Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360434 times)

Bhishma Kukreti

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                           कुमाऊं मंडल  शिक्षा निदेशक का परिवार लंदन में क्यों रहता है ?


                                  चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

(ब्याळि आपन पौढ़ कि जगमोहन कंडारीन शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं सूचना दे कि गां मा द्वी चार पोस्टर लग्यां छन जखमा लिख्युं छौ हमारा विधायक देहरादून में खो गया है।  पता बताने वाले को भारी इनाम दिया जाएगा। शिक्षा मंत्रीन जगमोहन तै देहरादून बुलाइ )

घ्याळ दा - ए  भै जरा डिकोरसन सेक्रेटरी तैं भेजो।
चपड़ासी - भिजुद छौं
माणावाल -एनीथिंग स्पेसिफिक सर !
घ्याळ दा -हां वु म्यार क्षेत्र से म्यार दगड्या अर पार्टी कार्यकर्ता भोळ इख आणु च।
माणावाल - तो ? डिकोरेसन सेक्रेटरी !
घ्याळ दा - वु  जरा जगमोहन कु शिक्षा विभागौ गेस्ट हॉउस मा रौणो इंतजाम करण छौ।
माणावाल (चपड़ासी से ) - भै सूणो डिकोरेसन सचिव तै अबि नि बुलावो।
घ्याळ दा - तो आप ही जगमोहनौ रौणो इंतजाम शिक्षा विभाग गेस्ट हॉउस मा करि  देल्या ?
माणावाल -येस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -क्या ? हाँ बि अर ना बि ?
माणावाल -सर ! येस  सर त सम्बोधन च अर नो सर माने जगमोहन जीक रौणो इंतजाम शिक्षा विभागौ गेस्ट हाउस मा नि ह्वे सकद ?
घ्याळ दा -किलै ? अबि त क्वी बड़ी मीटिंग बि नी  च तो ?
माणावाल -सर गेस्ट हॉउस फुल्ल च।
घ्याळ दा -माणावाल जी ! मान ग्यों आप हरेक चीज को एडमिनिस्ट्रेसन बड़ा बारीकी से करदां भै कि आप तैं गेस्ट हाउस की अक्युपेंसी का बारा मा बि पूरी मालुमात च।
माणावाल -एस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -मतबल ?
माणावाल -जी ! मि तैं पता च कि अगला दस सालुं मा बि शिक्षा विभागौ गेस्ट हाउस खाली नि ह्वे सकुद।
घ्याळ दा -क्या मतलब ? तो जगमोहन गेस्ट हॉउस मा नि रै सकुद ?
माणावाल -ना ! अगला दस साल तलक त चांस नी च।
घ्याळ दा -किलै ?
माणावाल -जी गढ़वाल कमिश्नरी का क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक कु प्रमोसन  अगला दस साल तक त ह्वे नि सकद तो  ....
घ्याळ दा -क्या ?
माणावाल -इनी कुमाऊं मंडलीय शिक्सा निदेशक को प्रमोसन  अगला तेरा साल तलक ह्वे नि सकुद।  तो गेस्ट हाउस का तिसर मंजिल खाली नि ह्वे सकद।
घ्याळ दा -माणावाल जी कुमाऊं या गढ़वाल मंडलीय शिक्षा निदेशकों प्रमोसन से गेस्ट हॉउस कु क्या तालुकात ?
माणावाल - जी इन च कि यी द्वी मंडलीय शिक्षा  निदेशक परमानेंटली गेस्ट हॉउस मा रौंदन
घ्याळ दा -पण मंडलीय निदेशक याने रीजनल एज्युकेशन डाइरेक्टर्स तो पौड़ी अर  अल्मोड़ा मा  राला कि ना ?
माणावाल -ऑफिसियली येस ! बट इन रियल सेन्स दे रिसाइड परमानेंटली इन देहरादून
घ्याळ दा - क्या मतलब भै कि गढ़वाल क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक ऑफिसियली पौड़ी मा रौंद पण  वास्तव मा वो देशरादून मा ही रौंद ?
माणावाल -जी ऑफिसियली कुमाऊं मंडल शिक्षा निदेशक अल्मोड़ा मा रौंद पण वास्तव मा वो हमेशा देहरादून मा ही निवास करदन।
घ्याळ दा - माणावाल जी यी चकरघिनी ब्यूरेक्रेटिक भाषा मा नि ब्वालो सीधा ब्वालो कि असलियत  क्या च ?
माणावाल -जी इन च यद्यपि गढ़वाल मडल शिक्षा निदेशक कु कार्यालय पौड़ी मा च पण निदेशक साब मगलवार  से शुक्रवार तक देहरादून मा ही रौंदन।  इनी कुमाऊं का हाल छन
घ्याळ दा -फिर शनिवार से रविवार तक कख  रौंदन
माणावाल -जी हरेक मडंलीय निदेशक  शनिवारौ -रविवारौ  कुण पौड़ी या अल्मोड़ा मा रौंदन।
घ्याळ दा -अर सोमवारौ कुण ?
माणावाल -सोमवार ट्रांजिट डे।
घ्याळ दा -तो समझ ग्यों।  याने द्वी मंडलीय शिक्षा निदेशक  वीकेंड पिकनिक मनाणो पहाड़ जांदन
माणावाल -एस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -मतबल ?
माणावाल -मी ऑफिसियली इन नि बोल सकुद कि द्वी मंडलीय शिक्षा निदेशक  वीकेंड पिकनिक मनाणो पहाड़ जांदन।
घ्याळ दा -कब बिटेन चलणु च यु गोरखधंधा ?
माणावाल -जी लखनऊ से ही। जब उत्तरप्रदेश राज्य छौ।
घ्याळ दा -तो जब यूं क्षेत्रीय निदेशकुन  देहरादून ही रौण तो फिर यूँकुण इखि स्थायी निवासौ इंतजाम किलै नि करे गे भै ?
माणावाल -सर ऑफिसियली क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक देहरादून मा स्थायी तौर से निवास नि करि सकदन। मंडलीय शिक्षा निदेशकों मुख्य कर्तव्य  च कि क्षेत्रीय शिक्षा स्टैंडर्ड मा बढ़ोतरी हो।
घ्याळ दा -पण अनऑफिसियली तो द्वी इखि देहरादून ही रौंदन।
माणावाल -एस ऐंड नो। .
घ्याळ दा -क्या ?
माणावाल -द्वी क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक देहरादून ऑफिसियल विजिट पर आंदन।
घ्याळ दा -हफ्ता मा छै दिन काम हूंद अर यी रीजनल डाइरेक्टर चार दिन देहरादून विजिट पर आंदन या रौंदन अर एक दिन ट्रांजिट मा ?
माणावाल -जी !
घ्याळ दा -माणावाल जी ! क्या इन व्यवस्था शिक्षा विभाग का वास्ता ठीक च ?
माणावाल -जी ऑफिसियली मि क्वी टिप्प्णी नि कौर सकुद।
घ्याळ दा -चलो अनऑफिसियली अपण विचार बतावो।
माणावाल -सर प्रावेट  सक्रेटरी शिक्षा मंत्री समिण अनऑफिसियली विचार नि रख सकुद।
घ्याळ दा -अच्छा चलो यदि रिटायरमेंट का बाद आप  आत्मकथा लिखिल्या तो इन प्रशासन का बारा मा क्या लिखिल्या
माणावाल -तो मी लिखुल कि शिक्षा का दगड़ ये से  बड़ो भयंकर मजाक ह्वैइ नि सकुद  कि क्षेत्रीय निदेशक देहरादून मा रौंदन अर छुट्टी मनाण जन पौड़ी या अल्मोड़ा अपण दफतर जांदन।
घ्याळ दा -एक  बात त बथावदी कि गढ़वाल रीजनल डायरक्टर की फेमिली कख रौंदि ?
माणावाल -जी दिल्ली।
घ्याळ दा -किलै ?
माणावाल - गढ़वाल मंडलीय शिक्षा निदेशक कु मानण च कि उत्तराखंड मा एज्युकेशन स्टैण्डर्ड थर्ड क्लास च, रद्दी च,बोगस च, त बच्चों शिक्षा बान ऊंक फेमिली दिल्ली ही रौंद।  उख रिहायसी इलाका मा ऊंक बड़ो बंगलो च।
घ्याळ दा -अर कुमाऊं मंडलीय शिक्षा निदेशक की  फेमिली कख रौंदि ?
माणावाल -जी लंदन मा। . कुमाऊं मंडलीय शिक्षा निदेशक कु नजरिया च कि इंडिया मा एज्युकेशन स्टैंडर्ड कबि बि नि सुधर सकुद तो ऊंक फेमिली बच्चों शिक्षा बान लंदन मा रौंदि।
घ्याळ दा - माणावाल जी ! इन नि लगुद कि हर शाख पर उल्लू बैठा है इस गुलिस्तां का क्या होगा ?
माणावाल - येस सर ! नो सर !


