Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 361238 times)

Bhishma Kukreti

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                                            इना उना का कुछ ख़याल , कुछ विचार

                                             चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 

 आज चबोड़ लिखणो ज्यु नि बुल्याणु च च याने व्यंग्य लिखणो मूड  नी च तो इनै उनै की ही  लगाये जाय।
एक खबर च बल सबि कॉमेडी शोऊँ टीआरपी डाउन ह्वे गे याने कम ह्वे गे।  अब जब बिटेन चुनाव अधिसूचना आयी अर नेता लोगुन टीवी मा करतब दिखाण शुरू कार तो लाइव कॉमेडी छोड़िक कु स्क्रिप्टेड कॉमेडी द्याखल भै ?
इन  खबर च बल टीवी मा संस्पेंस अर हॉरर शो बि नि चलणा छन।  अब जब हम दर्शकुं तैं टीवी मा सहरानपुर से कॉंग्रेसी  सभा प्रत्यासी इमरान मसूद का डायलॉग "मै मोदी की बोटी बोटी कर दूंगा " दिखणो मीलल संस्पेंस अर हॉरर शो की कखम जरुरत च ?
खबर च बल स्पोर्ट चैनेल मा टी ट्वेंटी टूर्नामेंट की टीआरपी बि कम च।  अब सुबेर स्याम क्रिकेट देखिक बिखलाण नि पोड़लि ? जब पुटुक खै खैक सम्म हुयुं हो , अघळ हुयुं हो त रसमलाई खाणो ज्यु बि नि बुल्यांद।
टीवी से जाण कि कॉंग्रेस्युं कुण यदुरप्पा पापी च , भ्रस्टाचारी च किन्तु अशोक चौहान पुण्यात्मा च।  इनी भाजपा वाळु कुण यदुरप्पा का भ्रस्टाचार भ्रस्टाचार की गणत मा नि आंद किलैकि केस कोर्ट मा च किन्तु भाजपा की परिभाषा अनुसार अशोक चौहान कु कुकृत्य भ्रस्टाचार माने जालु।
अचकाल टीवी पत्रकार आपस मा बात करदन ," कै पार्टी से चुनाव लड़णो विचार च ?" याने "अचकाल कै पार्टी क प्रशंसा गीत लिखणु/लिखणी  छे ?" चारण संस्कृति कबि बि ख़तम नि ह्वे सकद।  जै बि व्यासन महाभारत लेखी होलु अवश्य ही वु पांडवुं चारण रै होलु।
समाचार  छन बल नारायण दत्त तिवाड़ी अर ऊंक नया नया अपनायुं नॉन शेखर तिवारी द्वी नैनीताल मा रोड शो करणा छन।  नयो नयो ब्यौ अर नया नया बण्या बाप -बेटा कु प्रेम ही अलग हूंद।
उन  कत्युं विचार च बल तिवाड़ी जी रोहित शेखर तैं आठ दस साल पैल पुत्र मानि लींद तो आज हरीश रावत की जगा रोहित शेखर तिवाड़ी चीफ मिनिस्टर हुँदा।
परसि रीता बहुगुणा कु भाजपा द्वारा बुड्या नेताओं की अनदेखी अर बेज्ज्ती पर बयान सुणिन , बयान देखिन।  सुश्री रीता कु बुलण छौ बल भाजपा वाळ अपण बुजुर्ग नेताओं बेज्ज्ती करणा छन।  क्वी बि रीता बहुगुणा तै याद नि दिलाणु च कि कॉंग्रेस मा हर बार जथगा बेज्ज्ती संजय गांधींन  बिचारा बुजर्ग हेमवती नंदन बहुगुणा की कार वैक तुलना मा अडवाणी या जसवंत सिंह की बेज्ज्ती कुछ बि नी च।
सुणन मा आयि कि अबि अबि भाजपा मा भर्ती हुयां सतपाल महाराज की पत्नी कॉंग्रेस मा ही राली।  बात बि सै च कैक बि सरकार रावो सत्ता सुख तो महाराज  परिवार तैं मिल्दु इ रालु कि ना ?
सरा उत्तराखंड मा एकी छ्वीं लगणा छन बल  हरिद्वार का भाजपा नेता मनोज कौशिक कॉंग्रेस मा कब भर्ती होला ? डूबती नया मा बि सवार हुए जांद त केवल राजनीती मा ही ह्वे सकद कि ना ?

इन सूण कि उत्तराखंड क्रांति दल (ए ), उक्रांद (बी ), उक्रांद (सी ) से लेकि उक्रांद (जेड ) तक की सभी उक्रांदी पार्टी चुनाव लड़णो तैयार छन।  जैदिन  प्रत्यास्यूं का पास जमानत कु जुगाड़ ह्वे जाल वै दिन प्रत्यासी पर्चा भरणो जाल। ए से जेड तलक हरेक उक्रांद पार्टीक समस्या  चुनाव जितण नी च बल्कि जमानत का पैसा कट्ठा करण च।

Copyright@ Bhishma Kukreti  29 /3/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

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                                         पहाडुं समस्या समाधान त नरेंद्र मोदीम  बि नी च !
                               
