल।  पण दुनिया मा राजनीति से जादा अविश्वसनीय क्वी चीज नि ह्वे सकद तो मि तैं रात भर नींद नि आयि।  बरबस एकी ख़याल आणु कि कखि म्यार पत्ता साफ़ नि ह्वे जावो अर छौंद कज्याणि -घरवळि मि रंड्वा (विधुर ) जन नि ह्वे जौं।
मीन  रात बिटेन अब सुबेर तलक बीस बंडल बीड़ी फूकी ऐन पण मेरि रोंका -धौंकी खतम इ  नि होणि छे।
अचाणचक तीस लगद छे अर जनि पाणि गिलास गिच तलक जावो कि तीस खतम ह्वे जावो अर पेशाब कु अंदेसा ह्वे जावु।
पेशाब जौं त पेशाब नि ह्वावो पण कुल्लि खाण शुरू ह्वे जावो अर बाथरूम से भैर ऐक जनि बाम की शीसी देखुं कि पेट मा मरोड़ शुरू ह्वे जावो।  फिर बाथरूम जौं त मरोड़ बंद अर खुट कमण बिसे जावन।
घरवळि हर समय चाय , कॉफी कितला लेकि कमरा मा आणि जाणि छे।
नौ बजि गे  छा कि म्यार अधिकृत फोन की घंटी बज मि लमडद -लमडद फोन तक ग्यों त उना बिटेन एक एक नौनिक आवाज आयि , "सर ! वैवाहिक जीवन से निरास नही होइए अब हमारी कम्पनी ने ऐसी गोली बनायी है जिसे नारायण दत्त तिवारी भी रोज खाते हैं … । "
मीन वीं नौनि तैं जोर से इन बिचकीं भाषा मा  गाळि देन कि मेरी घरवळि बेहोस हूण वाळ छे।  मीन फोन पटकी दे।
घरवळिन पाणी गिलास पकडांद  ब्वाल -तुम पर ससुर जीक आत्मा घुसि गे।  .  इन बिचकीं गाळि तो वो ही दींद छा।
फिर फोन की घंटी बज तो वो फोन एक हैंक विधयक कु छौ - सिमसाण जी कुछ पता लग कि कै कैक दिन आणा छन कै कैक मौ घाम लगण वाळ च।
मीन ब्वाल -कुछ पता इ नी लगणु कि कु कु मंत्री बणना छन।
साफ़ छौ कि वै विधायक की बि खाणि -हगणि बंद छे।
मीन इना उना फोन कार पण कैमा बि क्वी ठोस सूचना नि छे। 
ग्यारा बजी गे  छा अर राजभवन से फोन नि आयि ना ही क्वी इन फोन ऐ कि मि मंत्री मंडल मा शामिल ह्वे ग्यों।
ठीक ग्यारा बजिक तेरा मिनट पर राजभवन से फोन आयि कि क्या मि घौरम छौं।
मीन जबाब दे कि मि घौरम ही छौं।  ऑपरेटरन सूचना देकि जूनियर सेक्रेटरी थोड़ा देर मा बात कारल।
राजभवन से जूनियर सेक्रेटरी को फोन को मतबल च कि मि उपमंत्री बणन वाळ छौं पण पार्टी मी तैं उपमंत्री नि बणै सकद किलैकि कि मेरी जात अर क्षेत्र का हिसाबन मि तैं पूर्ण मंत्री पद ही मील सकुद।
सरा घौरम एक बड़ो तनाव को माहौल छौ।
आधा घंटा बाद जूनियर सक्रेटरी क फोन आयि अर वैन सूचना दे कि - आप शिक्षा मंत्री बनाये जा रहे हैं।
मीन जनि सूण कि मी शिक्षा मंत्री बणणु छौं त मै लग कि पार्टीन मेरी बड़ी भारी , भरकम बेइज्जती करणो बान मै तैं शिक्षा मंत्री बणाइ।   सोचिक  मि बेहोश ह्वे ग्यों।
डायरी मा  अगनै बि लिख्युं छौ पर सब कट्टा -कुट्टी करिक मिटाये गे छौ अर कुछ बि पढण मा नि आणु छौ। 



Copyright@ Bhishma Kukreti  18 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                   ड्राइवर थोकदार की खैकर खानदान का मंत्री से चिढ़

                      चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 घ्याळ दा अपण कक्ष माँ छा , शिक्षा विभाग का चेफ सेक्रेटरी अर प्राइवेट सेक्रेटरी बि मंत्री कक्ष मा छा. पण शिक्षा मंत्रालय से भैर एक नाटक की शुरुवात ह्वे गे छे।
 शिक्षा मंत्रालय कु ड्राइवर से भू सरंक्षण वाळ शिक्षा मंत्री की लाल बत्ती ली गे  छा।  घ्याळ दान ड्राइवर ख्यातवाळ जी तैं लाल बत्ती लाणो भेज छौ।  बात बि सै च अपण सैणि अर अधिकार इनी दिए जावन तो ह्वे गे फिर !