** कल पढ़ें शिक्षा गेस्ट हॉउस में और कौन कौन लोग रहते हैं ?


Copyright@ Bhishma Kukreti  1/1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]   

Bhishma Kukreti

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                                   प्रोबेसनरी ऑफिसर याने गऴया बौड़ ! 
                                 चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

(ब्याळि आपन पौढ़ कि शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं अपण कार्यकर्ता तैं ठहराणो वास्ता शिक्षा विभागौ गेस्ट हॉउस मा कमरा चयेणु छौ।  त प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जीन सूचना देकि गेस्ट हाउस दस साल तलक बुक च।  सबसे मथि मंज्यूळ पर कुमाऊं अर गढ़वाल मंडल का क्षेत्रीय निदेशकुन अड्डा जमायुं च। )
घ्याळ दा -माणावाल जी ! जगमोहन तैं मथ्या वीआइपी कमरा नि चयाणा छन।  साधारण कमरा से काम चलि जाला जख भितरी टट्टी पेसाबो इंतजाम हो।
माणावाल -हां ग्राउंड फलोर मा इन कमरा छन जख बाथरूम ट्वाइलेट की सुविधा भितरी च।    एक कमरा मा दुयुं तैं रौण पोड़द अर मेज कु इंतजाम नी च।
घ्याळ दा -मेज कु क्वी जरूरत नि पोड़लि।  पढ्युं लिख्युं ह्वेक बि जगमोहन अपण घरवाळि कुण चिठ्ठी कै हैंक से ही लिखवांदु छौ।
माणावाल -वेरी स्ट्रेंज ! पौढ़ लेखिक फिर बि गां मा ?
घ्याळ दा -किलै अपवाद नि हुन्दन।
माणावाल -एस सर ! कुछ बेढंगा लोग बि हूंदि  छन।
घ्याळ दा -हां तो माणावाल जी ! जगमोहन कु इंतजाम ग्राउंड मा कै कमरा मा करे दयावो . ठीक च !
माणावाल -येस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -क्या मतलब ?
माणावाल -सर ग्राउंड फलोर का सब कमरा ओवर ऑक्युपाइड छन।  एकै कमरा मा तिन तिन लोग छन।
घ्याळ दा -कनो कैकि बरात ठैरिं च ?
माणावाल -नै नै ! सर ! बरात कि बात नी च।
घ्याळ दा -तो ?
माणावाल -उख ग्राउंड फलोर का कमरों  मा शिक्षा विभाग का प्रोबेसन का ऑफिसर या कलर्क याने नये नये अप्वाइंटेड अधिकारी ठैर्यां छन।
घ्याळ दा -हैं ? यूँन जब देहरादून मा ही काम करण  त यी ऑफिसर देहरादून मा अपण कमरा नि ले सकदन ?
माणावाल -सर यी प्रोबेसनरी ऑफिसर देहरादून मा पोस्टेड नि छन।
घ्याळ दा -हैं यि प्रोबेसन का ऑफिसर देहरादून मा पोस्टेड नि छन ?
माणावाल -येस सर !
घ्याळ दा -यि ऑफिसर कख पोस्टेड छन ?
माणावाल -सर सबि प्रोबेसन  ऑफिसरुं  रूरल उत्तराखंड मा पोस्टिंग हुईं च।
घ्याळ दा -पोस्टिंग ग्रामीण उत्तराखंड मा अर रौंदन देहरादून मा ? यु क्या मकड़जाळ च भै ?
माणावाल -सर यु मकड़जाळ नि च।  बड़ो सीधो अर सरल च।
घ्याळ दा -क्या ? भै नौकरी पहाड़ों मा अर बसेरा देहरादून मा ?
माणावाल -सर मि बारीकि से समजान्दु।
घ्याळ दा -ठीक च जरा समजावो कि नौकरी धारचूला , पिथोरागढ़ मा अर रौण देहरादून मा कन सम्भव च ? क्या रोज बस से धारचुला जांदन ?
माणावाल -सर अधिकाँश युवाओं कु लालन पोषण अर पढ़ाइ लिखाइ त मैदानो मा हि हूंद।  फिर जब पढ़ाई बाद मैदानो मा नौकरी नि मिल्दि त एज्यूकेटेड यूथ सरकारी नौकरी वास्ता तैयार ह्वे जांद।
घ्याळ दा -नै नै ! सरकारी नौकरी आज बी बढ़िया नौकरी माने जांद।
माणावाल -हां जी सर ! अब जब यूं मैदानी संस्कार वाळु या पहाड़ी युवा जौंक पढै लिखै मैदानुं  मा ह्वे वु जब  ऑफिसर बणदन तो प्रोबेसन का समय यूं तैं पहाड़ याने रूरल एरिया  मा भिजे जांद।
घ्याळ दा -ट्रेनिंग का वास्ता  नया नया अधिकार्युं तै पहाड़ी क्षेत्र मा भिजे जांद ?
माणावाल -नै नै सर !
घ्याळ दा -तो ?
माणावाल -सर परमानेंट अधिकारी तो पहाड़ जाण इ नि चांदन तो एकी कौम च अर वा कौम च प्रोबेसनरी  ऑफिसरों की जो पहाड़ जाणो ना नि बोल सकदन।
घ्याळ दा -फिर ?
माणावाल -कुछ तो उखि अपण टेम्पोरेरी बसेरा बणै लींदन पण कुछ इन गऴया बौड़ बि होंदन जु हौळ -ज्यू   देखिक ही भीम पोड़ जांदन ऊनि कुछ नया नया ऑफिसर पहाड़ मा स्थानांतर नाम सुणिक बीमार पोड़ जांदन
घ्याळ दा -त गेस्ट हॉउस मा इ सब बीमार प्रोबेसनरी ऑफिसर रुक्यां छन।
माणावाल -हां कै ना कै बहाना से यि प्रोबेसनरी ऑफिसर गेस्ट मा रुक्यां छन।
घ्याळ दा -त यून परमानेंटली गेस्ट हाउस मा ही रौण ?
माणावाल -ना ना ! जनि यी परमानेन्ट ह्वे जाला तो यी गेस्ट हॉउस छोड़ि द्याला।
घ्याळ दा -अर फिर यूंक जगा नया  नया प्रोबेसनरी ऑफिसर ऐ जाला।
माणावाल -बिलकुल सही बात च सर !
घ्याळ दा -एक बात बतावदी जब यि ऑफिसर उख नि जादन तो उख पहाड़ों मा काम कनकै हूद ?
माणावाल -नै सर ! शनिवारों कुण यी लोग हाजरी लगाणो पहाड़ जाँद छन।
घ्याळ दा -इन मा पहाड़ों मा शिक्षा विभाग मा  कामौ काम क्या होलु ?
माणावाल -नो सर काम फिर भी हुंदी च अर ठीकि हूंद।  केंद्रीय सरकरारन भौत दै उत्तराखंड सरकार तैं प्रसस्ति पत्र बि दे.
घ्याळ दा - हमर राज्य दिवतौं धरती च तो द्यो दिवता बि सहायता करदा ही होला ! उत्तराखंड शिक्षा कु मालिक भगवान ही च। नि बोल जाण ?
माणावाल - येस सर ! नो सर !

** कल पढ़ें गेस्ट हॉउस के  फर्स्ट फलोर के परमानेन्ट गेस्ट कौन हैं ?

Copyright@ Bhishma Kukreti  2/1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]   

Bhishma Kukreti

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                 सर ! बिचारु बलात्कार केस मा फंस्युं च त जरा हमदर्दी  …!