                                                   भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 

 हिमाला पहाड़ मा समस्या तो सदियों से रै होलि किन्तु कमोवेश रूप से हिमाला भारतौ रक्षा कवच ही राइ।  पैल हिमाला भारतौ  बान समस्या साधन छौ ।  आधुनिक तकनीक अर नया नया सुख सुविधाऊं आण से हिमाला की जनता की मांग विकास ह्वे गे। हिमालयी लोग अब वही सुविधा का आकांक्षी ह्वे गेन ज्वा सुविधा मुम्बई का प्रावास्युं तैं सुलभ च।  किन्तु हिमाला तो हिमाला च अर समोदरो छाल तो समोदरो छाल च।  दुयंक अपणि भौं भौं बाण च याने अपणी विशेष प्रकृति च। याने जो विकास कृत्य समुद्री तट का वास्ता फलदायक छन वो हिमाला मा उपयोगी नि ह्वे सकदन।
किन्तु हमारा हिमाला योजनाकार तो समुद्र तटीय विकास का स्कुल का ग्रेजुएट छन ऊँन हिमाला तैं क्या दे सकण ?
प्रधान मंत्री की दौड़ मा अचकाल मुलायम सिंग च , बैणि मायावती च , ममता भूलि च , जयललिता फुफु बि च।
जरा यूं दीदी भुल्युं कु भूतकाल पर नजर मारो तो निष्कर्ष च  कै मा देश तो छ्वाड़ो अपण क्षेत्र याने अपण प्रदेस  कु विकास करणो ना त दूरदृष्टि च , ना क्षमता , लियाकत च अर ना ही क्वी यूं तैं भौतिक विकास की क्वी इच्छा शक्ति च।  विकास तैं यूँन कबि प्राथमिकता देहि नी च।  जयललिता तैं विकास की मोटर ब्रिटिश राज बिटेन दहेज़ मा मिलीं छे तो जयललिता का विकासहीन मानसिक दृष्टि कैक नजर मा नि आयी।
ममता तो साम्यवादी तालाब  की मच्छी च तो वा विकास का बारा मा चिंतित बि नी च।
मायावती या मुलायम उत्तर प्रदेस का  जातीय समीकरण बिठाण से भैर ही नि ऐ सकिन तो जु प्रदेस विकास तैं ही दिशा -निर्देशन दीण मा नाकामयाब ह्वावन वो हिमाला विकास नीति क्या जाणल ?
नितीश कुमार मा प्रशासनिक क्षमता बड़ी च किन्तु रेलमंत्री अर विहार मुख्यमंत्री का कार्य से साफ़ लगद कि नितीश मा औद्योगीकरण की क्वी अभिनव दूरदृष्टि नी च अर यही नवीन पटनायक , पृथ्वीराज चौहान हाल छन। प्रकाश सिंह बादल तो मायावती जन ही च।
उत्तराखंड का भूतपूर्व मुख्यमंत्र्युं जनम पतड़ी से साफ़ लगद कि नारायण दत्त तिवाड़ी छोड़िक बकै सब कुर्सी का शौक़ीन छा।  कै तै बि हिमाला विकास की खोज -खबर बि नी च। नारायण दत्त तिवारी मैदानी इलाकों की खाशियत जाणदा छा तो ऊँन मैदानी इलाकों मा विकास की नींव अवश्य धार।  बाकी मुख्यमंत्री तो सिर्फ़ मोळ माटो मादेव छा।  यी सब याने कोशियारी , निशंक , खंडूरी , बहुगुणा चांदन कि पहाड़ घणा जंगळ मा तब्दील ह्वे जावन।  एक मा बि हिमाला विकास की क्वी सोच ही नी च तो यूंक  बारा मा बात करण बेकार च अपण समौ बर्बाद  करणो बरोबर च।
अब आंदा हम राहुल गांधी पर जो भावी प्रधान मंत्री को दावेदार च या जु बि कॉंग्रेस समर्थित प्रधान मंत्री बणल वैन राहुल गांधी को मुख्त्यार ही बणन।  किन्तु जु राहुल गांधी ऐन चुनाव का बक्त चुनावी रैली करण छोड़ी पचास -साठ लोगुं बीच सिखणु ह्वावो कि मुरादाबाद मा बर्तन -शिल्पकारिता क्या हूंद या कोटा पत्थर काटणो मतबल क्या हूंद तो इन नेता जु समय की मांग ही नि समझ सकुद वै से भारत -विकास की आस  ही गलत च। जु सेनापति बीच युद्ध मैदान मा धनुष -बाण बणाणो कौंळ (कला ) सिखणु ह्वावो वै से हिमाला तो छोडो भारत विकास की उम्मीद करण बईमानी च।
नरेंद्र मोदीन अफु तैं भारत कु प्रधान मंत्री समझी याल।  मानसिक रूप से शरद पंवार अर नरेंद्र मोदी मैदानी व्यवहारिक विकास जाणदा  छन।
किन्तु नरेंद्र मोदी बि हिमाला विकास का समाधान नि लै सकदन। अर यांक सबूत विकास पुरुष (?) नरेंद्र मोदीन किसान चौपाल मा दे कि नरेंद्र मोदी तैं हिमाला पीड़ा कु पता बि नी च यद्यपि नरेंद्र मोदीन  जवानी मा सबसे अधिक काम हिमाचल प्रदेस मा ही कार।
वैदिन वीडिओ कॉनफिरेंसिंग किसान चौपाल मा एक हिमाचल कु किसानन नरेंद्र मोदी से प्रश्न कार कि हिमाचल मा जंगली जानवर अर बढ़ीं मजदूरी से लोग सेव की या अन्य फलों की खेती बंद करणा छन तो आपम यूँ समस्याओं समाधानी  योजना क्या क्या छन।  बिचारा नरेंद्र मोदीन गोल माल जबाब दे अर प्रूफ दे ,प्रमाण दे , सबूत दे कि नरेंद्र मोदी तैं हिमाला समस्या का बारा मा चिंता ही नी च।
फिर जगा जगा नरेंद्र मोदी 'जंगल बढ़ाने के लिए खेतों की मींडों में पेड़ लगावो ' जन नारा बि लगाँद।  नरेंद्र मोदी तैं कु बतालो कि मींडो मा पेड़ याने खेती कु बिनास !
देहरादून की रैली मा नरेंद्र मोदीन पर्यटन की बात छेड़ी किन्तु हिमाला सरोकार की क्वी बात नि कार , जम्मू की, हिमाचल या नेफा की रैलियों मा बि नरेंद्र मोदीन हिमालय सरोकार की क्वी बात नि कार अर सोनिया गांधी , राहुल गांधींन बि हिमालय संबंधी अपनी विशेष सोच नि बथाई ।
यूँ बत्तों से साफ़ पता चलद कि भारतीय शीर्षस्थ नेतृत्व हिमालय तैं  गम्भीरता नी लीणु च।
चीनन चीनी हिमालय मा हिमालय मा आमूल -चूल परिवर्तन कौर याल। हिमालयी पहाडों विकास केवल पहाड़ियों वास्ता आवश्यक नी च किन्तु भारतीय हिमालय कु हिमालय का हिसाब से विकास चीन तैं रक्षा अर आर्थिक दृष्टि से टक्कर दीणो बान अधिक आवश्यक च।    अत्यंत चिंता, भौत ब्याकुलता की बात च कि भारतीय शीर्षस्थ नेतृत्व हिमाला सरोकार का विषय मा सियुं च।

 
 




Copyright@ Bhishma Kukreti  31 /3/2014



Bhishma Kukreti

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                                    सोनिया जी ! नरेंद्र मोदीs  विरुद्ध चुनाव लड़णो टिकेट मि तैं द्यावो

                                                      चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि ) 

