Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 361010 times)

Bhishma Kukreti

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       ठग :  व्यंग्यात्मक कविता

लोकप्रिय कवि : हरीश जुयाल 'कुट्ज'
पीठ पिछ्नै आग लगाकि मुजाण  कु अयाँ छन
पर्या काँधम बंदूक धैरीक टैगर दबाण कु अयाँ छन।
कैन उड़ण  मुल्कs असमान मा फुर्र फुर्र
चखुला नमान सबि हवै जाज चलाण कु जयां छन।
 यूंकि चाल ढाल बींगिक इन लगणु च ये बगत
बोट मंगणा  बान दुबरा , हमतैं लडाण कु अयाँ छन ।
कखि धनकुर्योंन  धाण कार , हळयूंन हैळ लगाइ
बाजा दिल्ली लखनौ मछर -माखा उड़ाण कु जयां छन। 
भेस बणाकि अयाँ तौंकि सानी बाच सै नि छन
पैरिक स्यु खलड़ी आज स्याळ ठगण कु अयाँ छन।
कैन चा बीड़ी पेइ , क्वी छुयुं मा मिस्यां छन
 क्वी  जुयाल' की कविता सुणिक सिरफ़ जम्हाण कु अयाँ छन।

 
Copyright @ Harish Juyal, Malla Tasila, Badalpur , Pauri Garhwal

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Bhishma Kukreti

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                         नरेंद्र मोदीक मंहगाई दगड़ मुखसौड़

                                        चबोड़्या : भीष्म कुकरेती

जिस जमीं पे पैर रखूं भूचाल वहां आता है

जमीं तो जमीं आस्मां भी थर्राता है

नरेंद्र मोदी - ये भै डराइबर भाई ! कैसेट म गाणा त तू सही टैम पर चलांदी भै !

ड्राइवर - जी इथगा मंत्री अर प्रधान मंत्र्युं  दगड़ काम कर्युं च त पता च बल कौं तैं कै बगत क्या चयेंद।

नरेंद्र मोदी - अरे ! अरे ! या बिगरैलि बांद क्वा च ? इथगा बढ़िया आकर्षक कपड़ा , सर्पणी जन धमेली , चमेली जन सुगंध छुड़ण वळि बांद क्वा च ?

बिगरैलि बांद  - ले मि तैं नि पछ्याण ?

नरेंद्र मोदी -ना।

बिगरैलि बांद  - ले अफु त तीन न्यूत देकि भट्याइ छौ अर अब पुछणु छे मि कु छौं। 
नरेंद्र मोदी - पर मीन तो चीन कु प्रधान मंत्री तैं न्यूत दे छौ।

बिगरैलि बांद  -पहचान कौन ?

नरेंद्र मोदी -सची मीन त्वै तैं कबि नि द्याख।

बिगरैलि बांद  -अच्छा एक क्लू दींदु।
नरेंद्र मोदी -क्या च क्लू ?

बिगरैलि बांद  -चुनावुं टैम फर त तू मौक़ा दर मौक़ा  पर बुल्दु छौ आएंगे , आएंगे    ……

नरेंद्र मोदी -हाँ अच्छे दिन आएंगे बुल्दु त जरूर छौ

अच्छे  दिन -हाँ त मि अच्छे दिन ही छौं।
नरेंद्र मोदी -पर अच्छा दिन त पुल्लिंग च अर तू त सजीली , सुंदर , कजरारी स्त्री छे।

अच्छे  दिन -ह्यां दिन , रात असल मा ना त पुल्लिंग छ ना स्त्रीलिंग।  यी त न्यूट्रल जेंडर छन।

नरेंद्र मोदी -हाँ ! या बात त सै च।

अच्छे  दिन -अब देख ना मंहगाई छ त न्यूट्रल जेंडर पर तुम लोग वीं तैं स्त्रीलिंग बथौँदा।
नरेंद्र मोदी -नाम नि ले वीं करमजात मंहगाई कु , मि तैं मिल जा ना तो मि वीं तैं पाकिस्तान भेजी द्यूं।

अच्छे  दिन -कनो अबि तलक हाथ नि आयि।

नरेंद्र मोदी -मि तैं जरा कखि वा करमजली मंsगैs  कैं बि हाल मा कखि दिख जा ना तो मि वींक कचूमर बणै द्यूं , वीं कळमुंडिक खग्वट बैठे द्यूं , वीं कुलंगारिक कतल करि द्यूं।

अच्छे  दिन -कनो वा मंहगाई काबू मा नि आणि च ?
नरेंद्र मोदी -मीन अपण मंत्री , सचिव , जयललिता , ममता, दिग्विजय सिंह सब तैं काबू मा कौर ऐन , इख तलक कि बड़ा -बड़ा कारोबारी , चीन , जापान , अमेरिका , ब्रिटेन का  राष्ट्रध्यक्षुं तैं काबु कौर याल।  किंतु  वा    कालसर्पणी  ,  कुसण्या, कुकरतबी काबु मा नि आणि च।

अच्छे  दिन -पर तीन मंहगाई तैं कम करणो कदम उठै छन कि ना ?