                          चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

(ब्याळि आपन पौढ़ बल शिक्षा विभाग कु गेस्ट हॉउस मा उ अधिकारी रौंदन जु प्रोबेसन मा छन अर पहाड़ जाणो जगा मैदान मा ट्रांसफर की प्रतीक्षा मा छन।  अब अग्वाड़ी पढ़ा )
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा -त माणावाल जी आप जगमोहनौ  कुण फस्ट फलोर पर एक कमराक इंतजाम करि दयावो !
प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल - सर ! कास मि इन कौर सकुद !
घ्याळ दा -कनो ! माखन छींक दे क्या ?
माणावाल -नो सर ! तन क्वी बात नी च बट इट इज नॉट पॉसिबल टु ऑक्युपाइ मिस्टर जगमोहन इन फस्ट फ़्लोर ।
घ्याळ दा -किलै ?
माणावाल -सर शिक्षा विभागौ गेस्ट हॉउस कु फस्ट फ्लोर मा द्वी खंड छन।  एक दक्षिण मुखी च त हैंक उत्तर मुखी च। बड़ा कमरा , अटैच्ड बाथरूम -ट्वाइलेट , सबी सुविधा छन रूमों मा  ....
घ्याळ दा -तो ठीक च दक्षिण मुखी खंड मा  …
माणावाल -सर  दक्षिण मुखी खंड मा उ ऑफिसर छन जौंक प्रमोसन हूणो बाद ट्रांसफर मैदानो से पहाड़ों मा ह्वै गे पण जु पहाड़ो मा जाण नि चांदन।
घ्याळ दा -तो पहाड़ों मा उं तै भ्याजो जु जाण चाणा छन।
माणावाल -सर क्वी बि अधिकारी पहाड़ों मा काम नि करण चाणा छन । सर जब हम राजधानी गैर सैण नि बणै सकदवां तो ऑफिसर किलै पहाड़ जाण चाला ? इलै इ त प्रोबेसनरी अर प्रोमोसन का बहाना इन अधिकार्युं तैं पहाड़ भिजे जांद।  कुछ त दिन काटणो पहाड़ चलि जांदन पण कुछ इख गेस्ट हाउस मा  ....
घ्याळ दा -एक बात बतावदी कि यी लोग देहरादून मा गेस्ट हॉउस मा रैक क्या करदन ?
माणावाल -सर वो इना उना  कोशिस करदन कि ऊंक ट्रांसफर मैंदानों मा ह्वे जावो।
घ्याळ दा -माणावाल जी ! इन किलै नि बुलदवां कि यी लोग जुगाड़ भिड़ाणो इख देहरादूनम पड्यां रौंदन ?
माणावाल -सर ! मि कार्यालय मा असंवैधानिक भाषा इस्तेमाल नि कौर सकुद।
घ्याळ दा -अच्छा त गेस्ट हाउस कु फस्ट फ्लोर कु उत्तरी दिशा का कमरा कन छन?
माणावाल -सर ! वु  कमरा अधिक सुविधाजनक छन।  आप तैं वूं कमराउं मा थ्री स्टार होटल  जन सुविधा मिल जालि।
घ्याळ दा -त जगमोहन कु इंतजाम उख करि द्यावो।
माणावाल -इट इज जस्ट इम्पॉसिबल टु  ऑक्युपाइ दियर ऐनि रूम
घ्याळ दा -किलै ?
माणावाल -सर उख उ ऑफिसर्स रौंदन जौंक ट्रांसफर पनिशमेंट का तहत पहाड़ों मा करे गे।
घ्याळ दा -पनिशमेंट ? कन पनिशमेंट या दंड ?
माणावाल -सर जन कि क्वी ऑफिसर घोटाला या  घूस लींद पकड़े गे तो लखनऊ की परम्परानुसार इन ऑफिसरों तैं पनिशमेंट दीणो बान पहाड़ों मा ट्रांसफर करे जांद।
घ्याळ दा -वाह ! घूसखोर , घोटालाबाज,अपराधी  अधिकार्युं कुण पहाड़ चारागाह बण्या छन।  हैं ?
माणावाल -सर मि इख  पर क्वी आधिकारिक अर व्यकिगत टिप्प्णी नि कौर सकुद।
घ्याळ दा -अच्छा ! एबरी कथगा आरोपी अधिकारी छन गेस्ट हाउस मा ?
माणावाल -सर तीन अधिकारी वु छन जु घूस लींद पकड़े छया , द्वी कड़क अधिकारी ट्रांसफर घोटाला मा फंस्यां अधिकारी छन।   अर  … एक
घ्याळ दा -अर एक ?
माणावाल -बिचारो बलात्कार का केस मा फंस्युं अधिकारी च जैक ट्रांसफर गंगोत्री साइड हुयुं च
घ्याळ दा -क्या माणावाल जी !  बलात्कारी बिचारो कनकैक ह्वे गे ?
माणावाल -सर वै अधिकारीक वाइफ मय बालबच्चों वै तैं छोड़िक चलि गे ना।  तो इलै मीन बिचारो ब्वाल। अब ! छौंद परिवार का बेपरिवार वाळ से हमदर्दी ह्वैइ जांद !
घ्याळ दा (जोर से हंसद ) -वाह ! बलात्कारी बिचारो ह्वे गे !
माणावाल -नो सर , आइ डिड नॉट मीन दैट।
घ्याळ दा - ह्यां पण ! जब यी अधिकारी दोषी छन तो यूं तैं बर्खास्त किलै नि करे जाणु च ?
माणावाल - नो सर ! यी आरोपी अधिकारी छन पण दोषी नि छन।  जब तक न्यायालय इन अधिकार्युं तैं दोषी नि ब्वालल तब तलक यूं तैं बर्खास्त नि करे सक्यांद।
घ्याळ दा -मतबल तब तलक यूं अपराधी , आरोपी अधिकार्युंन  सरकारी चारागाह मा चारा खाणु रौण।?
माणावाल - येस सर ! नो सर !

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[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]   

Bhishma Kukreti

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             ज्वा स्कूल खंद्वार बणी च फिर  बि वा स्कूल सर्वोत्तम स्कूल च !
                 
                       चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
(शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं पता चौल कि शिक्षा विभागौ गेस्ट हॉउस पर  प्रोबेसन , प्रमोसन या पनिशमेंट मा पहाडूं मा भिज्यां ऊं अधिकार्युं प्रभुत्व च जु पहाडुं मा जाण इ नि चांदन।  अब अगनै बाँचो )
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा -अच्छा चलो यदि शिक्षा मंत्रालयो गेस्ट हाउस मा जगा नी च तो जगमोहन कु इंतजाम कै हैक विभागों गेस्ट हाउस मा कौर द्यावो।
शिक्षा मंत्री कु प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल -सर आइ ऐम सौरी !
घ्याळ दा -क्यांक सौरी ! क्या दुसर मंत्रालयो गेस्ट हाउस मा म्यार आदिम नि ठैर सकुद?
माणावाल -ना ना इन बात नी  च।
घ्याळ दा -तो ?
माणावाल -सबि  जगा इनि भंगुल जम्युं च।
घ्याळ दा -सबि मंत्रालयुं   गेस्ट हॉउसुं  पर  प्रोबेसन , प्रमोसन या पनिशमेंट मा पहाडूं मा भिज्यां ऊं अधिकार्युं प्रभुत्व च जु पहाडुं मा जाण इ नि चांदन।
माणावाल -येस  सर !
घ्याळ दा -सचमुच मा पहाडुं दुर्भाग्य च।
माणावाल -येस  सर !
घ्याळ दा -कुछ आसा बचीं च ?
माणावाल -सर जब सबि राजनैतिक पार्ट्यूं नेता  अर हाइ कैडर का अधिकारी उत्तराखंड की राजधानी पहाड़म लिजाण मा बनि बनिक रिपोर्टुं बल पर बहाना करणा ह्वावन तो तौळक अधिकारी अर कार्मिकुन बि पहाड़ जाण मा आनाकानी करण ही च। 
घ्याळ दा -मै इस  व्यवस्था को  अपने मंत्रालय में बदलूंगा।
माणावाल -सर ! मि अनऑफिसियली सलाह दींदु कि आप चिमल्ठुं पेथण पुटुक हथ डाळणा छन।  व्यवस्थान  त नि बदल्याण  पण आपकु मंत्री पद ही छिने जालो।
घ्याळ दा -मै चुनौती स्वीकार करता हूँ।
माणावाल -सर जन चलणु च तन चलण द्यावो। अबि फिकर कारो कि तुमर दगड्या तैं कख ठहराण।  मि कै होटलम व्यवस्था करि  दींदु
घ्याळ दा -पण ?
माणावाल -पैसाक फिकर नि कारो।
घ्याळ दा -अच्छा भोळ मीन सरा दिन जगमोहन का ही साथ बिताण हाँ !
माणावाल -सर , नो सर ! भोळ आप जगमोहन जी से एक मिनट बि नि मील सकदां।
घ्याळ दा -क्या मतबल ?
माणावाल -सर दस बजि  वन  विभाग -शिक्षा मंत्रालय अर पर्यावरण मंत्रालय की समन्वय समीति क महत्वपूर्ण मीटिंग च।  फिर शिक्षा मंत्रालय अर कृषि मंत्रालय की समन्वय समीति की मीटिंग च।  एक बजे आपन पिरांडा का उप प्रधान मंत्री तैं लीणो जौली ग्रांट एयरपोर्ट जाण अर  ऑफिसियल लंच करैक आपन ऊं मंत्री तैं दून स्कूल अर एक म्युनिस्पैलिटी स्कूल दिखाणो लिजाण। दून  स्कुलम बच्चों कल्चरल प्रोग्राम बि च.
घ्याळ दा -म्युनिस्पल स्कूल क्वा च ?
माणावाल - अजबपुर की कैनाल रोड पर …।
घ्याळ दा -पण माणावाल जी वा स्कूल त खन्द्वार जन दिखेंद अर वीं स्कुलो भैर चरी तरफ गुआक नाळा बौगदन।
माणावाल -सर वीं स्कूल का रिनोवेशन का काम सुबेर बिटेन चलणु च।  भोळ सुबेर तक चकाचक बौणी जाली।  फिर हमन एक नाटक कम्पनी तैं काम दियाल कि वा स्कुल ठीक  ठाक स्कूल लगो।
घ्याळ दा -ह्यां पण अजबपुर म्युनिस्पल स्कूल को ही चुनाव किलै कार।  जख स्कूलो भैरो दीवाल उजड्या बीस साल ह्वे गे ह्वावन अर  सैत च  स्कूल बणणो बाद पुताई का  काम क्याइ  ह्वे होलु  ?
माणावाल -सर , फिर बि पूरा देहरादून मा अजबपुर म्युनिस्पल स्कूल ही सर्वोत्तम  स्कूल च। अर यीं स्कूलम त आँगन बि च।
घ्याळ दा -क्या  ? इन कुदसा की स्कूल सबसे बढ़िया स्कूल च ?
माणावाल - अनफॉरचुनेटली येस  !
घ्याळ दा -ये मेरी ब्वे ! क्या अंदादुंद मचीं च।
माणावाल -सर वी हैव टु  लिव विद रियलिटी
घ्याळ दा -एक बात बतावो यि पिरांडा  क्या च ?
माणावाल -सर यु अफ्रीका मा एक विकासशील देस च। अर हमर वै देस से मैत्रीपूर्ण संबंध छन।
घ्याळ दा -आर्थिक दृष्टि से कन देस च ?
माणावाल -सर गरीब देसूं मा सबसे तौळ च बुरांडा।
घ्याळ दा -फिर बि विकासशील देस ?
माणावाल -सर अब इन च गरीब देसूं तै गरीब देस या अंडरडेवलप्ड देस बुले जांद छौ  त सब्युं तैं बुर लगद छौ ।  इलै गरीब देसों तैं अब विकासशील देस या बुले जांद।
घ्याळ दा -वाह !  हम जैक द्वी हाथ नि ह्वावन वै तैं कर्मयोगी कैक भट्याणा छवां।
माणावाल -येस सर ! बट नो सर !
घ्याळ दा - अब जगमोहन तैं पर्स्युं बुलाण पोड़ल। जगमोहन तै सूचना दे द्यावो
माणावाल -यस मिनिस्टर !