घरवळि -तुम से त हमर सुख सयांद नी च।
मि - क्या कार मीन ?
घरवळि -कुछ नि कार वांकी त रूण च।
मि -क्या मतबल ?
घरवळि -बच्चौंन ब्वाल कि बाबा जी ! अचकाल चुनावी मौसम च त नेताओं तैं गाळि शब्द सप्लाई करणो ठेका ले ल्यावो जांसे घौरम एक सोफा सेट त ऐ जांद।  पण तुम पर त आदर्श चुनाव संहिता कु डौंड्या नर्सिंग चढ़यूं छौ ।
मि - ह्यां पर , एक सोफा सेटौ बान बोटी बोटी कर दूंगा जन गाळि सप्लाइ करण क्वी भला लेखकुं काम च ?
घरवळि -जब नेता लोग गंदी गंदी गाळि दीणम नि शरमांदन त लिखवारुं तैं भद्दी भद्दी  गाळि वाळ अब्यूजिव भाषण सप्लाइ करण मा क्यांक दिक्कत ?
मि -कुज्याण भै ! में से त गाळि दियांद नी च त अब्यूजिव भाषण सप्लाइ कनकै कौर ?
घरवळि -सि चार दिन बिटेन बुलणु छौं कि सोनिया बैणि कुण एक चिट्ठी ही भेज द्यावो।  हमर इज्ज्त बढ़ी जाली।  पर तुम तैं हमर इज्जत की पोड़ी ही नी च !
मि - अरे पर सुद्दी -मुद्दी किलै चिट्ठी लिखण ?
घरवळि -मि सुद्दी -मुद्दी चिट्ठी लिखणो थुका बुलणु छौं।
मि -तो ?
घरवळि -मि बुनु छौं वाराणसी बिटेन चुनाव टिकेट मांगणो चिट्ठी ल्याखो।
मि - वाराणसी बिटेन चुनाव टिकेट मांगणो चिट्ठी?
घरवळि -हाँ सोनिया बैणि कुण वाराणसी बिटेन चुनाव टिकेट मांगणो चिट्ठी ल्याखो।
मि -पर मि त क्वी राजनीतिज्ञ नि छौं।
घरवळि -त जावेद जाफरी , किरण खेर आदि क्वी राजनीतिज्ञ छन क्या ? नरेंद्र मोदी विरुद्ध चुनाव लड़िल्या तो अफिक अंतर्राष्ट्रीय नेता ह्वे जैल्या।
मि - ह्यां पर चिट्ठी मा क्या जि लिखण ?
घरवळि -पैल त चिट्ठी मा उर्दू शब्द हूण चयेंदन।
मि -उर्दू शब्दुं से नरेंद्र मोदीक विरुद्ध लड़णो क्या संबंध ?
घरवळि -ओहो ! उर्दू से प्रेम माने सेक्युलर हूणो प्रमाण पत्र।
मि - अच्छा ?
घरवळि -हाँ अर नरेंद्र मोदी से लड़न तो एकी नारायण अस्त्र च अर वा च सेक्युलर बाण।
मि -नरेंद्र मोदी तैं घायल करणो गुजरात मॉडल की पोल खोल बि त एक अस्त्र ह्वे सकुद कि ना ?
घरवळि -कना कना केजरीवाल जन घोड़ी खेत ह्वे गेन पर गुजरात इकोनोमी मॉडल कु तोड़ नि लै सकिन।  नरेंद्र मोदी तैं केवल अर केवल सेक्युलर अस्त्र ही घायल कौर सकद।
मि - फिर ?
घरवळि -फिर ल्याखो कि तुमन बिन लादिन , अफजल गुरु जन आतंकवाद्युं अग्वाड़ी हमेशा 'जी ' लफ्ज इस्तेमाल कार।
मि -आतंकवाद्यूं तै आदर दीण क्वी भलो काम च ?
घरवळि -जब ईं सदी का महान सेक्युलर नेता दिग्विजय सिंह आतंकवाद्यूं तैं आदर देकि इंटरनेसनल  सेक्युलर लीडर की पदवी पाइ सकदन तो तुम बि आतंकवाद्युं तैं सम्मान देकि नरेंद्र मोदीक विरुद्ध खड़ हूण लैक ह्वे सकदा।
मि - कुज्याण !
घरवळि -फिर तुम ल्याखो कि तुमन संस्कृत का विरुद्ध ल्याख याने कमोवेश रूप से संस्कृत तैं गाळि दे।
मि -मीन संस्कृत तैं गाळि नि दे किन्तु यु ब्वाल कि संस्कृत की जगा गढ़वाली अर कुमाउनी भाषा तैं राजभाषा बणन चयेंद।
घरवळि -हाँ तो तुमन संस्कृत कु कड़ा विरोध कार।
मि - संस्कृत कु विरोध से नरेंद्र मोदी का विरुद्ध चुनाव लड़णो क्या संबंध ?
घरवळि -ओहो संस्कृत विरोध माने सेक्युलर हूणो सर्टिफिकेट ! संस्कृत का विरोध कारो तो बस समझी ल्यावो कि तुम असली सेक्युलर ह्वे गेवां।
मि -कुज्याण भै !
घरवळि -फिर ल्याखो कि तुमन हिन्दू धर्म की कुछ किताबुं तीब्र आलोचना कार।
मि - मीन हिन्दू धर्म की आलोचना नि कार किन्तु हिन्दू धर्म का अंध विश्वासुं आलोचना कार।
घरवळि -फिर तुम सोनिया बैणि तैं बतावो कि तुमन कुरान की प्रशंसा कार।
मि -इखमा प्रशंसा की क्या बात ? कुरान का कुछ आयत आज बि काम का छन तो मीन लेखी दे।
घरवळि -ओहो हिन्दू धर्म की किताबुं आलोचना अर कुरान शरीफ की प्रशंसा ही हिंदुस्तान मा सेक्युलरिज्म माने जांद।
मि - नै सेक्युलरिज्म की या गलत परिभाषा च।
घरवळि -तुम ही तो बुलदवां कि मार्केटिंग अर पॉलिटिक्स मा गलत या सही परिभाषा कुछ नि हूंद छवि ही असलियत च अर छवि बणाणो बान  कुछ प्रतीकुं आलोचना करण पोड़द अर कुछ प्रतीकुं प्रशंसा करण पोड़द।
मि -हाँ पर !
घरवळि -बस तुम खत मा ल्याखो कि तुम से बड़ो सेक्युलर तो दिग्विजय सिंह बि नि छन।  इलै नरेंद्र मोदीका विरुद्ध लड़णो टिकेट दिए जाव।
मि -ह्याँ वराणसी वाळु तैं धर्मनिरपेक्ष नेता नि चयाणु च बल्कि उख साफ़ सफ़ाई , रोड , उद्यम चयाणा छन।
घरवळि -जब वाराणसी वाळु तै यु सब कुछ नि चयाणु च तो तुम किलै वाराणसी विकास की बात करण चाणा छंवां , वारणसी वास्युं  तै विकास ही चयाणु हूंद तो डा मुरली मनोहर जोशी तैं वोट दींदा ?
मि - क्या खोट च डा जोशी मा ?
घरवळि -डा जोशी कु ट्रैक रिकॉर्ड च कि सन 1977 बिटेन ऊँन हर चुनाव मा चुनाव क्षेत्र बदल , किलैकि उ अपण क्षेत्र मा चुनाव बाद बार त्यौहारों मा बि  नि जादन।
मि -ह्याँ पर नरेंद्र मोदी का विरुद्ध लड़न तो राजनैतिक कद हूण चयेंद , कुछ बड़ो सामाजिक काम कर्युं  हूण चयेंद ।
घरवळि -ओहो यदि नरेंद्र मोदी का विरुद्ध सामाजिक कार्य करण ही क्वी पैरामीटर हूंद , पैमाना हूंद तो स्पेंट फ़ोर्स जन रशीद अल्वी की हिम्मत हूंदी सोनिया बैणि तैं चिट्ठी लिखणो ?
मि -मतबल नरेंद्र मोदी तैं घायल करण तो सेक्युलर अस्त्र से ही घायल करण ?
घरवळि -हाँ।
मि - पर फिर हम क्यांक घमंड करदां कि हमारो प्रजातंत्र परिपक्व ह्वे गे ?
घरवळि -उ मि नि जाणदु तुम सोनिया बैणि से नरेंद्र मोदी का विरुद्ध लड़णो टिकेट मांगो।
अब आप ही सलाह द्यावा कि मी चिट्ठी लेखुं कि ना ?
 Copyright@ Bhishma Kukreti  1 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 
 
 

Bhishma Kukreti

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                                             आम आदिमक खोज :आप तैं मील  जाल  त सूचना दे देन

                                                    चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

अजकाल चुनावी मौसम च त रोड शो , प्राइवेट डिन्नर , गुपचुप मीटिंगों , रैलियों , अखबारों , टीवी चैनेलों क डिबेटुं मा जख जावो 'आम आदमी ' की ही छ्वीं हूणि छन।  सब राजनेता बुलणा छन बल हम आदमी का ये कर देंगे , वो कर देंगे , उसके लिए याने आम आदमी हम ऐसा कुछ कर डालेंगे कि उसकी सात पुश्तें भी याद करेंगी कि किसी हरामजादे से पाला पड़ा था।
मीन स्वाच कि नेताओं से आम अदिमौ परिभाषा , पछ्याणक पूछे जाव।
मीन इलाहाबद से इम्पोर्टेड नेता विजय बहुगुणा की एक स्पीच सूण,  वु वैदिन बुलणा छा बल हम आम आदमी का बरखबान कर देंगे।  बिचारा हेमवती पुत्र विजय बहुगुणा तैं पता ही नि छौ कि बरखबान को क्या मतबल हूंद। ऊँन समज कि बरखबान क्वी अर्थशास्त्र कु रूसी या जर्मन शब्द च।
मीन भगत सिंग कोशियारी जी तैं पूछ बल कोशियारी जी ! आम आदमी की क्या परिभाषा च ?
कोशियारी  - परिभाषा तो मि नि जाणदो पर जु मी तैं दुबर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठै द्यालु वी ही शायद आम आदमी हूंद।
मि - पर आप तो लोक सभा का चुनाव लड़ना छंवां ? फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी ?
कोशियारी  - ओहो सौरी ! जु मि तैं अरुण जेटली की सीट का पैथर सीणो कुण लोक सभा भ्याजल वो ही आम आदिम च।
मीन डा रमेश पोखरियाल से पूछ - बल डा साब यी आम आदिम क्या बला च ?
डा पोखरियाल - जु मि तैं मुख्यमंत्री की कुर्सी दुबर दिलालु वो ही आम आदिम च।
मि - अबि त लोकसभा का चुनाव छन
डा पोखरियाल - ये मेरी ब्वे ! लोक सभा का चुनाव छन ?
मि - हाँ जी।
डा पोखरियाल - तो जु बि वोटर्स बी सी खंडूरी तैं हरै द्याला वो ही आम आदिम छन।
मीन बी सी खंडूरी तैं पूछ - जनरल साब यी आम आदिम क्वा च ?
बी सी खंडूरी - मै लगद जु मी तैं फिर से मुख्य मंत्री की कुर्सी दिलाल वी आम आदिम च।
मि -सर ! यी विधान सभा का चुनाव नि छन , यी तो लोक सभा कु चुनाव च।
बी सी खंडूरी - हैं तो फिर डा निशंक का लोग मि तैं हराणो बान कॉंग्रेसी नेता सुरेन्द्र सिंग नेगी अर हड़क सिंग रावत जीक दगड़ सांठ -गाँठ किलै करणा छन ? जु मि तैं हमर पार्टी मा भीतरघात से बचालु वो ही आम आदिम च।
मीन सतपाल महाराज से पूछ - यु आम आदिम क्या बीमारी च।
सतपाल महाराज - जु उत्तराखंड से भाजपा तै जितालु अर मि तैं मुख्यमंत्री बणालु वो ही आम आदिम च।
मि -पर यु चुनाव तो लोकसभा चुनाव च।
सतपाल महाराज - हाँ पर जब उत्तराखंड बिटेन मुख्यमंत्री का दावेदारूं निफ़्ल्टी दिल्ली होली तो ही मी मुख्यमंत्री बणुल कि ना ?
मीन मदन कौशिक से पूछ - तुमर हिसाब से आम आदिम क्वा च ?
मदन कौशिक - देखो तुम लोग तो पहाड़ी हो अतः तुम तो आम आदमी हो नही सकते।  इसलिए मैदानी वोटर्स ही आम आदमी है।
मीन श्रीमती माला राज्य लक्ष्मी  शाह से पूछ - यी आम आदमी क्या बला च कि सबि नेता  आम आदिमुं पैथर पोड्या छन।
श्रीमती  राज्यलक्ष्मी  शाह - आम आदिम बेवकूफ किस्मों एक जानवर हूंद।
मि - आप इन किलै बुलणा छा ?
श्रीमती  राज्यलक्ष्मी  शाह - जु पैंसठ साल का बाद बि हम तैं टिहरी का राजा समझणा छन अर वोट दीणा छन वो बेवकूफ ही होला कि ना ?

