Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360994 times)

Bhishma Kukreti

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दिमाग डिस्काउंट पर उपलब्ध हैं -  कुतगळी लगांद लघु नाटिका
                           
                       भीष्म कुकरेती
((एक ठेला माँ दिमाग धर्यां छन।  हॉकर्स धै लगांद।  तरह तरह के दिमाग , मगज , मस्तिष्क या ब्रेन डिस्काउंट में लेलो , लेलो दिमाग, ले जाओ ब्रेन )
ग्राहक - जी मि तैं एक बढ़िया सि दिमाग बथावदी !
सेल्समैन - जी ! मीम   भौत सि वेराइटी छन।  आप तैं कन मगज चयेणु च।
ग्राहक -जी आप दिखाओ तो सै।  जू दिमाग पसंद आलु मि खरीद लेलु
ग्राहक -हमर इख सबि क्रडिट कार्ड बि चलदन 
सेल्समैन -वाह
सेल्समैन -जी हमर इख डिस्काउंट इ ना बल्कणम इन्स्टालमेन्ट पर ब्रेन मिल जांदन।
ग्राहक -वो भलो भलो ! दिमाग दिखावो त सैइ 
सेल्समैन -ल्या एक लाख रुपया कु दिमाग बीस  हजार मा
ग्राहक -इथगा ज्यादा डिस्काउंट ?
सेल्समैन -हाँ यी दिमाग तीन दैं चुनाव हर्युं नेताक च।
ग्राहक -नै नै ! हर्युं नेताक दिमाग नी चयाणु च
सेल्समैन -त ल्या द्वी लाख रुपया कु दिमाग एक लाख अस्सी हजार  मा
ग्राहक -कैक दिमाग च ?अर कम डिस्काउंट किलै
सेल्समैन -एक अध्यापक का अर ये गवर्मेंट प्राइमरी टीचरो कबि बि क्वी ट्रांसफर नि कार साकु
ग्राहक -नै नै ! जरा स्टॅण्डर्डो दिमाग दिखावो
सेल्समैन -त ल्यावो तीन लाखो मस्तिष्क ढाई लाख मा ले ल्यावो
ग्राहक -कैक मस्तिष्क  च ?
सेल्समैन -यु एक रिसर्च स्कॉलरों मस्तिष्क च
ग्राहक -जरा क्वी ब्रेन टाइपो दिमाग दिखावदी
सेल्समैन -ल्या पांच लाख कु ब्रेन , इखपर क्वी डिस्काउंट नी च
ग्राहक -कैक ब्रेन च ?
सेल्समैन - प्रिंसिपलौ ब्रेन च
ग्राहक -इख पर क्वी डिस्काउंट किलै नी च ?
सेल्समैन -किलैकि यु ब्रेन अनयूज्ड  ब्रेन च।  वै  प्रिंसिपलन अपण ब्रेन कबि यूज हि नि कार

Bhishma Kukreti

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            गढ़वाल का सुंगुर  नजीबाबाद शिफ्ट हूणों सुचणा छन

                     सुचघर मा मंत्रणा -- भीष्म कुकरेती

   सुंगर - अरे बिंडी राड़ घाळिल तो मीन त्यार सि थुंथुर थींचि दीण हां।  तब रैलि बगैर थुन्थरक सुंगुर  बौणि घुमणु !

 सुंगरौ बच्चा -नै नै ! म्यार ज्यु तो पिंडाळु खाणौ हूणु च।  तुम कन बुबा छंवां कि मेरी इच्छा पूरी नि कर सकणा छंवां ?

सुँगुर -अबे सुंगर की औलाद ! इलै इ मनिख बुल्दन बन "द लगा बल सुंगरुं दगड़ मांगळ " ।हम जानवर इच्छा अनुसार काम नि करदां अपितु वर्तमान परिस्थिति देखिक कार्य निपटाँदा   

सुंगरौ बच्चा -पर पोर तुमन ये मौसम मा जै तैं मनिख ऑक्टोबर -नवंबर बुल्दन बोलि छौ कि हैंक साल पिंडाळु  घिण्डक खलौलु। फिर मि अगस्त बटें याद दिलाणु छौं कि मीन पिंडाळु खाण , पिंडाळु खाण।

सुँगुर -ले! पिंडाळु जगा म्यार मुंड खा !

सुंगरौ बच्चा -मि सुंगर का बच्चा छौं , मनिखो बच्चा नि छौं जु अपण मनख्यात छोड़ि दींदन।  मि सुंगर छौं अपण सुंगर्यात नि छोड़ी सकद कि सुंगरौ मुंड छोड़ि द्यों

सुँगुर -हाँ पर सुंगर इच्छा बि त नि करद।

सुंगरौ बच्चा -मीन एक रात द्याख कि मनिखो बच्चा घी रुटि राड़ घाळ तो वैक ब्वेन वैक ब्वेन वै बच्चा तैं घी रुटि दे द्याई।  बस मी बि इच्छा करण सीख ग्यों , राड़ घळण सीखी ग्यों। 

सुँगुर -साले मनुष्य की औलाद !

सुंगरौ बच्चा -देख हाँ तू बाब ह्वेक बि मनुष्य की गाळी दीणि छे हाँ ! मीन त्यार थुंथुर बुकै दीण हाँ !

सुँगुर -अबै त पिंडाळु खाणौ राड़ घाळण बंद कौर !

सुंगरौ बच्चा -ह्यां पर तुम अर ननि , बुड़ननि त बुलणा छा कि एक जमाना मा तुम मौसम मा खूब ना सै पर फिर बि एकाद पिंडाळु घिंडक खै लींदा छा।

सुँगुर -हाँ ! तब यी गढवळि लोग पिंडाळु लगांद छा , पिंडाळु खेती करदा छा।  अब यूंन   पिंडाळु लगाण बंद करि  याल।

सुंगरौ बच्चा - गढ़वळयूंन किलै पिंडाळु खेती बंद कार ?

सुँगुर -बल  सुंगर ऊंक पिंडाळु खै जाँदा तो गढ़वळयूंन पिंडाळु लगाण बंद करि दे

सुंगरौ बच्चा -ह्यां पर हम सुंगरुँन अब कख जाण ?

सुँगुर -वी तो मि बुलणु जंगळ हमकुण रयां नि छन।  यी गढ़वळि इथगा ज्यादा खेती बि नि करदन कि थोड़ा भौत  हम सुंगर खै बि लेवां तो कुछ फरक नि पोड़ो।  अब द्वी दाणी पिंडाळु लगांद छा तो वु हमकण बि पूर नि पड़दो छौ।  अर अब त दूर दूर तक कखि बि पिंडाळु नि लगाये जांद।

सुंगरौ बच्चा -तो यी गढवळि अब पिंडाळु नि खांदन ?

