Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 361316 times)

Bhishma Kukreti

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                                         प्रवास्युं  औकात
                           चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


              कुछ दिन पैल मीन स्वाच बल जरा मुंबई मा ही रौण त स्थानीय राजनीति अर संस्कृति मा मिलण जरुरी च। त मि शिवसेना शाखा मा चलि ग्यों।
मीन शिवसेना क नेता जी तैं सिवा लगाइ।
नेतान पुछि - क्या मंगता है ?
मि - जी मि मंगता नि छौं . मेरी अच्छी खासी नौकरी छे।
नेता -नेता - मंगता  ! मतलब क्या चाहिए
मि -मि शिव सेना की सेवा करण चाणु छौं।
नेता -कखक रौण वाळ छे ?
मि -जी जोगेश्वरी , मुंबई।
नेता -ओहो म्यार मतबल च कौन से रीजन  को बिलौंग करते हो  ?
मि -जी उत्तर भारत !
नेता -ओह तो तुम उत्तर प्रदेश -बिहारौ भया छंवां ?
मि -जी नही ! मि उत्तराखंड कु छौं
नेता -ओ ! उत्तराखंड माने झारखण्ड ? अच्छा तो तुम महेंद्र सिंह धोनी कु प्रदेश का छंवां ?
मि -हाँ हाँ ! मी अवश्य महेंद्र सिंग धोनी कु प्रदेश कु छौं पण झारखण्ड कु नि छौं।
नेता -क्या बकबास करणा छंवां ? धोनी का प्रदेश का छंवां पर झारखण्ड का नि छंवां।  धोनी तो रांची झारखण्ड से बिलौंग करद तो फिर ?
मि -जी धोनी क नेटिव प्लेस उत्तराखंड च।
नेता -यु क्या फणि सि  खंड कख च भै ?
मि -जी  हिमालयन स्टेट च।
नेता -औ त इन ब्वालो ना शिमला हिमाचल का छंवां ?
मि -ना ना शिमला ना  ……
नेता -अच्छा शिमला ना।  तुम कुल्लू मनाली
मि -ना ना हिमाचल ना।
नेता -तो जम्मू कश्मीर ?
मि -ना उत्तराखंड
नेता -नेपाली ? यार एक लिफ्ट मैन अर वाचमैन चयाणु छौ।  जरा जल्दी भेज दियां।
मि -बद्रीनाथ , केदारनाथ …।
नेता -औ जख भयंकर बाढ़ आंद . अच्छा तुम वै रीजन का छंवां ?जख बाढ़ आंद अर मुख्यमंत्री तैं समज मा इ नि आंद कि क्या करण !
मि -जी !
नेता -कुछ कुछ याद  ऐ ग्याई।  बद्रीनाथ -केदारनाथ।  अच्छा एक बात बतावो कि तुम क्या सेवा कौर सकदा ?
मि -जी मि शिव सेना का वास्ता वोट जुटौलु !
नेता -तुम बद्रीनाथ -केदारनाथ का तरफां का ही छंवां ना ?
मि -हाँ
नेता -शायद माहिम मा MNS कु नेता राजेश बड़थ्वाल बि बद्रीनाथ केदारनाथ कु ही च ?
मि -जी हाँ ! म्यार ही गाँव कु च।
नेता -कबि वैकि सहायता का वास्ता बि गेवां ?
मि -जी कबि ना
नेता -वा वीमेन ऐक्टिविस्ट प्रतिभा नैथानी बि त बद्रीनाथ -केदारनाथ की ही च ?
मि -जी हाँ वा बि मेरी रिस्तेदार च।
नेता -कबि प्रतिभा नैथानी की हेल्प बि कार ?
मि -प्रतिभा तैं हेल्प करणो चांस ही नि मील।
नेता -वा पवई मा कॉंग्रेसी नेता कुसुम गुसाईं की नगर सेवक चुनावी रैली मा बि भाग लेई ? वा बि त बद्रीनाथ -केदारनाथ की ही च।
मि -जी नौकरी कु जंजाळ च तो   …।
नेता -अर तुमन कबि बि  थाणे मा नगर सेवक मुन्ना बिष्ट ,  कांदिवली मा महाराज रतूड़ी , जोगेश्वरी माँ लोली बिष्ट की सहायता बि कार ?
मि -जी कबी ना।
नेता -अरे जब ज्वा कौम  सैकड़ों मील दूर ऐक बि अपण आदम्युं सहायता नि कौर सकदी वा कौम  शिव सेना की क्या सहायता कारली ?
मि -जी फिर बि कुछ वोट त मि लाइ सकुद छौं।
नेता -ज्वा कौम प्रवास मा बि संगठित नि ह्वावो वीं कौम पर राजनीति मा क्या भरोसा करण।  जावो कॉंग्रेस या NCP मा जगा ख्वाजो।
मि -जी कॉंग्रेस अर NCP वाळ बि इनी बुलणा छन कि जौंक आपस मा ही एका नी च वूंक मुंबई मा क्या राजनैतिक बजूद बौण सकुद।
नेता -जावो जावो।  शिव सेना मा बि तुम सरीखा असंगठित लोगुं वास्ता जगा नी च।  जावो खावो अर दारु पीवो।  इख मुम्बई मा राजनीतिक पैठ बणाणो कोशिस बंद कारो।  अच्छा अब जावो!  मीम तुम लोगुं तरां फोकट मा समय बरबाद करणो टाइम नी च।
मि -जी जांदु छौं।
नेता -अच्छा सूणो ! तुम बद्रीनाथ -केदारनाथ रीजन का ही छंवां ना ?
मि -जी हाँ
नेता -यार , म्यार नौनो एक बड़ो होटल च जरा आठ दस होटल कर्मचारी तो भेजो।  बद्रीनाथ -केदारनाथ का तरफां होटल कर्मचारी बड़ा कामगति हूंदन।


Copyright@ Bhishma Kukreti  19/3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                        खाडुंदक मुर्दा उखाड़नौ भयंकर छौंपा दौड़ (प्रतियोगिता )