नरेंद्र मोदी -अरे कथगा इ सिद्ध कामयाब कदम उठैन किंतु वा कालिंदारी , कुबाणिक , कुस्वाणी ,कुमेसणी , कौंखाण्या (दुर्गन्ध युक्त ), क्वासिकाणी (निपट अंधी ) मंहगाई कम हूँणै जगा बढ़णी ही च।  ग्यूं -चौंळ  तो ठीक च पर दाळ अर भुज्युं दाम कम नि हूणा छन।

अच्छे  दिन - तो भुज्जी अर दाळ बि सरकारी रासनूं दुकान्युं मा पौंछे देदि।
नरेंद्र मोदी -वी त मुस्किल च।  सब्जी दुकान्युंम पौंछद पौंछद सड़ जांद अर दाळ पर टेर (दाळ कीड़ा ) लग जांदन।   

अच्छे  दिन -पर तुमर प्रवक्ता तो किराणा रौंदन कि मंहगाई काबू मा च। 

नरेंद्र मोदी - वु त राजनैतिक रणनीति का तहत चिल्लाणा छन की मंहगाई कम ह्वे गे , मंsगैs कम ह्वै गे।

अच्छे  दिन -ह्यां पर मंहगाई कम करी देदी।  टैक्स  कम कर देदी , सब्सिडी बढ़ै देदि।
नरेंद्र मोदी -टैक्स कम करुल अर सब्सिडी बढ़ौल तो फिस्कल डेफिसिट बढ़ जाल अर फिर विदेशी निवेश नि ऐ सकुद। अर फिस्कल डेफिसिट बढ़ जावो तो मंहगाई और बढ़ जांद।

अच्छे  दिन -हे भग्यान ! तो तीन चुनावुं बगत लोगुं क्या अपण धुर विरोध्युं मन मा इथगा आशा किलै भौर कि मंहगाई कम ह्वै जाली।  ममता बनर्जी , सोनिया गांधी , मुलायम सिंग बि बिचारा आस लगैक बैठ्याँ छन कि नरेंद्र मोदी ऐ ग्याई तो मंहगाई कम ह्वै जालि।

नरेंद्र मोदी -मि मर्द तैं जनानी बणै द्योलु पर यीं मंहगाई तैं काबू नि कौर सकणु छौं।

अच्छे  दिन -बिचौलियों पर काबू कौर ना !
नरेंद्र मोदी -हूँ ! मीन भारतौ इतिहास पौढ़।  जै बि राजा , सम्राट , बादशाह , कलेक्टरन बिचौलियों तैं काबू करणै कोशिश कार बिचौलियोंन  वैको ही राज खतम करवै दे।

अच्छे  दिन - तो फिर ?
नरेंद्र मोदी -करलु त अवश्य , किन्तु समय लगल जरा।  अरे अरे ! तू अब बदसूरत , काळी -कलूटी , दुर्गन्धयुक्त किलै दिखेणि छे ?

अच्छे  दिन -किलैकि मि अच्छे दिन का भेष मा मंहगाई छौ।
नरेंद्र मोदी -अरे अरे ! कख भाजी गए तू , पकड़ मा ऐक बि तू हाथ से निकळ गे।
नरेंद्र मोदी - ड्राइवर ! वा जनानी कख भाग ?
ड्राइवर - कखि ना ।
नरेंद्र मोदी - नै नै ! मीन सैंदष्टि (सदृश्य ) द्याख अर वींक दगड़ बात बि कार।
ड्राइवर - प्रधान मंत्री जी ! वा अच्छे दिन या मंहगाई नि छे।
नरेंद्र मोदी - तो क्वा छे ?
ड्राइवर - वा त प्रधान मंत्रीको भरम छौ , गलतफहमी छे ।
नरेंद्र मोदी - प्रधान मंत्रीको भरम, गलतफहमी  ?
ड्राइवर - हाँ हरेक प्रधान मंत्री को एक भरम  हूंद कि वा या वु मंहगाई कम करिक अच्छे दिन लै सकद। सर ये कैसेट सूणां

जिस जमीं पे पैर रखूं भूचाल वहां आता है
जमीं तो जमीं आस्मां भी थर्राता है

Copyright@  Bhishma Kukreti 13  /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;
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Bhishma Kukreti

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सच की आँखि मोतीबिन्द :  व्यंग्यात्मक कविता
लोकप्रिय कवि : हरीश जुयाल 'कुट्ज'


सच की आँखी मोतीबिन्दु , झूठा आँखा छाळा छन
बुरै चमकणी च चम्म , भलै फरै जाळा छन।
बैला -बांजs घास पींडु खैकि उतण हुयाँ छन
जौंन अन्नै दाणी कमै उंका गिच्चों म्वाळ छन।
मनखि बिरड़ि कांठि उजड़ि रंग ढंग बिगड़ि गे
डाळि बूटी कुल्हड़ि खैगे डाळा  बण्या डाला छन।
डिस्कों डांस  दर्वाजा सब्युं कुण खुल्यां छन
थड्या गीत चौंफळौ  घार लग्यां ताळा छन।
सत्तू रैगै सासु मा सपड़ांग रैगै ब्वारि  मा
मैल्या मुलक गाणि रैगे तैल्या मुलक क्याळा छन।
विधाता कि पोथि का तु द्वी वचन हि गेड़ धैर
अद्दा दिन त ग्वारा , 'जुयाल' अद्दा दिन काळा छन। 
 
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                               भावी बहू द्वारा भावी सास का कड़क इंटरव्यू

