Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360189 times)

Bhishma Kukreti

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                      सती सावित्री कु  ठौ सिलोगी से किलै नराज , गुस्सा , क्रोधित च ?

                        चबोड़ , चखन्यौ मा चर्चा -चरखा   :::   भीष्म कुकरेती


सिलोगी (ढांगू ) -  ये कैंडुळौ  सती सावित्री ठौ ! त्यार त ये मैना मजा होला हैं ?

कैंडुळ गांवक (ढांगू ) सती सावत्री कु ठौ -बात नि कौर हाँ !

सिलोगी -अरे ये   ये मैना कैंडुळ गांव मा त्यार ठौ मा म्याळा लगल कि ना ?

सती सावत्री ठौ -उँह !

सिलोगी -ह्याँ इन बुले जांद कि त्यारी ठौ मा यमराजन सती सावित्री तै वींको पति सत्यवान की जिंदगी बौड़ै छै।  सही बात च कि ना ?

सती सावत्री ठौ - त्वै तै क्या पड़ीं च इकमी कैंडुळम  यमराजन सती सावित्री तै वींको पति सत्यवान की जिंदगी बौड़ै छै।

सिलोगी -क्या मतलब ? मि तै क्या पड़ीं च ?

सती सावत्री ठौ -हाँ त्वै तै ले क्या  पड़ीं च ? त्वै तै मेरी क्यांकि फिकर ? त्यार ल्याखन तो भंगुल जामि जैन धौं !

सिलोगी -अरे इन  बुलणी छै।  सरा हिन्दुस्तान मा ये इ कैंडुळ ही  इन जगा च जखा कुण बुले जांद कि इख धर्मराज यमराजन सती सावित्री तै सत्यवान की जिंदगी लौटै छे। 

सती सावत्री ठौ -हाँ ! हाँ ! सरा हिन्दुस्तान मा ये इ कैंडुळ ही  इन जगा च जखा कुण बुले जांद कि इख धर्मराज यमराजन सती सावित्री तै सत्यवान की जिंदगी लौटै छे। त्वै तै क्या पड़ीं च ?

सिलोगी -मि तै क्या पड़ीं च कि  .... अरे  ढांगू क्या सरा उत्तराखंड वास्ता बड़ी गर्व की बात च कि ढांगू मंडल कु कैंडुळ गाँव ही  इन जगा च जखा कुण बुले जांद कि इख धर्मराज यमराजन सती सावित्री तै सत्यवान की जिंदगी लौटै छे।

सती सावत्री ठौ -हाँ पर त्वै तै क्यांको गर्व ?

सिलोगी -अरे तू मे से तीन चार मील दूर छे अर नयारक   छाल सरोड़ा मरोड़ा से बि द्वी तीन मील अळग होली धौं !

सती सावत्री ठौ -त्यार ल्याखन क्या च कि मि एक अनोखी , अनूठी , अद्विका  जगा छौं।  नि बुला मीमान !

सिलोगी -इखमा द्वी  राय नि छन कि  सरा भारतम कैंडुळक सावित्री ठौ बेजोड़ , विशिष्ठ या बेमिसाल  जगा च।

सती सावत्री ठौ -ह्यां पर तू चुप रौ त्वी ले कामक हूंदो तो मि आज ढांगू वळु कुण बि अनजाना , बेगाना, अजाण जगा छौं। सि द्याख नी तीन  कि मै  से पैथराक स्थापित हुयां धार्मिक स्थल डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ आज संसार प्रसिद्ध ह्वे गेन। तू ही ले कामक  हूंदो तो मै डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ जन जगाऊँ तरां आज भारत मा प्रसिद्ध हुँदु।

सिलोगी -अरे पर इकमा मि कौर सकुद कि त्वै से पैथराक स्थापित हुयां धार्मिक स्थल डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ आज संसार प्रसिद्ध ह्वे गेन।

सती सावत्री ठौ -तू ही ले कामक  हूंदो तो मै बि डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ  जन जगाऊँ तरां आज भारत मा प्रसिद्ध हुँदु।

सिलोगी -ह्यां तू प्रसिद्ध नि ह्वे तो कैंडुळ वळु पर गुस्सा होदी।  क्रोधित ही हूणै त देहरादून का गौरव -सौरव होटलुं  मालिक कैंडुळक  मनोहर लाल जुयाल पर ह्वेदी , रुस्याणै तो  कैंडुळक   सिविल इंजीनियर रवि जुयाल पर ह्वेदी। गुस्सा ही हूणै तो मुंबई मा ट्रैवल एजेंसी का मालिक अशोक काळा पर होदी।  अरे आनन फानन मा त्वै से पैथराक स्थापित हुयां धार्मिक स्थल डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ  आज प्रसिद्ध ह्वे गेन पर सावित्री का ठौ  सरीखा अन्यन , अनोखा , विशिष्ट धार्मिक स्तहल प्रसिद्ध तो छोडो गुमनामी मा च तो इखमा सिलगी का क्या दोष ?

सती सावत्री ठौ - हे सिलगी !  यदि तू एक कामक टूरिस्ट प्लेस साबित ह्वे जांद तो मि अफिक प्रसिद्ध ह्वे जांदो।  त्यार इक टूरिज्म लैक इंफ्रास्ट्रक्चर हूंद जन कि होटल , मोटल , रिजॉर्ट आदि तो फिर देहरादून का गौरव -सौरव होटलुं  मालिक कैंडुळक  मनोहर लाल जुयाल पर ह्वेदी , रुस्याणै तो  कैंडुळक   सिविल इंजीनियर रवि जुयाल, अशोक काळा आदि कुछ करदा।

गोदेश्वर कु शिव मंदिर - हाँ हाँ सावित्री ठौ सही बुलणु च।  मी बि डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ  से पैथरौ नि छौं किन्तु हे सिलोगी  ! त्वै सरीखा जगा यदि प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस का रूप मा स्थापित नि होलु तो हम सरीखा प्राचीन कालीन धार्मिक स्थल पर्यटक स्थल का रूप मा स्थापित नि ह्वे सकदवां।

सिलोगी -ह्यां पण ?

गोदेश्वर कु शिव मंदिर - सिलोगी डाँड़ ! तू तो इन जगा मा छे कि गढ़वाल मा शायद मसूरी डांड ही त्वै जन होला फिर तू प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस किलै नि बण सकुणु छै ?

सती सावत्री ठौ -हाँ तू जैदिन प्रसिद्ध ह्वै जैल मि कश्मीर से कन्यकुमारी अर सोमनाथ से जगनाथ तक अफिक प्रसिद्ध ह्वे जौलु।  हम सरीखा धार्मिक स्थलों तै पर्यटक स्थल स्थापित हूणो वास्ता त्वै सरीखा केंद्रीय पर्यटक स्थल की मदद चयेंद।

सिलोगी -द लगा बल सुंगरुं दगड़ मांगळ !

सती सावत्री ठौ -सुंगरुं दगड़ मांगळ ?

गोदेश्वर कु शिव मंदिर - सुंगरुं दगड़ मांगळ ?

सिलोगी -अरे जब तक ढांगू वळुम चेतना नि आली म्यार ख़ाक विकास होलु ? जब तक ढांगू वळ खुद नि बिजल तब तक कुछ नि ह्वे सकुद।  स्थनीय लोगुं की चेतना ही बड़ी हूंदी।  द्याख नी च तुमन री गांवक चमोली लोगुं मा जागरण आइ तो डाँडाक नागराजा आज पूरा गढ़वाल मा प्रसिद्ध ह्वे गे। स्थनीय मानव शक्ति ही कै स्थान तै पर्यटक स्थल प्रसिद्ध कर सकदी।

गोदेश्वर कु शिव मंदिर -यी ढांगू वळ कब बिजल ?

सती सावत्री ठौ -यी ढांगू वळ कब बिजल ?

सिलोगी - अरे इन पूछदि कि यी ढांगू वळ  बिजल बि कि ना ?




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*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!





Bhishma Kukreti

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                               उत्तरकाशी मा  मृत  सिंचाई योजनाओं वास्ता इतिहासविद अर  पुरात्ववेता चयेणा छन -शीघ्र अप्लाई करें !