ख्यातवाळ  जी बड़ी मुस्किल से शिक्षा मंत्रालय की लाल बत्ती लेक दौड़ि दौड़िक  अपण मंत्रालय तरफ आणा छा।
ख्यातवाल जीक पैथर भू सरंक्षण मंत्री जीक ड्राइवर बि दौड़ दौड़िक आणा छा।
भू संरक्षण मंत्री कु ड्राइवर कु नाम क्वी नि जाणद।  मंत्री , संतरी अर चपड़ासी सबि ऊं तैं थोकदार जी बुल्दन। लखनऊ मा बि थोकदार छ तो देहरादून मा बि ड्राइवर जी थोकदार ही छन।  बस गढ़वाल मा वो अब थोकदार नि छन।
ड्राइवर साब जब लखनऊ मा नौकरी पर लगिन तो ऊँन  पब्लिक सर्विस का साब तैं सेवा आबंटन का बगत प्रार्थना कार कि साब मि त थोकदारूं थोक कु छौं त मि तैं इन मंत्रालय द्यावो जख जमीन जायजाद कि बात ह्वावन। अस्तु वूं तैं भू संरक्षण मंत्रालय मा रखे गे।  लखनऊ आणो बाद बि ऊंकि थोकदारी याद नि गए अर वो सब्युं से हर समय यी बुल्दा छा कि भाग्य का वजै से वो ड्राइवर बणी गेन निथर वु त थोकदारूं थोकाक छन। लोगुन ऊंक नाम ही थोकदार धौर दे।  ड्राइवर साब खुस छन भले ही दिल्ली -लखनऊ की सरकारन थोकदारी खतम कौर दे हो पण वो अबि बि थोकदार छन।
लखनऊ मा बि ड्राइवर साब हरेक गढ़वाली -कुम्मयों नापतोल थोकदार , कब्जादार , सिरतानी, खैकर   का तराजू से करदा छा तो देहरादून मा बि ड्राइवर साब कु उत्तराखंड्यूं तैं नापणो तराजू थोकदार , कब्जादार , खैकर अर सिरतानी ही च।
थोकदार जीन ख्यातवाळ  जी तैं शिक्षा मंत्रालय तौळ छौंपि इ दे।
थोकदार जीन बोलि ," ये खैकर ख्यातवाळ ! देख तैं लाल बत्ती वापस कौर दे हाँ !"
ख्यातवाळ - द्याखो ! थोकदार जी ! या लाल बत्ती शिक्षा मंत्री जीक च। "
थोकदार - शिक्षा मंत्री तै लाल बत्ती द्यावो या काळी बत्ती द्यावो रौण त ऊन शिक्षा मंत्री ही च। "
ख्यातवाळ- क्या मतलब ?
थोकदार - रौब दाब का मामला मा शिक्षा मंत्रालय म्यार भू संरक्षण मंत्रालय का समिण पासंग बि नी  च। 
ख्यातवाळ- सीधा इन किलै नि बुलणा छां कि भू सरंक्षण विभाग मा ऊपरी कमाई भौत च अर शिक्षा मंत्रालय मा ऊपरी कमाई का साधन बहुत ही कम छन। भू संरक्षण विभाग पणचर स्यार च त शिक्षा विभाग पथरड्या बांज पुंगड़ च।
थोकदार -हाँ भू संरक्षण विभाग थोकदारु ख्वाळ जन च त शिक्षा विभाग खैकरुं से बि फंड च।
ख्यातवाळ- थोकदार जी अब ना वा पधानचारी रयीं च अर ना वा थोकदारी।  पण फिर बि तुम थोकदारी थोकदारी का मांगळ लगाणा रौंदा।
थोकदार -किलै  नि लगौं थोकदारी का मांगळ ? हमम इथगा बड़ी जमीन च  तो हम अपण जमीन की बड़ै बि नि कौर सकदा क्या ?
