Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360915 times)

Bhishma Kukreti

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       अवश्य ही कॉंग्रेस साफ़ ह्वे जाली ! 
          उत्तराखण्डै भितरखण्डै समाचार -१

Fake News Correspondent: भीष्म कुकरेती
 १- उत्तराखंड विधान सभा अध्यक्ष कुंजवाल जीन ब्वाल सुशासन की नई परिभाषाएं गढ़ी जायँ।  यांपर गढ़वाली शब्दकोश का विद्वानों श्री राजेन्द्र पुरोहित, डा अचलानन्द जखमोला अर भगवती प्रसाद नौटियाल आद्यूं मा प्रतियोगिता , झगड़ा , छौंपा दौड़ शुरू ह्वे गे कि सुसासन की सरकारी परिभाषा कु ल्याखल !
२- एक समाचार शीर्षक इन छौ - उत्तराखंड मा 300 किलोमीटर रास्ता साफ़।  ये समाचार पढ़णो बाद विभिन्न लोगुं से इन प्रतिक्रिया मिलेन - --
श्री नरेंद्र मोदीन सफाई कर्मचारियों तैं वधाई दे बल सफाई अभियान बढ़िया अर तेज वेग से चलणु च।
भाजपा का राज्य प्रवक्तान वक्तव्य दे बल 300 किलोमीटर रस्ता साफ़ ह्वे गे अर भाजपा मुख्यमंत्री हरीश रावत से इस्तीफा की मांग करदी कि 300 किलोमीटर रस्ता उजिड़ गेन
ठेकेदारोंन अपण अकाउंटेंटों तै कार्य दे कि रस्ता साफ़ ह्वे गेन याने रस्ता बनवाणो ठेका मा कथगा लाभ हूणै अंथाज च ?
असल मा समाचार छौ कि सरकारन  300 किलोमीटर रास्ता का निर्माण का रास्ता साफ़ कार।  चूँकि साफ़ का कई अर्थ हुँदैन तो अर्थ का अनर्थ ह्वे गे।
३- समाचार छौ - बिन शिकार क्यों आएं गुलदार पिंजरे में ?
रायवाला -ऋषिकेश मा गुलदार पकड़णो बान पिंजरा रखे गेन किन्तु पिंजरा पुटुक शिकार /जानवर नि धरे गेन तो गुलदार चिठ्ठी देकि बि नि पिजरा पुटुक नि ऐन। अब बिचारा सरकारी कर्मचारी कारन त क्या कारन ! ऋषिकेश क्षेत्र मा शिकार /मटन आदि की विक्री , लीजाण पर रोक जि लगीं च।
४- देहरादून का भाजपाई मेयर 'भारत सफाई अभियान ' चलाण चाणा छन किन्तु स्वास्थ्य मंत्रालय सहयोग नी दीणु च किलैकि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य सरकार का तहत  च अर राज्य सरकार कॉंग्रेस की च।  कॉंग्रेस तैं डौर च यदि देहरादून मा सफाई ह्वे जाली तो अवश्य ही कॉंग्रेस साफ़ ह्वे जाली। 
समाचार आभार - दैनिक जागरण (10 /10 /2010 )

Bhishma Kukreti

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        अजकाल पत्रकारुं नाक पर डाट किलै लग्यु च ?

                            विमर्श ::: भीष्म कुकरेती

                      भारत इथगा बड़ो देस च त जन बड़ो परिवार मा क्वी ना क्वी स्वील हूणि रौंदी ऊनि चुनावुं मौसम हर द्वी तीन मैना मा आणु ही रौंद। इनमा हरेक दफैं पत्रकार या राजनीतिक , सामाजिक विश्लेषक अपण मंतव्य दीणा रौंदन पर कुनगस या च, आश्चर्य  या च या सुंताल इन लगद कि अधिकाँश क्या सबी पत्रकारुं भविष्यवाणी सही नि आंदि।  अधिकतर भविष्यवाणी गलत ही साबित हूणी छन।

      पत्रकारुं या विश्लेषकुं भविष्यवाणी हर बार गलत साबित हूणों मतबल च कि भौत कुछ गलत हूणु च।  पत्रकार कै बि देशम अहम भूमिका निभंदन अर यदि पत्रकारुं पर ही प्रश्नचिन्ह लगण मिसे जावन त फिर क्या बुले जै सक्यांद ?

                     हरेक चित्वळ भारतीय   पत्रकारुं नाक पर डाट किलै लग्युं च , पत्रकारुं आँख पर मोतियाबिंद किलै पड़्यूं च , पत्रकारुं गणत किलै असफल हूणु च जन सवालुं जबाब खुजण मा लग्युं च।

मी बि यु खुज्याणु छौं कि भारतीय पत्रकार किलै भारतीयों मन नि पढ़ सकणा छन , किलै पत्रकार असलियत सूंघ नि सकणा छन , किलै पत्रकार देखि नि सकणा छन कि हुनु क्या च ?

                म्यार दिखण से कुछ ख़ास कारण छन कि पत्रकार असलियत पछ्याणनम नाकामयाब हूणा छन।

                    सबसे बड़ो कारण च कि अदा से ज्यादा अखबार अर मीडिया पर रांजीतिज्ञों कब्जा च।  बकै अदा पर संपादक आदि कै ना कै राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक विचारधारा का प्रति प्रतिबद्ध छन। मुंबई छोड़िक बकै महाराष्ट्र मा सकाळ अर लोकमत द्वी मुख्य अखबार छन जु सरा महाराष्ट्र मा पढ़े जांदन।   शरद पंवार परिवार सकाळ कु मालिक च त कॉंग्रेसी दर्डा परिवार लोकमत कु मालिक च। टीवी मीडिया का हाल तो सबि जाणदन।

तो इन मा पत्रकार वी दिखदन जु वूंक मालक या संपादक चांदन।  आखरी छोर पर काम करण वाळ पत्रकार यदि असलियत समिण लाण बि चाँद तो भी मालिक अर संपादक पाठकों तैं वी द्याला जु वूंको स्वार्थ पूर्ति कारल !