** यह लेख सरासर गप है !

  Copyright@ Bhishma Kukreti  2 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 
 

Bhishma Kukreti

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                                        गुवण्या -मुतण्या  गालियों हेतु त्वरित टेंडर आमंत्रित हैं

                                                    चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

आल इंडिया पौलिटिकल पार्टीज असोसिएसन  की तरफ से निम्न टेंडर प्रकाशित कर्याणु च। रजिस्टर्ड , अनरजिस्टर्ड , इंडियन , फॉरेन सप्लायर्स कृपया त्वरित टेंडर भरें।
 चूँकि चुनावी मौसम च त हर स्तर का नेताओं तैं अभद्र , असंवैधानिक , निम्नस्तरीय , गुवण्या -मुतण्या  गाळयुं भयंकर जरुरत च। 

                     राजनेताओं को गालिओं की आवश्यकता किलै पोड़  ?

सभी सप्लायरों तैं गाळि निर्माण मा कुछ मूलभूत बातों पर ध्यान रखण जरुरी च -
1 - राजनीति मा परिवार वाद , भतीजावाद  , काकीवाद  , भाणजावाद  , जंवाईवाद, पैराशूटी उम्मीदवारुं   आण से चुनावुं मा कार्यकर्ता पैसा दीण पर भी काम नि करणा छन तो नेताओं तैं त्वरित रिजल्ट का वास्ता गाळी -गलोज की भयंकर आवश्यकता पोड़नी च।
2 - भौत सी जगा राष्ट्रीय राजनैतिक दलों मा कार्यकर्ता या तो हर्ची गेन या हाइबर्नेसन मा चली गेन तो मोदी सुनामी, सोनिया हरिकेन, मुलायम तूफ़ान , ममता तड़क्वणी , जयललिता झड़ी   की स्थिति मा बि कार्यकर्ता जगणा नि छन त कार्यकर्ताओं तैं जगाणो बान ग्राम स्तर से रास्ट्रीय स्तर तक का हरेक नेता तैं असुर भाषा मा रोज क्या हर घंटा मा गाळि चयाणा छन।
3 -धार्मिक उन्माद फैलाणो वास्ता गाळि एक सर्वमान्य दवा च।
4 -चूँकि नेताओं का पास जनता तैं दिखाणो बान कुछ नी च अर जनता 10 करोड़ मनिखों तैं रोजगार मीलल जन वाक्य पर थक थुकणी च तो नेताओं तै विरोधी नेताओं तैं गाळि दीण पर अधिक भरोसा ह्वे गे ।
5 - गाळि -गलौज पर गाळि दिन्देर नेता तैं मीडिया अंतर्राष्ट्रीय नेता बणै दींदी तो हरेक बड़ो या छुटभया गाळी दीण मा शान समझद।
 
                                गाळियुं प्रकार अर आकार -प्रकार

ब्लॉक स्तर पर मा बैणी गाळि अवश्य चयांदन।
सोनिया छाप गाळि - सोनिया छाप गालियों मा 'मौत का सौदागर ' अर 'जहर की खेती ' गाळि भौत प्रसिद्ध ह्वे।  गुजरात का वास्ता कृपया विकसित गाळि सप्लाई करें। जहर की खेतीको भी विकसित कर छुटभैए नेताऊँ तैं  दे देन.
मोदी ब्रैंड गाळि - भाजपा को 'कुत्ते के पिल्ले के मरने पर भी दया आती है' जैसी असंख्य गाळयूँ भारी जरुरत च।
केजरीवाल छाप गाळि - यह नेता बेईमान है जैसे हजारों शब्द आम आदमी पार्टी का मुख्य सलाहकारों तैं जरूरत च।
बोटी बोटी कर दूंगा - इमरान मसूद द्वारा प्रचारित गाळि तैं संबैधानिक रूप देल्या तो ब्लॉक स्तर का नेताओं तैं बि खप जाली।
सलमान खुर्सीद छाप 'नपुंसक' गाळि -  इन तरह की बनी बनी गाळयूँ जरूरत हरेक कॉंग्रेसी तैं च।
आरएसएस गोडसे का हत्यारा - यीं गाळि पर राहुल गांधी कु एकाधिकार च त इन गाळि सप्लाई करणै आवश्यकता नी च।
शिंदे ब्रैंड -केजरीवाल (येड़ा ) पागल च - चूँकि सब्युं तैं पता च कि केजरीवाल क्या च तो कृपया इन गाळी सप्लाई ना करें।  सैम्पल बि नि  दिखैन।
आजम खान छाप - नरेंद्र मोदी कुत्ते का बड़ा भाई - कृपया यीं तरां की जथगा बि गाळि छन सी केवल समाजवादी पार्टी का नेताओं तैं सप्लाई करि दियां।
वेनी  प्रसाद वर्मा ब्रैंड - आरएसएस का गुंडा , नरेंद्र मोदी का गुलाम - यद्यपि हरेक कॉंग्रेसी भाजपा तैं इन गाळी दीण चाँद किन्तु राहुल बाबा की हिदायत से इन गाळि पर बेनी प्रसाद कु एकाधिकार च।
इटालियन पिजा , इटालियन पास्ता  - कृपया यी गाळि अब समाजन अपर भोज्य पदार्थ मा शामिल करी ऐन तो इन तरां की गाळियुं को भाजपा मा अब क्वी मांग नी  च।
उपरोक्त गाली तो उदाहरण छन।
सप्लायरों तैं नया नया गाळि खोजिक नेताओं तैं सप्लाई करण पोड़ल।
                                गाळि सप्लाई करणो आखरी तारीख

जब तक नेता भाषण दीण लैक छन।
 
                                         सप्लाई की जगा

जखम बि नेता भाषण दीणु ह्वावो वैक कंदुड़म गाळि ब्वालो अर नेता का एजेंट से वैबरी कैश ले ल्यावो।  पेमेंट भुगतान कभी बी चेंक से नि होलु।

                                                इनाम

यदि तुमर सप्लाई करीं गाळि से नेताजी की न्यूज टीवी चैनेलों मा ऐ गे तो कै कोर्पोरेसन की चेयरमैनशिप , विधान परिषद की सीट पक्की।

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एक दै नेतान तुमर दियीं गाळि जनता मा सुणाइ ना कि गाळि पर नेता कु अधिकार ह्वे जालु।



Copyright@ C Bhishma Kukreti  2 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

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                                       नरेंद्र मोदी !  क्या राज्य लक्ष्मी शाह हेरिडिटरी डेमोक्रेसी की निशाणी नी च ?