                                         चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


                    जी ना ना ! उत्तरकाश्यौ इतिहास खुज्याणो बान इतिहासकार अर पुरात्ववेता नि चयेणा छन। गढवळौ  इतिहसौ बान जु बि करण छौ स्यु डा शिव प्रसाद डबरालन करि याल , आजौ इतिहासकार डबराल जीक पिस्युं आटु तै दुबर , तिबारो , फिर से   पीसीक पीएचडी अर डिलीट डिग्री छपणा  अर मै  सरीखा नौसिखिया बि डबराल जीक  नकल करिक यीं सदी कु हिस्टोरियन बण्युं च।  अब हमन  इतिहास खुजण बंद कर याल।

                 डबराल जीक किताबों से पता चौल कि हमर राजाओं अर ठोक्दारों तै पता इ नि छौ कि भोळ , भविष्य , अगनै विश्वविद्यालयों मा हिस्ट्री सब्जेक्ट बि पढ़ाये जालो , तो राजाओं अर थोकदारुंन इतिहास लिखण लैक कुछ नि छवाड़।

  पर आजै उत्तराखंडी सरकार नामका मामला मा सुपरसेंसिटिव च। काम कारो या ना अपण इतिहास सुरक्षित रखणो बान हद से अधिक संवेदनशील च।  सब नेता नेहरू खानदान से सीख लेकि अपण नाम इतिहास मा दर्ज कराणो उतावला छन। सरकार चांदी कि भोळ इतिहासकारों तै क्वी समस्या , दिक्क्त , औसंद नि आवो तो सरकार वर्तमान मृत योजनाओं , बंद पड़ीं योजनाओं कु लिपबद्ध अग्रिम इतिहास लिखणो बान पुरात्ववेता अर इतिहासविदों की भर्ती करणी च।

    फिलहाल वर्तमान मा उत्तरकाशी की यमुना घाटी का नौगांव -पुरोला क्षेत्र मा  मंजियाली II , कुंवा , गोना , डेलडा , कुमारकोट , गैंड अर तलवाड़ मा हाइड्रम योजना बिलकुल मृत योजना ह्वे गेन।   यांक अलावा  ये ही क्षेत्र मा कोटियालगांव , नौगांव , विनगधेरा , इड़क ,थली , कांडी , भंकोली , हुडोली , ठढुंग , स्वील , खलाड़ी , खरसाड़ी , पिपलासू , भदरासु , कोटि सिंचाई योजना बंद योजना छन अर सरकार तै पूरा भरवस च कि कुछ समय बाद यी योजना बि मृत योजनाओं की गणत मा अवश्य आई जाला।

       वर्तमान बच्युं रावो इ ना किन्तु नेहरू खानदान की तर्ज पर सरकारों सुरम्य , सुनहरा , गोल्ड़न इतिहास बच्युं रावो योजना का तहत उत्तरकःसी का यमुना घाटी मृत अर बंद सिंचाई योजनाओं का वास्ता पुरात्ववेताओं और इतिहाविदों तै अप्वाइंट करणो वाट्स निविदा प्रकाशित करणी च।

         पुरात्ववेताओं और इतिहासकारों कु बस एक इ काम च कि चारण शैली मा निम्न कामों का लेख जोखा लिख दीण कि भविष्य मा सरकार की जै जै कार होवै।

           १-  हरेक योजना का विवरण कम सरकार का नेताओं कु स्तुति अधिक हूण चयेंद कि सरकार छूटा कास्तकारों का हितैषी छे इलै इ बाइस योजनाओं का शिलान्यास ह्वै।

       २-  शिलान्यास का बगत राजनेताओं का वक्तव्यों तै इ वरीयता दिए जाओ जांसे राजनेता इतिहास मा अमर ह्वै जैन।

        ३- मृत योजनाओं का ठीकरा सिंचाई विबहग का चपड़ासी , क्लर्कों पर फोड़े जाय कि यूँना सही देखबहल नि कार जन कि मध्यप्रदेश मा दसक से हूणु च।  नेताओं की जगह क्लर्क अर चपडास्युं तै गुनाहगार साबित करेणु च।  कखि बि उच्च पदासीन अधिकारी अर मंत्री  पर अभियोग नि लगाये जावो कि यूंकि बदखोरी , बदमाशी , लापरवाही  से 7 सिंचाई योजना मृत ह्वेन अर 15 योजना बंद ह्वेन।

        ४- जकम  राजनेताओं अर अधिकार्युं पर भगार , लांछन , लगाण आवश्यक ही ह्वे जावो तो विरोधी दल का नेताओं अर सेवानिवृत अधिकारिओं की बुगठ्या जन बेहिचक बलि चादहए जाए।

       बकै सिंचाई योजनाओं का मृत व बंद हूणो कारणों मा जनता द्वारा समुचित सहयोग नि दीण तै उच्च प्राथमिकता दिए जावो।

         ५-   अंतिम अर पैलो कारण प्राकृतिक आपदा तै दिए जाय।

          पुरात्ववेता एवं इतिहासविदों तै चारण शैली का हिसाब से अग्रिम इतिहास लिखणो हिसाब से वेतन भत्ता भुगतान होलु।  याने सरकार व सरकारी राजनेताओं की जथगा अधिक बड़ै उथ्गा अधिक वेतन अर भत्ता।

          कखि बि इन नि लिखे जावो कि जै क्षेत्र का कास्तकार कैश क्रॉप -टमाटर , सब्जी की कृषि से लाखों कमान्दा छया अब 22 सिंचाई योजना बंद पड़न से किसान बदहाल छन।  यदि बदहाली का ठीकरा फुड़न आवश्यक ही हो तो विरोधी दल का सर पर ठीकरा ही ना फोड़े जावो अपितु विरोधी दल का नेताओं को बदनाम भी करे जावो ।

      पुरात्ववेता व इतिहासविदों तै सावधान करे जांद कि उत्तरकाशी जाणै जरूरत नी च।  अपितु देहरादून मा इ मजे से नौगॉंव क्षेत्र को इतिहास लिखे जावो।

इतिहास लिखद दे ध्यान रखे जावो -

विषय -चापलूसी भरा

शब्द विन्यास -चमचागिरी का !

शैली - चारण शैली !

( देहरादून डिस्कवर की एक रिपोर्ट पर आधारित )


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                    क्या मैं भुंदरा बौ की पकाई खीर खा पाऊँगा ? पढ़िए इस एपिसोड में !

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


मि -ये बौ कन छे ? सिमनैन !

भुंदरा बौ -चरंजी रौ रे खब्ती ! ये वर्ड्सप मा बात किलै नि करणु छै रै ?

मि -वु स्मार्ट फोन खराब हुयुं च तो मि पुरण मोबाइल लेकि ऐ ग्यों।

भुंदरा बौ -अर म्यार लैंडलाइन पर किलै फोन करणु छै रै ? त्वै तै मि तै तंग करण मा भोत मजा आंद।  त्वै पता च ना कि मंज्यूळ आणा पड़ता है लैंड लाइन कॉल लेने के लिए।

मि -हाँ पर त्यार मोबाइल तो मृत घोषित कर्याणु च --यह नंबर अभी बंद है।

भुंदरा बौ -औ मी बि बिसर ग्यों कि टावर की ब्वे मर गयी है।

मि -टावर की ब्वे मर गयी है ?
भुंदरा बौ -हाँ मोबाईल टावर ब्याळि रात  से भ्युं पड़ा है न तो मोबाइल कख चल रहे हैं।  अरे बगैर वर्डस्प का मि कथगा बोर हूणु छौं।  गाँव मा मनोरंजन का साधन बि नि छन वर्डसप छोड़िक।  कब तक गूणी बांदरों  के साथ इंटरटेनमेंट करेंगे हम गाँव वाले ?

मि -हाँ या बात बि सै च।

भुंदरा बौ -अच्छा तू कख बिटेन बुलणु छे  ?

मि -कोटद्वार बिटेन।

भुंदरा बौ -औ पौंचि बि गे ?