ख्यातवाळ- एक बात बतावो थोकदार जी  ! जब आपम इथगा बड़ी भारी जमीन छे तो ड्राइवर किलै बौणा ?
थोकदार - मेरी घरवळि तैं पसंद नि छौ कि मी खेती पाती कौर तो मि परबस ह्वेक लखनऊ चली ग्यों।
ख्यातवाळ- अब क्या हाल छन जमीन का ?
थोकदार -कुज्य़ाण ! दस बारा साल ह्वे गेन मि गांव नि ग्यों।  चल उख गाँमा भंगुल जमिण दे।  तू मै तैं लाल बत्ती वापस कौर।
ख्यातवाळ- नै लाल बत्ती त शिक्षा मंत्रालत की च।
थोकदार - यार म्यार मंत्री जी थोकदारुं ख्वाळक त नी छन पण गां मा कब्जादार छा।  पता च सन साठक पैमास से पैल कब्जादार हूण बि बड़ी बात छे।  लोग बेटी दींद दैं दिखद छा कि नौनु वाळ कब्जादार छन , सिरतान छन कि खैकर छन।
ख्यातवाळ- अब बेटी वाळ क्या दिखदन ?
थोकदार -अब दिखदन कि नौनु मलाईदार पोस्ट पर छ  कि ना ! पता च सि परसि सार्वजनिक निर्माण विभाग का एक चपड़ासी ब्यौ पीएचडी नौनी दगड़ ह्वे। जब कि नौनि बुबा कब्जादार खानदान का छा अर नौनक  त खानदानो अता -पता ही नि छौ।  पण सब तै पता च कि पीडब्ल्यूडी विभाग  मा  चपड़ासी की मैना कमाई लाख द्वी लाख से कम नी  च।
ख्यातवाळ - अच्छा मि मथि जांद कि मंत्री जी क्या करणा छन
थोकदार - क्या करणा छन।  अरे शिक्षा मंत्री छन तो अपण ड्यार जाणै तयारी करणा होला।  क्वी कवा बि बधाई दीणो नि आइ
ख्यातवाळ- तुमर  इक क्या हाल छन ?
थोकदार - अरे हाल क्या हूण।  ठेकेदार , दलाल , सरपंच , ग्राम प्रधान सब वधाई दीणो लैन मा छन।  रात बारा त बजी इ जाला ।
ख्यातवाळ- तो फिर तुम  बारा बजी घौर पौंचल्या ?
थोकदार -क्यांक बारा  बजी ! भोळ सुबेर।  ठेकेदार लोग मंत्री जी तै छ्वाड़ल क्या ? पार्टी सार्टी बि त चललि
ख्यातवाळ- भाग भाग की बात च।
थोकदार - हे भै ! शिक्षा मंत्री जी कब्जादार घराना का छन कि तनि सिरतानी या खैकरी घराना का छन ?
ख्यातवाळ- कुज्य़ाण भै !