Copyright@ Bhishma Kukreti  4 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


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                  दून स्कूल की  प्रतिष्ठा  मा राज्य सरकारुं क्या हाथ च  ?

                          चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
(शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं प्राइवेट सेक्रेटरी (जु असलम सरकारी ऑफिसर ही छन ) माणावाल जीन बथै बल भोळ कै विकासशील (गरीब ) अफ्रीकी देस पिरांडा का उप प्रधान  मंत्री उत्तराखंड आणा छन।  अर राजकीय सम्मान का साथ दून स्कूल अर एक म्युनिस्पल स्कूल दिखाण )

शिक्षा मंत्री घ्याळ दा - माणावाल जी ! इ पिरांडा देस क्या च भै ?
प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल -सर मि तैं बि बिंडी पता नी  च  पण भोळ इक बिटेन एयरपोर्ट जाण से पैल आप तैं सारी सूचना अर प्रोटोकॉल का सरा विवरण मिल जाल।  सुबेर तलक दिल्ली बिटेन एक अंडर सेक्रेटरी लेवल कु अधिकारी बि ऐ जालु जु  आपक दगड़ रालो।
 घ्याळ दा -भौत बड़ो देस त नि होलु ?
 माणावाल -ना ना।  अबि  एक साल पैल उना ब्रिटिश रूल खतम ह्वे तो लड़ाई -झगड़ा क कारण एक साल मा चार नया देस बणी गेन। अर पडोसी देस निरंतर लड़ाइयुं माँ संलग्न रौंदन।
घ्याळ दा -या एक त्रासदी च कि गरीब मुल्क गरीबी की मार अलग झेळदन अर फिर न्याड़-ध्वार का देस आपस मा झगड़दन तो  और बि  गरीब   हूंद जांदन।
 माणावाल -अर सर ! दिस इज नॉट न्यू टु हिस्ट्री !
घ्याळ दा -हां।  इनी गढ़वाल -कुमाऊं का शाह अर चंद राजाओं  इतिहास बि च।  आपस मा एक हैंक तैं नीचा दिखाण मा दुइ देसुं राजाओंन अपण स्वतंत्रता  बादशाह शाहजहां का पास गिरबी राख अर महाराज से मुग़ल सल्तनत का जागीरदार ह्वेन।
 माणावाल -जी अर गोरख्याणी से पैल त यी आपस मा इन लड़िन मरिन कि अंतत:  दुइ देस गुर्ख्यों गुलाम बणिन।
घ्याळ दा -इतिहास अपने को इसीलिए दोहराता है क्योंकि हम इतिहास से नही सीखते हैं।
 माणावाल -यस सर !
घ्याळ दा - खैर एक बात बतावदी यि पिरांडा कु उप प्रधान मंत्री क्याक बान उत्तराखंड आणा छन ?
 माणावाल -सर ! पिरांडा मा नब्बे टका निराक्षर छन तो उखक नीतिकार चाणा छन कि उ हमसे सीख ल्यावन कि शिक्षा प्रसार कनकैक करे जांद।
घ्याळ दा -नौ मण नंदु कौँक खावन नंदु कौमा छांचि जावन।  हिंदुस्तान  तै इ समज मा नि आणु कि गड्ढा मा , गर्त मा  जयीं  शिक्षा कु पुनरुद्धार  कनै करे जावो अर उ हमसे सिखणो आणा छन कि शिक्षा कन हूण चयेंद !
 माणावाल -यस  सर ! बट सर !
घ्याळ दा -तो यु दून स्कूल दिखाणो क्या तुक च भै ?
 माणावाल -सर अब रेपुटेसन कु बि त सवाल च कि ना ?
घ्याळ दा -क्याक रेपुटेसन ? यदि दिल्ली वाळु तैं अपण रेपुटेसन की  इथगा ही चिंता च त  ठोस भविष्य दर्शी ठोस  नीति किलै नि बणान्दन ?
 माणावाल -सर आप इख बि रूलिंग पार्टी का मंत्री छन अर दिल्ली मा बि आपकी ही सरकार च।
घ्याळ दा -तो क्या मि एक  भारतीय नागरिक कु हैसियत से शिक्षा व्यवस्था मा निरंतर ह्रास का प्रति अपण दुःख प्रकट नि कौर सकुद ?
 माणावाल -यस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -मतबल ?
 माणावाल -सर आम भारतीय नागरिक का हिसाब से आप चिंता व्यक्त कौर सकदां पण सरकारी दल का नेता ह्वैक आप गलती स्वीकार नि कौर सकदा।  मिनिस्टर हैव टु बि मोर हिपोक्रेट।
घ्याळ दा -अच्छा एक बतावो दून स्कूल की प्रगति या वैशिष्ठ्य मा उत्तर प्रदेस या उत्तराखंड सरकारों क्या योगदान च ?
 माणावाल -सर भौत बड़ो योगदान च।
घ्याळ दा (जोर से ) -क्या ?
 माणावाल -जी हाँ ! आज यदि दून स्कूल की अपणी बड़ी हैसियत सुरक्षित च तो इखमा राज्य सरकार को ही बहुत बड़ो हाथ च।
घ्याळ दा - पर एकाद बात त बतावो कि सरकार को कै  कर्म से दून स्कूल की इथगा बड़ी हैसियत बरकरार च ?
 माणावाल -सर अब मि अलाइड इन्डियन ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस अधिकारी का हिसाब से नि बुलणु छौं।
घ्याळ दा -तो
 माणावाल -मी बि  एक आम भारतीय नागरिक कु हिसाब से बुलणु छौं कि दून  स्कूल आज दून स्कूल रयुं च तो इलै च कि इखमा राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार की डाइरेक्ट दखलअंदाजी नी  च
घ्याळ दा  (अट्टहास )- माणावाल जी …… वाह ! वैल सेड… आपने सही कहा कि चूँकि दून स्कूल में सरकारी दखलंदाजी नही है तो यह स्कूल अपनी प्रतिस्ठा बरकरार रख सका।  वाह … । 
 माणावाल -सर बुरु नि मानिन हां !
घ्याळ दा -पण माणावाल जी ! शिक्षा स्तर गिरण मा क्या केवल सरकार को ही हाथ च ? शिक्षा स्तर गिरण मा  समाज की बि उथगा ही जुमेवारी च जथगा कि सरकार की।  नि बोल जाण ?
 माणावाल -राइट सर ! बट सर !
Copyright@ Bhishma Kukreti  5 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]   

Bhishma Kukreti

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                             राजकीय  शिक्षक पारितोषिक कु पेंच

