महाराज, शेरदा ने एक बार कुछ सुनाया था.. ठीक-२ तो याद नहीं पर कुछ इस तरह था...
"शेरदा-२ हैगै, भ्यार भितेर
नानि भुलि ले बोल्यूं फ़ैगे, शेरदा कै भेर..
स्यानि त बोलुनां छि,
अनहोति तब ह्वेगै जब,
चेलो ले कै बोलुन फ़ैगो, शेरदा कै भेर.."
पूरे कुमाऊं में हास्यरस में शेरदा जैसा और कौन ठैरा?