थोकदार - जै हिसाब से घ्याळ दा जी तैं शिक्षा मंत्रालय  मील वै से मै तैं त लगद कि घ्याळ दा  जी खैकर खानदान का बि नि होला।  क्या जमानु ऐ गे अब बेजमीन का लोग बि मंत्री बणना छन अर पैल जगमोहन सिंग जी सरीखा थोकदार ही मंत्री बणदा छा।  म्यार तो नेगी जी दूर का रिस्तेदारूं का रिस्तेदार छा।
तबी मथि बीतें आवाज आयी - ख्यातवाळ जी ! गाडी गाडो , मंत्री जी ड्यार जाला।
थोकदार - जा जा ! पण या बात साफ़ च कि शिक्षा मंत्री जी कब्जादार घराना का नि छन।  अब बतावो ! क्या बेकार जमाना ऐ गयाइ बल इन खैकर खानदान का लोग मंत्रालय चलाला।
 
 
 Copyright@ Bhishma Kukreti  19 /12/2013

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]
 

Bhishma Kukreti

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                           गढ़वाळि अपण गढ़वळि बॉस तैं उल्लू का पट्ठा समजद

                                             भीष्म कुकरेती



 तौळ जब द्वी ड्राइवरुं छ्वीं लगणि छे त प्राइवेट सक्रेटरी माणावाल जी कुछ टैमौ बान फस्ट फलोर पर  ऐ छा अर भैर  थोकदार ड्राइवरौ द्वी चार बथ सुणिन अर फिर मथि शिक्षा मंत्री का कक्ष मा गेन।
रूम माँ जान्दि माणावाल जीन मंत्रालय का चीफ सक्रेटरी जीना मुख कौरिक ब्वाल पण सुणाणा मंत्री जी तैं ही छा - चीफ साब ! दीज गढ़वालीज  वुड नेवर लिव इन प्रेजेंट नोट वुड ऐक्सेप्ट द रियलिटी !
घ्याळ दा यांने शिक्षा मंत्रीन पूछ - क्या बात ह्वे माणावाल जी तुमर लहजा मा तिबासी छांच जन खटास किलै च ?
माणावाल - मंत्री जी ! क्या बोलें ! लखनऊ में भी यही हाल था अर इक बि यी हाल छन। गढ़वाली गढ़वाली बॉस तैं उल्लू का पट्ठा समजदन अर दुसर जातिक कै बि   मनिख तैं बड़ो बॉस !
चीफ सक्रेटरी - मिस्टर माणावाल जी ! कम टु द  प्वाइंट
माणावाल जी - वू नीन भू संरक्षण विभागौ ड्राइवर थोकदार जी वु अबि बि थोकदार , कब्जादार , खैकर की बात करणा रौंदन।
चीफ सक्रेटरी करम सिंग रावत - माणावाल ! असल मा गढ़वाल्युं पुराणो सोसल स्ट्रक्चर इन छौ कि जातीय अंतर छोड़िक बकै क्वी हौर आर्थिक या सामजिक या व्यवहारिक , भाषाई अंतर नि छौ अर ब्रिटिश पीरियड से समाज मा उंच नीच का जन कि पोजीसन , अर्निंग , माइग्रेसन कु स्थान आदि नया नया दसियों पैरामीटर ऐ गेन।
शिक्षा मंत्री - रावत जी आपक आकलन सही च कि पैल एक आम गढ़वाली क्षेत्र मा जातीय अंतर छोड़िक क्वी इथगा भारी अंतर नि छौ।  बस जैं  सरयूळ बामण मौक  बीस खारी जौ ह्वे जावन वा मौ वै साल सौकार पण दुसर साल पाळन (ओस से) जौ फुके जावन तो वा मौ बि शिल्पकारु दगड़ जंगल का बसिंगु , तैडु , पातड़ी, च्यूं आदि पर गुजारा करणो मजबूर ह्वे जांदी छे।  द्वी जात्युं जंगल पर इकसनि निर्भरता शिल्पकार अर उच्च कुलीन ब्राह्मण का भेद ख़तम कौर दींद छौ .