                                चबोड़ , चखन्यौ ,  मसखरी : भीष्म कुकरेती


भावी  बहू की ब्वे - गुंदरी  का डैडी ! सूणो ! सी लड़काक घौर ऐ तुम ऊख एक लफज बि नि बुलिन हाँ।
गुंदरी  - यस डैड ! आप प्लीज चुप इ रैन।  मा अर मि लड़का अर लड़का की माँ का इंटरव्यू ले ल्यूंला।
नौनी  बुबा (मन मा ) - मीन आज तक बवाल बि च क्या ?
नौनीक ब्वे - ले सी दरवज बि ऐ गे।  सूणो मीन बुलणो मना कार छौ , घंटी बजाणो मना नि कार !
भितर बिटेन नौनाक बुबा भैर आन्दन - सुस्वागतम , वेलकम की वेलकम।  बैठो  सि सम्यणक सोफ़ा मा आप बैठ जावो।  अर ये सोफ़ा मा मि , म्यार नौनु अर मेरि वाइफ बैठी जाली। यु म्यार नौनु च।
नौनी - वेरी गुड अरेंजमेंट हाँ !
नौनीक ब्वे - आपका पुत्रक  प्रोफाइल हमन  देखि आल छौ अर सोसल मीडिया मा बि टटोळ।  ही इज वेरी सफोस्टिकेटेड, इंटेलिजेंट  ऐंड दगड़म स्मार्ट बि लगद हाँ। बाइ द वे नौनक ब्वे नि दिख्याणी छन ?
नौनी  बुबा ( अपण कज्याणिक  कन्दुड़म ) यां तब तक नौनाक इंटरव्यू ले लेदि
नौनिक ब्वे (गुस्सा मा ) - वो हो  हमर बेटी उस्ताद च।  नौनु कथगा बि खुर्रांट होलु व वै पर कब्जा जमै देली।  तुम  खुर्रांट नि छया ? कार च कि ना मीन तुम पर कब्जा ?भावी सास महत्वपूर्ण च।
नौनाक बुबा - ल्या सि ऐ गे मेरी मिसेज ऐक्स  ! मि फिर से सब्युंक परिचय करांदु  ……।
नौनि - त मिसेज ऐक्स ! आप सुबेर कथगा बजि बिज जांदा।
नौनक ब्वे - बुबा बिजणो ले क्या च।  मि त टैम पर हि बिज जांद। सुबेर सुबेर बिजण त मेरी सासुन सिखै दे त   … ।
नौनी - मिसेज ऐक्स यु त क्वी जबाब नि ह्वे।
नौनिक ब्वे -असल मा  मेरि गुंदरीक निंद तब तलक खुल्दि नी च जब तलक वींक बेड मा चाय अर चार अखोड़ लग्यां बिस्कुट नि ह्वावन। वै मामला मा वा बिलकुल में पर   जईं च। सुबेर  बिजणो मामला मेरी सासु बड़ी अनुशासनप्रिय च त हम दुयूं तैं बिजदी चाय अर बिस्किट मिल जांदन।
नौनी - मिसेज ऐक्स ! आप तैं कॉन्टिनेंटल ब्रेकफास्ट बणाण बि आंद  ?
लड़काक  ब्वे - बुबा ! ब्रेकफास्ट बणाण त आंद च।  पर यु कॉन्टिनेंटल ब्रेकफास्ट ?
लड़की   ब्वे - पास्ता , बनि बनिक सूप आदि।  क्या च मि तैं अर गुंदरी तैं हफ्ता मा तीन दिन कॉन्टिनेंटल ब्रेकफास्ट खाणो ढब पड्युं च।  अर मेरी मदर इन लॉ कॉन्टिनेंटल ब्रेकफास्ट बणाण मा एक्सपर्ट च।  भै मि त बड़ी भाग्यशाली छौं कि मि तैं इथगा बढ़िया सास मिलीं ,
च। मेरी सासु तैं हर तरांक ब्रेकफास्ट बणाण आंद च।
नौनी - मिसेज ऐक्स ! इंडियन वेज -नॉन वेज कुइजिन का अलावा तुम तैं इटालियन , फ्रेंच , स्पेनिश कुइजिन बणाण बि आंद ?
नौनक  ब्वे - इटालियन , फ्रेंच , स्पेनिश कुइजिन बणाण का मतबल ?
लड़किक ब्वे - हाँ उ मेरी गुंदरी तैं हफ्ता मा इटालियन , फ्रेंच , स्पेनिश कुइजिन खाणो आदत जि पड़ी च।  मेरी सासु बड़ी लगनशील मनख्याण च।  मेरी सासुन म्यार बान यूरोपियन कुइजिन बणाण सीख।
नौनी - मिसेज ऐक्स आप तैं गढ़वाळि खाणक बणान त आंदु ही ह्वाल जन कि फाणु , बाड़ी , पळयो -छंछ्या , झंग्वर आदि आदि ?
लड़काक माँ - ना बुबा म्यार जलम गढ़वाळ से भैर ह्वाइ तो  गढ़वळि खाणक बणाण नि आंद।
नौनी (रुंद भौण मा )- मम्मी ! इस हालात में मै अपनी संस्कृति कैसे बचा सकती हूँ।?
नौनिक ब्वे - गुदरी ! डोंट वरी ! तेरी दादी मिसेज ऐक्स तैं गढ़वाळि कुइजिन बणाण सिखै द्याली ना !
लड़की - अच्छा आप तैं गढ़वाली गीत अर नृत्य त आंद ही होला ?
लड़काक माँ - क्या ?
नौनिक ब्वे - वु क्या च मेरि गुंदरी अर म्यार मनण च कि हम तैं अपण गढवळि कल्चर प्रोटेक्ट करण चयेंद तो नृत्य अर गीत  …… जब बि म्यार या मेरी बेटीक दगड्या हमर घौर आंदन त मेरी सासु बढ़िया गीत गांदन अर गढवळि डांस बि करदन।  वी इंज्वॉय ए लौट !
लड़काक माँ - मि तैं त नि आंद यी बादी -बदिणी स्वांग !
नौनी (रुणफती ह्वेक ) - मम्मी ! हौ विल आई प्रोटेक्ट ऐंड प्रोमोट  माई  कल्चर ?
लड़कीक ब्वे - व्हाइ टु वरी ? तेरी दादी मिसेज ऐक्स तैं एथनिक डांस -सौंग  सब सिखै द्याली ना !
लड़का - एक बात बथावो आप मै से त क्वी सवाल इ नि पुछणा छंवां ? सब सवाल मेरी मांजी से ही करणा छंवां।  क्या बात च ?
लड़कीक  ब्वे - वु क्या च हम इन खानदान खुज्याणा छंवां जख मेरी बेटी तैं सासु सुख मीलो !
लड़काक  बुबा - मीन सूण बल तुम अपण लड़का कुण बि ब्वारि ढुंढणा छंवां ?
नौनिक ब्वे - हाँ ।
लड़काक बुबा - कन ब्वारि खुज्याणा छंवां ?
लड़कीक  ब्वे - ज्वा नौनी मि तैं ब्वारिक सुख दे द्यावो।