सुँगुर -नि खांदन हाँ ! कनि खांदन। अब यी लोग बजार बिटेन पिंडाळु लंदन।

सुंगरौ बच्चा -बाबा ! बाबा ! सि चार सुंगर ! यी सुंगर हमर डार (समूह ) का नि छन। हो

सुँगुर -ये बाहरी सुवर के बच्चो वहीं रुको , वहीं रुको !

दुसर सुँगुर - भाई ! हिंदी  क्यों बचळयातो  हो।  हमर अर तुमर झड़ नानी एकी छे।  वु त ये गदन भीड़ ह्वे गे छे तो हमर परिवार पल्ली पार दुसर गदन चलि गे छा।
पैलाक सुंगर -नै नै ! इख गदन मा उनि बि भीड़ च।  तुमकुण इख जगा नी च।
दुसर सुंगर -हम ये गदन बसणो नि अयाँ छंवां।
पैलाक सुंगर -तो ?
दुसर सुंगर -अरे क्या बतौवां ! हमर बच्चा विटामिन की कमी से बीमार पड़णा छन।  अर वैद जीन ब्वाल बल भळती पौधा की जड़  खलावो।  अर जब बिटेन गढ़वाळम कुरी याने लैन्टिना कु झाडी कु प्रसार ह्वे तो भळती पौधा ही निबटि गेन।
पैलाक सुंगर -अरे काण्ड लगिन यूँ कुरी या लैन्टिना का झाड्यूं पर।  हमर इख भि भळती पौधा निबटि गेन।  चार पांच दिन ह्वे गेन हमर डार का बि चार सुंगर्याणी  भळती पौधा का खोज मा वल्ली पार जयां छन कि भळती पौधा जलड़ खाल तो दूध मा विटामिन ह्वे जाल अर फिर बच्चों तैं वु भळती विटामिन मिल जालो।
दुसर सुंगर -अरे वल्लि पार क्या सरा हौरि क्षेत्र मा बि भळती पौधा  निबट गेन।  हम तैं ये क्षेत्र से आस छे अर तु बुलणु छे कि ये क्षेत्र से बि भळती पौधा निबटि गेन।
पैलाक सुंगर -हाँ।  हमर झड़ नातिक सौं।
दुसर सुंगर -त अब नजीबाबाद जिना पलायन करणो दिन ऐ गेन।
पैलाक सुंगर -हाँ ! हमर डार मा यु निर्णय हुयुं च कि भळती पौधा  नि मीलल तो हमन बि बिजनौरो जंगळ चल जाण।
दुसर सुंगर - ठीक च उखी कखि मिलला हाँ !
सुंगरौ बच्चा - ऊख बिजनौर मा लोग पिंडाळु लगांद छन कि ना ?
सुंगर - हाँ भाई हाँ !
सुंगरौ बच्चा - तो आजी पैत धारो बिजनौर जाणो वास्ता।  क्या च ये गढ़वाळ मा धर्युं ? ना पिंडाळु अर ना ही जंगली जड़ी बूटी ?



Copyright@  Bhishma Kukreti 20 /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।

Bhishma Kukreti

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                   पुलिस वाळुं जनसुरक्षा प्रेम

                           भीष्म कुकरेती

एक आदिम -दरोगा साब तुम मि तैं किलै कार से खैंचणा छंवां ? मीन क्या गुनाह कार ?
पुलिस कॉन्स्टेबल -हरेक गुनाहगार इनि बुलद।
आदिम -अरे आप डंडा किलै मारणा छंवां ?
कॉन्स्टेबल -तू म्वाट मनिख छे।  यु गुनाह नी च ?
आदिम -हैं ? यु क्या बात च ?
कॉन्स्टेबल -द बोल ! म्वाट आदिम से जान सुरक्षा तैं बड़ो खतरा नि हूंद ? अर फिर तू कार बि ड्राइव करणु छै।
आदिम -अरे म्वाट हूणम क्यांक गुनाह ?
कॉन्स्टेबल -सुरक्षा पर बहुत फरक पड़द। त्वे सरीखा म्वाट आदिम तैं ड्राइवर रखण चयेंद।
आदिम -यु त शारीरिक क्षमता पर एक पक्षपात च , भेद च।
कॉन्स्टेबल -सॉरी ! ये तैं व्यक्तिगत रूप मा नि ले पर मि तैं त नियमु पालन करण अर कराण पोड़द।
आदिम -अरे नियमुं नाम पर भंयकर मजाक च यु।  क्या भद्दा हूण गुनाह च ?
कॉन्स्टेबल -जी हाँ भद्द हूण गुनाह नी च किन्तु भद्दा लोगुं तैं सड़क पर खड़ो हूण या गाड़ी चलाण गुनाह ह्वे जांद। 
आदिम -क्या मजाक च यु कि भद्दा  का वास्ता खतरा छन।
कॉन्स्टेबल -जी हाँ भद्दा मनिख सुरक्षा बान खतरा ह्वे जांदन। 
आदिम -जी क्या ? अरे भाई क्या बकबास च यु ?
कॉन्स्टेबल -बकबास नी च।  भद्दा लोग  ड्रायवरों ध्यान अनावश्यक रूप से बंटदन   अर यांसे एक्सीडेंट हूणों खतरा ह्वे जांद।
आदिम -बकबास ! बदतमीजी , अरे भद्दा लोग खूबसूरती  ड्राइवरों ध्यान बंटदन ?
कॉन्स्टेबल - जी हाँ हम तैं ट्रेनिंग मा ड्राइवरों ध्यान क्यां क्यां पर अटक जांद बारा मा पूरो चार दिन पढ़ाये गए छौ।
आदिम -मतबल यदि मि खूबसूरत या आम मनिख हूंद तो मि सुरक्षा का वास्ता खतरा नि छौ ?
कॉन्स्टेबल -नै नै ! इन बात नी च।  समय का हिसाब से हम दिख्दा कि हौर क्या क्या बात सुरक्षा  वास्ता खतरा ह्वे सकद।  जनकि तेरी  लाल टी शर्ट बि रोड सेफ्टी कआ वास्ता भयंकर खतरा च।  तेरी  टी  शर्ट बि एक्सीडेंट करै सकद च।
आदिम - क्या ?
कॉन्स्टेबल  -तेरी टी शर्ट माँ लिख्युं च Kiss Me ।  अर यांसे हौर कारक ड्राइवर कुछ बि सोच सक्दन।  तो त्यार द्वी गुनाह ह्वे गेन अब।
आदिम  -अरे यु क्या मि कै रंगौ शर्ट पैरु अर वीं टी शर्ट मा लिख्युं च वो म्यार प्रजातंरीय अधिकार च।