                          चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी -रावत  सर ब्याळि पिरांडा का उपप्रधान मंत्री दगड़ प्रोग्रैम सफल छौ ना ?
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा - हां हमर तरफ से नाटक क्या नौटंकी सफल ही छे।
रावत - सर ! नौटंकी ?
घ्याळ दा - हाँ जब एक राज्य कु शिक्षा मंत्री दून स्कूल तैं राज्य शिक्षा की प्रतिनिधि स्कूल बतालो तो वो नौटंकी नी च त क्या च ?
रावत - बट सर दून स्कूल आखिर उत्तराखंड की शान च।
घ्याळ दा - रावत जी तुम  त इन बुलणा छां जन बुल्यां   राज्य   सरकार की वजै से दून स्कूल इथगा प्रतिष्ठित स्कूल होलु ?
रावत -हां पण  …।
घ्याळ दा - अच्छा जाणि द्यावो शिक्षा स्टैंडर्ड पर फिर से चिंतन होलु।  वो जौं  ऑफिसरुं ट्रांसफर पहाडुं मा हुयूं च पर वो उख नि जाणा छन।  पैल आज उख पर फैसला करण जरुरी च।
रावत -सर मिस्टर माणावालन नि बथाइ कि यु विषय चिमुल्ठु पेथण च  ....
घ्याळ दा - हां यु विषय पेट्रोल की टांकी च अर ये तैं झौळ नि दिखाण।  पण कुछ तो मीन करणी ही च।
रावत -सर ! आइ एम विद यू।  बट अबि आप तैं एक मुख्य काम निपटाण जरुरी च।
घ्याळ दा - क्या ?
रावत -अगला मैना राजभवन मा ग्रामीण राजकीय  शिक्षक पारितोषिक समारोह च त पचास  शिक्षकुं चुनाव करण।
घ्याळ दा - ग्रामीण राजकीय  शिक्षक पारितोषिक ?
रावत -जी हां।
घ्याळ दा - यु पारितोषिक या इनाम क्यांक च भै चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी जी ?
रावत -जी वु जौं जौं  मास्टरुन ग्रामीण शिक्षा क्षेत्र मा विशेष काम कार ऊं तैं राज्य कु तरफ से सम्मानित करे जांद।
घ्याळ दा (अट्टहास ) - वाह ग्रामीण शिक्षा मड़गट याने श्मशान जोग हुईं च अर हम मड़ोयुं (मुर्दा ले जाने वाले) तैं सम्मानित करणा छंवां !
रावत -सर।   शिक्षा मंत्री का गिच्च पर  यु रिमार्क सूट नि करद।  आप अपण विभाग की तौहीन स्व्यम्  ही नि कौर सकदां।
घ्याळ दा -  मतबल छींटा कशी केवल विरोध पार्टी ही कौर सकद ।
रावत -येस सर !
घ्याळ दा - हां त याद च ? जब हमारी पार्टी विरोध पक्ष मा छे त हमर पार्टीक बड़ा नेतान विधान सभामा यु ही बयान नि दे छौ कि ग्रामीण राज्य शिक्षक पारितोषिक याने मड़ोयुं तैं सम्मान्नित करण ?
रावत -हां पण तब क्या ह्वे छौ कि भूतपूर्व विधायक का क्षेत्र से इन शिक्षकों तैं सम्मान्नित करे गे  छौ जु  विधायक जीका घोर विरोधी छा।
घ्याळ दा - ये मेरि ब्वे मीन समझ छौ कि हमर पार्टी नेता तैं गिरदी शिक्षा कु दुख छौ।
रावत -सर वाकुणि  इ त राजनीति बुले जांद।
घ्याळ दा - एक बात बतावो मीन इखम बैठिक कनकै पता लगाण कि कु शिक्षक कै लैक च ?
रावत -सर आप तैं ऊनि बि कुछ नि करण।
घ्याळ दा - क्या मतबल ?
रावत -मतबल या च।  हमर ऐडमिनिस्ट्रेटिव विभागन तीन सौ काबिल अध्यापकुं लिस्ट भौत दिन  बिटेन तैयार करीं च।
घ्याळ दा - अच्छा तो मीन तीन सौ काबिल अध्यापकुं मादे यि  खुज्याण कि वु ढाई सौ नाकाबिल शिक्षक कु छन अर पचास काबिल शिक्षक कु छन?
रावत -नै नै सर।  आप तैं इन कुछ  नि करण।  आप तैं ये प्रेस नोट मा दस्तखत करण कि शीघ्र ही  पारितोषिक हेतु शिक्षकों की सूची बणी जालि।
घ्याळ दा - फिर ?
रावत -फिर अपने आप आपम आपकी पार्टी का विधयकों , बड़ा नेताओं , छुट मुट नेताओं, इख तलक कि विरोधी नेताओं का  फोन आलो कि कै शिक्षक तैं पारितोषिक मिलण चयेंद।  जादातर फोन इन आला कि कै शिक्षक तैं पारितोषिक नि मिलण चयेंद।
घ्याळ दा - हैं ! मतबल यी शिक्षक पारितोषिक लैक नि छन ?
रावत -सर जु तीन सौ की लिस्ट च उखमा सबि अध्यापक पारितोषिक लैक  शत प्रतिशत काबिल शिक्षक छन।
घ्याळ दा - पण फिर मेरी पार्टि का लोगुं फोन आलु कु अर्थ क्या च ?
रावत -सर या पद्धति ही तो प्रजातांत्रिक पद्धति च। टीचर'स   अवार्ड्स बाइ इन्वॉल्विंग पीपल।
घ्याळ दा - एक बात त मानण पोड़ल रावत जी कि तुम प्रशासनिक सेवा वाळ गोबर के लड्डू पर चांदी का वर्क लगाने में भी उस्ताद हो।
रावत -येस सर ! नो सर !

 ** कल पढ़ें कि शिक्षक पारितोषिक के लिए शिक्षा मंत्री के पास कैसे कैसे फोन आये या कैसी कैसी अप्रोचें आयीँ .

Copyright@ Bhishma Kukreti  6 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

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                 काणु कल्यो बंटद  , स्याळि -स्याळु  हथ  खुज्यांद 

                         चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी रावत अर प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जी रावत जी की कैबिन मा विचार विमर्श मा  व्यस्त  छा। शिक्षा मंत्री अबि ऑफिस नि ऐ छा।

माणवाल - सर राज्य चीफ सेकेट्री  अन्य प्रशासनिक अधिकार्युं रिकमेंडेशन  मा हि पचास शिक्षकुं लिस्ट  पुरुष्कार  लैक ह्वे गे।
रावत जी तैं जब बी मौक़ा मिलद वो माणावाल जी तै याद दिलान्द नि बिसरदन कि माणावाल जी अलाइड या प्रोविंसियल कैडर का ऑफिसर छन।
रावत -तुम अलाइड या प्रॉविन्सल सर्विस वाळ बि ना ! जल्दीबाजि भौत करदा।  प्रशासन माने वेट ऐंड वाच।
माणावाल - बट सर ! पुरुष्कार संख्या पचास च अर प्रशासनिक अधिकार्युं रिकमंडेसन ही पचास च तो राजनैतिक लोगुं क्या  ह्वाल ?
रावत - पैल स्टेट चीफ सेक्रेटरी , कैबिनेट सेक्रेटरी, फिनेंस सेक्रेटरी , ह्यूमन रिसोर्स सेक्रेटरी  परसनल विभाग सेक्रटरी , आदि छै सेक्रेटर्युं रिकमंडेसन छांट किलैकि युंक रिकमेंडेशन त मानण ही पोड़ल ?
माणावाल - जी छै शिक्षकों नाम यी छन टॉप मा।
रावत - अब थोकदार ड्राइवर अर भ्युंयाळ ड्राइवर की रिकमेंडेशन ऐड कारो।
माणावाल - हां यि ड्राइवर हम तैं कै विभाग मा क्या हूणु च की सूचना दीणा रौंदन त यूंक रिकमेंडेसन बि मनण ही पोड़ल।  तो आठ शिक्षक ह्वे गेन।
रावत -  मुख्यमंत्री कार्यालय का एक  अर एक फिनेंस डिपार्टमेंट का  अपण ख़ास कलर्कु रिकमेंडेशन ऐड कारो।
माणावाल -ये हिसाब से कुल दस शिक्षक पुरुष्कार लैक ह्वे गेन।
रावत - एक म्यार कै ख़ास जाण पछ्याण वाळक रिमेन्डेसन च तो वै शिक्षक तैं ऐड कौर।
माणावाल -सर एक मीम बि रिकमेंडेशन अईं च बल यु शिक्षक पुरुष्कार लैक बहुत ही योग्य च
रावत - याने बारह शिक्षकों लिस्ट त पक्की ह्वे गे।
माणावाल - ये ल्यावो।  म्यार कम्प्यूटर मा बारा शिक्षकों लिस्ट तैयार ह्वे गे।  मि प्रिंट दे द्युं ?
रावत - नो हरी ! अबि हम मिनिस्टर साब से अप्रूवल ले लींदा।
चपड़ासी - सर मंत्री जी ऐ गेन बुलाणा छन।
रावत - चलो माणावाल जी . तुम चुप ही रैन हाँ !
(द्वी मंत्री जीक कैबिन मा जान्दन )
द्वी एकदगड़ी - गुड मॉर्निंग मिनिस्टर साब !
घ्याळ दा - गुड मॉर्निंग। बैठो।
घ्याळ दा -  इन लगणु च शिक्षक पुरुष्कार संबंधी प्रेस रिलीज अखबारूं फ्रंट पेज पर छपी होलि।
रावत - सर ! मतबल ?
घ्याळ दा - आठ बजे बिटेन फोन आण लगि गेन कि कै शिक्षक तैं पुरुष्कार  मिलण चयेंद अर कै तैं नि मिलण चयेंद।
रावत - सर यु हर साल हूंद।
घ्याळ दा - विरोधी दल कु नेता कु एक सहायक रंगीलालन त धमकी ही दे कि यदि यूँ यूँ शिक्षकों तैं पुरुष्कार मीलल तो विधान सभा ही नि चलण द्याल
रावत - मिस्टर माणावाल ! तुम अपर डिवीजन क्लर्क मिसेज मुर्खलवाल  कुण ब्वालो कि मिस्टर रंगीलाल से ऊं शिक्षकों लिस्ट ले ल्यावो जौं तैं ऊंक हिसाबन पुरुष्कार नि दीण। हम ऊं शिक्षकों नाम लिस्ट से काटि दींदा।
घ्याळ दा - ह्यां पण यां से त लायक शिक्षकों तैं हम पुरुष्कार से बंचित करणा छंवां
(इथगा मा मिसेज मुर्खलवाल आंदी )
मिसेज मुर्खलवाल - गुड मॉर्निंग टु एवरी बॉडी
रावत - मिसेज मुर्खलवाल ! तुम विरोधी पार्टी का बड़ा बड़ा नेताओं सहायकों से फोन पर पूछो कि कौं कौं शिक्षकों तैं पुरुष्कार नि मिलण चयेंद।
मिसेज मुर्खलवाल - सर सुबेर बिटेन फोन आण शुरू ह्वे गे छा।  अर मीन वा लिस्ट तयार बि कौर याल।
रावत - कुल कथगा शिक्षक छन जौंक विरोध हूणु च ?
मिसेज मुर्खलवाल -एक सौ पैंतीस शिक्षक छन जौंक भयंकर रूप से विरोध हूणु च।
रावत (लिस्ट लींद लींद ) - वेल डन मिसेज मुर्खलवाल . आप जै सकदन।
मिसेज मुर्खलवाल - थैंक्स टु यू  आल
घ्याळ दा - ह्यां यि विरोधी पार्टी वाळूं तैं कनकै पता चौल कि कैक नाम रिकमंड हुयुं च।
रावत - सर पिछ्ला छै मैना से या प्रक्रिया चलणी रौंद अर गांऊं अर जिला स्तर पर पता चौल ही जांद।
घ्याळ दा -पण इन मा तो हम लायक शिक्षकों तैं ऊंक हक्क से बंचित करणा छंवां।
रावत - नो सर।  असल मा विरोधी पार्टी ऊँ शिक्षकोंक विरोध करणी होलि जौन आपकी पार्टी तैं जिताण मा सबसे अधिक सहयोग दे होलु।  ल्या  यीं मिसेज मुर्खलवाल की  लिस्ट मा आप अपण क्षेत्र का शिक्षकों नाम से आप तैं पता चौल जाल कि विरोधी पार्टी ख़ास शिक्षकों विरोध किलै करणि च।
घ्याळ दा लिस्ट दिखदन।
घ्याळ दा - हाँ म्यार क्षेत्र से तीन अध्यापकों विरोध हूणु च अर तिन्यून मे तैं जिताणम भौत बड़ी भूमिका निभाइ।
रावत - सर दैट इज  इट।
घ्याळ दा - अब एक सौ पैंसठ शिक्षकों मादे पचास शिक्षकों चुनाव करण भौत इ मुश्किल काम च।
रावत -येस सर ! नॉट ऐट ऑल सर !
घ्याळ दा -मतबल ?
रावत - सर हमर डीप  क्या रिग्रेस सर्वे का मुताबिक़ बारह इन शिक्षक छन जो टॉप मा छन वूं तैं त पुरुष्कार मिलण ही चयेंद।
घ्याळ - बाकि अड़तीस शिक्षक ?
रावत - मिस्टर माणावाल काल मिसेज मुर्खलवाल अगेन।
घ्याळ - क्या मिसेज मुर्खलवालन लिस्ट बणयीं च ?
रावत - नो सर ! येस सर !
मिसेज मुर्खलवाल - येस सर ! आपन बुलाइ ?
रावत - सिट फॉर ये मोमेंट प्लीज।
मिसेज मुर्खलवाल - थैंक्स
रावत - वो पुरुष्कार हेतु मुख्यमंत्री जीक ऑफिस बिटेन क्वी रिकमेंडेशन ?
मिसेज मुर्खलवाल -मुख्यमंत्री जीन द्वी टीचरूं अनुमोदन दे।
रावत - अर विरोधी दल का नेता जी से क्वी अनुमोदन ?
मिसेज मुर्खलवाल - जी द्वी
रावत -सरकारी दल का विधयाकों अनुमोदन ?
मिसेज मुर्खलवाल - सर तीस विधयकों का एक सौ बीस रिकमेंडेशन ऐ छे।  पण अंत मा हरेकन एक ही  अनुमोदन दे।  याने तीस अनुमोदन। विधान सभा अधयक्ष कु अनुमोदन मिलैक इकतीस अनुमोदन।
रावत - टोटल ह्वाइ दो और दो चार और इकतीस याने कुल पैंतीस।  ऐम आइ राइट मिसेज मुर्खलवाल ?
मिसेज मुर्खलवाल - एस सर !
रावत - थैंक्स मिसेज मूर्खलवाल।  आप थोड़ा देरो कुण भैर बैठो।  मिनिस्टर साब फिर बुलाला।
(मिसेज मुर्खलवाल भैर जांद )
रावत - सर बारह तो एब्सोल्यूटली इलिजिबल कंडीडेट्स ह्वाइ , अर यी ह्वे पैंतीस याने कुल सैंतालीस  शिक्षक . सर तीन आप अनुमोदन कारो।  वी लीव ऑन यू।
घ्याळ दा -मीन तो जौं तैं दीण छौ ऊंक विरोध ह्वे गे।  जगमोहनन तीन शिक्षकों नाम दियां छन ऊंक नाम , स्कूल कु नाम यीं पर्ची मा च।  (पर्ची माणावाल लींद )
रावत - याने पचास शिक्षकों पर हमर स्वीकृति ह्वे गे। माणावाल जी आप लिस्ट मिसेज मुर्खलवाल तैं द्यावो अर जैक बि हस्ताक्षर की आवश्यकता हवावो करावो अर अंत मा मिनिस्टर साब का हस्ताक्षर कराइ द्यावो ऐंड क्लोज दिस चेप्टर।
(माणावाल भैर जांद )
घ्याळ दा - जौं शिक्षकों पुरुष्कार का वास्ता  विरोध हूंद ऊंक क्या हूंद ?
रावत - सर ऊंकुण मुख्यमंत्री पुरुष्कार च।  ऊखमा विरोधी दल वाळ विरोध नि करदन।
 (कुछ देर चुपी रौंद )
रावत - सर आज हमन एक बहुत बड़ो निर्णय लेक काम समय पर ख़तम कौरि। दैट्स ऐन अचीवमेंट !
घ्याळ दा - रावत जी ! आप  तैं नि लगद कि शिक्षक पुरुष्कार दीण केवल एक नाटक च ? एक स्वांग च ?
चीफ ऐज्युकेसन सेक्रेटरी - येस सर ! नो सर !




