Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360603 times)

Bhishma Kukreti

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              नौकरी का  इंटरव्यू :  सात कौरवुं द्वारा अभिमन्यु तैं घिरैक मारण


                    जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -

                   
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट संस्मरण :::   भीष्म कुकरेती

  प्रार्थना पत्र यदि अधिक ऐ गेन  त प्रार्थ्युं छंटाइ सबसे कनिष्ठ कर्मिक याने चपड़ासी या कनिष्ठतम लिपिक द्वारा हूंद।  फिर जब प्रार्थ्युं तै इंटरव्यू याने मुखभेन्ट का वास्ता बुलाये जांद याने अभिमन्यु तैं चक्रब्यूह का फंडा मा फंसाणो कर्मकांड हूंद।

  इंटरब्यू कर्मकांड मा द्वी तरां की रणनीति हूंद -

                         जगा जगा अवरोधक दौड़

यीं रणनीति मा अभिमन्यु याने प्रार्थी तै कौरव पार्टी याने इंटरव्यू लीण वाळ प्रार्थी तै तरह तरह से निराश करणै प्रयत्न  करदन।  प्रश्न का नौकरी से क्वी तालुक नि हूंद अर अधिकतर हरेक कौरव एकी तरां कु सवालिया तीर चुलांद -

कौरव 1 - तू वर्तमान जॉब किलै छुड़णु छे ?

कौरव 2 - तीन शादी किलै नि कार ?

कौरव 3 -तीन आज सफेद कमीज किलै पैर ?

कौरव 4 -तू अपण बुबा जी तै पसंद करदी या माँ तैं ?

                                  धर्म न्यायिक अधिकरण जांच


इखमा कौरव कट्ठा ह्वेक अभिमन्यु की जांच करदन। हरेक कौरव की कोशिस (इन्टरव्यूवर )   हूंद कि अभिमन्यु (प्रार्थी ) की जांच नि हो अपितु अभिमन्यु घायल हो।  कौरव अभिमन्यु तै इथगा घैल कर दींदन कि अभिमन्यु हैंक  नौकरी इंटरव्यू से इ डरण मिसे जांद।  असल मा यी कौरव यवा प्रार्थी का पुटुक इंटरव्यूफोबिया (इंटरब्यू का नाम से इ डर ) की बीमारी पैदा कर दींदन।

                 इंटरव्यू का प्रश्न

जरा इंटरव्यू की एक झांकी द्याखो -

कौरव याने इन्टरव्यूवर - तुमन अल रीज की किताब पोजिसनिंग बि पौढ़ ?

अभिमन्यु याने प्रार्थी - जी पौढ़ च।

कौरव याने इन्टरव्यूवर -पेज 47 मा क्यांक बारा मा च ?

अभिमन्यु याने प्रार्थी - जी शायद होटल मैनेजमेंट का बारामा च।
कौरव याने इन्टरव्यूवर -शायद ?

अभिमन्यु याने प्रार्थी - ज।

कौरव याने इन्टरव्यूवर हैंक कौरव से कान मा -रिजेक्ट ?

हैंक कौरव - डेफिनिटली।

कौरव याने इन्टरव्यूवर हैंक कौरव से कान मा -रिजेक्ट ?
हैंक कौरव - डेफिनिटली।

xx                                  xx                                          xx
कौरव याने इन्टरव्यूवर - तुम्हारी हॉबी क्या च ?

अभिमन्यु याने प्रार्थी - जी क्रिकेट।

कौरव याने इन्टरव्यूवर -सन 1973 मा न्यूजीलैंड का टेस्ट कप्तान कु छौ ?

अभिमन्यु याने प्रार्थी - जी जी !

कौरव याने इन्टरव्यूवर -यू मीन G G

अभिमन्यु याने प्रार्थी - ना मी तै नी पता।

कौरव याने इन्टरव्यूवर हैंक कौरव से कान मा -रिजेक्ट ?
हैंक कौरव - डेफिनिटली।
xx                                  xx                                          xx

कौरव याने इन्टरव्यूवर - तुम प्रोडक्सन डिपार्टमेंट मा जाण चांदा या सेल्स डिपार्टमेंट मा ?
अभिमन्यु याने प्रार्थी [याद करद  कि विज्ञापन तो सेल्स डेवलपर कु छौ ] -जी सेल्स डिपार्टमेंट

कौरव याने इन्टरव्यूवर -सेल्स मा फील्ड सेल्स या सेल्स डेवलपमेंट

अभिमन्यु याने प्रार्थी [याद करद  कि विज्ञापन तो सेल्स डेवलपर कु छौ ] - जी सेल्स डेवलपमेंट

कौरव याने इन्टरव्यूवर हैंक कौरव से कान मा - यु फील्ड सेल्स से डरणु च।  रिजेक्टेड ?
हैंक कौरव - डेफिनिटली।
अर यु कर्मकांड हर कम्पनी मा कै ना कै तरां से हूंद।
                   जब मि  पैल दफा कौरव बौण

अधिकांस कंपन्यूँ मा इंटरव्यू लीण तै गंभीर कार्य नि समजे जांद।  मि तै नौकरी पर लग्यां छै मैना नि ह्वे छा अर मि सेल्स ऑफिसर छौ। हम तै म्यार सहयोगी सेल्स ऑफिसर चयेणु छौ।   वैदिन सात आठ छ्वारों इंटरव्यू फिक्स छौ।  पर अचानक बॉस तै फैक्ट्री जाण पोड तो इंटरव्यू की जुम्मेवारी मि तै दिए गे।

मीन बि कौरव की भूमिका निभाई अर इन सवाल पुछेन कि जबाब मीम बि नि रै ह्वाल।  मीन सात मादे पांच रिजेक्ट करिन।  अर द्वी सलेक्ट करिन जौंक इंटरव्यू दुसर दिन बॉसन फिर कौरव बणिक ले।

इंटरव्यू एक गंभीर काम च किन्तु वास्तव मा यु एक कर्मकांड का तरां सम्पन हूंद कि जजमानौ इख क्वी मोर या बच्चा पैदा हो,  पंडीजीन घंटी इ त हिलाण अर वूं तै त दक्षिणा चएंद।



2/5/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!