                    ओपिनियन ना ओपिनियन मेकर अब संपादक या विश्लेषक बण्या छन।  विश्लेषकुं , सम्पाद्कुं अर पत्रकारुं  काम च कि लोगुं भावना या ओपिनियन दिखावन किन्तु अजकाल विश्लेषकुं , संपादकुं  , पत्रकारुं मध्य अपण स्वार्थ पूर्ति का वास्ता लोगुं   ओपिनियन सुणणो जगा अपर ओपिनियन थपेड़नो  छौंपा दौड़ि , प्रतियोगिता हूणी रौंदी तो इनमा सबि भविष्यवाणी करण मा फिस्सड्डी साबित हूणा छन।

                   वैकल्पिक मीडिया अर ग्लोबलाइजेसन का प्रभाव से अब हर पांच सालम लोगुं इंस्पाइरेसनल थिंकिंग मा भयंकर बदलाव आणु च।  किन्तु पत्रकार अबि बि विश्लेषण करणो पारम्परिक आधार पर विश्लेषण करणा रौंदन।  पिछला चार पांच सालुं मा आइडेंटिटी याने पछ्याणक भावना की जगा इंस्पाइरेसनल भवना अधिक बलवती हूणि च।  आइडेंटिटी की जगा इन्सपायरेसन तैं मार्केटिंग या विज्ञापन करता तो पछ्याण गेन किंतु हमर पत्रकार अबि बि समाज मा आइडेंटिटी आधार पर चुनावी या सामाजिक बदलाव  भविष्यवाणी करणा रौंदन।  बदलदो समय पर विश्लेषणों टूल-उपकरण  , आधार बि बदलेण चयेंदन।

         म्यार पिछ्ला तीस साल से म्यार मीडिया दगड़ विज्ञापनकर्ता का रूप मा संबंध राइ अर मीन द्याख कि पिछ्ला दस पंदरा सालुं से अखबार या   टीवी चुनावुं बगत भौतसा अलग ढंग से पैसा कमांदन। पेड़ न्यूज या विज्ञापन देकि जनसंपर्कीय समाचार प्राप्त करण आज बहुत बलवती ह्वे गे। चुनावुं बगत पत्रकारों तैं पैसा लाणो टारगेट दिए जांद अर इन मा जन भावना , ओपिनियन का क्वी मूल्य ही नि रै जांद।

  फिर अचकाल बड़ा बड़ा पत्रकार , संपादक , विश्लेषक राजयसभा सदस्य या हौर  सभाओं का सदस्य बणनो बान राजनीतिक विश्लेषण करण मा व्यस्त छन तो इनमा आज पत्रकारों नाक पर डाट , आँख पर गिल्लू माटो लेप  , कन्दुडों पर बुज्या लग्यां छन अर यूंकि भविष्यवाणीन गलत  हूणि च।


Copyright@  Bhishma Kukreti  11/10 /2014       

Bhishma Kukreti

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               नरेंद्र मोदी का मुकाबला मनमोहन सिग जी ही बेहतर प्रधानमंत्री छा

                    चबोड़, चखन्यौ, कव्वाक ककड़ाट  ::: भीष्म कुकरेती

     जी हाँ ! मि ढोल बजैक , कंटर बजैक अर पूरो होशो हसाश मा  बुलणु छौं कि मेकुण मनमोहन सिंग जी नरेंद्र मोदी से बेहतर , कामौ ,  मौन प्रधानमंत्री छौ।

 अब द्याखो ना जैदिन सोनिया गांधीन घोषणा कार कि मनमोहन सिंह जी प्रधान मंत्री बौणल तो मि तैं पता नि अपण गांवक पुड़क्या बामण बस्ती बामण  याद ऐगेन।  बस्ती बामण तैं तिरैं -बरखी मा चर चर माणौ दुधाळ  गौड़ बि दिए जाव तो बि बुले जांद छौ कि ल्या सि लै गे मुगदानै गौड़ी ! भीख ब्वालो या ब्वालो दान  या कुत्ता कुण फेंकीं रुटि समझो जैदिन मनमोहन जी तैं  प्रधानमंत्री पद मील तो मेरी कलम पर बबराट ऐ गे।  मीन वैदिन  चबोड़्या लेख ल्याख अर म्यार लेखौं मुंडळी छे -शांत कुकरौ दांत अर नंग तोड़ि प्रधान बणाण ! लेख पर पाठकों प्रशंसात्मक , उत्साहवर्धक , चटपटी टिप्पणी बांचिक मि तीन दिन नि स्यों- ख़ुशी मा । जब नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बौणिन अर मीन सेक्युलर मित्रों बुलण पर चखन्यौर्या लेख ल्याख ज्यांक शीर्षक छौ - सौदागर हमर  प्रधानमंत्री।  पाठकों की प्रतिक्रिया पौढ़िक मि छै दिन नि स्यों।  पाठकोंन इन इन गाळी देन कि सीण तो दूर सांस लीण मा तकलीफ ह्वे गे।  डाक्टरन बोलि बल जु अपण मेहनत से , अपण बल पर या अपर ऊर्जा शक्ति से प्रधान मंत्री बणो तो वैक चखन्यौ कौरिक दमा रोग ह्वे जांद।  डाक्टरों बुलण छौ बल कर्मठ व्यक्ति की हौंस नि उड़ाए जांद , यदि उद्यमशील व्यक्ति की हौंस उड़ैल तो जगहंसाई ही मीललि।  अब बताओ मेकुण त मनमोहन जी नरेंद्र जी का मुकाबला उर्बरक प्रधानमंत्री छा कि ना ?