कॉन्स्टेबल -हाँ अधिकार च पर इन फैशन रुकण हमर काम च जु सुरक्षा का वास्ता खतरा हो।  हौर ड्राइवर का ध्यान एक सेकंड का वास्ता बंट ना कि ऐक्सिडेंट ह्वे ना !
आदिम -पता नि यु नियम कैन बणाइ धौं !
कॉन्स्टेबल -चलो एक हजार की रशीद फाड़ो।
आदिम -ह्यां पर मि कोर्ट जाणो तयार छौं।
कॉन्स्टेबल -तो ड्राविंग लाइसेंस ला अर गाडी सब पेपर दिखा।
आदिम -मीम हजार रुपया नि छन।  मीम तो एक सौ इ छन।
कॉन्स्टेबल - त ला।  पैली म्यार किसौंद डाळि दींद तो तीन किलै सुणन छौ कि तू म्वाट मनिख छे। 
आदिम -ले।
कॉन्स्टेबल -जा।


Bhishma Kukreti

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                                        वर्षा अर शरद ऋतु मा झगड़ा
       
                                            मजक्या : भीष्म कुकरेती
                     
वर्षा ऋतु  -ह्यां ये भाऊ (छोटी बहिन ) शरदि  !  ड्यारम माँ -पिताजी जी ठीक छन ? हौरि चारि बैणि सुखि छन कि ना ? अर तुम पंचि बैणि आपस मा झगड़ा त नि करणा रौंदा ना ?
शरद ऋतु  -हम त कबि बि झगड़ा नि करदां।  झगड़ालु त त्वी अर ग्रीष्मा ही छंवां ।  जख बि रैलि तख औडळ बीडळ मा व्यस्त रौंदी। ना मनुष्य लोक मा ना अपण घौरम कै तैं   बि चैन से बैठण दींदी ?
वर्षा -देख हाँ ग्रीष्म दीदी अर तू म्यार पैथर भौत पड्यां रौंदा हाँ ! अर माँ -पिताजी बि कुछ नि बुल्दन। अर भगवान  काकाक त बुलण इ क्या च ! नामौ जज छन।
शरद -हाँ बिच्छू अपर डंक दिखुद नी च अर म्वारौ  कुण ब्वाद कि तैकु डंक खतरनाक च। अफु त तू जब चांदी बगैर बारीक , बगैर अपण नंबर अयाँ जैबरी  बि चांदी हैंक ऋतुक  टैम पर बरख जांदी अर भगवान काका तैं दोष दीणी छे कि काका जजमेंट नि करदन।
वर्षा -ह्यां पर जब हौर मौसम मा म्यार गुठ्यार मा जब पाणि भर्याल तो मीन बरखण नी च ? ते मा त जरा ठंड  भरे  ना कि तू आषाढ़ ही बिटेन म्यार पैथर पोड जांद कि चौड़   घौर आ।
शरद -अरे हेमंत भुलि मेरी पैथर पोड़लि तो मीन त्यार  पैथर पड़नि च।
वर्षा -हाँ तो वीं कुण बोल कि ठेलम ठेल नि कौर।  म्यार पैथर नि पड़ा कौर।
शरद -अरे म्यार काम च लोगुं तैं गुलाबी ठंड दीण।  जब तलक तू नि जैलि अर हेमंती में से दूर इ नि रैलि मि लोगुं तैं गुलाबी ठंड कनकै द्योलु ?
वर्षा -मीन भगवान काका से यी त ब्वाल कि तेरी जरूरत ही नी च।  मीन कथगा दैं वै काका तैं समझाई बि च त्वे तैं वीआरएस देकि घर बिठाळ दे पर भगवान काका बि मनमोहन सिंघौ तरां क्वी रिस्क ही नि लीन्दन अर हमेशा डिसिजन लीणम  गयेळि करणा रौंदन।  पता च भगवान काका क्य बुल्दन ?
शरद -क्या ?
वर्षा -बल बिचारी शरदि ! वींक क्वी एक्सक्लुजिविटी याने विशेषता ही नी च।  काका बुलद बल रण द्या तैं शरदि तैं, क्या  फरक पड़द शरद रा या नि रावु  ।
शरद -हाँ त तू जांदी नि छे अर हेमंत छ्कच्याट करिक छकछक   ऐ जांदी
वर्षा -हिंहिं !
शरद -बिंडी नि हौंस हां।  जा अब त्यार समय ड्यार जाणो ह्वे गे।  फंड जा।
वर्षा -अरे कनकै जा ? पता च यीं दैं गर्मी डेढ़ मैना देर तलक भूलोक मा राइ।
शरद -त तीन बि डेढ़ मैना ज्यादा  भूलोक मा रौण ?
वर्षा -हाँ ! जब गर्मी डेढ़ मैना जादा रै सकदी तो मि नि रै सकद ?
शरद -ह्यां पण तू डेढ़ मैना जादा तक इख रैली तो मि लोगुं तैं गुलाबी ठंड कब द्योलु ? तब तलक त हेमंती अपण बरफ की चल्लि लेक ऐ जालि।
वर्षा -मी नि जाणदु!  मीन त अबि डेढ़ मैना हौर रौण।
शरद -ह्यां पर मेरी अग्ल्यार कब आली ?
वर्षा -मि तैं क्या पुछणि छे।  ग्रीष्म दीदी तैं पूछ कि वा इथगा देर तलक भूलोक मा किलै राइ ?
शरद -ह्यां ! छ त वा दीदी च पर कबि बि हमर दगड़ दीदी तरां बर्ताव नि करदि।  हर समय दुर्बासा तरां विकराल लाल काखड़ बणि रौंदि। बिंडी ब्वालो तो आग लगाणो तयार ह्वे जांद।
वर्षा -हाँ त वींक सिकैत कौर ना भगवान काकाम !
शरद -कौरी छे ना !
वर्षा -त क्या ब्वाल भगवान काकान ?
शरद -बुलण क्या छौ। रघुकुल सदा चल रीति वळ  हिसाब च।  जन भारत मा चुनाव आयोग उच्छेदी नेताओं तैं प्रताड़ना देकि माफ़ करदु ना ! ऊनि भगवान काका बि हमेशा गरमी दीदी तैं मुँहजवानी प्रताड़ना देकि छोड़ दींद
वर्षा -पता च यांक क्या मतबल हूंद ?
शरद -क्या ?
वर्षा -कि न्याय बि कमजोरूं साथ नि दींदु अपितु बलवानुं  साथ दींदु।

Copyright@  Bhishma Kukreti 21 /9/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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                     उत्तराखंडी लुब्या अर सोया बड़ी मा तू तू मैं मैं !
                          कन्द्यूर्या, प्रत्यक्षदर्शी ::: भीष्म कुकरेती     