Bhishma Kukreti

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                  जौब अप्वाइंटमेंट लेटर : इ नि कौर , वु नि कौर , सि बि नि कौर


                    जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -5

                   
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट स्टाइल की पोल :::   भीष्म कुकरेती


                         जब बि क्वी अभ्यार्थी कै बि संस्थान मा नौकरी पांद तो वैक कुछ सुपिन हूंदन , कुछ करणै आकांक्षा हूंदन , सुखद भविष्य की सोच हूंद।  संस्थान कु अप्वॉन्टमेंट लेटर ही सबसे पैल वा /वु संस्थान से जुड़द।  किन्तु जब बि क्वी अभ्यार्थी अपण अप्वाइंटमेंट लेटर बंचद तो वु समज जांद कि  परतंत्रता से दुसर परतंत्रता मा पौंछि गे।

अप्वॉन्टमेंट लेटर वास्तव मा सकारात्मक हुण चयेंद किन्तु हमर टैम पर अप्वाइंटमेंट लेटर वास्तव मा नकारात्मक ही हूंद छा।  शायद अब सकारात्मक नियुक्ति पत्र मिलदा होला मि नि जाणदु। पर नियुक्ति पत्र मा आस जगाये जाण चयेंद वा आस नियुक्ति पत्रु मा नि हूंद।

सबसे पैल हूंद आफ्टर आप्व्इंटमेंट यू विल नौट ---------

                    'यू विल नौट डू' शब्द 'यू विल डू' का मुकाबला हजारों प्रतिशत अधिक हूंदन।

नियुक्ति पत्र मा इन नि लिखे जांद कि तू कम्पनी नाम  सब जगा बढैल किन्तु इन अवश्य लिखे जांद -साले /साली! यदि तीन कम्पनी तै बदनाम कार तो तेरी खैर नी च।

अप्वाइंटमेंट पत्र मा अभ्यार्थी से उम्मीद नि करे जांद कि कर्मिक विश्वासपात्र हो किन्तु हिदायत अवश्य दिए जांद कि उतका  का गस्सा यदि तीन विश्वासघात कार तो इंडियन पैनल कोड हमारा साथ च अर तेरी मौण तोड़े सक्यांद।

              हरेक कम्पनी रुणि रौंदि कि हमर क्रमिक इन्नोवेटिव नि छन , नवप्रवर्तक नि छन , मौलिक सोच का समर्थक नि छन।  अब जब नियुक्ति पत्र मा लिखे इ नि जाव कि हम तुम से इन्नोवेसन की आस करदां तो संस्थान मा नई सोच कखन आलि ? उल्टां नियुक्ति पत्र मा लिख्युं रौंद - देख बै कार्मिक ! हम त्वै तै गधा समजदा तो गधा जन अपर संचालक /सुपरवाइजर की आज्ञा पाल करता जा।  यदि तीन गधापंथी छोड़िक अपण बॉस की अवज्ञा कार तो तेरी नौकरी खतम करे जाली।

                      नियुक्ति पत्रु मा इन नि लिख्युं रौंद कि तुम तै अनुशासन मा रौण चयेंद बल्कि लिख्युं रौंद कि यदि तू अनुशासन मा नि रैली तो त्वे पर अनुशासनत्मक कार्यवाही होली। नियुक्ति पत्र वास्तव मा अभ्यार्थी तै सिखांद कि तू यदि भेड़ /ढिबर जन व्यवहार करिल त कम्पनी मा खै कमै सकदी अर यदि तीन इना उना  द्याख तो त्यार हतुं मा टर्मिनसन लेटर पकड़ाए जालु। नियुक्ति पत्र का मजमून हूंद कि -हे ! कर्मिक यदि तू अनवश्यक निलंबन नि चांदी तो बण्यां बुण्या बाटु पर ही हिट।

        नियुक्ति पत्र का हरेक क्लाउज मा सकारात्मक वाक्यों का बनिस्पत नेगेटिव /नकारात्मक वाक्यों की अधिकता हूंदी याने कार्मिक तै नकारात्मक बणाणै प्रक्रिया नियुक्ति पत्र से शुरू ह्वे जांद।

  उन त मालिक बुल्दु बल कर्मिक म्यार परिवार च पर नियुक्ति पत्र की इबारत बथांदि कि कर्मिक एक अविश्सनीय अर दुसर ब्रह्माण्ड कु जीव च अर वै तै बांधिक बंधक बणान आवश्यक च।

असल मा नियुक्ति पत्र मा कम्पनी का लीगल बेनिफिट्स का ही ख़याल रखे जांद कि यदि कम्पनी लीगली कखि फंस जावो तो नियुक्ति पत्र का बल पर कंपनी पर आंच नि आवो।

                       व्यापारिक नियुक्ति पत्र याने चोरी रुकणो नियुक्ति पत्र

एक दै हमन टेक्नीकल सर्विस बेहतर बणाणो बान सर्विस फ्रेंचाइजी नियुक्त करणो निर्णय ले।  तो हमन सर्विस मैनेजर से सर्विस फ्रंचाईजी  नियुक्ति पत्र का प्रारूप बणाणो ब्वाल।

सर्विस मैनेजर कु भेज्युं  प्रारूप की नकल मीम विचार विमर्श का वास्ता आइ।  मि बेहोश ह्वे ग्यों।  कखिम बि बेहतर सेवा , संतुष्ट ग्राहकुं बात नि छे अपितु सौ टर्म्स  मादे अस्सी टर्म्स/ क्लाउज /परिच्छेद इन छा  जखमा वाक्य की शुरवात ही इन छे - यू विल नौट -

जब शरतुं  का अस्सी प्रतिशत वाक्य 'यू विल नौट -' से शुरू ह्वाला तो अवश्य ही सेवा मा नकारात्मक सोच आली ही।

मीन अपण बौस मा 'यू विल नौट -'शब्द बदलणो सुझाव दे तो सर्विस मैनेजर अर बॉस का वाक्य छौ - साले सब सर्विस फ्रैंचाइजी चोर होते हैं उनको -यू विल नौट - से ही सुधारा जा सकता है। अर सर्विस मैनुअल मा 'यू विल डू ' की जगा 'यू विल नौट ' कु ही बोलबाला राइ।


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Bhishma Kukreti

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                    ट्रेनिंग : एक आवश्यक बीमारी


                    जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -6

                   
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट संस्मरण :::   भीष्म कुकरेती

                  आज ग्लोब्लाइजेसन का समय पर बि ट्रेनिंग वास्तव माँ एक बीमारी माने जांद अर ट्रेनिंग तै ऐसेट बिल्डिंग प्रोसेस नि माने जांद अपितु बीमारी भगाणो बान संसाधनुं नुकसान [लौस इन रिसोर्सेस ] माने जांद।

अधिकतर अलग अलग विभागुं बान ट्रेनिंग दीणो दृस्टि अलग हूंद।  जनकि प्रोडक्सन , टेक्नीकल अर सेल्स वाळु तै ट्रेनिंग मार बांधिक दीणी पड़द।  बकै विभागुं मा ट्रेनिंग की आवश्यकता समजे इ नि जांद।