          अब जब मनमोहन सिंग जी प्रधान मंत्री बौणिन तो कैबिनेट की बैठक हूण आवश्यक ही छे।  तो कॉंग्रेस  हेड क्वार्टरन  या कै कॉंग्रेसीन  हवा उड़ै दे  कि अर्जुन सिंह जी मनमोहन सिंग जीक आण पर   खड़ नि हून्दन किलैकि अर्जुन सिंघौ मानण छौ बल ओ प्रॉक्सी प्रधान मंत्री तैं प्रधानमंत्री नि मानि सकदन।  मीन इख पर व्यंग्यात्मक लेख ल्याख - एक कुत्ता दुसर कुत्ता तैं बर्दास्त नि कर सकद।  तो पाठकोंन मेरी घरवळि कुण बि फोन कार कि वाह भीषम जी क्या चकडैत छन ! भीषम जी क्या चक्चुन्दर्या छन! भीषम जी क्या चकाचक छन ! अर जब मीन नरेंद्र मोदी जीक कैबिनेट मीटिंग की चखन्यौ कार अर लेख की मुंडी छे - "कड़क हेडमास्टरन बेंत से कमजोर मास्टरुं मुंड फ्वाड़ " । तो म्यार ब्रह्म ही हिल गे।  भाजपा वळु गाळी त समझ मा आदि छे पर भाजपा से अधिक गाळी कॉंग्रेसी अर कम्युनिस्टों से ऐन कि "तीस साल बाद तो भारत तैं पता चौल कि प्रधान मंत्री की क्वी औकात हूंद।  अर तुम प्रधान मंत्री की औकात का मजाक उड़ाना छंवां ? बंद कारो इन बकबास "।

जब मनमोहन सिंह जीन लाल किला बिटेन पैलि बार भाषण दे तो मीन मजाक मा लेख कि मनमोहन पुत्री अमृत सिंघन पूछ " पापा जब लाल किला मा ना तो मम्मी समिण छे ना ही सोनिया मैडम तो आप इथगा धीमे किलै बुलणा छा ?" . अब जब पंदरा अगस्तौ कुणि नरेंद्र मोदीन बगैर लिख्युं भाषण दे तो मीन कथगा कोशिस कार कि मि नरेंद्र मोदीक भाषण पर चबोड़ कौरुं , किन्तु मि  चबोड़ ना चारण पद्य  , प्रशंसा काव्य गीत, हुडक्या गीत लिखण लग ग्यों।

इनि पिछ्ला दस सालों मा मनमोहन सरकार पर रोज व्यंग्य लिखणो दु दु अवसर मिल जांद छा। पर अब ! अब त ?

 में सरीखा व्यंग्यकार का वास्ता कमजोर प्रधान मंत्री ज्यादा फायदामन्द हूंद , भ्रष्टाचारी मंत्र्युं मुखिया मनमोहन सिंग चयेंद। व्यंग्य अनाचार , अत्याचार , भ्रस्टाचार , संसय , अनिर्णय , दस दस शक्ति केंद्र , कमजोरी पर लिखे जांद  किन्तु अबि तलक तो नरेंद्र मोदिका चरित्र बताणु च कि मि तैं अब राजनैतिक व्यंग्य लिखण से सन्यास लीण ही पोड़ल । भगवान से प्रार्थना च कि नरेंद्र मोदी अर उंका  मंत्री भारत का वास्ता इन काम करिन कि मि हमेशा राजनीतिक व्यंग्य लिखण  से दूर ही रौं। 

Copyright@  Bhishma Kukreti  12/10 /2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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Bhishma Kukreti

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                                      माया (प्रेम , प्यार ) की अलंकृत व्याख्या

                                        गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग -24   


                               Garhwali Satirical Dictionary part -24   

 

                                                     भीष्म कुकरेती


माया (प्रेम , प्यार ) एक  पोषक तत्व च जु भगण मा काम आंद।

माया (प्रेम , प्यार ) एक जात्रा च,  जैं जात्रा मा जत्र्वै से ज्यादा भैर वळ   आतंकित रौंदन।

माया (प्रेम , प्यार ) अंग -प्रत्यंगुं  एका -एकता च।

माया (प्रेम , प्यार ) एक बंधन च।

माया (प्रेम , प्यार ) कसेरी पर धर्युं एक द्व्य च।

माया (प्रेम , प्यार ) आग च।

माया (प्रेम , प्यार ) एक आर्थिक विनियम च।

माया (प्रेम , प्यार )  एक प्राकृतिक तागत च, बल च ।

माया (प्रेम , प्यार )  भौतिक बल या तागत च।

माया (प्रेम , प्यार ) एक कैमरा च जैमा समळौण -संस्मरण जमा रौंदन।

माया (प्रेम , प्यार ) एक विरोधी च या अवरोध च।

माया (प्रेम , प्यार ) पिंजरा मा बंद जानवर च।

माया (प्रेम , प्यार ) युद्ध च जैमा तिसरी पार्टी से संधि करण पड़द ।

माया (प्रेम , प्यार ) एक रोमांचक यात्रा च।

माया (प्रेम , प्यार ) दारु च अर   सबि घुटकी लगाण चादन । 

माया (प्रेम , प्यार ) एक बगीचा च । 

माया (प्रेम , प्यार ) एक युद्धक्षेत्र च।

माया (प्रेम , प्यार )  हव्वा च।

माया (प्रेम , प्यार ) एक प्रयोग च।

माया (प्रेम , प्यार ) आनंद च।

माया (प्रेम , प्यार ) एक कोमल फूल च जु गरम वसंत मा खिलद। 

माया (प्रेम , प्यार ) लिम्बु च या त मिठु ह्वाल या कसैला खट्टु।


व्यंग्य शब्दकोश जारी रहेगा ……।
Copyright@ Bhishma Kukreti  13 /10/2014

Bhishma Kukreti

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                               दस हजार की लूट

                          स्किट स्क्रिप्ट ::: भीष्म कुकरेती

 द्वी झण बुड्या -बुडड़ी खुसी खुसी बैंक से भैर आंदन।

एक गिरहकट - यार ! सि द्वी ऐगेन हमर मुर्गा ! सि  पैसा गाडिक बैंक से भैर आणा छन। अर तौंक खुसी बताणि च बिंडी पैसा निकाळ तौन !

हैंक गिरहकट - हाँ ! हाँ पक्का मुर्गा इ छन।  जरा सुणदा  क्या बुना छन।

पैलो गि . - हाँ उन बि तौंतैं कै कुण्या पर हि दबकाण।

बुड्या - एक लाख मादे दस हजार आज निकाळ ऐन तो बि नौ एक लाख तक त बैंक मा छै छन।

बुडड़ि - हाँ भौत छन।  अपण साल भर तक खुसी खुसी काम चल जाल।

बुड्या - दस हजार छन।  अक्वैक सम्भाळ हाँ !नवा कखि !