  उत्तराखंडी लुब्या (राजमा )- च्च्च ! चच्च !
सोया बड़ी -ये ये ! घ्वाड़ा छौं मि कि  जु तू मि तैं च्च्च ! चच्च ! करिक खदेड़नि छे ,  भगाणी छै ?
लुब्या -छि छि छे छे !
सोया बड़ी -अरे मि क्वी खुजली वाळ कुत्ता छौं जु तु मि तैं इन भगाणि छै ?
लुब्या -अरे तू त वाडसरक्वा छे।
सोया बड़ी -क्या ?
लुब्या -तू त भूमाफिया छे जु दुसरो जमीन जायजाद पर जबरदस्ती कब्जा कर दींदु।
सोया बड़ी -ह्यां मि अबि इज्जत से बात करणु छौं हाँ !
लुब्या -अरे ! जा ते पर फूल नि ऐन !
सोया बड़ी -हूँ !
लुब्या -जा म्यार ब्रह्म सच ह्वाल तो फूल ऐन बि तो त्यार बीज बुसे जैन! बीज नि बुसेन त त्वै पर टेर लग जैन!
सोया बड़ी -यी क्या बकबास च ?
लुब्या -अर जु तबि बि तेरी बड़ी बण बि जैन त बणदि त्वे पर कुयड़ लग जैन , फंगस  जैन धौं !
सोया बड़ी -अरे गाळि दीण मि तैं बि आंद।  इन घात घळळु कि आवाज दक्षिण अमेरिका तलक पौंछि जाली। पता त चौल कि ह्वाइ क्या च ?
लुब्या -हूँ ! पुछणु छे कि क्या ह्वाइ ? अरे बेशरम , बदजात इन पूछ कि क्या नि ह्वाइ ?
सोया बड़ी -बकबास करण मा तू बेलवाल भुट्टो ह्वे गे।
लुब्या -ऐ तू मि तैं सुंगर बोलि दे पर बेलवाल भुट्टो कि गाळि नि दे हाँ !
सोया बड़ी -यां पागल जन बात करील तो मिन त्योकुण  बेलवाल भुट्टो जरदारी हि बुलण।
लुब्या -अरे यदि क्वी बदजात कैकु  राज ताज छीनल तो जैक ताज -राज जालु तो वैन गाळि नि दीण तो क्या करण ? मुंड मा बिठाल ? बड़ै माँगल (प्रशंसा गीत ) ?
सोया बड़ी -ह्यां पर मीन त्यार क्या बिगाड़  ?
लुब्या -अच्छा सरा पुंगड़ी पर कब्जा करिक पुछणी छे कि मीन क्या कार ? मेरि सरा कूड़ी खै गे अर फिर बि अजाण ह्वेक पुछणि छे कि क्या ह्वे ?
सोया बड़ी -अरे या बकबास मेरी समज से भैर च।
लुब्या -त्वे पता च , मकुण राजमा बुले जांद छौ याने दाळु राजमाता ! अर अब ?
सोया बड़ी -अब क्या ?
लुब्या -पैल  रविवारौ कुण बड़ी लगन से राजमा  दाळ बणाद छा।  हरेक खंदेर , हरेक दुकानदार मि तैं बड़ी इज्जत दींद छौ।
सोया बड़ी -अर अब ?
लुब्या -अब जब बिटेन यी बहुराष्ट्रीय कम्पन्यूंन त्यार प्रचार प्रसार कार अब क्वी मि तैं पुछ्दु इ नी च।  अरे संडे तो छवाड़ो अब त उड़द की दाळ मा मेरी जगा त्वे तैं डाळि दींदन। इनि हाल राल तो पता नि मि हर्ची इ नि जौं !
सोया बड़ी -हाँ तो मीम प्रोटीन च , फैट च पर सोडियम कतै नी च , कोलेस्ट्रोल नी च कर्बोहाइड्रेट्स छन। कैल्सियम च, विटामिन्स छन आदि आदि
लुब्या -अरे पर मीम बि त सी गुण छन कि ना ?
सोया बड़ी -पर जु बहुउपयोग म्यार ह्वे सकुद स्यु त्यार नि ह्वे सकद।
लुब्या -यी सब साम्राज्यवादी, सामंतवादी , पूंजीवादी पोषित बहुदेशीय कंपन्यूँ शरारत च कि त्वै तैं प्रमोट करणा छन।
सोया बड़ी -हं हं ! जब बि कै पर भीत पोड़ना वु कम्युनिस्ट बण जांद , बामपंथी बण जांद।  जैदिन अम्बानी  या मल्लया पर भीत पोड़ल ना वूंन कम्युनिष्टि भाषा बुलण मिसे जाण।  तू बि फटेहाल दिनुं आशंका मा कम्युनिष्ट ह्वे गे अर
लुब्या -पर तू पहाड़ों की संस्कृति , परम्परा तैं नुक्सान क्या खतम ही करणी छे। तू संस्कृति भंजक छे , परम्परा तोडू सिद्ध हुणि छे।
सोया बड़ी -वाह ! छनि तो बोले बोले , चंळु -मंट्यळु   बि बोले जिसमे बड़े छप्पन छेद !
लुब्या -क्या मतबल ?
सोया बड़ी -तीन बि त अठारवीं -उनीसवीं सदी मा भारतमा खानपान संस्कृति पर अतिक्रमण कौर छौ अर जोर शोर से अतिक्रमण कौर छौ।
लुब्या -ये बिंडी नि बोल हाँ।  मीन त्यार दांत तोड़ि दीणण हाँ !
सोया बड़ी -चोर का चर्र चर्र चार बचन !
लुब्या -मीन क्या चोरी कौर ? क्या चोरी कार हैं ?
सोया बड़ी -मि तैं सब पता च।  त्यार असली मैत दक्षिण अमेरिका याने पेरू , मैक्सिको च अर यूरोपी ब्यापारी त्वै तैं दक्षिण अमेरिका बटें यूरोप लैन अर फिर भारत लैन।
लुब्या -गलत।  मेरी कुछ जाती अफ़ग़ानिस्तान अर हिमालय मा बि पुरण जमाना से छौ.
सोया बड़ी -हाँ पर उ लुब्या तो तू नि छे ना।  तीन बि एक दैं भारत की खानपान संस्कृति पर जबरदस्त धक्का लगै छौ। अर संस्कृति क्वी तालब नी च जु रुक्युं राव , संस्कृति तो बगदि नदी च ।
लुब्या -नै नै ! मीन भारत तैं फायदा ही दे छौ।
सोया बड़ी -हाँ  अफु पर बितदि तो हरेक तैं संस्कृति टूटणो डौर लगद।  खानपान मा जै बि अनाज , दाळ , भुज्जी , फल माँ पौष्टिक तत्व ह्वाल , बहुप्रयोग ह्वाल वो खाद्य पदार्थ पुरण खाद्य पदार्थ तैं पैथर धकेळदु। 
लुब्या -दिखुल त्वै तैं कि तू म्यार साम्राज्य तैं खंड मंड करदि दैं !
सोया बड़ी - हां हा हा ! कॉंग्रेस हारी गे किन्तु अबि बि भाजपा कुण बुलणि च कि मीइ ही वास्तविक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी छौं।  त्यार बि हाल कॉंग्रेस जन  छन तू अबि बि मानणो तयार नि छे कि अगला दशक किडनी बीन्स ना अपितु सोयाबीन्स का छन !