उन अधिसंख्य कम्पन्यूँ मा ट्रेनिंग मैनुअल रौंद च पर वे ट्रेनिंग मैनुअल की वै इ कीमत अर भतियाभन्द हूंद जन अपण पुरखों  सराद दीणो हूंद।  जन सालाना सराद मृतकों तै याद करणो बान नि हूंद अपितु दुनिया दिखाणो एक कर्मकांड हूंद उनि ट्रेनिंग मैनुअल कु हर्श हूंद।

ट्रेनिंग मैनुअल की अहमियत इथगा इ च कि यु मैनुअल वै ड्रावर मा रखे जांद जै ड्रावर तै कदाचित ही खोले जांद याने धूल खांदि फाइलु बीच ट्रेनिंग मैनुअल पड्यु मिल्द।

ट्रेनिंग दीणो भौत सी शैली छन भौत सा सिद्धांत छन , भौं भौं पद्धति छन।

                                    अफिक त सीख ल्याल पद्धति

चूँकि मैनेजरों तै भूतकाल मा सही पद्धति से ट्रेनिंग नि हूंदी अर यि मैनेजर अपण मेहनत या यस बॉस वळ गुण से मैनेजर बण जांदन तो यूंक  सुचण हूंद कि -हम तै कैन सिखाइ ? जब बगैर ट्रेनिंग का हम मैनेजर बण सकदां तो हौर बि अफिक सीख ल्याल।  इन संस्थानों मा ट्रेनिंग गाळी माने जांद।


                                 एकलब्य सिद्धांत

इख नया कर्मिक तै एकलब्य माने जांद कि जु मोळ -माटो द्रोणाचार्य की मूर्ति समिण अफिक तीर चलाण सीख जाल।  याने कर्मिक तै एक द्रोणाचार्य की मूर्ति दिए जांद।  अर ये द्रोणाचार्य की मूर्ति हूंद - ट्रेनिंग मैनुअल।  नया कर्मिक से या आसा हूंद कि ट्रेनिंग मैनुअल पढ़िक नया कर्मिक एक दिन मा प्रवीण (हौनर्स ) की डिग्री त नि पास कर ल्यालु तो भी ग्रेजुएट तो ह्वेइ जालो।

                        मनुष्य मा दिमाग नी च


इन पद्धति मा सोच हूंद कि जन कारखाना मा कच्चा माल तै बिभिन्न विधियों से गुजारिक फ़िनिश्ड गुड्स मा बदले जांद उनि कर्मिक तै हरेक बिभगाम एकै दु दु घंटा कुण भिजे जाओ अर वु द्वी दिन मा परिपूर्ण कर्मिक बण जाल।

                                सिवाळणै / सुलाणै पद्धति


यीं पद्धति मा नया कर्मिक तै संस्थान का इन पुराणो खुर्राटों पास जु अफु तै बड़ो भाषण दीन्देर समजदन।  नया कर्मिक तै यूंक भाषण सुणणो भिजे जांद अर ट्रेनिंग की खाना पूरी करे जांद।


                     विभागीय लोगुं परिचय याने निराशा सिखणो थौळ (प्लेटफॉर्म )


ट्रेनिंग मा खासकर सेल वळु तै हरेक विभाग से परिचित हूणों उदेस्य से हरेक विभाग मा भिजे जांद। अर हरेक विभाग मा एकाद बगैर कामक कर्मिक हूंदी छन।  जब  बि ट्रेनिंग लीणो क्वी नया बकरा याने कर्मिक आये तो ये खुंड कर्मिक तै ट्रेनिंग दीणो काम मिल जांद।  अवस्य ही यु कर्मिक निरास कर्मिक ही हूंद तो यु कर्मिक नया कर्मिक का मन मा कम्पनी का प्रति इतना निरासा डाळि   दींदु कि नया कर्मिक अपण भाग्य तै गाळी दीण शुरू कर दींदु कि कैं कम्पनी मा ऐ ग्यों।

                 

                        म्यार ट्रेनिंग का कुछ अनुभव

मेरी बि सेल्स मा मर्फी मा ट्रेनिंग ह्वे छे।  मर्फी तब अफिक बिक जांद छौ।  अधिक मारामारी नि छे।

पैलाक दिन तो ऑफिस मा अलग अलग विभाग का लोगुं से परिचय ह्वे दुसर दिन एक में से एक मैना अधिक अनुभवी सेल्समैन का दगड़ भिजे गे।  वैन मि तै सेल्समैनशिप तो नि सिखाइ पर इन अवश्य सिखाइ कि ट्रैवल बिल मा टीए डीए मा कन हेराफेरी करण।  सरा दिन वु मि तै सिखाणु राइ कि सेल्समैन की असली कमाई टीए डीए की हेराफेरी से हूंद।

तिसर दिन मि तै सर्विस मैनेजर रेडिओ डीलरों परिचय का वास्ता ली गे।  बारा बजि से पैल तीन डीलरूं से कबड्डी जन -छू छू जन परिचय करैक उ सर्विस मैनेजर मि तै सिनेमा दिखाणो ली गे कि बारा से तीन भौत गर्मी हूंद तो जरा वातानुकूलित हॉल का मजा लिए जावो।

म्यार बॉसन मि तै पूछ बि नि छौ कि मीन कन ट्रेनिंग ले।

  ट्रेनिंग शब्द एक अच्छु शब्द च पर यदि ट्रेनर ही ट्रेनिंग दीण नि जाणल तो वीं ट्रेनिंग का क्या ह्वाल।

एक दै मीन नया सेल्स ट्रेनी तै ट्रेनिंग का वास्ता पुरण सेल्स मैन का साथ मार्किट भ्याज अर मि अफु हैदराबाद टूर पर चलि ग्यों ।  द्वी तीन हफ्ता  तक तो मीम क्वी सूचना नि आई किन्तु बाद मा पता चौल कि पुरण सेल्समैन नया सेल्स ट्रेनी का साथ मार्केट नि गे बस अपितु पुरण सेल्समैनन  वै तै अपण विजिटिंग कार्ड देन अर हरेक दुकान दार का टेबल मा कांच का अंदर लगाणो हिदायत दे दे। 


                 मीन जब सेल्स ट्रेनी तै गोडाउन क्लर्क बणै दे !