                           चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


   अचकाल 2014 आम चुनाव की गर्मी हमर क्षेत्र मा बि हौर जगा तरां फैलीं च।
एक पुरण पार्टी कु चुनावी एजेंट तैं लोग पुछ्दन बल - यदि तुमर पार्टी जीती जाली तो हमर क्षेत्र मा यी जु सुंगरुं  , गूणी बांदरुं  समस्या दूर ह्वे जाली क्या ?
चुनावी एजेंट चौक बिटेन मूंड मा चौढ़ जांद अर जोर की धै लगाँद - गाँव वळा ! हमारी पार्टी जनता की सेवक च अर जनसेवक हूणो नातो मी दुसर पार्टीक चुनावी एजेंट तैं पुछण चांदो कि वैक बुबान सन सैंतालीस मा अपण गौड़क  पूछ मरोड़ छौ वांक क्या हवाइ ? जब तक स्यु नि बतालु कि वीं गौड़ी पूछोs क्या ह्वे तब तलक यु निसाब नि ह्वे सकुद कि हमर गां मा भविष्य मा सुंगरुं  , गूणी बांदरुं उपद्रव कनकै रुके जावु।
गां मा जथगा बि वोटर छन अधिकतर जवान ही छन अर वूं तैं पता ही नि  छौ कि सन 1947 मा दुसर पार्टीक चुनावी एजेंटs  बुबान अपण गौडिक पूछ मरोड़ छौ।  सब तैं सुंगरुं  , गूणी बांदरुं उपद्रव रुकणै  चिंता छे तो सब लोग इना उना भगदन कि पता लगाये जावु कि आखिर सन 47 मा गौड़िक पूछ मरोड़े गे छे तो वांक क्या ह्वे।  द्वी चार दिन  तक लोग गौड़ीक पूछ मरोड़नो इतिहास खुज्याणा रैन।  जब गौड़ि पूछ मरोड़नो  बाद गौड़िक क्या ह्वे छौ त लोग दूसर पार्टीक चुनावी एजेंट मा गेन।
इख स्थानीय लोगुन दुसर चुनावी एजेंट का समिण सवाल उठायुं छौ - यदि आपकी पार्टी चुनाव जीती गे तो क्या हमर गांवक अस्पताल मा कम्पोडर अर डाकटर आला कि ना ? जब बिटेन अस्पताल खुल तब बिटेन ये अस्पतालन जाणि ही नी कि डाकटर -कंपोडर बि क्वी जीव हुँदैन।
इथगा मा दुसर चुनावी एजेंट तैं पता चल गे कि वैपर पुरण पार्टी वाळन अभियोग लगै दे तो वो मूल प्रश्न कु जबाब   दीणो जगा लोगुं तैं ही पुछण मिसे गए - तुम मि तैं पुछणा छंवां कि कबि यु अस्पताल डाक्टर -कम्पाउंडर कु मुख बि द्याखल पर तुम पुरण पार्टीक चुनावी एजेंट से प्रश्न किलै नि पुछणा छंवां कि सन 1936 मा वैक ददान गांवक रस्ता मा गांवक संडा का दांत तोड़ि छा वांक क्या हवाइ ? जब तक हमारी पार्टी तैं यु जबाब नि मीलल कि सन 36 मा गांवक संडा कु दांत टुटि छा तो वांक क्या ह्वे छौ ? तब तलक मि नि बताइ सकुद कि अस्पताल मा डॉकटर  अर कम्पाउंडर आला कि ना ?
तिसर पार्टी क चुनावी एजेंट तैं लोगुन पूछ कि हमर गां मा घट्टूं (पनचक्की ) से बिजली बणानो योजना पूरी होली कि ना ? अर ये प्रश्न सुणिक तिसर पार्टिक चुनावी एजेंट गुस्सा मा ऐ गे , वैक आँख लाल ह्वे गेन , मुखक  फ्यूण  पुछ्द पुछ्द वै चुनावी एजेंटन ब्वाल - भाड़ में जाय तुम्हारा घराटों से बिजली बनाने की योजना।  पैल चौथी पार्टीक एजेंट से पूछो कि वैक बूडददा सन 1942 मा घड्यळ छोड़िक कख गे छौ ? जागरिको बीच घड्यळ बिटेन उठिक जाण क्वी जसीली बात च क्या ?
म्यार  क्षेत्र मा सब जगा चुनावी सभा मा इनी हूणु च।
2014 का आम चुनाव मा चुनावी एजेंट से पूछे जांद कि -  गाउँ मा अंग्रेजी स्कूल हूण जरूरी छन तो हम तैं बतावो कि तुमर पार्टीक शिक्षा नीति क्या च ?
त चुनावी एजेंट कु जबाब हूंद - तेल लगाने गयी शिक्षा नीति ! पैल हम तैं इ पता लगाण जरूरी च कि सन 1972 मा गाँव क बीच मा म्वारुं  पेथण कैन फ्वाड़ ? पता च म्वारुंन पांच आदिम बुकै छा।  आज पैल समस्या च कि पता लागए जाव कि सन 1972 मा पेथण कैन फोड़ि छे ?
चुनावी एजेंट से पूछे जांद कि मनरेगा मा इथगा भ्रस्टाचार चलणु च वांक तोड़ क्या च ?
त चुनावी एजेंट कु उत्तर हूंद - मनरेगा मा भ्रस्टाचार की ऐसी तैसी।  पैल दुसर पार्टी वाळु से पूछो कि ये गां मा सन 1968 मा एक सिमळौ डाळ छौ।  सन 1968 मा वु  डाळ कैन काट ?

मि जख जाणु छौ तख एक पार्टी दूसर पार्टी तैं सवाल पुछणि छे कि बीसवीं  उन्नीसवीं सदी मा जु ह्वे छौ वांक क्या ह्वे।  पर क्वी बि पार्टी इन नि बताणी छे कि 2020 कु भारत कन ह्वालु ?
मीन गां की सबसे सयाणि  भानुमती ददि से पूछ बल - हे ददि सन 2014 का चुनाव मा सन 1936 का सवालुं जबाब ढुंढ़याणो क्या तुक ?
भानुमती ददिक उत्तर छौ -
जब नेता लोग दिमागी तौर से दिवालिया ह्वे जांदन तो वो जनता तैं भूतकाल मा लिजांदन।
जब नेतृत्व दुर्र्दृष्टि विहीन ह्वे जावो तो वू नेतृत्व असली मुद्दों तैं छोड़िक वु  नेतृत्व  भूतकाल का गड्यां मुर्दा उखाड़द  जांसे लोग भरमै जावन।
जब अफुम जबाब नि ह्वावो तो दूसरों से जादा सवाल पूछे जांदन।
जब अफु भारी पाप कर्युं हो तो अपण पाप छुपाणो बान दुसरों  पाप लोगु समिण दिखाए जांदन।



Copyright@ Bhishma Kukreti  20 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                        अडवाणी जी ! अब त मान ही जावा ना !

                         चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 ब्याळि 20  /3/2014 सुबेर बिटेन स्याम तलक टीवी मा ब्रेकिंग न्यूजुं लंगत्यार लगी राइ।  अर हरेक ब्रेकिंग न्यूज बताणी छे बल - ब्रेकिंग न्यूज! ब्रेकिंग  न्यूज ! अब अडवाणी मिलने फलां नेता बि पंहुच गये हैं। ब्रेकिंग न्यूज! ब्रेकिंग  न्यूज ! अडवाणी हैं कि फिर बी मानते नही !ब्रेकिंग न्यूज! ब्रेकिंग  न्यूज ! सबि  भाजपा नेता आज एकि जाप जपणा छन - आडवानी जी ! मान जाईये ना ! मान बि जाइये ना !
आखिर स्याम पांच छै बजी ब्रेकिंग न्यूज आयि बल अडवानी जी मान ही गये।
कै बि टीवी चैनेलन इन बताइ कि कै नेता की अडवाणी जी से क्या बात ह्वे।
मीन अंदाज लगाइ कि आरएसएस  प्रतिनिधि की अडवाणी जी से क्या बात ह्वे होलि -

आरएसएस  प्रतिनिधि- अडवाणी जी ! मि एक घंटा बिटेन बैठ्युं छौ अर आपन चाय बि नि पूछ ?
अडवाणी -मि खिन्न छौं
आरएसएस  प्रतिनिधि-मि एक घंटा से बैठ्युं छौं अर आपन एक शब्द बि नि ब्वाल।
अडवाणी -मि नराज छौं।
आरएसएस  प्रतिनिधि-पर अब तो मान जावो ना !
अडवाणी -ना मीन नि मानणै
आरएसएस  प्रतिनिधि-क्या नि मानणाइ
अडवाणी -मीन गांधीनगर लोकसभा सीट से नि लड़न
आरएसएस  प्रतिनिधि-किलै ?
अडवाणी -तुम लोग मि तैं शाहजहां बणाण पर अयाँ छंवां।
आरएसएस  प्रतिनिधि- क्या मतबल ?
अडवाणी -जन औरंगजेबन अपण बुबा तैं गद्दी से बेदखल कार  छौ तनी तुम लोग मि तैं बेदखल करणा छंवां।
आरएसएस  प्रतिनिधि- अब  शाहजहां नब्बे सालौ उमर  मा बि  तख्ते ताउस पर चिपक्युं रालो तो सहतर सालौ कु नौनु चुप बैठ्युं रौंदु ?
अडवाणी -तुमन मि तैं बलराज मधोक बणै दे।
आरएसएस  प्रतिनिधि-अब जु नेता एक बि सीट पर चुनाव नि जीति साको तो वै तैं नेपथ्य मा ही भिजण ठीक छौ।  बलराज मधोक तैं नेपथ्य मा भ्याज तो ही तो अटल जी अर तुम अग्वाड़ी आयां।
अडवाणी -तुमन मी तैं कॉंग्रेस कु केसरी बणै द्याई।
आरएसएस  प्रतिनिधि-जु समय की नजाकत  नि समझणु ह्वावो  वैक बुर्या बिस्तर भैर चुलाण ही पड़द।   
अडवाणी -तुम म्यार दगड़ इनी बर्ताव करणा छंवां जन कॉंग्रेसन महराष्ट्र  मा कॉंग्रेसन साठे दगड़ कार ।
आरएसएस  प्रतिनिधि-जु बल्द हौळ नि लगै साको वै बल्द तैं बौण भिजणि पड़द।
अडवाणी -तुमन मी तैं यीं उमर मा प्रधान मंत्री लैक नि समझ।
आरएसएस  प्रतिनिधि-क्यूँ तुमन केशु भाई पटेल कु दगड़ क्या कौर छौ ?
अडवाणी -केशु भाई इर्रेलिवेंट ह्वे गे  छा। 
आरएसएस  प्रतिनिधि-मतबल साफ़ च कि इर्रेलिवेंट नेता  तैं बनवास  लीण चयेंद ।