Copyright@  Bhishma Kukreti 14  /9/ 2014     
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  नजर उत्तराखंडै  कुर्सी

विद्वान कवि ; पूरन पंत 'पथिक'

मिस्यां छन बस घोषणौ पर ,
जौंको उत्तराखंडै  कुर्सी।
अहा भैजि शिल्यानास,
नजर  उत्तराखंडै  कुर्सी।
सूणां दाज्यू उद्घाटन,
चयेंद उत्तराखंडै  कुर्सि ।
धर्म लोकार्पण इबारे ,
बचै रखण अपणि कुर्सी।
लाल बत्ती -गाडी -घ्वाड़ा हम सणि ,
चयेंद छ्वटि -म्वटि या उच्ची कुर्सी।
अबि मिलीं छन, बचै रखणि,
 टैम्परैली अपणि  कनि बि कुर्सी।
शान या इज्जत हमारी
एम्बेसेडर दगड या कुर्सी।
प्रोटोकॉल, रिगदा लोग
कोष ई च हमारी कुर्सी।
लूछि दियां , लमडै दियां ना ,
लाल बत्ती अर या कुर्सी।
अहा कुर्सी , वाह कुर्सी ,
हमारी जो तु छे कुर्सी।
हमारी ब्वेन पिवै कुर्सी ,
खवै अर पेराई कुर्सी।
ढिक्याण -डिसाण  उठण -बैठण
हम खुण्ये   या बणै कुर्सी।
सांग बी जब सज्यालु तबि बि तू दगड़ इ रैली ,
किलै,
कैकुण,
क्योक बिसरण या कुर्सी।
हमारी छे तू , त्वे कुण हम ,
बिन तेरा कंगाल हम, ये कुर्सी।
चौदा साल कन खस्स खस्किन ,
अहा कुर्सी,  वाह कुर्सी।
वक्त कम, ठेकेदारी बिंडी
कनि बचीं रैली तू मेरी गळकंठी कुर्सी।

Copyright @ Puran Pant 'Pathik' Dehradun

garhwali.dhai100@gmail.com

Bhishma Kukreti

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   कार्यालय प्रबंधन का परिपेक्ष  मा महाभारत का चरित्र

                               मूल : सतीश दीवान
                     छिंडारण  वाळ : भीष्म कुकरेती
 द्रोणाचार्य याने पथप्रदर्शक ; बड़ा जणगरु ,  सब कुछ ज्ञान ह्वेक बि कुछ नि करण वाळ बस नया नया कारिंदौं तैं प्रशिक्षण दीण मा अग्वाड़ी।
भीष्म - दानो , सयाणो  कारिंदा।  वीआरएस लीणै उमर। नालायक बॉस तैं पुरो समर्थन दीणो "मजबूर लायक कारिंदा "
धृतराष्ट्र - अंधा  बॉस जु जाणदु च कि वैक प्रोजेक्ट मा कथगा खामियां /कमियां छन पर नई विधि नि अपनाणो मजबूर बॉस
गांधारी - यस वूमन ! बौसक सबसे खास कारिंदा , ज्वा जाणदि च कि सब कुछ गलत हूणु च पर बॉस का पल्ला नि छुड़ण  वळि खिलाड़न
युधिष्ठिर  - आदर्शवादी अर जैक  आदर्शवाद का चक्कर मा हमेशा वैक दगड्या फंसदन
भीम -गुस्सैल मैनेजर अर सब्युं पर क्या अपण बॉस पर बि गुस्सा ह्वे जांद पर बॉस भक्त
अर्जुन - अपण काम करण मा होशियार अर छोर्युं तैं आकर्षित करण मा उस्ताद। 
नकुल सहदेव - बस अपण काम मा व्यस्त।  साधारण तनखा बढ़ोतरी, कम बडाइं  मा बि खुस
दुर्योधन - कै बि तरह से काम हूण चयेंद मा विश्वास करण वाळ बौस ! पर अपणा मैनेजरों से ही धोखा खान्द
कर्ण -लगन शील , कर्मठ कारिंदा पर कबि नि बतांदु कि वैन यु काम कार।  बॉस का अहसान कबि नि बिसरण वाळ।  मार खाण मा अग्वाड़ी अर पिठै लगद दैं सबसे पैथर !
दुशासन - बॉस की प्रतिछाया , यस मैन !
शकुनि - नकलची, मुसक्या चोर , नामी सलाहकार , जुवारी अर धुर्या
द्रौपदी - सँजैत संसाधन
कृष्ण - असली बौस।  रणनीति अनुसार , योजनानुसार काम करांदु अर कारिंदा तैं लगद कृष्ण ना, बल्कण मा वैकि अपणी योजना च।
आभार -डा बलबीर सिंह रावत की मेल
15 /9/ 2014     

Bhishma Kukreti

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 ससोड़  ले दारु ,पेल ले दारु