बुडड़ि - नै नै सम्बाळिक धर्यां छन।

बुड्या - अच्छा सूण ! जरा ब्वारी तैं समझाये कर कि जब बि बुलण त ठीक से बुलण।

बुडड़ि-कनो ?

बुड्या -अरे ब्वारी तैं बुलण चयेंद तैं सुनहली थाळी गाडो , रजत कलर की प्लेट निकाळो आदि आदि

बुडड़ि-हाँ ! समझाई च पर तैंक समज मा नि आंद कि कन बुलण चयेंद। लखपति छंवां तो लखपति जन बात करण चयेंद
बुड्या -समझा ! समझा ! निथर मि तैं इ समझाण पोड़ल।
बुडड़ि- न ना ! मि समदै द्योल।
पैलो गिरहकट - सुनसान कुण्या ऐ गे।  दबका तौं मुर्गों तैं पूरा दस हजार छन तौमां
दुसर गिरहकट - ऐ बुड्डी  ! निकाळ तौं दस हजार रुपया !
 बुड्या - अरे हम त गरीब -गुरबा छंवां !
पैलो गिरहकट छुर्रा दिखैक - हाँ हमन सुणि याल तुमरि छ्वीं।  सुनहली थाली , रजत रंग की प्लेट !
दुसर गिरहकट -बैंक माँ नौएक लाख रुप्या जमा    …
बुडड़ि (अपर ब्लाउज पुटकन रुप्या निकाळिक गिरहकट का हाथ मा धरदी )-  मुकदान लगल तुमर !
पैलो गिरहकट - सौ रुप्या ! बस ?
दुसर गिरहकट - बेवकूफ समज क्या तुमन हम तैं ? तुमन  बैंक से दस हजार निकाळिन
बुड्या - तो पूरा दस हजार इ त  छन।
पैलो गिरहकट - अबे बुड्डे ! ये तो सौ रूपये हैं।  बाकी नौ हजार नौ सौ भी निकालो।
बुड्या - हाँ पर सि सौ रुप्या इ त दस हजार पैसा छन कि ना ?
द्वी गिरहकट - क्या मतबल ?
बुड्या - हाँ दस हजार पैसा।  हम हमेशा खुस रौण चांदा तो हम रुप्या नि गणदा बल्कि नया पैसा का हिसाब से गणत करदां।
गिरहकट - मतलब तुम लखपति नि छंवां ?
बुडड़ि - किलै ना ? पैसा तैं  इकाई मानो तो वै  हिसाब से हम लखपति  छंवां कि ना ?
बुड्या -  खुस हूणो बान हम धन तैं रुपया मा ना पैसों मा  गणदा ! हम इन नि बुल्दां कि हम पांच रूप्याक टमाटर लवां बल्कि बुल्दां कि हमन आज पांच सौ का टमाटर खरीदेन

Copyright@  Bhishma Kukreti  14/10 /2014     
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Bhishma Kukreti

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                        असली अध्यापकौ/अध्यापिका की  पछ्याणक

                                 गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग -26     

                               Garhwali Satirical Dictionary part -26   

                       संकलन ::: भीष्म कुकरेती

असली अध्यापक/अध्यापिका  सुपिन मा बि बरड़ान्द -सिट डाउन , स्टैंड आप , गेट आउट !

असली अध्यापक/अध्यापिका  बस मा , गोर मा , गप्प लगांद , खाणो पकांद , मीटिंग मा याने कखिम बि परीक्षा पत्र जांच लींदन

असली अध्यापक/अध्यापिका पेन्सिल चबांदन

असली अध्यापक/अध्यापिका जरा बच्चों समूह द्याख ना कि बुलण लग जान्दन - लाइन में , लाइन में , अनुशासन में

असली अध्यापक/अध्यापिका बगैर सीट जँचयाँ परख्याँ कुर्सी / सीट पर नि बैठदन ऊँ तैं  हर समौ डौर रौंद कि विद्यार्थ्युंन सीट मा कुछ ना कुछ धर्युं होलु

असली अध्यापक/अध्यापिका अपण लंच द्वी मिनट उन्नीस सेकंड मा खै लीन्दन

असली अध्यापक/अध्यापिका भविष्यवाणी कर लीन्दन कि ओपन हाउस मा कैक ब्वे -बाब बाब आल

असली ग्रामीण  अध्यापक/अध्यापिका भविष्यवाणी कर लीन्दन कि क्वा मौ शरादुं मा बुलालि

असली अध्यापक/अध्यापिका तैं बरोबर पता रौंद कि क्लास से रेस्टिंग रूम की दुरी कथगा मीटर अर कथगा सेंटीमीटर च

असली अध्यापक/अध्यापिका अपण जिंदगी मा नया बहाना नि सुणदन

असली अध्यापक/अध्यापिका का पास प्रिंसिपल , हेडक्लर्क का पता अर फोन फोन नंबर अवश्य हूंद

प्राइवेट स्कुलौ /कॉलेजौ असली अध्यापक/अध्यापिका जाणदा छन कि स्कुल या कॉलेज प्रिंसिपल ना ट्रस्टी चलांदन

असली अध्यापक/अध्यापिका जाणदा छन कि नियम ऊं पर लागू नि हून्दन

ग्रेजुएट, ,  पीजी कॉलेज का असली अध्यापक/अध्यापिका अधिकतर पढाँद दैं बुल्दन - रीसेंट्ली इन 1937 . कारण यी नोट्स 1943 मा  अध्यापक/अध्यापिका का प्रोफेसर का प्रोफेसरन बणै छा

जब फौड़म पूछे जा बल खाणक कन च त असली अध्यापक/अध्यापिका कु  जबाब इन होलु -

-- खाणक स्वादम सी ग्रेड छौ किन्तु स्वास्थ्यौ  हिसाबन बी ग्रेड अर जनप्रतिक्रिया कु  हिसाबन कम्पार्टमेंट मा पास हूण लैक