मीन एक दै एक सेल्स ट्रेनी भर्ती कौर अर ट्रेनिंग का वास्ता वै तै गोडाउन भ्याज।  सेल्स वाळ तै माल परिवहन का ज्ञान आवश्यक हूंद तो अधिकतर कंपन्यूँ मा सेल्स वळ तै गोडाउन (जू ऑफिस से कई मील दूर हूंदन ) अवश्य भिजे जांद।  वै सेल्स ट्रेनीन उत्साह मा ऐक गोडाउन मा सुधार का वास्ता तीन पेज की रिपोर्ट मि तै दिखाइ।  मि रिपोर्ट से प्रभावित ह्वे ग्यों। तिसर दिन मीन गोडाउन कीपर बुलाइ अर वै तै वा रिपोर्ट दिखाइ।  गोडाउन कीपर बि रिपोर्ट से प्रभावित ह्वे गे।  हम दुयुंन वै सेल्स ट्रेनी तै मोटिवेट कार अर वै तै गोडाउन मा स्टोर क्लर्क बणै दे।  अब उ एक बड़ी कम्पनी मा गोडाउन कीपर च। 

                   नया कार्मिक का बि सपना हूंदन


कुछ समय पैलाक इ बात छन।  मीन एक तरो ताजा एमबीए मुंबई ब्रांच मा ले।  अपण ब्रांच मैनेजर का समिण मीन वै तै लोहार चाल मुंबई मार्किट भ्याज।  लोहार चाल किचेन यूटेंसिल्स का भौत बड़ो व्होलसेल व रिटेल मार्केट च।  दुसर दिन मीन वै एमबीए तै पूछ कि कन राइ तेरो अनुभव ?

वै युवा सेलमैनान उत्तर दे - अर आपन मि तै दुकानदारों पास भ्याज ना कि रिटेलर्स का पास।

वैन एमबीए की किताबुं मा रिटेलर्स का अर्थ मॉल या डिपार्टमेंटल स्टोर्स समझ ना कि दुकानदार।

ट्रेंनिंग एक गंवहिर विषय च पर अबि बि भारत मा ट्रेनिंग एक बीमारी इ समजे जांद।


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                    जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -7

                   
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट स्टाइल पर छींटा कसी  :::   भीष्म कुकरेती


                       ट्रेनिंग कबि बि हो , कखि बि हो , क्वी बि द्यावो , क्वी बि ट्रेनिंग ल्यावो , परीक्षणार्थी तै लघुतम शब्दुं से मुखाभेंट करण पोड़द।  ट्रेनर बार बार संस्थान मा प्रयोग हूण वळ अब्रीवेटिव वर्ड्स [शब्दुं लघुतम रूप ] प्रयोग करद अर परीक्षणार्थी डिक्सनरी छपण वाळ तै गाळी दीणु रौंद कि इन डिक्सनरी किलै नि छप जखमा हरेक संस्थानुं का अब्रीवेटिव वर्डसुं अर्थः बि हो। परीक्षणार्थी तै संस्थान की संस्कृति सिखणो असली अर्थ हूंद बल संस्थान मा प्रयोग हूण वळ शब्दुं तै समजण।

              दुनिया मा क्वी बि संस्थान हो हरेक संस्थान मा लघुतम  शब्दुं प्रयोग अवश्य हूंद।


                            सार्वभौमिक  सामन्य लघुतम  शब्द


   सब संस्थानों मा सार्वभौमिक सामन्य प्रयोगी लघुतम [अब्रीवेटिव ] शब्द प्रयोग हूंदन जन कि -

CEO -चीफ एक्जीक्यूटिव ओफ़ीसर

MD - मैनेजिंग डाइरेक्टर

KRA -की रिजल्ट एरिया

आदि आदि

जब संस्थान मा यूँ शब्दुं प्रयोग हूंद तो  अनजान या नया आदिम बि सरलता से अर्थ समज जांद।


              समानार्थी सावभौमिक शब्द पर अलग अलग संस्थानों मा अलग प्रयोग

कुछ लघुतम शब्द अलग अलग हून्दन पर यूं शब्दुं का समानार्थी शब्द बि हूंदन अर इखमा अजनबी या नया कर्मिक जरा परेशानी मा ऐई सकद।

जनकि डीलर नेटवर्क मैनेजमेंट माने हूंद फुटकर व्यापारियुं जाल प्रबंधन अर लघुतम रूप च डीएनएम ।  किन्तु यूरोप या अमेरिका मा रिटेल नेटवर्क मैनेजमेंट [आरएनएम ] अधिक प्रयोग हूंद।

एक कम्पनी मा मि इंटरव्यू दीणो ग्यों अर मीन बताइ कि मि डीएनएम  [डीलर नेटवर्क मैनेजमेंट ] बि सँबांळदु तो इंटरव्यू लीण वळ चचलै गे।  जब वैक समज मा आयि कि डीलर नेटवर्क मैनेजमेंट की बात हूणि च तो वै भज्ञानन मि तै धधोड़ दे कि डीएनएम शब्द ही गलत च अर रिटेल नेटवर्क मैनेजमेंट [आरएनएम ]शब्द अधिक मॉडर्न अर सार्थक च।

तो परीक्षणार्थी तै अपण ट्रेनिंग काल मा कम्पनी मा प्रयोग हूण वळ लघुतम शब्द रटण इ पड़दन।


                      नामुँ का लघुतम रूप


         संस्थान मा मैनेजरूँ तै बि एब्रीवेटिव करिक पुकारे जांद। जनकि -डी डी लखनपाल - डीडीएल , अजय कुमार लखनपल -एकेएल या ईश्वरी दत्त -ईद , महमूद हुसैन -महु आदि आदि। यी शब्द संस्थान का अपण धरोहर हूंदन अर देर सबेर कर्मिक यूँ लघुतम शब्दुं मतलब समजि लीन्दन।

                     कुछ क्रिएटिव विशिष्ठ लघुतम रूप

हरेक संस्थान मा काम का हिसाब से विशिष्ट नाम रचे जांदन अर या हि त संस्थान की विशिष्ट संस्कृति हूंदी।

जन कि मेरी एक पुरण कम्पनी का सर्विस सेंटर मा एक शब्द छौ -टीके।  मैनेजर बुल्दु छौ - अरे तै रेडिओ का टीके करिक जल्दी दे दे।  मि तै द्वी साल बाद पता चौल कि टीके शब्द क्वी टेक्निकल शब्द नी च बल्कण मा 'थूक लगा के ' शब्द का लघुतम रूप च। जब क्वी कस्टमर  तै भौति जल्दी हो तो टीके तकनीक का द्वारा त्वरित सेवा दिए जांद छौ।  अर बॉस या कै तै बौगणा नाम बि 'टीके' छौ।