                                                    चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


अब जब सब जगा राजनीती मा परिवारवादै खज्जी फैलीं च त ईं छूत की बीमारिन उत्तराखंड मा सौरण ही च।
जब सरा भारत मा डिल्ली से आंध्र प्रदेश ह्वेक लेकि चेनाइ तलक,  डिल्ली से हरियाणा ह्वेक  मध्य प्रदेश तलक , डिल्ली से लेकि पंजाब अर हिमाचल ह्वेक जम्मू -कश्मीर तलक , डिल्ली से लेकि छतीसगढ़ ह्वेक उड़ीसा तक , डिल्ली से लेक उत्तरप्रदेश ह्वेक बिहार तलक , राजनीती मा परिवारवाद कु खौड़ (खुजली केई बीमारी ) सौर्युं हो तो उत्तराखंड पैथर किलै रावु।
खबर च बल हर दल उत्तराखंड मा परिवारवाद कु HIV Positive  आयत करणु च।
प्रजातंत्र मा परिवारवाद अधिनायकवाद कु शंखनाद च।
जम्हूरियत मा वंशवाद राजशाही कु बिगुल च , राजशाही लाणो एक सीढ़ी च , राजशाही लाणो एक पुळ च।
डेमोक्रेसी मा आम कार्यकर्ताओं की अवहेलना करिक परिवारवाद का आधार पर वंशवादी परम्परा लाण प्रजातंत्र तै उजाड़णो बान एक सबुळ च , कारतूस च।
डेमोक्रेसी मा हेरिडेटरी का बल पर विधायक -सांसद लाण माने डिमोक्रेसीक पौ /नींव खपचाण याने डेमोक्रेसी की फाउंडेसन कु तहस -नहस करण।
वैदिन एक आमसभा मा भाजपा का नया बादशाह (अबि ह्वाइ नी च ) नरेंद्र मोदी देहरादून मा नेहरू -गांधी परिवार पर मिसाइल चलाणु छौ बल  कॉंग्रेस परिवारवाद या वंशवाद या हेरिडेटरी सिस्टम की पोषक च।  अर अवश्य ही वीं आम सभा मा सबसे जोर की ताळी अगर कैन बजै होली तो वा टिहरी की सांसद राज्य लक्ष्मी शाह ही रै होली।  मै लगद कि जब नरेंद्र मोदी कॉंग्रेस कु बंशवाद तै भड्याणु , जळाणु   रै होलु तैबरी मोदी का आंख्युं मा खिन्न या तिमलौ चोप पड़ी गे होलु कि भाजपा का बादशाह नरेंद्र मोदी तै टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह नि दिखे होली कि वा तो परिवारवाद कु कोढ़ की जीती जागती, बोल्दी  मूर्ति च।
नरेंद्र मोदी तैं त पता ही नि होलु कि लैंसडाउन क्षेत्र से भाजपाई विधायक दिलीप सिंह रावत भूतपूर्व विषयक भारत सिंह रावत कु सपूत  च।
नरेंद्र मोदी ! जरा बता त सै क्या राज्य लक्ष्मी शाह हेरिडिटरी डेमोक्रेसी की निशाणी नी च ?क्या दिलीप सिंह रावत वंशवादी प्रजातंत्र कु चिन्ह नी च ?
 जैदिन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह उत्तराखंड का महान राजनैतिक संत सतपाल महाराज तै भाजपा की टोपी पैराणु  छौ तो विदिन राजनाथ सिंह का आँख -कान पर तब  अवश्य ही चिपुड़ माटो बकुळ लेप लग्युं  लग्यां रै होलु  कि राजनाथ सिंह तै नि दिख्याई कि उत्तराखंड का महान ऋषि  सतपाल महाराज तो हेरिडेटिरि डेमोक्रेसी की  तपस्या मा लीन रौंद।  राजमहर्षि की पत्नी अमृता रावत  उत्तराखंड सरकार मा मंत्री अर नौनक ताजपोशी का वास्ता रेलपुरुष अच्छु दिन की प्रतीक्षा  मा च।
सोनिया गांधी -राहुल गांधी तो कॉंग्रेस का अर्थ डेमोक्रेसी  समजदन।  किन्तु विजय बहुगुणा , साकेत बहुगुणा , हरीश रावत की पत्नी या सगा संबंध्युं तैं टिकेट दीण मा हेरिडेटरी डेमोक्रेसी का उन्नायकुं तै क्वी शरम -ल्याज नी च।  अर अब तो मर्दों का  मर्द नारायण दत्त तिवाड़ी बि हेरिडेटरी डेमोक्रेसी तै विकसित करणो बान अपण बेटा शेखर तैं पहाडुं गौळ चढ़ाण सिखाणा छन।
उत्तराखंड मा हेरिडेटरी डेमोक्रेसी याने परिवारवादी प्रजातंत्र का बगीचा लग गेन अर भोळ आप तैं आम जनता बिटेन अयाँ  प्रतिनिधि चुनाव लड़दा नि दिख्याल बल्कि खंडूड़ी , निशंक , कोशियारी , बहुगुणा , रजवाड़ा खानदान , रावत खानदान का चिराग या राजकुमारी ही चुनाव लड़दा दिख्याल।
उत्तराखंड वासियों तैं हेरिडेटरी डेमोक्रेसी कु  कोढ़ तैं खतम करणो जतन करण पोडल।
उत्तराखंड वासियों तैं बंशवादी प्रजातंत्र का HIV Positive का कीटाणु तै अबि ही रुकण पोड़ल।
वंशवाद डेमोक्रेसी तैं जड़ नाश करणो   खतरनाक बीमारी च अर यीं बीमारी तैं रुकणो सब तरह का प्रयत्न हूण चयेंद।


Copyright@ C Bhishma Kukreti  4 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


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                                                       टीम मा  कुछ बि ठीक नी च
           