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Bhishma Kukreti

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               बहरा सो गहरा

     स्किटानुवाद ::: भीष्म कुकरेती

एक आदिम - डाक  साब बड़ी परेशानी च।
डाक्टर -जीब दिखावो !
आदिम -मि तैं लगणु च  जीब ना कन्दुड़म कुछ बीमारी च।
डाक्टर -त ठीक च कन्दुड़ दिखाओ
आदिम -ना ना ! मि नि छौं दुख्यर।
डाक्टर -तो ?
आदिम -मि तैं लगद मेरि घरवळी कन्दूड़ नि  सुणदि।  अवश्य ही वा बैरी ह्वे गे। 
डाक्टर -उँह !  त अपण वाइफ तैं लावो दिखाणो।
आदिम -असल मा मि वीं तैं लज्जित नि करण चांदु।  मि पैल मि शॉट स्योवर हूण चाँद कि वा सचमुच मा बैरी (बहरी ) ह्वे गे कि ना ?
डाक्टर -तो एक काम कारो।  तुम एक टेस्टिंग कारो
आदिम -क्या ?
डाक्टर - पैल बीस  फ़ीट से अपण कज्याण से प्रश्न कारो।  फिर पंदरा  फिट से वही प्रश्न कारो , फिर दस  फिट से वी सवाल दुहरावो अर फिर सवाल दुहरांद , दुहरांद पत्नी का पास जांद जावो।  तुम्हारी पत्नी कथगा दूर से सूण सकद तुम तैं पता चल जालु।
आदिम - मि अबि जैक टेस्ट करदु।
xx   xx
आदिम (घर जैक बीस फिट से पैथर बटिं  )- ये स्वांरी ! क्या पकाणि छे ?
(क्वी उत्तर ना )
आदिम ( पंदरा  फिट से )- ये स्वांरी ! क्या पकाणि छे ?
(क्वी उत्तर ना )
आदिम ( दस    फिट से )- ये स्वांरी ! क्या पकाणि छे ?
(क्वी उत्तर ना )
आदिम ( पांच   फिट से )- ये स्वांरी ! क्या पकाणि छे ?
(क्वी उत्तर ना )
आदिम ( द्वी   फिट से )- ये स्वांरी ! क्या पकाणि छे ?
स्वांरी -यां पांच दैं मीन उत्तर दियाल कि मि तुमकुण  फाणु पकाणु छौं।



Bhishma Kukreti

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               अबे साले , हरामी ! पुलिस वाले तेरा  गधा खोजेंगे ?
                              कन्द्युरा :: भीष्म कुकरेती



कुमार - काजी जी ! काजी जी ! खेचल ह्वे गे
कॉन्स्टेबल -कैक कज्याण कैक दगड़ भाजी गे।? चल भाग इक बटें ,
कुमार - काजी जी ! काजी जी !
कॉन्स्टेबल -अबे तेरी ब्वेन बूड़याँद दैं त्यार  कठबाबु धरि दे जु तू मितै तंग करणु छे ? या ते छौंद तेरी कज्याणिन कठाळु (विधवा का उपपति ) धरि दे ? या क्वी कॉंग्रेसी भूक हड़ताल पर बैठणो सुचणु च ?
कुमार -ना ! ना ! इन अनर्थ नि ह्वे।
कॉन्स्टेबल -त फिर किलै मेरी कुल्ली खाणि छे ? ऊनि बि अदकपाळी हुईं च। 
कुमार - मे पर वांसे बि बड़ी आपदा आईं च।
कॉन्स्टेबल -पता च राजस्थान मा कथगा बड़ी आपदा आयीं च ? यांसे बड़ी आपदा राजस्थान मा कबि क्या आली ?
कुमार -नै जी मेरी आपदा से बड़ी क्वी आपदा ह्वेइ नि सकद !
कॉन्स्टेबल -ओ अदखिचर ! सरा शहर का पुलिस विभाग भागम भाग मा लग्युं च अर तु बुलणु छे बल तेरी आपदा से बड़ी आपदा राजस्थान मा नि ह्वे सकद ! पुलिस वाळु हगणि -मुतणी बंद हुईं च।
कुमार - हैं ? पर मीन त नि सूण कि राजस्थान मा भयंकर सूखा पड्युं च।  यांसे बड़ी आपदा क्वी नि हूंदी।
कॉन्स्टेबल -ओ निर्भागी हिन्दुस्तानी ! बाढ़ -सूखा तैं हम पुलिस वाळ आपदा नि समझदवां ।  (अफिक ) यो तो एक बड़ी कमाई कु जरिया ह्वे जांद।
कुमार -यदि पुलिस वाळु हगणि -मुतणी बंद हुईं च तो क्या राजस्थान मा द्वी धरम वाळु मध्य दंगा ? पर मीन नि सूण कि क्खि दंगा फसाद ह्वावन !