मि -हाँ।

भुंदरा बौ -त ड्यार  त आणि इ होली ना ?

मि - उत्तराखंड औं अर त्वै नि भेंटु ? इन ह्वै च कबि ?
भुंदरा बौ -ना ना. प्यारो द्यूर  जि छे तू।

मि -अच्छा सूण सौणक मैना च तो मीन ड्यार ऐका सौणा मैनाक तेरी हतुं  पकाईं खीर खाण।  सौणा का मैना दूध हूंद भौत  ! स्वामी जी तुम बि घौर ऐई जयां  खीर खैइ जयाँ !  खीर खैइ जयाँ !

भुंदरा बौ - दाळ  भात , मीट मटन , दारु सारू से काम  नि चौलल ?

मि -ना मीन तो तेरी हतुं पकाईं खीर खाण।

भुंदरा बौ -ठीक च त इन कौरी -दगड़म  जरा अमूल का  टैट्रा पैक मा बंद दूध लये।

मि -दूध अ ? गाँव मा गौड़ी सब बांज छन क्या ?

भुंदरा बौ -गौड़ि  कलोड़  बांज नि छन बल्कण मा सन्नी , गौशाला बांज पड़ी गेन।  कैको बि अब गौड़ि  नि पळी छन। अब त श्राद्ध मा गौड़ी तै पुड़की दीणो या बग्वालि दिन पींड खलाणो बाण तीन मील दूर जाण पड़द अर वु बि बीस रुपया फीस देकि पुड़की -पींडु खलाणो दीण पड़दन।  अब तो गाउँ मा अमृत मिल जान्दो पर गौडि दिखणो नि मिल्दन। 

मि -ठीक च दूध बि लयोलु।
भुंदरा बौ -अर सूण एक पाव घी बि लये।

मि -मतलब खीर बणाणो सब साजो सामान लाण पोड़ल।

भुंदरा बौ -हाँ अर साग भुज्जी इख तलक कि प्याज अल्लू, हरी मर्च बि लये हाँ।  अब अल्लू -प्याज लगाण बि बंद ह्वे गेन।

मि -समजि ग्यों।  कुछ न कुछ सबि सेज लयौल।

भुंदरा बौ -अच्छा सूण !

मि -सुणा।  चलती क्या खंडाला ?

भुंदरा बौ -अपणी बैणि लीजा खंडाला।  सूण त सैई।

मि -सुणा त सैई।
भुंदरा बौ -अरे ऊ खाणक बनाणो विषय पर संजीव कपूरै कुकिंग की किताब लये जरा।

मि -खीर बणाणो बान संजीव कपूरै कुकिंग की किताब ?

भुंदरा बौ -हाँ उ क्या च कि पता नी कथगा साल ह्वे गेन धौं मीन खीर नि पकाई , सब बिसर ग्यों तो खीर पकाण सिखण पोड़ल कि ना ? उन त मोबाइल मा गूगल सर्च से बि सीख सकदु  पर कामौ बगत पर मोबाईल टावरो मुर्दा मरी जांद तो तू हाउ टु कुक  खीर की किताब जरूर लये।

मि - जब इन हाल छन तो तू गाँव छोड़िक अपण कोटद्वारो मकान मा किलै नि रौंदि ?

भुंदरा बौ -अरे द्यूर दिल लगा गधी पर तो हूर क्या चीज वळि  बात च।  पहाड़ु से प्रेम जि च।  निथर परदेसम रौणै कमि च क्या ?


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                           भुंदरा बौकु  झनझन्नाटेदार झापड़

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

                                            नब्बे का दशक की  चिट्ठी


ये बौ अब छुटि छुटि बत्तों कुण चिठ्ठी लिखणम अळगस आंदि।  अरे , बौ भुंदरा ! आज ज़माना टेलेफोन कु ऐ गे।  जमाना का दगड़ चलो।  निथर जमाना तुम तै पैथर धकेल द्यालो।  घौरम टेलीफोन लगावा। लोग मि तै चिठ्ठी लिखद इख मुंबई मा   चिरडाँदा छन बल मि अबि बि बाबा आदम जमाना कु तरां चिट्ठि से कम्युनिकेट करणु छौं।  छि बै बौ !

भुंदरा बौकु जबाब

अरे द्यूर इख गाँवमा टेलेफोनाक तार तो अयि नि छन तो टेलीफोन कखन लाण।  तेरी छि बै बौ बुलण बचळयाण    मा त भला लगद  चिट्ठि मा ठीक नि लगिन।


                                                 नब्बे दशक का अंतिम समय


मि (टेलीफोन पर ) -हेलो ! हेलो ! सती भैजि ! सती भैजि ! मि भीषम बुलणु  छौं।  नमस्कार    …

सती भैजि - चिरंजी रौ।  औ त्यार फोन अपण खास चचेरा भै कुण त ऐ नि ह्वालु।  जरूर भुंदरा बौकुण इ ऐ होलु।   अबि  फोन रख अर दस मिनट पैथर फोन कौर।  मि भुंदरा बौ तै भट्येक लांदु।

मि - क्या भै भुंदरा बौ ! एक मामूली टेलीफोन बि नि लगै सकणि छे हैं ? पता च त्यार दगड़ टेलीफोन पर बात करणो बान बार बार सती भैजि तै तंग करण पड़द।  छि बै बौ तीम  टेलीफोन बि नी च।  इख मुंबई मा मेरी कथगा बेज्जती हूंदी जब लोगुं तै पता चलदो कि गाँवमा आज बि म्यार जाण पछ्याण वळुम  टेलीफोन नी च।  छि बै बौ मि तै त शरम लगणी च कि तीम फोन नी।

भुंदरा बौ -अरे द्यूर जी ! टेलेफोन वळ पांच हजार घूस मंगणु च। अर त्वै तै त पता च कि बच्चा पढ़ना छन त पांच हजार की घूस भौत हूंदी।  अर सूण यि छि छ नि कर्या कौर हाँ !


                                         पैलि सदी का मध्य


मि -हेलो ! हेलो ! ये बौ क्या च यू ? मि पता च सुबेर बिटेन फोन पर फोन करणु छौं।

भुंदरा बौ -द्यूर जी ! इख गांमा एक काम थुका हूंदन कि टेलीफोन पर इ चिपक्यां रावो।  मि जरा पुंगड़ जयुँ छौ।

मि - क्या बौजी ! आज ज़माना मोबाइल का ऐ गे अर तू अबि बि लैंड लाइन टेलेफोन से चिपकीं छे।  तीम मोबाइल हूंद तो तू कखि बि रौंदि मि त्यार दगड़ उखमि बात कर सकद छौ। छि बै बौ ! ग्लोब्लाइजेसन का समय पर बि तीम मोबाइल नी च।  लोग क्या ब्वालल मेकुण कि म्यार रिस्तेदारुंम मोबाइल नी च।  छि बै बौ।

भुंदरा बौ - मोबाइल तो खरीद लींद पर  द्वी बच्चा इंजीनियरिंग करणा छन तो खर्च पुगाण भारी हुयूँ  च। अर ततू बिंडी छी छा नि कर्या कौर हाँ।


                                       सन 2010

 

मि -हेलो बौ भुंदरा ! बौ ये भुंदरा।  क्या मोबाइल पर चिपकीं छे ये बौ भुंदरा। इथगा मेपर चिपकदि धौं !

भुंदरा बौ -चिपकणौ शौक च तो अपणी बैणि पर चिपक। बोल सुणा।

मि - मि त बुलणु छौं कि आज जमाना इंटरनेट का च अर तीम कम्प्यूटर इंटरनेट नी च।  छि बै बौ। तीम इंटरनेट हूंद तो मोफत मा नेट चैटिंग करदा। छि बै बौ त्वेमा इंटरनेट बि नी च।

भुंदरा बौ -ह्यां खर्चा बढ़ी गे।  बड़ौक  इंजीनियरिंगौ फाइनल इयर जि च। अर यु त्यार छि छा भौत बढ़ी गे हाँ।


                                          सन 2015


भुंदरा बौ -हेलो ! डियर ब्रदर इन लौ ?