अडवाणी -तुम सबि  मी तैं राजयसभा भिजण चाणा छंवां ।
आरएसएस  प्रतिनिधि-त तुमन कोशियारी तैं राजयसभा मा किलै भ्याज ?
अडवाणी -कोशियारी खंडूड़ी या निशंक तैं काम नि करण दीणा छा।
आरएसएस  प्रतिनिधि-   तुम नरेंद्र मोदी तैं काम नि करण दीणा छंवां।
अडवाणी -मीन फिर बि नि मानणाइ।
आरएसएस  प्रतिनिधि-अडवाणी जी ! मि तुम तैं मनाणो बान नि आयुं छौं।
अडवाणी -तो ?
आरएसएस  प्रतिनिधि- मि  त तुम तै अल्टीमेटम दीणो अयूं छौं कि चुपचाप मानि जावो निथर राजयसभा की सीट बि नसीब नि होली।
अडवाणी -ठीक च मि गांधीनगर सीट से चुनाव लड़नो तयार छौं ।
आरएसएस  प्रतिनिधि-  गुड ! दैट्स द स्पिरिट ऑफ ऐन ओल्ड चाइल्ड !

(यदि आरएसएस प्रतिनिधि और अडवाणी जी के मध्य यह   बातचीत सचमुच में हुयी हो तो इसमें मेरा कोई दोष ना माना जाय  )
Copyright@ Bhishma Kukreti  21 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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              बिचारा सतपाल महाराजन  भूख -तिसा कब तक रौण छौ ?

                       चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

ब्याळि सतपाल महाराज भारतीय जनता पार्टीक मुंडीत मा शामिल ह्वे गेन।  सतपाल महाराज  चन्द्रवैण करणा कुण मुख्य पुरोहित राजनाथ सिंह जी छा अर उपमुख्य पुरोहित अजय भट्ट छा।  आहुति दीणो कथगा ही अन्य पुरोहित बि अयाँ छा।
कुछ  देर बाद मि तैं सतपाल महाराज की आत्मा मिल गे।  मीन आत्मा से छ्वीं बात कार।
मि -ये छोरि बैठ।  भौत दिन बाद मिलणी छे।  जरा द्वी घड़ी छवीं बात करी लींदा।
सतपालै आत्मा -नै नै मीम जादा टाइम नी च।  अबि अबि सतपाल जी भाजपा मा भर्ती हुयां छन तो पता नी मेरि कब जरूरत पड़ जाव धौं।
मि -पर राजनीतिज्ञों तैं आत्माक जरुरत त पड़दी नी च।  सब त आत्मा बेचिक बैठ्याँ छन।
सतपालै आत्मा -पण अपण बान त आत्मा की आवाज की आवश्यकता पड़दी च कि ना !
मि -अच्छा ! यी अचाणचक महाराज जी तैं भाजपा जन नॉन सेक्युलर पार्टी मा जाणै कन सूझ ?
सतपालै आत्मा -नै नै ! भाजपा नॉन सेक्युलर पार्टी नी  च। अर आज तलक महाराज जीन बुलण त राइ दूर कबि  सुपिन मा बि नि स्वाच कि भाजपा नॉन सेक्युलर पार्टी च।
मि -हाँ उत्तराखंड मा रावत जी भाजपा तैं नॉन सेक्युलर बोलि बि दींद तो क्या फरक पोड़ी जांद ?
सतपालै आत्मा -नै नै रावत जी असली सेक्युलरिज्म अर स्यूडो सेक्युलरिज्म मा फरक पछ्याणदा छन।
मि -हाँ पर सवाल त यी च ना कि रावत जीन कॉंग्रेस किलै छ्वाड़ ?
सतपालै आत्मा -कॉंग्रेस  अनदेखी करणी छे।
मि -कैक अनदेखी करणि छे? सतपाल महाराज की या अमृता रावत की ?
सतपालै आत्मा -गढ़वाल की अनदेखी सतपाल जी से नि दिखे गे।
मि -मीन त सूण कि सतपाल महाराज जी इलै खफा छा कि  कॉंग्रेसन कबि बि सतपाल जी तैं मंत्री पद नि दे।  अब द्याखो ना सत्ता का गलियारा मा कब तक रावत जी खड़ा रौंदा।  एकाद मंत्री की कुर्सी त कॉंग्रेस तैं रावत जी तैं दीण चयेणी छे।
सतपालै आत्मा -नै नै रावत जी कुर्सी का भूखा नी छन।  वो तो एक साधू किसम का मनिख छन।
मि -हाँ ! हूंद च हूंद च ! राजनैतिक अध्यात्म बि त आज सर्व मान्य संस्कृति च।  सि योगी गुरु रामदेव का बंदर नुमा उछल -कूद बि हम दिखदा ही छंवां।  गोरखनाथ महंत की अखाड़ा बाजी कु नि जाणदो।
सतपालै आत्मा -देखो तुम एक निराश कॉंग्रेसी की भाषा बुलणा छंवां।  सतपाल महाराज जी से गढ़वाल की अनदेखी नि दिखे गे।
मि -मी निराश कॉंग्रेसी नि छौं।  मी हतास गढ़वाली छौं।  कॉंग्रेस की बात छोडो , इन बतादि कि जब बि गढ़वाल मा आपदा या क्वी समस्या  आयी तो लोगुन सतपाल महाराज जी तैं गायब ही पायी।
सतपालै आत्मा -झूठ ! सतपाल जीन हर बार हरीश रावत तैं मुख्यमंत्री कुर्सी से दूर राख . गढ़वाल की यांसे बड़ी क्या सेवा ह्वे सकद ?
मि -हमकुण हरीश रावत क्वी समस्या नि छे।  उलटां इम्पोर्टेड बहुगुणा समस्या छे।
सतपालै आत्मा -नै नै कॉंग्रेसन गढ़वाल की अनदेखी कार।
मि -ठीक च कॉंग्रेसन गढ़वाल की अनदेखी कार तो तुमारी अमृता रावत तो पर्यटन मंत्री छे।  वीन कौन सा भद्वाड़ खोदि कि तुमर रावत जी कॉंग्रेस पर गढ़वाल की अनदेखी का अभियोग लगाणा छंवां ?
सतपालै आत्मा -नै नै सतपाल जी , कॉंग्रेस राज मा गढ़वाल मा विकास नि हूण से बहुत ही व्यथित छा।
मि -ह्यां सवाल या च कि जब अमृता रावत हॉर्टिकल्चर मिनिस्टर च तो और ना सै  अमृता जी हॉर्टिकल्चर विकास से ही दिखै दींदी कि गढ़वाल कु कनो विकास करे जांद ?
सतपालै आत्मा -बिलकुल गलत।  कॉंग्रेस द्वारा गढ़वाल की अनदेखी से ही सौ . अमृता रावत अपण काम ठीक से नी कौर सकणी च।
मि -मीन सूण हॉर्टिकल्चर मा फर्जी दस्तावेज कु क्वी प्रकरण बि ह्वे बल जख मा इन बुले जांद बल अमृता जीको ख़ास आदिम फंस्युं च बल ?
सतपालै आत्मा -यी सब विरोधी पार्टी भाजपा कु बरगल दुस्प्रचार च।
मि -भाजपा कु दुस्प्रचार ?
सतपालै आत्मा -सॉरी ! यु सौब सतपाल जीक विरोधी खेमा की सतपाल जी तैं बदनाम करणै कुचक्र च।  नरेंद्र मोदी इस कुचक्र को कुचल डालेंगे।
मि -नरेंद्र मोदी सौ अमृता रावत को बचा लेंगे ?
सतपालै आत्मा -हाँ !
मि -एक बात बतादि तू त आत्मा छे फिर इन झूटी बात बुलद शरम नि आणि त्वे कि सतपाल महारज कॉंग्रेस द्वारा  गढ़वाल की अनदेखी से दुखी थे।  सच किलै नि बुल्दी कि सतपाल महाराज तैं सत्ता लोभ, मुख्यमंत्री की गद्दी की चाह ही  भाजपा मा रगोड़िक लाइ? कब तलक सत्ता की लब्सी -खीर से सतपाल महाराज दूर रै सकदा छा ! कब तक भूक -तिसा रौंदा हमारा आध्यात्मिक गुरु ?
सतपालै आत्मा -अब मी जब राजनीतिक आत्मा छौं तो झूट बुलण, अंट संट बुलण  ही म्यार चरित्र ह्वे गे।  राजनीतिज्ञों आत्मा बि अब दूषित ह्वे गे।