चीफ सेक्रेटरी - सर ! यू आर अब्सिल्यूटली राइट।  किन्तु अब आर्थिक , सामाजिक अंतर भौत बड़ो ह्वे गे।
प्राइवेट सेक्रेटरी - सर ! हां पण हम तै कुछ त ख़याल करण चयेंद कि जमानो बदल गए।  चीफ साब आप तो ऊं बिष्ट जी तै जाणदा ही छ वो जो परार सक्रेटरी ह्वेक रिटायर ह्वेन। वो बालम सिंग जी तब लखनऊ मा अपर डिवीजन कलर्क से अंडर सेक्रेटरी ह्वे गे छा।  अचाणचक ऊंक डिपार्टमेंट मा ऊंक गांवक एक चपड़ासी ट्रांसफर ह्वेक आयि।  अर वैन सरा डिपार्टमेंट मा बुलण शरू कौर दे बल स्यु   बालम सिंग  इख  बड़ो साब बणदु पण उख गां मा तैक  बुबा त हमर हळया छौ। तौंक एकी उबर -मंज्यूळ च अर हमर चार दुभित्या तिपुर च।
चीफ सेक्रेटरी - येस येस  ! आइ रिकाल दोज इंसिडेंट्स।  बिचारा बिष्ट जी तैं लोगुन पीठ पैथर हळया बुलण शुरू कौर दे छौ।  बिचारा बिष्ट जीन अपण ट्रांसफर गोरखपुर कराइ दे।
शिक्षा मंत्री - बिचारा बिष्ट जी ! मि जाणदो छौं ऊं तैं।  पांच पास करिक ऊन प्राइवेट ही बीए कार अर आंतरिक विभागीय परीक्षा पास करिक इथगा बड़ी पोस्ट पर पौंछिन।
प्राइवट सक्रेटरी - दैट्स व्हट आइ ऐम ट्राइंग टु एक्सप्लेन। कि वू चपड़ासी बिष्ट बिजातीय लोअर डिवीजन कलर्कु त  खुट मा गंड गंड पड़दु छौ पण अपण गांवक अपण जातिक मनिख तैं बॉस मानदु इ नि छौ। उल्टां इंसल्ट करदु छौ।
शिक्षा मंत्री -पण सच बुलिन रावत जी ! क्या जु गढ़वाली उच्च पद पर छन याने हाइ पोजीसन मा छन वो बि लोअर पोजीसन का गढ़वाल्यूं तैं तुच्छ नि समजदन ?
चीफ सेक्रेटरी - यस मिनिस्टर ! येस ऑफकोर्स ! हम उच्च पद पर बैठ्यां गढ़वाली बि कम नि छंवां , अर यी आप तैं सोसल कार्यकर्मो मा साफ़ दिख्याल।  जब इन सामजिक संस्थाओं कि सभाओं या शादी ब्यौ मा चपड़ासी पद का या कलर्क पद का कुछ ब्वालो तो हम आईएएस या प्रोविंसियल सर्विस का लोग बोलि दींदा कि तैक सोच चपड़ासी की ही च या क्लर्क की सोच त कलर्क की ही रालि।  हम उख सोसल सर्कल मा यदि क्वी चपड़ासी उच्च पद पर बैठि जांद तो वी हाइ पोजीसन पीपल आल्सो डोंट ऐक्सेप्ट दैट रिएलिटी।  हम उच्च पदेन  गढ़वाली स्वीकार इ नि करदां कि क्वी चपड़ासी सोसल सर्कल मा बड़ो पद पर ह्वे सकद।  हम हाइ पोजीसन वाळ वै चपड़ासी की परोक्ष या अपरोक्ष रूप से बेज्ज्ती कौरि दींदा।
शिक्षा मंत्री - यांक समाधान क्या च ?
चीफ सेक्रेटरी - सर ! यांक समाधान कुछ नी  च।  अब जब स्टेटस का इथगा दसियों माप दंड याने पैरामीटर ह्वे गेन तो हम तै रोज ही इन घटनाओं से रुबरु हूण इ पोड़ल।  आज तो कम च भोळ हमारी सामजिक स्थितियों मा कथगा इ लेयर्स याने  अंतर आलु तो इन विषमताओं मा और बि बढ़ोतरी होलि।  हम कुछ नि कौर सकदां।  जस्ट टु लिव इन प्रजेंट  याने वर्तमान मा जीवो ही समाधान च।  सोसल सर्किल मा जो बड़ो च वै तैं महत्व द्यावो अर प्रशासकीय जिंदगी मा जो बड़ च वै तैं स्वीकार कारो।
शिक्षा मंत्री - अब ब्वालो माणावाळ जी !
प्राइवेट सक्रेटरी - एस मिनिस्टर ! बॉस इज ऑलवेज  राइट !
शिक्षा मंत्री (जोर से हंसद ) -तब क्या ह्वालु जन मि मिनिस्टर नि ऱौलु ?