मि -हाँ ये बौ भुंदरा ! बोल सुणा !

भुंदरा -ये भीषम ! जरा अपण वर्ड्सप नंबर तो बता।  अब त वर्ड्सप कु ज़माना ऐ गे।

मि -अरे ये बौ ! मीम स्मार्ट फोन इ नी च त मोबाइल पर इंटरनेट कनकै ऐ सकुद ?

भुंदरा बौ -अच्छा चल जाणि दी , क्वी बात नी च कि त्वेम स्मार्ट फोन नी च ।  तो चल अपण वैब  कैमरा औन कौर।  मीन दिखणाइ कि म्यार द्यूर कन दिख्यांदु धौं।  अब तो हम द्वी वेब -कॉन्फ़्रेंसिंग से छ्वीं बथ लगौला हैं ? मि वैब  कैमरा ऑन करणु छौं।  तू बि कौर।

मि -मीम वैब  कैमरा नी च।

भुंदरा बौ -हैं मुंबई मा  त्वेम वैब कैमरा नी च।  मीन तो गाँवमा रैक वीडिओ कॉनफ्रयाँसिंग कु सब सामान बुक करै याल बस चार पांच दिन बाद मि वीडिओ कॉन्फ्रेसिंग से बचळे सकुद।  चल क्वी बात नी च।  इन बथादि द्यूराणो हाल क्या छन ? तीम वैब कैमरा हूंद तो मि द्यूराणी दगड़ वैबकॉन्फ्रेसिंग से इ छ्वीं लगै लींदु।

मीन फोन काटी दे।

मि तै लग कि भुंदरा बौन मै फर झनझन्नाटेदार थप्पड़ मार दे हो अर थप्पड़ की गूँज का बीच  भुंदरा बौक आवाज आणि हो -कबि बि जौंमा छ याने हैव्स वळु तै जौंमा नी च याने हैव्स नौट वळु बेज्जती नि करण चयेंद।  पता नी कब हैव्स नौट वळ हैव्स वळ ह्वे जावन अर हैव्स वळ हैव्स नौट की पंगत मा ऐ जावन धौं !


21/7  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!


Bhishma Kukreti

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हास्य मा ट्रेजिडी नि ह्वावो तो हास्य व्यंग्य पैदा ह्वेइ नि सकद -हरीश जुयाल

 हास्य व्यंग्य कवि ,  साहित्यकार हरीश जुयाल से भीष्म कुकरेती की मोबाइल्या भेंट


हरीश जुयाल आज गढ़वाली साहित्यकारों मादे सबसे अधिक पाठकों प्रथम पसंद  छन।  आज का जमाना मा कवि सम्मेलनों मा हरीश जुयाल मंच म ह्वावनत  हौल वन्स मोर वन्स से गुंजणु रौंद।  भौत सा प्रवासी युवा अर बुड्योंंन जुयाल की कृति जन कि खिकचाट , आदि से गढ़वळि बंचण शुरू कार। मीन मोबाईल से हरीश जुयाल से युवा साहित्यकारों प्रेरणा वास्ता हरेश जुयाल से हास्य रचणो   तकनीक पर छ्वीं लगैन।


भीष्म कुकरेती - जुयाल जी चूँकि मोबाइल मा बात करणा छंवां तो सीधा विषय पर ऐ जाँदा।
हरीश  जुयाल -जी आप तो स्वयं हास्य व्यंग्य लिख्दा फिर मै से हास्य रचना तकनीक पुछणा छंवां ?
भीष्म कुकरेती -हौंस , हास्य, हंसदारी साहित्य मा तो तुम ही सम्राट छंवां तो आप ही हास्य पैदा करणो तकनीक बतै सकदां।
 हरीश  जुयाल -आभार।  पूछा प्रश्न।  कोशिस करुल कि आप सब्युं तै संतोषप्रद जबाब दे सकुं।
भीष्म कुकरेती - साहित्य मा हास्य पैदा करणो पैली आवश्यकता क्या च ?
हरीश  जुयाल -ट्रेजिडी हास्य पैदा करणै पैली शर्त च।
भीष्म कुकरेती -ट्रेजिडी ?
 हरीश  जुयाल -जी ट्रेजिडी , बिडंबना , दुःख ही तो हंसी की माता छन।  बिडम्ब्नाओं, बिसंगीतियों , बेबसी से ही असली हास्य पैदा हूंद।  जोक्स वी अधिक पॉपुलर हूंद जैमा अधिकतम ट्रेजिडी ह्वावो। ब्वारी मेरी कच्याती है , खुट लछयाती है मा हंसदेरी भावना च किन्तु ट्रेजिडी से ही पैदा ह्वे।
भीष्म कुकरेती -त्रासदी  का बाद ?
 हरीश  जुयाल - अनपेक्षित  शब्दों , कहावतों , व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण से अफिक हास्य पैदा ह्वे जांद। पाठ्कुं /सुणदेरुं तैं शौक /धक्का लगण चयेंद।
भीष्म कुकरेती -वो जन आपकी   कविता माता ब्रैंडी मा  आपन  अजीब उपमा  से हास्य पैदा कार -
     
माता ब्रांडी ,पिता ओल्डमौंक
तीन लोक तारिणी  , थ्री ऐक्स डागिणी , लाल नागिणी   
 हरीश  जुयाल -जी हाँ
भीष्म कुकरेती -तीसरी तकनीक ?
हरीश  जुयाल - मान्य मान्यताओं या चरित्र का विरुद्ध शब्द /वाक्य इस्तेमाल करण। उलटवासी जन कि नारंगी को रंगी कहे। या अमिताभ बच्चन तै जनानी वाज दे दिए जावो।
भीष्म कुकरेती -जी जन स्व डंडरियाल जीकि कविता "म्यार गढ़वाल" कविता  भाल मा -
यखै  (गढवळै )संस्कृति---: गिंदडु , भुज्यलु , ग्यगडु , गड्याळ
सांस्कृतिक सम्मेलन--- :अठवाड़
महान बलि--- : नारायण बली
 हरीश  जुयाल -हाँ यी पूरी कविता मा हरेक पद मा महाकविन मान्यताओं से सर्वथा विरुद्ध बात बोली। अर हास्य बि पैदा ह्वे तो व्यंग्य बि।
भीष्म कुकरेती -चौथो सूत्र ?
 हरीश  जुयाल - कालभ्रम पैदा करण।
भीष्म कुकरेती -कालभ्रम ?
 हरीश  जुयाल -हाँ आज का समय मा श्रवण कुमार जन व्यवहार से बि हंसी अर व्यंग्य पैदा ह्वे जान्द। जन कि श्रवण कुमारो ब्वे बुबाओं तै चश्मा पैराओ जावो।
भीष्म कुकरेती -पंचौं  सूत्र ?
हरीश  जुयाल -असफलता , शर्मिन्दिगी , कुशलताहीनता , लज्जा आदि वर्णन से हास्य -व्यंग्य पैदा ह्वे जांद अर यी सब ट्रेजिडी ही छन।
भीष्म कुकरेती -छटों ?
 हरीश  जुयाल - नासमझी , बात तै उलटा समजण या गलतफहमी से बि हास्य पैदा करे जांद।
भीष्म कुकरेती -जी।  हौर ?
 हरीश  जुयाल -सस्ती भावनाओं से खासकर नाटकों अर फिल्मुं माँ हास्य पैदा करे जयांद।
भीष्म कुकरेती -और ?
 हरीश  जुयाल -जंगळीपन  ,  निरर्थकता , बिसंगति , अति कल्पना जन कि नया लोक की कल्पना , से बि हास्य रस पैदा हूंद।
भीष्म कुकरेती -जी हौर सूत्र ?
हरीश  जुयाल -पागलपन को विकास याने जोकर पन मा वृद्धि।
भीष्म कुकरेती - हौर ?
 हरीश  जुयाल -पैरोडी से तो भौत ही कामक हास्य रचना ह्वे सकदन
भीष्म कुकरेती -आपन तो भौत सा प्रयोग पैरोडी मा कौरिन जन कि विद्यार्थी कविता एक प्रसिद्ध श्लोकै पैरोडी च।

 

मैच चेष्टा ब्वगठ्या  ध्यानम , सुंगर निद्रा तथैव च

डिग्री  हारी,  किताब त्यागी , विद्यार्थी पंच  लक्षणम

हरीश जुयाल -जी

भीष्म कुकरेती -धन्यवाद हरीश जी आपन युवा पीढ़ी तै हास्य रचणै  का गुर बतैन

हरीश जुयाल - जुगराज रयाँ।  हास्य कवि की गाणी -मि कैको काम तो औं !