 मीन लखनपाल , लोटस, वीडियोकॉन जन कंपन्यूँ मा काम कार अर यूँ कंपन्यूँ मा सेल्स मा इतना गढ़वाली रौंद छ कि भैर वळ यूँ कम्पन्यूं तै गढ़वाल प्राइवेट कम्पनी  बि बुल्दा छ।  खैर इख हम लोग अपण मुहावरा बि प्रयोग करदा अर वु मुहावरा संस्थान का शब्द बि बण जांद छ।  एक शब्द मि तै याद च - छांछ छोळ।  ये शब्द को अर्थ लखनपाल मा छौ कि तै तै छोड़ ना , तै तै तंग कौर । 

           केनस्टार मा एक शब्द छौ -जरा जल्दी जा अर 'क्यूपी ' करैक आ।  यु शब्द केनस्टार मा प्रोडक्सन अर क्वालिटी कंट्रोल का मध्य चलण वाळ लघुतम शब्द छौ - क्यूपी याने क्वालिटी पास अर अब्याकआबि याने त्वरित।  भौत सा समय क्वालिटी मा बदलाव हो या कुछ अन्य कारण ह्वावन तो क्वालिटी विभाग तै त्वरित पास करण आवश्यक हूंद तो इन समय पर क्यूपी शब्द प्रयोग मा आंद छौ।

 

                                      पीठ पैथराक लघुतम शब्द


अधिकतर कर्मिक अपण बॉस का नाम वैक गुणों का खासकर अवगुण का हिसाब से नाम धरदन अर यि नाम केवल पीठ पैथर ही प्रयोग मा आंदन जनकि -बाघ , बाज , गुस्सैल आदि।

ट्रेनिंग के शुरवात मा परीक्षणार्थी का सामना कै ना कै रूप मा नई शब्दावली से रूबरू हूणि पड़द। 



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                          मैनेजरौ असली काम च निर्णय नि लिए  जाव


                           जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -8

                   
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट संस्मरण :::   भीष्म कुकरेती

                  मैनेजमेंट  किताबुं मा अर भैराक सलाहकारुं सलाह मा एक बात पर जोर हूंद कि मैनेजरौ काम हूंद निर्णय लीण।  किन्तु असलियत कुछ अलग इ च।

निर्णय लीण मा खतरा अधिक हूंदन। निर्णय से सकारात्मक फल तै क्वी नि दिखुद अपितु नकारात्मक पक्ष की छ्वीं अधिक लगदन तो मैनेजरूँ पास आलोचना , नकारात्मक फल से बचणो सबसे कामयाब विकल्प हूंद बल

निर्णय मा देरी , निर्णय तै टाळे जाव अर ह्वे साको तो निर्णय लिए इ नि जावो।  सरकारी या भौत बड़ा संस्थानों मा इ ना छुट संस्थानों मा बि निर्णय टाळणो अमर संस्कृति हूंद।

              हम व्यंग्यकार सरकारी अधिकार्युं , मंत्र्युं तै उलाहना दींदा कि काम किलै नी हूणु च।  अर यदि भारत माँ समुचित काम नी हूणु च तो भारतीय प्रबंधन मा 'निर्णय टाळणो' संस्कृति ही जुमेवार च।  अचकाल GST बिल  पर लोकसभा मा छ्वीं लगणी छन अर सरकार लगीं च कि GST बिल पास ह्वे जाव। पिछला एक दसक से संसद मा GST बिल पर चर्चा हूणि च पर बिल पास नि करे जांद।  वांक पैथर हमर अमूल्य धरोहर या अमूल्य विचारधारा च कि जखम आलोचनाओं का जोखम हो तो उखम निर्णय तै टाळो।  महिला आरक्षण बिल का भी यही हाल छन कि सरकार मा क्वी बि पार्टी हो वा पार्टी  निर्णय टाळण मा अपर असली समय लगांद।

   आप मादे अधिसंख्य फ्लैटों मा रौंदा ह्वेल्या।  अर आपकी बि कॉपरेटिव हाऊसिंग सोसाइटी ह्वेलि तो यदि आप सही माने मा वर्किंग कमेटी का कार्य का विश्लेषण करिल्या तो पैल्या कि कार्यकारणी वळु असली काम हूंद कै बि तरीका से निर्णय लीण से दूर रये जाव , निर्णय तै रुके जावो या निर्णय तै अनिर्णय की स्थिति मा डाळ दिए जाव।  निर्णय से कार्यकारणी की भौत सी खामियां समिण आंदन किन्तु निर्णय टाळण या अनिर्णय की स्थिति से कमियां छुप जांदन या संघर्ष से बचे जयांद।

निर्णय रुकणो भौत सा तरीका अपनाये जांदन -

१-इतना अधिक विकल्प समिण लावो या दिखावो कि निर्णय ही नि लिए जावो।  जथगा अधिक विकल्प उथगा ही अधिक समय निर्णय लीण मा लगद।  छुट मुट बेकार का विकल्पों तै महत्वपूर्ण विकल्पों दगड़ बि समिण लावो तो क्वी बि माइक लाल निर्णय नि ले सकुद। विकल्पों की ढेर लगावो अर अनिर्णय की स्थिति मा आवो से निर्णय टाळे जांदन।

२-निर्णय का प्रति भय दिखावो - कै बि निर्णय तै टळण हो तो निर्णय का फलों मा अधिक से अधिक भय समाहित कर द्यावो तो भगवान बि अनिर्णीत ह्वे जालो।  संसद मा हर समय विरोधी दल या सरकारी दल भय, खौफ,  डर , खटका की बात करिक निर्णय तै अनिर्णय की स्थिति मा लै जांदन।  जब बि क्वी सांसद प्रजातांत्रिक मूल्य या परम्परा की बात करिक कै बि निर्णय का विरोध मा बुलद तो समजी ल्यावो वु अनिर्णय की स्थिति लाण चाँद।  एक अधिकारी जब बुलद कि ये अनुच्छेद से यदि निर्णय ल्योल्या तो संविधान की वीं अनुच्छेद पर धक्का लगद तो समझो कि अधिकारी अनिर्णय तै समर्थन दीणु च।

३- निर्णय से नुक्सान - यदि तुम तै निर्णय नि लीणाइ तो निर्णय तै नफा नुकसान का साथ जोड़ द्यावो तो अवश्य ही निर्णय मा देरी ह्वेलि।

४-सीमारेखा निश्चित नि कारो - भारत मा इथगा कमीशन /आयोग  बैठदन किन्तु जनता अबि तक परेशान च काधिकांश कमीशन का फल समिण किलै नि आंदन।  सबसे बड़ी बात च कि कमीशनों तै समय रेखा नि दिए जांद अर कमीशन बि अपण सुझावों तै अम्ल पर लाणो बान क्वी समय सीमा तय नि करदन तो निर्णय अनिर्णय का तरफ झुक जांदन।  संसद मा एक कमेटी हूंद स्टैंडिंग कमेटी।  अधिकतर स्टैंडिंग कमेटी तै निर्णय का वास्ता समय रेखा निश्चित नि हूंद तो स्टैंडिंग कमेटी अपण सुझाव समय पर नि भेजदि।