विद्वान कवि ; पूरन पंत 'पथिक'
अहा दारु , वाह दारु
इख दारु , उख दारू
तख दारू , कख नी दारू
ले दारु , पे दारु
               राजस्व बढ़ौ दारू
                 माफिया बणौ दारू
               चुनाव जितौ दारू
               भाषणो आधार दारु
               कवि सम्मेलनों पछ्याण दारु
सूंग दारु , सुंगा दारु
पे दारु पिलौ दारु
                          जनमबार मा दारु
                          नामकरण मा दारु
                         मुंडन मा दारु
                         जंद्यो लींद दैं दारु
                        ब्यौ बरात्यूं दारु
                        भितर पैंचिम दारु
                        घड्यळम दारु 
मुर्दाघाट मा बरजाति दारु
तिरैं मा बामणु भोग दारु
बरखी मा शुद्ध होणो दारु
शराध मा अभागण दारु
                    सर्वशक्तिमान दारु
                   असली पहलवान दारु
                   कुर्सी चारपाया दारु
                    ऐंच दारु , निस दारु
चखळ पखळम दारु
कळच पळचम दारु
              आपणो परायो दारु
              स्वर्ग बि दारु , नरक बि दारु
              राजनीति का मर्म दारू
              दरवड्यों धर्म दारू
प्रेम दारु , गुस्सा दारु
 खुसी दारु , दुःख दारु
                    देव दारु , पिचास दारु
                  अर्दली दारु , वीआईपी दारु
                  नीली बत्ती दारु , लाल बत्ती दारु
                 पंचायत दारु ,ब्लॉक  दारु
                 जिला दारु , प्रदेश दारु
पार्टी दारु , बयान दारु
सत्ता -प्रेस दारू ही दारु
                 कार दारु , जीप दारु
                  टैक्सी दारु , क्या नी दारु
                  सरकारी दारु , प्राइवेट दारु
                 फौजी दारु , स्मगल्ड  दारु
                 कुटीर उद्योग दारु

छि  बि दारु , ला तब दारु , हाँ तब दारु
चंदा कुणि बहाना दारु , सब मा दारु
                 
           हाँ मि दारु , तू दारु , वह दारु
          वाह दारु , आह दारु
          बाड़ा बि दारु , काका बी दारु
           नाती दगड़ ददा बि दारु
          टीचर बि दारु , च्याला बि दारु
मिनरल वाटर संग दारु
ढँढिक  पाणिमा  दारु
निथर नीट ही सै पर पेल ले दारु
               फ़ोकट की , वाह दारु
               अपण खीसाकी , आःह दारु
              भलो बुरो काज दारु
             जोड़ दारु
             तोड़ दारु
             भेंट दारु
             तिकड़म दारु
              रिसवत दारु
            मार दारु , सार दारु
वाह दारु , धन्य दारू
गिच्च बंद कर दे दारु
जै दारु ! वाह दारु !

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Bhishma Kukreti

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              हमन त बचपन माँ हजारों मीलै जात्रा करि याल छे

                         हंसोड्या , चबोड़्या : भीष्म कुकरेती

            पैल  पत्र - पत्रिकाओं अर अजकाल इंटरनेट माँ लोग बाग़ अपण बचपन की सुखद याद बथान्दन अर फिर तरसद छन कि कास ! वु बचपन वापस बौड़िक ऐ जांद तो अहा वाहा आदि ! अर मि अपण नाती नतिणणियूं उमर  का बच्चों बचपन   दिखुद तो मि तैं लगद यूँ बच्चों बचपन हिसर की गुंदकिदार फल च तो म्यार अपण बचपन टरमरु गन्धेला (कड़ी पत्ता ) कु फल छौ ।
  हम बि अचकालौ बच्चों तरां बचपन मा फॉरेन या अंतर्देशीय टूरिस्ट प्लेसुं  घुमणो राड़ घल्द था अर पैल त हमर ब्वै बाब हमर टूरिज्म प्रेम रुकणो बान  "नि जाण पैल तू ऋषिकेश " गाळी अस्त्र प्रयोग करिक तड़ तड़ाक हमर इच्छा उखमि मार दींद था अर यदि हम मा अपण टारगेट पर पौंछणो दृढ़शक्ति बचीं रौंदि छे अर हम फिर बि ऋषिकेश जाणो इच्छा कम नि करदा छा तो हमर ब्वै बाब सदाबहार धौल या थप्पड़ जन अहिंसक शस्त्र प्रयोग करिक हमर अंदर बैठ्युं प्राकृतिक घुमन्तु गुण का सरेआम कतल्यौ करि दींद छा। थप्पड़, मुठकी आदि  शस्त्र  हूंद छा  जु हम बच्चों अंदर मनुष्य का प्राकृतिक गुण खतम करणो सबसे सुलभ अर सटीक शस्त्र छया अर यदि हमर मनुष्य का प्राकृतिक गुण याने घुमणो इच्छा तब बि ज़िंदा रै जावो तो डंडा शस्त्र कु प्रयोग करिक इच्छा मर्दन कु कर्मकांड पूरा करे जांद छौ।  हमर इच्छा मर्दन कर्मकांड से गाँव वळु तैं बगैर बातौ मनोरंजन बि प्राप्त ह्वे जांद छौ।  भौत सा हौर ब्वे बाबुं कुण अपण बच्चों घुमणो इच्छा मारणो एक घर बैठा उपाय याने  देव दत्त अवसर मिल जांद थौ वु अपण बच्चा या बच्चों तैं हमर मार का उदाहरण देकि सचेत करदा छा कि " यदि तुमन बि ऋषिकेश या कोटद्वार दिखणो राड़ घाळ तो ये घौरम क्वी बि डंडा या फण्यट साबुत नि बचल। " कैक ग्वाठ  बाग़ अर हैंकाक ग्वाठ जाग वळ हिसाब ह्वे जांद छौ।
 ब्वे बाबुंम गाळी दीण या पिटण से अधिक समय हूंद नि छौ तो उ त जिमदार करणो खेतुं मा चलि जांद छा।
      एक बाद बच्चा या तो अपण ददिक खुकली खुज्यांद छौ अर यदि अपण ददि नि ह्वा तो दुसराक दादी की खोज मा गां मा घुमण मिसे जांद छौ। दादी कैक बि हो वा इन बगत बड़ी संवेदनशील ह्वे जांद छे अर जब अपण दादी अथवा दूसरोंकी ददि इन बगत संवेदनशील ह्वे जाव तो एक ना चार पांच बच्चा वीं संवेदनशील बुडड़ि ध्वार बैठ जांद छा अर हम सब बगैर खुट उठयां , बगैर ठोकर का , बगैर थक्यां ऋषिकेश पौंच जांद छा।
  वा संवेदनशील ददि (बुडड़ि ) बड़ी सलीका से हम तैं सिंगटाळी बिटेन बस से शिवानंद आश्रम लिजांदी छे अर बीच मा व्यासिम आलू का गुटका अर परांठा बि खलांदी यदि दादीक क्वी भैर नौकरी करदार हो तो दादी व्यासिम छोला बि खलांद छे।  दादी फिर बस की मीमांसा बि उनि करदि छे जन नरेंद्र सिंग नेगीन अपण कैसेट " बस चली प्वां प्वां  "  मा कौर।  में सरीखा छै -सात साल का बच्चा तैं बस मा कनकै बैठण, बस मा दुसर उल्टी करणु हो तो कनकै बचण से लेकि बस से उतरण कु अनुभव ह्वे जांद छौ। फिर दादी हम तैं मुनि की रेती , त्रिवेणी घाट,  भौत सि  धर्मशाला , भरत मंदिर , लक्ष्मण झूला , स्वर्गाश्रम आदि घुमांदि  छे । ददि ऋषिकेश बजार बि दिखान्दि छे अर अपण गेड़ीम पैसों हिसाबन जलेबी व पेड़ा खलांदि छे।
   उन  वा ददि कबि  बि बस मा बैठी छे ना ही वीं ददिन कबि ऋषिकेश देख छौ।  बस ददिन बि बगैर जयां ही ऋषिकेश दर्शन कौर छौ याने कैन ददि मा ऋषिकेश यात्रा बृतान्त सुणै होलु त ददि बि हम बच्चों तैं बगैर खुट हिलयां ऋषिकेश दर्शन करै दींदी छे।  इनि मेरी ददिन या गां मा दूसरों ददिन हम तैं घर बैठ्याँ कथगा इ दफै देहरादून , दिल्ली अर मुंबई बि घुमाई।  यी त हम पर पड़ी मार पर निर्भर करदु छौ कि दादी हम तैं कखाकि यात्रा करांदि।  छुट -मुट मार पड़नो बाद दादी लोग हम तैं ऋषिकेश -देहरादून तक लिजांदा छा अर बड़ी मार का बाद दादी लोग हम तैं ट्रेन मा बिठैक दिल्ली अर बॉम्बे घुमान्दि छे। चूँकि भूतकाल मा हमर गां का क्वी कोलकत्ता नि जयूँ छौ तो गांकि क्वी बि हम तैं  कलकत्ता यात्रा पर नि लीग।
        बचपन मा मि अर म्यार दगड्या बर्मा अर ईरान तुरान बि जयां छंवां किलैकि हमर गांवक द्वी ददा ब्रिटिश फ़ौज मा जि छया।
 बचपन मा हम बच्चोंन क्या दसियों दादी , काकी , बोडा  , बोडियुंन बगैर हिट्यां-चल्यां  हजारो मील की यात्रा करीं याल छौ । छै -सात साल मा मीन गंगोत्री , जमनोत्री चार धाम यात्रा करी याल छौ अर वू बि बगैर गाँव से भैर जयूँ।