@ भीष्म कुकरेती , 22 /7 /2015

Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Literature Humor  Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation ;  Garhwali Literature Comedy Skits Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation  ; Garhwali Literature  Satire Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation ;  Garhwali Wit Literature Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation ;  Garhwali Sarcasm Literature Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation ;  Garhwali Skits Literature Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation ;  Garhwali Vyangya  Uttarakhand CM's Secretary  caught in Sting Operation ;  Garhwali Hasya


                     धिक्कार है ! धिक्कार है ! छी छी  ! मुोहम्मद  शाहिद !

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


                      सभा संयोजक - जन कि  आप सब तैं पता च बल आज हम सबि  मंत्र्युं प्राइवेट सेक्रेटरी उत्तराखंड का मुख्यमंत्री का प्राइवेट सेक्रेटरी मोहम्मद शाहिद  का निलंबन का उपलक्ष मा  मातमपुर्सी , श्रद्धांजलि अर  धिक्कार दीणो कट्ठा हुयां छंवां।  आप जन कि जाणदा इ छन कि हम प्रशासन मा छंवां अर शासन कु अर्थ हूंद प्रभुत्व।  हमम प्रभुत्व कु छाता अर तिकड़मुं   बड़ी छत च तो हम घूस कथगा बि खवां हम तैं पकड़मा नि आण चयेंद।  पर बेवकूफ , मुर्ख , लाटू मोहम्मद शाहिद घूसकांड मा पकड़े गे।  इलै हम सब मोहम्मद शाहिद का सस्पेंसन का वास्ता मातमपुर्सी करला अर थू थू करला।  आप सबसे प्रार्थना च कि इकै वाक्य मा निलंबन शद्धांजलि व धिक्कार पर बुलेन।  सभा का बाद  माफिया स्पोन्सर्ड कॉकटेल पार्टी च तो अधिक टाइम बिलकुल बर्बाद नि हूण चयेंद।

एक सचिव   सचिव -घूस खाण हमर कर्मसिद्ध अधिकार च।  इखाक एज्युकेसन सिस्टम का तो  भौति बुरा हाल छन। आखिर घूस नि खवां तो बच्चों  तै विदेसूं मा कनकैक पढ़ौला ? किन्तु हरेक अधिकारी कु पैलो काम च कि पकड़ मा नि आवो।  जो पकड़ा गया समझो मर गया।  तो मि मातमपुर्सी मा शरम कर!   शरम कर ! हे  बेशरम शाहिद जन शब्दों से अपण मातमपुर्सी खतम करदु।

हैंको  सेक्रेटरी - हम भारतीय अधिकार्युं बारा मा चीन , जापान  , अमेरिका  मा खुले आम प्रशंसा हूंदी , बड़ै हूंदी , चर्चा हूंदी  कि हम भारतीय अधिकार्युं मा अधिकार चेतना अत्यधिक रूप से विकसित ह्वे गे। अर साथ मा यूँ देसूं मा यां पर बि आश्चर्य हूंद कि भारतीय अधिकारी घूस रक्षा कवच पैरण मा उस्ताद छन।  चूँकि मोहम्मद शाहिदन सही ढंग से घूस रक्षा कवच नि पैर तो मि घूसखोर अधिकारी असोसिएसन का तरफान मोहम्मद शाहिद की असावधानी की घोर भर्त्सना करदु।  शेम औन यू मोहम्मद शाहिद दैट यू आर काउट ! शेम ,शेम ! छी !

वांक  सचिव - दूर दूर दुसर प्रदेसुं मा जब हमर प्रदेश का सचिवों बारा मा बात हूंदी तो बुले जांद कि इंडियन अ ब्यूरेक्रेट्स परफेक्टेड द ब्रिटिश ब्यूरेक्रेसी सिस्टम अर उत्तराखंड का ब्यूरेक्रेसी न धरोहर मा पायीं उत्तरप्रदेश ब्यूरेक्रेसी की घूसखोरी तै एवरेस्ट मा पौंछाई किलैकि इख बेईमान ऑफिसर नि पकड़ेदन अपितु ईमानदार चपड़ासी पकड़ मा आंदन।  उत्तराखंड ब्यूरेक्रेसी की प्रशंसा इलै इ हूंद कि भैस की जगह मकड़ा पकड़े जांदन।  किन्तु इख तो भैंस ही पकड़े गे।  हम निर्लज्ज अधिकार्युं तरफ से - थू , थू , दस दै थू।

तांको  सचिव - अरे बचपन से सन पचपन से हम घूस खाते आएं हैं और पकड़ में कभी नही आये हैं।  मोहम्मद शाहिद ! तीन तो जघन्य पाप कार कि तू स्टिंग ओपरेसन मा पकड़े गे। जा इस पाप की सजा मा त्वै तै दोज़ख़ की आग मिले अर उक पाणी ना मिले।  बेहया पापी , बिलंच , बदखोर अधिकारी त्वै पर  थू ! थू ! थू !

बड़ो सचिव - अरे चापलूसी , घूसखोरी , सिफारिश , रिशवत  तो  अधिकार्युं आभूषण छन।  हाँ पकड़ मा नि आण हमारो असली कर्तव्य च।  सरा भारत  अधिकारी उत्तराखंड सचिवों पर हंसणा छन कि कन बेवकूफ अधिकारी भर्ती ह्वे गेन जू घूस लींद ना घूस निगोसिएसन मा इ पकड़े गे।   कर्तव्यबिमुखी की एकी सजा च अर वा च हे बदचलन अधिकारी थू ! बदमाश अधिकारी थू ! बिक्यूँ अधिकारी थू !

सब - महापापी मोहम्मद शहीद ! थू ! थू ! थू ! तेपर कि पकड़ मा ऐ।   छी ! छी ! छी ! जा सस्पेंड रूपी दोजख की आग मा जळ अर खुदा करे ताजिंदगी त्यार सस्पेंसन बरकरार रहे , तू पेन्सन को तरसणी रै ! त्वेपर बदनामी का कीड़ा पोड़िन ! त्वे पर बेहया का बुरळ पोड़िन ! तू ताजिंदगी  सामजिक अलहदी , सोसल सेपरेसन  शिकार रै ! जा त्यार हुक्का पाणी बंद ह्वे जैन। थू ! थू ! थू !  शर्म ! शर्म ! धिक्कार तेरे पर हे राज्यद्रोही, सरकार द्रोही , जनद्रोही मोहम्मद शाहिद !

एक सचिव - वै संतरी ! तू हमारी सीक्रेट मीटिंग मा किलै ऐ ?

संतरी - साब आपकी मीटिंग का लाइव स्टिंग हूणु च अर सब टीवी चैनेल यीं मीटिंग तै लाइव दिखाणा छन।

सब -क्या हम बदमाश सचिवों लाइव स्टिंग ?

(सर्वथा , सरासर काल्पनिक।  केवल , घूसखोर अधिकारी ही मुझ  पर मानहानि का मुक़्क़दमा ठोक सकते हैं।   मुक़्क़दमों का स्थान -मुंबई )
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                                  संसद  द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च , अखाड़ा च , युद्धक्षेत्र च , !

                                               रोष, गुस्सा,  , हताशा  मा   :::   भीष्म कुकरेती


मास्टर  जी -हाँ तो पता च ना कि मीन ब्याळि तुम कुण 'भारतीय संसद ' पर निबंध लिखणो ब्वाल थौ ?