--बी ग्रेड अर पैलो मैनाक फौड़ से दस प्रतिशत सवादी किन्तु मर्च बीस प्रतिसत अधिक

- बुड्यों कुण ठीक ठाक , छुट बच्चों ब्वेउँ तैं सावधानी बरतण  पोड़ल निथर ए  ग्रेड

बरसात का मौसम मा मौसमौ बारा मा सवालो जबाब मा असली अध्यापक/अध्यापिका उत्तर इन ह्वे सकद -

-- आज अस्सी से नब्बे प्रतिशत हाजरी रालि

-- आज हाजरी बहतर  प्रतिशत से कम ही होली 

--आज  अनुपस्थित बच्चों ब्वे बाबुंन डाक्टर मांगन सर्टिफिकेट लाणो जाण

 



व्यंग्य शब्दकोश जारी रहेगा ……।

Bhishma Kukreti  14 /10/2014



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Bhishma Kukreti

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                    वै भगवान कु बच्चा ! तेरी औकात छ क्या च ?

                               चबोड़्या -- भीष्म कुकरेती

भूत -भगवन ! मि त भूतलोक मा बेदिक्क्त छौ , बेख़ौफ़ छौ , अलमस्त  छौ,  आपन मि तैं किलै बुलाइ ?

भगवान - त्यार चुनाव  ए सालो सबसे सर्वश्रेष्ठ भूत मा ह्वे।

भूत -तो ?
भगवान -तो क्या त्यार सुकर्मों हिसाब से त्वे तैं मृत्युलोक याने मनुष्य योनि मा भिजे जाल।

भूत -नही महाराज ! मि भूत इ ठीक छौं।
भगवान -हैं ! दिबता बि मनुष्य लोक मा मनुष्य योनि मा जन्म लीणो बान घोसपेच लगाणा  रौंदन अर तु बुलणु छे कि भूतलोक इ ठीक च।

भूत -हे परमेश्वर ! एक बि काम मनुष्य इन नि करद जु मनुष्य का लैक काम व्हावन।

भगवान -जन कि ?

भूत -एक हों तो मि बतौँ।  मनिख हरेक कर्म मनुष्य -बिमुखी करद। 
भगवान -क्या ?

भूत -अब द्याखो आपक नियमुं हिसाब से क्वी बि जानवर बेमाता का दूध नि पे सकुद।  किन्तु मनिख बेमाता तो छोडो दुसर जानवरों दूध चसोड़ -चसोड़िक पे जांद।
भगवान -हाँ पर……

भूत -पर क्या भगवन ! कथगा इ पर छन ये मनिख  पर

भगवान -हूँ !

भूत -जरा स्वाचो ! आपन मनुष्य का दांत अर आंत इन नि बणैन जाँसे  मनिख मांश भक्षण कर साको।  किंतु संसार मा सबसे अधिक मांश मनिख ही खांद !
भगवान -लेकिन……   

भूत -लेकिन क्या ! यी ना आपन एकी आंत इन नि बणै छे कि यु ग्यूं -चौंळ पचै साकु , किंतु आज संसार मा मनिख सबसे अधिक ग्यूं -चौंळ की ही पैदावार करद
भगवान -हाँ किंतु

भूत -किन्तु क्या  ईश्वर ! आपन मनिख तैं इन नंग या इन दांत नि दे छा कि यु हैंक जानवर या अपण कौम मनुष्य तैं मार सको।  किन्तु हे देव ! आज मनुष्य ही इन जानवर च जु सबसे अधिक अपण भाई बंधुओं हत्या करद ।  युद्ध मनुष्य का वास्ता वर्ज्य छौ किन्तु मनुष्य युद्ध मा लिप्त च।

भगवान -ठीक च , पर देवलोक का नियमानुसार त्वे तैं मनुष्यलोक मा मनिखौ गाणी मा जाण इ पोड़ल।

भूत -ना ना !
भगवान -नही ! जाण इ पोड़ल।

भूत -वै भगवान कु बच्चा ! तेरी औकात छ क्या च ? पंडित , मुल्ला , पादरी , मठाधीश नि ह्वावन तो त्वे तैं कु पूछल ?
भगवान -हे शठ भूत ! तू म्यार क्रोध तैं नि जाणदि।  जा मि त्वे तैं श्राप दींदु कि तू वापस भूत ह्वे जा। 

भूत -ओए ! बकबास त नि छै ना करणु ?  मि तैं सुदि त नि छै डराणु ? यु श्राप बदल त नि सकद ना ?

भगवान -नही ! अब तू कभी भी मनुष्य नही बन पायेगा।

भूत -धन्यवाद प्रभु ! श्राप प्राप्ति का वास्ता मीन आप तैं गुस्सा दिलाई।
भगवान (अपड़ि  मन मा ) -हैं ! शरीफ भूत बि मनुष्यों तरां चालबाजी करण मिसे गेन ?

Copyright@  Bhishma Kukreti  15/10 /2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;
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                                  मनमोहन सिंग जीक इतिहास मा जगा
                            चबोड़ इ चबोड़ मा विमर्श ::: भीष्म कुकरेती