५- निर्णय लीण मा सबसे बड़ी दिक्क्त आंद समुचित ज्ञान का नि हूण।  यदि निर्णय तै अनिर्णयित ही रखण तो सबसे बढ़िया तरीका च विषय का वास्ता अधिक सलाहकार तैनात कर द्यावो निर्णय अफिक टळ जालो।  संसद जू भारत मा निर्णय लीणो सबसे बड़ी संस्था च उख ही सबसे अधिक देरी से निर्णय हूँदन किलैकि एक बात का वास्ता एक से अधिक कमेटी अर सलाहकार समिति छन। 

निर्णय लीण मा देरी अर निर्णय ही नि लीण द्वी अलग अलग विचारधारा छन अर दुयुं तै कारगार सिद्ध करणो अलग अलग या कुछ एकी तरीका छन।

भोळ पढ़ो निर्णय नि लीणो कुछ अमर नियम -----


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                   निर्णय नि लीण अर निर्णय टाळण मा फरक हूंद

                    जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -9

                   
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट स्टाइलुं पर छींटा कसी  :::   भीष्म कुकरेती


             भौत सा लोग निर्णय नि लीण अर निर्णय टळण मा फरक नि समजदन या दुयुं तै एकी समजदन।  जब कि निर्णय टळण अर निर्णय नि लीण   द्वी जुदा जुदा बथ छन।

निर्णय मा देरी करण /टळण एक नकारात्मक अर निकज्जुं काम च।  जब कि निर्णय नि लीण क्रियाशील मैनेजर ही कर सकदन।   क्रियाशील प्रबंधक क्रियाशील ह्वेक निर्णय नि लीणो बान सब कुछ क्रियशीलता से करद। निर्णय नि लीणो कुछ उदहारण -

अधिक से अधिक सूचना मांगो - माना कि फैक्ट्री मा साइकल स्टैंड या स्कूटर स्टैंड  की मांग ऐ गे तो क्रियाशील प्रबंधक चुप बैठिक निर्णय मा देरी नि करद अपितु वु भौत सा भागिदार जमा करद अर उन भागीदारों तै बि जमा करद अर हरेक से दसियों जायज , नाजायज , सबंधित, असबंद्ध सूचना मंगांद। निर्णय नि लीणो बान इन इन सूचना मंगाए जांद कि रुणफती ह्वेक जैन मांग उठाइ वी इ अपण मांग वापस ले लींद।

 अफु ना दुसर तै निर्णय नि लीणो  की स्थिति लाण ही अधिक फायदाबंद हूंद।

कमेटी गठन - सबसे सौंग तरीका च कि कमेटी गठन करे जावो। अर कमेटी मा इथगा ज्यादा  सदस्य रखे जावन कि बैठक संभव ही ना हो।  यदि गलती से बैठक ह्वे बि जाओ तो भौत दिन या सालों तक सदस्यों मा या तो मतभेद राओ या मनभेद रावो। 

जौं तै अधिकार नी च ऊँ तै कमेटी सदस्य बणाओ - जौं तै अधिकार नी च ऊँ तै कमेटी सदस्य बणाण से मतभेद अर मनभेद हूणो सबसे अधिक अवसर हूंदन।

प्रजातांत्रिक विचारुं तै अधिकतम सीमा तक लीजाण से बि निर्णय नि लीणो स्थिति लाये जांद।  जब बि क्वी राजनीतिक पार्टी बुल्दी कि हम पार्टी  का एक एक सदस्य से सम्पर्क करिक निर्णय ल्योला तो समज ल्यावो कि पार्टी निर्णय नि  लीण चाणि च।

जौं भागीदारों तै सशक्त बणाण ऊँ तै कमजोर करण अर जौं तै सशक्त नि करण ऊँ तै अधिक अधिकार दीण से बि निर्णय नि लीणै स्थिति ऐ जांदी।

निर्णय टाळण असल मा एक मजबूरी हूंदी पर निर्णय नि लीण  निर्णय ही हूंद।



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                             ग्रामीण  शौचालय का भूगोल (हिंदी व्यंग्य )

                   

                        चबोड़्या, चखन्यौर्या , हंसोड्या   :::   भीष्म कुकरेती

मै -बौ जी ! बौ जी ! फोन क्यूँ नै उठा रई हो ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -कनो क्वी ख़ास  काम है क्या ?

मै -नै बस भौत दिनों से बात नई की तो ....

भुंदरा बौ (भाभी ) -तू बी ना मुंबई में रै के बि गंवार का गंवार इ है।  अरे अब द्यूर  भौज फोन पर या रस्ते में थोड़ी बात करते हैं।

मै -तो ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -वर्ड्स अप पर काण्ड नई लग गए हैं क्या ?

मै -हाँ पर उसमे तुम्हारी वो छाळी आवाज    …
भुंदरा बौ (भाभी ) -रण दे।  चमचा , कड़छी ना फिरा।

मै -सच्ची बौजी ! आपकी ही कसम।

भुंदरा बौ (भाभी ) -अच्छा बोल सुद्दी मुद्दी वैसे ई फोन कर्रा है कि कुछ काम की बात है ?

मै -वो तुम्हारी देवरानी कै रई थी कि उसे गाँव की सहकारिता पसंद है तो वह इस साल गाँव आना चाहती है।

भुंदरा बौ (भाभी ) -अच्छा ? उसे गाँव की सहकारिता पसंद है ?

मै -हाँ पर कै रई थी कि पैले पता लगाओ कि ट्वाइलेट बन गए हैं कि नही।

भुंदरा बौ (भाभी ) -अरे हर मूंड तौळ अर हर बुट्या पुटुक ट्वाइलेट हैं ना बाकी गदन तो अपना है ही !

मै -हाँ पर अब तो सरकार शौचालय चिणने के लिए पैसा बि दे रही है तो अब तलक गाँव में आठ दस ट्वाइलेट बन ही गए होंगे ?
भुंदरा बौ (भाभी ) -खारिन्ड बन गए हैं।  ट्वाइलेट मुंड में बनेंगे ?

मै -मुंड मे क्यों बनेंगे ? घर के पास बनेंगे।

भुंदरा बौ (भाभी ) -अरे ययी तो जख्या भंगुल जमे हैं द्यूर जी।

मै -कनो ? ग्राम प्रधान शौचालय स्कीम खा गया क्या ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -नही ग्राम प्रधान को स्कीम खाने के लिए गुदनड़  (सामूहिक शौचालय ) जाने की जरूरत नई  है।

मै -त ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -त क्या ! अरे शौचालय बनाने के लिए जगह चाहिए कि नही ?