सब - मासाब ! ब्याळि ना।  चार दिन पैलि।  चार दिन बिटेन तो आप कोटद्वार अपण नौनीक के . जी   .  मा एडमिसन कराणो जयां छया।

मास्टर - सालो चुप ! मीन खाल खैंचण तुमर ! अध्यापक से जुबान लडौन्दा ? ब्वालो मीन ब्याळि क्या बोलि छौ ?

सब - जी संसद पर निबंध।

मास्टर - संसद ना अपितु 'भारतीय संसद ' पर निबंध।

सब - जी 'भारतीय संसद' पर निबंध।

मास्टर -तो  ये सुंदरी 'भारतीय संसद ' पर तीन क्या ल्याख ?

 सुंदरी  -यूँ तो भारत एक कृषि प्रधान देश च त इख किसान बि हूंदन।  चूँकि हमर देस मा प्रजातंत्र च त इख भयानक भयानक अलग किस्मौ मनिख -मनखेणि बि हूंदन जौंकुण हम विधायक या सांसद बुल्दां।  यि जानवर संसद रूपी चारागाह मा चरणा जांदन। पैलाक सांसद संसद तै नीतियों पर बहस का मंदिर , नीति स्वीकृति की मस्जिद , जनकल्याण का चर्च -गुरद्वारा समजदा छया पर अब सांसद संसद तै क्या समजदन यी नरेंद्र मोदी , मैडम सोनिया गांधी , मास्टर मुलायम  ,  अमित शाह जन नेताओं की समज मा इ नि आणु तो वोट खतण वळु  अर वोट नि दीण वळु समज मा क्या आण ? बस जी।

मास्टर -बस ?

सुंदरी -जी जब युवराज  राहुल गांधी , युवराज दुष्यंत कुमार , राजकुमारी सुले ,राजकुमारी कनिमोझी का समझ मा इ औणु कि संसद क्या च त मै सरीखा छात्रा क्या ख़ाक बताली कि संसद क्या च ?

मास्टर - चल बै बंदरु ! तू बोल 'भारतीय संसद' क्या च ?

बंदरु - यो तो भारत एक कास्तकारूं देस च पर इक संसद बि च अर  सांसद बि छन।  सांसदुं काम सिरफ़ अर सिरफ़ एकी काम च कि कै बि हिसाब से संसद मा हो हल्ला , चिल्ल्म चिल्ली , कुहराम हूणों रौ।  सांसद हमारा लड़ाका कौम च। बस जी मीन इथगा इ ल्याख।

मास्टर -हा ये भुंदरी रु तू बता तीन क्या ल्याख ?

भुंदरी -यूँ तो भारत एक  कृषि प्रधान देस च।  कृषि प्रधान देस च त तीस प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा का तौळ छन।  गरीबी हटाणो बान जनता सांसद चुणदि।  सांसदुं काम च संसदीय परम्परा अर संविधान विरुद्ध संसद कुंवा पास घपरोळ करण , अर काळा झंडा या बैनर लेक घ्याळ करण।  याने सांसदुंक  एकी काम च संसद ठप्प पड़ी रावो,  अर सांसदुं तै भत्ता मिलदा जावो। विरोधी पार्टी जब संसद तै हल्ला, घपला , घपरोळ ते वाधित  कराणम सफल हूंदी तो वीं तै गर्व हूंद अर सरकारी पार्टी तै पसीना छुटदन।   चूँकि संसद च तो संसद अध्यक्षा या अध्यक्ष बि हूंद।  संसद अध्यक्षा को एकि काम रै गे संसद शुरू हूंदी द 'हाउस  इज अडजौर्न्ड फॉर फिफ्टीन मिनट्स , ' हाउस  इज अडजौर्न्ड फॉर टुडे ' या 'हाउस  इज अडजौर्न्ड फॉर मेनी मंथ्स '  बुलण ।  संसद नि चलण से भारत पर जोर का चूना लगद।  बस।

मास्टर -हाँ बै गुंदुरु ! तीन  'भारतीय संसद' पर क्या ल्याख ?

 गुंदुरु - यूँ तो भारत एक कृषि प्रधान देस है इसलिए इख रोज किसान आत्महत्या करदन।  चूँकि किसान आत्महत्या करदन तो इलै भारत मा भारतीय संसद बि च। 'भारतीय संसद'   द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च, एक अखाड़ा च , भारतीय संसद' एक युद्ध क्षेत्र च, । 'भारतीय संसद' मा  अखड़ाबाज बगैर बातो कुस्ती लड़दन, पैल बयानो से एक दुसर तै घायल करदन अर जब या से काम नि चलद , तो लात घूँसा चल्दन अर तब बि सांसदुं याने विधायकों का ज्यु नि भोरे तो तो कुर्सी , माइक , पेपरवेट से एक दुसर पर वार करदन। खून का फव्वारा छूटन या ना पर सरकारी अस्पतालों मा पट्टी बंधणा जांदन अर पट्टी पत्रकारों तै अवश्य दिखाँदन।  आज तक क्वी बि सांसद अपण कुकर्मों पर शर्मसार तो नि ह्वे पर जनता रोज शरम का मारी खुदकशी करणो वास्ता चुल्लू भर पाणी खुज्याणि रौंदी। संसद एक अखाड़ा च , युद्धक्षेत्र च , द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च !

मास्टर -ये निर्भाग्युं ! यी तुमन गंभीर अर गुस्सा वाळी बात चबोड़ , चखन्यौ अर हंसोड्या भौण मा लेखी दे ? क्या बात च ?

कुछ  (जोर से )- जी हम सब अच्काल फेसबुक मा नेत्र सिंह असवाल , पूरण पंत पथिक अर हरीश जुयाळै कविता जि पढ़ना रौंदा तो हम न यीं भौण मा निबंध लेखी दे।

बकै ( हौर जोर से ) - जी दर्शन सिंह नेगी अर भीष्म कुकरेती का व्यंग्य बि हम फेसबुक मा पड़दां तो हमारी भौण इनि    ....

मास्टर - पर किताब मा 'भारतीय संसद ' का बारा मा इन कुछ बि नि लिख्युं च तो तुमन यु उटपटांग क्या लेखी दे ?

सबि (इकछुटि ) - जी हम रोज लोकसभा अर राजयसभा टीवी लाइव जि दिखदाँ।   जु हम दिखदां वी हमन  निबंध मा लेखी दे। 
 


24/7  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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Bhishma Kukreti

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                                            कांग्रेसियों को मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ ?

                                         चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


                  कांग्रेसियों को मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ ? जी हाँ म्यार द्वी चबोड़्या , चखन्यौर्या , चिर्रीदार , अधिकार्युं अर नेतौं पर चटका लगांद लेख विभिन्न माध्यमों मा क्या छप कि कॉंग्रेस्यूं पर कुजगा चिर्री पड़ गे।  दस जनपथ का पालतू कुकर इन भुकण बिसे जन बुलया मीन लुसिआना ( मैनी जिला , इटली ) की जन्मीं सोनिया बौ तै क्वी राजनैतिक गाळी दे दे हो। मेरि समज मा नि आई कि जब मीन लुसियाना वळि तै कुछ नि ब्वाल तो दस जनपथ  भिस्ती चिमुल्ठक सि कट्यां  बबरैका  अंट संट किलै बुलणा छन भै ?

                 म्यार लेख पढ़िक  गळया बौड़ राहुल गांधी का चपड़ासी याने तथाकथित कॉंग्रेसी चंड (दुर्दमनीय , गुस्सा ) ह्वेका  मीतै चुनग्याण लग गेन।   मेरी समज मा नि आयि कि प्रजातंत्रौ मखौल उड़ाण वळा परिवारवाद की सबसे   बड़ी इमारत  का चोबदार , चाकर , चमचा किलै में पर गुस्सा ह्वेन ?