मि -अहा ! ऐ ग्याइ इतिहासौ जंगळ। अब मि इतिहासकारुं  से पुछुद कि भूतपूर्व प्रधान मन्त्रीक भारतौ इतिहास मा क्या जगा च।
मि -हे इतिहासकार ! हे इतिहासकार ! कख छंवां तुम ? जरा समिण त आवदि !
 इतिहासकार जैक फट्यां -फुट्यां  पैर्यां छया - हाँ हाँ ! बोल क्या पुछणाइ ?
मि -मनमोहन सिंगै इतिहास मा क्या स्थान च ?
वु इतिहासकार - जब तक मनमोहन सिंह तैं साम्यवाद्यूं खासकर कॉमरेड हरकिशन सिंग सुरजीत आदि कु समर्थन छौ तो मनमोहन सिंह एक आदर्शवादी , तौळक तबकाक तामीरदारी तहेदिल से करद छया।  किन्तु जनि मनमोहन सिंगन अमेरिका से न्यूक्लियर डील कार तब से मनमोहन सिंह एक कैपिटिलिस्ट ह्वे गे अर वैन इण्डिया डुबै दे।  मनमोहन सिंग तैं रूस अर चीन से समझौता करण चयेंद छौ।
मि -तुम वास्तव मा इतिहासकार छंवां ?
इतिहासकार - हाँ मि एरिक हॉब्सबाउन , रोमिला थापर , विपिन चन्द्र कु पिछलग्गु इतिहासकार छौं।
मि -तो आप वास्तव मा इन इतिहासकार छंवां जु इतिहास तैं कार्ल मार्क्स , लेनिन अर माओत्से तुंग याने माओ का हिसाब से दिखदा ?
वु इतिहासकार जैन फट्यां -फुट्यां झुल्ला पैर्यां छा - अवश्य इतिहास वी सत्य हूंद कार्ल मार्क्स , लेनिन अर माओत्से तुंग की आंख्युंन दिखे जाव।
मि -नै नै ! मि तैं इन इतिहास कार की जरूरत च जु निरपक्षी, निरपेक्ष  हो।
एक दुसर इतिहासकार - हाँ हाँ ! मि बतौल कि मनमोहन सिंह जीकी इतिहास मा असली जगा क्या च ?
मि -क्या च ?
वु इतिहासकार - क्या च ? अरे सोनिया गांधी बेकार छे , सोनिया गांधींन ही मनमोहन सरीखा सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री लैक नेताकी छवि खराब कार। राहुल गांधी मा नेतृत्व गुण नि छन तो वैन अपण नेतृत्वहीन गुण छुपाणो बान क्या नि कार ? सोनिया गांधी का चमचा छया   …। सोनिया गांधी की कार्यशैली बेकार छे।  सोनिया गांधी अपण परिवार कु अस्तित्व बचाणो  लड़ाई लड़नी छे इलै वा सरकारी फ़ाइल अपण ड्यार मंगांदी छे।  सोनिया गांधी भली नेत्यांण नि छे।
मि -मि मनमोहन सिंग जीक इतिहास मा स्थान की बात पुछणु छौं अर तुम सोनिया गांधी की आलोचनात्मक व्याख्या करणा छंवां। आखिर तुम कै किस्मौ इतिहासकार छंवां ?
म्वास से मुख  लिप्युं ,काळ मुख्या इतिहासकार - मि संजय बारु अर नटवर सिंह सरीखा आत्म कथा लेखकुं भक्त छौं जु मनमोहन सिंह जीक कंधा मा बंदूक धरिक सोनिया गांधी से बदला लीण चांदवां  अर दगड़ मा अपण पाप छुपाणो कोशिश करदन।
मि -मि तैं तुम सरीखा इतिहासकार की जरूरत नी च अपितु स्वतंत्र विचार धारा का इतिहासकार का विचार चयेंदन जु  इतिहास इतिहास मा मनमोहन सिंह जीक स्थान सुरक्षित कर साको।
एक हैंको इतिहासकार - सोनिया गांधी विचारक च , वींन मनमोहन सरीखा नेतृत्वहीन गुण वाळ तैं बि गुणकारी प्रधानमंत्री बणै।  सोनिया से बढ़कर क्वी बड़ो नेता आज तक नि ह्वे।  सोनिया जीन राहुल तैं नेता बणणो कौंळ  सिखैन।  सोनिया …  । सोनिया .... । सोनिया  …।
मि - आप कु छन ?
उ - मि दिग्गी बाबू कु गुलाम छौं।
मि - मि तैं कॉंग्रेस का हिसाब से इतिहास नि चयेणु च बल्कि …
भगव्या टोपी मा एक इतिहासकार -मि बतौल कि मनमोहन सिंह जी कु स्थान इतिहास मा क्या छौ।
मि -क्या छौ ?
भगव्या टोपी मा एक इतिहासकार - मनमोहन सिंह जी हिन्दू विरोधी अर मुस्लिम सन्तुष्टिकारी प्रधानमंत्री छया जौन स्वदेशी आंदोलन तैं ध्वस्त कार।
मि -आप कु छन ?
भगव्या कपड़ों कु इतिहासकार  -मि डा मुरली मनोहर जोशी अर प्रोफेसर वाइ सुदर्शन राव कु चेला छौं अर कम्युनिस्ट लिखित इतिहास का विरोधी सोच मा दुसर ढंग से इतिहास लिखणु छौं।
मि -मि तैं स्वत्रन्त्र विचारधारा का इतिहास कार की जरूरत च जु मि तैं बतै साक कि मनमोहन सिंग जीक स्थान भारतीय इतिहास मा क्या च ?
एक नंग धड़ंग मनिख - यै इना आ मि बतांदु कि मनमोहन सिंग जीक इतिहास मा असली जगा क्या च।
मि -हाँ हाँ ! बतावो !
नंग धड़ंग -सुण मूर्ख मनुष्य  !
मि -क्या मि मूरख  छौं ?
नंग धड़ंग - जु स्वतंत्र विचारधारा कु इतिहास खुज्याणु हो वैसे बड़ो मूर्ख कु ह्वे सकद ?
मि -क्या मतलब ?
नंग धड़ंग - -इतिहास जु हूंद वु त सब्युं कुण एकजनि हूण चयेंद  किन्तु जब इतिहासकार लिखद तो वु घटना की व्यख्या अपण हिसाब हिसाब से लिखुद जन कि भारत मा शिक्षण संस्थानों मा कम्युनिष्टुं  कु अधिपत्य राइ , साम्यवाद्यूं बोलबाला छौ या च तो ऊं कम्युनिष्टुंन भारतीय इतिहास तैं बामपंथी चस्मा से ही नि द्याख , मार्क्स का हिसाबन व्याख्या बि कार अपितु बामपंथी हिसाब से इतिहास मा बदलाव बि करी दे। अब राइट विंग हिस्टोरियन अपण हिसाब से भारतीय इतिहासौ व्याख्या करणम व्यस्त छन।
मि -हैं ?
नंग धड़ंग - हाँ जरा वेद अर महाभारत पर नजर तो मार !
मि -क्या मतलब ?
नंग धड़ंग - देख वेदूं से साफ़ लगद कि वेद इंद्र परस्ती , अग्नि परस्ती लेखकों  विचारकों  व्याख्या च।  किन्तु महाभारत अर श्रीमद्भागवत सरासर इंद्र विरोधी विचारकों की रचना च।  वास्तव मा महाभारत अर श्रीमद्भागवत मा विष्णु वादी विचारकन इंद्र अर अग्नि तैं बौना सिद्ध कर दे अर विष्णु एवं कृष्ण तैं सर्वोपरि परमेश्वर सिद्ध करी दे।  इनि हरेक पुराण छन , हरेक पुराण रचयितान अपण विचारुं से इतिहास की व्याख्या कार अर असलियत तैं अपण विचारों तैं पुष्ट करणो बान त्वाड़ बि च , मरोड़ बि च अर भौत सा हिस्सा गबे (खड्डा मा दबाण )  बि च।
मि -मतबल क्वी बि इतिहास स्वतंत्र विचारधारा का नि ह्वे सकुद ?
नंग धड़ंग - कभी भी नही।  जब क्वी कम्युनिष्ट इतिहासकार मनमोहन सिंह जीका बारा मा ल्याखल तो वो मनमोहन जी तैं वामपंथी चश्मा से द्याखल , सोनिया समर्थक इतिहासकार गांधी परिवार  परिपेक्ष मा मनमोहन का बारा मा ल्याखल तो भाजपा या दक्षिणपंथी अथवा मुलायम /जयललिता/ममता  पंथी इतिहासकार अपणि गिरवी धरीं धारणाओं आधार पर ही मनमोहन जीक बारा मा ल्याखल।
मि -मतबल इतिहास धारणाओं कु खेल च?
नंग धड़ंग - बिलकुल ! इतिहास धारणाओं कु नंगा नाच  च । जन चश्मा पैरो तन भूतकाल दिख्याल !