Copyright@ Bhishma Kukreti  22 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

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                           क्या  विजया बड़थ्वाल तैं भाजपा टिकेट मिलण  अतिक्रमण नि छौ ?

                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )           

ब्याळि 22 -3 -2014 कुण टीवी मा भाजपा का बुजर्ग नेता जसवंत सिंगक बयान सूण बल भाजपा मा अतिक्रमण हूणु च अर जसवंत  दुखी छन कि जौन भाजपा बान संघर्ष कार वूंकि अनदेखी हूणी च।
ह्वे सकद च कि जसवंत सिंग जी सही ह्वावन बि !
पण यदि भूतपूर्व कुंवर तैं भाजपा से टिकेट मिल जांद तो वू अतिक्रमण मान्य छौ।
जसवंत सिंग से सवाल कर्यांद बल जब तुमन पिछली बार पश्चमी बंगाल दार्जिलिंग लोक  सभा पर चुनाव लौड़ अर जीति बि गेवां तो क्या वो स्थानीय नेतृत्व पर तुमारो अतिक्रमण नि छौ ? क्वी पूछो तो सै कि भाजपा  वास्ता दार्जिलिंग सीट एक सेफ सीट छे। याने कि दार्जिलिंग मा भाजपा का स्थानीय कार्यकर्ता अर नेता सुपर ऐक्टिव छन तभी तो वा सीट सेफ च।  अर यां पर जसवंत सिंग तैं पिछली लोक सभा कु टिकेट दिए गे।  तो जसवंत भाया ! क्या दार्जिलिंग मा भैरो नेताक चुनाव लड़न दार्जिलिंग का स्थानीय नेताओं पर खुले आम अतिक्रमण नि छौ ?
वाह ! बाड़मेर का कुवर ! जब तुम अतिक्रमण कारो तो वो मान्य अर जब क्वी हैंक अतिक्रमण कारो तो वो अमान्य ? दुसरो अतिक्रमण अन्याय अर अपण अतिक्रमण न्याय , जसवंत सिंग साहेब ! यु कखक न्याय च भै ?
जसवंत  सिंग जी ! जब तुमन खुलेआम अपण किताब मा जिन्ना की तारीफ़ कार अर अपरोक्ष रूप से राजा -महाराजाओं की वकालात कार , स्वतंत्रता आंदोलन का कॉंग्रेसी नेताओं की काट कार तो मिस्टर जिन्ना लवर ! मिस्टर जसवंत सिंग तब जब तुमन देश का साथ एक तरां  कि गद्दारी ही कार तो तब तुमारा जजबात कख मोर्यां छा भाया ?
वाह डियर जसवंत ! व्हट ए हिपोक्रेट यू आर ! कितना ढोंगी हो तुम जसवंत सिंग !
हे  भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री ! तुम कथगा पाखंडी छा यी आज दिखेणु च।  याद दिलाये जाव जब  बारा साल पैल तुमन याने  भाजपान सन 2002 मा पौड़ी गढ़वाल कु यमकेश्वर चुनाव  क्षेत्र से श्रीमती विजया बड़थ्वाल तैं विधायक कु टिकेट दे तो तुम्हारा अतिक्रमण वाळ सिद्धांत कै कूण पड्यूं छौ।  विजया बड़थ्वाल याने  वूंक पति श्री चंद्रमोहन बड़थ्वालन तो भाजपा मा कबि बि काम नि कार छौ।  स्व चंद्रमोहन बड़थ्वाल तो जनमजाति कॉंग्रसी छ्या।  फिर यमकेश्वर का सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं की अनदेखी किलै करे गे छे ? पाखंड का देवाधिदेव व जसवंत सिंग ! जरा जबाब तो द्यावा कि श्रीमती बड़थ्वाल कु भाजपा तो छ्वाडो उत्तराखंड आंदोलन मा क्या योगदान छौ या यमकेश्वर चुनाव क्षेत्र मा तब विजया बड़थ्वालन क्या काम कौर छौ जु श्रीमती बड़थ्वाल तैं भाजपा का टिकेट दिए गे छौ ? ढोंगी महाराज ! क्या विजया बड़थ्वाल तैं टिकेट दीण अतिक्रमण नि छौ ?
हे कुतर्क का बादशाह ! जब तुमन कॉंग्रेसी नेता मेजर जनरल टीपीएस रावत तैं भाजपा का टिकेट दे छौ तो क्या वो इंक्रोचमेंट नि छौ ?
यशवंत सिन्हा , धर्मेन्द्र , विनोद खन्ना , चेतन चौहान ,  जेठमलानी , आदि पैराशूटी कंडीडेट्स कु भाजपा मा आण क्या सीधा अतिक्रमण नि छौ ? तब  तुमारी टुटकी कख छे हुईं ? तब तुमारी निपल्टी कख छे हुईं ?
जब तलक तुम तैं टिकेट मिलणु राइ तुम तैं भाजपा मा अतिक्रमण जायज लग अर जनि तुमर टिकेट कट कि भाजपा मा अतिक्रमण नाजायज ह्वे गे ? भूतकाल मा भाजपा मा चुनावक बगत भौत बार अतिक्रमण ह्वे अर तब तुम बि भाजपाई हाई कमांड का एक हिस्सा छा। द्वीमुख्या सांप की बोली बुलण वाळ जसवंत सिंह जी ! अतिक्रमण का सिद्धांत चिणन वाळ  ओडुं मा तुम बि एक ओड छंवां तो अतिक्रमण की आलोचना तुमर गिच से शोभा नि दींदी।
जसवंत सिंह ! तुम प्रजातंत्र का एक कोढ़ी चेहरा छंवां ! तुम प्रजातंत्री ढोंग , जम्हूरियत मा पाखंड , डेमोक्रसी मा फरेब की जीती जागती मूर्ति छंवां। तुमर  सरीखा ढोंगी , पाखंडी , फरेबियों का कारण हमारो प्रजातंत्र बार बार खतरा मा आंद।



Copyright@ Bhishma Kukreti  23 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

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 -                                      पेड मीडिया कु कारोबार याने बिके हुए पत्रकार