              फेसबुक मा म्यार द्वी लेखुं से राजमाता अर राजकुमारौ नौकर कॉंग्रेस्यूंन  कुछ अजीब सा कमेंट्स लेखी दे कि नरेंद्र मोदी का राज मा बेरोजगारी बढ़ आदि आदि।  ये भै मि थू थू करणु छौ  घूसखोर मोहम्मद शाहिद अर चोट , चटका , चपत लग दस जनपथ  कुल्युं पर।

       मेकुण दिल्ली से अर देहरादून से बि फोन ऐन कि मीन संसद का बारा मा फेसबुकम इन क्या लेखी दे कि कॉंग्रेसी  गुस्सा हुयां छन जन बुल्यां मीन कै कुकरौ पूछ पर आग लगै दे हो।   यदि मीन संसद डिस्टरबेंस पर व्यंग्य बाण चलैना तो यूँ कॉंग्रेसयुंका का मूछुं बाळु पर , कखर्यळि  बाळु पर, छाती का बाळु आग किलै लग भै ?  क्या कॉंग्रेसी कार्यकर्ता या कॉंग्रेस प्रेमी भारतीय नीन ? कि यूँ तै इ पसंद नी च कि संसद ठीक से इ चलण चयेंद ? हाँ जब राजमाता अर राजकुमार (अर शायद राजकुमारी बि ) इ नि चादन कि संसद चले  तो बिचारा कॉंग्रेस प्रेम्युं की  क्या बात करण !

            मेरी बिल्डिंग मा बि एक बिचारा कॉंग्रेसी भक्त तक बात पौंछि गे कि मीन मोहम्मद शाहिद पर छी छी , थू थू , हाय हाय कार।  गोपाल दा बुलण लग बल - "यार भीषम !  इन अभद्र भाषा प्रयोग ठीक च क्या ? अर उ बि कै अल्पसंख्यक पर इथगा कैड़ि , करारी , चोट ?". अब तुमि   न्याय निसाब कारो बल  यदि क्वी घूसखोर अल्पसंख्यक हो तो क्या व्यंग्यकार अल्पसंख्यक घूसखोर पर व्यंग्य का तीर नि चलै सकदु ? यदि  क्वी  अल्पसंख्यक घूसखोर अधिकारी  उत्कोच लींद कैमरा मा पकड़े जावो तो क्या व्यंग्यकार तै अधिकार नी च कि वु व्यंग्य से अल्पसंख्यक घूसखोर अधिकारी का ल्वैखतरी कारो ? यदि  क्वी  अल्पसंख्यक घूसखोर अधिकारी  रिश्वत , किकबैक  निगोसिएसन करद  कैमरा मा पकड़े जावो त क्या कै व्यंग्यकार तै यु अधिकार नी च कि वु  यदि  क्वी  अल्पसंख्यक घूसखोर अधिकारी का मुंड मा व्यंग्य का बम फोड़े ? अरे मीन एक भ्रस्ट अधिकारी पर कलम चलाइ तो यूँ  कॉंग्रेस्यूं नाक किलै कट भै ? चोरै  दाढ़ी मा तिनका ना चोरै गिच पुटुक पूरा घासक पूळ च तबि त इंटरनेट अर ऑफ़लाइन मा कॉंग्रेसी म्यार व्यंग्य से गुस्सा ह्वे गेन , दाळ मा कुछ काळो -पीलो च तबि त  इंटरनेट अर ऑफ़लाइन मा कॉंग्रेसी म्यार व्यंग्य से आगबबूला ह्वेका भरचे गेन।  अर वांपर दलील कि  नरेंद्र मोदी का राज मा बि भ्रस्टाचार च।  मतलब यदि बीजेपी वळ चोरी कारल तो कॉंग्रेसी डाका डाळल क्या ?

                    मि क्वी कॉंग्रेस्यूं खरीद्यूँ , मुल्यायुं , पळयूँ -पुस्युं पत्रकार या लिख्वार नि छौं कि कॉंग्रेस का गुनाहों तै पुण्य बतौं अर ना ही मि नागपुर वळु बंध्युं कुत्ता छौं कि कॉंग्रेस्युँ पर भोकुं ! मि व्यंग्यकार छौं व्यंग्य का फरसा  से बदखोरुं बदखोरी  तै   गिंडाण म्यार काम च।  मि व्यंग्यकार छौं व्यंग्य का बणाक से भ्रस्टाचार तै भरच्याण म्यार काम च।  व्यंग्यात्मक लेखनी से  नकारात्मक शक्त्युं पर बम चलाण म्यार कर्तव्य च।

                          कॉंग्रेस्यूं तै बिंगण चयेंद बल यदि  अधिकारी अर राजनीतिज्ञ कर्तव्य विमुख ह्वे जावन, कर्तव्यच्युत ह्वे  जावन, फर्ज से दगा इ करण लग जावन तो  क्या व्यंग्यकार बि बौं हौड़ थुड़ा पोड़ जालो  ? ना,  ना , कतै ना  ! इन बदहाल स्थिति मा व्यंग्यकार और अधिक चित्वळ ह्वेका  जोर की व्यंग्यात्मक एसिड की बरखा कारल।

  अब आपि  जबाब द्यावो -


म्यार चबोड़्या लेखों  से कॉंग्रेस्यूं पर चिर्री लगी तो मैं क्या करूँ ?

 म्यार चखन्यौर्या  लेखों से कॉंग्रेस्यूं जूँगों पर आग लगे  तो मैं क्या करूँ ?

  म्यार चरचरा लेखों  से कॉंग्रेस्यूं  नाक लगे , नाक कटे,  नाक  इ नि रावो  तो   मैं  करूँ ?


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                    British Putting Conditions for Treaty in Advance of War

         Anglo Nepalese War with   Reference to Gurkha Rule over Uttarakhand & Himachal -34
History of Gorkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) -154   
             History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -676

                          By: Bhishma Kukreti (A History Student) 

                Hastings was sure that his strategy and planning for war are sufficient for winning. He was of opinion that Gurkha would not battle for long. He was confident that Nepal would bent for treaty after war.  He put a few tolerable conditions for Nepal that Nepal would accept those conditions as the Company did not want to topple Nepal Government. Hastings was interested Nepal as the buffer state for Company’s trade with China and Tibet. East India Company appointed Major Bradshaw as Company’s Political representative for Nepal.
 Head quarter informed about conditions for Nepal.
   The conditions from the Company side were that Nepal would agree for defeat (without war). Nepal would agree to compensate the expenses of Butbal battle. Nepal had to hand over the culprit officers to the company.   Nepal would accept the treaties of Company with other hill states of Nepal and would follow the terms of Treaties.
 Hastings was sure that Nepal would agree its conditions. However, Ambar Singh Thapa and many more were of opinion that Nepal would not bent before fight or war.

(*Based on Jon Premble, Sanwal, Saxena )
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 25/7/2015
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -677
*** History of Gorkha/Gurkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) to be continued in next chapter 

(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
XX                    Reference

Atkinson E.T., 1884, 1886, Gazetteer of Himalayan Districts …
Hamilton F.B. 1819, An Account of Kingdom of Nepal and the territories
Colnol Kirkpatrik 1811, An Account of Kingdom of Nepal
Dr S.P Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 5, Veer Gatha Press, Dogadda
Bandana Rai, 2009 Gorkhas,: The Warrior Race
Krishna Rai Aryal, 1975, Monarchy in Making Nepal, Shanti Sadan, Giridhara, Nepal
I.R.Aryan and T.P. Dhungyal, 1975, A New History of Nepal , Voice of Nepal
L.K Pradhan, Thapa Politics:
Gorkhavansavali, Kashi, Bikram Samvat 2021 
Derek J. Waller, The Pundits: British Exploration of Tibet and Central Asia page 172-173
B. D. Pande, Kumaon ka Itihas
Balchandra Sharma, Nepal ko Aitihasik Rup Rekha
Chaudhari , Anglo  –Nepalese Relations
Pande, Vasudha , Compares Histriographical Traditions of Gorkha Rule in Nepal and Kumaon
Pradhan , Kumar, 1991, The Gorkha Conquests , Oxford University  Press
Minyan Govrdhan Singh , History of Himachal Pradesh
A.P Coleman, 1999, A Special Corps
Captain Thomas Smith, 1852,Narrative of a Five Years Residence at Nepal Vol.1
Maula Ram/Mola Ram  , Ranbahadurchandrika and Garhrajvanshkavya
J B Fraser , Asiatic Research
Shyam Ganguli, Doon Rediscovered
Minyan Prem Singh, Guldast Tabarikh Koh Tihri Garhwal
Patiram Garhwal , Ancient and Modern
Tara Datt Gairola, Parvtiy Sanskriti
John Premble, Invasion of Nepal
Chitranjan Nepali, Bhimsen Thapa aur Tatkalin Nepal
Sanwal, Nepal and East India Company
Nagendra kr Singh, Refugee to Ruler
Saxena, Historical papers related to Kumaon