पाइवेट सेक्रेटरी - मिनिस्टर सर  ! तब की तब दिखे जालि।
शिक्षा मंत्री - चलो अब मि ड्यार जांदु।  एडमिनिस्ट्रेसन का बारा मा भोळ बात करला।
प्राइवेट सेक्रेटरी - जी मंत्री जी ! ऑलवेज ऐट युअर सर्विस !


Copyright@ Bhishma Kukreti  20 /12/2013

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                 शिक्षा मंत्री बणन पर घ्याळ दाक चुनाव क्षेत्र माँ बरजात (शोक )

                                चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                          जब घ्याळ दाक  चुनाव जितणो समाचार चुनाव क्षेत्र मा फ़ैल त मिश्रित प्रतिक्रया छे पण फिर बि ख़ुशी जादा छे।  आश्चर्य यु छौ कि भूतपूर्व विधायक कनकै हारी गे।  सब्युंन बोली बल साफ़ च कि वोटरूंन दारु भूतपूर्व विधयाक की घटकायी अर वोट घ्याळ दा तैं देकि  आइ गेन।  एकान त इक़  तलक ब्वाल बल पैल नेताओं क्वी दीन इमान नि छौ अब वोटरूं क्वी दीन इमान नि रै गे। यदि विश्वामित्र तैं मेनका जन अप्सरा नि भरमाइ  साक अर वोटरूं तैं दारु नि लुभाइ साक तो समजि  ल्यावो कि चुनाव मा इनकम्बेन्सी फैक्टर ही सबसे बड़ो फैक्टर च।  चुनावुं  रिजल्ट आण पर सयाणा अर जणगरा चुनाव जीतण वाळै बात कम करदन चुनाव हारण वाळै बात जादा करदन किलै कि जितण वाळ त पक्वड़ बणाण मा व्यस्त ह्वे जांद तो विश्लेषण हार का अथवा हरण वाळक ही होंद।  आज बि अकबर किलै जीत का विश्लेषण नि होंद बल्कणम विश्लेषण हूंद कि राणा प्रताप किलै हार।   जीत का क्वी विशेष कारण नि दिख्यांदन  पण हार का कारण सैन्दिस्टि दिख्याणा  रौंदन तो सब हर्युं मनिख का विश्लेषण जादा करदन अर पक्वड़ खाणा जितण वाळक ख्वाळ जांदन।
                  जब तलक राज्य मंत्री मंडल कु शपथ ग्रहण नि ह्वे छौ तब तलक घ्याळ दाकि वाह वाही हूणी छे।  सम्भावनाउं मा लोगुं तै जादा रस आंद।  जब तलक ब्वारि स्वील नि ह्वावो तब तलक सासु रगर्याणि रौंदी अर जनि नातण की खबर मिलदी बुडड़ी मुखान कुशब्द आंदन - मुक़दानौ बाछि ह्वे ग्ये ।  ऊनि घ्याळ दाक चुनाव क्षेत्र मा बि ह्वाइ जनि सूचना आइ कि घ्याळ दा मंत्री बणना छन कि पार्टी का मुख्य मुख्य कार्यकर्ताउंन असीमित आशा मा स्वाळ -पक्वड़ बणाणो बान तेल की कढ़ाई चुलु मा चढ़ाई आल छौ पण जनि सूचना मील कि घ्याळ दा शिक्षा मंत्री बणि गेन त सबि कायर्कर्ताउंन आग बुजै दे।
                         क्षेत्र माँ खुसी शुरू ह्वे  कि घ्याळ दा मंत्री बौण गेन पर मातम बि शुरू ह्वे गे  कि घ्याळ दा शिक्षा मंत्री बणिन।  बात बि सै च बच्चा होणै खुसी की खबर का बाद जब पता चलदो कि बच्चा ना तो नौनु च अर ना ही नौनी च पर तिसरो ही क्वी चीज च तो परिवार मा शोकलहर ही आलि ।