Copyright@  Bhishma Kukreti  16/10 /2014     
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                                 समर्थन ले लो ! समर्थन ले लो , फ़ोकट में ले लो

                                स्किट (चौंतरा स्वांग , लघु नाटिका )::: भीष्म कुकरेती

ब्याळि 19 /10 /2014  कुण महाराष्ट्र विधान  चुनाव रिजल्ट आणो उपरान्त जब एनसीपी याने शरद परिवारो परिवारिक पार्टीन भाजपा तैं समर्थन दीणै बात कार तो हमर बिल्डिंग मा बच्चोंन एक चौंतरा स्वांग ख्याल।

 एनसीपी - समर्थन ले लो , बन बनिक समर्थन ले लो , राजनीतिक खलबली ले लो।
एनसीपी - अरे क्वी बि नि बुलाणु च।  चलो मि  जोर से भट्यांदु .
एनसीपी - समर्थन ले लो , समर्थन ले लो , राजनैतिक हथियार ले लो !
पत्रकार -ये भै समर्थन क्या भाव चलणु च।  कति रुपया छटांग चलणु च? कति रुपया कीलो  चलणु च ? कति करोड़ प्रति विधायक चलणु च ?
एनसीपी -नै नै ! हम समर्थन का मोल भाव नि करदा।  हमर विधायक बिकाऊ नि छन।  बगैर शर्तौ समर्थन च।
पत्रकार -हाँ पर समर्थन की क्वी ना क्वी शर्त त होली ?
एनसीपी - इन न नी च पर उन च।
पत्रकार -इन  नी च पर उन च,  कु क्या मतबल ?
एनसीपी -हम चांदवां कि महाराष्ट्र का विकास ह्वावो।
पत्रकार -ह्यां पर तुम पिछला दस सालों से अर शरद पवार तो पिछ्ला चालीस सालों सालों से बुलणा छंवां कि महारष्ट्र मा विकास ह्वे गे।  तो अब त महाराष्ट्र तैं विकासै जरूरत ह्वेलि ही ना।
एनसीपी -हाँ उन त महाराष्ट्र  तैं विकासौ जरूरत नी च पर फिर बि हम महाराष्ट्र का विकास का बान बगैर शर्तुं समर्थन दीण चाणा छंवां।
पत्रकार -वाह भली बात च।
एनसीपी -हम पक्का राष्ट्रवादी जि छंवां। इलै हम भारतीय जनता पार्टी तैं समर्थन दीण चाणा छंवां।
पत्रकार -एक बात बतावदी बल जब एक एमपी सवाल पुछणो बि पैसा लींद तो तुम इथगा पुण्यात्मा कब बिटेन ह्वे गेवां ?
एनसीपी -हमर नीयत साफ़ च हम महाराष्ट्र का विकास चांदवां।
पत्रकार -ह्यां पर राजनीतिज्ञ अपुड़ दांतौ लू (मैल ) बि फोकट मा नि दींदु तो घाघुं घाघ नेता शरद पवार बगैर शर्त का सुपिन मा समर्थन नि द्यालो।
एनसीपी -हमर समर्थन अमूल्य च , बगैर मूल्य का च , सुदी ही च।
पत्रकार -सुणो ! सरा भारत की जनता जाणदी च कि एनसीपी का नेताओं का सिंचाई विभाग मा कथगा खिंचाई करीं च , महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक  की कन लुटिया डुबाइं च , महासदन को गदन कन कर्युं च।
एनसीपी -सब बकबास च।
पत्रकार -जनता  जाणदी च कि एनसीपी नि चांदी कि महाराष्ट्र मा पिछ्ला दस सालों कु भ्रष्टाचार समिण नि आवो तो तुम अब इन खेल खिलणा छंवां कि तुमर पाप छुप जावन।
एनसीपी -बकबास !
पत्रकार -बकबास नहीं सत्य च।  अर अब जनता थोड़ा भौत अपण अधिकारुं प्रति सचेत ह्वे गे।
एनसीपी -मै ऐसे बेकार के पत्रकारों के मुंह नही  लगता।  जा अपण रस्ता नाप।
पत्रकार -भारत मा देर से ही सही पर पाप्युं तैं सजा त मिलदी च।  लालू , चौटाला अर जयललिता कु उदाहरण समिण च।
एनसीपी -हम समर्थन देके रहेंगे।   तुमको जो बकना है बकते रहो ।