XXX
History Gurkha /Gorkha Rule over Garhwal, Kumaon, Uttarakhand; Himachal; History Gurkha /Gorkha Rule over Pauri Garhwal, Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand; Sirmour Himachal; History Gurkha /Gorkha Rule over Chamoli Garhwal, Nainital Kumaon, Uttarakhand; Kangara Himachal; History Gurkha /Gorkha Rule over Rudraprayag Garhwal, Almora Kumaon, Uttarakhand; Baghat Himachal; History Gurkha /Gorkha Rule over Tehri Garhwal, Champawat Kumaon, Uttarakhand; Punar Himachal; History Gurkha /Gorkha Rule over Uttarkashi Garhwal, Bageshwar Kumaon, Uttarakhand;  Nahan Himachal; History Gurkha /Gorkha Rule over Dehradun Garhwal, Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand; History Himachal; 
Nepal Itihas, Garhwal Itihas, Kumaon Itihas, Himachal Itihas;  Gurkha/Gorkha ka Kumaon par  Adhikar Itihas , Gurkha/Gorkha Garhwal par Shasan Itihas;  Gurkha/Gorkha Rule in Kumaon, Garhwal Uttarakhand; History Gurkha/Gorkha  Rule in Himachal,



Bhishma Kukreti

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Alcohol Harm


                    तै किसानन पर्स्युं ना , भोळ बि ना ,  आजि आत्महत्या करण !

                        चबोड़ , चखन्यौ , फिरकी    :::   भीष्म कुकरेती



(स्थान -देसी -विदेशी ठेका , शराबखाना )

एक ट्यूबलाइट - ये ल्यावो ! सि गेन उत्तराखंड का जण्या -मण्या सामाजिक कार्यकर्तौं डार। युंकुंण  पंचभया सामाजिक कार्यकर्ता बुले जांद। जख बि जाल पंचि दगड़ी जाला।

दुसर -ह्यां ! यूंन कार क्या च जु युंकुंण सामाजिक कार्यकर्ता बुले जांद ?

एक बल्ब - अबै सामाजिक कार्यकर्ता माने जु हरेक गढ़वळि कार्यक्रम मा पौंछन।

ट्यूबलाइट - हाँ आज यूंन भौत रूण।  जब बि यी कै तै मड़घट फुकणो जांदन तो बगैर पियां यूँ से घौर नि जयांद। अर जनि एक पैग यूंक गौळम गे ना कि यूँ पर 'गढ़वाळम  पलायन' का जुकाम लग जांद , दुसर पैग द्याख ना गढ़वाळम 'गूणि -बांदर भौत ह्वे गेन का भूत चढ़ जांद।

बल्ब - अरे एक बाद तो यी भौत मजेदार छ्वीं लगाण मिसे जांदन।  सब दुःख जतैक गढ़वाळम शराबौ प्रचलन भौत बढ़ी गे पर बहस शुरू कर दींदन। पता च बस यूंमा चार पांच कथा छन अर हर बार दारु पीणो बाद यूँ शराब मुतालिक कथा एक दुसर तैं सुणांदन।

पंखा -यार मि त यूंक चार कथौं से बोत ह्वे ग्यों।  पांच साल से बस वी कथा सुणांदन।  अरे क्वी नै कथा बि नि सुणांदन।

ऐक्जौस्ट फैन - अरे गढ़वाळ जावन तो नई कथा सूणांल ना ! गढ़वाल तो जांद नि छन अर दारु पेक बकबास करणा रौंदन।  गढ़वाळम  इन ह्वे गे , तन ह्वे गए , जख्या भंगुल जामी गे। मि त बोर ह्वे ग्यों यूंक फोकटिया बकबास सूणी सुणिक।

ट्यूबलाइट - ये ल्यावो अपण मिलिट्री हॉस्पिटलौ कम्पाउंडर साब बि आज पीणो ऐ गेन।

बल्ब -यार मिलिट्री कैंटीन से दारु सस्ती मा मिल्दी अर फिर बि इख पीणो किलै आंदो ह्वाल यी कम्पौंडर साब ?

पंखा - अबै आज पियाँ मा येन  अवश्य ही औपरेसन करद जरूर कै मरीजैकि मवासी घाम लगै दे होलि।  याद च पांच दिन पैल बि यु गम गलत करणो बान ठर्रा पीणो इख ऐ छौ।  वैदिन येन  पियां मा एकाक आंख्युं घाव सिल्दा दै आँखि फोड़ यल छौ।  उ तो भलो ह्वे कि मरीजौ भाग सही छया कि वार्ड ब्वॉय की समज मा ऐ गे अर वैन ये दरोड्या कम्पाउंडर साबक  हतुं से सुई लूठि दे।  निथर मरीज द्वी आँख लेक ऐ छौ वु एक आँख लेक घौर जांदु।

बल्ब -आज पता नी कैकि मवासी घाम लगै होलि धौं ?

ऐक्ज़ॉस्ट फैन - ये ल्यावो सकस्याट जी बि ऐ गेन।  तैक फेफड़ा अर जिकुड़ी शराबन पूरी फुकीं छन पर मृत्यु तै अंग्वाळ बटणो तयार च पर स्यु दरोड्या शराब नि छोड़ि सकणु च।  पता च चार मैना पैल यु गांवक अपण सँजैत कूड़ बेचिक ऐ गे।  अर अब एक भायुं अर खरीददारों बीच मुकदमा चलणु च।

ट्यूबलाइट - मुर्दार मादा।

पंखा - ये ल्यावो ! हमर प्रेमी ! किसान ज्यु बि ऐ गेन।

बल्ब - आज एक मुख मा तनाव च भै।  हैँ ! ऐकि येन पूरा नीट पैग घटकै याल भै।  क्या बात ?

एक्जॉस्ट फैन - घरम ब्या करीं जनानी , अलग अलग शहरूं मा द्वी रखैल जैक ह्वाल वैक तो कुहाल इ ह्वाल ना।

पंखा - हाँ जब एक फसल अच्छी हूंदी छे तो एक ठाट दिखण लाइक छ।  दस दस यार दगड्यों दगड़ रोज पीणो आंद छौ।

बल्ब - सुणन मा आयि बल दु दु रखैलुँ खर्चा पुगाणो बान ये किसानन चार बैंकुं से लोन ले बल ?

ट्यूबलाइट - हाँ अर अब चर्री बैंकुं तै बि पता चल गे अर घरवळि तै बैंकुं लोन इ ना रखैलुं बारा मा   बि पता चल गे।

पंखा -अरे यु किसान तो शराब इन पीणु च जन गर्म्युं मा तिसा पाणी पींदु।  क्या बात ? क्या एकी अर एक घरवळि मध्य कुछ ज्यादा इ झगड़ा ह्वे होलु ?

हैंक ट्यूबलाइट - इन लगणु च घरवळि ना रखैलुं दगड़ बि झगड़ा ह्वे ह्वालु।

बल्ब - अरे किसानौ  मुख पर अजीब तनाव दिखेणु च।

पंखा - इन तनाव तो आत्महत्या करण वाळक मुख पर हूंद ?

एक्जॉस्ट फैन - मै लगद येन पर्स्युं तक आत्महत्या कर दीण।

बल्ब -भै मुखक तनाव देखिक तो लगणु च कि भोळ इ येन आत्महत्या कर दीण।

ट्यूबलाइट - अरे अरे ! यु किसान भैर किलै भगणु च ?

पंखा - हैं ! हैं ! ये ले स्यु किसान जाणि बूझिक ट्रकक तौळ ऐ गे।   अर ! अर ! अर ये मेरी बिजली ब्वै  ! तैकि त मौत ह्वे गे।

 


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