                                                    चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 
वा (फोन मा र )- अबै दैं जितणौ पूरा चांस छन।
वु (मन ही मन मा )- पता नि क्या बुलणि च धौं।  अबै दैं हम तैं हारण से भगवान बि नि बचै सकुद।
वा (फोन मा  ) -सलेक्सन कमेटी चैन मा च।
वु (मन ही मन मा ) -    सलेक्सन कमेटी चैन मा कख च ? सलेक्सन  कमेटी मेंबर तनाव मा छन।                 
वा  (फोन  मा )  -सलेक्सन कमेटी मेंबर बड़ा इतमिनान मा छन।
वु (मन ही मन मा )- सलेक्सन कमेटी मेंबरुं समज मा नि आणु कि करण क्या च।
वा (फोन मा  )-टीम मा आणो पिपड़कार लग्युं च।  एक प्लेस  का वास्ता सौ सौ तयार छन।
वु(मन ही मन मा ) - इक जौं  तैं टिकेट द्याई वू टिकेट वापस करिक भाजपा मा जाणा छन।
वा (फोन मा  )-हरेक टीम मेंबर फिनिश करणो तयार बैठ्याँ छन।
वु (मन ही मन मा )-   हरेक मेंबर फिनिश हूणो तयार बैठ्याँ छन।                   
वा (फोन मा  ) -हरेक टीम मेंबर एक दुसरै सहायता करणा छन। टीम मा टीम स्प्रिट च।
वु(मन ही मन मा ) -  हरेक टीम मेंबर एक दुसर तैं लमडाणो तयार बैठ्याँ छन।   स्प्रिट पेक टीम स्प्रिट तोड्याणि च                   
वा  ( फोन मा  )  -टीम मा विचार विमर्श  हूंद कि प्लान 'A ' नि चौलल तो प्लान 'B' क्या होलु अर प्लान 'C' क्या होलु ।
वु (मन ही मन मा )- टीम मा एक दुसर तैं भतकाणो बान प्लान 'A' बणद , एक हैंक तैं पछाड़नो बान प्लान 'B' बणद अर एक हैंक की मौ उजाड़नो बान प्लान 'C' बणद ।
वा (फोन मा  )-ऑपज़िट टीम तैं हराणो बान रणनीति बणाए जांद।
वु (मन ही मन मा )- अपरी टीम तैं हराणो रणनीति बणनि छन।
वा (फोन मा  )-सबि रणनीति का हिसाब से खिलणा छन।
वु (मन ही मन मा ) -   सबि रणनीति का उल्टा  करणा छन ।
वा (फोन मा  ) - अबै दैं सेमीफाइनल जितणम  बि कठिनाई नि ह्वे
वु (मन ही मन मा )-     राजस्थान , मध्य परदेश कु सेमीफाइनल त हम हारी गेवां। 
वा (फोन मा  )-सट्टा बजार मा हमर जितणा चांस पर ही सट्टा लगणु च।
वु (मन ही मन मा )- सट्टा बजार मा हमर हरण पर ही सट्टा लगणु च।
वा (फोन मा  )-सटोरिया सबसे सटीक फोरकास्ट करदन याने भविष्यवाणी करदन
वु (मन ही मन मा )- हाँ अर सटोरियोंन भविष्यवाणी कौर याल कि कौंग्रेसौ सुफड़ा साफ़  हूणु च।               
वा  (फोन  मा )  -फ़ाइनल जितण तो  डेड स्योर च।  अच्छा मि फोन धरद।
वु - तू फोन मा क्यांक छ्वीं लगाणी छे ?
वा -T 20 वर्ल्ड कप की छ्वीं लगाणु छौ।
वु - मीन समज कि तू कॉंग्रेस की बात करणी छे।
वा -सुणो ! अब्याक अबि कॉंग्रेस का टिकट वापस करिक ऐ जावो।
वु- ह्याँ पण अब त नामांकन वापस लीणो तारीख बि चली गे।                     
वा  -नै तुम अबि राजनाथ सिंह जी से बात कारो अर राजयसभा सीट का ऐवज मा कॉंग्रेस छोड़ी द्यावो।
वु -   नैतिक दृष्टि से क्या यु ठीक रालो ?                     
वा   -कनो आज नैतिकता याद आणि च ? अर पांच साल पैल जब भाजपा छोड़िक कॉंग्रेस मा भर्ती ह्वे छा तब नैतिकता कख जयीं छे।
वु - ठीक च मी राजनाथ सिंह जीक दगड़ निगोशिएट करद !


         
           

                     
वा(फोन  ) -Copyright@ C Bhishma Kukreti  5  /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

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                                             तुमर  गां मा बि क्या   मुन्नी बदनाम हूणि च  ?

                                                  हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                 चैत बि उखी च , वसंत बि ऊनि आंद , ग्वीराळ पर फूल ऊनि आंदन , सकिन तुसारु बि ऊनि फुल्दु जन मेरी ददिक टैम पर फुल्दु। म्यार खुद अपण आखुंन दिख्युं च अर कंदुड़न  सुण्युं  च चैत माने फूलूं मैना।
  ग्वीराळ फूल फूलिगे म्यार भीना

    माळु बेडा फ्यूलड़ी फूलिगे भीना

  झपन्याळी सकिन  फूलिगे भीना
             प्रकृति मा सब कुछ ऊनि हूणु च  किन्तु अब भीना नि आंद। अब सबी भीना दिल्ली -मुम्बई कै दारु अड्डाम दारु पींद दै गढ़वालम पलायन रुकणो योजना बणांदन अर गढ़वालम सांस्कृतिक ह्रास  से दुखी ह्वेक  द्वी चार गिलास तोड़ी दीन्दन ।
पुरण किताबुं मा बि लिख्युं च बल चैताक मैना माने गीतुं मैना।
             मुम्बई , कनाडा , अमेरिका का गढ़वाली विद्वान  महारास्ट्र टाइम्स , टोरंटो टेबलल्वाड,  न्यूयार्क टाइम्स की खबर बाँचिक, दिल्ली -पंजाब का प्रवासी विद्वान  हिंदुस्तान टाइम्स की न्यूज पौढिक लिखणा छन बल चूँकि गढ़वाल से पलायान ह्वे गे तो अब गढ़वाली गाउँ मा पंचायत चौकुं मा सामूहिक थड्या गीत , सामूहिक चौंफळा गीत -नृत्य नि हूंदन। 
    कुछ हद तक यूं  परबसी प्रवासी विद्वानुं खबर सही बि च।
  अब द्याखो ना गढ़पुर गां मा वैदिन सरिता बौन , संगीता बौकुण ब्वाल बल हे भुली चल जरा शगुनकुण पंचैत चौक मा एक घाण गीत गैक ऐ जांदा अर एक घाण चौंफळा खेलिक ऐ जांदा।
         अब रातमा  गीत -नृत्य कु अपण प्राइम टैम हूंद तो संगीता बौन बोली - ना भया ! फंड फूक तौं थड्या -चौंफुळो तैं।  आज त टीवी मा 'सास रांड बि ब्वारि छे ' सीरियल मा ब्वारिन अपण सासु कतल करण।  मीन त दिखण कि कन वा भली मनसण ब्वारि अपण सासुक कतल करदी धौं ! शगुन -फगुन से महत्वपूर्ण त ब्वारी द्वारा सासुक कतल च।
कुछ गाउँ मा थड्या गीत -चौंफुळा  नृत्य 'सास रांड बि ब्वारी छे ' सीरियलों बलि चौढ़ गेन।
             ऊनि पहाड़पुर मा अध्यापक अशोक कुमारन मास्टर सुभाषकुमारौ कुण ब्वाल बल - चल रै सुभाष जरा आज सै चौक मा चांचरी नृत्य -गीत उरयै दींदा।  चैताक मैना च रोज ना सै एक दिन ही सै शगुनों रूप मा गीत -नृत्य खिले जावो।
पहाड़पुर का मास्टर सुभाषक जबाब छौ - सॉरी ! यार आज ऑस्ट्रेलिया  कु इंगलैंड से क्रिकेट मैच च अर भोळ इण्डिया -पाकिस्तान से मैच च।  मि त शगुन का वास्ता बि नाचणो नि ऐ सकुद।
                   क्रिकेट मैच अब नृत्य -गीतुं  पर भारी पड़ी गेन।