Copyright@ Bhishma Kukreti  7 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

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                 मंत्री  नीति बणान्दन या क्राइसिस मैनेज करदन ?

                        चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

शिक्षा मंत्री बण्या इथगा मैना हूणों बाद बि घ्याळ दाक  समज मा नि आणु छौ  कि शिक्षा मंत्रालय कु चलाणु च ? घ्याळ दान शिक्षा मुख्य सचिव रावत जी तैं पूछ  बल शिक्षा मंत्रालय कु चलाणु च त रावत जीक जबाब छौ सर आप राजनीतिज्ञ नीति बणौदा अर हम प्रशाशन सेवा का अधिकारी ऊं नीतियुं तैं संविधान अनुसार क्रियावनित करदां।  अर इखिमा घ्याळ दा तैं पेंच दिखेंद।
एक दिन   घ्याळ दान बोलि  - भई माणावाल जी ! म्यार हिसाब से  जु के जी का बच्चों पढान्दन वूं मास्टरों तैं प्राथमिक स्कूल मास्टर का बराबर तनखा मिलण  चयेंद।
माणावाल - सर इक पर टिप्पणी करणो अधिकार मंत्रीजीक  प्राइवेट सेक्रेटरी तैं नी च।.
घ्याळ दा -इक माँ टिप्पणी बात नी  च म्यार मानण च कि केजी का टीचर बच्चों  लाइफ बणाणम  बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभांदन। यूं टीचरूं भूमिका इनी महत्वपूर्ण च जन  कै कूड़ो पौ (फाउन्डेसन ) धरद दैं ओड की भूमिका महत्वपूर्ण हूंद तो इन शिक्षकों तैं  वा ही सुविधा मिलण चयेंद ज्वा सुविधा याने तनखा प्राइमरी टीचर तैं मिलद।
माणावाल - फिर त सर! आपक हिसाब से तो  यूं केजी का टीचरूं ट्रेनिंग पर  बि सरकार तैं इथगा ही खर्चा करण  चयेंद जथगा प्राइमरी टीचर की ट्रेनिंग पर करे जांद ।
घ्याळ दा - ये खर्चा तैं खर्चा नि बुलण चयेंद बलकणम  सरकार कु इन्वेस्टमेंट बुले जाण चयेंद। आखिर यी केजी का टीचरही तो भविष्य का नागरिकों की नींव धरदन । जरा यीं दिशा मा काम करे जावो। यां पर ठोस नीति बणये जावो।
माणावाल - येस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -नो सर कु मतबल ?
माणावाल - सर इखमा नीति अर इंप्लीमेंटेशन द्वी बथ जुड़ी छन तो चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी मिस्टर रावत ही सही अधिकारी छन जो आपकी जिज्ञासा दूर करी सकदन।
घ्याळ दा -जिज्ञासा दूर करण मतबल ?
माणावाल -सर म्यार मतबल च कि रावत जी ही बथै सकदन कि आप इख  पर नीति बणै सकदन कि ना ?
घ्याळ दान रावत जी बुलैन त रावत जी बुलण बिसेन - सर आज तो हम तैं एक क्राइसिस सॉल्व करण पोडल !
घ्याळ दा - क्या ?
रावत - सर स्कूल अर गाँव का रस्ता मा जु बि गड्ढा छन वूं गड्ढों तैं भरणै जुमेवारी कैक च ? या वूं रस्तों मा गोरुं मोळ हग्युं पड्यूं हो तो मोळ हटाणो जुमेवारी कैक च ?
घ्याळ - इकमा क्यांक क्राइसिस ? ग्राम सभा को काम च कि गांवक रस्ता साफ़ रावन या रस्ता हिटण लैक ह्वावन।
रावत - हां पण  ग्राम पंचायत विभाग बुलणु च कि स्कूल रस्ता की देखरेख तो शिक्षा विभाग ही तैं दिखण चयेंद।
घ्याळ दा - तो अब ?
रावत - अब आप तैं पंचायत विभाग मंत्रालयौ कुण  एक स्ट्रोंग मेमो भिजण पोड़ल।
घ्याळ दा -ठीक च पत्र ल्याखो !
रावत - माणावाल ! शिक्षा  विभाग कु लीगल विभाग से  सलाह लेक एक स्ट्रोंग मेमो पंचयत विभागौ कुण  आज ही जाण चयेंद।
घ्याळ दा - अच्छा मि बुलणु छौ कि केजी का मास्टरुं दशा मा सुधार हूण चयेंद।
रावत - सर आपन भौत ही महत्वपूर्ण विषय उठाइ किन्तु मि ग्राम पंचायत अर आधारिक विद्यालयों  टकराव कनकैक रुके जाव की  कोन्फेरेंस मा भाग  लीणो जाणु छौं।  माणावाल जी ! मिनिस्टर साबौ क्या प्रोग्रैम च ?
माणावाल - मंत्री जी तैं आधा घंटा मा सार्वजनिक कार्य मंत्रालय अर शिक्षा मंत्रालय की समन्वय समीति की बैठक मा जाण।
रावत - तो तुमन मंत्री जी तैं ब्रीफ कौर याल कि ना कि यीं मीटिंग मा शिक्षा विभाग की स्ट्रोंग हिसाब से पैरवी करण।
माणावाल - सर मंत्री जी केजी का टीचरूं दशा पर विचार  ....... !
रावत ( जोर से डांटदन ) मिस्टर माणावाल ! केजी स्कूलूँ का मास्टरुं  जन उयाद, बेकार  विषय पर तुम शिक्षा मंत्री कु कीमती समय बर्बाद करणा छंवां ? डोंट यू हैव ऐनी सेन्स ऑफ व्हाट इज इम्पोर्टेंट ऐंड व्हाट इज नॉन इम्पोर्टेंट सब्जेक्ट ?
माणावाल - सॉरी सर !
(घ्याळ दा समजि गे छा कि रावत जीन ब्वाल  त माणावालौ कुण छौ पण सुणाइ घ्याळ दा तैं छौ )
इनी जब बि घ्याळ दा नीति विषयक विषय उठांदा छा तो विभाग मा कथगा इ क्राइसिस  ऐ जांद छा अर नीति निर्धारण  से जादा क्राइसिस मैनेजमेंट कु काम  घ्याळ दा तैं करण पोड़द छौ। शायद सही शब्द च कि शिक्षा  मंत्री तैं मोळ माटौ  मादेव बौणिक क्राइसिस मैनेज करण पोड़द। 