कॉन्स्टेबल - अबै कै पुलिस वाळ तैं दंगा फसाद से दुःख हूंद ? हैं ? धार्मिक दंगा फसाद तो भारतौ कुण अठ्वाड़ जन धार्मिक कर्मकांड च , बस ब्यालों -बुगठ्यों जगा मनिख कटे जांदन।
कुमार - अच्छा जु बि आपदा होलि हूण द्यावो , जब तक में पर वा आपदा नि ह्वावो मि वीं तैं आपदा नि मानि सकुद।  किन्तु काजी जी मेरी मुसीबत राजस्थान मा सूखा से अधिक महत्वपूर्ण आपदा च।
कॉन्स्टेबल -देख बै ! दिखणि छे।  सरा कोतवाली खाली च। आज किरम्वळ बि नि दिखेणा छन इख। 
कुमार -पर मेरी कम्पलेंट तो आप तैं लिखण इ पोड़ल !
कॉन्स्टेबल -कनो तू क्वी बड़ो काजी जी,  कै बड़ो अधिकारी या कै मंत्रिक ख़ास आदिम छे कि मि तैं कम्पलेंट लिखण इ पोड़ल हैं ?
कुमार - काजी जी ! म्यार सरा परिवार वे पर इ निर्भर च।
कॉन्स्टेबल -देख हाँ ! म्यार दिमाग नि खा हाँ ! आज राजस्थान का पुलिस वाळ बहुत हि व्यस्त छन।  चा पीणो बि फुर्सत नी च ऊंमा।
कुमार -पर साब ! मेरी रोजी रोटी कु सवाल च।
कॉन्स्टेबल -अच्छा चौल बोल क्या कम्पलेंट च ?
कुमार - काजी जी म्यार गधा हर्ची ग्याइ ।
कॉन्स्टेबल -अबे साले ! तूने पुलिस स्टेसन अपने बाब्प का ससुराल समझा है जो गधा खोने के कम्पलेंट कर रिया है यहां ?
कुमार -काजी जी ! खोया -पाया की शिकैत त कोतवाळी  मा इ करे जांद कि ना ?
कॉन्स्टेबल -मतबल अब पुलिस वाळ गधा खुज्याल हैं ?
कुमार - काजी जी गधा नि मीलल तो म्यरो परिवार भूक मोरी जाल !
कॉन्स्टेबल -अर मि गधा हर्चणो एफआईआर लिखल तो म्यार अधिकारी मे तैं सस्पेंड कर द्याल।
कुमार -किलै ?
कॉन्स्टेबल -अरे गधा जन जानवर तैं खुज्याणो पुलिस वाळ जाल ? पुलिस की यांसे ज्यादा बेज्जती क्या होलि कि वा गधा खुज्याली ?
कुमार - पर साब म्यार सरा परिवार को आमद गधा पर हि निर्भर च।  गधा एक दिन बि नि मीलल तो समज ल्यावो हमारा इक आग नि जळी सकद।  गधा नि मीलल तो सरा परिवार भूकन मोर जाल।
कॉन्स्टेबल -अबे अददिमागौ मनिख ! सूण हम इख गधा खुज्याणो नि बैठ्याँ छंवां।  समझे ! जा अफिक ढूंढ अपण गधा तैं।
कुमार -पर काजी जी ! बगैर गधा का म्यार परिवार खतम ह्वे जाल।
कॉन्स्टेबल -खतम ह्वे जाल तो हूण दे।  इखमा पुलिस वाळु क्या गलती ? अरे  साले , हरामी ! गधा खोजने के लिए हम पुलिस वाले ही मिले तुझे  ?
कुमार - काजी जी कम्पलेंट लेखी द्यावो अर गधा खुज्याण मा मेरी मदद कारो जी ! हमर सरा परिवार गधा पर ही निर्भर च।  जन किसान कु सरा दारोमदार खेती पर हूंद ऊनि म्यार परिवार को आसरा म्यार घड़ा ही च।
कॉन्स्टेबल -मीन बोली याल गधा क्या  हम कोतवाली मा  गौड़ी हर्चणै शिकायत बि नि करदा।  अर जोर जबरदस्ती से कंपलेंट दर्ज बि कर द्योल्या तो हम पुलिस कबि बि जानवर नि खुज्यांदा।
कुमार - पर काजी जी !
कॉन्स्टेबल - अर आज तो सरा शहर मा राजस्थान पुलिस बहुत ही व्यस्त च।  कैक कज्याण या कैकि बेटी बि हर्ची गए तो बि कै बि कोतवाली मा क्वी बि शिकायत दर्ज नि ह्वे सकद , हरेक पुलिस वाळ अति व्यस्त च।
कुमार - किलै राजस्थान पुलिस इथगा अति व्यस्त च ?
कौंस्टेबल - मंत्री जीक कुत्ता हर्ची गे अर एसपी , इंस्पेक्टर , कॉन्स्टेबल सबि स्वास्थय मंत्री  जीक कुत्ता खुज्याण मा लग्यां छन।  मीन बि जाण छौ पर चूँकि म्यार खुट पर ढाल हुयुं च तो मि कोतवाली मा छौं।