  गढ़नगर गां मोटर रोड पर च त आठ दस दुकानुं कारण अर स्कूलो कारण उख जनसंख्या छैं च तो गीत ना सै पर चैत मा एक रात शगुन का वास्ता गढ़नगर मा  एकाद नाटक खिले जांद।
  चूँकि नई पौध का वास्ता पारम्परिक स्वाँगु अध्ययन का वास्ता क्वी किताब या माध्यम त छ ना तो युवा लोगुन नया तरह का स्वांग बणै ऐन।  वीं रात  गढ़नगर मा 'बीर गबर सिंग के किस्से  ' नाटक खिले गे।
 नाटक  इन छौ -
                     दृश्य -1
गबरू -अरे ओ निर्भागी साम्भा !  कथगा आदिम छ्याई ?
सांभा -सरदार ! सरकारी गोडाउन से सीमेंट  चुर्यांद दैं या ग्यूँ  चुर्यांद दैं ?
गबरू -ग्यूँ  चुर्यांद दैं ?
सांभा - सरदार हमर चार आदिम छा अर ठाकुरक द्वी आदिम छा।
गबरू -ऊ द्वी अर हमर चार , फिर बि ठाकुरक आदिम ग्यूँ चोरिक ली गेन।  ग्यूँ चोरी कैन बि कार हो पर सरकारी अधिकार्युं ड्यार हफ्ता तो मि तैं पौंचाणि पोड़ल कि ना ?
सांभा -जी सरदार !
गबरू -यांक सजा जरुर मीलली , सजा च यूं तैं ठंडु पाणि मा नयाण पोड़ल।
चरी -सरदार तुम शोले जन हम तै गोळीन मारी द्यावो पर ठण्डु पाणिम हमन नि नयाण।
गबरू -चैतक मैना कब च ? गीतुं मैना कब च ? चलो गढ़नगर माँ नाच -गान दिखला
           दृश्य -2
गढ़नगर मा  मोबाइल पर गाना लग्युं च अर स्कुल्या छ्वारा नाचणा छन -
 मुन्नी बदनाम हुयी डार्लिंग तेरे लिए
मै झंडू बाम हुयी डार्लिंग तेरे लिए
 इथगा मा गबरू नराज ह्वे गै। 
दर्शक दीर्घा से गबरू -बंद कारो ये गाणा तैं।
दर्शकुं बिटेन एक आवाज -हे गबरू ! वै गांवक मुन्नी बामणी हीरा ल्वारौ दगड़ी भाजि त त्वै पर क्यांक मर्च लगणा छन ?
गबरू गुस्सा मा - सालो मै मुन्नी बामणि हीरा ल्वारौ दगड़ भगण पर नाराज नि छौं।
दर्शक - तो ?
गबरू - झंडू बाम से नाराज छौं।  वैदिन खच्चर से गिरण पर मेरी पीठ पर मोच आयी अर मीन झंडू बाम लगाई तो कुछ बि आराम नि होइ।
एक बुडड़ी  - ये निर्भागी गबरू ! त्वै तै कथगा दै समजै   आल कि शोले की नकल नि कौर अर खच्चरुं मा नि बैठ , नि बैठ।
गबरू -ठीक च ठीक च , जब गां मा घ्वाड़ा इ नीन त खच्चरुं से इ काम चलाण पोड़ल कि ना ?
बुडड़ी -खुट्टी टूटी गेन तेरी ?
गबरू - ठीक च ठीक च।  शीला की  जवानी गाणा लगावो।
सांभा - सरदार शीला की जवानी गाना लगल तो मि तुमर खोपड़ी फोड़ी द्योल हाँ !
कालिया - ये सरदार तैं इन बि नि पता कि सांभाक ब्वे नाम शीला च।
गबरू - चलो ! ओ वसंती नाच ! अर जब तक तू नाचती रहेगी तेरे हीरो की जान
कालिया - साले गबरू ! मीन टाटा का  खाया है त्यार नमक नही खाया है।  वसंती का नाम लेगा तो सबके सामने ऐसा हणका दूंगा कि तेरे बाप को भी पता चल जायेगा।
गबरू -अरे ओ सांभा ! ये कालिया वसंती के नाचने से इतना खूखार क्यों ?
सांभा - सरदार ! वसंती कलिया की बैणि च।
गबरू -ठीक च तो छमिया को नचाओ।
गबरूक छमिया कु नाम लीण छौ कि वींक तीन भायुंन  लति लत्युंन  गबरूक भट्युड़  तोड़ी देन। 


 
Copyright@  Bhishma Kukreti  6 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                                                                 पिंडाळु अर मूळा मध्य घोर युद्ध

                                                       हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )                 


मूळा -फुंड फुक्या ,  म्यार तरफ इना किलै सरकणु छे बै ?
पिंडाळु -ऐ तू जी दूर ह्वै जा मेरि सारी से।  साला म्यार तरफ आणु च।
मूळा -हैँ औकात द्याखदि तैक जु पैल गौंक सार्युं से थ्वड़ा दूर रौंद छौ अब मि तैं आँख दिखाणु च ? चल म्यार तरफ सरकण बंद कौर।
पिंडाळु -तू औकात की बात नि कौर हाँ।  मेकुण किटास हूणु च , दूर सरक।
मूळा -तू जी सरक जादी फुंडां।
पिंडाळु -अरे यांसे जादा कख सरकण ? अग्वाड़ी दिवाल च।  उना पत्थर छन , सरकण त राइ दूर सांस लीणो कठिनाई हुईं च।
मूळा -त कैन ब्वाल छौ कि इख कू डौ पुट ऐथर सग्वड़म आ।
पिंडाळु -मि अफिक औं क्या ? म्यार झड़ ददा अर ऊंक पकड़ ददा -सकड़ ददा याने चालीस -पचास पीढ़ी पैल क्या सुंदर एक अलग खेत मा क्या आनंद का दिन बितान्द छा , एक पिंडाळु पौधा  मा अर हैंक पिंडाळुs  पौधा मा कम से कम डेढ़ द्वी बालिस्तों  दुरी हूंद छे।
मूळा -तो क्या ?
पिंडाळु -तो क्या ? वै अलग पुंगड़ मा हमर ददा लोग बड़ा बड़ा पत्तों मा हिलणा रौंद छा , अर सूण बै मूळा ! वै खेत मा बीच बीच मा दूर दूर तुम बि त बड़ा बड़ा घिंडक का रूप मा हमर पिंडाळु खवाळम झमकणा रौंद छा।
मूळा -हाँ त ऊँखि पिंडाळु खवाळम मोर । . त्यार आण से मेखुण कथगा किटास हूणु च , पता च त्वै ? अब त जै मोळ पर म्यार अधिकार छौ वै मोळ पर बि तू हक जमाणु छे। त्यार इख सग्वढ़म आण से जगा ,मोळ , हवा , पाणिक भौत तंगी ह्वे गे।  फंड टुटकी लगा , इख बिटेन।
पिंडाळु -अरे पर मेकुण जगा , खाद , हवा , पाणि कम कमी च क्या ?
मूळा -अरे त्यार आण से म्यार जलड़ ही छुट नी हूणा छन अपितु त्यार पत्तों छैल तौळ म्यार पत्ता ही नि पनपणा छन।  त्यार कारण मैपर दुतरफा मार पड़नि च।
पिंडाळु -अर त्यार कारण अर किटास से म्यार दाण बि बकरवाळ बरोबर छुटा हूणा छन अर पत्ता बि तिमलाक लाब जन छुट ह्वे गेन। इनी राल तो द्वीएक साखि (जनरेसन ) मा मीन निबटी जाण।
मूळा -त्यार कैल्सियम ऑक्जिलेट से मि तैं बि मनिखों तरां किक्वळ लगदन अर मेरि  ग्रोथ ग्लैंड कमजोर पड़ी जांदन।
पिंडाळु -त्यार एंथोसायनिन पिगमेंट अर सल्फेट से बड़ी गंद आंद जांसे म्यार स्वास्थ्य कमजोर पड़णु च।
आदु (अदरक ) अबै द्वी मेरि बि स्वाचो कि तुम दुयुंक म्यार पट काखम हूण से मि त पनपणो ही नि छौं।  इना सल्फेट कु असर उना कैल्सियम ऑक्जिलेट कु असर।
मूळा -ये ल्या अब त अदरक बि बुलण सीखी ग्याई।
अदरक -अरे मि बि त तुम दुयुंक किटास अर केमिकल से बीमार ह्वे ग्यों।
पिंडाळु -त्यार जिंजिरोन से त म्यार दाण छूट ह्वे जांदन।
मूळा -त्यार शॉगॉल्स अर जिंजिरोल्स से म्यार घिंडक म्वाट नि हूंदन।
पिंडाळु -ये तुम द्वी मोरी जावो अर मि तैं जीण द्यावो।
मूळा  अर आदु -ऐ बिंडी नि बोल हां।  पुरण जमन मा मि अर अदरक कुड़ो मुख ऐथर सग्वड़म दूर दूर रैक मजा से रौंदा छा।  अब जब बिटेन तू ऐ हमर ज़िंदा रौण ही मुस्किल ह्वे गे।
जख्या - अरे ज़िंदा रौण त म्यार मुस्किल ह्वे ग्यायी।  पर्यावरणवाद्यूं तैं मी तैं बचाणो कुछ करण पोड़ल।
पिंडाळु, मूळा , अदरक -अबै जु तू पैल बंजर धरती मा जिंदगी बितांदु छयाई अब हमर हक मारणो सग्वड़म पैदा हूण बिसे गे ? साले को मारो कि दुबारा जन्म ना ले।
जख्या - इखमा मेरी क्या गलती ? पुरण जमानो मा मी बंजर धरती को राजकुमार छौ । जब बिटेन मालिक लोग देसुन्द पलायन करिक चली गेन तब बिटेन   पुंगड़-खेत  बांज पोड़ि गेन  तो सब जगा लैटिना ही लैटिना जामी गेन।  अब त गढ़वाल मा लैटिना राज ह्वे गे।  लैटिना तो हैंक पौधा तैं सहन करी हि नि सकुद त मि तैं ज़िंदा रौणा कुण सग्वड़ कि शरण लीण पोड़।
सब  -ह्यां पण इन मा ?
भंगुलौ इकुऴया डाळ - अरे निर्भागियों ! ज़िंदा रौणै कौंळ -कला सीखो।  पैल ये आठ हाथ लम्बो अर चार हाथ सग्वडम हमर मालकिन आधा मुठ मुंगरी , पांच -छै दाण मूळा , चार फांकी अदरक, चार पांच डाळि मर्च अर इकै  दाणी लमिंड , गुदड़ी , कखड़ी बूंदी छे। अब जब गां मा खेती बंद ह्वे तो मलकिनन हम सब्युं तैं एक जगाम  बूण शुरू करी दे। अर हम सब्युं कुण किटास शुरू ह्वे गे।
मर्चै डाळि -अरे इन स्वाचो कि अबि त  हम सग्वड़ मा ही सही बच्यां त छंवां पर जब अस्सी सालै हमर मालकिन टुरकी जाली तो ये गां हमारो  तो बंशनाश ही ह्वै जालु।
सबि -हां।  अब क्या करे जावु ?
भांग - बस अडेप्टेसन याने अनुकूलन पद्धति से हम ज़िंदा रै सकदां।  गढ़वाल मा मनिखों भरोसा पर रौला तो हमर बंशविनास हूणी च।
सबि -ठीक च।  हम सब अब अनुकूलन याने अडेप्टेसन का बारा मा विचार विमर्श करदां।