अब तलक घ्याळ दान अपण एक बि नीति नि चलाइ फिर बि  जगा जगा हल्ला हूंद बल सरकार की नीतियों कारण विकास हूणु च य़ा विकास विकास नि हूणु च।





Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                  उत्तर प्रदेस की सड्याण उत्तराखंड मा

                     चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
   
           उत्तराखंड उत्तरप्रदेस  से इलै बिगळे छौ , अलग ह्वे छौ कि उखाकी बीमारी उत्तराखंड मा नि रावन पण उत्तराखंड मा जु बीमारी वै बगत कम बि छे वु अब बड़ी तेजी से बढ़ी गेन।
 एक बीमारी च  फॉर्म थर्टी सेवेन  या इंट्री फॉर्म।  बॉर्डर पर यु फॉर्म ट्रक वाळ तैं उत्तराखंड मा माल प्रवेश करद दैं दिखाण पोड़द अर उत्तरा खंड  सरकार का  टैक्स विभाग ये फॉर्म तैं माल आयात करण वाळ कम्पनी तैं अग्रिम रूप मा दींदी।   या पर्था शायद अंग्रेजूं या मुग़ल काल से चलणी च।  यांक मकसद च कि प्रदेस सरकार तैं पता चौल जा कि भैर बिटेन प्रदेस मा कथगा माल आइ जां से सेल्स टैक्स उगाइ मा गड़बड़ी नि ह्वावु।  अर सबि जाणदन इंट्री फॉर्म पद्धतिक बाद बि उत्तर प्रदेस या उत्तराखंड मा द्वी नम्बरो धंदा धड़ले से चलद।
 घ्याळ दा जब राजनीति मा नि छा अर दिल्ली मा इन्वर्टर निर्माता का ड्यार ठैर्यां छा।  फिर ऊँन उख दिल्ली से उत्तर प्रदेस मा कण बगैर इंट्री फॉर्म का माल प्रवेस हूंद अर कनकै हूंद सब अपण आखुन दिख्युं छौ अर प्रदेस बॉर्डर पर इंट्री फॉर्म कु अनौचित्य बि द्याख।
शिक्षा मंत्री बणणो बाद घ्याळ दान इंट्री फॉर्म बंद करणै बात कैबिनेट मीटिंग मा उठाइ तो विक्री कर विभाग मंत्री , उद्योग मंत्री ही ना आयातित मुख्य मंत्री बि भड़िक गेन कि शिक्षा मंत्री तैं अपण काम से काम रखण  चयेंद दुसरो काम मा दखल नि दीण चयेंद।
 आज घ्याळ दा तैं उत्तर प्रदेस की सड्याण अपण कार्यालय मा दिखणो मील।
घ्याळ दा अबि बि अपण ड्यार बिटेन ऑफिस पैदल ही आंदन। चूँकि घ्याळ दान टेलीविजन चैनेल  पत्रकारों तैं कबि नि बताइ कि वु पैदल आंदन तो सबि समजदन कि घ्याळ दा सरकारी गाड़ी से हि ड्यार बिटेन ऑफिस आंदन।  अचकाल टीवी चैनेल निर्णय लीन्दन कि मंत्र्युं तैं क्या करण चयेंद क्या नि करण चयेंद।
हां त जनि वो गेट से ऑफिस कम्पाउंड मा ऐन त समिण विभाग कार्यालय का कारिंदा खड़ा छा।  घ्याळ दान समज शायद सबि कारिंदा सामूहिक रूप से घाम तप्वाइ करणा होला। जनि घ्याळ दा अगनै बढ़िन एक कारिंदा अग्वाड़ी खड़ ह्वे गे ," सर गुड मॉर्निंग ! हम तैं बड़ी परेशानी हूणि च !"
घ्याळ दान मजाक मा पूछ ," क्या जी ! खौतियाल जी घाम तपण मा कुछ परेशानी ?"
खौतियाल -नै सर ! अपण कार्यालय मा स्कूटर पार्किंग की बड़ी परेशानी हूणी च। "
घ्याळ दा - तुमन पैल कबि यु मुद्दा नि उठाइ ?
ख़ौतियाल - सर आज एक सेक्सन ऑफिसर अर लोवर डिवीजन कलर्क का बीच छाँव मा स्कूटर खड़ करण मा झड़प बढ़ी गे तो सब्युंक मांग च कि स्कूटर पार्किंग की व्यवस्था करे जावो।
घ्याळ दा - ठीक च सब भितर जावो मि दिन मा यां पर डिसकसन करदु अर तुम लोगुं तैं बि बुलांदु।
खौतियाल - ठीक च सर
सबि कर्मचारी भितर चलण बिसे गेन।
ऑफिस मा मंत्री जीक सरकारी प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जी उपस्थित छा।  चीफ एज्युकेसन सेक्रेटरी रावत जी एक मीटिंगौ  बान मुख्यमंत्री कार्यालय जयां छा।
घ्याळ दा - माणावाल जी !यु स्कूटर पार्किंग कु लफड़ा क्या च ?
माणावाल - सर जब उत्तराखंड बौण तो जू बि कार्यालय  बौणिन वू जल्दबाजी मा उत्तरप्रदेस का तर्ज पर हि बणिन अर जल्दीबाजी मा सन 1975 मा उत्तरप्रदेस का शिक्षा कार्यालय निर्माण  का वस्ता जु टेंडर रिलीज ह्वे छौ वो ही टेंडर उत्तराखंड का वास्ता  रिलीज करे गे।  चूंकि सन 1975 मा साइकलुँ प्रचलन छौ अर स्कूटर पार्किंग या कार पार्किंग की जरूरत ही नि छे पण उत्तराखंड माँ शिक्षा विभागौ कार्यालय सन 1975 का हिसाब से बौण तो इक साइकल स्टैंड च पर स्कूटर पार्किंग या कार पार्किंग की ऑफिसियली व्यवस्था नी  च।
घ्याळ दा -"ऑफिसियली व्यवस्था नी च "  कु क्या मतबल ?
माणावाल - मतबल तीन कार छोड़िक कार्यालय परिसर मा जु बि कार या स्कूटर पार्क हूंदन  वु अनऑथराइज्ड ढंग से पार्क हूंदन।
घ्याळ दा -मतलब उत्तर प्रदेस से जु बि हमन उधार ले ऊ बि बीमारी ही लेन मय ब्यूरेक्रेटिक डिले ?
माणावाल - येस सर ! नो सर !
थोड़ा देर बाद रावत जी ऐन  रामा रूमी ह्वे।
रावत - सर मीन सूण कर्मचार्युंन आपक घेराव कार ?
घ्याळ दा -घेराव ?
माणावाल - रावत जी। यू गॉट डिस्टॉर्टेड इनफोर्मेसन !
घ्याळ दा -डिस्टॉर्टेड इनफोर्मेसन ?
माणावाल - हां वु गांऊं मा नि हूंद छौ कि एक जनानी हैंक जनानी मा बुल्दी कि मरखुड्या ज्योरुन अपण कज्याण पर थप्पड़ लगाइ।  वा हैंक जनानि पंद्यरम बुल्दी बल मरखुड्या ज्योरुन अपण कज्याण खूब थपड्याइ फिर वा सूचना गोर मा या घस्यरुं बीच मा जांद त सूचना कु रूप बदले जांद कि मरखुड्या ज्योरुन अपण कज्याण थांतन   इथगा थींच  कि वा बिचारि खटला जोग ह्वे ग्यायि।   
रावत - मि तैं त फिकर ह्वे गै छै ।
घ्याळ दा - पर स्कूटर पार्किंग कु समाधान त हूण ही चयेंद।
रावत - सर ! अवश्य . म्यार हिसाब से पीडब्ल्यूडी विभाग यीं दिशा मा काम करणु च तो अवश्य ही आठ मैना मा स्कूटर पार्किंग कु समाधान ऐ जालो।
घ्याळ दा - मतबल म्यार घेराव अवश्य ही हूण ?
रावत - नेवर सर ! हम तब तलक कुण  एक इंटरनल कमेटी बणै दींदा।
घ्याळ दा - इंटरनल कमेटी ?
रावत - एस सर ! मिस्टर माणावाल !  बीस कर्मचार्युं कि एक जिजांटिक कमेटी  बणाओ।  इखमा सबि कर्मचार्युं प्रतिनिधि हूण चैन्दान अर अधा से जादा कर्मचारी यीं कमेटी मा इन हूण चैन्दन जु  टूर पर जादा रावन कि छै मैना मा एक मीटिंग से जादा मीटिंग ह्वैइ नि साक अर जब तलक कमेटी की द्वी बैठक होली तब तक पीडब्ल्यूडी विभाग सौल्युसन लेक ऐइ जाल। 
घ्याळ दा - जिजांटिक कमेटी ?
रावत - जी ! जां से फैक्ट फाइंडिंग अर फाल्ट फाइंडिंग मा देर हूंद रावो ।  मामूली विषय का वास्ता कमेटी जथगा बड़ी ह्वावो उखमा मतैक्य जादा हूंद अर हमेशा मीटिंग अनिर्णीत ख़तम हूंद। बिंडी बिरळ मूस नि मरदन।
घ्याळ दा - कमेटी माने डिले द डिसीजन अर बड़ी कमेटी माने नो डिसीजन ऐट आल? कमेटी माने खिल्वणी -खिलौना।  हैं ?
रावत - सर ! आइ ऐम नॉट परमिटेड टु कमेंट ऑन माइ बॉसेज रिमार्क्स