मै -इत्ती जगा है गाँव में फिर ?
भुंदरा बौ (भाभी ) -अब देख सौकार ज्योर ओरों को ग्राम प्रधान ने स्कीम पास की तो भी उनका शौचालय इस जनम मे तो बनने से रआ।

मै -किलै ? उनकी इतनी बड़ी तिबारी है। 

भुंदरा बौ (भाभी ) -तिबारी को चाटना है।  उनका घर है पर सग्वड़ नई हैं।

मै -हाँ उनके घर के सामने तो घन्ना काका का फांग है।

भुंदरा बौ (भाभी ) -अर घन्ना ज्योर अपना पुंगुड़  फांग सौकार ज्योर को ना पैसों में दे रहे हैं और ना ही संटरा मे देने को तयार हैं।

मै -ऐ तो सौकार मुंडीत वाले कभी भी शोचलाय नही बना सकते।

भुंदरा बौ (भाभी ) -हाँ।  यही बिजोग डक्खु बड्या ससुर जी का है।  भूभना ज्योर के यहां भी यही लुचड़ लगा है। 

मै -तो चंदा ब्यटा कौंक का करह के बगल में जमीन है उसने तो शौचालय बना दिया होगा।
भुंदरा बौ (भाभी ) -अरे ट्वाइलेट बनाने के लिए जमीन है पर उ क्या बुल्दन क्या पिट बुल्दन उ ?

मै -सेफ्टी पिट जख शौच जमा ह्वेक सूक जाता है।

भुंदरा बौ (भाभी ) -हाँ वयी।  के लिए जमीन नई है तो उस मुंडित के पांच परिवार वाले सँजैत ट्वाइलेट बी नई बना सकते।

मै -बड़ बामण ख्वाळ वालों की तो सामने जमीन है फिर वे क्यों नही ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -बड़ बामण ख्वाळ वालों की तो बात इ मत कर।

मै -किलै ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -याद है जब अंबेडकर स्कीम में पानी के नल आरहे थे तो बड़ बामण ख्वाळ वालों ने अड़ंगा लगा दिया था ?

मै -हाँ कि हम हरिजनों के नाम पर पानी नही पीयेंगे। दस साल तक गांव में नल नही लग पाये थे। पर अब तो शौचालय स्कीम का नाम प्रधान मंत्री योजना है फिर ?
भुंदरा बौ (भाभी ) -अब बुड्या बामणों ने राड़ घाळ रखी है कि रुस्वड़ अर द्वार के सामने हगने मूतने का घर नही बनने देंगे।

मै -मतलब अबी तक गाँव में एक भी शौचालय नही बना है ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -ना।

मै -पर शिल्पकारों के लिए तो पूरा का पूरा मुफ्त शौचालय बनेंगे।  फिर ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -हाँ पर उनके पास कहीं भी सुई रखने के जमीन नही है तो शौचालय मुंड मे बनाएंगे ?

मै -ठीक है पर बौजी आपके पास  तो सामने जमीन है फिर आपने क्यूँ नई ट्वाइलेट बनाया ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -अरे पता च तुमर भैजि ने देहरादून में एक टुकड़ा ले रखा है कि दिल्ली से जब रिटायर होंगे तो देहरादून में बसेंगे।

मै -हाँ।
भुंदरा बौ (भाभी ) -अब इस साल उस जमीन की देवारबन्दी करनी है।  हम या तो गाँव में ट्वाइलेट ही बना सकते हैं या देहरादून की जमीन की दिवारबन्दी कर सकते हैं।

मै -औ त गाँव ट्वाइलेट बिहीन  ही है ?

भुंदरा बौ (भाभी ) -हाँ।

मै -ठीक च तो इस साल भी गाँव आना कैन्सिल ही समझो।

भुंदरा बौ (भाभी ) -हाँ तुम प्रवास्युं कुण गाँव ना आने का क्वी ना क्वी बहाना चाहिए ही।


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Bhishma Kukreti

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                           बँचनेरून / पाठकुं तैं पुष्पांजलि

                        चबोड़्या, चखन्यौर्या , हंसोड्या   :::   भीष्म कुकरेती

ब्याळि कवि गीतेश नेगिक फोन आयि बल भैजि मि  हंसदरा , चबोड़्या लेख संग्रह छपण चाणु छौं तो फॉर्वार्डिंग नोट्स (भूमिका ) मा क्या लेखु।  गीतेशन में से वैक तरफ़ान भूमिका लिखणो ब्वाल।  मीन गीतेश की तरफ़ान इन भूमिका लेखिक दे -

 म्यार पाठक गण ! यदि म्यार लेखुं से तुम तै हौंस नि आइ त तीन काम कारो - अफु तै अफिक कुतगळि द्यावो , कैसे कुतगळि लगवावो निथर मेरी फोटो मंगावो अवश्य ही हौंस ऐ जाली।

हे पाठक ! यदि म्यार तथाकथित व्यंग्युं  से व्यंग्यानुभूति नि ह्वावु  तो नरेंद्र मोदीक अच्छे दिन वाळ भाषणु टेप देख लेन , राहुल गळ्या कु लोकसभा मा भाषणु टेप देख लेन निथर पलायन रोको पर विद्वान प्रवासी गढवळयूं  लेख पढ़ लेन।  तौंकी सौं व्यंग्यानुभूति अवश्य होली।

हास्य व्यंग्य करण खाणो काम नी च बल्कण मा एक गंभीर आदिमक काम च अर तुमर इ सौगंध , मि तै गंभीरता से घृणा  च।  मि तै जोक पसंद छन।

यदि तुम तै इन लग कि म्यार  हास्य तुमन कखि पैल इ पड़्यूं च तो इन समझ लेन कि जंगळ मा भग्याँ पालतू तोता वापस ऐ गेन।

आप तै समज लीण चयेंद कि जोक्स की चोरी अपराध हूंद तो सब हास्य लिख्वार या जोक्स सुणान वळ जेल मा हूंद।

जौं लेख या हंसुड़िकाऊं   (जोक्स ) पढ़िक ना तो रुण आवो , ना हंसी आवो , मतलब जिकुड़िक कांड बि नि हिलो तो समजी लेन कि यी म्यार मौलिक लेख , जोक्स छन।

तारांकित हंसुड़िकाऊं हंसाणो शत प्रतिशत गारंटी च किलैकि यूं हंसुड़िकाऊंन (जोक्स) सम्राट अशोक तैं बि हंसाई , बादशाह अशोक तैं बि हंसाई अर प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा तै बि हंसाई।