Copyright@  Bhishma Kukreti  20/10 /2014     
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                                              संबंध-समाप्ति  करणो तरीका

                                        चबोड़ , चखन्यौ , घपरोळ ::: भीष्म कुकरेती

 जनि मनिख बुड्या हूंद , जनि मनिख पैसा वाळ हूंद , जनि भाजपा जन राजनीतिक  पार्टी ज्यादा तागतवार हूंद तनि यी सबि पुरण संबंध ख़तम करण पर लग जांदन। अतः मनिख तैं पता हूण चयेंद कि संबंध कनै तोड़े जांदन।
                                                  शुरुवात मा ही संबंध तोड़णो तयारी
 संबंध बणाण से पैली संबंध खतम करणो तयारी से मनिख जल्दी संबंध तोड़ सकद।  तो यदि आप संबंध तोड़न पसंद करदां तो संबंध बणान दै इ संबंध तोड़णो इरादा करि ल्यावो।  जरा हरियाणा मा भाजपा अर हरियाणा जन परिषद पार्टीक गठजोड़ द्याखो तो गठजोड़ से पैली द्वी पार्टयूं का इरादा ही एक दुसर  फायदा लेक अलग हूण छौ।  मायावती -मुलायम गठजोड़, मायावती -भाजपा गठजोड़ या तेलंगाना नरेश चंदशेखर रावक कॉंग्रेस गठजोड़ की जड़ मा  शुरुवात से ही गठजोड़ तोड़णो बीज बुए गे छा।   जोड़ीदार का प्रति प्रतिबद्धहीनता ही सबंध खतम करणो कारण हूंद।  यदि तुम सबंध खतम करण चांदा तो शुरवात से ही जोड़ीदार का प्रति प्रतिबद्धहीन , बचनबद्धहीन अर पीठ पर छुर्रा घुस्याणो तयारी कर ल्यावो। संबंध तोडू मनिख या पॉलिटिकल पार्टी शर्तहीन प्रतिबद्धता की बात कबि बि नि सुचदन।
चालाक , धूर्त, खुट्या  स्याळ हमेशा संबंध स्थापित करद ही वूं विन्दुओं तैं पछ्याण जांद जु संबंध खतम करणो माध्यम छन अर इन धुर्या , धूर्त अर स्वार्थी मनिख  समूह यूँ संबंध बिगाड़ो बिन्दुवो की हर समय पूजा करणु रौंद।

                                                      संबंध बिगाड़न तैं अचाणचक   गति दीण
                    जै जोड़ीदारन संबंध बणन से पैलि संबंध बिगाड़णो संधिस्थल को ध्यान करी हो वो अचानक संबंध बिगाड़नो बान तेजी लांद अर फिर संबंध बिगाड़नो बान तर्क , कुतर्क या खनु खरपट को सहारा लेक संबंध खतम करद।  राजनीति मा जयललिता , ममता या अरविन्द केजरीवाल यामा प्रसिद्द छन।

                                                   कुछ भि भगार , लांछना लगाण
     संबंध तोडू जब संबंध तुड़द , रिश्ता -नाता  पर आग लगांद ,  अलग ढपली से अलग राग बजांद   तो अपण कुछ भि गलती नि माणद   बल्कण मा दुसर पर इन भगार लगांद  , लांछन लगांद दुसरो इन कमर तोड़दु कि हौरुं तैं  वो आधारहीन लांछन , भगार , आक्रमण  हजम नि हूंद। अबि कुछ महीना पैल बिहार का नीतेश कुमारन जब भाजपा से अठारा साल पुराणो गठजोड़ -गठबंधन-रिस्ता  त्वाड़ अर भाजपा की तौहीन कार कि भाजपा एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी नी च तो आज बि नितीश कुमारो दगड्या शरद यादव बि पुटक पकड़िक  जोर जोर से हंसणु रौंद।  लोग अर लालू यादव बि खत -खत  ही -ही -हा- हा -खू -खू करिक हंसणा रौंदन।  एक
 इनि अबि जब भाजपा -शिवसेना अर कॉंग्रेस -एनसीपी गठजोड़ टूटेन त चारि पार्ट्यून गठबंधन -गठजोड़ -अलाइंस टुटणो कारण बतैन तो यु चर्री पार्ट्युंक कार्यकर्ता धड़म से बेहोस ह्वे गेन अर आज बि चर्री पार्टयुं कार्यकर्ता संसय मा छन , सशंकित छन अर भयभीत छन।
                                          संबंध बिगाड़न एक कला च , एक कौंळ च , एक विज्ञान अर वास्तव मा एक क्लासिकल खेल च। ये खेल तैं सीखो।
                                          रिस्ता खतम करण एक स्वार्थ  पूर्ति च , अवसरवादी  प्रक्रिया च अर अविश्वास  परिकाष्ठा च। यदि आप संबंध खतम करण चांदवां तो स्वार्थी बणो।
                                          नाता समाप्ति याने एक दुसर पर आरोप की झड़ी लगाण , अनावश्यक प्रत्यारोपुं  बरखा करण , गैरजरूरी कारणों का बमगोळा फुड़ण।  बस अनावश्यक , गैर जरूरी कारणु पर ध्यान द्यावो तो सबि नाता -रिस्ता अफिक खतम ह्वे जाला।
                                           एक दूसर पर विश्वास नि कारो तो अवश्यमेव आपको रिस्ता समाप्ति -स्वर्ग फल प्राप्त होलु। जोड़ीदार की कमजोरी पर ध्यान द्यावो अर संबंध समाप्ति का पुण्य भोगो।
                                           एक हैंक  पर शक कारो अर रिस्तेदारी दुस्मनै मा बदलो ।
                                                                                    ।।  इति संबंध समाप्ति कारणम् अध्यायम ।।

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