                 
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[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

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           उत्तराखंड मा टीए-डीए की चिराण उत्तरप्रदेश से पौण बणिक ऐ छे संस्कृति बणिक बैठि गे

                                 चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


 कार्यालय का खर्चा पर दौरा करण तो टीए -डीए बिल बणाण ही पोड़ल अर टीए -डीए बिल बौणल तो ऊच -नीच ह्वैइ जांद अर  इनमा आंतरिक चुटकला जोक्स बणी जांदन।
जन कि सेल्स लाइन मा टीए -डीए पर यु जोक्स बड़ो प्रसिद्ध च।
एक देस कु राजा मोरी गे। वै देसाक  रिवाज छौ कि जु बि दुसर दिन सबसे पैल देस मा प्रवेश कारो वै तैं राजा बणै दींदा छा।
दुसर दिन सबसे पैल एक सेलसमैनन देस मा प्रवेश कार तो वै तैं राजा घोषित करि दे।
सेलसमैनक राजतिलक का बाद राजा की शोभा यात्रा निकळण वाळ छे अर शोभा यात्रा का वास्ता राजाक बान हाथी सज्यूं  छौ।
हाथी देखिक सेलसमैनन प्रधान मंत्री कुण ब्वाल ," सुणो मी शोभा यात्रामा पैदल ही चल ल्यूल अर हाथीक बिल राजकोष मा दे द्योला।  कुछ तुम खावो , कुछ मि खै ल्योल। "
खैर यु त जोक्स च पण अमूनन  कम्पन्युं का सेलसमैन सेकंड क्लास से जांदन अर बिल फर्स्ट क्लास का लगांदन। सेल्स लाइन मा या एक संस्कृति च।
ब्याळि शिक्षा मंत्री घ्याळ दान उत्तर प्रदेस की सड्याण उत्तराखंड मा द्याख अर आज त आज घ्याळ दाकी एक हैंक उत्तर प्रदेस से आयतित चिराण से मुखाभेंट (आमाना -सामना ) ह्वे।
विभाग का चपड़ासी किंक्वळ  जी कुछ फ़ाइल अध्ययन का वास्ता घ्याळ दाक समिण धौरिक चलि गे।  माणावाल जी अर मिसेज मुर्खलवाल जी  कैं समस्या समाधान मा व्यस्त छा।
घ्याळ दान एक फाइल द्याख अर दुसर फाइल दिखण बिसे गेन। असल मा चपड़ासी जी वीं  फाइल तैं गल्ती से लै गे छौ।
घ्याळ दा तैं पता चली गे  कि या फाइल कर्मचार्युं टीए -डीए की फ़ाइल च।
सबसे मथिन मिस्टर चम्बावाळ  जीका टीए -डीए बिल छा जु  स्वीकृत ह्वे गे  छा अर मिस्टर चंबावाळ  जीन पैसा बि  ले आलिन छा ।
बिल देखिक घ्याळ दान माणावाल जी अर मिसेज मुर्खलवाल जी बुलैन ।
माणावाल  - एस सर ?
घ्याळ दा - माणावाल जी मि एक टीए -डीए बिल दिखणु छौ।
मिसेज मुर्खलवाल - ए  मेरि ब्वै ! बुड्या किंक्वळन  गलत फ़ाइल मंत्री जी तैं  दे दे।
 घ्याळ दा - ह्यां पण इन बतावदी कि देहरादून से नरेंद्र नगर जाण मा कथगा समय लगद ?
मिसेज मुर्खलवाल - जी नरेंद्र नगर देहरादून बिटेन इकसठ किलोमीटर च।
घ्याळ दा - याने तीन घंटा से जादा समय नि लगण चयेंद कि ना ?
मिसेज मुर्खलवाल - सर यु निर्भर करद कि  च कि काम निजी  च या सरकारी काम च ।
घ्याळ दा - ह्यां पण सरकारी काम बि ह्वावो अर आदिम पैदल बि आवो तो देहरादून से नरेंद्र नगर चौबीस घंटा मा पौंछि जाल कि ना ?
मिसेज मुर्खलवाल - सर   …।
घ्याळ दा - मिस्टर चम्बावाल जी एख बिटेन अड़तालीस घंटा मा नरेंद्र नगर गेन अर उख ऊंन एक दिन काम कार अर  फिर चम्बावाल जीन नरेंद्र नगर से देहरादून आण मा अड़तालीस घंटा लगैन।
मिसेज मुर्खलवाल - सर सन 1889 का यूनाइटेड प्रोविंसियल रूल  संख्या 420 उपखंड B . A. I.  L. G . A . D . I  ,  सन 1953 कु अमेंडमेंट अंडर उत्तर प्रदेस रुल नंबर 840 उपखंड G. H. A. P. L. A   का हिसाब से मिस्टर चम्बावाल कु टीए-डीए बिल सही च।
घ्याळ दा -क्या च वै रूल मा ?
मिसेज मुर्खलवाल - सर सन  1889 का रूल का हिसाब से प्रोविंसियल हेड क्वार्टर से टिहरी रियासत अथवा ब्रिटिश कुमाऊं -गढ़वाल जु बाद मा अमेंड करिक  टिहरी जिला , कुमाऊं कमिशनरी व्हेन, याने कि कर्मचारी द्वारा   प्रोविंसियल हेड क्वार्टर से टिहरी , ओल्ड पौड़ी गढ़वाल अर कुमाऊं  क्षेत्र तक पंहुचने में अधितम समय अड़तालीस  घंटा लगना चाहिए  और इसके लिए सरकार कर्मचारी को यात्रा माध्यम  व्यय व ठहरने के लिए यात्रा भत्ता देगी।
 घ्याळ दा - क्या ?
मिसेज मुर्खलवाल -जी प्रोविंसियल हेड क्वार्टर से उत्तराखंड का कै बि  हिस्सा तलक पौंछण मा अधिकतम समय सीमा अड़तालीस घंटा छन।
घ्याळ दा - वो तबि चम्बावाल जीन देहरादून से डोईवाला का बस टिकेट लगाइन फिर उख वू होटलम ठहरिन फिर ऊन डोईवाला से यात्रा शुरू कार अर दूसर दिन मुकाम ऋषिकेश अर फिर तीसर दिन नरेंद्र नगर।
मिसेज मुर्खलवाल - सर टोटल ऑवर्स स्पेंट इन ट्रैवेलिंग आर नौट  मोर दैन फोर्टी एट ऑवर्स।
घ्याळ - ह्यां पण यि बाबा आदम जमाना का नियम बदल्याणा किलै नि छ्न ?
माणावाल - सर ! बैलगाड़ी युग का नियमों तैं बदलणो बान  हरेक मुख्यमंत्री जीन अपण टैम पर कमिसन बैठै।  पर चूँकि मुख्यमंत्री बदल जांदन तो नया मुख्यमंत्री पुराणा कमिसन तै निरस्तर कौरि दीन्दन , नै कमिसन बैठै दीन्दन अर  हम लोग स्पेस युग मा बि बैलगाड़ी युग का नियमों से चलणा छंवां।
घ्याळ दा -  हां तबि त उत्तर प्रदेस  की चिराण उत्तराखंड मा सबि  जगा बदबू फैलाणी च ! नि बोल जाण ?
माणावाल - येस सर ! नो सर !





Copyright@ Bhishma Kukreti  10 /1/2014

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