Copyright@  Bhishma Kukreti 16  /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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Bhishma Kukreti

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                   मनुष्य जन्मते गाली खाता है , गाली खाते खाते मरता है

                        झसका दिंदेर , हंसोड्या , चबोड़्या : भीष्म कुकरेती

            हमन बचपन मा जब उत्तरप्रदेश की किताब फरकै छे तो हर जगा एक वाक्य अवश्य हूंद छौ बल भारतीय किसान कर्ज में जन्म लेता है और कर्ज में ही मर जाता है।  पर गढ़वाल मा किसान शब्द प्रयोग वर्जित छौ तो हम छ्वारा  पैरोडी करदा छा बल गढ़वाली बड़ा खाऊ है , जन्मते ही गाली खाता है , मरने पर गाली खाता है और फिर अपने पुरखों के साथ  स्वर्ग में भी पृथ्वी से भेजी गाली खाता है। गां मा गाळी खाण अर कोचि -कोचिक गाळि खलाण हमर मनख्याति (मानवीय ), सामाजिक , सांस्कृतिक धरम अर कर्तव्य का अलावा संस्कृति दत्त अधिकार छौ।  गाळि खाण हमर महान कर्तव्य छौ तो गाळि दीण पवित्र अधिकार छौ।

        चूँकि  हम बच्चा हूंद छा तो स्वील हूणै चखळा -पखळि याने त्यौहार मा हम बगैर न्यूत पयाँ का बि शामिल ह्वे जांद छा अर तब हमन जाण कि बच्चा एक अन्धकार से भैर आंद तो मोळ (गोबर ) की गंध अर गाळयूं धुंवा मा कदम रखद।  हम तैं ज्ञान हूंद छौ कि बच्चा की  नाक मा सबसे पैल   छनि /सन्नी /गौशाला की गंध प्रवेश करद अर कानुं मा प्रथम शब्द या वाक्य गाळि पौंछदन ।

             नौनी ह्वे तो दादी , बड्या दादी , कक्या दादी, काकी,   बोडी सब नौनी कु  'निहुण्या' . 'हूंदी मोर जांदी', आदि सुअलंकृत गाळियूं से स्वागत करदा छा। गाळि नौनी ही ना नौनिक ब्वे से लेकि नौनिक नना , पड़नाना तक पौंछि जांद छा।  नौनी हूँदि हि गां मा इन बरजात पड़ जांद छौ जन शोक भारत मा क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल हरण पर पोड़द ।  हम बच्चा यूँ शोकयुक्त वाक्यों तैं सुणिक सीधा नागराजा मंदिर अटक जांद छा अर नौनु प्रार्थना करद छौ कि ये नागराजा दुसर जनम मा हम तैं नौनि नि बणै अर नौनि प्रार्थना ना नागराजा तैं धमकांदी छे कि तीन हमतैं नौनी किलै बणाइ। नौनी नागर्जा तैं आज्ञा दींदा छा -खबरदार ! हैंक जनम मा हम तैं नौनी बणाइ तो !