                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 


ब्याळि म्यार एक दगड्यान बोलि बल स्थानीय केबल टीवी ऑपरेटरक इख राजनीतिक विश्लेषकों कि भर्ती खुलीं च त ये भीषम तू बि भर्ती ह्वे जा। केबल ऑपरेटर म्यार ख़ास दगड्या च।
मीन स्वाच कुछ  नी च तो बाछीक काँध ही मलासे जाव। मि स्थानीय केबल ऑपरेटोरौ कार्यालय ग्यों अर मालिक तैं मीलु।
मि -आपक दगड्यान बताइ कि आप स्थानीय न्यूज ब्रॉडकास्ट करदा अर लोक सभा चुनावों वास्ता तुम तैं पोलिटिकल ऐनालिस्टुं जरूरत च। 
  केबल ऑपरेटर मालिक -ठीक च तुम भर्ती ह्वे जावो। दस मई तक काम करो अर खूब पैसा बणाओ !
मि - पर मि तैं अनबायस  पोलिटिकल कंमेंट्री अर एनेलिसिस कु  अनुभव नी च।
मालिक  -त्वै तैं लगद च कि रास्ट्रीय अखबारों या टीवी चैनेलों का राजनैतिक विश्लेषकों तैं कुछ आंद च ?
मि -एमजे अकबर कु भाजपा मा जाण , आशुतोष आदि कु आप पार्टी मा जाण से त लगद कि यी बस राजनैतिक महत्वाकांक्षा पाळी बैठ्या छा।
मालिक  -अर टीवी शो मा चमकता -दमकता मराठी पत्रकार कुमार केतकर का तर्क से क्या लगद ?
मि - साफ़ लगद कि कुमार केतकर टीवी शो मा आण से पैल  कॉंग्रेसक ड्यार बिटेन खट्टू पऴयो खैक आंद।  यदि राहुल गांधी बाबा विश्वनाथ का दर्शन करद तो महान पत्रकार केतकर का वास्ता गांधी परिवार की धर्म मा आत्मिक रूप से आस्था कु परिचायक च।  यदि नरेंद्र मोदी बाबा विश्वनाथ का दर्शन कारो तो कुमार केतकर की शब्दावली मा यु एक कुकृत्य अर आरएसएस द्वारा हिन्दू भावना भड़काणै कोशिश च।         
मालिक  - टीवी शो मा प्रखर , प्रख्यात पत्रकार विनोद शर्मा का टीवी शो वाचन तै देखिक क्या लगद ?
मि -इन लगद कि जन बुल्यां ये परमतपी पत्रकार तै कॉंग्रेस मर्च खलैक टीवी शो मा भिजदी।  हरेक बगत कॉंग्रेस की लाल करद अर भाजपा क हरेक कार्य तैं नरकगामी बतांद।
मालिक  -फिर पत्रकारिता तैं एवरेस्ट मा पौंछाण वाळ  विनोद मेहता का वाच -वचन से क्या लगद ?
मि -  साफ़ लगद कि यु विनोद मेहता याने भारत पत्रकारिता कु एकमेव  रत्न , अमर पत्रकार राहुल गांधी या केजरीवाल कु सलाहकार च।
मालिक  -स्वपन दास का आर्ग्युमेंट्स से क्या लगद ?
मि -लगण क्या च सब तैं इनी लगद कि स्वपन दास भाजपा मा नौकरी करद अर क्या ?
मालिक  -अर प्रभु चावला , दिबांग या पुण्य प्रसून वाजपेई सरीखा डिबेट ऐंकरूँ बारा मा क्या ख़याल च।
मि - पैल त मि समझदो छौ कि टीवी मा  न्यूट्रल एंकर   हूंदन पर अब आशुतोष कु आप पार्टी ज्वाइन करण से लगद कि हरेक ऐंकर राजयसभा जाणो बान पत्रकारिता मा च।  मि तैं इन लगद कि हरेक बड़ा पत्रकार कु स्वार्थ कै ना कै राजनीतिक पार्टी से जुड्यूं च।     
मालिक  -वेरी गुड एनेलिसिस ! पुष्पेश पंत कु बारा मा क्या ख़याल च ?
मि -बिचारा सन 1969 की वामपंथी पत्रकारिता से भैर ही नि आणा छन।  आइ थिंक सच जौरनेलिस्ट्स आर स्पेंट फोर्सेज।
मालिक  -वेरी वेल ! तो एक काम कारो।  प्वारम राजनीतिक पार्ट्यूं ऑफिस छन।  उख जावो एक पार्टी से द्वी करोड़ रुप्या लेक आवो।  पंद्रा पर्सेंट तुम रख लेन।
मि -   द्वी करोड़ रूप्या ? 
मालिक  -हाँ ज्वै बि पार्टी तुम तैं द्वी करोड़ रुपया दीणो  तैयार ह्वै जाव तुम म्यार केबल टीवी मा वीं पार्टीक गुण गान करो अर विरोधी पार्टी का विरुद्ध भयंकर विष वमन करो।
मि -पर द्वी करोड़ ?
मालिक (पर्दा हटैक एक हाल दिखांद )  -वू द्याखो हरेक संसदीय क्षेत्र से हरेक पार्टी का पेड़ पोलिटिकल ऐनेलिस्ट्स बैठ्याँ छन।  यी सब कै ना कै पोलिटिकल पार्टी से दुदु करोड़ लेक अयाँ छन अर म्यार स्थानीय केबल चैनेल मा एफिलिएटेड पोलिटिकल पार्टी का भजन कीरतन करणा छन। 
मि -   पर पत्रकारिता मा बि आत्मा विक्री ?     
मालिक  -अब तो कैपिटिलज्म का बोल बाला है।  आत्मा क्या जीवात्मा भी बिकती है। खुलेआम पत्रकारिता बिकती है।
मि -मि सोचिक बतांदु।
मालिक  -ठीक च स्याम दैं बताइ दे कि तू अपण आत्मा बिचणो तयार छे कि ना?
मि -  जी !
अबि तक मेरी आत्मा गवाह नि दे सकणी च कि मि अपण आत्मा बेचूं कि ना ?
क्या आप सलाह से सकदां कि मि बि यूँ बिक्यां पत्रकारुं अर ऐंकरुं तरां अपण आत्मा कै पोलिटिकल पार्टीक इख गिरवी धौरिक ऐ जौं ? शुड आइ और शुड आइ नौट  ?


   
Copyright@ Bhishma Kukreti  24 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                         माओ वादी केजरीवाल कु किसान प्रेम एक बड़ो पाखंड !
     