  Copyright@  Bhishma Kukreti  7 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

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 -                                              ब्वेक गर्भवती हूणो क्वी खबर नी  च अर भाइक नामकरणों दिन निश्चित ह्वे गे !
                                                                हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )     

घरवळि -तुमर दगड़ त दसियों दैं ट्रेन मा 'वेटिंग' लिस्ट कु प्रतीक्षा टेंसन झ्याल ।
मि - हैं ! आज ट्रेन मा 'वेटिंग'  याद ?
घरवळि -तुमर दगड़ बस की लाइन मा घंटो बस की 'वेट' कार अर बस की 'वेट' करदा करदा खुट उसे जांद छा ।
मि -हाँ पर तब बस कु अलावा ट्रांसपोर्ट छैं इ छौ।
घरवळि -तुमर कारण राशन  की दुकान मा घंटो राशन की 'वेट' को असह्य पीड़ा झेल ।
मि - ह्याँ पण तब अनाज की भयंकर कमी छे।
घरवळि -पर जब 'वेटिंग' कु सुख लीणो  समय आइ त तुम सियां छंवां।
मि -'वेटिंग' कु सुख त केवल बल प्रेमी -प्रेमिकाओं तैं आंद।
घरवळि -म्यार इ जोग गोरकट्वा जोग  छन कि अब जब अच्छु समय आइ बि च त तुम 'वेटिंग' का वास्ता कुछ नि करणा छंवां।
मि - ह्यां ह्वाइ क्या च ?
घरवळि -इन पूछो कि क्या क्या नो ह्वाइ ?
मि -अच्छा बोल त सै क्या क्या ह्वाइ ?
घरवळि -सि द्याखदि मिसेज जेपी नड्डा कथगा पुळेणि च !
मि - कनो मिसेज नड्डा यीं उमर मा नानी बणि गे कि दादी बणि गे ?
घरवळि -तुमन क्या समजण कि मिसेज जेपी नड्डा 'वेटिंग' कु क्या मजा लीणि च।
मि -कनो मिसेज नड्डा कु  ईं उमर मा कुछ ?
घरवळि -उंह ! मिस्टर जेपी नड्डा नरेंद्र मोदीक कैबिनेट 'इन वेटिंग ' मा केंद्रीय सरकार का टेलीकॉम मिनिस्टर 'इन वेटिंग ' बौणि गेन। अर मिसेज नड्डा  मिसेज मिनिस्टर 'इन वेटिंग' कु झर फर सब्युं तैं दिखाणी च।  मि तैं बि पुछणि छे ," मिसेज कुकरेती ! मि मिसेज टेलीकॉम मिनिस्टर 'इन वेटिंग' कन लगणु छौं ?"
मि - मिस्टर जेपी  नड्डा अब टेलीकॉम मिनिस्टर 'इन वेटिंग' ह्वे गेन  ?
घरवळि -हाँ आर आज मिसेज गडकरी मिसेज अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर 'इन वेटिंग' हूणो ख़ुशी मा पार्टी दीणी च।
मि -क्या ?मिसेज गडकरी मिसेज अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर 'इन वेटिंग' हूणो ख़ुशी मा पार्टी दीणी च?
घरवळि -यी ना, मिसेज रविशंकर प्रसादन पावर कॉरिडोर मा मिसेज लॉ मिनिस्टर 'इन वेटिंग' बणणो खुसी मा एक कल्चरल प्रोग्राम बि उर्यायुं च।
मि - मिनिस्टर 'इन वेटिंग' बणणो खुसी मा ?
घरवळि -हाँ ! अर मिसेज अरुण जेटलीन त मिसेज फाइनेंस  मिनिस्टर ''इन वेटिंग'' की खुसी  मा पिकनिक पार्टी का इन्विटेशन कार्ड बि छपवाइ ऐन।
मि -यी क्या बरड़ाणि छे तू ? मिनिस्टर इन वेटिंग ?
घरवळि -बस मिस्टर सुषमा सवराज नाराज छन कि मिसेज सुषमा सवराज तैं मिनिस्टर 'इन वेटिंग' ना लोकसभा स्पीकर 'इन वटिंग' बनाणा छन।
मि - जरा ठीक से खुलासा कौर कि 'इन वेटिंग' कु झमेला क्या च ?
घरवळि -ह्याँ , ब्याळि 6/4/2014 कुण  ! भाजपा का बड़ा बड़ा नेताओं की एक सीरिअस मीटिंग ह्वे अर हरेक तैं चुनाव हूण से पैलि मिनिस्टर ''इन वेटिंग'' का पद बांटे गेन।  अर यांक खुसी मा हरेक 'मिनिस्टर ''इन वेटिंग'' का रिस्तेदार उल्हास मा , खुसी मा, प्रसन्नता मा पार्टी दीणा छन।   
मि -हैं ! चुनाव शुरू नि ह्वेन , रिजल्ट अबि नि ऐन अर भाजपा वाळुन कैबिनेट मिनिस्ट्री बणै बि आल ?
घरवळि -हाँ ! अर बैक डुअर पावर कॉरिडोर मा आज मिसेज अमित शाहन पीएमओ मा मिसेज मिनिस्टर ऑफ स्टेट बणणो खुसी मा डांडिया डांस कु कार्यक्रम धर्युं च।  मि बि उखी जाणु छौं।
मि - क्या ?
घरवळि -हाँ ! कास तुम बि मिनिस्टर 'इन वेटिंग ' बणी जांदा तो मि बि पंडो डांस कु कार्यकर्म उर्यांदु।  पण तुम त  …… ?
मि -हा हा ! ब्वेक गर्भवती हूणो क्वी खबर नी  च अर भाइक नामकरणों दिन निश्चित ह्वे गे हैं ?


Copyright@  Bhishma Kukreti  8 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

 

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