अर सूणो ! किताब खतम करणो बाद बिंडी गुस्सा हूणै जरूरत नी च कि किताब मा ना तो हंसी ना ही व्यंग्य ! आप आम गढ़वळि पाठक छन जु होटलम या शादिक न्यूत मा दारु सारू मा हजारों रुपया खर्च कर दींदन पर गढवळि किताब पर एक धेला बि खरच नि करदन।  यदि जन तुम शराब पर खर्चा करदवां अर मजा पांदवां इनि तुम यदि गढवळि किताबुं पर खर्चा करदा तो अवश्य ही मजा आंदु। याद राखो ! बगैर खर्च कर्याँ मजा नि आंदु।  फोकट मा  पढ़िल तो इथगा इ मजा आलो। 



15/5 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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                           तू कर्मुं ठग  त मि जातिक ठग

                        चबोड़्या स्किट संकलन :::   भीष्म कुकरेती

[स्थान धर्मपुर कु एक कराउ। एक ठग एक आदिम तै पकड़िक जू सब कुछ  दीणो  मांग करणु च ]

ठग -चल बे , जु छ सब निकळिक दे।

आदिम -हैं अब सरकारन इनकम टैक्स लीणो नै तरीका निकाळ आल ?

ठग -मजाक नि कर।  मि चुक्खुवाला कु दाई छौं।
आदिम -दाई ? पर मि गर्भवती नि छौं।

ठग -अबे मि उन दाई ना बल्कण मा भाई छौं।

आदिम -भाई ह्वेक बि  लूट ?

ठग -ओ मतलब मि दादा छौं।
आदिम -ग्रैंडफॉदर या ब्रदर ?

ठग -अबे मि डॉन छौं।

आदिम -सच्ची ?

ठग -देख हाँ मि हंसी मजाक पसंद नि करदु हाँ !
आदिम -मतलब तुम तै राजेन्द्र नाथ का धारीदार जंज्ञा से बि हंसी नि आंद।

ठग -राजेन्द्र नाथक टुटब्याग से म्यार दादा तक नि हंसद छौ तो ?

आदिम -मतबल कॉमेडी क्लास से बि हंसी नि आंद ?

ठग -अबे कॉमेडी क्लास का उटपटांग टुटब्यागुं से दस दिनों कुण हंसी गायब ह्वे जांद।
आदिम -तो कॉमेडी विद कपिल ?

ठग -साला ! भौत मजाक करता है ? ले रिवॉल्वर देख।  निकाळ सब कुछ

[आदिम रिवाल्वर देखिक डौर जांद अर अपर खीसौंदक सब कुछ लुटेरा तै दींद ]

ठग -रिवाल्वर से डर गे ना ?
आदिम -साब पर मि त नौकरी करद अर यु माल ताल म्यार मालिकक च।

ठग -तो क्या वैकि हत्या करण ?

आदिम -नै नै , जब मि बुलल कि मि तै कै गुंडान लूट तो मालिकन मेरी सच नि मनण।

ठग -किलै बै ?
आदिम -जी मालिकक बुलण च बल देहरादून का सब गुंडौन  अब नेतागिरीं  का धंदा अपनै याल।

ठग -तो तू क्या चांदी ?

आदिम -म्यार कोट पर द्वी गोळी मारो अर मफलर पर तीन तो गोळी निसान देखिक मालिक तै विश्वास ह्वे जाल कि सबि गुंडा बुरु काम मतलब नेतागिरी पसंद नि करदन।

ठग -ले तेरी कामना पूरी कर दींदु (पांच गोळी कोट अर मफलर पर मारदु ]
आदिम -दाई जी ! सब पांच गोळी खतम ?

ठग -हाँ।

आदिम (फटाफट दाइक गौळ पकड़द अर गळक चखुलि पर हाथ रखद ]

ठग -अरे   में    रि   … च    …  खु   … लि
आदिम -हाँ मि तेरी गौळक चखुली दबाणु छौं जां से त्वै तै सुण्यालु पर तू  कुछ करण लैक नि रैली , आधा घंटा तलक हाँ ! अब मि त्यार  सबी माल मसाला अर रिवाल्वर लिजाणु छौं।
आदिम - अर सूण ! दादागिरी कु नियम हूंद कि लुठद दै ना कैकि सुणन ना कै तै सुणान अर लूठिक फटाफट चम्पर ह्वे जाण चयेंद।  अर सूण मि खुड़बुड़ा मुहल्ला कु दादा छौं हाँ !

16/4/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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                           अभिनेता अभिनेत्र्युं बारामा चबोड़ -चखन्यौ

                   

                        चबोड़, चखन्यौ , हौंस संकलन  :::   भीष्म कुकरेती

बुबा - तेरी महत्वाकांक्षा क्या च बेटा ?

नौनु - कुछ ना बस अभिनेता बणन।

--

अभिनेता - पता च एक व्यापारिन  म्यार नाम पर होटल ख्वाल ?

निदेशक - अवश्य खोलि ह्वाल।  क्या होटलक नाम खाली गिलास च ?

--

एक -यार तू खारी [मुंबई मा एक तरह का बिस्किट ] ही किलै खांदी ?

दुसर - दलीप कुमार खारी खैक इ त बड़ो स्टार बौण।

एक -खारी खैक ना।   बल्कि युसूफ खान खैरि खैक  स्टार बौण।

-

नाट्य निदेशक एक काम मंगण वाळ फिलम ऐक्टर से - क्या तुम तैं बगैर दर्शकों का काम करणो अनुभव बि च ?

अभिनेता - तबि त मि तुमम औं।

-

निदेशक नयी अभिनेत्री तै सीन समझांद - ये सीन मा खलनायक त्वै तै खींचल , धींगा मस्ती कारल , रस्सी से कुर्सी पर बांधल , फिर तेरी साडी खींचल अर तेरी भूकि प्याल -

अभिनेत्री - खलनायक भक्ति  कपूर इ च ?

निदेशक - हाँ पर डरणो जरूरत नी च।

अभिनेत्री - तो वै तै रस्सी की जरूरत इ नी पोड़लि ।

-

एक अभिनेता [चिडाँद चिडाँद ] - यदि तू कॉमेडियन छे तो मि जनरल साब छौं।

कॉमेडियन - ब्वालो जनरल साब !

वी अभिनेता - यदि तू कॉमेडियन छे तो मि बंदर छौं

कॉमेडियन - तो पेड़ पर चड़िक दिखाओ !



Copyright  ? क्यांक ? ना म्यार , ना  त्यार
17/4/15 ,Bhishma Kukreti , Mumbai India
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