                                     भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 

       ना जी ना ! मि भाजपा ख्वाळक न्यूतेर नि छौं जु भाजपाक पूरी-परसाद खैक भयंकर बामपंथी केजरीवाल पर तीर -बरछा चलौं ।
 बिलकुल ना ! मी कॉंग्रेस कु पौण बि नि छौं जु लेफ्टिस्ट अरविन्द केजरीवाल तैं गाळि बि द्यूं अर समर्थन बि कौरुं।
ना ही मि विनोद बड़थ्वाळौ बुलण पर समाजवादी पार्टीक तरफन मार्क्सवादी  केजरीवाल की काट कौरुं !
अजी सवाल ही पैदा नि हूंद कि मि  लटमुंडऴया  अन्ना हजारे कु इशारा पर कबि बि माओवादी केजरीवाल पर कीच कजीर लपोडुं !
मि त एक विकास प्रेमी छौं जु कारखाना खुलण तै भारत मा आर्थिक क्रांति का सूत्र समझदु। म्यार मानण च कि यदि भारत मा अगला पांच सालुं मा कारखाना खुलण मा आतासीत वृद्धि नि होली तो भारत पर आर्थिक बिपदा ही ना रक्षा विपदा बि आली।
अब द्याखो  बामपंथी बिचारधारा का पुजारी केजरीवाल नरेंद्र मोदी पर हमला करणो बान इन बात बोलणु च जैं विचारधारा से उद्योग वृद्धि मा रुकावट आण वाळ च।  कजीर फेंकू केजरीवाल बुलणु च बल मोदीन किसानु जमीन लूठ अर उद्योग धंदा खोलिन।  याने कि कीच फेंकू अरविन्द केजरीवाल कु मानण च बल उद्योग खुलण ही नुकसानदेय च।
आज महाराष्ट्र अर गुजरात द्वी इन प्रदेश छन जख सबसे अधिक कारखाना अर कामका निर्यात बंदरगाह छन। उत्तर भारत -पूर्वी भारत का  प्रवासयुं तैं अपण राज्य से अधिक रोजगार महाराष्ट्र अर गुजरात मा मिलद।
यदि महाराष्ट्र अर गुजरात मा कारखाना खुलिन तो अवश्य ही कारखाना खुलणो बान कृषि जमीन की आवश्यकता पोडि होलि अर किसानुन जमीन बेचीं होलि।   महाराष्ट्र अर गुजरात मा उद्योगूं बान किसान -उद्योगपत्यूं बीच सबसे कम खट -पट हूंद। याने कि महाराष्ट्र -गुजरात का लोग जाणदा छन कि यदि उद्योग धंदा खुलण तो कृषि भूमि पर अतिक्रमण आवश्यक च।  जरा उत्तराखंड मा उद्यम विकास द्याखो तो समज मा ऐ जालो कि यदि उत्तराखंड मा उद्योग विरोधी माओवादी सोच हूंद तो तराई -भाभर मा उद्योग खुल ही नि सकद छा।
 सनसनी मा विश्वास करण वाळ अर सनसनी से ही टीआरपी बढ़ाण वाळ भारतीय मीडिया बि अमेरिकी परस्त किन्तु हिंसा मा विश्वास करण वाळ माओवादी विचारधारा का पोषक अरविन्द केजरीवाल , प्रशांत भूषण , मेधा पाटकर की नीतियों तैं बढ़ै चढैक प्रसारित करणा छन। " उद्योग के लिए किसानो खेत लिए जा रहे हैं " नारा ही भारत का वास्ता खतरनाक नारा च।  क्या बगैर ख़ेतुं हस्तानंतर से कल कारखाना खुल सकदन।  नही ! कल कारखाना खुलण त खेती की कुछ जमीन जाली ही।
जरा  हम भारत का वास्ता नुकसानदेय माओवादी विचारधारा का लेखा -जोखा पश्चिम बंगाल मा देखवां ! मि सन 1976 मा मर्फी मा लग छौ अर उपभोक्ता खर्चा करणै शक्ति का हिसाब से तब पश्चिम बंगाल  नंबर एक परदेश छौ।  किन्तु म्यार दिखद दिखद माओवादी विचारधारा का पोषक कम्युनिस्ट शाशन मा पश्चिम बंगाल एक पिछड्यू प्रदेस  ह्वे गे। जख 1970 तक उद्यम फलणा छा , लोगुं तैं रोजगार मिल्दो छौ उख पश्चिम बंगाल की घोर माओवादी विचारधारा वाळ  सरकारन उद्योग चौपट करिन अर रोजगार पाणो दरवाजा बंद करिन।  ममता बनर्जी बि माओवादी ख्वाळ की ही च।  टाटा मोटर्स कारखाना  बंद कराण मा वी तैं वोट अवश्य मीलि होला किन्तु बंगाल मा टाटा मोटर्स कारखाना बंद हूण से जु नुक्सान पूर्वी भारत तैं ह्वे वांक भरपाई आण वाळ बीस सालों मा बि क्या ह्वाल।
माओवादियुं  किसान प्रेम एक छल च , छलावा च , छद्म च ।
उद्योग  खुलण भारत का वास्ता एक प्रमुख आवश्यकता च अर वांक वास्ता ख़ेतुं त्याग तो करण ही पोड़ल।
माओवादी विचारधारा का पोषक केजरीवाल , प्रशांत भूषण , मेधा पाटकर आद्युं फोकट का , दिखाणो बान , बोट पाणो बान किसान प्रेम अवश्य ही राष्ट्र का वास्ता एक धोखा च।  मेरी अपणी सोच च कि हरेक भारतीय तै यूं  धोखेबाज माओवादियों से दूर रौण पोड़ल अर माओवादियों का  भकलौण मा नि आण चयेंद । 


Copyright@ Bhishma Kukreti  25  /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 



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                                  ममी ! वु कॉंग्रेसी अंकल अर स्या आंटी खड़ हूणो तयार इ नि छन !