 इन नी च कि नौनु ह्वे गे तो नवजात बच्चा तैं 'गाळि महातम्य' सुणनो नि मील धौं ! मनुष्य कमियूं पुतळा च तो मूळ नक्षत्र , पंचक मा , औंस मा , शराधुं मा जनम लीण या बच्चा मा क्वी ना क्वी शारीरिक कमजोरी क बान बच्चा की मा अर बच्चा का नना व पड़नाना नानी अवश्य ही गाळि खांद छा। जन कि कन म्वार एक ?  चिपण्या नाक अपण बेशरम -बिलंच नना से लेक ऐ ग्यायि। माहौल मा गाळियूँ कुयड़ु नि ह्वावो तो वु जनम अपसकुन्या माने जांद छौ।  कुछ नि हो तो  स्वील हूणों बगत -गैर बगत , सुबेर , स्याम , दुफरा , बरखा का नाम से स्विलकड्या तैं गाळि पुराण सुणाये जांद छौ।

     जनम लीणो बाद फिर तो बच्चा हर पल गाळियूँ पालना मा पाळे जांद छौ जन कि - ये तैकि टुटकि लगावो तैन टट्टी कर दे ; तैक गिच्च गोरुक हड़क क्वाचो  तैन /तैंनि म्याळ बुकै याल ; नि द्याखल/द्याखलि  ऐंसुक बग्वाळ  फाणुक भरीं कड़ै मा पिसाब करी दे  आदि आदि। यदि बच्चा तैं गाळि नि दीण हो तो बच्चा का नना , नानी , पड़नानी ,  पड़नना गाळी खांद छा जन कि - ये कन म्वार वैकु  (नानाका ना नाम ) तै घुत्तान (बच्चेका नाम ) माटु बुकै दे। दादीन अपण सासु से मैताक गाळी खयिं रौंद छे तो अफु पर क्वी बि उधार नि रावो  का नियम तहत सासुक गाळियूँ तैं ब्याज समेत बौड़ाणो बान हरेक दादी अपण ब्वारि तैं मैताक गाळी दीन्दी छे।

    बच्चा या बच्ची विटामिन G की गोळी याने गाळि खै खैक जवान ह्वे जांद छा अर तब जवानी मा वु विटामिन G की गोळी ना इंजेक्सन लीद छौ  यथा -  खडर्युं करा , खत्ता धरेल तेरी , निहुण्या , कीड़ पोड़ जैन तैं पूठी पर या नाक पर ; आँखि फूटी जैन , गेरी फुटि जै।  सुबेर नि बिजी , तडम लग जै, बांज पड़ी जैन आदि आदि।   अब युवावस्था मा गाळियूँ मा सेक्स का इन्जाइम डळे जांद छौ - मतबल अपण ब्वेक मैसु , अपण बैणि मैसु , अपण बुबाक सैणि आदि आदि।  कुछ शोभनीय गाळियूँ तैं मि लेखि बि नि सकुद अब।

 ब्यौ हो तो गाळि शास्त्र मा परिपूर्ण इवोल्युसन या विकास ह्वे जांद अर परिवार मा जथगा वयस्क लोग ह्वावन उथगा तरह की अतिविशेष गाळि वातावरण मा तैरणा रौंद छा।  चूँकि गाळि दीण कर्तव्य बि छौ अर अधिकार बि त हरेक मनिख हर पल नई गाळि अविष्कृत करदु छौ अर पुराणी गाळि परिष्कृत करद छौ।  गाळि दीण अर खाण मा लिंगभेद नि हूंद छौ।  जनकी सासु अपण ब्वारी तैं गाळि दींदी छे - ये अपण बुबाकी सैणी त ब्वारि अपण कजे कुण बुल्दि छे - ये अपण ब्वेक मैसु सुणणु नि छे तू ? तेरी ब्वे रंडोळ   मि तैं कन गाळी दीणी च। इथगा ससुर कु जबाब हूंद छौ - ब्वारी ! मि अबि बच्युं छौं। इन कर्तव्य निर्वाह अर अधिकार प्राप्ति कु कर्मकांड हर समय चलदो ही रौंद छौ।

      मनिख/मनिख्याणि  मोरद इ इलै च कि गाळियूँ से मुक्ति मिल जावो किन्तु या दुनिया मर्यां मुर्दा तैं गाळियूँ से मुक्ति नि दींदी।  मुर्दा तैं बि कैना कै रूप मा गाळि दिए ही जांद छौ - अबि मोरण छौ ये निर्भगिन ,   कुगति मीलली आदि आदि। अर मरणो बाद सोरग मील या नरक फिर बि मनुष्य तैं झड़दिदा , पड़दादी , ददा -दादी , ब्वे -बुबा का नामसे पृथ्वीलोक मा गाळि मिलण बंद नि हूंदन।

भलो ह्वेकि अब शहरूं मा चूँकि गाळी अंग्रेजी मा दिए जांदन तो ऊँ बैड वर्डसुं  गाळि नि माने जांद।

 

Copyright@  Bhishma Kukreti 17 /9/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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                 यी सतनज्या  डौर अबि बि डरांदन  !