Copyright@  Bhishma Kukreti 23 /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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Bhishma Kukreti

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                                सांपों  ने मनुष्यो  से क्या सीखा ?
                                               चबोड़्या खुजनेर :: भीष्म कुकरेती 
  ब्याळि , मास्टर जीन  स्कूलम बच्चों तैं सांप पर निबंध लिखणो ब्वाल विषय छौ - सांपों  ने मनुष्यो  से क्या सीखा ? निबंध का सार यो च -
 सांप या गुरौ एक सर्पधारी जानवर अवश्य हूंद किंतु गुरा समौ आण पर दुर्जन मनिख बि पैदा कर दींदु तबि त बुल्दन बल स्यु नेता संपोला का लड़का है , स्यु अधिकारी सांप कु बेटा च।
सांप उनि हूद जन गढ़वाली जनान्युं धमेली हूंद। सांप जब सर्पणी तै पटान्दु तो बुलद - हे सर्पणी तू ऊनि दिखेणि छे जन मनिख्याणि की काळी धमेली !
 मनुष्य अर सांप इकजनि  गुस्सा मा फुंकार मरदन।  अब यु कैन नि बताइ कि  सांपन मनिख तैं फुंकार मारण सिखाई या कै संपेरान सांप तैं फुंकार मरण सिखै।
सांप रस्सी जनि  हूंद तबि त बुले जांद सांपक  तड़कायुं  रस्सी से बि बि डरद।यद्यपि सर्पदंश कु इलाज च पर मनुष्य दंस कु इलाज नी च हालांकि भारत मा मनुष्य दंश से बचणो बान  सौएक योजनाऊं पर इनि खर्च ह्वे जन गंगा सफाई अभियान की योजनाओं पर अरबों रुपया खर्च करे गए।  आजकी मंत्र्याणि सूमा इंडियनन त बोलि बि दे बल गंगा सफाई अभियान ये युग मा ना सै दुसर युग मा पूरु ह्वे जाल किन्तु मनुष्य दंश कु इलाज हैंक युग मा बि नि ह्वे सकद। इख पर स्वास्थ्य मन्त्रीन सूमा इंडियन तैं गाळी दे बल संपोली के बेटी को भारत सरकारों  मंत्री बि बणै द्यावो वा धार्मिक विद्वेष बयान दीण बंद नि करी सकद।
सांप पर जनम से ही मोतियाबिंद की बीमारी हूंद।  सांप बि उनि अंधा हूंद जन कि भारत का गृह मंत्री राजनाथ सिंह। राजनाथ जीक  गृह राज्य मा गुरु आदित्यनाथ बताणा रौंदन कि उत्तर प्रदेश मा 'लव जिहाद ' कु हज्या फैली गे किन्तु राजनाथ सिंह जी तैं 'लव जिहाद' नि दिख्यांद।  यांपर बहुत सा लोग पुछणा छन कि राजनाथ अर आदित्यनाथ मादे सांपनाथ को च अर नागनाथ को च ?
भौत सा विषैला कोबरा कॉंग्रेस का तरां अंधा हूंदन जौं विषैला कोबराओं तैं नजीक त बिलकुल नि दिखेंद किन्तु दूर कि झलक से वो अपण शत्रु की चाल पछ्याण लीन्दन। जनकि कॉंग्रेस तैँ महाराष्ट्र मा शिव सेना -भाजपा गठबंधन मा घनघोर लड़ै दिख्यांदी च पर अपण ड्यारौ कॉंग्रेस - एनसीपी का मृत्यु युद्ध नि दिखेंद।
 सांप -छुछुंदर की गति उनि हूंद जन भाजपा की हालात दिल्ली मा च  कॉंग्रेस की दसा दिल्ली मा च।  द्वी दल विधानसभा भंग नि करण चाणा छन किन्तु भाजपा सीधा सीधा कॉंग्रेस से सहायता नि ले सकदी अर कॉंग्रेस बि भाजपा सीधा सीधा भाजपा तैं सहयोग नि दे सकदी इनि दसा सांप की हूंदी कि छछूंदर तैं घुटद च त मोरदो च अर भैर फिंकद त भुकी रौंद।  इनमा जन 2014 मा दिल्ली विधान सभा अधोधर मा लटकीं च उनि सांप बि अधोधर मा रौंद।
सांप छछूंदर की गति समझणो बान नरेंद्र मोदीक चीन नीति तैं समझणै जरूरत च। यदि नरेंद्र मोदी लद्दाख मा चीनी सेना कु अतिक्रमण पर आँख बुजी दींद अर चीन की 20 बिलियन डॉलर की सहयता स्वीकारदो त कायर माने जालु अर यदि चीनी अतिक्रमण तैं महत्व देकि नरेंद्र मोदी चीन से बैर मोल लींद तो फॉरेन इन्वेस्टमेंट हाथ से जांद।  अच्काल सर्पलोक मा सांप छछूंदर की गति तैं नरेंद्र मोदी -चीनी नीति कु नाम से पछ्याणे जांद।
सांप कंचुळ या केंचुली  इनि छुङद जन नेता पार्टी , गठबंधन या पाळी बदल्दन।  यूही कारण च कि गुरौ मेजर जनरल (रि ) टीपीएस रावत , सतपाल महाराज , देवीलाल , भजनलाल , चौधरी  चरण सिंह , अजित सिंह , छगन भुजबल, नारायण राणे आदि नेताओं तैं अपण कुलगुरु माणदन अर केंचुली या कँचुळ उतारण से पैल यूँ नेताओं की आरती उतारण नि बिसरदन।  हरेक गुरा यूँ नेताओं की छवि अपण आँखूं मा बैठेक रखदु।
गुरा अपण बच्चों तैं या दुसर सांप तैं बि खै जांद।  अन्वेषकों बुलण च बल यु अपणो तैं इ खै जाण जन गुण सांपुन  राजा , महाराजा , राजमंत्री , नेताओं से, अधिकार्युं  से सीख अर ये मामला मा महान सम्राट अशोक अर औरंगजेब तैं सांप अपण  महान दिवता बतांदन अर सींद -जगद , सदैव पूजा करदन।
 गुरौ हाइबरनेसन मा उनि जांदन जन राहुल गांधी हाइबरनेसन मा जांदन।  इन बुले जांद कि भौत युग पैलि याने सतयुग से बि पैलि राहुल गांधी जब सर्पयोनि मा छा तो राहुल गांधीन हाइबरनेसन याने शीतनिद्रा की शुरुवात कर छे अर तब बिटेन सांपुं मा शीतनिद्रा कु प्रचलन शुरू ह्वे।  प्रत्येक भुजंग  अपण शीतनिद्रा देब राहुल गांधी तैं प्रसन्न करणो बान घड्यळ धरदन। आज जन सांप मनुष्य कु अतिक्रमण से अति दुखी छन , परेशान छन , शांतिभंग की पीड़ा से उद्वेलित छन उनि  कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं क बार बार बिजाळण से सांपुं हाइबरनेसन दिबता राहुल गांधी बि बितर्वळे जांदन , डिस्टर्ब ह्वे जांदन अर फिर लोकसभा मा सेक आवश्यक हाइबर्नेसन या शीतनिद्रा पूरी करदन।
 सांपुं बुजुर्ग अपणी अगली पीढ़ी का चाल चलन से बड़ा परेशान छन अर डरणा छन कि नई सांप साखी मनुष्यो सकासौरी /नकल करणी च अर सर्पसंस्कृति बिनास का खुंटा /कगार पर ऐ गे।  भूतकाल मा सर्प जाति अपण बच्चों तैं मनुष्य संस्कृति अपनाण से रुकण मा सफल राइ किन्तु अब सर्प बुजुर्ग लाचार छन कि युवा सर्प पीढ़ी मनुष्यों नकल करण गीजि गे।  जब तलक पुरण संस्कृति ज़िंदा छे , गुरा कै तैं बि तब तलक नि काटदु छौ जब तलक सांप का जीवन तैं क्वी खतरा नि हो किन्तु मनुष्य की नकल करण से अब सांप बि मनिखों तरां बगैर बातो कै तैं बि काटि दींदन।  सर्प संसार मा  चिंता  ह्वे गे कि सांपों तैं इन दुर्गुण से कनै बचाये जावो।
सांप संसार मा एक हैंकि चिंता बि ब्याप्त च।  सांपुन सरकारी कर्मचार्युं से एक अवगुण हौर सीख याल कि कुछ बि काम नि करण अर मुफ्त की रोटी चटकाण , मोफत मा तनखा लीण अर ऑफिस मा सियुं रौण। सरकारी मुलाजिमों देखादेखी   हरेक सांप अब चिड़ियाघरों मा बसेरा करण चाणु च जख बगैर हथ -खुट हिलायां , बगैर मेनत कर्या फोकट मा खाणो, पीणो , आराम से सीणो मिल जावो।  सर्प मनोवैज्ञानिकों बुलण च बल या अळगसी , कुनेथी  , कर्महीन , कर्तव्य-बिमुखी प्रवृति सांपों वास्ता खतरनाक च अर कौमनष्ट हूणों खतरा समिण च।
अतः कहा सकता है कि सांपों ने मनुष्य से बहुत कुछ सीखा है।

Copyright@  Bhishma Kukreti 24 /9/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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                     किरोड़ी मल दुखी किलै च ?
                            Transliteration::: भीष्म कुकरेती