                     पार्टी का कार्यकर्ता सुचणा छा कि घ्याळ दा सार्वजानिक कार्य विभाग मंत्री बणदा तो कथगा कामुं ठेकेदारी पक्की छे।  घ्याळ दा मनरेगा , जनरेगा , उनरेगा , तनरेगा, जलरेगा , जंगलरेगा का मंत्री बणदा तो कार्यकर्ता घपलों की बिठगी लगांदा।  घ्याळ दा गृह मंत्री बणदा तो अपराध्युं तैं छुड़ांदा अर देहरादून मा कोठी लगांदा।  पण घ्याळ दाक  शिक्षा मंत्री बणन मा कार्यकर्ताओं तै अपण   भविष्य अंधकारमय दिख्याण मिसे गे।
                आम जनता बि शिक्षा तैं एक आवश्यक बीमारी ही माणदी तो आम जनता मा बि तकरीबन शोक की ही स्तिथि छे।  लोगुं मा विकास की छवि माने सड़क , नळ या बिजली का खंबा।  शिक्षा विकास सेतु ह्वे सकद यां पर सुचणो जनता मा समय नी  च।
हां घ्याळ दाक चुनाव क्षेत्र की  जनता एक प्रश्न अवश्य आयि कि कांडो गदन मा सात साल पैल आइटीआइ भवन अद्धा बौण छौ वो भवन पूरो ह्वाल कि  या जो डेढ़  साल पैल रगड़ -बगड़ गदन मा साइन्स कॉलेज को भवन शुरू ह्वे छौ वैको काम पूरो ह्वाल ?
                   सात साल पैल जब ये चुनाव क्षेत्र की जनतान अपण विधायक पर कुछ करणो भरी दबाब बणाइ तो विधायक जी आइटीआइ का परमिट लेकि ऐ गेन। सन  बावन मा लोकसभा अर विधान सभा चुनाव बगत भक्तदर्शन जीन बि ये क्षेत्र वाळु तैं आश्वासन दे छौ कि जगमोहन सिंह जी तै चुनाव जितण द्यावा इख आइटीआइ खुलल। सतावन अठावन साल बाद ही सही क्षेत्र का वास्ता आइटीआइ खुलणो परमिसन ऐ गे।
                   आइटीआइ स्कूल का वास्ता भवन शिलान्यास का कार्यकर्म मा विधायक जीन अफिक  अफु तै 'इंजीनियर पुरुष 'की उपाधि दे दे। चुनाव आंद आंद तक आइटीआइ भवन चार साढ़े चार फुट उच्चु बौणि गे।  चुनाव टैम पर 'इंजीनियर पुरुष' जीन सरा जनता तै बताइ कि अब क्षेत्र की सब समस्या दूर ह्वे गेन किलैकि जनि आइटीआइ मा पढ़ै शुरू ह्वेलि कि क्षेत्र की बदहाली खतम ह्वे जाली।  पण बेरहम जनतान 'इंजिनियर पुरुष ' का स्क्रू ढीला करि देन अर विधायक जी चुनाव हारी गेन।  राज्य मा बि 'इंजीनियर पुरुष' की पार्टी चुनाव हारी गे।  अब चूंकि कांडो गदन मा 'आइटीआइ ' खुलद तो लोगुन बुलण छौ कि 'इंजिनियर पुरुष ' की बदौलत ही आइटीआइ खुल तो पिछली सरकारन ( ज्वा इंजीनियर पुरुष की विरोधी पार्टी की छे ) आइटीआइ भवन को काम इलै रोकि कि चूंकि आइटीआइ खुलण से कांडा गदन का किनगोड़ा क बुट्या नष्ट ह्वे जाला तो पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से इक  आइटीआइ भवन निर्माण नि बौण सकद।  अर सरकार तो छोडो 'इंजीनियर पुरुष ' अर जनता बि बिसरि गे कि कांडो गदन मा कबि आइटीआइ  शिल्यानास  का बगत वा उख ढोल -दमौ की आवाज मा लोग नाची छ।