                                                  चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 


अजकाल मीडिया मा रोज धै लगणि छन , जोर की छ्वीं चलणि छन , सन्जैत चौंतरा (चौपाल ) मा चर्चा छन , चाय की दुंकान्युं मा चकचक हूणी छन , बल सन 2014 का लोकसभा चुनाव हारणौ डौरन भौत सा हैवी  वेट यानी नामी गिरामी बड़ा कॉंग्रेसी नेता चुनाव ही नि लड़न चाणा छन।  कति त बल अंडरग्राउंड ह्वे गेन।  यीं समस्या पर  सोनिया गांधी अर राहुल बाबा मा , अहमद पटेल का मध्य चिंतन , मनन , विचार विमर्श,  अवश्य ही ह्वे होलु।  मीन चिंतन कार , मीन कल्पना कार , मीन घड्याइ , मीन स्वाच कि द्वी ब्वे -बेटाs मध्य कौंग्रेसियुं चुनाव नि लड़न पर क्या बातचीत ह्वे होलि।
  राहुल -ममी ! दिस इज नॉनसेन्स ! अटर नॉनसेन्स !
सोनिया -बाबा मीन कथगा दै बोलि याल कि रोड शो करद या ईंटक  भट्टा मिल मा शो का बगत एयर कंडीशनर नि लग सकदन।
राहुल -ममी! अबै दैं वा समस्या नी च। अब मि बगैर एयर कंडीशनरक रोड शो अर डाळ तौळ बैठ सकुद छौं।
सोनिया -त बाबा ! तीन गलती से मेड इन फ़्रांस की जगह इन्डियन मिनरल वाटर त नि प्यायी ?
राहुल -कै कॉंग्रेसीक  हिम्म्त च जु इन्डियन मिनरल वाटर पिलाओ।
सोनिया -त बाबा क्या गर्मी भौत बढ़ गे ?
राहुल -नही ममी! दिग्गी अंकल बि बुलणा छा बल ,"अब राहुल बाबा तै गर्मी सहन करणै आदत पोड़ी गे। "
सोनिया -बाबा ! क्या मौत का सौदागरन चिरडै दे कि हार का डर से मीन त्वै तैं प्रधान मंत्रीक उम्मीदवार नि घोषित कार ?
  राहुल -ओ ममी ! डाकटरन डिक्लेयर कौरि याल कि अब मी तैं नरेंद्र अंकल का भाषणु से डौर नि लगद पर भंयकर गुस्सा अवश्य आंद।  बाइ द वे ममी ! यु गुस्सा क्या हूंद ?
सोनिया -जब आदिम दिस इज नॉनसेन्स ! अटर नॉनसेन्स ! बुलण लगद तो वु ही गुस्सा हूंद।
राहुल -ओ ! एस ! मि तैं हमर बणयां  कॉंग्रेस का हैवी  वेट नेताओं पर गुस्सा आणु च।
सोनिया -बाबा ! गुस्सा विरोधी पार्टी पर आंद।
राहुल -हाँ , ममी ! हेरक हैवी वेट कांग्रेसी नेता विरोधी दल की भूमिका निभाणु च।
सोनिया -बाबा ! ह्वाइ क्या च ?
राहुल -मीन वैदिन जगदम्बिका पाल अंकल कुण ब्वाल कि तुम तैं चुनाव लड़न तो वु वैदिन बिटेन नरेंद्र मोदी अंकल की प्रशंसा करण लगि गेन।
सोनिया -हूंद च बाबा ! हरेक कॉंग्रेसी चांद कि नेहरू खानदान वूं तैं नेता बणाव।
  राहुल -ऊनि सतपाल चचा कुण ब्वाल कि पौड़ी क्षेत्र से नामांकन भर तो सतपाल अंकल भाजपा सदस्यता का फॉर्म भौरिक ऐ गेन।
सोनिया -मेनी कौंग्रेसीज आर मीन।
राहुल -अब चिदम्बरम अंकल कुण ब्वाल कि नामांकन भारो अर सरा तमिल नाडु मा टूर कारो , चुनावी बिगुल बजावो।  पता च ऊँन क्या ब्वाल ?
सोनिया -क्या
राहुल -सब तैं पता च कि चिदम्बर अंकल निर्दलीय चुनाव मा नि जीत सकदन फिर बि मीन चिदंबर अंकलन ब्वाल बल नौ दैं चुनाव लड़द लड़द थकी ग्यों।  नाउ आइ वांट अ रेस्ट फौर फाइव इयर्स।  सच ये मीन हैवी वेट कॉंग्रेसी! 
सोनिया -बाबा इन गुस्सा चुनावी भाषणु मा दिखा।
राहुल -त्यार बुलण पर मनमोहन अंकलन आनंद शर्मा तैं मंत्री बणै छौ।
सोनिया -बाबा ! आनंद शर्मान टीवी चैनेलों मा मेरी भौत बड़ै कौर छे तो इन चारण लोगुं तैं मंत्री पद दीण जरुरी हूंद।  याही त हमारी कॉंग्रेस की खानदानी परम्परा च।
  राहुल -ममी मी तैं पता च कि हमर इक इनी हूंद।  म्यार काका संजय का तो नारायण दत्त तिवाड़ी सरीखा बड़ा मुख्यमंत्रीन  बीच सड़क मा चप्पल उठांडा छा. पर ममी मीन जब आनंद शर्मा जी कुण ब्वाल कि हिमाचल से पर्चा भारो तो पता क्या बुलण बिसेन ?
सोनिया -क्या ?
राहुल -बल मि त कॉंग्रेस मा इलै ही छौं कि मी तैं राज्य सभा कु टिकेट मीलल।
सोनिया -हाँ बाबा ! अधिकतर कॉंग्रेसी मिनिस्टर अफीक अपड बल पर ग्राम पंचायत या नगर पालिका का टिकेट नि जीती सकदन।
राहुल -किन्तु ममी ! अब जब जरुरत च तो मनीष तिवारीन हार्ट ट्रबल की बीमारी का सौ सर्टिफिकेट दिखै देन।
अहमद पटेल - प्रिंस ! यु समय कॉंग्रेसी नेताओं तै पुळयाणो च।
सोनिया -हाँ।  ठीक च उन समय पर यी कॉंग्रेसी हमर खुट मा पड़दन किन्तु ये समय पर हम तैं झुकण पोड़ल।
राहुल -मतलब गांधी परिवार तैं कॉँग्रेस्युं खुट मा पोड़न पोड़ल ?
सोनिया -ओह नो सनी ! हम तै ऊंक खुट मा मुंड नि धरण पोड़ल अपितु पुळयाण पोड़ल , पुचकारण पोड़ल।
राहुल - अहमद अंकल ! पुळयाण पोड़ल , पुचकारण पोड़ल क्या हूंद।
अहमद पटेल - प्रिंस ! जन तुम अपर टॉमी डॉग या पुस्सी कैट तै पुळयांदा कि ना ?
राहुल -ओ ! प्यार का दो शब्द बुलण ।  तो ठीक च जरा अम्बिका सोनी आंटी तैं फोन लगावदि।
राहुल फोन पर - आंटी मि राहुल बुलणु छौं।  ममी की इच्छा च कि तुम आंनदपुर साहिब से चुनाव लड़ो। क्या तुम ममी से मिलणो आणा छंवां।  ठीक च।
राहुल फोन पर - अमरेंदर अंकल ! ममी की हार्दिक इच्छा च कि तुम लोकसभा मा आवो. क्या तुम ममी तैं मिलणो दिल्ली आणा छंवां।  ठीक च आवो।
अहमद पटेल - प्रिंस ! बड़ोदा बिटेन नरेंद्र रावत कु फोन च।
राहुल फोन पर - हाँ रावत जी ! क्या तुम से नरेंद्र मोदी का विरुद्ध चुनाव नि लड़े सक्याण ? ठीक च मी मधु सुदन मिस्त्री तैं ऑडर दींदु कि नरेंद्र मोदी का विरुद्ध चुनाव लड़ो।
राहुल फोन पर - हेलो ! दिग्विजय अंकल ! वु बनारस से नरेंद्र मोदी का विरुद्ध चुनाव लड़नो विषय मा क्या स्वाच ? क्या ? आप भोळ चौथू ज्योतिषी मा टिपडा दिखाणा जाणा छंवां ? एक मिनट हाँ ममी दगड़ बात कारो।
सोनिया फोन पर -दिग्विजय जी ! ज्योतिषी से टिपड़ा दिखाणो जरुरत क्या च ? रिजल्ट त हम तैं पता च।  अच्छा अच्छा हाँ फिर ठीक च , त भोळ टिपडा दिखाणो बाद इख आणा छंवां। ठीक च ठीक च
राहुल -ममी दिग्गी अंकल ज्योतिषी से क्या पुछणो जाणा छन ?
सोनिया -दिगविजय सिंग गी जी यी जाणन चाणा छन कि नरेंद्र मोदी का विरुद्ध चुनाव मा जमानत बची जाली कि ना ?

Copyright@ Bhishma Kukreti  26 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                                           मेनिफेस्टो माने  ज़िंदा वोटरूं तैं श्रद्धांजली दीणै बोगस परम्परा   