यमराज -चित्रगुप्त ! आज सि तीन मानव कु कु छन जु मृत्युलोक से ऐन ?
चित्र गुप्त -धर्मराज ! पैलु  तो हरिद्वार कु सन्यासी बाबा किसमिस देव छन  , दुसर  बद्रीनाथ कु ऋषि कर्मदेव छन   अर   ……
यमराज - अर हैकु ?
चित्रगुप्त - न्यायाधीसुं  सम्राट  !  यी हैंक  एक किसान  किरोड़ी मल च।
यमराज - यूंन क्या क्या पाप -पुण्य कर्याँ छन ?
चित्रगुप्त -  विवेकशील श्री ! यूं तिन्युंन क्वी बि पाप नी करिन अर स्वर्गाधिकारी छन।
यमराज - तो तुम सबि अपण अपण  इच्छा बताओ !
बाबा किसमिस देव- धर्माधिराज ! मीन भूलोक मा कबि मर्सडीज कार से यात्रा नि कार यदि मर्सडीज से यात्रा ह्वे जाव तो …।
यमराज - जाओ मर्सडीज से कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा कारो !
ऋषि कर्मदेव - न्यायाधिपति ! मीन हवाई जाजै यात्रा नि कौर।  यदि हवाई जाजै यात्रा ह्वे जाव तो बड़ी मेहरबानी।
यमराज जावो - जावो हवाई जाज से कपूरत्थला से कोलकत्ता की यात्रा कारो
किरोड़ी मल किसान - विद्वानुं विद्वान ! मीन कबि सिगरेट नि पे।  यदि सिगरेट मिल जावो तो …!
यमराज - जावो तुमकुण सिगरेट की कुठड़ी भरीं च , जावो तुम तैं कुठड़ीम सिगरेट मिल जाली ।
कुछ समय बाद सब आंदन।
बाबा किसमिस देव (खुसी से उछल्दा उछ्ल्दा )  - अहा मर्सडीज तो कारों की कार च। क्या यात्रा छे ,प्रभु आप महान हैं।
ऋषि कर्मदेव (जोर जोर से हंसदा -हंसदा ) - जबाब नही हवाई यात्रा का ! भगवान आप महान हैं !
किरोड़ी मल (रुंवासा सूरत लेक )- यमराज जी आप ! बड़ा कंजूस  दानदाता छंवां  ! बनि बनिक सिगरेटूँ से कुठड़ी भरीं छे पर माचिस तो आपन देइ नीच !

24/9/2014

Bhishma Kukreti

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                                   दुखी रौणौ  कामयाब  तरीका

                                    पथभ्रष्ट कर्ता   :: भीष्म कुकरेती

 सुखी रौण , खुसी मा रौण , दुखी  नि हूण  से सबसे बड़ो नुकसान यु हूंद कि जौं तैं तुम सुखी दिखण नि चांदा वो भि आपकी प्रसन्नता से प्रसन्नता प्राप्त कर लीन्दन। जब कि जीवन का नियम च कि अपण दिवार गिर जावो पर दुसरो कमर टुटण चयेंद। अतः  अफु ना सै दुसर तैं दुखी दिखणो बान कनकैक बि दुखी हूण आवश्यक च।

                   ---------------- कबि बि वर्तमान मा नि रौण से मजेदार दुःख प्राप्ति------------------


हरेक का पास एक सदाबहार चीज च अर वो च वर्तमान। किन्तु, परन्तु , अवश्य ही हरेक को एक भूतकाल बि हूंद अर एक्सीडेंट नि हो तो भविष्य बि।
 यु सही च कि यदि तुम वर्तमान मा रैल्या तो तुम सुखी रैल्या , जु अबि च वैमा मजा लेल्या तो आनंदप्राप्ति  हूंद , अर   वर्तमान मा आनंद लीणो वास्ता खर्च बि नि करण पोड़द।  किन्तु , परन्तु,  यदि तुम वर्तमान मा रैल्या तो तुमर आस पास का लोग क्या कुत्ता तैं बि आनंद प्राप्त ह्वे जाल और यु त हम  सब्युं कुण असह्य बेदना हूंद कि आस पास का लोग सुखी ह्वे जावन ।  याने वर्तमान मा रौण से नुक्सान हूंद तो आपतैं कै बि करिक वर्तमान मा नि रौण चयेंद। दुसरों के दुःख प्राप्ति हेतु अपण वर्तमान पर लात लगाण जरूरी च।

               ---------------वर्तमान मा नि रौणो   अजमयां , अचूक , शीघ्र असरकारी कौंळ (तरीका ) --------------


कुछ पथ्य छन जाँसे आप अपण वर्तमान से दूर ह्वे जैल्या -
१- भूतकाल का दुखी अनुभवुं तैं याद नि बि आणा ह्वावन तो बि दुखी अनुभव याद कारो , सेठ लुक़मान का हिसाब से आपक  वर्तमान अवश्य ही रसातल को चली जाल। जन कि तुम्हारी प्रेमिका या प्रेमी समिण हो अर प्रेम की छ्वीं जरूरी हो तो आप अपण भूतकाल मा खईं मार याद कारो तो अवश्य ही  प्रेमिका /प्रेमी भाग जाल। 
२- भविष्य की चिंता - यदि आप पर भूतकाल का दुःख याद करिक कुछ बि फरक नी पड़णु च अर आप तब वर्तमान का सुख का मजा लीणा छंवां तो भविष्य मा हूण वाळ एक्सीडेंट , मृत्यु अर कैक झिड़की  बारा मा सुचण शुरू कर द्यावो , वर्तमान फुर्र से उड़ जाल , आप वर्तमान से दूर ह्वे जैल्या अर आप असहनीय दुःख मा गोता लगाण लग जैल्या।
३- अबि बि यदि , जु , तब बि दुःख से तुमर ज्यु नि भर्याओ तो वूं चीजुं पर ध्यान द्यावो जौं तैं तुम पसंद नि करदा।  अवश्य ही , जरूर , विश्वास कारो आप दुःख  संसार मा पौंछि जैल्या।
४- इथगा दुखुं से बि धीत नि भर्यावो तो अपण आस पास का लोगुं दगड़ दुर्ब्यवहार कारो।  वर्तमान आपकी पंहुच से भैर ह्वे जालु अर दुःख तुमर खुट ध्वेक प्यालो।
५- यदि तुम यूँ दुःख का पहाडुं से फिर बि असंतुष्ट छंवां तो वर्तमान तैं भगाणो हैंक नायब , कामयाब , सुरक्षित तरीका च कि आप अपण प्रकृति छोड़ द्यावो अर दुसर प्रकृति का हिसाब से व्यवहार कारो।  खुसी गायब  ह्वे जालि अर अप्रसन्नता का बादल ऐ जाला अर वर्तमान छू मंतर ह्वे जाल।
६-शर्मनाक घटनाओं की याद करिक बि आप वर्तमान तैं खदेड़ सकदा , सुख तैं धक्का दे  सकदा अर दुःख का चदरु ढिकाण ले सकदा।
यदि आपन अळगाक पथ्य -परेज ढंग से ल्याई तो तुमर बुबाजी , ददा जी की कसम तुम तो तुम !  तुमर   आण वळि सात पीढ़ी बि वर्तमान मा रौण लैक नि राली अर अगली सात पीढ़ी बि दुःख का झूला मा झुलणी राली अर सुख सदा  का वास्ता  बिमुख ह्वे जाल।
 

Copyright@  Bhishma Kukreti 25 /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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