                     फिर जनतान पिछ्ला विधायक पर दबाब बणाइ कि भै कुछ विकास कारो।  तीन साल तक विधायक जी दबाब सौणा रैन पण जब प्रेसर भौत ह्वे गे अर ऊं तैं बि लग कि जनता तैं क्वी खिल्वणि नि पकड़ाल तो ऊँन चुनाव हारि जाण तो वो क्षेत्र का वास्ता साइन्स कॉलेज का अलगजा लेक ऐ गेन।  रगड़ -बगड़ गदन मा साइन्स कॉलेज  को शिलान्यास ह्वे अर विधायक जीन अफु तैं अफिक  ''विज्ञान पुरुष 'की उपाधि दे द्याइ।  चुनाव आंद आंद साइन्स कॉलेज भवन डेढ़ फ़ूट उच्चु ही बौण साक। अर ये चुनाव मा 'विज्ञान पुरुष ' हारि गेन उनि जन  राज्य मा विज्ञान पुरुष ' की पार्टी बि चुनाव हारि । 
                  सब तैं पता च कि चूंकि घ्याळ दा की पार्टी की सरकार वो सब निर्माण कार्य बंद करी द्याली जो पिछली सरकारन शुरू कार छौ तो साइन्स कॉलेज अब क्षेत्र मा कतै नि खुल सकुद।  पिछ्ला दस सालुं मा उत्तराखंड मा इनि हूणु च कि  भाजापा ज्वा योजना शुरू करद कॉंग्रेस सरकार वीं योजना तैं बंद कौरि दींद।  कॉंग्रेस सरकार  जैं योजना तैं   शुरू करद भाजपा सरकार वीं योजना की फ़ाइल ही बंद कौर दींदी।
               घ्याळ दा अब शिक्षा मंत्री बौण गेन तो बहस का मुद्दा या च कि क्या घ्याळ दा आइटीआइ योजना तैं पुनर्जीवित कारल ? जख तलक घ्याळ दाकी पार्टीक क्षेत्र मा सवाल च अब 'इंजीनियर पुरुष ' अडवाणी जन अप्रसांगिक  स्थिति मा छन अर अब पार्टी वाळ उँमा आशीर्वाद लीणो बि नि जांदन।  गूणी दा आइटीआइ का सख्त विरोधी छन वूंक हिसाब से आइटीआइ की जगह पॉलीटेक्निकल स्कूल खुलण चयेंद छौ अर स्याळ दा गूणी बाडा  का जनम जात विरोधी ह्वाई तो स्याळ दान गूणी दा तैं नीचा दिखाणो बान आइटीआइ खुलणो  समर्थन करण पण कुरस्यळ काका बि आइटीआइ का घोर समर्थक च तो स्याळ दान  कुरस्यळ काकाक विरोध मा आइटीआइ का बि विरोध करण। फिर क्वी बि नेता चाहे गूणी बाडा ह्वावो या स्याळ दा ह्वावो या ह्वावो कुरस्यळ काका क्वी बि इन नि चालो कि जनता 'इंजिनियर पुरुष 'तै याद करण बिसे जावो , किलैकि इंजीनियर पुरुष कु नौनु अब राजनीति मा आण लैक ह्वे गे।   याने कि आइटीआइ कु अधा चिण्युं भवनन   क्षेत्रीय राजनीति मा कुछ ना कुछ खदर -बदर त अवश्य लाणी च ।
घ्याळ दाको शिक्षा मंत्री बणणो बाद जनता मा छ्वीं आइटीआइ भवन की चलणी छे ना कि घ्याळ दाकी।
गूणी बाडा , कुरस्यळ काका अर स्याळ दा कुण घ्याळ दाको विधयाक पद जितण खुसी की बात त नि छे परन्तु पार्टी जीती गे  यामा खुस हूणी छौ ।  पण  घ्याळ दाक शिक्षा मंत्री बणणो मतलब च अब इ तिनि दस साल तलक विधायक  का वास्ता अप्रसांगिक  ह्वे जाला। याने कि अबि से कुछ करण तिन्युं कुण एक आवश्यकता ह्वे गे।  देहरादून शिक्षा मंत्री तैं बधाई दीणो  बहाना करणों अर ह्वे साक तो कै छ्वट -मुट निगम की चेयरमैनशिप या सदस्य बणणो कामना से तिनि देहरादून का वास्ता रवाना ह्वे गेन।
एक बात हैंकि छे  तिनि जाणदा बि छन  कि यदि घ्याळ दा की  छवि भली बणी गे  तो यि लोग कबि बि यीं पार्टी से विधायक नि बौण सकदन। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  21/12/2013

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