                                                 चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 

 मास्टर जी - यो निर्भाग्युं कख मोर्यां छा ? इंटरवल आधा घंटाक हूंद अर तुम अब आणा छा ? कख छे तुमरि निफ़्ल्टि लगीं ?
एक स्कुल्या - मासाब ! आज मेनिफेस्टो मेनिफेस्टो जन मजाकिया खेल खिलणा छा त अबेर ह्वे गे।
मास्टर जी - चलो मोरो ! अपण अपण सीटुं मा मोरो।
मास्टर - अब क्यांक विषय च ?
सबि स्कुल्या - निंबंध ।
मास्टर - ठीक च आज हम मेनिफेस्टो पर ही निबंध लिखला।  तो पैल हम तैं पता हूण चयेंद कि मेनिफेस्टो क्या च ? मेनिफेस्टो कु  उद्येश्य क्या च , कैकुण मेनिफेस्टो हूंद? , मेनिफेस्टो कख लागू हूंद ?मेनिफेस्टो कु तयार करद अर क्या हूंद ?
सबि स्कुल्या - मासाब ! भलो भलो ! हम तैं सब पता च मेनिफेस्टो क्या हूंद।
मास्टर - हाँ त तू बोल मेनिफेस्टो की परिभाषा हूंद ?
एक स्कुल्या - मेनिफेस्टो एक इन दस्तावेज हूंद जांसे राजनीतिक पार्टी खुलेआम मतदाताऊं दगड़  लिखित हंसी -मजाक , मसखरी , चबोड़ , चखन्यौ  करदन।
हैंक स्कुल्या -म्यार हिसाब से राजनीतिक पार्ट्यूं द्वारा मेनिफेस्टो लोकार्पण इनी च जन हम अपण ब्वे -बुबा मुरण पर मुण्ड मुंडेदा पर ना त पंडित तै पता हूंद अर ना ही मुंड्याण वाळ तै पता हूंद कि मुंडन अर छुपल पैरण कु मकसद क्या च ? बस लोग मुंड्यांद छन इनी राजनीतिक पार्ट्यूं द्वारा मेनिफेस्टो   बस छपाये जांद।
हैंक स्कुल्या - मेनिफेस्टो प्रकाशन इनी च जन मृतक तैं   श्रद्धांजलि दींणो बान पंजाबी -सिंध्युं मा चौथ या राजस्थानी -गुजरात्युं मा बैठक -बेसाणा जन एक कार्यक्रम हूंद।  ज़िंदा वोटरूं तैं श्रद्धांजलि दीणो परम्परा तै मेनिफेस्टो रिलीज  बुल्दन।
मास्टर - मेनिफेस्टो कु ख़ास ख़ास उद्येश्य क्या क्या हूंदन ?
एक स्कुल्या -मेनिफेस्टो तैयार करण अर मेनिफेस्टो रिलीज करण महज एक चुनावी परम्परा च।
हैंक स्कुल्या -मेनिफेस्टो रिलीज एक उद्येश्यहीन कार्यक्रम च। जन कि हम लोग अपण बूड -खूडूं तै बस दिखाणो सिवा लगाणो ऐक्टिंग करदा , नलटन करदां ऊनि मेनिफेस्टो महज एक चुनावी ड्रामा च।
हैंक स्कुल्या - मेनिफेस्टो रिलीज से कार्यकर्ताओं मा शायद एक ऊर्जा आंदि होलि।
हैंक स्कुल्या - उद्येश्यहीन उद्येश्य प्राप्ति का वास्ता उद्येश्यहीन परम्परा कु क्वी उद्येश्य ही नी च।  दस अप्रैल 2014 कुण आम चुनाव शुरू ह्वाल अर अबि तलक भाजपान अपण चुनावी घोषणा पत्र जारी ही नि कार. याने चुनावी घोषणा पत्र महज एक खानापूरी कु ढोंग मात्र च।
मास्टर - चुनावी घोषणा पत्र कु तैयार करद अर यांकी क्या प्रक्रिया च ?
एक स्कुल्या - पैल त सन 2002 तक पोलिटिकल पार्टी सन 1952 का कैबि मेनिफेस्टो की नकल कौर दींद छा पर अब अमेरिका रिटर्न  एमबीए भारतीय युवा राजनैतिक पार्ट्यूंक मेनिफेस्टो रिलीज करदन। याने झोलाछाप डाकटर मरीजुं इलाज का वास्ता किताब लिखदन।
हैंक स्कुल्या - एक हैंकाक नकल करिक मैफेस्टो तैयार हूंद जन कि अबि कॉंग्रेसन मोदी कु गुजरात चुनावक मेनिफेस्टो का द्वी चार आश्वासनों की पूरी नकल करी दे।  अमेरिका रिटर्न झोलाछाप एमबीएयूँ तैं नकल करण बि नि आंद।
मास्टर - चुनावी घोषणा पत्र से क्या क्या लाभ छन ?
एक स्कुल्या - अमेरिका रिटर्न झोलाछाप एमबीए वाळु तैं नौकरी मिल जांद।
हैंक स्कुल्या -टीवी चैनेल वाळु कुण टीआरपी बढ़ाणो बान एक नुक्सा च।  मेनिफेस्टो पर बहसबाजी का वास्ता पत्रकारों तैं मुवावजा प्राप्त करणो एक जरिया या साधन च। मेनिफेस्टो टीवी का दर्शक या अखबारों पाठकों बान उद्येश्यहीन मनोरंजन कु साधन च।
हैंक स्कुल्या - प्रिंटरूं तैं काम मिलद।
हैंक स्कुल्या - चूँकि चुनावी घोषणा पत्र पार्टी ऑफिस मा ही सड़ जांदन तो धिवड़ याने दीमक आदि कीड़ों वास्ता एक बहु  विटामिन अर हार्मोन्स युक्त भोजन च अर मेनिफेस्टो मूसों कुण आपदा -विपदा कु भोजन बि च।
हैंक  स्कुल्या - चुनावी घोषणा पत्र रद्दी वाळु कुण प्रोफिट कमाणो एक साधन च।  किलैकि आम जनता का वास्ता चुनावी घोषणा पत्र रिलीज नि करे जांद बल्कि पत्रकारो मा बांटे जांद अर अधिकाँश मेनिफेस्टो रद्दी की दुकानु की शोभा बढ़ान्दन ,
मास्टर -आम जनता अर चुनावी घोषणा पत्र कु आपस मा क्या संबंध च ?
एक स्कुल्या - जन कनाडा मा जादा बरफ गिरण इख भारतीयों का वास्ता सिरफ एक न्यूज या समाचार च ऊनि राजनीतिक पार्ट्यूं मेनिफेस्टो रिलीज आम जनता का वास्ता केवल एक समाचार च बस।

Copyright@ Bhishma Kukreti  27 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

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                                          म्यार बाळ रिसेसन का शिकार छन

                                             चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 


अचकाल अर्थशास्त्र याने इकोनोमिक्स कु प्रभाव हम पर इथगा ह्वे गे कि हमर बोलचाल मा इकोनोमिक्स का मुहावरा याने अर्थशास्त्रीय जुमला भरे गेन।
जन कि परसि मि डाकटरम ग्यों त मीन ब्वाल -डा साब म्यार म्यार बाळ द्याखदि।
डाकटर कु जबाब छौ - तुमर बाळ रिसेसन का शिकार ह्वे गेन अर मि इनफ़्लेसन कु इंजेक्सन लगै द्युन्द।
हमर मुम्बई मा एक पुंडीर जी छन , सामजिक कार्यकर्ता छन अर जब बि सभा -सोसायटी -पार्टी मा मिल्दन तो जो बि सिगरेट पीणु ह्वावु वैमंगन बेशरमी से सिगरेट मांगि दींदन। मीन एक तैं पूछ कि पुंडीर जी दुसर मांगन सिगरेट किलै मांगदन ? तो जबाब मील बल -पुंडीर जी भौत साल तक कोलकत्ता रैन अर बामपंथी ह्वे गेन कि जैम जरा बि कुछ च तो छीनो।
अर्थशास्त्र ही इन विधा च जखमा एक विषय कु समर्थन अर विरोध मा लिखण वाळ द्वी अर्थशास्त्र्युं तैं एकी साल नोबल पुरुष्कार या पद्म विभूषण मील जांद। जन कि कैपिटलिज्म का समर्थक लेखक अर अंटीकैपिटलिज्म का लिखवार  तैं एक दगड़ी पद्म पुरुष्कार मिल जांद।
बेंटली कु अर्थशास्त्र कु दुसर सिद्धांत बुलद -अर्थशास्त्री से एकी चीज जादा नुकसानदेय हूंद अर वा च अव्यवसायी अर्थशास्त्री ।
अर बरटा कु अर्थशास्त्रीय सिद्धांत बुलद बल अव्यवसायी अर्थशास्त्री से अधिक खतरनाक व्यवसायी अर्थशास्त्री हूंद।
एक नामी गिरामी भारतीय अर्थशास्त्री तैं सन २०१४ मा पूछे गे बल इंदिरा गांधी कु 'गरीबी हटाओ ' नारा कु भारतीय आर्थिक नीतियों पर क्या फरक पोड़ ?
पद्म भूषण प्राप्त अर्थशास्त्री कु जबाब छौ - अबि भौत जल्दी च यांक जबाब ढुंढण , यांक प्रभाव कु असली पता त 2114 तक लग सकद।
आजकल जैक अणब्या  बेटी घौरम रौंद त वु बुलद -म्यार घौरम इनफ़्लेसन च ज्वा रोज लम्बी हूणी च।
गरीबी कम करणो सबसे बढ़िया तरीका भारतीय अर्थशास्त्र्युंन ख्वाज गरीबी रेखा ही तौळ लया अफिक  गरीबी कम ह्वे जांद। 
  योजना आयोग का उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह तैं पूछे गे भारत से गरीबी कब हटली ?
मोंटेक सिंह कु उत्तर छौ - भारत कु नाम बदल द्यावा भारत से गरीबी तुरंत हट जाली।
मनमोहन सिंह जी एक दिन कोंग्रेस कोर कमेटी मा बताणा छा असली अर्थशास्त्री वु हूंद जु वु बुलद च खुद वैक समज मा बि नि आंद अर अभियोग श्रोता (सुणण  वाळ ) पर लगै द्यावो। 
मोंटेक सिंह एक युवा अर्थशास्त्र्युं सम्मेलन मा बताणा छा - अर्थशास्त्री तैं हरेक वस्तु कु बाजार भाव पता त रौंद च किन्तु कै बि वस्तु की कीमत पता नि होंदि.
एक प्रश्न - भगवानन अर्थशास्त्री किलै पैदा करीन ? उत्तर - जांसे लोगुं तैं मौसम की अच्छी जानकारी मिल्द जावु।





*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

 

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