                      खरोऴया :: भीष्म कुकरेती

    अब मि नाती नतिण्यूं वाळ ह्वे ग्योँ तो भि बचपन मा सुण्यां  कथगा इ शब्द आज बि परोक्ष या अपरोक्ष रूप से आँख दिखाणा रौंदन , धमकाणा रौंदन , खुट पर कुटंसि बांधणा रौंदन।

   सरा जिंदगी यूँ कथगा ही डौरुं तैं खुकली पर उठैक लिजाणु रौं , कंधों मा जनकैक लिजाणु रौं , जिकुड़ी पर चिपकैक लिजाणु रौं अर  आज बि हर समय अपड दगड़ सिवाळणु रौंदु।

          जब मि अपण बचपन पर नजर मारदु त बचपन की पैली याद पकड्वा की डौर च।  मतबल होश संभाळणो पैली  केवल अर केवल डौर की च। ब्वेका वु शब्द अबि बि याद आंदन कि   - ये भैर नि जै , देळि से भैर गे ना कि पकड्वा पकड़िक लीजाल, पकड्वा त्यार रामतेल  निकाळल जन कि कई साख्युं पैल एक दैं फलण गांवक अलण ज्योरूक पड़ददा कु झड़ दादा तैं पकड्वा पकड़िक लीग छौ अर फिर पकड्वान ऊँ ज्योरू तैं ऊल्टु लटकैक रामतेल निकाळि छौ ।  हरेक मा , हरेक दादी अपण बच्चा तैं देळि से भैर नि आणो बान एक ऐतिहासिक सच्चो खलनायक याने मुस्लिम उठाईगीर का चित्रण करिक डरांदि छे अर हम बालक -बालिका देळि से भैर एक नई दुनिया की खोज करण चांदा छा किन्तु वो पकड्वा डौर हम तैं सुलभ , प्रकृति दत्त गुण सतत  अन्वेषण  करण से दूर कर दीन्दी छे।  आज बि मा अन्वेषण करण मा मि तैं डौर लगद, नया -नया क्षेत्र मा जाणो सुचदि पग्गड़धारी , भयानक , निर्दयी पकड्वा याद ऐ जांद जाँसे शरीर मा अस्यो -पस्यो (पसीना ) का धारा बगण शुरू ह्वे जांदन अर अंतमा पिछलग्गु बणन मा फायदा चितांदु। 

   फिर जब हम फिरण लैक ह्वे जांद छा त सरा गांका हमसे बड़ा -बूड़ लोग डरांदा छा कि अंक्वैक जावो निथर नवा कखि तुमर घुण्ड फुटि जाल , मुंड फुटि जाल , हथ -खुट टूटि जाल , भट्युड़ थिंचे जाल, त्वे पर रोग लग जाल ।   जख हमर शरीर अर मन कठिन किन्तु रोमांचक यात्रा (गांवक सैर ) करणो उत्साहित करदा छा तो हमर वरिष्ठ हमारी रोमांचिक प्रवृति पर डौर का गरम गरम रंगुड़ फेंकिक हमारी रोमांचक प्रवृति सदा सदा का वास्ता खतम करी दींद छा।  आज यीं उमर मा बि शारिरिक नुक्सान का बारा मा सोचिक हि डौर लगण शुरू ह्वे जांद अर सच्ची पूछो तो ता जिंदगी का रोमांच इख तलक कि बस या साइकल यात्रा मा बि शारीरिक नुक्सान कु डौर  लगद।

डौर हमर दिमाग मा कीटि कीटिक भरे जांद छे।  हमारी सामाजिक शिक्षा कु आधार ही डौर छौ। 

जब बिटेन होश संभाळ अर आज तक अपण वरिष्ठों से एक वाक्य हर दिन सुणदु -   तन नि कौर! लोग क्या ब्वालल   अर यी लोग क्या ब्वालल वाक्यन मि तैं ऊँ यी पुराणो रस्तों पर चलणो मजबूर कार जू रस्ता लकीरों का फकीरों का वास्ता आरक्षित छन।  हमेशा से इच्छा हूंदी छे कि मि अफुकुण एक अभिनव , नया रस्ता बणौ  किंतु वरिष्ठों सिखयुं वाक्य "तन नि कौर! लोग क्या ब्वालल  " मि तैं पिट्याँ -खत्याँ,बेकार, ढंगार, उबड़ -खाबड़, थकाँद रस्तों पर ही चलणो मजबूर करद।

एक हैंक डरौण्या वाक्य च जु अबि बि सब में से बुल्दन - ये भीषम तू तन करणी छे अर कखि रिस्तेदार , भाई -बंद नाराज ह्वे गे तो ? अर ये वाक्यन मि तैं सफाचट निकज्जु बणै दे।  मि तैं हर समय डौर रौंद कि मि इन करुल , मि तन करुल तो कखि ब्वे- बाब, भै -बंध में से प्यार की जगा घृणा करण बिसे जाल तो ? अर कैक प्रेम नि ख्वे जावो का डौरन मि कुछ बि नि करदो।

भूत का डौर तो हम तैं जन्मदि दूधो दगड़ पिलाये जांद अर दगड़ मा बुड्या हूणों खुराक बि दूधौ दगड़ ही ही पिलाये जांद अर फिर हम ताजिंदगी वर्तमान मा रौण ही भूल जाँदा अर यूँ डौरुं चक्कर मा यु लोक ((वर्तमान ) अर परलोक (भविष्य ) की सब खुसी भेळ जोग ह्वे जांदन।

मृत्यु की तो डौर अफिक ऐ जांद अर या डौर हमारी सब संभावित तागत पर हर समय जंक लगाणी रौंद , हर संभावना पर मृत्यु भय पलस्तर लगाणु रौंद।

अब द्याखो ना ये लेख टाइप करणो बाद मि तैं डौर सताणि च कि -

पता नि पाठक Like करदा छन कि ना ?

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पता नि पौढिक पाठ्कुं तैं लेख पसंद आलो कि ना ?

पता नि म्यार देवदूत याने प्रेमी पाठक टिप्पणी करदा छन कि ना ?

खैर हे पाठको ! तुम नि डौरो अपणि राय निडर ह्वेक बताओ।  ह्यां आपकी टिप्पणि से मि तुमर कुछ बि नि बिगाड़ सकद तो आलोचना करण बि पोडो  तो आलोचना कारो ना ! पर कुछ तो कारो ! मेरी नराजी से नि डौरो।  उल्टां डौर तैं डराओ !

         

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